=> आयुष मंत्रालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस-2016 के लिए योग गीत जारी किया गया

 

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस-2016 के लिए नई दिल्ली में आयुष राज्य मंत्री द्वारा 17 जून 2016 को योग गीत जारी किया गया.

गीत का विवरण इस प्रकार हैं:

•    हिन्दी में यह गीत 3 मिनट 15 संकेंड का है.

•    इस गीत को धीरज सारस्वत ने लिखा है.

•    गंधार टी डी डाधव ने इसे प्रस्तुत किया है.

•    सुश्री गाथा जाधव ने आवाज दी है.

•    संगीत सुमंतो रे ने दिया है.

पृष्ठभूमि:

दूसरे योग अंतर्राष्ट्रीय दिवस (2016) समारोह में योग गीत के चयन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता का आयोजन आयुष मंत्रालय द्वारा किया गया था. इस योग गीत के लिए लगभग एक हजार प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई थी.

जो मानदंड गीत के चयन और प्रासंगिकता पर विचार के लिए मंत्रालय द्वारा निर्धारित किए गये थे, समिति ने उसमें से 19 गीत को संक्षिप्त सूची में रखा जो आगे डॉ एचआर नागेंद्र की अध्यक्षता में गठित योग विशेषज्ञों की समिति के पास भेजा गया. संक्षिप्त सूची में से एक गाना बेहतर गीत के आधार पर चुना गया.

 

=> ऑस्ट्रेलिया ने हीरो हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी- 2016 का खिताब जीता

 

ऑस्ट्रेलिया ने 18 जून 2016 को चैंपियंस ट्रॉफी हॉकी प्रतियोगिता का खिताब जीत लिया. इस निर्णायक शूटआउट में भारत विश्व चैंपियन ऑस्ट्रेलिया से फाइनल मैच 1-3 के अंतर से हार गया.

चैंपियंस ट्रॉफी में भारत पहली बार सिल्वर मेडल हासिल करने में सफल रहा.

ऑस्ट्रेलिया चैंपियंस ट्रॉफी का 14वीं बार चैंपियन बना.

अंतिम स्टैंडिंग - हीरो हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी 2016

1: ऑस्ट्रेलिया

2: भारत

3: जर्मनी

4: ग्रेट ब्रिटेन

5: बेल्जियम

6: कोरिया

व्यक्तिगत पुरस्कार:

बेस्ट प्लेयर: टोबियास हॉके (जर्मनी)

सर्वश्रेष्ठ जूनियर खिलाड़ी: हरमनप्रीत सिंह (भारत)

बेस्ट गोलकीपर: जॉर्ज पिनर (ग्रेट ब्रिटेन)

टॉप स्कोर: मार्को मिलिटाकू (जर्मनी)

 

=> वेटलैंड : भारत में प्रबंधन और प्रभाव

 

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 31 मई 2016 को वेटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2016 के मसौदे को जारी किया. इस मसौदे के जरिये वेटलैंड (संरक्षण और प्रबंधन) 2010 के नियम की जगह एक नए  सेट के रूप में वेटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2016 को लागू किया जायेगा.

आर्द्र भूमि के ह्रास से बृहद पैमाने पर हो रहे प्राकृतकि और मानवजनित पर्यावरण के बड़े पैमाने पर विनाश के कारण इस तरह के मसौदे को जारी करना अनिवार्य हो गया था. विशेषज्ञों के अनुसार  उदाहरण स्वरुप सितम्बर 2014  में श्रीनगर में तथा नवम्बर 2015 में चेन्नई में आई अचानक बाढ़ ने इन दो शहरों के प्राकृतिक भंडारण क्षमता को प्रभावित किया.

वेटलैंड क्या है ?

वेटलैंड्स जटिल पारिस्थितिकी प्रणालियां हैं, जिनमें अंतर्देशीय, तटीय और समुद्रीय प्राकृतिकवास की व्यापक श्रृंखला शामिल होती है. इनमें नम और शुष्क दोनों वातावरण की विशेषताएं पाई जाती हैं और ये अपनी उत्पत्ति, भौगोलिक स्थिति, जल वैज्ञानिक व्यवस्थाओं और अध:स्तर के आधार पर व्यापक विविधता को भी दर्शाती हैं. इनमें बाढ़ वाले मैदान, दलदल, मछली के तालाब, ज्वार की दलदल और मानव निर्मित आर्द्रभूमि शामिल हैं.

वेटलैंड की विशेषताएं -

  • सर्वाधिक उत्पादक जीवन सहायता में आर्द्रभूमि का मानवता के लिए सामाजिक-आर्थिक एवं पारिस्थितिकी महत्व है.
  • ये प्राकृतिक जैव विविधता के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है.
  • ये पक्षियों और जानवरों की विलुप्तप्राय: और दुर्लभ प्रजातियों, देशज पौधों और कीड़ों को उपयुक्त आवास उपलब्ध कराती हैं.

भारत विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में मौजूद वैटलैंड्स पारिस्थितिकी सम्पदा वाला देश है. भारत के अधिकांश वेटलैंड्स गंगा, कावेरी, कृष्णा, गोदावरी और ताप्ती जैसी प्रमुख नदी प्रणालियों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं. एशियन वेटलैंड्स कोष (1989) के अनुसार वेटलैंड्स का देश के क्षेत्रफल (नदियों को छोड़कर) में 18.4 प्रतिशत हिस्सा है, जिसके 70 प्रतिशत भाग में धान की खेती होती है. भारत में वेटलैंड्स का अनुमानित क्षेत्रफल 4.1 मिलियन हेक्टेयर (सिंचित कृषि भूमि, नदियों और धाराओं को छोड़कर) है, जिसमें से 1.5 मिलियन हेक्टेयर प्राकृतिक और 2.6 मिलियन हेक्टेयर मानव निर्मित है.तटीय वेटलैंड्स का अनुमानित क्षेत्रफल 6750 वर्ग किलोमीटर है और इनमें मुख्यत: मैनग्रोव वनस्पति की बहुतायत होती है.

राष्ट्रीय दलदली भूमि संरक्षण कार्यक्रम

देश में दलदली भूमि (वेटलैंड) के संरक्षण एवं प्रबंधन से संबंधित कार्यक्रमों के क्रियान्वमयन हेतु नीतिगत दिशा-निर्देश तैयार करने, गहन संरक्षण उपायों के लिए प्राथमिकता वाली जल-भूमियों के संरक्षण, अनुसंधान एवं अनुसंधान कार्यक्रम के क्रियान्वरयन की निगरानी करने और भारत में दलदली भूमि की सूची तैयार करने के लिए 1987 में जल-भूमि संरक्षण और प्रबंधन की योजना शुरू की गई.

जल-भूमि संरक्षण कार्यक्रम के तहत दलदली भूमि की संख्याr 2004 के 27 से बढ़कर 2005 में 71 और फिर जनवरी, 2008 में 103 हो गई. 02 फरवरी, 2007 को 'राष्ट्रीय जल-भूमि संरक्षण: दृष्टिकोण एवं दिशा-निर्देश' नाम से पुस्ति्का जारी की गई, जो अब प्रकाशित हो चुकी है तथा सभी प्रयोक्त2 एजेंसियों को भेजी जा चुकी है,

36 जल-भूमियों की प्रबंध कार्य योजनाएं अनुमोदित की गई हैं तथा इनकी वित्तीय सहायता स्वींकृत की गई है तथा अभी तक रामसर साइट सहित 25 साइट की पहचान की गई है.

वेटलैंड इंटरनेशनल के निदेशक मंडल ने भारत को मनोनित किया है तथा भारत के अनुरोध पर वेटलैंड इंटरनेशनल के निदेशक मंडल की बैठक 19-20 अक्टूबर 2005 को मानेसर, नई दिल्ली में हुई. इसमें तकरीबन 23 देशों ने भाग लिया.भारत ने एक सत्र की अध्य9क्षता की तथा सभी प्रतिभागी देशों ने जल-भूमि संरक्षण में भारत के प्रयासों की भूरि-भूरि प्रशंसा भी की.

वेटलैंड्स पर रामसर सम्मेलन

भारत ने वेटलैंड्स और जैव-विविधता सम्मेलनों पर हस्ताक्षर किए हैं. रामसर, ईरान में 1971 में हस्ताक्षरित वेटलैंड्स सम्मेलन अंतर-सरकारी संधि है, जो वेटलैंड्स और उनके संसाधनों के संरक्षण और बुद्धिमतापूर्ण उपयोग के लिए राष्ट्रीय कार्य और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का ढांचा उपलब्ध कराती है. वर्तमान में इस सम्मेलन में 158 करार करने वाले दल हैं और 1758 वेटलैंड्स स्थल हैं, जिनका कुल क्षेत्रफल 161 मिलियन हेक्टेयर है, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय महत्व की वेटलैंड्स की रामसर सूची में शामिल किया गया है. रामसर सम्मेलन विशेष पारिस्थितिकी तंत्र के साथ काम करने वाली पहली वैश्विक पर्यावरण संधि है. रामसर वेटलैंड्स सम्मेलन को विलुप्त हो रहे वेटलैंड्स प्राकृतिक आवासों पर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान दिए जाने का आह्वान करने के उद्देश्य से विकसित किया गया था.कारण कि वेटलैंड्स के महत्वपूर्ण कार्यों, मूल्यों, वस्तुओं और सेवाओं के बारे में समझ का अभाव देखा गया है. इस सम्मेलन में शामिल होने वाली सरकारें वेटलैंड्स को पहुंची हानि और उनके स्तर में आई गिरावट को दूर करने के लिए सहायता प्रदान करने हेतु कटिबद्ध  है. इसके अलावा अनेक वेटलैंड्स अंतर्राष्ट्रीय प्रणालियां भी हैं, जो दो या अधिक देशों की सीमाओं पर स्थित हैं या एक से अधिक देशों की नदियों की घाटियों का हिस्सा हैं.

इन वेटलैंड्स की स्थिति नदियों, धाराओं, झीलों या भूमिगत जल भंडारों से प्राप्त होने वाले पानी की गुणवत्ता और मात्रा पर निर्भर करती है.आपसी हितों के लिए अंतर्राष्ट्रीय विचार-विमर्श और सहयोग के ढांचे की जरूरत है. रामसर सम्मेलन की मुख्य विशेषताओं में जैव-विविधता और मानवीय प्रभाव की निगरानी करना वेटलैंड्स के संरक्षण के लिए कानून बनाने में सुधार, प्राकृतिक प्रबंधन में जैव-विविधता संरक्षण के लिए आर्थिक तंत्र का विस्तार, कमचटका क्षेत्र में नये संरक्षित क्षेत्रों (रामसर स्थलों) का संगठन, स्थानीय जनता के साथ कार्य करना और धन के श्रोतों की खोज करने जैसी सिफारिशें शामिल हैं.

प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण

प्रकृति ने हमें बेहतर जीवन जीने के लिए हमारे आस-पास बड़ी संख्या में संसाधन उपलब्ध कराए हैं.इस प्रकार पानी, भूमि, वायु, खनिज, वन, चारागाह, वन्यजीवन, मछली और यहां तक की मानव जनसंख्या जिसे मनुष्य अपने कल्याण के लिए उपयोग कर सकता है, को हम प्राकृतिक संसाधन  के रूप में रख सकते हैं. ये संसाधन मानव संसाधनों और पूंजी के साथ राष्ट्रीय उत्पादन का विस्तार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो अंतत: आर्थिक विकास का  महत्वपूर्ण कारक बनते हैं.इसलिए सतत् विकास के लिए  समाप्त हो रहे संसाधनों का सावधानीपूर्वक उपयोग और नवीकरणीय संसाधनों की गुणवत्ता के रख-रखाव की महती आवश्यकता है तथा इसके लिए विशेष उद्देश्य अपनाए जाने चाहिए.

पारिस्थितिकी संतुलन

'प्राणियों के समुदाय के अंतर्गत गतिशील संतुलन की ऐसी स्थिति जिसमें आनुवंशिकी, प्रजाति और पारिस्थितिकी विविधता धीरे-धीरे प्राकृतिक बदलावों के माध्‍यम से अपेक्षाकृत रूप से स्थिर बनी रहे और इस पारिस्थितिकी में प्रत्येक प्रजाति की संख्या में स्थिर संतुलन बना रहे' को पारिस्थितिकी संतुलन कहते हैं.

पारिस्थितिकी तंत्र में प्राकृतिक संतुलन का बना रहना अनिवार्य है. यह संतुलन नई प्रजातियों के  आगमन, कुछ प्रजातियों की अचानक मौत, प्राकृतिक आपदाओं और मानव निर्मित कारणों से असंतुलित हो सकता है.

सामान्य सम्पत्ति संसाधन (सीपीआर) में ऐसे सभी संसाधन शामिल हैं, जो ग्रामीणों के सामान्य उपयोग के लिए हैं.अंग्रेजों से पूर्व भारत में देश के प्राकृतिक संसाधनों का बड़ा हिस्सा ग्रामीण आबादी के लिए आसानी से उपलब्ध था.यह संसाधन मुख्य रूप से स्थानीय समुदायों के नियंत्रण में थे. धीरे-धीरे इन संसाधनों पर राज्य का नियंत्रण बढ़ने से समुदाय प्रबंधन प्रणाली में गिरावट हुई और कुछ वर्षों में ग्रामीणों के लिए उपलब्ध सीपीआर में अत्यधिक कमी आई. वस्तुतः ये सीपीआर ग्रामीण जनता के जीवन और आर्थिक स्थिति में अब भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. भारत में सीपीआर के अध्ययन की शुरूआत 1980 में हुई. इनमें से कुछ अध्ययन देश के विस्तृत क्षेत्र में फैले अनेक गांव में किए गए, जो  केवल अध्ययन स्वरुप के ही थे.जैव-विविधता या जैविक विविधता ऐसे शब्द हैं जो इस ग्रह पर जीवन की अनेक किस्मों और बहुलता का बखान करते हैं.जैव-विविधता में मौजूद अनेक प्रजातियां ही शामिल नहीं हैं, बल्कि जनसंख्या की विविधता भी शामिल है,जो प्रजातियों और किसी एक जीवधारी के जीवन की अनुवांशिक विविधता, अनेक किस्म के आवासों और विश्व में पारिस्थितिकी का निर्माण भी करती हैं. जैव-विविधता विश्व के प्राणियों की वह किस्म है, जिसमें उनकी अनुवांशिक विविधता और उनके द्वारा निर्मित जमघट भी शामिल है.जैव-विविधता को सबसे सामान्य रूप में प्रजाति विविधता तथा प्रजाति समृद्धि और जीन प्रजातियों और किसी क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र की समग्रता के रुप में प्रयुक्त किया जाता है.

जैविक विविधता को तीन भागों में विभक्त किया गया है

प्रजाति विविधता,

पारिस्थितिकी विविधता और

अनुवांशिकी विविधता.

भारत में वेटलैंड्स की सूची

हिमालयन वेटलैंड्स- इसमें लद्दाख एवं जंसकार पेंगांग सो, सो मोराड, चांटऊ, नूरीचान, चूशुल और हैनले मार्सेज, कश्मीर घाटी जिसमें डल, ऐंचर, बूलर, हेगाम, मालगाम, होकेसर और क्रांचू झीलें शामिल हैं.

केन्द्रीय हिमालय - नैनीताल, भीमताल, नौकुचीताल शामिल है.

पूर्वी हिमालय- सिक्किम, असम, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड और मणिपुर के अनेक वेटलैंड्स ब्रह्मपुत्र और बराकघाटी के बील्स शामिल हैं.

इंडो-गंगेटिक वेटलैंड्स- देश के सबसे बड़ी वेटलैंड्स प्रणाली है, जो पश्चिम में सिंधु नदी से लेकर पूर्व में ब्रह्मपुत्र तक फैली है. इनमें हिमालय तराई और इंडो-गंगेटिक मैदान के वेटलैंड्स शामिल हैं.

तटीय वेटलैंड्स- इसमें पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और गुजरात के 7500 किलोमीटर लंबे तट के साथ अंत:ज्वारीय क्षेत्र, वनस्पत्तियां और लैगून आते हैं. सुंदरबन, पश्चिम बंगाल, अंडमान निकोबार द्वीप  समूह के मैंग्रोवन कच्छ की खाड़ी, मन्नार की खाड़ी, लक्षदीप और अंडमान निकोबार द्वीप समूह के अप-तटीय प्रवाल, भित्तियां भी इसमें आती हैं.

दक्षिणी वेटलैंड्स- इसमें कुछ प्राकृतिक वेटलैंड्स आती हैं.असम के छोटे और बड़े जलाशय तथा हर गांव में मौजूद अनेक जल भंडारण टैंक भी इसमें शामिल हैं.

राष्ट्रीय वेटलैंड नीति

राष्ट्रीय वेटलैंड नीति में संरक्षण और सहयोग प्रबंधन, हानि रोकना, बहाली को प्रोत्साहन देना, टिकाऊ प्रबंधन आदि शामिल हैं. भारत में मौजूद वेटलैंड्स में से केवल 68 संरक्षित हैं, लेकिन ऐसे हजारों वेटलैंड्स हैं, जो जैविक और आर्थिक रुप से महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनकी कोई कानूनी स्थिति नहीं है. वेटलैंड्स योजना प्रबंधन और निगरानी संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क के अंतर्गत आती है.अनेक कानून वेटलैंड को संरक्षित करते हैं, लेकिन इनकी पारिस्थितिकी के लिए विशेष रूप से कोई कानून नहीं है. इनके लिए समन्वित पहुंच आवश्यक है, क्योंकि ये बहु-उद्देश्य उपयोगिता की आम संपत्ति हैं और इनका संरक्षण और प्रबंधन करना आम जिम्मेदारी है. वेटलैंड मामलों को सुलझाने के लिए उचित फोरम की स्थापना की जानी चाहिए.इसके लिए संबंधित मंत्रालयों को पर्याप्त निधि का आवंटन करने की आवश्यकता है. वैज्ञानिक जानकारी योजनाकारों को आर्थिक महत्व और लाभ समझाने में मदद करेगी. इस सम्बन्ध में जागरूकता पैदा करने की भी आवश्यकता है. आम जनता शैक्षिक और नैगमिक संस्थानों में इन वेटलैंड्स के संरक्षण में सतत् सफलता प्राप्त करने के लिए जागरूकता जरूरी है.

राष्ट्रीय वेटलैंड संरक्षण कार्यक्रम

सरकार ने वर्ष 1986 के दौरान संबंधित राज्य सरकारों के साथ सहयोग से राष्ट्रीय वेटलैंड संरक्षण कार्यक्रम शुरू किया था. इस कार्यक्रम के अंतर्गत अभी तक पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 115 वेटलैंड्स की पहचान की गई है, जहां संरक्षण और प्रबंधन पहल की जरूरत है. इस योजना का उद्देश्य देश में वेटलैंड्स के संरक्षण और उऩका बुद्धिमतापूर्ण उपयोग करना है, ताकि उनमें और गिरावट आऩे से उसे रोका जा सके.

कानून

भारत  वेटलैंड्स संरक्षण के लिए अप्रत्यक्ष रूप से नीति और कानूनी उपायों से प्रभावित है. कुछ मुख्य कानून हैं-

भारतीय मत्स्य अधिनियम 1857-

भारतीय वन अधिनियम 1927,

वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम 1972,

जल (संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम 1974,

समुद्रीय क्षेत्र अधिनियम 1976,

जल (संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम 1977,

वन्य (संरक्षण) अधिनियम 1980,

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986,

तटीय क्षेत्र विनियमन अधिसूचना 1991,

वन्य जीवन संरक्षण संशोधन अधिनियम 1991,

जैविक विविधता अधिनियम 2002 का निर्माण, वातावरण एवं विकास 1992 पर राष्ट्रीय संरक्षण नीति और नीति वक्तव्य पर किया गया था। जैव विविधता पर 1999 में राष्ट्रीय नीति और वृहद स्तर कार्रवाई नीति का गठन किया गया था।

वेटलैंड प्रबंधन की दिशा में सतत् विकास

वेटलैंड्स किसी विशिष्ट प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र के तहत अंकित नहीं है. इन पारिस्थितिकी तंत्र के प्रबंधन की प्राथमिक जिम्मेदारी पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के हाथ में है. कुछ यद्यपि  वेटलैंड्स वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम के गठन के बाद संरक्षित हैं,लेकिन इनके संरक्षण के लिए ऊर्जा, उद्योग, मत्स्य पालन, राजस्व, कृषि, परिवहन और जल संसाधन मंत्रालयों में प्रभावी समन्वय आवश्यक है. सतत् उपयोग के लिए पर्यावरण प्रबंधन समय की विशेष आवश्यकता है. देश में विभिन्न कारणों से ऑटोमोबाइल, रसायनों, उर्वरकों, कीटनाशकों के औद्योगिक विकास को पर्यावरण हानि के लिए अकसर जिम्मेदार ठहराया जाता है.पर्यावरण शिक्षित समाज की कमी, अपर्याप्त प्रबंधन, कानून लागू करने में कमजोरी और कम निवेश करके अधिक लाभ अर्जित करने का कॉर्पोरेट जगत का लोभ रासायनिक दुर्घटनाओं को बढ़ावा देकर सतत् विकास में असंतुलन पैदा कर सकता है.

निष्कर्ष

वेटलैंड पृथ्वी पर सबसे अधिक उत्पादक पारिस्थितिक तंत्र हैं. यह ऐतिहासिक दृष्टिकोण से सदियों से मानव सभ्यता का केंद्र रहे हैं. लेकिन दुर्भाग्यवश मानवजनित कारणों से पारिस्थितिकी सिस्टम का सबसे संवेदनशील हिस्सा पर्यावरण खतरे में है.

2016 वर्ल्ड वेटलैंड्स डे (2 फरवरी) के विषय के रूप में यह उचित सुझाव दिया गया कि वेटलैंड्स हमारा भविष्य है तथा टिकाऊ आजीविका सुनिश्चित करने का साधन है.भारत की वेटलैंड नीति और संरक्षण से सम्बंधित नीतियों के सम्बन्ध में  महात्मा गांधी का यह कथन बिलकुल सटीक बैठता है कि यहां सबकी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त सामग्री उपलब्ध है ना कि लालच को पूरा करने के लिए.

 

=> भारत-दक्षिण कोरिया संबंधों में मजबूती हेतु कोरिया प्लस पहल आरंभ

 

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण और दक्षिण कोरिया के व्यापार, उद्योग और ऊर्जा मंत्री जू ह्यूंगवान ने 18 जून 2016 को भारत में कोरियाई निवेश को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कोरिया प्लस नामक विशेष पहल की शुरूआत की.
कोरिया प्लस को 18 जून 2016 से लागू किया गया, इसमें कोरियाई सरकार के व्यापार, उद्योग और ऊर्जा मंत्रालय के प्रतिनिधि, कोरिया व्यापार निवेश संवर्धन संस्था (केओटीआरए) के प्रतिनिधि और साथ ही इनवेस्ट इंडिया के भी तीन प्रतिनिधियों को रखा गया है.

कोरिया प्लस का उद्देश्य
• कोरिया प्लस का उद्देश्य पहली बार भारतीय बाजार में प्रवेश करने वाले कोरियाई उद्यमों का समर्थन करना है.
• भारत में व्यापार करने के लिए कोरियाई कंपनियों द्वारा कठिनाईयों से सामना और उनकी ओर से भारत सरकार की नीतियों की वकालत आदि को इसके अंतर्गत लाया गया है.
• कोरिया प्लस बैठकों की व्यवस्था करने, जनसंपर्क और अनुसंधान / मूल्यांकन में सहायता और भारत में निवेश को इच्छुक कोरियाई कंपनियों को सूचना और परामर्श प्रदान के लिए एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करेगा.
• विगत वर्षों में भारत और कोरिया गणराज्य के संबंधों में काफी प्रगति हुई है. कोरिया प्लस इन संबंधों को और प्रगाढ़ करने में उत्प्रेरक के रूप में कार्य करेगा.
पृष्ठभूमि
कोरिया प्लस की स्थापना के समझौता ज्ञापन पर पहले ही कोरिया के व्यापार, उद्योग और ऊर्जा मंत्रालय तथा भारत के राष्ट्रीय निवेश संवर्धन एवं सरलीकरण संस्था के उपक्रम "इनवेस्ट इंडिया" के बीच जनवरी 2016 में हस्ताक्षर किए गए थे. यह समझौता ज्ञापन मई 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री की दक्षिण कोरिया दौरे का परिणाम है.

 

=> भारत ने तीरंदाज़ी विश्व कप में रजत पदक जीता

 

भारत की मिक्स टीम दीपिका कुमारी एवं अतानु दास ने 19 जून 2016 को तुर्की स्थित अंताल्या में आयोजित तीरंदाज़ी विश्व कप में रजत पदक जीता.
कोंयालती बीच पार्क में आयोजित फाइनल मुकाबले में भारतीय टीम एवं दक्षिण कोरिया के बीच मुकाबले का परिणाम 1-5 रहा.

भारतीय टीम कोरिया की शीर्ष वरीयता प्राप्त चोई मिसुन एवं कु बोंचन से 0-2 से पिछड़ गयी लेकिन फाइनल में भारत ने 1-5 स्कोर हासिल किया.
छठी वरीयता प्राप्त भारतीय टीम ने सेमीफाइनल में दूसरी वरीयता प्राप्त मौरो नेस्पोली एवं गुएनदलिना सर्तोरी को सीधे सेटों में 5-1 से हराया.
इसके अतिरिक्त महिला टीम में दीपिका कुमारी, बोम्बाल्या देवी एवं लक्ष्मीरानी माझी ने इटली की टीम के साथ खेलते हुए 1-5 स्कोर के साथ कांस्य पदक जीता.

 

=> मर्सडीज़ ड्राईवर निको रोसबर्ग ने यूरोपियन ग्रां प्री जीती

 

जर्मनी के फार्मूला वन ड्राईवर निको रोसबर्ग ने 19 जून 2016 को अजरबैजान में पहली बार आयोजित यूरोपियन फॉर्मूला वन ग्रां प्री रेस जीती.
एफ वन में भारतीय टीम फोर्स इंडिया के मेक्सिको के रेसर सर्जियो पेरेज ने शानदार प्रदर्शन करते हुए तीसरा स्थान हासिल किया.
रोसबर्ग का 2016 में यह पांचवां यूरोपियन ख़िताब था, इससे पहले वे ऑस्ट्रिया, बहरीन, चीन एवं रूस में ख़िताब जीत चुके हैं. रोसबर्ग के साथी खिलाड़ी, ब्रिटेन के लुईस हेमिलटन अजरबैजान में आयोजित इस रेस में पांचवें स्थान पर रहे. 
वर्ष 2006 से लेकर अब तक उन्होंने अब तक 19 ख़िताब जीते हैं.

यूरोपियन ग्रां प्री
•    फार्मूला 1 आयोजन 1980 के मध्य से आरंभ किया गया. वर्ष 1999-2012 तक इसका लगातार आयोजन किया गया.
•    वर्ष 2013 से दोबारा इसका आयोजन नहीं किया गया. वर्ष 2016 में इसका फिर से अजरबैजान में आयोजन किया गया.
•    शुरूआती दौर में यूरोपियन ग्रां प्री रेस नहीं थी इसे केवल एक ख़िताब माना गया था.
•    पहली यूरोपियन रेस 1923 में इटालियन ग्रां प्री थी एवं 1977 में ब्रिटिश ग्रां प्री आरंभ की गयी.
•    इसके दोबारा आरंभ किये जाने के बाद से, यूरोपियन ग्रां प्री का किसी यूरोपियन देश में ही आयोजन किया जाता है

 

=> बिपिन आर पटेल गुजरात चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष नियुक्त

 

व्यापारी बिपिन आर पटेल को 18 जून 2016 को गुजरात चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. उन्हें सत्र 2016-17 के लिए जीसीसीआई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. वे रोहित जे पटेल का स्थान लेंगे.
इस संबंध में जीसीसीआई की वार्षिक बैठक में निर्णय लिया गया. एक अन्य निर्णय में शैलेश पटवारी को चैम्बर का उपाध्यक्ष चयनित किया गया.
गुजरात चैम्बर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (जीसीसीआई)
•    चैम्बर की स्थापना 1949 में कस्तूरभाई लालभाई एवं अमृतलाल हरगोवनदास द्वारा की गयी.
•    जीसीसीआई, सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट-1860 के तहत पंजीकृत है.

•    यह गुजरात में उद्योग और व्यापार के विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियां एवं वातावरण बनाये रखने के लिए काम करता है.
•    इसके कुल 2983 सदस्य हैं जिसमें 176 से अधिक व्यापार एवं वाणिज्य संगठन तथा राज्यों के चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स शामिल हैं.

 

=> शहरी बिजली वितरण क्षेत्र के उपभोक्ताओं के साथ बेहतर संपर्क बनाने के लिए ‘ऊर्जा’ मोबाइल एप्लिकेशन का शुभारंभ

 

बिजली, कोयला एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने 16 जून 2016 को ‘ऊर्जा’ मोबाइल एप्लिकेशन का शुभारंभ किया.

दक्षिण गोवा में दो दिन के बिजली मंत्रियों के सम्मेलन के मौके पर केंद्रीय बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने इस मोबाइल एप को जारी किया.

ऊर्जा’ मोबाइल एप्लिकेशन की मुख्य विशेषताएं:

•    इस एप का मकसद शहरी बिजली वितरण क्षेत्र का उपभोक्ताओं के साथ संपर्क बेहतर करना है.

•    एप के माध्यम से उपभोक्ताओं को चोरी के कारण बिजली की आपूर्ति बाधित होने और खराब इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से जुड़ी सूचनाएं तथा इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने में मदद मिलेगी.

•    इसके ज़रिये उपभोक्ताओं को बिजली कटौती, समय पर कनेक्शन जारी करने तथा शिकायतों के निपटान के बारे में जानकारी दी जाएगी साथ ही ये एप बिजली चोरी पर लगाम लगाने में सरकार की मदद भी करेगा.

•    बिजली मंत्रालय के लिए ‘ऊर्जा’ एप को पावर फाइनेंस कारपोरेशन ने विकसित किया है.

 

=> भारत ने बुडापेस्ट ओपन एथलेटिक्स मीट की जैवलिन थ्रो स्पथर्धा में दो स्वर्ण और दो रजत पदक जीता

 

भारत ने 19 जून 2016 को बुडापेस्ट ओपन एथलेटिक्स मीट की जैवलिन थ्रो स्पथर्धा में दो स्वर्ण और दो रजत पदक जीते.

राष्ट्रीय रिकॉर्डधारी अन्नु रानी ने 57.24 मीटर की थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता जबकि दक्षिण एशियाई खेलों की चैंपियन सुमन देवी ने 55.38 मीटर की थ्रो के साथ रजत अपने नाम किया.

पुरुष स्पर्धा में शिवपाल सिंह ने 76.74 मीटर की थ्रो के साथ स्वर्ण पदक जीता. भारत के ही राजिन्दर सिंह ने इस स्पर्धा में रजत हासिल किया.

 

=> शमिंदा इरंगा संदिग्ध बॉलिंग एक्शन के कारण निलंबित किये गये

 

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् (आईसीसी) द्वारा श्रीलंका के तेज गेंदबाज शमिंदा इरंगा को गलत बॉलिंग एक्शन के कारण 19 जून 2016 को निलंबित किया गया.  
श्रीलंका एवं इंग्लैंड के बीच 30 मई 2016 को हुए दूसरे टेस्ट मैच के बाद मैच अधिकारियों ने श्रीलंकाई टीम को एक्शन की संदिग्धता को लेकर रिपोर्ट सौंपी थी. इसके बाद शामिंदा को 14 दिनों के भीतर आईसीसी के समक्ष एक्शन की जांच करवानी थी जिसमे में फेल हुए.

 

विश्व शरणार्थी दिवस 20 जून को विश्व भर में मनाया गया

विश्व शरणार्थी दिवस 20 जून 2016 को दुनिया भर में मनाया गया. यह दिवस शरणार्थियों की दुर्दशा की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रतिवर्ष मनाया जाता है, यह दिवस उनके साहस और शरणार्थी समस्याओं को हल करने की प्रतिबद्धता को दर्शाने के लिए मनाया जाता है.

यह विभिन्न देशो से जुड़े हुए, उनकी मेजबानी करते हुए शरणार्थीयों के योगदान को भी मान्यता देता है.

विश्व शरणार्थी दिवस (World Refugee Day)

अनेक देश अलग-अलग तिथियों में अपने यहां शरणार्थी दिवस मनाते हैं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण अफ्रीका शरणार्थी दिवस है, जो 20 जून को प्रति वर्ष मनाया जाता रहा है. दिसंबर 2000 में संयुक्त राष्ट्र ने अफ्रीका शरणार्थी दिवस यानी 20 जून को प्रतिवर्ष विश्व शरणार्थी दिवस (World Refugee Day) मनाने का निर्णय लिया. वर्ष 2001 से प्रति वर्ष संयुक्त राष्ट्र के द्वारा 20 जून को विश्व शरणार्थी दिवस (World Refugee Day) मनाया जा रहा है. इस दिन को मनाने का मुख्य कारण लोगों में जागरुकता फैलानी है कि कोई भी इंसान अमान्य नहीं होता फिर चाहे वह किसी भी देश का हो. एकता और समंवय की भावना रखते हुए हमें सभी को मान्यता देनी चाहिए. म्यांमार, लीबिया, सीरिया, अफगानिस्तान, मलेशिया, यूनान और अधिकांश अफ़्रीकी देशों से हर साल लाखों नागरिक दूसरे देशों में शरणार्थी के रूप में शरण लेते हैं. संयुक्त राष्ट्र की संस्था युएनएचसीआर(United Nations High Commissioner for Refugees) रिफ्यूजी लोगों की सहायता करती है.

 

=> भारत और थाईलैण्ड ने संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए

 

भारत और थाईलैंड ने 17 जून 2016 को शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में दो समझौते किए हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारत की यात्रा पर आए थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रायुत चान ओ चा और दोनों देशों के बीच शिष्टमंडल स्तर की वार्ता के बाद ये समझौते किए गए.

भारत और थाईलैंड रक्षा और नौवहन के क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाएंगे.

थाईलैंड के प्रधानमंत्री प्रायुत चान ओ चा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दोनों देशों के आतंकवाद के खतरों से निपटने के लिए सुरक्षा सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है.

थाईलैंड के पर्यटकों की संख्या बढ़ाने के लिए भारत जल्दी ही दोहरा ई-पर्यटक वीजा जारी करेगा.

भारत और थाईलैंड ने भारत-म्यांकमा-थाईलैंड के बीच त्रिपक्षीय राजमार्ग के निर्माण को पूरा करने को सर्वोच्चल प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है.

तीनों देशों के बीच मोटर वाहन समझौते पर शीघ्र हस्तालक्षर को भी प्राथमिकता दी जाएगी.

मोदी और चान ओ चा ने अगले वर्ष थाईलैंड में भारत पर्व और भारत में थाईलैंड पर्व मनाये जाने की भी घोषणा की.

 

=> बोइंग और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड हैदराबाद में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी संयंत्र लगाएंगे

 

बोइंग और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (टीएएसएल) ने 18 जून 2016 को बोइंग एएच-64 अपाचे हेलीकॉप्टर के ढांचे व अंतरिक्ष संबंधित अन्य ढाचों के उत्पादन के लिए एक संयंत्र स्थापित करने का घोषणा किया है.

रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने आदिबाटला शहर के बाहरी हिस्से में स्थित अंतरिक्ष विशेष आर्थिक क्षेत्र(सेज) में टाटा बोइंग एयरोस्पेस लिमिटेड (टीबीएएल) की आधारशीला रखी.

इस संयंत्र में अंतरिक्ष में एकीकृत प्रणाली पर भी काम होगा.

हैदराबाद का यह संयंत्र एएच-64 का ढांचा तैयार करनेवाला विश्व का अकेला संयंत्र होगा.

एच-64 विश्व का सबसे उन्नत बहुउद्देश्यीय लड़ाकू हेलीकॉप्टर है और अमेरिकी सेनाओं सहित कई अन्य देशों की सेनाएं इसका इस्तेमाल करती हैं, जिसमें भारत भी शामिल है.

इस संयुक्त उद्यम को रक्षा क्षेत्र का सबसे बड़ा विदेशी निवेश करार दिया है और यह केंद्र  सरकार के 'मेक इन इंडिया' अभियान को बढ़ावा देनेवाला है. बोइंग और टीएएसएल के बीच पिछले साथ अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र के निर्माण को लेकर साझेदारी स्थापित करने पर सहमति बनी थी, जिसमें मानव रहित विमानों का निर्माण भी शामिल है.

टीएएसएल ने इसके अलावा और कई बड़ी कंपनियों से हाथ मिलाया है, जिसमें रूआग, पिलाटस, लाकहीड मार्टिन, सिकोरस्काई और एयरबस शामिल हैं.

बोइंग इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन इंडिया प्राइवेट लिमिटेड:

•    बोइंग विश्व की सबसे बड़ी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी कंपनी है.

•    वाणिज्यिक जेट विमानों और रक्षा, अंतरिक्ष और सुरक्षा प्रणालियों का निर्माण करती है.

टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड:

•    टीएएसएल टाटा संस की पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी है.

•    टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड का मुख्यालय हैदराबाद में है.

•    इसे बोइंग के सीएच-47 चिनूक और एएच-6आई हेलीकॉप्टर के ढांचे के निर्माण का ठेका मिला है.

 

=> केंद्र सरकार ने रक्षा एवं नागरिक उड्डयन में सौ प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दी

 

केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को 20 जून 2016 को मंजूरी दे दी. इसके अलावा सिविल एविऐशन में भी सरकार ने 100 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दी. ब्रॉडकास्टिंग क्षेत्र में भी नियमों में संशोधन करते हुए निवर्तमान एफडीआई को 49 से बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया गया.

संबंधित मुख्य तथ्य:
•    रक्षा क्षेत्र (डिफेंस सेक्टर) में आर्म्स एक्ट 1959 के अनुसार छोटे हथियार और उसके पार्ट्स में ही एफडीआई लागू होगा. 
•    वहीं सिविल एविएशन सेक्टर में ब्राउनफिल्ड एयरपोर्ट प्रोजेक्ट के लिए सौ फीसदी एफडीआई को मंजूरी मिल गई.
•    केंद्र सरकार द्वारा फूड प्रोडक्ट बनाने सहित ऑनलाइन व्यापार में भी एफडीआई को मंजूरी मिल गई है. 
•    इसके साथ ही डीटीएच, मोबाइल टीवी, केबल नेटवर्क व्यापार में भी एफडीआई का रास्ता खुल गया है. 
•    फार्मा सेक्टर में ग्रीनफिल्ड और ब्राउनफिल्ड दोनों में ऑटोमेटिक रूट से पूरी तरह एफडीआई मंजूर हो गई है.
•    प्राइवेट, सिक्योरिटी एजेंसी में 49 फीसदी, वहीं एनिमल हस्बेंडरी में नियंत्रित पर 100 प्रतिशत एफडीआई के प्रस्ताव को मंजूरी मिली.
•    सिंगल ब्रांड खुदरा कारोबार में नियमों में ढील देते हुए तीन और पांच सालों के लिए टेक्नोलॉजी प्रोडक्ट में पहले से 49 फीसदी एफडीआई को बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया गया है.

 

=> नासा ने एक्स-57 हाइब्रिड इलेक्ट्रिक रिसर्च विमान लॉन्च किया

 

नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने 17 जून 2016 को एक्स-57 हाइब्रिड इलेक्ट्रिक रिसर्च विमान लॉन्च किया. इस विमान को ‘मैक्सवेल’ उपनाम दिया गया है.
इस विमान में प्रोपेलर के तौर पर 14 इलेक्ट्रिक मोटर लगी हैं तथा इसके पंख भी विशेष रूप से तैयार किये गये हैं. नासा इस विमान को नवीन प्रोपलज़न तकनीक के लिए प्रयोग करेगा.
एक्स-57 हाइब्रिड इलेक्ट्रिक रिसर्च विमान
•    इसका नाम 19वीं सदी के स्कॉटिश भौतिकी वैज्ञानिक जेम्स क्लर्क मैक्सवेल के नाम पर रखा गया. उन्होंने इलेक्ट्रो-मैगनेटिज्म में विशेष योगदान दिया.
•    एक कलाकार द्वारा तैयार डिजाईन में दिखाया गया है कि इसके पंखों में 14 इलेक्ट्रिक मोटर लगाई गयी हैं.
•    नासा के वैज्ञानिक मैक्सवेल द्वारा यह दर्शाएंगे कि किस प्रकार इलेक्ट्रिकन प्रोपलज़न द्वारा विमानों द्वारा होने वाले शोर को कम किया जा सकता है.
•    मैक्सवेल में केवल बैटरी द्वारा उर्जा प्रदान की जाएगी. इसमें कार्बन उत्सर्जन भी कम होता है.
•    इससे यात्रियों के समय की बचत भी होगी क्योंकि इसमें प्रयोग होने वाले ईंधन (विद्युत्) के लिए जगह-जगह रुकना नहीं पड़ेगा. इससे उर्जा स्रोतों की भी बचत होगी.

टिप्पणी
नासा के इस प्रयोग से एक्स-57 से विमानन क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत हो सकती है.
वर्ष 1947 में एक्स सीरीज़ का पहला विमान एक्स-1 लाया गया जो ध्वनि की गति से तेज़ था. इसके बाद एक्स-1 परियोजना से अमेरिका की सैन्य जरूरतों, औद्योगिक क्षमताओं और अनुसंधान सुविधाओं तथा युद्ध के उपरांत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु सहायता प्राप्त हुई.

 

=> ‘क्लस्टर बम’ निर्माताओं के वित्तपोषण के लिए भारतीय स्टेट बैंक ‘हॉल ऑफ शेम’ की सूची में शामिल

 

सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को 19 जून 2016 को क्लस्टर बम बनाने वाली कंपनियों में निवेश के लिए "हॉल ऑफ शेम" यानी बदनामों की सूची में शामिल किया गया है.

इससे संबंधित मुख्य तथ्य:

कुल 158 बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों ने क्लस्टर बम बनाने वाली कंपनियों में अरबों डॉलर का निवेश किया है. एसबीआई इस सूची में एकमात्र भारतीय संस्थान है.

सूची में वैश्विक दिग्गज कंपनियां मसलन जे पी मॉर्गन, बार्कलेज, बैंक ऑफ अमेरिका और क्रेडिट सुइस शामिल हैं.

इन संस्थानों ने जून 2012 से अप्रैल 2016 के बीच क्लस्टर बम बनाने वाली सात कंपनियों में 28 अरब डॉलर का निवेश किया है. नीदरलैंड के अभियान समूह पैक्स की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

अमेरिका तथा भारत में इस तरह की वाणिज्यिक परियोजनाओं में वित्तपोषण पर कोई रोक नहीं है.

क्लस्टर युद्धक सामग्री (सीसीएम) पर संधि में क्लस्टर जंगी सामान के इस्तेमाल, उत्पादन, भंडारण और स्थानांतरण पर रोक है. इस संधि पर 94 देशों ने 2008 में दस्तखत किए थे. यह संधि 1 अगस्त 2010 से लागू हुई.

इस सूची में ज्यादातर वे देश शामिल हैं जिन्होंने संधि पर दस्तखत नहीं किए हैं. एसबीआई को इस सूची में अमेरिकी कंपनी आर्बिटल एटीके के वित्तपोषण के लिए शामिल किया गया है.