=> थाइलैंड समेत चार देशों में माता-से-बच्चे में एचआईवी और सिफलिस के संचरण के उन्मूलन की डब्ल्यूएचओ ने पुष्टि की

 

8 जून 2016 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने थाइलैंड, अर्मेनिया, बेलारूस और मोलडोवा में माता-से-बच्चे में एचआईवी और सिफलिस के संचरण के उन्मूलन की पुष्टि कर दी.

यह घोषणा न्यूयॉर्क में एड्स के समाप्त होने पर संयुक्त राष्ट्र महा-सभा में हुई उच्च–स्तरीय बैठक की पूर्व संध्या पर की गई. इस अवसर पर इन चारों देशों के प्रतिनिधियों को इस उपलब्धि के लिए मान्यता प्रमाणपत्र दिया गया.

इस उल्लेखनीय उपलब्धि के साथ थाइलैंड माता-से-बच्चों में दोनों प्रकार के संक्रमण के संचरण का उन्मूलन करने वाला एशिया और प्रशांत क्षेत्र का पहला देश बन गया है.

उपलब्धि कैसे हासिल की? 

• इन देशों में प्रसवपूर्व देखभाल का जल्द शुरु होना, गर्भवती महिलाओं और उनके भागीदारों में एचआईवी औऱ सिफलिस की जांच को सुनिश्चित करने के लिए काम किया गया. 

• जिन महिलाओं की जांच पॉजिटिव पाई गई, उनके साथ– साथ उनके बच्चे को भी इलाज मुहैया कराया गया. 

• मावाधाकिरों और लैंगिक समानता के साथ सुसंगतता में प्रजनन स्वास्थ्य जानकारी के बारे में प्रावधना, समुदाय की संलिप्तता और हाशिए पर गुजर–बसर करने वाली आबादी की आउटरीच ने इस तरह की सुविधा प्रदान करने में मदद की. 

ये उपलब्धियां इन मुख्य कारकों की वसीयत हैं– लैंगिक, प्रजनन स्वास्थ्य एवं एचआईवी सेवाओं के साथ मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य का एकीकरण.यह एकीकरण डब्ल्यूएचओ की एचआईवी पर बनी नई स्वास्थ्य क्षेत्र रणनीतियों, यौन संचारित संक्रमण और वायरल हेपेटाइटिस को एक साथ लाता है और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की प्राप्ति और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति का मूल है.

माता-से-शिशु में एचआईवी और सिफलिस के संक्रमण का उन्मूलन वर्ष 2030 तक यौन संचारित संक्रमणों का मुकाबला करने और एड्स को समाप्त करने के वैश्विक प्रयास की कुंजी है.

वर्ष 2014 में माता-से-शिशु में एचआईवी और सिफलिस के संक्रमण को रोकने के लिए कार्यक्रम में डब्लयूएचओ और उसके भागीदारों ने माता-से-शिशु में दोनों संक्रमणों के संचरण के उन्मूलन को मान्य बनाने के लिए देश की प्रगति में कठोर समीक्षा के माध्यम से वैश्विक प्रक्रियाओं एवं मानदंड को विकसित किया.

माता-से-शिशु में संचरण की रोकथाम का इलाज 100% प्रभावी नहीं है, संचरण के उन्मूलन को इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं कि संचरण को इस स्तर तक कम कर देना जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या न पैदा हो.

30 जून 2015 को माता-से-शिशु में एचआईवी और सिफलिस के संचरण के उन्मूलन हेतु मान्यता प्राप्त करने वाला पहला देश क्यूबा बना था. 

पृष्ठभूमि 

वर्ष 2007 में डब्ल्यूएचओ ने जन्मजात सिफलिस के वैश्विक उन्मूलन की शुरुआत की. रणनीति का उद्देश्य गर्भवती महिलाओँ के लिए सिफलिस की जांच और उपचार की वैश्विक पहुंच को बढ़ाना था. 
वर्ष 2011 में यूएनएआईडीएस ने विश्व स्वास्थ्य संगठन और अन्य भागीदारों के साथ मिलकर वर्ष  2015 तक बच्चों में एचआईवी के नए संक्रमण के उन्मूलन और उनकी माताओं को जीवित रखने के लिए ग्लोबल पैन का शुभारंभ किया. इस वैश्विक आंदोलन ने बच्चे एचआईवी से मुक्त रहें और उनकी माताएं भी जीवित रहें, को सुनिश्चित करने के लिए राजनीतिक नेतृत्व, नवाचार को प्रेरित और समुदायों को जागृत बनाया.

 

=> किशोर तिवारी की अध्यक्षता में किसानों पर बनी टास्क फोर्स ने महाराष्ट्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी

 

महाराष्ट्र सरकार ने कृषि विशेषज्ञ किशोर तिवारी की अध्यक्षता में वंसतराव नाइक शेतकारी स्वावलंबन मिशन (वीएनएसएसएम) नाम से एक टास्क फोर्ट का गठन किया था. इस टास्क फोर्स ने मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस को अपनी रिपोर्ट 12 जून 2016 को सौंप दी.

कृषि मामलों का समाधान प्रदान करने के लिए नियुक्त किए गए टास्क फोर्स ने संस्थागत ऋण जाल (institutional credit net)में कम-से-कम 80 फीसदी किसानों को लाने के लिए पांच–सूत्री एजेंडे का सुझाव दिया है. 

अनुशंसाओं में शामिल है– 

• इस टास्क फोर्स ने विदर्भ और मराठवाड़ा के आत्महत्या की आशंका वाले 14 जिलों में फसल ऋण हेल्पलाइन शुरु करने के लिए प्रत्यक्ष कलेक्टरों का सुझाव दिया है. 

• इसने गांव और तालुका स्तर पर ग्राउंड स्टाफ वाले फसल ऋण समीतियों की स्थापना का सुझाव दिया है. साथ ही सरपंच ऋण की कमी से जूझ रहे किसानों की सूची तैयार करेगा.

• इसमें कहा गया है कि तहसीलदार, प्रखंड विकास पदाधिकारी, तालुका कृषि अधिकारी और अन्य सरकारी एवं बैंक कर्मचारी के साथ स्थानीय विधायक को इस समिति का हिस्सा होना चाहिए. 

• इन्हें सुधारात्मक कार्य करने के लिए इतनी शक्ति प्रदान की जानी चाहिए ताकि सुचारू फसल ऋण वितरण किया जा सके. 

• सभी बैंकों को किसानों से नई फसल ऋण लेने के लिए अनुरोध करने हेतु बड़े फ्लेक्स बोर्ड लगाने चाहिए और सभी वरिष्ठ बैंक अधिकारियों, जिला कलेक्टर और वीएनएसएसएम के अध्यक्ष का संपर्क संख्या प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना चाहिए. 

• इसमें सुझाव दिया गया है कि ऋण के वितरण में जो बैंक सरकारी नियमों का पालन नहीं कर रहे उन्हें आपराधिक कार्रवाई के लिए नोटिस भेजा जाना चाहिए और आगे की कार्रवाई के लिए ऐसी बैंकों की सूची आरबीआई को भेजी जानी चाहिए. 

• इसमें कहा गया है कि जिला कलेक्टर को प्रत्येक बैंक के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करनी चाहिए जिसके लिए फसल ऋण वितरण पर रोजाना अपडेट मुहैया कराना जरूरी होगा.

 

=> साइना नेहवाल ने दूसरी बार ऑस्ट्रेलियन ओपन सुपर सीरीज़ जीती

 

भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल ने 12 जून 2016 को चीन की सून यू को 2-1 से हराते हुए ऑस्ट्रेलियन ओपन खिताब जीता. 

सिडनी में खेले गये मैच में पहले सेट में साइना नेहवाल को 11-21 से हार मिली, लेकिन साइना ने जबरदस्त वापसी करते हुए दूसरा सेट 21-14 से जीत लिया. इसके बाद साइना ने तीसरा सेट 21-19 से जीता. 

7.5 लाख डॉलर इनाम वाला यह टूर्नामेंट साइना का इस वर्ष का पहला ख़िताब था.

साइना नेहवाल 2016 

•    साइना ने दूसरी बार ऑस्ट्रेलियन ओपन खिताब जीता. 

•    साइना 2016 में इंडिया ओपन सुपर सीरीज, मलेशिया सुपर सीरीज, स्विस ओपन ग्रां प्री और एशियाई चैम्पियनशिप के सेमीफाइनल में पराजित हुई थीं.

•    वह ऑल इंग्लैंड चैम्पियनशिप के क्वार्टर फाइनल में हार गई थीं.

•    इससे पहले वर्ष 2014 में भी उन्होंने यह खिताब जीता.

 

=> वरिष्ठ पत्रकार इंद्र मल्होत्रा का निधन

 

वरिष्ठ पत्रकार इंद्र मल्होत्रा का लम्बी बीमारी के बाद 11 जून 2016 को निधन हो गया. वे 86 वर्ष के थे.

इंद्र मल्होत्रा

•    मल्होत्रा वर्ष 1965 से 1971 तक द स्टेट्समैन में रेजिडेंट एडिटर पद पर कार्यरत रहे.

•    वर्ष 1965 से 1978 तक वे राष्ट्रीय संवाददाता भी रहे.

•    वर्ष 1978 से 1986 तक वे टाइम्स ऑफ़ इंडिया में एडिटर (सम्पादक) पद पर कार्यरत रहे.

•    1986 से वे विभिन्न दैनिक पत्र-पत्रिकाओं में लेख एवं स्तम्भ लिखने लगे.   

•    वर्ष 1991 में उन्होंने इंदिरा गांधी की जीवनी लिखी.

•    वर्ष 2013 में उन्हें रामनाथ गोयनका पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

 

=> चीन ने 23वां बेईदोउ नेविगेशन उपग्रह प्रक्षेपित किया

 

चीन ने 12 जून 2016 को 23वां बेईदोउ नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (बीडीएस) प्रक्षेपित किया. उपग्रह का प्रक्षेपण दक्षिण-पश्चिमी सिचुआन प्रांत के शीचांग उपग्रह प्रक्षेपण केंद्र से किया गया. इससे चीन को वैश्विक स्तर पर नेविगेशन एवं पोजिशनिंग नेटवर्क के लिए सशक्त प्रणाली प्राप्त होगी.

उपग्रह को लान्ग मार्च-3सी कैरियर रॉकेट के सहारे छो़डा गया. यह लॉन्ग मार्च रॉकेट की 229वीं उड़ान थी.

यह भी पढ़ें: चीन ने 22वें बेईदोउ नेविगेशन उपग्रह का प्रक्षेपण किया

बेईदोउ नेविगेशन उपग्रह प्रणाली को अमेरिका के जीपीएस के विकल्प के रूप में विकसित किया जा रहा है. यह उपग्रह अपनी कक्षा में पहुंचने के पश्चात् इस क्षेत्र में कार्यरत अन्य उपग्रहों के साथ मिलकर कार्य करेगा. इससे इस प्रणाली में सशक्तता एवं वैश्विक मानदंडों के अनुसार स्थापित किये जाने को बल प्राप्त होगा.

 

 

=> विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 12 जून को पूरे विश्व में मनाया गया

 

‘नो टू चाइल्ड लेबर-यस टू क्वालिटी एजुकेशन’( NO To Child Labour-YES To Quality Education) विषय के साथ वैश्विक स्तर पर 12 जून 2016 को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाया गया.

इस दिन को वैश्विक स्तर पर मनाने की मुख्य वजह बाल श्रम के विरुद्ध लोगों में जागरूकता लाने के संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रयास को समर्थन देना है.

विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के प्रमुख बिंदु:

कम से कम रोजगार प्राप्ति की न्यूनतम उम्र तक के सभी बच्चों को  नि: शुल्क और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना.

राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा प्रणालियां जो बच्चों की जरूरतों के लिए संवेदनशील हैं औऱ बाल श्रम से लड़ने में मदद करना.

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा अध्यापन के पेशे को अपनाने के लिए प्रभावशाली नीतियों के उपयोग को सुनिश्चित करना.

विश्व में बाल श्रम से संबंधित मुख्य तथ्य:

नवीनतम सर्वेक्षणों के अनुसार बहुत से बच्चे स्कूल जाने की बजाय काम करते हैं. कुछ बच्चों के पास तो खेलने जैसे उनके नसैर्गिक अधिकार के लिए भी समय नहीं होता. बहुत बच्चे गुलामी के शिकार हैं तथा नशीले पदार्थों की तस्करी और वेश्यावृत्ति जैसे अन्य अवैध गतिविधियों में लिप्त हैं.

भारत में श्रम कानून 14 वर्ष की आयु के बच्चों को कम खतरनाक उद्योगों में काम करने के लिए अनुमति देता है जबकि 15-18 वर्ष तक के उम्र के बच्चों के लिए कुछ कम प्रतिबन्ध है.

पृष्ठभूमि:

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा बाल श्रम के उन्मूलन हेतु वैश्विक स्तर पर 12 जून 2002 में विश्व बाल श्रम निषेध दिवस मनाने की प्रक्रिया का शुभारम्भ किया गया.

प्रति वर्ष 12 जून को श्रमिकों की दुर्दशा को उजागर करने तथा बाल श्रम के पूर्ण उन्मूलन में सहयोग करने के प्रयास के क्रम में पूरे विश्व में सरकार,नियोक्ता,श्रमिक संगठन,सामाजिक नागरिक आदि इस दिशा में चिंतन करते हुए एक साथ प्रयास करने की कोशिश करते हैं.

 

 

=> नागर विमानन मंत्रालय ने प्रस्तावित यात्री केंद्रित संशोधनों की घोषणा की

 

नागर विमानन मंत्रालय ने 11 जून 2016 को यात्री केंद्रित संशोधनों की घोषणा की है. जिसके तहत मंत्रालय ने प्रस्ताव किया है कि एयरलाइन को 15 से 20 किलो के बीच सामान के लिए 100 रुपए प्रति किलो अतिरिक्त सामान प्रभार पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए. इसके अलावा यात्री हितकर अनेक घोषणाएं मंत्रालय ने की है.

मंत्रालय द्वारा संशोधित प्रस्ताव-

  • इस प्रेजेंटेशन में संशोधनों की पहली श्रेणी "हवाई टिकटों की रिफंड राशि" से संबंधित सीएआर में की गयी है.
  • मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया है कि धन वापसी की प्रक्रिया घरेलू यात्रा के मामले में 15 कार्य दिवसों में और अंतर्राष्ट्रीय यात्रा के मामले में 30 कार्य दिवसों के भीतर पूरी की जानी चाहिए.
  • यह भी प्रस्ताव है कि टिकट रद्द करने के मामले में सांविधिक कर और उपयोगकर्ता विकास शुल्क/ हवाई अड्डा विकास शुल्क/ यात्री सेवा शुल्क की राशि वापिस की जाएगी.
  • मंत्रालय ने इस श्रेणी में यह भी प्रस्ताव किया है कि किसी भी हालत में टिकट रद्द राशि मूल किराए से अधिक नहीं होगी.
  • "बोर्डिंग से मना करने, उड़ान रद्द करने और उड़ान में देरी" से संबंधित सीएआर की दूसरी श्रेणी में मंत्रालय ने यह प्रस्ताव किया है कि एक ओर के बुकिंग के मूल किराए के 200 प्रतिशत के बराबर राशि तथा एयरलाइन ईंधन प्रभार जो अधिकतम 10,000 रूपये होगा, एयरलाइन द्वारा वैकल्पिक उड़ान का प्रबंध करने के मामले में यात्रियों को भुगतान किया जाएगा और ऐसी उड़ान एक घंटे के बाद लेकिन बुकिंग के निर्धारित प्रस्थान समय के 24 घंटे के अंदर होगी.
  • "कम गतिशीलता के साथ व्यक्तियों" को उपलब्ध कराए जाने वाली सुविधाओं से संबंधित सीएआर की तीसरी श्रेणी में एयरलाइंस स्ट्रेचर का अग्रिम अनुरोध करने के लिए एक प्रक्रिया विकसित करेगी और इसे एयरलाइन की वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाना चाहिए.
  • सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए प्रशिक्षण मॉड्यूल के अनुसार एयरलाइंस, हवाई अड्डा संचालक, सुरक्षा कर्मी, सीमा शुल्क और आव्रजन विभाग यात्री सेवाओं में लगे अपने सभी कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे.
  • इन कर्मियों को संवेदनशील बनाया जाएगा और विकलांगता या कम गतिशीलता से ग्रस्त व्यक्तियों को सहायता प्रदान करने के लिए जागरूकता विकसित की जाएगी.
  • भारत में / भारत से बाहर विदेशी कैरियर अपने मूल देश के नियमों के अनुसार टिकटों की राशि वापिस लौटाएंगे.
  • सामान की जाँच करने के प्रभारों के संबंध में, मंत्रालय ने प्रस्ताव किया है कि एयरलाइन को 15 से 20 किलो के बीच सामान के लिए 100 रुपए प्रति किलो अतिरिक्त सामान प्रभार पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए.

हितधारकों की सुझाव और टिप्पणियां 

इन संशोधित प्रस्तावों को मंत्रालय की वेबसाइट पर 15 दिनों के लिए अपलोड किया जाएगा. इस दौरान हितधारक अपने सुझाव और टिप्पणियां देने के लिए स्वतंत्र हैं. 
इसके बाद मंत्रालय ने प्रस्तावित संशोधनों को अंतिम रूप देगा और उन्हें बहुत जल्दी लागू करेगा.

 

 

=> आयुष-82 के लिए एनआरडीसी ने प्रौद्योगिकी व्यावसायीकरण समझौते पर हस्ताक्षर किए

 

आयुष-82 के लिए एनआरडीसी ने 10 जून 2016 को प्रौद्योगिकी व्यावसायीकरण समझौते पर हस्ताक्षर किये. इस लाइसेंस समझौते पर राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम, नई दिल्ली के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. एच. पुरुषोत्तम और चतुर्भुज फार्मास्युटिकल कंपनी, हरिद्वार की ओर से कंपनी के मालिक मुरारी शर्मा ने हस्ताक्षर किये.

राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग का एक उपक्रम है.

एनआरडीसी ने मैसर्स चतुर्भुज फार्मास्युटिकल कंपनी, हरिद्वार के साथ मधुमेह के प्रबंधन के लिए एक आयुर्वेदिक फॉर्म्यूलेशन आयुष-82 के व्यावसायीकरण के लिए लाइसेंस अनुबंध किया है.

आयुष-82 को केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस), नई दिल्ली ने विकसित किया था जो आयुष (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध) मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन है.

राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम ने अभी तक सीसीआरएएस द्वारा विकसित 13 आयुर्वेदिक प्रौद्योगिकियों के लाइसेंस भारत में 33 से अधिक कंपनियों को दिए हैं.

आयुष-82 से संबंधित मुख्य तथ्य:

•    आयुष-82, सीसीआरएएस द्वारा विकसित एक मधुमेह रोकने वाली दवा है और यह ज्ञात और विकसित परीक्षण की गई हाइपोग्लिसेमिक दवाओं का संयोजन है.

•    बड़े पैमाने पर इसके नैदानिक अध्ययन किये गये हैं.

•    डाइबटिज मेलिट्स चयापचय रोगों का एक समूह है जिसमें बहुत अधिक रक्त ग्लूकोज होता है जिसके कारण इंसुलिन के उत्पादन, इंसुलिन के कार्य या दोनों में विकार आ जाता है.

•    मधुमेह कई अंग प्रणालियों में गंभीर जटिलताओं को बढ़ावा दे सकता है.

•    इस सस्ती और प्रभावी दवा से मधुमेह से पीड़ित लाखों लोगों को राहत मिलेगी.

 

 

=> इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेट कप्तान डोनाल्ड कार का निधन

 

इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेट कप्तान डोनाल्ड कार का 89 वर्ष की आयु में 13 जून 2016 को लंदन में निधन हो गया. इस अवसर पर उनके सम्मान में लार्ड्स पर एमसीसी के झंडे आधे झुके रहे.

डोनाल्ड कार ने दो बार इंग्लैंड के लिये क्रिकेट खेला. वह वर्ष 1951-52 के भारत दौरे पर इंग्लैंड के कप्तान थे. उन्होंने 23 साल के कैरियर में कुल 20000 प्रथम श्रेणी रन बनाये. 
कार की पहचान क्रिकेट प्रशासक के रुप में अधिक रही. वह टेस्ट और काउंटी क्रिकेट बोर्ड के सचिव रहे. वह एमसीसी के सहायक सचिव भी थे और बाद में आईसीसी के मैच रैफरी बनें.

 

=> एनआरडीसी ने बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआरसंरक्षण और प्रौद्योगिकी व्यवसायीकरण के लिए सीएनएमएसजैनविश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए

 

एनआरडीसी ने सीएनएमएस में विकसित प्रौद्योगिकियों और बौद्धिक संपदाओं के लिए जैन विश्वविद्यालय, कर्नाटक के सेंटर फॉर नैनो एंड मेटिरियल साइंसेज (सीएनएमएस) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं.

एनआरडीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक डॉ. एच. पुरुषोत्तम और सीएनएमएस, जैन यूनिवर्सिटी की निदेशक डॉ. गीता बालकृष्ण ने वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीय विकास के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) संरक्षण और प्रौद्योगिकी व्यवसायीकरण के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं.

राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान विभाग का एक उपक्रम है.

एनआरडीसी वाणिज्यिक क्षमता के रूप में बौद्धिक संपदाओं के मूल्यांकन/ आकलन में अपनी सेवाएं प्रदान करेगा.

यह समझौता ज्ञापन मई 2016 से 10 साल की अवधि के लिए वैध है.

 

 

=> अंतरराष्ट्रीय एल्बिनिज्म दिवस मनाया गया

 

13 जूनअंतरराष्ट्रीय एल्बिनिज्म दिवस

दूसरा अंतरराष्ट्रीय एल्बिनिज्म (धवलता) दिवस 13 जून 2016 को मनाया गया. यह दिवस धवलता के शिकार लोगों से विश्व में होने वाले भेदभाव के खिलाफ जागरुकता फ़ैलाने के उद्देश्य से मनाया जाता है.

एल्बिनिज्म (धवलता)

• यह एक दुर्लभ, गैर संक्रामक, आनुवंशिक रूप से जन्म के समय मौजूद रहने वाला विकार है.

• अधिकतर मामलों में, परिवार में दोनों अभिभावकों में धवलता के जीन्स मौजूद होते हैं. इसमें आवश्यक नहीं कि माता-पिता को धवलता रही हो.

• यह किसी भी देश के वातावरण में, किसी भी लिंग के मनुष्य को हो सकता है.

• इसमें बालों, त्वचा एवं आंखों में मेलेनिन की कमी हो जाती है. 

• इस बीमारी से पीड़ित अधिकतर व्यक्ति दृष्टिहीन होते हैं तथा इन्हें त्वचा कैंसर होने का अधिक डर रहता है.

• इसका कोई इलाज नहीं है.

एल्बिनिज्म (धवलतासे जुड़े मिथ

• इस बीमारी से पीड़ित व्यक्तियों को विश्वभर में भेदभाव का सामना करना पड़ता है.

• इस बीमारी को सामाजिक एवं चिकित्सकीय रूप से भी सही प्रकार से समझा नहीं गया.

• इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को अधिकतर अन्धविश्वास एवं गलत धारणाओं के कारण उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है.

• विभिन्न समुदायों में पीड़ित लोगों को अन्धविश्वास के कारण जान का खतरा भी पैदा हो जाता है.

• यह भेदभाव सदियों पुराने हैं जो आज भी हमारे समाज में मौजूद हैं.

संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव

18 दिसम्बर 2014 को महासभा ने एक प्रस्ताव पारित करके 13 जून 2015 से अंतरराष्ट्रीय धवलता दिवस मनाये जाने की घोषणा की.

संयुक्त राष्ट्र ने 2013 में धवलता से पीड़ित व्यक्तियों से होने वाले भेदभाव के चलते इस प्रस्ताव को लाये जाने पर सहमति व्यक्त की थी. धवलता से पीड़ित व्यक्तियों को दूसरे नागरिकों के समान स्वतंत्रता एवं समानता दिलाने के लिए 26 मार्च 2015 को आदेश जारी किया गया.

इसके अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र ने 2030 सतत विकास लक्ष्य में धवलता को समाप्त किये जाने को भी शामिल किया है. इस वर्ष मनाए गये दूसरे धवलता दिवस के दौरान पहला स्वतंत्र विशेषज्ञ भी नियुक्त किया गया.

 

=> यूएनईपी एवं इंटरपोल द्वारा बढ़ते पर्यावरणीय अपराध की रिपोर्ट जारी की गयी

 

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) एवं इंटरपोल द्वारा पर्यावरणीय अपराध में बढ़ोतरी शीर्षक से 4 जून 2016 को रिपोर्ट जारी की गयी. इस रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014 की तुलना में पर्यावरणीय अपराध में 26 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गयी.

पर्यावरणीय अपराध में बढ़ोतरी

विश्व में होने वाले अपराध में यह चौथा सबसे बड़ा अपराध है. इससे पहले ड्रग्स तस्करी, जालसाजी एवं मानव तस्करी आते हैं.

इंटरपोल एवं यूएनईपी ने पर्यावरणीय अपराध को रोकने हेतु संयुक्त रूप से कदम उठाये हैं.

इसमें शामिल अपराधों में वन्य जीवन में अवैध व्यापार, वानिकी क्षेत्र में कॉर्पोरेट अपराध, अवैध शोषण, अवैध मत्स्य पालन, अवैध स्वर्ण व्यापार, खतरनाक कचरे और कार्बन क्रेडिट की धोखाधड़ी एवं तस्करी.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

•    रिपोर्ट के अनुसार कमज़ोर कानून एवं खस्ता हालत रक्षा विभाग के कारण पर्यावरणीय अपराध को बढ़ावा मिल रहा है. इससे ईंधन की कमी, तबाह होते पारिस्थितिकी तन्त्र एवं विलुप्त होते प्राणियों को शामिल किया गया है.

•    इस अपराध से प्राप्त होने वाले धन से अपराधियों को अत्याधुनिक साजो-सामान की कमी महसूस नही होती.

•    रिपोर्ट द्वारा सभी देशों को इस अपराध के खिलाफ एकजुट होकर कदम उठाये जाने की अपील की गयी है.

•    अपराध रोकने के लिए विभिन्न प्रयास किये गये हैं जिनमें कर चोरी करने वालों पर विशेष नजर राखी जा रही है, इसके अतिरिक्त समाज के निचले तबकों का भी खयाल रखा जा रहा है ताकि वे इस अपराध में शामिल न हों.

•    पिछले एक दशक में यह अपराध प्रत्येक वर्ष 5-7 प्रतिशत की दर से बढ़ा है. यह दर वैश्विक जीडीपी से तीन गुना अधिक है.

•    इस रिपोर्ट में अवैध रूप से प्राकृतिक संपदा से प्राप्त होने वाली आय को हथियारबंद ग्रुप अपने लाभ के लिए उपयोग कर रहे हैं.

•    इन अपराधों में बड़े पैमाने पर प्राइवेट कम्पनियां भी शामिल हैं जो अपने लाभ के लिए अपनी पहचान छुपाकर कर चोरी हेतु इन अपराधों को अंजाम देती हैं.

 

=> प्रसिद्ध नाटककार और अभिनेता अच्युत लहकर का निधन

 

सिद्ध नाटककार और अभिनेता तथा असम के मोबाइल थिएटर आंदोलन के अच्युत लहकर का 12 जून 2016 को असम में निधन हो गया. वे 85 वर्ष के थे.

अच्युत लहकर के बारे में:

•    अच्युत लहकर का जन्म असम में वर्ष 1931 में हुआ था.

•    उन्हें मोबाइल थिएटर के असम के जनक के रूप में जाना जाता था.

•    वे अपने बचपन के दिनों से थिएटर के प्रति उत्साही था.

•    वे एक अग्रणी अभिनेता, नाटककार, निर्देशक और निर्माता थे तथा मोबाइल थिएटर मंच पर कई यादगार नाटकों का मंचन भी किये.

•    उन्होंने नटराज थिएटर 1963 में जो बाद में मोबाइल थिएटर आंदोलन एक सफल मनोरंजन उद्योग का आकार दिया तथा असम की पहली मोबाइल थिएटर कंपनी की स्थापना किया.

•    उन्होंने कुछ समय के लिए एक सचित्र पत्रिका दीपावली संपादित और प्रकाशित किया.

•    उन्हें कमल कुमारी राष्ट्रीय पुरस्कार से वर्ष 1997 में सम्मानित किया गया.

•    वे  मंच प्रभाकर पुरस्कारभाबेन बरुआ पुरस्कार और ब्रज नाथ सरमा पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया.

 

 

=> प्रियंका चोपड़ा टीन च्वाइस पुरस्कार 2016 के लिए नामित

 

बॉलीवुड अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा 12 जून 2016 को ‘टीन च्वाइस पुरस्कार-2016’ के लिए नामित की गई. उन्हें ‘च्वाइस टीवी ब्रेकआउट स्टार’ की श्रेणी में नामित किया गया.

उन्हें अमेरिकी टीवी श्रृंखला ‘क्वांटिको’ में एफबीआई प्रशिक्षु एलेक्स पर्रिश की भूमिका के लिए नामांकित किया गया.

टीन च्वाइस पुरस्कार के बारे में:

• द टीन च्वाइस पुरस्कार एक वार्षिक पुरस्कार शो है जो फॉक्स टेलीविजन नेटवर्क पर प्रसारित होता है.

• इस पुरस्कार का चयन 13 वर्ष से 19 वर्ष तक के किशोर दर्शको द्वारा अमेरिका के 50 राज्यों में मतदान के जरिये होता है.

• यह टेलीविजन, संगीत, फिल्म, कॉमेडी, वीडियो गेम, खेल और फैशन के क्षेत्र में उपलब्धियों के लिए उत्सव मनाता है.

• टीन च्वाइस पुरस्कार समारोह लॉस एंजिल्स, कैलिफोर्निया में 31 जुलाई 2016 को आयोजित किया जाएगा.

 

 

=> संयुक्त राज्य अमेरिका ने फिना महिला वाटर पोलो विश्व सुपर लीग फाइनल जीता

 

संयुक्त राज्य अमेरिका सीनियर राष्ट्रीय टीम (महिला) ने 12 जून 2016 को फिना महिला वाटर पोलो विश्व लीग सुपर फाइनल में स्वर्ण पदक जीता. चीन के शंघाई में आयोजित मैच में टीम ने चैम्पियनशिप मैच में स्पेन को 13-9 से पराजित किया.

दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया ने चीन को 11-3 से हराकर कांस्य पदक जीता. 

फिना वाटर पोलो विश्व लीग के बारे में-

• फिना वाटर पोलो विश्व लीग, फिना द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय वाटर पोलो लीग है. जो प्रतिवर्ष आयोजित की जाती है.   

• लीग में पुरुषों और महिलाओं के खेलने हेतु महाद्वीपीय टूर्नामेंट की सुविधा है. जिसमें से शीर्ष सुपर टीमों को अंतिम लीग मैच में खिलाया जाता है. चैंपियन टीम का ताज पहना कर सम्मानित किया जाता है. 

• वर्ष 2000 में आयोजित ओलिंपिक खेलों में वाटर पोलो लीग की दुनिया भर में लोकप्रियता के बाद पुरुषों का लीग खेल 2002 में आरम्भ हुआ. 

• महिलाओं की इस खेल में बढ़ती रुचि के आधार पर2004 में महिलाओं के लीग का आरम्भ किया गया. 

फिना बारे में-

• अंतरराष्ट्रीय तैराकी महासंघ (फिना), अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) द्वारा मान्यता प्राप्त अंतरराष्ट्रीय फेडरेशन है. जो इंटरनेशनल तैराकी हेतु प्रतियोगिता आयोजित करने के लिए अधिकृत है.

• बेल्जियम, ब्रिटेन, डेनिश, फिनिश, फ्रेंच, जर्मन, हंगेरियन और स्वीडिश स्विमिंग फेडरेशन द्वारा इसे 1908 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के अंत में 19 जुलाई 1908 को स्थापित किया गया. 

• यह कई अंतरराष्ट्रीय महासंघों में से एक है, जो अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) और / या अंतरराष्ट्रीय समुदाय हेतु  खेल/ अनुशासन के लिए प्रशासक  है. 

• इसका मुख्यालय लॉज़ेन, स्विट्जरलैंड में स्थित है.

• वर्तमान में फिना तैराकी की पांच खेल प्रतिस्पर्धाओं तैराकी, डाइविंग, लयबद्ध तैराकी, वाटर पोलो और खुले पानी तैराकीकी देखरेख करता हैं.

 

=> आईईपी द्वारा जारी ग्लोबल पीस इंडेक्स 2016 में भारत 141 वें स्थान पर

 

आईईपी (अर्थशास्त्र और शांति के लिए संस्थान) ने 10 जून 2016 को ग्लोबल पीस इंडेक्स (जीपीआई) 2016 जारी किया. ग्लोबल पीस इंडेक्स के तहत वैश्विक स्तर पर 2015 के दौरान 163 देशों में शांति के कारणों और आर्थिक मूल्यों को मापा गया है. यह इसका 10 वां संस्करण है.

2.566 जीपीआई स्कोर के साथ भारत ने 163 देशों के मध्य 141 वां स्थान ग्रहण किया. भारत की स्थिति में सुधार हुआ है. वर्ष 2014-15 में भारत 143 वें स्थान पर था.

ग्लोबल पीस इंडेक्स 2016 : मुख्य तथ्य 

इस सूचकांक से यह पता चलता है कि दुनिया में पिछले एक दशक में शांति की मूल प्रवृत्ति का ह्रास हुआ है और 2015 के वनिस्पत 2016 कम शांतिपूर्ण रहा.जीपीआई के रिकॉर्ड के अनुसार ऐतिहासिक रूप से  विश्व भर में शांति के स्तर में कमी आई है लेकिन कई देशों में इसकी स्थिति में सुधार के लक्षण भी दिखाई दिए.

लगभग 81 देशों में शांतिपूर्ण स्थिति में सुधार हुआ है जबकि 79 देशों में स्थिति और भी खराब हुई है.

शीर्ष सर्वाधिक शांतिपूर्ण देशों में 1) डेनमार्क (2) ऑस्ट्रिया (3) न्यूजीलैंड (4) पुर्तगाल (5) चेक गणराज्य (6)स्विट्जरलैंड (7) कनाडा (8),जापान (9) और (10) स्लोवेनिया शामिल है.

कम शांतिपूर्ण देशों की सूची में पाकिस्तान (153) लीबिया (154) सूडान (155) यूक्रेन (156) मध्य अफ्रीकी गणराज्य (157) यमन (158) सोमालिया (159)अफगानिस्तान (160) इराक (161)दक्षिण सूडान (162) और सीरिया (163) आदि है.

वैश्विक शांति में गिरावट का मुख्य कारण मध्य पूर्व और अफ्रीका (मेना) का विकास है जो पहले से कम शांतिपूर्ण क्षेत्र हैं.

वैश्विक शांति में गिरावट से यह अभिज्ञात होता है कि विश्व के राष्ट्र हिंसा युक्त कार्यों को बढ़त देने के साथ साथ उस पर खर्च भी करते हैं जबकि शांति के मुद्दों पर अभी भी कम संसाधनों का इस्तेमाल किया जाता है.

वैश्विक शांति में वार्षिक गिरावट का मुख्य कारण आतंकवाद और राजनीतिक अस्थिरता है.

शांति के स्तर में सर्वाधिक कमी जिबूती, गिनी-बिसाऊ, पोलैंड, बुरुंडी, कजाकिस्तान और ब्राजील में आई है.

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने औपचारिक रूप से पहली बार शांति की वैश्विक विकास की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की गंभीर प्रकृति को मान्यता प्रदान की है.

2030 तक गरीबी, असमानता, अन्याय और जलवायु परिवर्तन आदि के उन्मूलन हेतु 17 एसडीजी लक्ष्यों का एक नया सेट है.

आईईपी की यह अनुशंसा है कि तृतीय पक्ष के स्वतंत्र संगठन NSOs को पूरक समर्थन प्रदान करते हैं तथा परिणामों की तुलना के लिए एक उपयोगी बेंचमार्क प्रदान करते हैं.

ग्लोबल पीस इंडेक्स के बारे में (जीपीआई)

विश्व शांति की माप के लिए वर्ष 2007 में ग्लोबल पीस इंडेक्स को शुरू किया गया था.

वैश्विक शांति की माप के उपाय आईईपी द्वारा बनाये गए हैं.

इसके लिए 23 संकेतक निर्धारित हैं जिनमें  163 देशो का पड़ोसी देशों के साथ सम्बन्ध,जेल की आबादी का प्रतिशत तथा सैन्य खर्च आदि शामिल है.

आईईपी सिडनी स्थित एक स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक है जो मानव की भलाई और प्रगति के लिए सकारात्मक और ठोस उपायों की ओर दुनिया का ध्यान आकृष्ट करता है.

 

 

=> आइसलैंड के वैज्ञानिकों ने कार्बफिक्स परियोजना के तहत co2 के संचयन की तकनीक की खोज की

 

आइसलैंड के वैज्ञानिकों ने कार्बफिक्स परियोजना के तहत ग्रीन हाउस गैस के संचयन की तकनीक विकसित की है. इस तकनीक के जरिये गहरी भूमि में चट्टान बनाकर इस गैस को संचित करने का कार्य किया जा सकता है. 

यह तकनीक कार्बन डाईऑक्साइड को पृथक करने और ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने का सुरक्षित और सरल तरीका प्रदान करेगा तथा इसकी पहचान जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने वाले एक संभावित महत्वपूर्ण कारक के रूप में की गयी है.

शीघ्र कर्बोनेशन का यह तरीका स्थायी रूप से रिसाव के बिना कार्बनडाईऑक्साइड के भुमिगत संचयन का व्यावहारिक तरीका हो सकता है. 

यह शोध साइंस नामक जर्नल में 10 जून 2016 को प्रकाशित हुआ था. 

शोध के निष्कर्ष 

कोलंबिया विश्वविद्यालय के लैमोंट-डोहर्टी पृथ्वी वेधशाला और अन्य संस्थान के वैज्ञानिकों ने कार्बफिक्स परियोजना के एक पायलट कार्यक्रम के तहत इस तकनीक की खोज की. 

इसका शुभारम्भ 2012 में आइसलैंड के हेलिसेडी बिजली संयंत्र में किया गया था.

वैज्ञानिकों ने सतह के नीचे 400-800 मीटर के मध्य बेसाल्ट के परतों में 220 टन कार्बनडाई ऑक्साईड रखा. कार्बोनिक एसिड से प्रतिक्रिया के लिए वैज्ञानिकों ने इसमें अतिरिक्त जल का भी मिश्रण किया.

प्रतिक्रिया स्वरुप शीघ्र ही नए कार्बोनिक मिनरल्स का निर्माण हुआ जो सक्रिय रूप में सदा के लिए गैस के चारो तरफ आवरण बना इसे इकट्ठा कर लेता है.

दो वर्षों के अंतर्गत बेसाल्ट के अन्दर रखे गये कार्बन का 95 % हिस्से  पत्थर के रूप में जम चुके थे.

इस प्रक्रिया के तहत 1 टन co2  के लिए 25 टन जल की आवश्यकता होगी जो विश्व के कुछ हिस्सों के लिए उत्पादन की इस प्रक्रिया में मुख्य बाधा है.

कार्बन पृथकीकरण (कार्बन सिक्वेस्ट्रेशन) 

इसके अंतर्गत वातावरण से या फिर मानवजनित स्थिर श्रोतों से उर्जा संयंत्रों की तरह बड़े पैमाने पर co2 को रखा जाता है.

इसे लम्बी अवधि तक स्टोर करके रखा जाता है.

कार्बन सिक्वेस्ट्रेशन के दो प्रचलित तरीके हैं -

टेरेस्ट्रियल सिक्वेस्ट्रेशन-

इसके अंतर्गत पौधों का इस्तेमाल कर वातावरण से co2 को इकट्ठा किया जाता है और इसे कार्बन के रूप में पौधों की तना,जड़ और मिटटी में संचित किया जाता है.

जियोलोजिक सिक्वेस्ट्रेशन-

इसके अंतर्गत co2 को लम्बी अवधि तक गहरी भूमिगत भूगर्भिक क्षेत्रों में इकठ्ठा करके रखा जाता है.

विश्व के अनेक परियोजनाओं ने बिजली संयत्रों से कार्बन उत्सर्जन को रोकने के माध्यम के रूप में कार्बन कैप्चर और स्टोरेज प्रक्रिया के परीक्षण की मांग की है .

 

=> पॉपकॉर्न जैसे जीवाश्मों द्वारा प्रजातियों के विकास पर पर्यावरण के प्रभाव के सबूत मिले

 

सूक्ष्म जलीय जीव के जीवाश्म रिकॉर्ड का विश्लेषण करने वाले अनुसंधान प्लानक्टोनिक फोरामिनीफेरा द्वारा यह ज्ञात हुआ कि पॉपकॉर्न जैसे दिखने वाले जीवाश्म प्रजातियों के विकास पर पर्यावरण के प्रभाव का गहरा असर होता है.

यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथेंपटन के अनुसार पृथ्वी पर बसने वाले जीव पर्यावरण के बदलावों पर निर्भर करते हैं.

परिस्थितिविज्ञान शोधकर्ता डॉ थॉमस एज़ार्ड इस अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता थे.

इस अध्ययन को इकोलॉजी लैटर्स नामक पत्रिका के जून अंक में प्रकाशित किया गया.

अध्ययन के मुख्य बिंदु

•    पृथ्वी पर अनंत प्रजातियों का विचार स्पष्ट रूप से काल्पनिक है. विविधता की सीमा प्रासंगिकता विकासवादी जीव, भूवैज्ञानिकों और पुरातत्व-वैज्ञानिकों के बीच चर्चा का विषय है.

•    अध्ययन में यह पता चला है कि ऊपरी सीमा पर्यावरण की दृष्टि पर निर्भर है.

•    इससे यह समझा जा सकता है कि पर्यावरण में बदलाव से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक बदलाव आते हैं जबकि ध्रुवों पर इसका प्रभाव कम दिखता है.

•    इससे यह भी पता चला है कि बड़े पैमाने पर जलवायु उथल-पुथल के दौर से गुजरने के बाद भी प्रजातियों की संख्या उतनी ही रही लेकिन उनमे बदलाव देखे गये. 

•    इस शोध में इस बात को भी नकार दिया गया कि प्रजातियों में एक जैसे बदलाव नहीं होते न ही बदलाव के दौरान उनकी संख्या को नियंत्रित करने का कोई नियम है.

•    जलवायु और भूविज्ञान सदैव बदलता रहता है और प्रजातियों की सीमा उन लोगों के साथ बदलती है.

•    इससे पहले हुए शोध जैविक, जलवायु परिवर्तन अथवा भूवैज्ञानिक स्पष्टीकरण पर आधारित थे लेकिन नई शोध में प्रजातियों के आपसी व्यवहार को भी दर्शाया गया है.

•    शोध के अनुसार प्रजातियों के आपसी प्रतिद्वंद द्वारा उनके बीच संतुलन बना रहता है.

•    पर्यावरण में हो रहे बदलावों को मापने हेतु गणितीय समीकरणों का सहारा लिया गया.

 

=> टाटा पावर ने वेलस्पून रिन्यूवेब्ल्स के अधिग्रहण हेतु समझौता किया

 

टाटा पावर कॉरपोरेट लिमिटेड द्वारा 12 जून 2016 को अक्षय उर्जा कम्पनी वेलस्पून रिन्यूवेब्ल्स एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के अधिग्रहण हेतु समझौते पर हस्ताक्षर किये गये.

टाटा पावर स्वच्छ उर्जा पोर्टफोलियो 2.3 गिगावाट तक बढ़ाना चाहता है.

समझौते के मुख्य बिंदु

•    टाटा पावर रिन्यूवेब्ल एनर्जी लिमिटेड द्वारा वेलस्पून रिन्यूवेब्ल्स एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के अधिग्रहण हेतु समझौते पर हस्ताक्षर किये गये. 

•    यह अक्षय उर्जा से सम्बंधित अब तक का सबसे बड़ा सौदा है.

•    इस समझौते में 9249 करोड़ रूपये का सौदा तय किया गया.

•    टाटा 1140 मेगावाट के पवन उर्जा एवं सौर उर्जा प्लांटों का अधिग्रहण करेगा.

•    यह डील अनुमानतः सितम्बर 2016 में पूरी होगी.

 

=> जस्टिस राकेश रंजन प्रसाद मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त

 

मणिपुर उच्च न्यायालय के वरिष्ठ जज जस्टिस राकेश रंजन प्रसाद ने 13 जून 2016 को मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण किया.

उन्होंने जस्टिस लक्ष्मी कांता महापात्रा का स्थान लिया, वे 9 जून 2016 को सेवानिवृत हुई थीं.

इससे पहले 9 फरवरी 2016 को जस्टिस प्रसाद का झारखंड उच्च न्यायालय से मणिपुर उच्च न्यायालय में ट्रांसफर हुआ था. राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 222 की धारा (1) के तहत उनका ट्रांसफर किया गया.

इस धारा के अनुसार, राष्ट्रपति एक न्यायाधीश को एक उच्च न्यायालय से दूसरे न्यायालय में स्थानांतरित कर सकता है.

जस्टिस राकेश रंजन प्रसाद

•    उनका जन्म 1 जुलाई 1955 में हुआ, उनका अपनी प्रारंभिक शिक्षा एवं स्नातक डिग्री बिहार से हासिल की.

•    उन्होंने विज्ञान विषय में स्नातक किया तथा पटना लॉ कॉलेज से एलएलबी डिग्री हासिल की.

•    बिहार राज्य बार काउंसिल में उन्हें 17 सितम्बर 1980 को वकील के रूप में शामिल किया गया. उन्होंने सिविल, क्रिमिनल एवं याचिका क्षेत्रों में प्रैक्टिस की.

•    उन्हें 6 मई 1991 को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश पद दिया गया तथा इसके बाद उन्हें 8 जून 2001 को जिला न्यायाधीश बनाया गया.

•    उन्होंने 8 जून 2001 को झारखंड उच्च न्यायालय में बतौर रजिस्ट्रार जनरल पदभार ग्रहण किया.

 

=> सत्यपाल जैन विधि आयोग के सदस्य नियुक्त

 

अपर महा सालिसिटर एवं चंडीगढ़ के पूर्व सांसद सत्य पाल जैन को 11 जून 2016 को भारत के 21 वें विधि आयोग का अंशकालिक (पार्ट-टाईम) सदस्य नियुक्त किया गया है.

उनकी यह नियुक्ति उनके वर्तमान पद, भारत के अपर महा सालिसिटर के अतिरिक्त होगी और वे अब दोनों पदों पर काम करेंगे.

आयोग के बारे में-

  • राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने गत वर्ष 14 सितम्बर, 2015 को इस आयोग का गठन किया था.
  • सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. बीएस चौहान इसके अध्यक्ष हैं.
  • इसके अन्य मनोनीत सदस्यों में गुजरात उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवि आर त्रिपाठी, जीएनएलयू के निर्देशक डॉ. बिमल पटेल व सत्य पाल जैन शामिल है.
  • भारत सरकार के कानून एवं न्याय मंत्रालय के सचिव, विधि कार्य विभाग एवं सचिव, विधायी विभाग इस आयोग के पदेन सदस्य के रूप में काम करते हैं.
  • जैन ने कल दिल्ली में लॉ कमीशन के कार्यालय में जाकर अपना पद ग्रहण किया और उसके बाद आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति डॉ. बीएस चौहान से भेंट करके लगभग एक घंटा आयोग के समक्ष लंबित मुद्दों पर चर्चा की.
  • इस आयोग का गठन केन्द्र सरकार ने देश भर में न्यायिक सुधारों के संबंध में तथा अर्थहीन हो चुके कानूनों को निरस्त करने संबंधी विषयों पर अध्ययन करके भारत सरकार को अपने विस्तृत सुझाव देने के लिए किया है.

सत्यपाल जैन के बारे में-

  • जैन एक जाने-माने संविधान विशेषज्ञ हैं. वे लम्बे अरसे से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ एवं भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हैं.
  • वह लगभग 40 वर्षों से पंजाब विश्वविद्यालय की सीनेट के सदस्य है तथा लॉ फैकल्टी के कई वर्षों तक डीन भी रह चुके है.
  • जैन देश के कई महत्वपूर्ण मुद्दों में, जैसे विधान आयोग, लिब्रहान आयोग, राष्ट्रपति चुनाव याचिका, अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन तथा देश के कई जाने माने नेताओं की विभिन्न केसों में पैरवी कर चुके हैं.

 

 

=> रिजर्व बैंक ने दबाव वाली संपत्तियों के सतत संरचना के लिए नई योजना की घोषणा की

 

भारतीय रिजर्व बैंक ने 13 जून 2016 को उन बड़ी परियोजनाओं के फंसे हुए कर्ज के निपटान के लिए नई योजना की घोषणा की. कर्ज के एक हिस्से को इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) की निगरानी समिति की देखरेख में इक्विटी या किसी अन्य वित्तीय उपकरण में बदला जाएगा.

योजना की मुख्य विशेषताएं:

•    दबाव वाली संपत्तियों के स्थिर पुनर्गठन (एस4ए) के लिए पेश की गई योजना के तहत वे परियोजनाएं आएंगी जिन्होंने परिचालन शुरू कर दिया है और उनपर बकाया कर्ज 500 करोड़ रुपए से अधिक का है.

•    एस4ए दबाव वाली बड़ी संपत्तियों के निपटान के लिए एक वैकल्पिक ढांचा है.

•    इसके तहत दबाव वाले कर्ज का सामना कर रहे एक कर्ज लेने वाले के स्थिर कर्ज स्तर के निर्धारण की बात है.

•    इसमें बकाए कर्ज का विभाजन स्थिर कर्ज और इक्विटी, अद्र्ध इक्विटी उपकरणों में किया जाना है.

•    इससे जब किसी स्थिति में ऋण लेने वाला उसे वापस करने से पलट जाए तो बैंक की स्थिति उसकी अपेक्षा थोड़ी मजबूत रहे.

 

 

=> केंद्र सरकार ने बेंगलुरु में झीलों के संरक्षण के उपाय को मंजूरी प्रदान की

 

14 जून 2016 को केंद्र सरकार ने प्रदूषण में कमी हेतु बेंगलुरू में झीलों के संरक्षण के लिए उपायों की एक श्रृंखला को मंजूरी प्रदान की.

यह निर्णय रसायन एवं उर्वरक मंत्री अनंत कुमार और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावड़ेकर की संयुक्त अध्यक्षता में हुई एक बैठक में लिया गया.

इस निर्णय के तहत शहर के सभी सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्रों (एसटीपी) पर ऑनलाइन 24x7 नजर रखी जाएगी. इसके अलावा बेंगलुरु में झील के पानी की गुणवत्ता से संबंधित अधिकारियों द्वारा भी इस पर नजर रखी जाएगी.

इस बैठक में जिन कार्यों पर सहमति बनी उनमें से कुछ है -

बेंगलुरू की झीलों के जैव विकास का कार्य शुरू कर दिया जाएगा.

सार्वजनिक-निजी भागीदारी मोड में जैव विविध तरीके से झीलों की स्थापना की जाएगी.

सभी आवासीय ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं />20 इकाइयों और 2000 वर्ग मीटर के कुल निर्माण क्षेत्र वाले अपार्टमेंट को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करना होगा•

विभिन्न प्रयोजनों के लिए अपार्टमेंट / व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में सीवेज का फिर से उपयोग हेतु दोहरी पाइपिंग सिस्टम का निर्धारण किया जायेगा.

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नियमित रूप से एसटीपी की निगरानी करेगा.

संशोधित प्रवाह मानदंडों को पूरा करने के लिए मौजूदा एसटीपी की रेट्रोफिटिंग आयोजित किया जाएगा.

प्लास्टिक कचरे का उचित प्रबंधन किया जायेगा ताकि इसे झील में नहीं फेका जाय. 

कर्नाटक ज्ञान आयोग के मार्गदर्शन में यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क की तर्ज पर कर्नाटक के मदिवाला झील को एक जैव विविधता पार्क के रूप में विकसित किया जाएगा.

झील संरक्षण में जनता की भागीदारी के लिए झील वार्डनों की नियुक्ति की जाएगी.

झीलों को संरक्षित करने के प्रयास में कॉर्पोरेट क्षेत्र के संरक्षण को शामिल किया जाएगा और प्रगति की हर छह महीने पर समीक्षा की जाएगी.

सीएसआर निधियों का इस्तेमाल संरक्षण और झीलों के विकास के लिए किया जायेगा.

टिप्पणी

शहर में उत्पन्न अनुपचारित सीवेज के निर्वहन के कारण बेंगलुरू के झीलों में प्रदूषण पिछले कुछ वर्षों से  एक प्रमुख पर्यावरणीय समस्या बन गया है.उदाहरण के लिए मई 2015 में बेंगलुरू की सबसे बड़ी झील बेलानदुर झील और वर्थुर झील में मौजूद फास्फोरस जैसे औद्योगिक अपशिष्ट के कारण आग लग गया.

परिणाम स्वरुप इन झीलों का पानी घरेलू सिंचाई के लिए तो हानिकारक हो ही गया इसके साथ ही यहाँ का भू जल भी दूषित हो गया. ऐसी परिस्थिति में यह सुझाव दिया गया कि फास्फोरस जैसे औद्योगिक अपशिष्ट एक पर्यावरणीय समस्या पैदा कर सकते हैं जो आगे चलकर बेंगलुरू की झीलों के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है.

अनुपचारित सीवेज की समस्या से निपटने के लिए उठाए गए कदम

इस सन्दर्भ में सबसे पहले यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अनुपचारित सीवेज का जल झीलों में प्रवाहित नहीं किया जाय. इस समस्या के समाधान के लिए कई एसटीपी का विकास किया जा रहा है. एसटीपी का विकास बेंगलुरू जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के अंतर्गत किया जा रहा है. इस विकास के अंतर्गत शामिल है -

दिसंबर 2018 तक 336 एमएलडी एसटीपी की क्षमता हासिल करना. 

दिसंबर 2019 तक 515 एमएलडी एसटीपी की क्षमता प्राप्त करने की.

दिसंबर 2020 तक 189 एमएलडी एसटीपी की क्षमता पूरा हो जाने की

वर्तमान में स्थापित उपचार क्षमता 721 एमएलडी है लेकिन 2020 तक इन तीन एसटीपी के पूरा होने के साथ एसटीपी की क्षमता 1761 एमएलडी हो जाएगी जो शहर में उत्पन्न पूरे सीवेज के उपचार के लिए उपलब्ध होगा.

शहरी विकास मंत्रालय के अमरुत कार्यक्रम के तहत बेंगलुरु में सीवरेज प्रणाली और एसटीपी से संबंधित कार्यो के लिए कुल 887.97 करोड़ रुपए के कुल परियोजनाओं को मंजूरी दी गई.

 

 

=> वयोवृद्ध हिंदी साहित्यकार मुद्राराक्षस का निधन

 

हिंदी के प्रसिद्ध लेखक एवं साहित्यकार मुद्राराक्षस का लंबी बीमारी के बाद 13 जून 2016 को लखनऊ में निधन हो गया. वे 82 वर्ष के थे.

वे सांप्रदायिकता, जातिवाद, महिला उत्पीड़न जैसे गंभीर मुद्दों पर अपने ज्वलंत विचार व्यक्त करने के लिए जाने जाते थे.

उन्होने बीस से ज्यादा नाटकों का सफल निर्देशन, कई नाटकों का लेखन, बारह उपन्यास, पांच कहानी संग्रह, तीन व्यंग्य संग्रह, इतिहास सम्बन्धी तीन पुस्तकें और आलोचना सम्बन्धी पांच पुस्तकें लिखीं.

उनकी विभिन्न रचनाएं एवं उपन्यास अविस्मरणीय एवं संकलन योग्य कृतियां हैं जिनमे आला अफसर, कालातीत, नारकीय, दंडविधान, हस्तक्षेप आदि मुख्य रूप से शामिल हैं.

मुद्रा राक्षस

•    उनका जन्म 21 जून 1933 को लखनऊ के बेहटा गांव में हुआ था.

•    उनका मूल नाम सुभाष चन्द्र था. 

•    लखनऊ में ही शिक्षा प्राप्त करने वाले मुद्राराक्षस बाद में कलकत्ता से निकलने वाली पत्रिका ज्ञानोदय के संपादक भी रहे.

•    उन्होंने तमाम प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं का लम्बे समय तक सम्पादन भी किया.

•    वे 15 वर्षों से भी अधिक समय तक आकाशवाणी में संपादक (स्क्रिप्ट्स) और ड्रामा प्रोडक्शन ट्रेनिंग के मुख्य संचालक रहे.

•    उनकी प्रमुख रचनाओं में आला अफसर, कालातीत, नारकीय, दंड विधान और हस्तक्षेप शामिल हैं. 

•    उन्हें साहित्य नाटक अकादमी, साहित्य भूषण, दलित रत्न और जन सम्मान जैसे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है.

 

=> भारतीय पुरुष की 4x400मी रिले टीम ने 18 साल पुराना राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा

 

भारतीय पुरुष 4x400 मी रिले टीम ने 12 जून 2016 को अंतरराष्ट्रीय स्प्रिंट और रिले टीम कप में तीन मिनट 02.17 सेकेंड का समय में नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया. इस तरह उन्होंने बैंकाक में 1998 एशियई खेलों में बनाये गये पिछले तीन मिनट 02.62 सेकेंड के पिछले रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया.

भारतीय महिला 4x400मी रिले टीम ने तीन मिनट 30.16 सेकेंड का समय निकाला. मौजूदा एशियाई खेलों की चैम्पियन और रिकॉर्डधारी भारतीय टीम इस तरह विश्व रैंकिंग में 12वें नंबर पर पहुंच गयी है जिससे वह 2016 ओलंपिक खेलों के क्वालीफिकेशन के लिये मजबूत दावेदार के रूप में उभर रही है.

इससे पहले भारतीय टीम प्रबंधन ने रिले स्पर्धाओं के दोनों वर्गों में दो दो टीमें उतारने का फैसला किया. पुरुषों की दूसरी टीम (बी टीम) ने तीन मिनट 06.61 सेकेंड जबकि महिलाओं की दूसरी टीम (बी टीम) ने तीन मिनट 34.45 सेकेंड का समय निकाला. पुरुषों की रिले टीम अभी विश्व रैकिंग में 17वें स्थान पर है.

 

=> माइक्रोसॉफ्ट ने लिंक्डइन को 26.2 अरब डॉलर में खरीदने की घोषणा की

 

माइक्रोसॉफ्ट ने 13 जून 2016 को प्रोफेशनल नेटवर्किंग वेबसाइट लिंक्डइन को 26.2 अरब डॉलर में खरीदने की घोषणा की. यह सौदा पूरी तरह नकदी में होगा और इसके सोशल मीडिया क्षेत्र का सबसे बड़ा अधिग्रहण माना जा रहा है.

माइक्रोसॉफ़्ट कॉर्पोरेशन के बारे में:

•    माइक्रोसॉफ्ट, विश्व की एक जानी मानी बहुराष्ट्रीय कम्पनी है जो मुख्यत: संगणक अभियान्त्रिकी के क्षेत्र मे काम करती है.

•    माईक्रोसॉफ्ट दुनिया की सब्से बडी सॉफ्टवेयर कम्पनी है.

•    कम्पनी का मुख्यालय अमेरिका मे रेडमण्ड, वॉशिंगटन मे स्थित है.

•    इसकी स्थापना बिल गेट्स ने 4 अप्रैल 1975 को की थी.

•    इसका मुख्य काम विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम का है.

लिंक्डइन के बारे में:

•    लिंक्डइन एक व्यावसायिक सामाजिक नेटवर्क सेवा है.

•    इसकी स्थापना 14 दिसंबर 2002 में हुई और इसे 5 मई 2003 में लॉन्च किया गया.

•    लिंक्डइन का उपयोग पेशेवर नेटवर्किंग के ज़रिए व्यक्तियों को जोड़ने, नौकरी खोजने और संभावित कर्मचारियों को कंपनी की जानकारी प्रदान करने के लिए किया जाता है.

 

 

=> हरियाणा सरकार ने प्रतिकूल जलवायु को सहने वाले कृषि कामकाज परियोजना को मंजूरी दी

 

हरियाणा सरकार ने कृषि उत्पादन प्रणाली को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल बनाने हेतु 14 जून 2016 को 25 करोड़ रुपये की परियोजना को मंजूरी दी. इस परियोजना से प्रदेश के 75,000 किसान लाभान्वित होंगे.

प्रदेश स्तरीय संचालन समिति की अध्यक्षता प्रदेश के मुख्य सचिव डी एस ढेसी ने की. बैठक में इस महत्वाकांक्षी परियोजना के विस्तृत परियोजना रिपोर्ट को मंजूरी दी गई.

  • प्रतिकूल जलवायु को सहने वाले कृषि कामकाज में हर संभव पद्धति को शामिल किया गया है.
  • यह जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि उत्पादन प्रणाली को लचीला बनाने के लिए जरूरी है
  • इस परियोजना को प्रदेश के उत्तरी भाग में लागू किया जाएगा जिससे 75,000 किसान लाभान्वित होंगे.

 

 

=> लुइस हैमिल्टन ने कनाडा ग्रां प्रि 2016 फॉर्मूला वन का खिताब जीता

 

मर्सिडीज के ड्राइवर लुइस हैमिल्टन ने 12 जून 2016 को रोमांचक मुकाबले में सेबेस्टियन वीटल को पांच सेकेंड से पछाड़कर कनाडा ग्रां प्रि फॉर्मूला वन का खिताब जीत लिया.

हैमिल्टन ने कनाडा में पांचवीं बार ट्रॉफी जीती. उन्होंने इससे पहले 2007, 2010, 2012 और 2015 में भी खिताब जीता था.

लुइस हैमिल्टन के बारे में:

•    लुईस हैमिल्टन का जन्म 7 जनवरी 1985 को इंग्लैंड में हुआ.

•    वे फॉर्मूला वन रेसिंग के ब्रिटिश ड्राइवर हैं.

•    वर्तमान में मैकलेरन मर्सिडीज टीम के लिए रेसिंग करते हैं और फार्मुला वन के आज तक के सबसे युवा विश्व चैम्पियन हैं.

•    वे 2008, 2014 और 2015 के फॉर्मूला वन विश्व चैंपियन है.

•    हैमिल्टन ने 2001 में ब्रिटिश फॉर्मूला रीनॉल्ट विंटर सीरीज के साथ अपनी कार रेसिंग करियर की शुरूआत की.

•    लुइस हैमिल्टन सबसे कम उम्र के F1 विश्व चैंपियन (2008 सीज़न) 23 वर्ष और 300 दिन, इससे पहले 24 साल और 58 दिनों के साथ फर्नांडो अलोंसो द्वारा स्थापित था.

•    हैमिल्टन की पहली F1 जीत 2007 कनाडा ग्रांड प्रिक्स में हुई.

 

 

=> मेजर पोर्ट ट्रस्ट अधिनियम,1963 के स्थान पर केन्द्रीय बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम, 2016 लागू

 

जहाजरानी मंत्रालय ने जून 2016 में 'केन्द्रीय पोर्ट प्राधिकरण अधिनियम' 2016 एक मसौदा विधेयक तैयार किया है. बिल मेजर पोर्ट ट्रस्ट अधिनियम, 1963 की जगह लागू होगा.

प्रमुख बंदरगाहों को और अधिक स्वायत्तता और लचीलापन प्रदान करने हेतु और उनकी कार्यप्रणाली में पेशेवर दृष्टिकोण अपनाने के उद्देश्य से बिल तैयार किया गया.

'केन्द्रीय पोर्ट प्राधिकरण अधिनियम' 2016 की प्रमुख विशेषता-

• बोर्ड की संरचना को सरल बनाकर उसमे निम्न बिंदु समविष्ट किए हैं.

a) नए पोर्ट ट्रस्ट मॉडल के तहत 3 से 4 स्वतंत्र सदस्यों को मिलाकर 17-19 सदस्यों के स्थान पर कुल 9 सदस्य होंगे.

b) नए पोर्ट ट्रस्ट मॉडल में यह प्रावधान किया गया है कि सरकार द्वारा नामित सदस्य और श्रम नामित सदस्य के अलावा मेजर पोर्ट के प्रमुख के रूप में 3 कार्यात्मक प्रमुख होंगे.

• बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति की अयोग्यता, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और अन्य दृश्य साधनों के माध्यम से बोर्ड की बैठकों के प्रावधान, और सदस्यों के कर्तव्य कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार शुरू किया गया है.

• बंदरगाह संबंधित और गैर-बंदरगाह संबंधित भूमि के उपयोग को परिभाषित किया गया है.

a) जमीन को पट्टों की स्वीकृति के मामले में इन दोनों के प्रयोगों के बीच अंतर स्पष्ट किया गया है.

b) केन्द्र सरकार के अनुमोदन के बाद बंदरगाह अधिकारी 40 साल तक पोर्ट संबंधित उपयोग की भूमि का पट्टा करने के लिए अधिकृत हैं और 20 साल तक गैर-बंदरगाह से संबंधित भूमि का पट्टा करने का अधिकार है.

• ऋण लेने, सलाहकारों की नियुक्ति, अनुबंध के निष्पादन और सृजन सेवा पदों की परवरिश हेतु सरकारी मंजूरी की आवश्यकता को अस्तित्वहीन कर दिया है.

• पत्तन प्राधिकरण बोर्ड को पूंजीगत व्यय और कार्यशील पूंजी की आवश्यकता के प्रयोजन और सुरक्षा मामलों हेतु ऋण लेने के अधिकार प्रदान किये गए हैं.

• केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचित लेखा मानकों के अनुसार और कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत निर्धारित प्रारूप में खाते की किताबों और वित्तीय वक्तव्यों के रखरखाव हेतु प्रावधान किया गया है.

• केंद्रीय बंदरगाहों की गतिविधियों और कार्यों की आंतरिक लेखा परीक्षा की अवधारणा को कंपनी अधिनियम, 2015 की तर्ज पर शुरू किया गया है.

• पत्तन प्राधिकरण बोर्ड को सेवा और संपत्ति के लिए दरों के पैमाने तय करने के अधिकार दिए गए है. टीएएमपी द्वारा टैरिफ के विनियमन को समाप्त कर दिया गया है.

a) प्रमुख बंदरगाहों हेतु तत्कालीन टीएएमपी के अवशिष्ट समारोह को बाहर ले जाने और इसमे दखल देने हेतु एक स्वतंत्र समीक्षा बोर्ड बनाया जाना प्रस्तावित किया गया है.

b) बंदरगाहों और पीपीपी रियायती के बीच विवाद

c) पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा करने और पीपीपी परियोजनाओं की समीक्षा  के उपाय सुझाने और ऐसी परियोजनाओं को पुनर्जीवित करने के उपाय सुझाने पर जोर दिया गया है.

d) बंदरगाहों/ निजी बंदरगाहों द्वारा दी गई सेवाओं के बारे में शिकायतों के निस्तारण हेतु ऑपरेटरों का गठन किया जाएगा.

e) वर्तमान में, इस तरह के मामलों की समीक्षा के निस्तारण और पीपीपी ऑपरेटरों और बंदरगाहों के बीच मुकदमेबाजी के मामलों के निपटारे हेतु कोई स्वतंत्र निकाय नहीं है.

• पत्तन प्राधिकरण द्वारा अपने कर्तव्यों के निष्पादन में निरंतर लापरवाही बरतने पर या आपात स्थिति में केंद्र सरकार को पत्तन प्राधिकरण को नियंत्रण में लेने की शक्ति का प्रावधान है.

• सीएसआर एवं पत्तन प्राधिकरण द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास के प्रावधान शुरू किया गया है.

• जनरल खंड अधिनियम, 1887 और अन्य लागू विधियों के प्रावधानों के तहत पत्तन प्राधिकरण की स्थिति 'स्थानीय प्राधिकारी' के रूप में मानी जाएगा. बंदरगाह की सीमा के भीतर इसे उचित नियम बनाने और लागू करने का अधिकार है. यह किसी भी केन्द्रीय या राज्य विधियों के प्रावधानों के तहत स्थानीय कानूनों के बहिष्कार करने और लागू करने का अधिकार रखता है.

 

 

=> गंगा नदी पर जल मार्ग विकास परियोजना वाणिज्यिक नेविगेशन सक्षम होगा

 

गंगा नदी पर वाराणसी से हल्दिया के बीच वर्ष 2016 के अंत तक 1,000 टन भार वहन क्षमता के जहाजों का वस्तु व यात्री परिवहन के लिए परिचालन शुरू हो जाएगा.

जल मार्ग विकास परियोजना के तहत 1,620 किलोमीटर के राष्ट्रीय जलमार्ग-1 परियोजना के तहत तीन मीटर की जरूरी गहराई वाले जहाज के लिए रास्ता तैयार किया जाएगा ताकि 2,000 टन की भार वहन क्षमता का सुरक्षित नौवहन हो सके.

जलमार्ग विकास परियोजना के तहत 4,200 करोड़ रुपए की लागत से इलाहाबाद और हल्दिया के 1,620 किलोमीटर नदी मार्ग को जलयान मार्ग के तौर पर विकसित करने की योजना बनाई गई है.

जहाजों का परिचालन शुरू होने पर जलमार्ग से माल वहन को प्रोत्साहन मिलेगा जो पर्यावरण अनुकूल है.

इससे र्इंधन की खपत कम होती है और परिवहन का यह सस्ता माध्यम है.

विश्व बैंक इस परियोजना के लिए मदद दे रहा है.

इस परियोजना के जरिए 2,000 टन भार क्षमता वाले जहाजों का वाणिज्यिक परिचालन हो सकेगा.

 

 

=> 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया गया

 

14 जूनविश्व रक्तदान दिवस 

पूरी दुनिया में 14 जून को विश्व रक्तदान दिवस मनाया गया. विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 1997 से हर वर्ष 14 जून को 'विश्व रक्तदान दिवस' मनाया जाता है. वर्ष 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 100 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान नीति की नींव डाली थी.

इसके तहत विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह लक्ष्य रखा था कि विश्व के प्रमुख 124 देश अपने यहाँ स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा दें. इसका उद्देश्य यह था कि रक्त की जरूरत पड़ने पर उसके लिए पैसे देने की जरूरत नहीं पड़े. अबतक लगभग विश्व के 49 देशों ने ही इस पर अमल किया है.

विदित हो कि कई देशों जिनमें भारत भी शामिल है, यहाँ कुछ रक्तदाता रक्तदान हेतु पैसे लेता है. जबकि ब्राजील में तो यह क़ानून है कि आप रक्तदान के पश्चात किसी भी प्रकार की सहायता नहीं ले सकते. ऑस्ट्रेलिया के साथ साथ कुछ अन्य देश भी हैं जहाँ पर रक्तदाता पैसे नहीं लेते.