11-12 April 2015 Hindi

कल्याण मल्ल द्वारा लिखित संस्कृत पुस्तक सुलेमान चरित के अंग्रेजी अनुवाद का विमोचन

16वी शताब्दी में कल्याण मल्ल द्वारा रचित संस्कृत पुस्तक ‘सुलेमान चरित’ के अंग्रेजी अनुवाद का 9 अप्रैल 2015 को विमोचन किया गया. पस्तक का अग्रेजी अनुवाद राजनयिक और लेखक ए.एन.डी हस्कर ने किया है.

पुस्तक का विमोचन नई दिल्ली स्थित भाषाई अल्पसंख्यंकों के राष्ट्रीय आयुक्त प्रोफेसर अख्तरूल वासे ने  किया.

मूल पुस्तक सुलेमान चरित कल्याण मल्ल की रचना है. कल्याण मल्ल 16वीं शताब्दी में पूर्व उत्तर प्रदेश में शासन कर रहे लोदी युवराज लाड खान के दरबार के प्रिय लेखक थे.

सुलेमान चरित इस्लामी और इसाई कथाओं का संकलन है.

कल्याण मल्ल को उनकी रचना ‘अनंग रंग’ के लिए भी जाना जाता है.  अनंग रंग और सुलेमान चरित ये दोनों रचनाएं उनके संरक्षक युवराज को समर्पित हैं.

पॉस्को को खनन लाइसेंस देने के ओडीशा सरकार का प्रस्ताव केंद्र सरकार द्वारा निरस्त

पॉस्को को खनन लाइसेंस देने के ओडीशा सरकार के प्रस्ताव को केंद्र सरकार ने  9 अप्रैल 2015 को रद्द कर दिया. दक्षिण कोरियाई कंपनी पॉस्को को इस लाइसेंस की आवश्यकता उसके प्रस्तावित 12 अरब डालर के मेगा स्टील संयंत्र खनिज आपूर्ति के लिए थी. ये स्टील प्लांट ओडीशा के पारादीप में बनाया जाना प्रस्तावित है.

प्रस्ताव के उत्तर में केंद्र सरकार ने कहा कि अन्य कंपनियों की तरह पॉस्को को भी खंडहर और अन्य खदानों में खनन अधिकार के लिए खुली बोली में भाग लेना होगा.

 

ठाणे को नेशनल अर्थ आवर कैपिटल 2015 बनाए जाने की घोषणा - वर्ल्ड वाइड फंड

महाराष्ट्र के ठाणे को नेशनल अर्थ आवर कैपिटल बनाया गया. इस आशय की घोषणा 9 अप्रैल 2015 को की गई. अंतिम चरण में तीन प्रतिभागियों राजकोट, पुणे और ठाणे में से ठाणे विजयी रहा. शहर के मोबिलिटी प्लान, सौर ऊर्जा और कूड़े से ऊर्जा की पहल के लिए निर्णायक समिति ने पुणे को विशेष उल्लेखनीय क्षेत्र की श्रेणी में रखा.

• राजकोट को अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया.
• ठाणे जिला प्रशासन के कार्य जो इसे नेशनल अर्थ आवर कैपिटल 2015 बनाए जाने में सहायक रहे:
• शहरी इमारतों में सौर-ताप जल संयंत्र लगाए जाने की अनिवार्यता.
• वायु-सौर ऊर्जा हाइब्रिड प्रणाली का प्रयोग
• रौशनी एवं वातानुकूलन के लिए सौर ऊर्जा का प्रयोग
• सौर पैनलोंवाली छतों की योजना, शुद्ध पैमाइश पर आधारित बिजली का उत्पादन, नियमित ऊर्जा लेखा परीक्षण
• ऊर्जा संरक्षण परियोजना
• सड़कों की ऊर्जा कुशल प्रकाश व्यवस्था
• शहरी ठोस अपशिष्ट के उपचार और बिजली उत्पादन के लिए बायो-मिथेनेशन संयंत्रों की शुरुआत
• सट्रीट लाइट के सर्वोत्कृष्ट उपयोग के लिए तीन चरणों वाली स्विचिंग व्यवस्था.
2015 अर्थ ऑवर चैलेंज में देश के 13 शहरों ने भाग लिया. पिछले वर्ष ये सम्मान कोयंबटूर को मिला था.

अरुण कुमार झा खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त

अरुण कुमार झा को खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के रूप में नियुक्त किया गया.


इस सम्बन्ध में 10 अप्रैल 2015 को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी), लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय द्वारा फैसला लिया गया.


केवीआईसी के सीईओ के रूप में वे आयोग के दिन-प्रतिदिन के कामकाज की देखरेख करेंगे तथा इसकी रिपोर्ट सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) को सौंपेंगे.


इससे पहले वे लघु व्यवसाय विकास राष्ट्रीय संस्थान (एनआईईएसबीयूडी) के महानिदेशक के रूप में कार्यरत थे. झा वर्ष 1985 बैच के भारतीय अर्थशास्त्र सेवा (आईईएस) अधिकारी हैं.


खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग


यह खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम, 1956 द्वारा स्थापित एक संवैधानिक निकाय है.


यह एमएसएमई मंत्रालय के तत्वावधान में कार्य करता है.


इसका मूल उद्देश्य गरीब लोगों के बीच आत्मनिर्भरता बनाना तथा ग्रामीण समुदाय के बीच बिक्री योग्य उत्पादन व स्वरोजगार उपलब्ध कराने की भावना का विकास करना है.

राष्ट्रपति ने दिल्ली में पूर्वोत्तर के गीत और नृत्य कार्यक्रम का उद्घाटन किया

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 11 अप्रैल 2015 को दिल्ली में पहली बार करवाए जा रहे पूर्वोत्तर के गीत और नृत्य कार्यक्रम का उद्घाटन किया.


कार्यक्रम का उद्देश्य पूर्वोत्तर राज्यों से बाहर रहने वाले लोगों को पूर्वोत्तर के विभिन्न सांस्कृतिक पहलुओं से परिचित कराना है.


पूर्वोत्तर के गीत और नृत्य कार्यक्रम के प्रमुख बिंदु:


इसमें पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) तथा उत्तर-पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन शामिल है साथ ही इसका उद्देश्य निवेशकों तथा पर्यटकों को इस क्षेत्र की ओर आकर्षित करना भी है.


अगले कुछ महीनों में देश के विभिन्न भागों में कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित की जाएगी.


प्रत्येक कार्यक्रम उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के आठ राज्यों में से एक के सहयोग द्वारा आयोजित किया जाएगा.


वर्तमान कार्यक्रम मेघालय के सहयोग से आयोजित किया गया.


कार्यक्रम का विषय आयोजन में सहयोग करने वाले राज्य एवं आयोजन स्थल पर निर्भर करेगा.


एनईसी कार्यक्रमों के लिए आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करेगा.

भारत और फ़्रांस के मध्य 20 समझौतों पर हस्ताक्षर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चार दिवसीय फ्रांस की यात्रा (9-12 अप्रैल 2015) 12 अप्रैल 2015 को संपन्न हो गई. इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने रेलवे, स्पेस रिसर्च, परमाणु ऊर्जा, विज्ञान, तकनीकी और मरीन टेक्नोलॉजी क्षेत्रों से संबंधित 20 समझौतों और सहमति-पत्रों पर हस्ताक्षर किए.
दोनों देशों के मध्य हुए मुख्य समझौते
रक्षा एवं परमाणु ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित समझौते
एलएंडटी तथा अरेवा के बीच एमओयू: इसका उद्देश्य जैतापुर परियोजना की वित्तीय व्यवहार्यता में सुधार के लिए स्थानीयकरण में वृद्धि के माध्यम से लागत में कटौती करना है. इससे भारत में प्रौद्योगिकी का अंतरण तथा देशज परमाणु ऊर्जा का विकास भी संभव होगा.
एनपीसीआईएल और अरेवा के बीच इंजीनियरिंग पूर्व करार: पीईए अध्ययनों का उद्देश्य प्लांट के सभी तकनीकी पहलुओं को स्पष्ट करना है ताकि सभी पक्षकार यथा अरेवा, अलस्टोम और भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल) अपनी कीमत को निर्धारित कर सकें तथा जोखिमों के लिए सभी प्रावधानों को तय कर सकें जो अभी भी परियोजना की लागतों में इस चरण पर शामिल है.
अंतरिक्ष
मेघा ट्रापिक्यू पर इसरो और सीएनईएस के बीच एमओयू: सहमति-पत्र भारतीय-फ्रांसीसी मेघा ट्रॉपिक्स उपग्रह से संबंधित था. इसे भारतीय प्रक्षेपण यान पीएसएलवी के जरिए 12 अक्टूबर 2011 को प्रक्षेपित किया गया था. यह एमओयू उपग्रह से डाटा के प्रयोग एवं हिस्सेदारी के लिए संयुक्त परियोजना की अवधि को दो और वर्ष के लिए बढा़एगा.
भारतीय उष्णकटिबंधीय क्षेत्र पर कबांड प्रसार प्रयोग हेतु इसरो,सी एनईएन और ओनेरा के बीच एमओयू: इस एमओयू में भारतीय उष्णकटिबंधीय क्षेत्र पर कबांड प्रसार प्रयोग के संबंध में परियोजना के कार्यान्वयन के लिए सहयोग की परिकल्पना है. मुख्य उद्देश्य उपलब्ध कबांड पारेषण का प्रयोग करके डाटा कबांड क्षीण डाटा एकत्र करना और तदनुरूप रेडियो मीटर एवं मौसम विज्ञान डाटा के साथ विश्लेषण करना है.
इसरो तथा फ्रांसीसी राष्ट्रीय अंतरिक्ष अध्ययन केंद्र (सीएनईएस) के बीच कार्यक्रम: इस करार के तहत उपग्रह दूरसंवेदी, उपग्रह संचार तथा उपग्रह मौसम विज्ञान; अंतरिक्ष विज्ञान एवं ग्रह अन्वेषण; डाटा कलेक्शन एवं लोकेशन; उपग्रह ग्राउंड स्टेशन का संचालन तथा स्पेसक्राफ्ट मिशन प्रबंधन;अंतरिक्ष अनुसंधान एवं अनुप्रयोग आदि जैसे क्षेत्रों में सहयोग का प्रस्ताव है. 
खेल
भारतके युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय तथा फ्रांस के खेल,युवाकार्यक्रम,सार्वजनिक शिक्षा एवं सामुदायिक जीवन मंत्रालय के बीच सहयोग केलिए एम ओयू: इस एमओयू के तहत खेल, दवा, संस्थानिक सहयोग, खेल के संदर्भ में खेल की प्रथा का विकास, खेल में महिलाओं एवं विकलांग व्यक्तियों की भागीदारी के लिए सहायता, खेल संघों का प्रबंधन एवं समन्वय, कार्यपालकों का प्रशिक्षण तथा आईएन एसईपी के फ्रांसीसी मॉडल के आधार पर भारत ने राष्ट्रीय खेल संस्थान की स्थापना जैसे क्षेत्रों में सहयोग तथा अनुभवों के आदान- प्रदान की परिकल्पना है.
आर्थिक संबंध
भारतसरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) और फ्रांस सरकार केपारिस्थितिकी,संपोषणीय विकास एवं ऊर्जा मंत्रालय के बीच नवीकरणीय ऊर्जा केक्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन(एमओ यू):इससे परस्पर लाभ एवं पारस्परिकता के आधार पर तकनीकी कार्मिकों के आदान- प्रदान एवं प्रशिक्षण, सूचना एवं डाटा के आदान - प्रदान, संयुक्त अनुसंधान तथा तकनीकी ज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अंतरण के माध्यम से नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़े मुद्दों पर तकनीकी द्विपक्षीय सहयोग को प्रोत्साहित करने एवं बढ़ावा देने के लिए सहयोग एवं संबंध का आधार स्थापित करने में मदद मिलेगी. इसके तहत, सौर,पवन, जैव ऊर्जा, ज्वारीय एवं तरंग ऊर्जा क्षेत्र शामिल होंगे.
रेलवे
भारत के रेल मंत्रालय और फ्रांस की राष्ट्रीय रेलवे (एसएनसीएफ) के बीच रेल प्रोटोकाल: इस प्रोटोकाल के तहत सेमी हाई स्पीड रेल तथा स्टेशन के जीर्णोद्धार के लिए भारत और फ्रांस की रेल के बीच सहयोग स्थापित किया जाएगा.
ऊर्जा
इनर्जी इफिसियंसी सर्विसेस लिमिटेड के एएफ डी वित्त पोषण के साथ गारंटी करार: इस करार के तहत इनर्जी इफिसियंसी सर्विसेस लिमिटेड (ईईएसएल) को वित्त पोषित करने का प्रयास किया जाएगा.
संस्कृतिविरासत संरक्षणपर्यटनजन दर जन संपर्क
सांस्कृतिक विरासत के क्षेत्र में प्रशासनिक व्यवस्था: भारत के संस्कृति मंत्रालय तथा फ्रांस के संस्कृति एवं संचार मंत्रालय के बीच प्रशासनिक व्यवस्था के तहत राष्ट्रीय डू पैट्रिमोइनी संस्थान (आईएनपी) में भारत के विरासत संरक्षण से जुड़े पेशेवरों के प्रशिक्षण के माध्यम से सांस्कृतिक विरासत में सहयोग के अलावा विरासत के संरक्षण एवं जीर्णोद्धार, भारत में आईएनपी प्रशिक्षकों द्वारा भारतीय संस्थानों में अल्पावधिक प्रशिक्षण सत्रों तथा भारत में फ्रांसीसी प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षण आदि में सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक सहयोग के विकास की परिकल्प‍ना है.
राष्ट्रीय डू पैट्रिमोइनी संस्थान, फ्रांस में स्थित विरासत के क्षेत्र में अभिरक्षकों एवं प्रबंधकों के लिए प्रशिक्षण की एक उच्च शिक्षा संस्था है.
पर्यटन पर मंशा पत्र:इसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच संपोषणीय द्विपक्षीय पर्यटन को बढ़ावा देना है जिसमें पर्यटन का परस्पर संवर्धन,पर्यटकों की सुरक्षा का सुनिश्चय करना और विशेषज्ञता एवं सर्वोत्तम प्रथाओं की साझेदारी को प्रोत्साहित करना शामिल है. मंशा पत्र के तहत भारत और फ्रांस में ऐतिहासिक,प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व वाले जुड़वां स्थलों को सहायता प्रदान करने का प्रयास भी किया जाएगा ताकि उन्हें पर्यटन स्थल के रूप में बढ़ावा दिया जा सके.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) और राष्ट्रीय निवारक पुरातात्विक अनुसंधान संस्थान (आईएनआरएपी) के बीच मंशा पत्र (एलओआई): इसमें पुरातत्व को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एएसआई के विशेषज्ञों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों तथा विशेष रूप से पानी के नीचे पुरातत्व के क्षेत्र में विशेषज्ञता की तैनाती के क्षेत्र में सहयोग की परिकल्पना है.
आयोजना एवं वास्तुशिल्प विद्यालयदिल्ली तथा राष्ट्रीय वास्तुशिल्प संस्थानपेरिस के बीच एमओयू: इस एमओयू के तहत भारत एवं फ्रांस में संयुक्त रूप से आयोजना एवं भौगोलिक अध्ययन करने तथा आधुनिक शहरी एवं क्षेत्रीय अनुसंधान में स्‍थानीय समकक्षों को प्रशिक्षण देने के अलावा शहरी एवं क्षेत्रीय आयोजना, भूगोल, पर्यावरण, भवन इंजीनियरिंग तथा प्रबंधन में वैज्ञानिक विधियों की तकनीकों में सहयोग की परिकल्पना है.
भारतीय विरासत शहर नेटवर्क प्रतिष्‍ठान (आईएचसीएन) और एएनवीपीएएच के बीच एमओयू: इस एमओयू के तहत संपोषणीय विकास, शहरी आयोजना, विरासत संरक्षण तथा बुनियादी सेवाओं के उन्नयन जैसे क्षेत्रों में सहयोग के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग की परिकल्पना है.
ऐतिहासिक स्मारकों के जुड़वाकरण के लिए प्रस्ताव: ऐतिहासिक स्मारकों का जुड़वाकरण पर्यटन सहयोग पर मंशा पत्र के तहत शामिल है. 
दो वर्ष की अवधि हेतु फ्रांस में भारतीय छात्रों को तथा भारत में फ्रांस के छात्रों के प्रवास को अनुमति के लिए वीआईई स्कीम: वोकेशनल इंटरनेशनल इन इंटरप्राइज (वीआईई) स्कीम फ्रांस के 250 छात्रों के लिए 12 माह के लिए भारतीय वीजा का प्रस्ताव करती है जिसे एक बार12 माह की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है तथा 12 माह के बाद फ्रांस में भारतीय छात्रों के लिए 12 माह के 'दूसरे निवास परमिट' की मंजूरी पहले ही प्रदान की जा चुकी है.
आयुष मंत्रालय और स्ट्रासबर्ग विश्वविद्यालय के बीच आयुर्वेद पर मंशा पत्र: यह मंशा पत्र दोनों पक्षकारों को आयुर्वेद शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्रों में शैक्षिक एवं अनुसंधान की गतिविधियों के माध्यम से सहयोग एवं अपने संबंध को सुदृढ़ करने, सहयोगात्मक अनुसंधान की संभावना का पता लगाने और पूरे किए गए अध्ययनों के परिणामों का प्रसार करने की रणनीतियां तैयार करने की अनुमति प्रदान करता है.
फ्रांस में पूरक दवा के रूप में आयुर्वेद पर संयुक्त कार्यशाला / सम्मलेन का आयोजन करना.
कौशल विकास
राष्ट्रीय कौशल विकास एजेंसी (एनएसडीए),भारत और राष्ट्रीय व्यावसायिक अर्हता आयोग (सीएनसी डी) के बीच एमओयू: इसका उद्देश्य राष्ट्रीय कौशल अर्हता रूपरेखा तथा फ्रांसीसी राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रमाण पत्र रजिस्टर (आरएनसीपी) के अनुरक्षण के संबंध में सूचना के आदान -प्रदान को सुगम बनाना है. 
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
भारतके विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा फ्रांसीसी राष्ट्रीय वैज्ञानिकअनुसंधान केंद्र (सीएनआरएस) के बीच विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्रमें सहयोग के लिए एमओयू: यह एमओयू दोनों देशों के बीच निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग के लिए है: 
• अनुप्रयुक्‍त गणित, भौतिकी, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, जल संसाधन एवं पर्यावरण, जीवन विज्ञान, खगोल विज्ञान, जलवायु एवं ऊर्जा आदि तथा इसके लिए सूचना का आदान- प्रदान किया जाएगा.
• बैठकों / कार्यशालाओं/ सेमिनारों का आयोजन किया जाएगा.
• अनुसंधान कार्मिकों का आदान - प्रदान किया जाएगा.
• संयुक्त परियोजनाएं संचालित की जाएंगी,वर्चुअल संयुक्त प्रयोगशालाएं तथा संयुक्त अनुसंधान केंद्र स्थापित किए जाएंगे. 
भारत के जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा सीएनआरएस एवं यूपीएमसी के बीच एमओयू: इसका उद्देश्य भारत में एक राष्ट्रीय समुद्री जीव विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित करने के लिए सहयोग करना है. इसके तहत अंडमान से लेकर लक्षद्वीप तक भारत के संपूर्ण समुद्री क्षेत्रों में प्रयोगशालाओं के हब एवं स्‍पोक नेटवर्क के साथ भारत में एक राष्ट्रीय समुद्री जीव विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी संस्थान स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा.