=> मोदी और मैत्रीपाल सिरीसेना ने उज्जैन में 'सिंहस्थ घोषणा' जारी किया

14 मई 2016 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाल सिरीसेना के साथ उज्जैन के निनोरा गांव में 'सिंहस्थ घोषणा' जारी किया.

दोनों ही नेताओं ने एक माह तक चले सिंहस्थ मेले के 3 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय स्नान महाकुंभ के समापन सत्र को संबोधित किया. श्रीलंका के राष्ट्रपति सिरीसेना 13 मई से 15 मई 2016 तक दो दिनों के भारत दौरे पर थे.

इस घोषणा में मानवजाति की भलाई के लिए 51 पवित्र स्थानों को शामिल किया गया और ये पवित्र स्थान भारत एवं विश्व में नई बहस को शुरु करेंगे.

घोषणा की मुख्य बातें

• कर्तव्य केंद्रित प्रणाली कैसे भारतीय जीवन दर्शन का मूल बना और आज के भारत में यह कितना प्रासंगिक है, विषय पर यह घोषणा आधारित है.

• देश एवं विदेश से आए संन्यासी और संत, विद्वान और विषय के विशेषज्ञों ने 'विचार महाकुंभ' के सत्रों में कई अलग– अलग मुद्दों पर चर्चा की.

• स्वच्छता, सतत विकास और जलवायु परिवर्तन, जीवन मूल्यों, शांति, कृषि एवं कुटीर उद्योग पर सत्र आयोजित किए गए.

इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने संतों और भक्तों से प्रत्येक वर्ष विचार कुंभ आयोजित करने एवं पौधे लगाने की आवश्यकता या बालिकाओं को शिक्षित करने जैसे मुद्दों पर चर्चा करने की अपील की.कुंभ का आयोजन उत्कृष्ट प्रबंधन का सबसे बड़ा उदाहरण है, उन्होंने अकादमिक संस्थानों से कुंभ को केस स्टडी के तौर पर अपनाने की सलाह दी.

 

 

=> प्रकाश सिंह पैनल ने जाट कोटा आंदोलन पर रिपोर्ट सौंपी

 

जाट कोटा आंदोलन के दौरान सभी अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों एवं नागरिक प्रशासन की चूक की जांच के लिए गठित की गई प्रकाश सिंह समिति ने अपनी रिपोर्ट हरियाणा के मुख्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर को सौंप दी. रिपोर्ट 13 मई 2016 को जमा की गई थी.

पैनल ने अपनी 450 पृष्ठों की रिपोर्ट दो संस्करणों में जमा की है. इसमें मुख्य रिपोर्ट करीब 200 पृष्ठों की है और बाकी के 200 पृष्ठों में अनुबंध हैं. जबकि दूसरा संस्करण सिर्फ 40 पृष्ठों का और इसमें दंगों के संदर्भ में खुफिया विभाग की भूमिका के बारे में बताया गया है.

रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार रिपोर्ट की जांच करेगी और तदनुसार उचित कार्रवाई करेगी.

समिति के निष्कर्ष

• इसमें दोषी पाए गए करीब 90 अधिकारियों का जिक्र किया गया है.

• वैसे अधिकारी जो अपना काम नहीं कर रहे थे या जिन्होंने आंदोलनकारियों के प्रति नरम रवैया अपनाया, की पहचान की गई और उनके नाम भी रिपोर्ट में दिए गए हैं.

• जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान जिम्मेदारी के साथ काम करने वाले अधिकारियों का नाम भी रिपोर्ट में है.

रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के लिए, समिति ने राज्य के 8 प्रभावित जिलों का दौरा किया और घटनास्थल का निरीक्षण किया, पीड़ितों की बातों को धैर्य के साथ सुना और जो लोग समिति के सामने आ कर अपनी बात रखना चाहते थे, उनकी बात भी सुनी. समिति ने लोगों से आगजनी की घटना की वीडियो फुटेज भी एकत्र की.

पृष्ठभूमि

• 25 फरवरी 2016 को हरियाणा सरकार ने उत्तर प्रदेश एवं असम पुलिस के भूतपूर्व महानिदेशक (डीजीपी) और सीमा सुरक्षा बल के महानिदेशक प्रकाश सिंह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था.

• समिति को 7 से 2 फरवरी 2016 के दौरान जब जाट आरक्षण आंदोलन ने राष्ट्रीय राजमार्गों समेत सड़कों को जाम कर दिया था, सभी अधिकारियों और पुलिस अधिकारियों एवं नागरिक प्रशासन के अधिकारों की ओर से हुई चूक की जांच करनी थी.

समिति के अन्य सदस्य

• आईपीएस अधिकारी केपी सिंह, वर्तमान में डीजीपी (हरियाणा) के पद पर कार्यरत

• आईएएस अधिकारी विजय वर्धन, अतिरिक्त मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा, अभिलेखागार एवं सांस्कृतिक मामला विभाग.

 

 

=> भारतीय महिला टीम ने 18वीं एशियन टीम स्क्वाश चैंपियनशिप में रजत पदक जीता

 

भारतीय महिला स्क्वाश टीम ने 15 मई 2016 को 18वें एशियन टीम स्क्वाश चैंपियनशिप मुकाबले में रजत पदक जीता. ताईपेई में खेले गये फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम को मलेशियन टीम से 0-2 से हार का सामना करना पड़ा.

मलेशियन टीम द्वारा नौवीं बार एशियन टीम स्क्वाश चैंपियनशिप ख़िताब जीता गया.

पहले मैच में भारत की सचिका इंगेल को सीधे सेटों में मलेशियन खिलाड़ी सिवासंगरी सुब्रमणयम से 7-11, 6-11, 10-12 से हार का सामना करना पड़ा. इसके पश्चात् मलेशिया की डेलिया अर्नोल्ड ने भारत की शीर्ष खिलाड़ी जोशना चिनप्पा को 9-11, 13-11, 11-8, 11-9 से हराया.

दीपिका पल्लिकल को तीसरे सेट के लिए कोर्ट में उतरना ही नहीं पड़ा क्योंकि भारतीय चुनौती दो सेटों में ही समाप्त हो गयी.

अन्य मुकाबलों में, पुरुष वर्ग में, भारतीय टीम को सेमीफाइनल मुकाबले में पाकिस्तान से 2-1 से हार का सामना करना पड़ा. इस जीत के साथ ही पाकिस्तान ने फाइनल में होंग कोंग की टीम को हराकर ख़िताब जीता.

 

 

=> हरियाणा पिछड़ा वर्ग अधिनियम 2016 अधिसूचित

 

हरियाणा सरकार ने 13 मई 2016 को हरियाणा पिछड़ा वर्ग ( नौकरी एवं शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में आरक्षण) अधिनियम 2016 को अधिसूचित कर दिया.

अधिनियम को राज्य में जाटों और चार अन्य जातियों को नौकरी एवं शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए आरक्षण देने के लिए अधिनियमित किया गया. 

हरियाणा पिछड़ा वर्ग अधिनियम 2016 की विशेषताएं

• यह अधिनियम जाट, जाट सिक्खों, रोर, बिश्नोई, त्यागी, मुल्ला जाट या मुस्लिम जाटों को अनुसूची III में तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए नौकरी में 10 फीसदी आरक्षण एवं प्रथम और द्वितीय श्रेणी में छह फीसदी आरक्षण प्रदान करता है.

• इन जातियों के लोगों को यह अधिनियम शिक्षण संस्थानों में दाखिले में 10 फीसदी आरक्षण देने की बात करता है.

• अनुसूची I में ए श्रेणी के पिछड़ी जातियों के लोगों को यह तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए 16 फीसदी आरक्षण और प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के पदों में 11 फीसदी आरक्षण देता है.

• ये लोग शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में 16 फीसदी आरक्षण भी प्राप्त कर सकेंगें.

• अधिनियम पिछड़ा वर्गों के बी श्रेणी के लोगों को अनसूची II में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए 11 फीसदी और श्रेणी I और II के पदों में छह फीसदी आरक्षण देता है.

 

• पिछड़ा वर्ग– बी श्रेणी के लोग शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए 11 फीसदी आरक्षण के हकदार होंगे.

• पिछड़ा वर्ग– ए श्रेणी की अनुसूची में कुल 71 जातियां आती हैं, जिनमें से छह जातियों को अनुसूची II में पिछड़ा वर्ग– बी श्रेणी की सूची में शामिल कर दिया गया है. इसके अलावा अधिसूचना यह कहती है कि इस अधिनियम के होने के बावजूद, राज्य सरकार, समय –समय पर आवश्यक समझे तो पिछड़ी जातियों की ऐसी श्रेणी या श्रेणियों के लोगों को समस्तरीय आरक्षण दे सकती है.

• शैक्षणिक संस्थानों में नियुक्तियों और दाखिले के लिए पिछड़ी जातियों के सदस्यों के लिए आरक्षण अनुसूची में दिए गए निर्देशों के अनुसार दिया जाएगा.

• पिछड़ी जातियों के क्रीमी लेयर में आने वाले किसी भी व्यक्ति को शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले या नौकरी में नियुक्ति के लिए पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षित सीट दिए जाने पर विचार नहीं किया जाएगा.

• सरकार, अधिसूचनाओं द्वारा सामाजिक, आर्थिक एवं ऐसे अन्य कारकों पर विचार करते हुए पिछड़ी जातियों से ताल्लुक रखने वाले लोगों के बहिष्कार एवं उनके क्रीमी लेयर में होने की पहचान करने हेतु मापदंड निर्दिष्ट करेगी. उपधारा दो के तहत निर्धारित मानदंडों की प्रत्येक तीन वर्षों में समीक्षा की जाएगी.

• अधिसूचना यह भी कहती है कि जहां शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए पिछड़ी जातियों के लिए सीटें आरक्षित हैं, वहां अनिवार्य योग्ता वाले उम्मीदवारों की अनुपलब्धता की वजह से यदि अकादमिक वर्ष में सीटें नहीं भर पातीं तो वे सीटें उस वर्ष दाखिले के लिए जारी की गई अंतिम सूची के बाद सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध होंगी.

 

 

 

=> महिला तीरंदाज़ दीपिका, बोम्बाल्या, लक्ष्मीरानी रियो ओलंपिक्स 2016 हेतु चयनित

 

तीन सदसीय भारतीय महिला तीरंदाज़ी टीम दीपिका कुमारी, बोम्बाल्या देवी एवं लक्ष्मी रानी माझी को 16 मई 2016 को रियो ओलंपिक्स के लिए चयनित किया गया.

यह महिला टीम अगस्त 2016 को हो रहे रियो ओलंपिक खेलों में एकल स्पर्धाओं एवं टीम स्पर्धाओं में भाग लेंगी.

भारतीय महिला खिलाड़ियों ने कोपेनहेगन में 2015 में आयोजित विश्व चैंपियनशिप में तीन बर्थ स्थान हासिल किये.

रियो ओलंपिक के लिए चयन प्रक्रिया

•    भारतीय तीरंदाजी संघ (एएआई) ने भारत की ओर से इन खेलों में दीपिका कुमारी, बोम्बाल्या देवी एवं लक्ष्मी रानी माझी को चुना.

•    चयन प्रक्रिया में खिलाड़ियों को छह स्तरों से गुजरना पड़ता है तथा उन्हें ट्रायल देना पड़ता है.

•    चयन प्रक्रिया जनवरी 2016 में जमशेदपुर, दिल्ली एवं बेंगलुरु में आयोजित की गयी.


इसके अतिरिक्त एएआई ने पुरुष वर्ग में तीन सदसीय टीम – जयंता तालुदकर, अतानु दास, मंगल सिंह चंपिया को रियो ओलंपिक के लिए चयनित किया.

 

 

=> जस्टिस दीपक गुप्ता ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ग्रहण की

 

जस्टिस दीपक गुप्ता ने 16 मई 2016 को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली. 

छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलराम दास टंडन ने जस्टिस गुप्ता को रायपुर स्थित राज भवन में शपथ ग्रहण कराई.

इससे पहले गुप्ता त्रिपुरा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश थे.

जस्टिस दीपक गुप्ता

•    जस्टिस दीपक गुप्ता का जन्म 7 मई 1955 को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित नूरपुर में हुआ.  

•    उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से वर्ष 1978 में कानून में डिग्री प्राप्त की.

•    उन्होंने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में वर्ष 1978 से वर्ष 2004 तक प्रैक्टिस की.

•    उन्होंने 4 अक्टूबर 2004 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के जज के रूप में शपथ ग्रहण की.

•    वे दो बार हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रहे.

•    उन्होंने 23 मार्च 2013 को त्रिपुरा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ग्रहण की.

 

=> जस्टिस नवीन सिन्हा ने राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली

 

जस्टिस नवीन सिन्हा ने राजभवन में 14 मई 2016 को राजस्थान हाईकोर्ट के 34वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली. उनका कार्यकाल अगस्त 2018 तक रहेगा.

राजभवन में हुए शपथ ग्रहण समारोह में राज्यपाल कल्याण सिंह ने जस्टिस सिन्हा को मुख्य न्यायाधीश की शपथ दिलाई.

जस्टिस नवीन सिन्हा छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट से तबादला होकर राजस्थान आए हैं.

 

जस्टिस नवीन सिन्हा के बारे में:

• नवीन सिन्हा का जन्म 19 अगस्त 1956 को हुआ है.

• उन्होंने 23 वर्षों तक पटना हाईकोर्ट में वकालत की.

• सिविल संवैधानिक, श्रम सेवा, वाणिज्य मामलों में उनकी विशेषता रही है.

• 11 फरवरी 2004 को पटना हाईकोर्ट में जस्टिस के पद पर उनकी नियुक्ति हुई.

• जुलाई 2014 में उनका पटना से बिलासपुर तबादला किया गया.

• जस्टिस सिन्हा 9 जुलाई 2014 से लेकर 10 मई 2015 तक छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे.

 

=> लघु फिल्म ‘बेटी’ को सिएटल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में आमंत्रित किया गया

 

लघु फिल्म ‘बेटी’ को वाशिंगटन डीसी में 30 मई 2016 को होने वाले 42वें सिएटल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में विशेष स्क्रीनिंग के लिए आमंत्रित किया गया है.

यह एक शानदार उपलब्धि है क्योंकि 85 देशों की 421 फिल्मों में शामिल होने वाली यह भारत की एकमात्र शॉर्ट फिल्म है.

बेटी के बारे में:

• चंडीगढ़ के युवा छात्रों द्वारा इस फिल्म को बनाया गया है.

• बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ विषय को लेकर यह लघु फिल्म तैयार किया गया.

• यह एक कहानी पर आधारित है, जिसमें सेंट कबीर स्कूल के छात्रों ने छोटी-सी उम्र में ही अपनी कला का परिचय दिया है.

• फिल्म के कलाकारों में पिहू गुप्ता, केशव गर्ग और शुभम गर्ग शामिल है.

• यह फिल्म शिवानी अरोड़ा द्वारा निर्देशित है.

सिएटल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल से संबंधित मुख्य तथ्य:

• सिएटल इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल प्रतिवर्ष 1976 से वाशिंगटन में आयोजित होता है.

• यह उत्तरी अमेरिका में शीर्ष फिल्म समारोहों में से एक है.

• इसका मिशन का उद्देश्य है की लोगों को एक साथ दुनिया भर से असाधारण फिल्मों की खोज करने के लिए तैयार करना.

 

 

=> इटली की संसद ने समलैंगिक नागरिक संघों को मंजूरी दी

 

इटली की संसद में 11 मई 2016 को समलैंगिक नागरिक संघों हेतु वैध कानून पारित किया गया. कानून के पक्ष में 372, विपक्ष में 51 वोट डाले गए. 99 सांसदों ने इस प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया. इसके साथ ही पश्चिमी यूरोप में ऐसा करने वाला इटली आखिरी देश बन गया.

इस आशय संबंधी बिल सीनेट ने 25 फरवरी 2016 को और चैंबर ऑफ डेपुटीज ने 11 मई 2016 को अनुमोदित किया. हालांकि इस बिल पर इटली के राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर किया जाना बाकी है.

बिल की मुख्य विशेषताएं-

• नया कानून समलैंगिक युगलों को विवाहित विषमलैंगिक युगलों जैसे कई अधिकार देता है. 
• नागरिक संघ में भागीदार युगल के दौर पर सार्वजनिक आवास के लिए आवेदन कर सकते हैं. कानून ने यह अधिकार अविवाहित विषम लैंगिक युगलों को भी दिए हैं. 
• समलैंगिक युगल अपने माता– पिता के पेंशन के वारिस हो सकते हैं. संपत्ति विरासत के नियम विवाहित युगलों के जैसे ही होंगे. 

समयसीमा (टाइमलाइन)-

• 13 जनवरी 2007 को हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान 50000 समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने मिलान में समलैंगिक संघों को विनियमित करने वाले नए कानून बनाए जाने के पक्ष में प्रदर्शन किया था. 
• फरवरी 2007 में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार प्रोडी गठबंधन द्वारा प्रस्तावित बिल के मसौदे का 67% इतावली कैथलिकों ने समर्थन किया था और 80% इतावलियों ने कहा था कि वे कानून का समर्थन करते हैं. 
• दूसरी तरफ ऑटम 2006 यूरोबैरोमीटर सर्वे (Autumn 2006 Eurobarometer) बताता है कि सिर्फ 31% इतावली लोग सोचते हैं कि यूरोप में समलैंगिक विवाहों की अनुमति दी जानी चाहिए. 
• वर्ष 2009 की शुरुआत में किए गए यूरिपेस पोल (Eurispes poll) ने बताया था कि 40.4% इतावली समलैंगिक नागरिक विवाह के पक्ष में हैं जबकि 18.5% लोग नागरिक संघों का तो समर्थन करते हैं लेकिन विवाह का नहीं. 
• 15 दिसंबर 2013 को डेमोक्रेटिक पार्टी के नव निर्वाचित सचिव, माट्टेइओ रेंजी ने घोषणा की थी कि पार्टी समलैंगिक रिश्तों की मान्यता पर काम करेगी. रेंजी फरवरी 2014 में इटली के प्रधानमंत्री बने थे.
• बाद में केसेसन के सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए की समलैंगिक युगलों के लिए विवाह की स्वीकृति न तो असंवैधानिक है और न ही संवैधानिक अधिकार, लेकिन सिर्फ संसद का फैसला मात्र है साथ ही यह नागरिक संघों या नागरिक भागीदारी है के आधार पर संवैधानिक अदालत के न्याय 138/2010 को बरकरार रखा. 
• 10 जून 2015 को इटली की संसद के निचले सदन चैंबर ऑफ डेपुटीज ने एक प्रस्ताव पारित किया. जिसमें समलैंगिक व्यक्तियों के नागरिक संघों से संबंधित बिल को मंजूर करने हेतु सरकार के प्रति आभार प्रकट किया गया.
• 21 जुलाई 2015 को यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय ने ओलियरी और अन्य बनाम इटली के मामले में यह फैसला सुनाया कि समलैंगिक युगलों के पारिवारिक जीवन के अधिकार को मान्यता प्रदान न कर, इटली ने मानवाधिकारों पर यूरोपीय कन्वेंशन का उल्लंघन किया है.

 

 

इटली की संसद में 11 मई 2016 को समलैंगिक नागरिक संघों हेतु वैध कानून पारित किया गया. कानून के पक्ष में 372, विपक्ष में 51 वोट डाले गए. 99 सांसदों ने इस प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया. इसके साथ ही पश्चिमी यूरोप में ऐसा करने वाला इटली आखिरी देश बन गया.

इस आशय संबंधी बिल सीनेट ने 25 फरवरी 2016 को और चैंबर ऑफ डेपुटीज ने 11 मई 2016 को अनुमोदित किया. हालांकि इस बिल पर इटली के राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर किया जाना बाकी है.

बिल की मुख्य विशेषताएं-

• नया कानून समलैंगिक युगलों को विवाहित विषमलैंगिक युगलों जैसे कई अधिकार देता है. 
• नागरिक संघ में भागीदार युगल के दौर पर सार्वजनिक आवास के लिए आवेदन कर सकते हैं. कानून ने यह अधिकार अविवाहित विषम लैंगिक युगलों को भी दिए हैं. 
• समलैंगिक युगल अपने माता– पिता के पेंशन के वारिस हो सकते हैं. संपत्ति विरासत के नियम विवाहित युगलों के जैसे ही होंगे. 

समयसीमा (टाइमलाइन)-

• 13 जनवरी 2007 को हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान 50000 समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ताओं ने मिलान में समलैंगिक संघों को विनियमित करने वाले नए कानून बनाए जाने के पक्ष में प्रदर्शन किया था. 
• फरवरी 2007 में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार प्रोडी गठबंधन द्वारा प्रस्तावित बिल के मसौदे का 67% इतावली कैथलिकों ने समर्थन किया था और 80% इतावलियों ने कहा था कि वे कानून का समर्थन करते हैं. 
• दूसरी तरफ ऑटम 2006 यूरोबैरोमीटर सर्वे (Autumn 2006 Eurobarometer) बताता है कि सिर्फ 31% इतावली लोग सोचते हैं कि यूरोप में समलैंगिक विवाहों की अनुमति दी जानी चाहिए. 
• वर्ष 2009 की शुरुआत में किए गए यूरिपेस पोल (Eurispes poll) ने बताया था कि 40.4% इतावली समलैंगिक नागरिक विवाह के पक्ष में हैं जबकि 18.5% लोग नागरिक संघों का तो समर्थन करते हैं लेकिन विवाह का नहीं. 
• 15 दिसंबर 2013 को डेमोक्रेटिक पार्टी के नव निर्वाचित सचिव, माट्टेइओ रेंजी ने घोषणा की थी कि पार्टी समलैंगिक रिश्तों की मान्यता पर काम करेगी. रेंजी फरवरी 2014 में इटली के प्रधानमंत्री बने थे.
• बाद में केसेसन के सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए की समलैंगिक युगलों के लिए विवाह की स्वीकृति न तो असंवैधानिक है और न ही संवैधानिक अधिकार, लेकिन सिर्फ संसद का फैसला मात्र है साथ ही यह नागरिक संघों या नागरिक भागीदारी है के आधार पर संवैधानिक अदालत के न्याय 138/2010 को बरकरार रखा. 
• 10 जून 2015 को इटली की संसद के निचले सदन चैंबर ऑफ डेपुटीज ने एक प्रस्ताव पारित किया. जिसमें समलैंगिक व्यक्तियों के नागरिक संघों से संबंधित बिल को मंजूर करने हेतु सरकार के प्रति आभार प्रकट किया गया.
• 21 जुलाई 2015 को यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय ने ओलियरी और अन्य बनाम इटली के मामले में यह फैसला सुनाया कि समलैंगिक युगलों के पारिवारिक जीवन के अधिकार को मान्यता प्रदान न कर, इटली ने मानवाधिकारों पर यूरोपीय कन्वेंशन का उल्लंघन किया है.

 

 

=> पांच भारतीय मरणोपरांत संयुक्त राष्ट्र के डैग ह्मर्सकोल्ड पदक हेतु चयनित

 

संयुक्त राष्ट्र ने मई 2016 के तीसरे सप्ताह में भारतीय शांतिदूतों एवं नागरिकों सहित 124 लोगों को प्रतिष्ठित संयुक्त राष्ट्र पदक के लिए चयनित किया.

हेड कांस्टेबल शुभकरण यादव, राइफलमैन मनीष मलिक, हवलदार अमल डेका, नायक राकेश कुमार एवं गगन पंजाबी को मरणोपरांत डैग ह्मर्सकोल्ड पदक से सम्मानित किया गया.   

इन 124 लोगों को अंतरराष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांतिदूत दिवस पर सम्मानित किया जायेगा. यह दिवस प्रत्येक वर्ष 29 मई को मनाया जाता है लेकिन इस वर्ष इसे 19 मई को मनाया जायेगा.

हेड कांस्टेबल शुभकरण यादव 
•    हेड कांस्टेबल शुभकरण यादव कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (MONUSCO) में संयुक्त राष्ट्र के स्थिरीकरण मिशन में कार्यरत थे.
•    उन्होंने अप्रैल 2015 को बलिदान दिया.

राइफलमैन मनीष मलिक
•    मनीष मलिक भी कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र के स्थिरीकरण मिशन में कार्यरत थे.
•    वे अगस्त 2015 को मिशन के दौरान शहीद हुए.

हवलदार अमल डेका
•    हवलदार अमल डेका संयुक्त राष्ट्र मुक्ति पर्यवेक्षक सेना में कार्यरत थे.
•    उनका निधन जून 2015 को हुआ.

नायक राकेश कुमार
•    नायक राकेश कुमार दक्षिणी सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन पर कार्यरत थे.
•    उनका निधन जनवरी 2015 को हुआ.

गगन पंजाबी
•    गगन पंजाबी संयुक्त राष्ट्र के स्वयंसेवक कार्यक्रम के तहत एक नागरिक की हैसियत से MONUSCO में सेवारत थे एवं जनवरी 2015 में एक हादसे में उनका निधन हो गया.

डैग ह्मर्सकोल्ड पदक
•    डैग ह्मर्सकोल्ड पदक संयुक्त राष्ट्र द्वारा उन लोगों को मरणोपरांत दिया जाता है जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो.
•    इस पदक का नाम संयुक्त राष्ट्र के दुसरे महासचिव डैग ह्मर्सकोल्ड के नाम पर रखा गया. उनका निधन एक विमान हादसे में सितम्बर 1961 में हुआ.
•    22 जुलाई 1997 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सर्वसम्मति से डैग ह्मर्सकोल्ड पदक हेतु अध्यादेश 1121 को लागू किया.
•    पहला पदक अक्टूबर 1998 में प्रदान किया गया.

 

 

=> केन्या विश्व के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर दाडाब को बंद करेगा

 

केन्या सरकार ने 11 मई 2016 को घोषणा की कि वह दाडाब शरणार्थी शिवर को बंद करेगा. 330000 सोमालियाई शरणार्थियों का घर, यह शिविर विश्व के  सबसे बड़े शरणार्थी शिविर के तौर पर जाना जाता है.

इस फैसले की वजह सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को बताया है. सरकार ने यह भी कहा कि शिविर सोमालिया के इस्लामी समूह अल–शाबाब, जैसे आतंकी संगठनों के लिए सुरक्षित स्वर्ग बन गया है.

दाडाब शरणार्थी शिविरों के बारे में-

• शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त  के अनुसार शिविर की स्थापना 1991 में गृह युद्ध से भागे सोमालिया के लोगों के लिए की गई थी. 
• दाडाब शिविर दागाहाले, हागाडेरा और इफो का निर्माण 1992 में हुआ था. 
• हाल ही में बने इफो II और कैमबिउस शिविर सोमालिया में आए भयंकर सूखे के बाद वहां से पलायन करने वाले 130000 नए शरणार्थियों को देखते हुए 2011 में खोले गए थे. 
• अगस्त 2015 तक हागाडेरा सभी शिवरों में सबसे बड़ा था. इसमें 100000 से ज्यादा लोग और 25000 परिवार रहते थे. दूसरी तरफ कैमबिउस सबसे छोटा शिविर है और इसमें 20000 से कुछ ही कम शरणार्थी रहते हैं.

• दाडाब शिविरों की आबादी के बढ़ने के बाद यूएनएचसीआर ने दागाहाले शिविर का मूल डिजाइन बनाने वाले जर्मनी के वास्तुशिल्पी वारनर शेलेनबर्ग (Werner Shellenberg) और हागाडेरा शिविर का डिजाइन और उसके निर्माण की शुरुआत करने वाले स्विडन के वास्तुशिल्पी पर इवानसन (Per Iwansson) से संपर्क किया.