श्री थावरचंद गहलोत ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम के रजत जयंती समारोह का उद्घाटन किया |
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सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्री थावरचंद गहलोत ने आज यहां सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (एनबीसीएफडीसी) के रजत जयंती समारोह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री श्री रामदास अठावले, मंत्रालय की सचिव श्रीमती लता कृष्णा राव और अन्य विशिष्ट जन उपस्थित थे।
श्री गहलोत ने एनबीसीएफडीसी के चैनल प्रशिक्षण साझीदारों को उत्कृष्ट कामकाज के लिए पुरस्कृत किया और ऋण एवं कर्मचारी सूचना स्वचालन परियोजना प्रणाली की शुरूआत की। उन्होंने एनबीसीएफडीसी के हितधारकों के अनुभवों पर आधारित एक लघु फिल्म ‘हमारी कहानी’ और एक पुस्तक ‘सफलता की कहानियां’ का विमोचन किया।
श्री गहलोत ने कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए सभी राज्यों में सहायक एजेंसियों और बैंक संस्थानों के साथ मिल कर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय के अधीन सभी निगम बेहतरीन काम कर रहे हैं और जरूरतमंद लोगों की सेवा कर रहे हैं। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय अपने निगमों के माध्यम से पिछड़े वर्ग के युवाओं के लिए नियमित रूप से रोजगार मेलों का आयोजन करता है। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण से व्यक्तित्व में निखार आता है। उन्होंने कहा कि “जन भागीदारी” के बिना इस तरह की योजनाएं सफल नहीं हो सकतीं। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के इन निगमों की विभिन्न योजनाओं से लाभ उठाएं। *** |
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दिसंबर माह का ईपीएफ सांविधिक बकाए का भुगतान 20 जनवरी, 2017 तक |
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यूएएन आधारित सरलीकृत इलेक्ट्रानिक चालान और रिटर्न फाइलिंग प्रणाली से संबंधित नियोक्ताओं के लिएसंचालित यूनिफाइड पोर्टल के विषय के मद्देजनर दिसंबर, 2016 का ईपीएफ सांविधिक बकाए का भुगतान 20 जनवरी, 2017 तक किया जा सकता है।
इस पोर्टल को ईपीएफओ ने 23 दिसंबर, 2016 को शुरू किया था ताकि यूएएन आधारित रिटर्न तथा चालान जमाकिए जा सकें। बाद में देखा गया कि पोर्टल का उपयोग बहुत अधिक बढ़ गया है जिसके कारण कई नियोक्ताओंको पोर्टल से जुड़ने और लॉग-इन करने में दिक्कत आने लगी थीं। इसके अलावा वेबसाइट भी धीमी हो गई थीतथा कुछ ऐसे नियोक्ता भी थे जो इस नई प्रक्रिया से अपरिचित थे। उल्लेखनीय है कि सांविधिक बकायों काभुगतान हर माह की 15 तारीख तक किया जाना है। *** |
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कच्चे पाम तेल, आरबीडी पाम तेल, अन्य-पाम तेल, कच्चे पामोलीन, आरबीडी पामोलीन, अन्य- पामोलीन, कच्चे सोयाबीन तेल, पीतल कतरन (सभी श्रेणियां), पोस्ता दाना, सुपारी, सोने और चांदी के टैरिफ मूल्यों में परिवर्तन अधिसूचित |
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सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 (1962 की 52) की धारा 14 की उपधारा (2) के तहत मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए केन्द्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने आवश्यक समझते हुए वित्त मंत्रालय (राजस्व विभाग) में भारत सरकार की अधिसूचना संख्या 36/2001-सीमा शुल्क (एनटी), दिनांक 3 अगस्त 2001, जिसे भारत के गजट में विशेष रूप से भाग-।।, अनुभाग-3, उप-अनुभाग (ii) में दिनांक 3 अगस्त, 2001 को प्रकाशित किया गया है, में निम्नलिखित संशोधन किया है। इसके लिए संख्या एस.ओ. 748 (ई) देखें:- उपर्युक्त अधिसूचना में, तालिका-1, तालिका-2 और तालिका-3 के लिए निम्नलिखित तालिकाओं को प्रतिस्थापित किया जाएगा:-
तालिका-1
तालिका-2
तालिका-3
*** वीके/पीवी/जीआरएस -141 |
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सीबीडीटी द्वारा द्विपक्षीय अग्रिम मूल्यर निर्धारण समझौते पर हस्ताफक्षर |
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केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने 13 जनवरी, 2017 को एक जापानी ट्रेडिंग कंपनी की भारतीय सहायक कंपनी के साथ एक द्विपक्षीय अग्रिम मूल्य निर्धारण समझौता (बीएपीए) किया है। हाल ही में सीबीडीटी ने रॉलबैक प्रावधानों को शामिल करने के लिए एक अन्य जापानी कंपनी की भारतीय सहायक कंपनी के साथ वर्तमान द्विपक्षीय एपीए में संशोधन भी किया है। इस प्रकार, रॉलबैक समेत जापानी कंपनियों की भारतीय सहायक कंपनियों के साथ कुल तीन द्विपक्षीय एपीए पर अब तक समझौते किए जा चुके हैं। सीबीडीटी द्वारा किए गए द्विपक्षीय एपीए समझौतों की संख्या अब 8 तक पहुंच चुकी है। एपीए योजना को 2012 में आयकर अधिनियम में लागू किया गया था और ‘रॉलबैक’ प्रावधानों को 2014 में लागू किया गया था। द्विपक्षीय एपीए पर हस्ताक्षर बहुराष्ट्रीय कंपनी मामलों और विवाद निपटान के हस्तांतरण मूल्य निर्धारण (ट्रांसफर प्राइसिंग) के मामलों में निश्चितता का पता लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बीएपीए के तहत कर उपायों में अगले 5 वर्षों के लिए निश्चितता प्रदान की जाती है, जबकि रॉलबैक एपीए वर्षों से पहले के अधिकतम 4 पूर्व वर्षों के लिए विवाद निवारण उपलब्ध कराता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा बीएपीए को वरीयता दी जा सकती है, क्योंकि इसको अंतिम रूप दिए जाने के लिए दोनों देशों के बीच आपसी समझ की आवश्यता होती है और जो ट्रांसफर प्राइसिंग समायोजन भारतीय कंपनी के द्वारा किया जाता है उसका समरूपी समायोजन संबंधित विदेशी कंपनी द्वारा किया जाता है जिससे आर्थिक दोहरे कराधान से राहत मिलती है। एपीए योजना की प्रगति से एक गैर विरोधात्मक कर व्यवस्था को बढ़ावा देने के सरकार के मिशन को मदद मिलती है। सीबीडीटी को उम्मीद है कि निकट भविष्य में और अधिक बीएपीए को अंतिम रूप दिया जा सकेगा तथा उन पर हस्ताक्षर किए जा सकेंगे। *** |
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केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन संस्कृ्ति एवं पर्यटन राज्य् मंत्री (स्वृतंत्र प्रभार) डॉ. महेश शर्मा के साथ ऐतिहासिक स्थाएनों एवं स्माटरकों का सर्वे करेंगे |
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केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन संस्कृति एवं पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. महेश शर्मा ने अपने संसदीय चुनाव क्षेत्र चांदनी चौक का भ्रमण किया जिससे कि इस क्षेत्र के ऐतिहासिक स्थानों एवं स्मारकों का सर्वे किया जा सके। पर्यटन एवं पुरातत्व विभागों के अधिकारियों के अतिरिक्त उनके साथ उत्तर दिल्ली नगरपालिका,सार्वजनिक कार्य विभाग, लोक निर्माण विभाग, शाहजहानाबाद पुनर्विकास निगम, जल बोर्ड,एनडीपीएल, दिल्ली शहरी आश्रय उन्नयन विकास बोर्ड के आयुक्त एवं पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी थे।
उनकी यात्रा दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला से आरंभ हुई। डॉ. हर्षवर्धन ने शाहजहानाबाद एवं जामा मस्जिद के पुनर्विकास के लिए बेशुमार प्रयास किए हैं। इसके बाद दोनों मंत्रियों ने हरदयाल नगरपालिका पुस्तकालय एवं दिल्ली सार्वजनिक पुस्तकालय का भ्रमण किया। डॉ. हर्षवर्धन ने डॉ. महेश शर्मा से समसामयिक मानदंडों के अनुसार उन्हें सुविधाओं से सुसज्जित करने का अनुरोध किया। राष्ट्र पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म शताब्दी मना रहा है, जो समाज के सभी वर्गों का कल्याण चाहते थे और जिन्होंने ‘एकात्म मानववाद’ के दर्शन की संकल्पना की। डॉ. हर्षवर्धन ने डॉ. महेश शर्मा को जानकारी दी कि दिल्ली के ऐतिहासिक टाउन हॉल का विकास पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एक स्मारक के रूप में किया जा सकता है, जिससे कि हर व्यक्ति उनके महान जीवन से प्रेरणा ग्रहण कर सके। केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने कुदेसिया बाग एवं रोशनआरा बाग के लिए विकास योजनाओं पर विचार करने पर भी सहमति जताई। उनके सौंदर्यीकरण, वहां के स्मारकों के रखरखाव, कैफेटेरिया, खेल के मैदानों जैसे स्थानों के साथ रोशनआरा बाग के पुनर्विकास, विभिन्न सुविधाओं के साथ महिलाओं के लिए अलग सुविधा क्षेत्र, आधुनिक बेंचों, डस्टबिनों एवं कूड़ा रिसाइकलिंग प्रणाली आदि की भी योजनाएं बनाई गई हैं। इन योजनाओं की अनुमानित लागत लगभग 10 करोड़ एवं 4 करोड़ रुपये है। केंद्रीय पर्यटन मंत्री ने अधिकारियों को मॉडल टाउन के नैनी झील में नौकायन, लेजर रोशनियों आदि के साथ विकास योजनाओं को तैयार करने के भी निर्देश दिए।
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लेफ्टिनेंट जनरल सरत चंद ने उप सेना प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला |
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लेफ्टिनेंट जनरल सरत चंद ने आज उप सेना प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला और अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि दी। उप सेना प्रमुख के रूप में कार्यभार संभालने से पहले जनरल ऑफिसर दक्षिण-पश्चिम कमांड की कमान संभाल रहे थे। जनरल ऑफिसर को गढ़वाल राइफल्स में जून, 1979 में कमीशन किया गया था। अपने 38 वर्षों के करियर में वह कई चुनौतिपूर्ण जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं। वह सक्रिय रूप से कमांड के हर स्तर पर नेतृत्व कर चुके हैं। वह लद्दाख के कारगिल सेक्टर में कंपनी की कमांड संभालने के अलावा श्रीलंका में आईपीकेएफ के हिस्से के तौर पर ऑपरेशन पवन में सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं। ऑपरेशन राइनो और ऑपरेशन फालकॉन में उन्होंने बटालियन को कमांड किया। कई अहम नियुक्तियों में भी वह शामिल रहे हैं। जनरल ऑफिसर सोमालिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन (यूएनओएसओएम-II) में भी अपनी सेवा दे चुके हैं। जनरल ऑफिसर उप सेना प्रमुख के तौर पर सेना मुख्यालय में जनरल स्टाफ ब्रांच का नेतृत्व करेंगे और कर्तव्यों के निर्वहन में सेना प्रमुख की सहायता करेंगे। कर्नल रोहन आनंद, एसएम पीआरओ (सेना) *** |
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संयुक्त सशस्त्र बल पूर्व सैनिक दिवस समारोह |
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संयुक्त सशस्त्र बल पूर्व सैनिक दिवस कल (14 जनवरी, 2017) मनाया जाएगा। इस अवसर पर पूर्व सैनिकों के निस्वार्थ समर्पण और सर्वोच्च बलिदान को याद किया जाएगा। इस समारोह में थल सेना, नौसेना और वायु सेना के 1500 से अधिक पूर्व सैनिक हिस्सा लेंगे। समारोह को रक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष भामरे संबोधित करेंगे। मंत्री महोदय समारोह के मुख्य अतिथि भी हैं। इस अवसर पर तीनों सेनाओं के सेवारत और सेवानिवृत्त प्रमुख भी हिस्सा लेंगे।
यह समारोह देशभर में और सैन्य स्थलों पर आयोजित किया जाएगा। राजधानी में समारोह का आयोजन हरबख्श स्टेडियम, दिल्ली छावनी में सुबह 9.30 बजे से किया जाएगा। समारोह में भारतीय सेना पूर्व सैनिक निदेशालय एवं पूर्व सैनिक हेल्पलाइन, ईसीएचस, एडब्ल्यूपीओ, केंद्रीय सैनिक बोर्ड, पुनर्वास महानिदेशालय, रक्षा लेखा महानियंत्रक, कैंटीन सेवा निदेशालय और एडब्ल्यूईएस विशेष काउंटर स्थापित करेंगे जहां पूर्व सैनिकों के कल्याण के संबंध में विभिन्न जानकारियां उपलब्ध रहेंगी।
मौके पर स्वास्थ्य जांच के लिए एक चिकित्सा शिविर भी लगाया जाएगा।
*** वीके/एकेपी/सीएस-143 |
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सरकार ने तुरंत प्रभाव से आईओए का निलंबन रद्द किया |
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सरकार ने आईओए के निलंबन को तुरंत प्रभाव से रद्द करने का फैसला किया है। यह फैसला आईओए द्वारा सुधारात्मक कार्रवाई के मद्देनजर लिया गया है। गौरतलब है कि आईओए ने श्री अभय सिंह चौटला और श्री सुरेश कलमाडी को आईओए का आजीवन अध्यक्ष बनाने का निर्णय किया था। लेकिन केंद्रीय खेल मंत्रालय द्वारा आपत्ति जताई जाने के बाद आईओए ने अपना यह फैसला पलट दिया।
आईओए द्वारा यह फैसला वापस लिए जाने के बाद राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), युवा एवं खेल मामलों के मंत्रालय ने तुरंत प्रभाव से आईओए के निलंबन को रद्द करने का फैसला किया है। ***** |
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पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय ने माघ बीहू (मंक्रर संक्रांति) उत्सव मनाया |
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केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कर्मिक, जन शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अन्तरिक्ष राज्य मंत्री श्री जितेन्द्र सिंह ने आज यहाँ दिल्ली हाट में माघ बीहू (मंक्रर संक्रंति) उत्सव के अवसर पर लोगो को सम्बोधित किया। समारोह का अयोजन पूर्वोत्तर क्षेत्र का विकास मंत्रालय ने किया था। समारोह का विषय 'मेल मिलाप के जरिये एकीकरण' रखा गया। इस अवसर पर डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा कि बीहू असम और पूर्वोत्तर के अन्य हिस्सों में फसल कटाई का सबसे बड़ा उत्सव है। यह त्यौहार देशभर में पोंगल, लोहड़ी और मकर संक्रांति के रूप भी मनाया जाता है। उन्होनें क्षेत्र के लोगों को नव वर्ष कि शुभकमनाए दी क्योंकि आज से नया साल शुरू होता है। उन्होने कहा कि कलाकारों द्वारा प्रस्तुत नृत्य भारतीय संस्कृति की विविधता में एकता का प्रतीक है। इस अवसर पर डॉ जितेन्द्र सिंह ने घोषणा की कि गुवाहाटी, असम में "पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास हाऊस" परिसर की स्थापना की जाएगी। यह एक ऐसा परिसर होगा जिसमें बैठक भवन, कांफ्रेंस हाल और अन्य बुनियादी सुविधाएँ प्रदान की जाएगी। डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार ने प्रधानमंत्री श्री नेरन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए अनेक उपाय किये है। उन्होनें कहा कि पहले पूर्वोत्तर क्षेत्र को राष्ट्र की मुख्य धारा मे लाने बल दिया जाता था, लेकिन आज शेष भारत को पूर्वोत्तर की संस्कृति और विविधता के करीब लाने पर ध्यान क्रेन्द्रित किया जा रहा है। डॉ जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार पूर्वोत्तर क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष बल दे रही है। उन्होनें कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में सड़क विकास के लिए विशेष कार्यक्रम लागू किया जा रहा है और सरकार विमान और रेल सम्पर्क बढाने को प्राथमिकता दे रही है। उन्होनें कहा कि संचार सुविधाएँ कायम होने से इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित किया जा सकेगा। इस अवसर पर गीत और नाटक प्रभाग के कलाकारों ने क्षेत्र के विभिन्न राज्यों के लोक नृत्य प्रस्तुत किये। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी इस अवसर पर मौजूद थे। ***** |
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भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत 12.01.2017 को 53.95 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल रही |
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पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधीनस्थ पेट्रोलियम नियोजन एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) द्वारा आज संगणित/प्रकाशित सूचना के अनुसार भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधीनस्थ पेट्रोलियम नियोजन एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) द्वारा आज संगणित/प्रकाशित सूचना के अनुसार भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत 12 जनवरी, 2017 को 53.95 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल दर्ज की गई। यह 11 जनवरी, 2017 को दर्ज कीमत 52.56 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से अधिक है। रुपये के संदर्भ में भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की कीमत 12 जनवरी, 2017 को बढ़कर 3673.26 रुपये प्रति बैरल हो गई, जबकि 11 जनवरी, 2017 को यह 3586.13 रुपये प्रति बैरल थी। रूपया 12 जनवरी, 2017 को मजबूत होकर 68.09 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर के स्तर पर बंद हुआ, जबकि 11 जनवरी, 2017 को यह 68.23 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर था। इस संबंध में विस्तृत ब्यौरा नीचे तालिका में दिया गया है:-
कच्चे तेल की दैनिक कीमत - 12.01.2017 ***** |
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मणिपुर विधानसभा चुनाव 2017 पर तथ्य एक नजर में |
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मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुरूप मणिपुर में दो मान्यता प्राप्तराजनीतिक दल – नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) और द पीपुल्स डमोक्रेटिक अलायंस (पीडीए) हैं। क्षेत्रफल और मतदाता वार सबसे छोटा और सबसे बड़ा निर्वाचन क्षेत्र विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों (एसी) में से क्षेत्रफल के आधार पर सबसे छोटे निर्वाचन क्षेत्र 12-किसमथोंग और 13-सिंगजमी क्षेत्र हैं, जिनका क्षेत्रफल 2-2 वर्ग किलोमीटर है। सबसे बड़ा निर्वाचन क्षेत्र 14-फूंग्यार (एसटी) है, जिसका क्षेत्रफल 23.8 वर्ग किलोमीटर है। मतदाताओं के आधार पर सबसे छोटा निर्वाचन क्षेत्र 55-तिपैमुख (एसटी) है, जिसमें 17,7,49 मतदाता हैं, जबकि 48-माओ (एसटी) सबसे बड़ा निर्वाचन क्षेत्र है, जहां 53,5,57 मतदाता हैं। इसके अलावा मणिपुर के सभी 60 निर्वाचन क्षेत्रों में एक लाख से कम मतदाता हैं। मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) पाने वाले मतदाताओं को लिंग के आधार पर वर्गीकृत किया गया है, जिसे चार्ट में महिलाओं और पुरूषों के रूप में दर्शाया गया है। इनके अलावा मतदाता सूची में अन्य मतदाताओं केबारे में नहीं बताया गया है और विभिन्न सेवाओं के कुल 11915 मतदाता हैं।
विभिन्न आयुवर्ग के पुरूषों और महिलाओं पर आधारित मतदाताओं के जनसांख्यिकीय आंकड़ों का ग्राफिकप्रदर्शन निम्नलिखित है। आयु और लिंग वार मतदाता संरचना
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सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना संपन्न; रिपोर्ट श्री तोमर को सौंपी गई |
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सरकारी कार्यक्रमों के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए परिवारों के वर्गीकरण के उद्देश्य से सरकार ने सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) मुहिम शुरू की थी, जो संपन्न हो गई है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अपने कार्यक्रमों के अंतर्गत लाभार्थियों की पहचान करने और लाभार्थियों की प्राथमिकता सूची तैयार करने के लिए एसईसीसी आंकड़ों का उपयोग करने का निर्णय लिया है। सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी) के आंकड़ों का उपयोग कर राज्यों के लिए अनुसंधान आवंटन के प्रमुख मानदंड का अध्ययन करने तथा विभिन्न कार्यक्रमों के तहत लाभार्थियों की पहचान और प्राथमिकता देने के वास्ते पूर्व वित्त सचिव श्री सुमित बोस की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया था। समूह के अन्य सदस्य हैं – 1. तब एएस (आरडी), अब एसआरडी श्री अमरजीत सिन्हा - सदस्य 2. इंदिरा गांधी विकास अनुसंधान संस्थान (आईजीआईडीआर), मुंबई के निदेशक डॉ. महेन्द्र देव - सदस्य 3. विश्व बैंक में अर्थशास्त्री डॉ. रिंकू मुरगई - सदस्य 4. जेएनयू, नई दिल्ली में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हिमांशु - सदस्य 5. ईए (आरडी) श्री मनोरंजन कुमार - सदस्य सचिव ग्रामीण विकास मंत्रालय के साथ अंतरिम चर्चा के दौरान विशेषज्ञ समूह को लाभार्थियों के चयन के साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के लिए राज्यों के लिए संसाधन आवंटन के मानदंड का खाका तैयार करने को कहा गया था। मंत्रालय ने विशेषज्ञ समूह के अंतरिम परामर्श को स्वीकार कर लिया है और इसी के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएजी) तथा दीन दयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के अंतर्गत परिवारों को कवर करने के लिए एसईसीसी आंकड़ों पर आधारित अंतर राज्यीय आवंटन के उचित दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। विशेषज्ञ समूह ने निष्कर्ष निकाला है कि एसईसीसी आंकड़ों के इस्तेमाल और उसके टीआईएन नंबर से सरकार अपनी पहलों को अधिक प्रभावी बना सकती है, जिससे बेहतर परिणाम मिलेंगे। विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष ने अपनी रिपोर्ट आज सुबह ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर को सौंपी। मंत्री महोदय ने सिफारिशों और उद्देश्यों के लिए विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की सराहना की। ***** वीके/एमके/वाईबी-132 |
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पुस्तक मेले में सरलीकृत समाज कल्याण विधान मुफ्त उपलब्ध |
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भारत सरकार के कानून एवं न्याय मंत्रालय का न्याय विभाग (डीओजे) नेशनल बुक ट्रस्ट (भारत सरकार का मानव संसाधन विकास मंत्रालय) और भारतीय व्यापार संवर्द्धन संगठन (भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के तहत) द्वारा प्रगति मैदान में वर्तमान में आयोजित नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला (7 से 15 जनवरी, 2017) में भाग ले रहा है। डीओजे भारत सरकार एवं संयुक्त राष्ट्र संघ विकास कार्यक्रम परियोजना ‘सीमांत व्यक्तियों के लिए न्याय की सुविधा’ एवं भारत सरकार की परियोजना ‘पूर्वोत्तर एवं जम्मू-कश्मीर के आठ राज्यों में सीमांत व्यक्तियों के लिए न्याय की सुविधा’ के तहत निर्मित ज्ञान उत्पादों एवं सूचना, शिक्षाएवं संचार सामग्रियों (आईईसी सामग्रियों) का एक संग्रह प्रदर्शित कर रहा है तथा उसे नि: शुल्क रूप से वितरित कर रहा है। इन परियोजनाओं के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए कृपया http://doj.gov.in/other-programmes/access-justice-marginalized-people-goi-undp-project-0 साइट का अवलोकन करें। पुस्तक मेले में प्रदर्शित की जा रही आईईसी सामग्रियां आम लोगों के लिए व्यापक रूप से एक सरल और सटीक प्रारूप, उपयुक्त एवं उपयोगी तरीके से महत्वपूर्ण समाज कल्याण कानूनों को प्रस्तुत करती हैं। इस सामग्री का मूल उद्देश्य सरल, आसान एवं सटीक भाषा में कानूनी साक्षरता का प्रसार करना है, जो कि डीओजे के अधिदेश का केंद्रबिन्दु है। डीओजे ने इस आयोजन के लिए राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) एवं दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीईएलएसए) के साथ सहयोग किया है।
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श्री राधा मोहन सिंह ने कृषि मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की अंतर-सत्रीय बैठक को सम्बोधित किया। |
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भारत में 299 ग्राम प्रतिदिन विश्व औसत के मुकाबले दूध की प्रति व्यक्ति उपलब्धतता 337 ग्राम प्रतिदिन है।
2014-16 से दूध उत्पादन ने 6.28 % की विकास दर दर्ज की है, जो पिछले वर्ष की लगभग 4 प्रतिशत की विकासदर से अधिक है तथा 2.2 % के विश्व विकास औसत के मुकाबले तीन गुना अधिक है।
दूध उत्पादन में वृद्धि के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए यह जरूरी है कि दूध इकट्ठा करने कीसुविधाओं में सुधार किया जाए तथा किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए लाभकारी मूल्य दिया जाए - राधामोहन सिंह
केंद्रीय कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री, श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि गांव के परिवारों में दूध उत्पादनएक प्रमुख आर्थिक गतिविधि बन गया है और किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए खेती - बाड़ी के साथ इसे भीअपना रहे हैं। श्री सिंह ने यह बात आज कृषि मंत्रालय की संसदीय सलाहकार समिति की अंतर-सत्रीय बैठक मेंकही। इस बैठक में राष्ट्रीय डेयरी योजना के कार्यान्वयन पर चर्चा हुई। श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि देश के लगभग 70 मिलियन ग्रामीण परिवार दूध उत्पादन में लगे हुए हैं।छोटे और सीमांत किसान तथा भूमिहीन श्रमिक, व्यक्तिगत रूप से प्रतिदिन लगभग एक से तीन लीटर दूध काउत्पादन कर देश के अधिकांश दूध का उत्पादन करते हैं। भारत के लगभग 78 प्रतिशत किसान, छोटे तथासीमांत हैं जिनके पास लगभग 75 प्रतिशत मादा गौजातीय पशु हैं, परंतु केवल 40 प्रतिशत फार्म भूमि है। दूध, ग्रामीण परिवारों की सकल आय में लगभग एक तिहाई का तथा भूमिहीन लोगों के मामले में उनकी सकल आयके लगभग आधे हिस्से तक का योगदान करता है। श्री सिंह ने कहा कि भारत 1998 से विश्व के दुग्ध उत्पादक राष्ट्रों में पहले स्थान पर बना हुआ है। यहांविश्व की सबसे अधिक बोवाईन आबादी (18.4 प्रतिशत हिस्सा) है। भारत में दूध का उत्पादन 1970 के लगभग 22 मिलियन टन से बढ़कर 2015-16 में 156 मिलियन टन हो गया, जो पिछले 46 वर्षों में 700 प्रतिशत की वृद्धिदर्शाता है। इसकी बदौलत भारत में 299 ग्राम प्रतिदिन विश्व औसत के मुकाबले दूध की प्रति व्यक्तिउपलब्धतता 337 ग्राम प्रतिदिन है। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि पिछले दो वर्षों, 2014-16 से दूध के उत्पादन ने 6.28 प्रतिशत की विकास दरदर्ज की है, जो पिछले वर्ष की लगभग 4 प्रतिशत की विकास दर से अधिक है तथा 2.2 प्रतिशत के विश्व विकासऔसत के मुकाबले तीन गुना अधिक है। यदि चावल तथा गेहूं दोनों को भी मिला दिया जाए तो भी 2014-15 में 4.92 करोड़ रूपए के सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) में दूध का 37 प्रतिशत से भी अधिक का योगदान है। देश मेंउत्पादित दूध का लगभग 54 प्रतिशत अधिशेष है जिसमें लगभग 38 प्रतिशत संगठित सेक्टर द्वारा हैंडल कियाजाता है, जिसमें सहकारिताओं तथा निजी डेयरी संगठनों की बराबर की भागीदारी होती है। श्री सिंह ने बताया किडेयरी व्यवसाय में महिलाओं की लगभग 70 प्रतिशत भागीदारी है। श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि दूध उत्पादन में वृद्धि करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिएयह जरूरी है कि दूध इकट्ठा करने की सुविधाओं में सुधार किया जाए तथा किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिएलाभकारी मूल्य दिया जाए। यह तभी संभव है, जब दूध उत्पादकों को बाज़ार से जोड़ने के लिए एक प्रभावी प्रबंधनप्रणाली स्थापित हो। केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि बीपीएल परिवारों, लघु और सीमान्त किसानों को डिस्क्रिप्टदेशी नस्लें रखने के लिए प्रेरित किया जायेगा। श्री सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय बोवाईन प्रजनन और डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीबीबीडीडी) को 2014-15 में चार विद्यमान योजनाओं का मिला कर प्रारंभ किया गया है। इसका उद्देश्य दूध की बढ़ती मांग पूरा करने केलिए व्यापक और वैज्ञानिक कार्यक्रम तैयार करना है। योजना के दो घटक हैं- राष्ट्रीय बोवाईन प्रजनन कार्यक्रम (एनपीबीबी) और राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी)। एनपीबीबी कृत्रिम गर्भाधान नेटवर्क के फील्डकवरेज बढ़ाने, प्रजनन क्षेत्र में देशी नस्लों के विकास और संरक्षण कार्यक्रमों की मॉनिटरिंग पर ध्यान केन्द्रितकरता है। एनपीडीडी उत्पादन, खरीद प्रसंस्करण और दुग्ध के विपणन के लिए दुग्ध संघों/परिसंघों के लिएअवसंरचना का निर्माण और सुदृढ़ीकर, डेयरी किसानों के प्रशिक्षण तथा विस्तार पर ध्यान दे रहा है। **** |
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देश मे समुद्री मात्स्यिकी मे मौजूदा असंतुलन दूर करने में, इसका सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने में तथा इससे जुड़े लाखों मछुवारों की आर्थिक एवं सामाजिक उन्नति में प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय समुद्री मात्स्यिकी नीति 2016 ’ एक अहम मार्गदर्शक की भूमिका निभायेगा- श्री राधा मोहन सिंह |
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पारम्परिक मछुवारो को गहरे-समुद्र मे फिशिंग की ट्रेनिंग देने की दिशा मे पहले ही प्रयास शुरू कर दिये गये हैं- श्री सिंह
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के फिशरीज मंत्रियों के साथ “राष्ट्रीय समुद्री मात्स्यिकी नीति, 2016” पर आयोजित बैठक में प्रतिनिधियों को सम्बोधित किया।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि तट से दूर गहरे समुद्र में मौजूदा समुद्री संसाधनों के बेहतर उपयोग और लाखों मछुआरों की आजीविका को सुगम बनाने के लिए जरूरी है कि केन्द्र और तटीय राज्य सरकारें मिलकर राष्ट्रीय समुद्री मात्स्यिकी नीति पर पूरी गंभीरता के साथ अमल करें। कृषि मंत्री ने यह बात आज कृषि मंत्रालय में तटीय राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के फिशरीज मंत्रियों के साथ ‘राष्ट्रीय समुद्री मात्स्यिकी नीति – 2016” पर हुई उच्च स्तरीय बैठक के बाद कही। कृषि मंत्री ने कहा कि देश मे समुद्री मात्स्यिकी मे मौजूदा असंतुलन दूर करने में, इसका सर्वांगीण विकास सुनिश्चित करने में तथा इससे जुड़े लाखों मछुवारों की आर्थिक एवं सामाजिक उन्नति में प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय समुद्री मात्स्यिकी नीति 2016 ’ एक अहम मार्गदर्शक की भूमिका निभायेगा। उन्होंने कहा कि देश में निकटवर्ती समुद्री संसाधनों का पिछले दो तीन दशकों में अधिक दोहन हुआ है, यह सिलसिला अगर इसी प्रकार से जारी रहा तो आने वाले कुछ वर्षों मे समुद्री आजीविका पर संकट आ सकता है। उन्होंने कहा कि ईईजेड के गहरे समुद्री संसाधन अभी भी हमारी पहुंच से बाहर हैं। इस संकट से निकलने के लिए जरूरी है कि समुद्री मत्स्य संसाधनों के सतत उत्पादन को बनाये रखा जाए। कृषि मंत्री ने बैठक में कहा कि प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय समुद्री मात्स्यिकी नीति’ के मसौदे मे वर्तमान मे गहरे-समुद्र मे फिशिंग करने सम्बंधी दिशा-निर्देशो के अनुसार जारी किये जाने वाले Letter of Permission (LOP) regime को समाप्त करने तथा उसके स्थान पर पारम्परिक मछुवारों को गहरे-समुद्र में फिशिंग कीट्रेनिंग और कौशल विकास द्वारा सशक्तिकरण करने सम्बंधी सिफारिश की गयी है। उन्होंने कहा कि पारम्परिक मछुवारो को गहरे-समुद्र मे फिशिंग की ट्रेनिंग देने की दिशा मे पहले ही प्रयास शुरू कर दिये गये हैं, तथा पारम्परिक मछुवारों द्वारा गहरे-समुद्र मे फिशिंग को बढावा देने के लिये विशेष योजना शुरू करने के प्रयास भी किये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय समुद्री मात्स्यिकी नीति’ के मसौदे मे यह प्रस्ताव भी है कि सरकार/मंत्रालय द्वारा इस ‘नीति’ के मसौदे की औपचारिक स्वीकृति के बाद मसौदे मे निहित प्रत्येक सिफारिश पर कार्रवाई के लिये, आगामी दस वर्षो के लिये एक विस्तृत ‘रोड-मैप’ बनाया जायेगा। इस ‘रोड-मैप’ मे विभिन्न सिफारिशो पर कार्रवाई के लिये न केवल जिम्मेदार एजेंसियों को चिन्हित किया जायेगा, बल्कि कार्यान्वयन की समय-अवधि भी तय की जायेगी। कृषि मत्री ने कहा कि इसके अलावा नीति के कार्यान्वयन के लिये जरूरी धन के सम्भावित स्रोत निर्दिष्ट करने के सुझाव भी ‘रोड-मैप’ मे दिये जायेंगे। कार्यान्वयन योजना की समय बद्धता और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिये 'निगरानी और मूल्यांकन' की रूपरेखा भी बनाई जायेगी। कृषि मंत्री ने बताया कि ‘मात्स्यिकी’ मूल रूप से राज्य-सरकार का विषय है। अंतःस्थलीय मात्स्यिकी (Inland Fisheries) तथा 12 समुद्री-मील तक का क्षेत्र पूर्णरूप से राज्यों के ही अधीन आता है जबकि 12 समुद्री-मील से परे, 200 समुद्री-मील तक का ‘ई.ई.जेड’ का क्षेत्र ही केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है।उन्होंने कहा कि ‘समुद्री-मात्स्यिकी’ मे 0 से 200 समुद्री-मील तक के सम्पूर्ण क्षेत्र के विकास को दिशा देने के मकसद से, वर्तमान में लागू ‘व्यापक समुद्री मात्स्यिकी नीति’ को वर्ष 2004 में जारी किया गया था। इस नीति के तहत तटवर्ती राज्यों और केंद्र, दोनों को मिल कर, देश मे ‘समुद्री-मात्स्यिकी’ के विकास के प्रयास करने थे। चूंकि इस नीति को जारी किये 10 वर्ष से अधिक का समय बीत गया था, इसलिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समुद्री मात्स्यिकी सेक्टर के बदलते परिप्रेक्ष्य में देश की ‘समुद्री मात्स्यिकी नीति’ की समीक्षा करना आवश्यक था। इस बैठक में महाराष्ट्र के फीशरीज मंत्री श्री जंकार महादेव जगन्नाथ तथा तमिलनाडु के फीशरीज मंत्री श्री डी. जयकुमार के साथ गोवा, केरल, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा के वरिष्ठ अधिकारियों एवं समुद्री मात्स्यिकी नीति के मसौदा समिति के अध्यक्ष डा. एस. अयप्पन ने भी हिस्सा लिया।बैठक में राज्यों के प्रतिनिधियों ने मौजूदा एलओपी स्कीम समाप्त करने का आग्रह किया। साथ ही, तटीय क्षेत्रों में एक समान फीशिंग बैन लगाने का सुझाव दिया। सभी राज्यों ने प्रस्तावित समुद्री मात्स्यिकी नीति का स्वागत किया। |
रबी की फसल की 616 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई |
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मोबाइल हैंडसेट्स के लिए डिजाइन क्षमता निर्माण हेतु अन्तर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम |
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प्रधानमंत्री के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम को प्रोत्साहन देने के अनुरूप भारत सरकार के इलेक्ट्रोनिक्स औरसूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय ने नेशनल इंस्टिट्यूट आँफ इलेक्ट्रोनिक्स एंड इनफोरमेंशन टेक्नोलॉजी (एनआईईएलआईटी), आईसीए और मीडियाटेक, ताईवान के सहयोग से हसिंचू, ताईवान में अन्तर्राष्ट्रीयव्यापार संस्थान, आर्थिक मामले मंत्रालय के अन्तर्गत मोबाइल हैंडसेट डिजाइन इंजीनियरों के लिए 45 दिनका प्रैक्टिकल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया। एनआईईएलआईटी और भारतीय उद्योग जगत से 43 इलेक्ट्रोनिक्स व्यवसायियों के एक दल ने प्रशिक्षण कार्यक्रम मे हिस्सा लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा होने के बाद ताईवान में एक सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसेइलेक्ट्रोनिक्स और सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय की सचिव श्रीमती अरूणा सुंदराजन ने वीडियो क्राफ्रेंस केजरिये सम्बोधित किया। इसे मंत्रालय, एनआईईएलआईटी, आईसीए और मीडियाटेक ताईवान के वरिष्ठआधिकारियों और अन्य हितभागियों ने सम्बोधित किया। श्रीमती अरूणा सुंदराजन ने इस बेजोड़ पहल की सराहना की और कहा कि इससे भारत में क्षमता निर्माण मेमदद मिलेगी। उन्होनें कार्यक्रम की सफलता के लिए मीडियाटेक के अध्यक्ष आईटीए के महानिदेशक काविशेष रूप से आभार व्यक्त किया।
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अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री मुख्तार अब्बास नकवी से एंग्लो-इंडियन समुदाय के प्रतिनिधियों ने मुलाकात की |
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श्री नकवी ने कहा कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय सभी अल्पसंख्यकों के सशक्तिकरण के लिए विभिन्न योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू कर रहा है। उन्होंने कहा कि “सशक्तिकरण बिना तुष्टिकरण” हमारा मूल मंत्र है। उन्होंने बताया कि समाज के निर्धन और कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए निधि की कोई कमी नहीं है।
श्री नकवी ने कहा कि वास्तव में एंग्लो-इंडियन समुदाय की आबादी बहुत कम है लेकिन इसके बावजूद इस समुदाय ने राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समुदाय को अल्पसंख्यक वर्ग से संबंधित विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का सर्वाधिक लाभ उठाना चाहिए। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय पांच विश्वस्तरीय शैक्षिक संस्थान स्थापित कर रहा है और इस निर्णय से एंग्लो-इंडियन समुदाय को भी फायदा होगा।
एंग्लो-इंडियन समुदाय के प्रतिनिधियों द्वारा अपने समुदाय के सामाजिक-आर्थिक-शैक्षिक सशक्तिकरण के संबंध में दिए गए सुझावों को “सकारात्मक, रचनात्मक और लाभप्रद” बताते हुए श्री नकवी ने समुदाय के सदस्यों को आश्वस्त किया कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय उनके सुझावों पर गंभीरता से चर्चा करेगा।
प्रतिनिधियों ने इस बैठक का आयोजन करने के लिए श्री नकवी की प्रशंसा की। श्री नकवी ने उन्हें आश्वस्त किया कि उनका मंत्रालय एंग्लो-इंडियन समुदाय के सदस्यों के साथ नियमित रूप से संपर्क में रहेगा। इस बैठक में मनोनीत एंग्लो-इंडियन सांसद प्रो. रिचर्ड हे और जॉर्ज बेकर सहित मनोनीत विधायक श्री एल्विस स्टीफेनसन (तेलंगाना), सुश्री विनिशा नीरो (कर्नाटक), श्री फिलिप टोचर (आन्ध्र प्रदेश), श्री ग्लेन जोसेफ (झारखंड), ऑल इंडिया एंग्लो-इंडियन एसोसियेशन के अध्यक्ष श्री बैरी ओ’ब्रियां सहित समुदाय के अन्य विशिष्टजन भी उपस्थित थे।
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प्रधानमंत्री ने लोहड़ी के त्यौहार पर शुभकांमनांए दी |
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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने लोहड़ी के त्यौहार पर लोगों को शुभकांमनांए दी हैं । “लोहड़ी मुबारक । ये त्यौहार सब के जीवन में खुशियां, स्वथ्य और प्रगति लाए।
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उपराष्ट्र पति ने नैदानिक स्वाोस्य्r> अवसंरचना के सृजन एवं सार्वजनिक स्वाोस्य्r> की मांगों के बीच संतुलित दृष्टिकोण की अपील की |
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उपराष्ट्रपति श्री एम. हामिद अंसारी ने देश की स्वास्थ्य आवश्यकताओं की समग्र जरूरतों के मूल्यांकन किए जाने के समय नैदानिक स्वास्थ्य अवसंरचना के सृजन एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य की मांगों के बीच संतुलित दृष्टिकोण की अपील की है। वह आज यहां यकृत एवं पित्त विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली के चौथे दीक्षांत समारोह के दौरान संबोधित कर रहे थे। दिल्ली के उपराज्यपाल श्री अनिल बैजल, दिल्ली के उपमुख्यमंत्री श्री मनीष सिसोदिया, दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री सतेन्द्र जैन, दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव श्री एम.एम. कुट्टी एवं दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव श्री चंद्रकार भारती भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि हालांकि भारत एक तेज स्वास्थ्य परिवर्तन से गुजर रहा है, देश का रोग बोझ अभी भी असाधारण रूप से उच्च बना हुआ है। उन्होंने कहा कि हमें संक्रामक रोगों, पोषाहार कमियों एवं असुरक्षित गर्भावस्थाओं के अधूरे एजेंडे तथा गैर-संक्रामक रोगों की बढ़ती महामारियों की चुनौती दोनों से ही जूझना पड़ता है।
एक व्यापक अधिनियम, जो स्वास्थ्य देखभाल अधिकारों, प्रसव एवं संबंधित मामलों के विभिन्न पहलुओं से संबंधित हो, की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति महोदय ने कहा कि उपचारात्मक चिकित्सा देखभाल पर अत्यधिक फोकस एक अधिक किफायती एवं बचाव संबंधी सार्वजनिक स्वास्थ्य निवेशों, जो देश में संक्रामक रोगों के प्रसार को रोक सकता है तथा पोषक परिणामों में बेहतरी ला सकता है, के बेहतर विकल्प से ध्यान हटा देता है।
इसकी ओर इंगित करते हुए कि स्वास्थ्य, विशेष रूप से सार्वजनिक स्वास्थ्य पर हमारा सार्वजनिक व्यय लगातार कम बना हुआ है, उपराष्ट्रपति महोदय ने सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताओं की दिशा में केंद्र एवं राज्यों दोनों द्वारा वित्तीय प्रतिबद्धता में बढ़ोतरी करने की जिससे कि ‘सभी के लिए स्वास्थ्य‘ की 1978 में की गई अल्मा आटा घोषणा को वास्तविकता में बदला जा सके।
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14 jan