13-14 March 2015 Hindi

ब्रिटिशआयरिशवीजायोजनाभारतमेंलागू

14-MAR-2015

ब्रिटिश आयरिश वीजा स्कीम को 10 फ़रवरी 2015 को भारत में लागू किया गया. इससे संबंधित जानकारी विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह द्वारा उस समय दी गयी जब उन्होंने 12 मार्च 2015 को राज्य सभा में अतारांकित प्रश्नों के उत्तर दिए.
यह योजना भारतीय नागरिकों को एक ही यात्रा पर, या तो देश से एक एकल यात्रा वीजा पर यूनाइटेड किंगडम (यूके) और आयरलैंड के लिए यात्रा करने की अनुमति देता है.
आवेदक भारत में मौजूद आयरलैंड और ब्रिटेन के वीजा आवेदन केंद्रों में से किसी एक में आवेदन कर सकते हैं. यह योजना लघु प्रवास के वीजा धारक को जो प्रथम आगमन के देश द्वारा जारी किए गए है के तहत उत्तरी आयरलैंड सहित आयरलैंड और ब्रिटेन के बीच स्वतंत्र रूप से यात्रा करने की अनुमति प्रदान करता है.

ओलिवरिडलेकछुएकासमुहात्मकबसेराओडिशाकेगंजमजिलेमेंशुरू

14-MAR-2015

समुद्री कछुए ओलिव रिडले (Lepidochelys olivacea) लुप्तप्राय प्रजातियों का समुहात्मक बसेरा मार्च 2015 के दूसरे सप्ताह में ओडिशा के गंजम जिले के रुशिकुल्या नदी मुहाने के पास शुरू हो गया.
बसेरे के पहले दिन करीब 10000 महिला कछुओं ने 3 किमी लंबी रेतीली समुद्री तट पर चारों ओर गोखाराकुदा से पोदाम्पेता तक अंडे दिए. वन्यजीव विशेषज्ञों ने पूर्वानुमान लगाया है कि यह अनोखी घटना है जो कुछ और दिनों के लिए जारी रहेगी.
ओलिव रिडले के इस समुहात्मक बसेरे को छिटपुट कौवों के द्वारा शिकार किया जा रहा है. यह दुनिया का गाहिरमाथा (यह ओलिव रिडले समुद्री कछुए के लिए दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण समुहात्मक बसेरा) के बाद दूसरा सबसे बड़ा समुहात्मक बसेरा है. 
ओलिव रिडले के समुहात्मक बसेरे के अन्य प्रसिद्ध स्थानों में ओडिशा तट के देवी नदी के मुहाने हैं.
ओलिवरिडलेऔरउसकेअंडेकोसुरक्षितकरनेकेलिएउठायेगएकदम
करीब 100-150 अंडे प्रत्येक महिला कछुआ द्वारा दिए जाते हैं और उनके अण्डों को सुरक्षित करने का कार्य 175 व्यक्तियों (वन कर्मी, वन्यजीव कार्यकर्ताओं और आस-पास के ग्रामीणों) कि सहायता से 24 घंटे किया जाता है. यह संरक्षण अगले 50 दिनों के लिए अंडे सेने तक जारी रहेगा.
इस सुरक्षा की आवश्यकता इसलिए पड़ती है क्योंकि मादा कछुए 45 से 50 दिन तक अंडे सेने से लेकर बच्चे कछुए उभरने तक इंतजार नहीं करती.

भारतीयमूलकेगणसेनरेड्डीराष्ट्रीयशिक्षकपुरस्कारक्वाजुलुनटाल 2015 सेसम्मानित

14-MAR-2015

भारतीय मूल के दक्षिण अफ्रीकी शिक्षक, गणसेन रेड्डी को 12 मार्च, 2015 को जोहान्सबर्ग में आयोजित वार्षिक राष्ट्रीय शिक्षण पुरस्कार में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार क्वाजुलु नटाल 2015 से सम्मानित किया गया.
विदित हो की राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार क्वाजुलू नटाल 2015  दक्षिण अफ्रीका में शिक्षण के क्षेत्र में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार है.
गणसेन रेड्डी को यह पुरस्कार दक्षिण अफ्रीकी प्रारंभिक शिक्षा मंत्री एंजी मोत्शेक्गा (Angie Motshekga) द्वारा दिया गया. रेड्डी को यह पुरस्कार अपने लंबे शिक्षण कैरियर के दौरान उत्तम परीक्षा परिणाम, पुरस्कार और अपनी श्रेष्ठ शिक्षक छवि को बरक़रार रखते हुए शिक्षण को एक उच्च स्तर पर बनाये रखने की उपलब्धि के कारण दिया गया. 
पुरस्कार समारोह में अन्य भारतीय मूल के शिक्षक जिन्हें सम्मान प्रदान किया गया- 
•सीलास पिल्लै (Silas Pillay) को प्राइमरी स्कूल में उत्कृष्ट लीडरशिप अवार्ड (Excellence in Primary School Leadership Award)प्रदान किया गया. 
•अन्नेलिने गोवेंदर(Anneline Govender)- प्राइमरी स्कूल में शिक्षण उत्कृष्टता की श्रेणी में दूसरा स्थान दिया गया. 
•कैरिन रेड्डी (Caryn Reddy)-विशेष जरूरतों और समावेशी शिक्षण की श्रेणी में उत्कृष्टता के लिए तीसरा स्थान दिया गया. 
राष्ट्रीय शिक्षण पुरस्कार सम्मान दक्षिण अफ्रीका में उन शिक्षकों के लिए सम्मान और पहचान है जिन्होंने अपने कर्तव्यों को  उत्कृष्टतम रूप में निभाया हो और ऐसा करते हुए उन्होंने दूसरों को ऐसा करने के लिए जो वे बेहतर कर सकते हैं के लिए प्रेरित किया हो.

एनशकतनकेरलविधानसभाकेअध्यक्षनिर्वाचित

14-MAR-2015

12 मार्च 2015 को कांग्रेस विधायक और डिप्टी स्पीकर एन शक्तन को केरल विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया. एन शक्तन ने  सीपीआई (एम) के उम्मीदवार पी आयशा उन्माद को 74-66 मतों से हराया.
विदित हो की विधानसभा अध्यक्ष जी कार्तिकेयन के निधन के बाद इस चुनाव की आवश्यकता पड़ी.जी कार्तिकेयन का 7 मार्च 2015 को कैंसर की बीमारी के कारण निधन हो गया. 
स्पीकर के पद के लिए चुनाव लड़ने से पहले एन शक्तन ने 10 मार्च 2015 को विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के पद से इस्तीफा दे दिया था.
शक्तन के विधानसभा अध्यक्ष के रूप में चुने जाने की घोषणा चुनाव प्रो-टर्म वक्ता डोमिनिक प्रेजेंटेशन ऑफ़ कांग्रेस ने की 
एन शक्तन  के बारे में
वह केरल के तिरूवनंतपुरम जिले में कत्तकादा (Kattakada) निर्वाचन क्षेत्र से वर्तमान में विधान सभा (विधायक) सदस्य हैं.
उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत केरल में ट्रेड यूनियन के माध्यम से की.
पहली बार वह कोवलम (Kovalam) निर्वाचन क्षेत्र से 1982 में राज्य विधानसभा के लिए चुने गए.
वह निमोम (Nemom) निर्वाचन क्षेत्र से एक 2001 और 2006 में कांग्रेस के तरफ से प्रतिनिधि के रूप में राज्य विधानसभा के लिए पुन: निर्वाचित हुए.
वर्तमान में वह तिरुवनंतपुरम के कत्तकादा (Kattakada)निर्वाचन क्षेत्र से विधायक है. वे 2011 में इस निर्वाचन क्षेत्र में चुने गए.
2004 और 2006 के बीच उन्होंने ओमन चांडी की सरकार में राज्य मंत्रिमंडल में परिवहन मंत्री के रूप में सेवा दी.
इनका जन्म 5 मई 1951 को कन्जिराकुलम (Kanjiramkulam) में हुआ था. ये नादर समुदाय से सम्बंधित हैं जो  दक्षिणी केरल में एक शक्तिशाली खंड के अंतर्गत आता है.

कैदियोंकीबढ़तीसंख्याजेलमेंअमानवीयपरिस्थितयोंकीमुख्यवजह

14-MAR-2015

जेल में कैदियों की अधिक संख्या वहां हो रहे अमानवीय व्यवहारों के मुख्य समस्याओं में से एक है.वर्ष 2007 में जेल की कुल आबादी के लगभग 67 प्रतिशत ऐसे कैदियों की संख्या थी जिनके मामले अभी विचाराधीन थे,जो कि कहीं न कहीं जेल में बढ़ते अमानवीय व्यवहार का एक मुख्य कारण है.
भारतीय जेलों में कैदियों की स्थिति में सुधार लाने हेतु सर्वप्रथम जेलों में उनकी बढ़ती संख्या को कम करना निहायत ही जरुरी है. अर्थात विचाराधीन मामलों की संख्या कम की जानी चाहिए.
इस सन्दर्भ में सामन्य मामलों के तहत एक यादगार फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर विचाराधीन कैदियों की रिहाई के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश दिया है.
1999 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सभी जेलों के राज्य महानिरीक्षक (IGS) को  अपने उच्च न्यायालयों और राज्य विधिक सहायता अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श कर समुचित  उपाय करने के दिशा निर्देश दिए.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से सभी मजिस्ट्रेटों एवं सत्र न्यायाधीशों द्वारा आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के लिए अनुरोध किया, जिसे पुनः 2003 में भी दुहराया गया.
वर्ष 2002-03 में केंद्र सरकार ने जेलों में कैदियों की संख्या कम करने के लिए नई जेलों के निर्माण हेतु  कारागार योजना के आधुनिकीकरण का शुभारंभ किया.
इसके अलावा फास्ट ट्रैक अदालतों के माध्यम से अधिकतर जेलों में आबादी कम करने के क्रम में कारगर कदम उठाए गए. 
लेकिन इन सब के वावजूद जब तक लंबित पड़े मामलों का निपटारा कम से कम समय में करने का प्रयास नहीं किया जायेगा तब तक इस समस्या का कोई समुचित समाधान निकालना मुश्किल है. इसके लिए यह जरुरी है कि विचाराधीन मामलों की सुनवाई तेजी से की जाय तथा इस सन्दर्भ में पुलिस तुरंत गवाह उपस्थित करने का प्रयास करे.

सभी के लिए गुर्दे की सेहत विषय के साथ वर्ष 2015 का विश्व गुर्दा दिवस मनाया गया

14-MAR-2015

विश्व गुर्दा दिवस (WKD) 12 मार्च 2015 को विश्व स्तर पर मनाया गया. वर्ष 2015‘गुर्दा स्वास्थ्य सभी के लिए’विषय के साथ मनाया गया.
यह दिन वैश्विक स्वास्थ्य के प्रति एक जागरूकता अभियान है जो विश्व भर में गुर्दे के महत्व और गुर्दे की बीमारी तथा उससे संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के प्रभाव और आवृत्ति को कम करने पर केंद्रित है.
विश्वगुर्दादिवस
विश्व गुर्दा दिवस प्रतिवर्ष मार्च के दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है. यह नेफ्रोलॉजी के इंटरनेशनल सोसायटी (ISN) और किडनी फाउंडेशन इंटरनेशनल फेडरेशन (IFKF) की एक संयुक्त पहल है.
विश्वगुर्दादिवसकीशुरुआत 2006 मेंहुईथी. 2006 सेलेकर 2015 तककीथीमनिम्नहै-
• 2015 गुर्दे की सेहत सभी के लिए   
• 2014 दीर्घकालीन किडनी रोग (सीकेडी) और बढ़ती उम्र 
• 2013 गुर्दे जीवन के लिए -किडनी हमला बंद करो!
• 2012 दान - जीवन के लिए गुर्दे मिले
• 2011 आपने गुर्दे की रक्षा: अपने दिल को बचाव 
• 2010 गुर्दे को सुरक्षित रखें: मधुमेह नियंत्रण
• 2009 आपने गुर्दे सुरक्षित रखें: अपना दबाव कम करे 
• 2008 आपके अद्भुत गुर्दे!
• 2007 सीकेडी: आम, हानिकारक और इलाज
• 2006 क्या आपके गुर्दे ठीक हैं?
नेफ्रोलॉजीइंटरनेशनलसोसायटी (ISN)
नेफ्रोलॉजी इंटरनेशनल सोसायटी एक (ISN) गैर लाभकारी  (not-for-profit ) सोसाइटी है जो 126 देशों में गुर्दा रोगों के निदान, उपचार और रोकथाम को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है. सोसायटी ने 2010 में अपनी 50 वीं वर्षगांठ मनाई.
इंटरनेशनलफेडरेशनऑफ़किडनीफाउंडेशन (IFKF)
IFKFएक गैर लाभकारी महासंघ है जिसकी स्थापना 1999 में की गई. वर्तमान में 41 देशों में इसके 63 किड़नी फाउंडेशन और रोगी समूह सदस्य हैं. IFKF दुनिया भर में गुर्दे की बीमारी के बजाय सभी को स्वास्थ्य, समृद्धि और गुणवत्तापूर्ण जीवन जीने की वकालत करता है.