1st Feb to 2nd Feb 2015

अरविंद जैन उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक नियुक्त

02-FEB-2015

उत्तर-प्रदेश सरकार ने 31 जनवरी 2015 को अरविंद जैन को उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक पद पर नियुक्त किया. वे उत्तर-प्रदेश के निवर्तमान पुलिस महानिदेशक अरुण गुप्ता का स्थान लेंगे, जो 31 जनवरी 2015 को सेवानिवृत हो गए. जैन, अखिलेश सरकार में सातवें डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) बनें.  जैन का कार्यकाल सिर्फ दो माह (31 मार्च 2015 तक) का होगा.

अरविंद जैन से संबंधित मुख्य तथ्य

वर्ष 1979 बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी अरविंद जैन मूल रूप से सहारनपुर (उत्तर-प्रदेश) के निवासी हैं. उन्होंने मेरठ के सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की.

स्वाइन इन्फ्लुएंज़ा

02-FEB-2015

दिसम्बर 2014 और जनवरी 2015 में स्वाइन इन्फ्लुएंज़ा नामक बीमारी चर्चा में रही. देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अब तक स्वाइन फ्लू के 41 मामले सामने आ चुके हैं. इनमें से 04 मामले वैसे हैं जिनमें पीड़ित की मौत भी हो चुकी है. विशेषज्ञों के विचार में स्वाइन फ्लू के विषाणु अब कमजोर पड़ चुके हैं और यह केवल मौसमी फ्लू है.
स्वाइन फ्लू से प्रभावित होने वाले लोगों की संख्या में अचानक आई ये वृद्धि कोहरे के कारण है जो गर्मी आने और बढ़ने के साथ खत्म हो जाएगी. ऐसे परिदृश्य में आम लोगों के लिए स्वाइन फ्लू के कारण, प्रकृति और बचाव के बारे में जानकारी आवश्यक है. 
क्या है स्वाइन फ्लू-
स्वाइन फ्लू  एक ऐसा संक्रमण है जो विभिन्न प्रकार के स्वाइन इन्फ्लूएंज़ा विषाणु के कारण  फैलता है. सूअरों में पाई जाने वाले स्वाइन इंफ्लूएंज़ा विषाणु इंफ्लूएंज़ा विषाणुओं के परिवार की ही एक नस्ल है. 
वर्ष 2009 में यह पता चला कि स्वाइन इंफ्लूएंज़ा विषाणु की इस नस्ल में इंफ्लूएंज़ा ए और इंफ्लूएंज़ा सी विषाणु है. यह दोनों विषाणु छह ज्ञात विषाणुओं की सूची में शामिल हैं. मानव इंफ्लूएंज़ा (इंफ्लूएंज़ा परिवार के विषाणुओं का मानवों पर आक्रमण) फैलाने वाले तीन विषाणुओं में से दो विषाणु वही हैं जो सूअरों में भी इस बीमारी के प्रेषण के कारक माने जाते हैं. 
सामान्यतया सूअरों में इंफ्लूएंज़ा ए विषाणु पाये जाते हैं जबकि उनमें  इंफ्लूएंज़ा सी कम देखी जाती है. स्वाइन इन्फ्लूएंज़ा विषाणुओं में इंफ्लूएंज़ा ए के उप-समूह एच1एन1, एच1एन2 और एच2एन3 आदि शामिल हैं.

कैसे होता है इसका संक्रमण -

स्वाइन इन्फ्लूएंज़ा सूअरों में आसानी से लेकिन मानवों के बीच इसका संक्रमण दुर्लभ होता है. वैसे लोग जो सूअरों के सम्पर्क में लगातार बने रहते हैं उनमें इस संक्रमण का ज़ोखिम अधिक रहता है.

संयुक्त राज्य अमेरिका में कुल नवजात सूअरों में से करीब आधे में यह विषाणु पाये गये हैं. पॉलट्री में काम करने वाले लोगों को ज़ूनोटिक संक्रमण (ज़ूनोसिस) का खतरा अत्यधिक होता है.

‘जूनोसिस’ जानवरों की संक्रामक बीमारी है जो मानवों में स्थानांतरित हो जाती है. इबोला और स्वाइन इन्फ्लूएंज़ा ज़ूनोसिस के ही उदाहरण हैं.
वर्ष 2009 की चर्चित एच1एन1 विषाणु ज़ूनोटिक स्वाइन फ्लू नहीं थी क्योंकि मानवों में इसका स्थानांतरण सूअरों से नहीं बल्कि मानवों से ही हुआ था. ऐसे लोगों के बीच इनसे बचने के लिए टीका और इसका लोगों में अधिक फैलाव को रोकना एक महत्तवपूर्ण कदम हो सकता है. 
सूअरों से मानवों में इन्फ्लूएंज़ा का सीधा स्थानांतरण दुर्लभ है. इसका प्रमाण है कि वर्ष 1958 से अब तक ऐसे केवल 50 मामलें ही सामने आए हैं. स्वाइन का मानवों में स्थानांतरण मुख्य रूप से स्वाइन फार्मों में ही होता है जहाँ किसानों का सूअरों से सीधा सम्पर्क होता है. मानवों के बीच इन्फ्लूएंज़ा का फैलाव खाँसने अथवा छींकने से होता है. इसके परिणामस्वरूप दूसरे मनुष्यों में भी यह संक्रमण फैल जाता है. यह विषाणु साथ भोजन करने से नहीं फैलता.
वैश्विक स्तर पर स्वाइन इन्फ्लूएंज़ा की घटनाएं-
अमेरिका में  इस इन्फ्लूएंज़ा का आक्रमण वर्ष 1976 में हुआ था. इससे बचाव के लिए व्यापक स्तर पर टीकाकरण अभियान चलाया गया था जिसके परिणामस्वरूप केवल एक पीड़ित व्यक्ति ही मौत का शिकार बना. वर्ष 2009 में एच1एन1 विषाणु के फैलाव का सामना भारत समेत अमेरिका और मैक्सिको जैसे देशों को करना पड़ा था. इस फ्लू के कारण करीब 1800 लोग काल के गाल में समा गए. वर्ष 2010 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह घोषणा कर दी कि स्वाइन इन्फ्लूएंज़ा का खतरा टल चुका है. 

स्वाइन फ्लू से बचाव-
इससे बचाव की तकनीक का मतलब होता है कि किस प्रकार इसके विषाणु को ज्यादा लोगों के बीच फैलने से रोका जा सके. बचाव की तकनीकों में संक्रमण नियंत्रण के मानक तरीकें 
शामिल हैं जैसे हाथों का धोना और विशेषकर तब जब लोग बाहरी वातावरण के संपर्क में होकर आए हों. 
विशेषज्ञों में इस बात को लेकर सहमति है कि हाथों की सही तरीके से धुलाई लोगों में इसके विषाणु के फैलाव को रोक सकता है. लोक स्वास्थ्य और उत्तरदायी प्राधिकारों के पास इस फ्लू से बचाने के लिए कार्य योजना होती है जो इसकी भयावहता के आधार पर लोगों से सामाजिक दूरी बनाने की गुजारिश करती है.  
किसानों और अन्य लोगों को (जिनका पशुओं और विशेषकर सूअरों) संक्रमित पशुओं के पास जाते वक्त चेहरे पर मास्क पहनकर जाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. सूअरों से मनुष्यों में इस विषाणुओं के संक्रमण को रोकने के लिए उनका टीकाकरण एक वृहद और व्यापक तरीका है. 
स्वाइन इंफ्लूएंज़ा के उपचार के लिए टीके-
विभिन्न प्रकार के स्वाइन फ्लू के लिए कई टीके उपलब्ध हैं. बीमारी नियंत्रण और रोकथाम केंद्र, अमेरिका इस संक्रमण के उपचार अथवा रोकथाम के लिए ओसेल्टामिविर (टेमिफ्लू) या ज़ानामिविर (रेलेंज़ा) जैसे टीकों की संस्तुति करते हैं. 
इस विषाणु से संक्रमित होने वाले अधिकांश लोग बिना किसी विशेष चिकित्सीय देखभाल अथवा विषाणु रोधी ड्रग्स के बिना भी पूर्णतया स्वस्थ हो सकते हैं.

भारत-अमेरिका मित्रता की दिल्ली घोषणा

02-FEB-2015

भारत और अमेरिका के मध्य मित्रता को सुदृढ़ करने हेतु 25 जनवरी 2015 को दिल्ली घोषणा हुई. भारत और अमेरिका, सुदृढ़ मित्रता और दोनों देशों के संबंधों को व्यापकता देने वाली ‘दिल्ली घोषणा’ के साथ पुरानी रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने पर सहमत हुए.

दिल्ली घोषणा, दो देशों (भारत और अमेरिका) को दो लोकतंत्रों की अंतर्निहित क्षमता के उपयोग की प्रतिबद्धता व्यक्त करती है और उनके संबंधों को ऊपर उठाने और मतभेद के क्षेत्रों की ओर संबंधित सरकारों की प्रतिबद्धता जताती है. मित्रता की घोषणा के माध्यम से राष्ट्रीय सिद्धांतों और कानूनों को ध्यान में रखते हुए भारत और अमेरिका निम्नलिखित बिन्दुओं का सम्मान करते हैं:  
• रोजगार सृजन, समावेशी विकास तथा आय बढाने वाली आर्थिक नीतियों का मूल केन्द्र का.
• समाज के सभी सदस्यों के उत्थान तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए व्यापार और आवश्यक निवेश को प्ररित करने वाला पारदर्शी व नियम आधारित बाजार का.
• लोकतंत्र सक्षम गवर्नेंस और मौलिक स्वतंत्रताओं के जरिए हमारी जनता के लिए समान अवसर का.
• एक मुक्त, न्यायपूर्ण सतत और समावेशी नियम आधारित विश्व व्यवस्था का.
• द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को मजबूत बनाने के महत्व का.
• राष्ट्रीय, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय प्रयासों से जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समाप्त करने और नए उपायों को अपनाने का महत्व का.
• सतत समावेशी विकास का हमारे दो देशों तथा विश्व पर पड़ने वाले लाभकारी प्रभाव का.
मित्रता की इस घोषणा के भाग के रूप में हम प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैः
• बढ़ती अवधि के साथ नियमित शिखर बैठकों का आयोजन.
• भारत के प्रधानमंत्री और अमेरिका के राष्ट्रपति तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच हॉटलाइन की स्थापना.
• रणनीतिक महत्व की परियोजनाओं पर साझा उद्यम विकसित करने में सहयोग.
• सार्थक सुरक्षा और कारगर आतंकवाद विरोधी सहयोग.
• क्षेत्रीय एवं बहुपक्षीय वार्ता का आयोजन.
• बहुराष्ट्रीय मंचों पर नियमित विचार-विमर्श एवं परामर्श.
• पूरे विश्व में सतत एवं समावेशी विकास बढ़ाने के लिए हमारे लोगों की मजबूती और उनकी योग्यता का लाभ लेना.  
• रणनीतिक वार्ता को रणनीतिक एवं वाणिज्कि वार्ता का दर्जा देना, जिसमें रणनीतिक तत्वों की अध्यक्षता भारत और अमेरिका के विदेश मंत्री करेंगे और बातचीत के वाणिज्यिक घटकों पर भारत-अमेरिका के वाणिज्य मंत्री वार्ता करेंगे. यह व्यवस्था पारस्परिक समृद्धि, क्षेत्रीय आर्थिक वृद्धि एवं स्थायित्व को बढ़ाने के लिए वाणिज्यिक और आर्थिक संबंधों की मजबूती के प्रति अमेरिका और भारत की प्रतिबद्धता को सुनिश्चित करेगा.

जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल बालीवुड अभिनेता दिलीप कुमार लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित

02-FEB-2015

बालीवुड अभिनेता दिलीप कुमार को ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से 1 फरवरी 2015 को सम्मानित किया गया. उन्हें यह सम्मान 7वें जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (JIFF) के पांच दिवसीय उत्सव के उद्घाटन समारोह में प्रदान किया गया. दिलीप कुमार की ओर से यह सम्मान अनुपम खेर ने ग्रहण किया. 
समारोह के दौरान जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (JIFF)  का प्रथम ‘इंटरनेशनल लाइफटाइम अचीवमेन्ट अवॉर्ड’ ईरान के फिल्मकार माजिद माजिदी को दिया गया. माजिद माजिदी की ओर से यह सम्मान मिस ईरान मेलिका ऐमिना ने ग्रहण किया.
इस सम्मान के तहत दोनों विजेताओं को शॉल, श्रीफल एवं सर्टिफिकेट प्रदान किया गया. 
7वें जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल का आयोजन जयपुर के गोलछा सिनेमा में 1-5 फरवरी 2015 के मध्य किया जा रहा है. इसके उद्घाटन सत्र में अनुपम खेर तथा शाजी एन. करुण के अलावा राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्मकार डॉ. बीजू, अभिनेत्री पल्लवी जोशी एवं फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री मौजूद थे.
जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के संस्थापक फिल्म निर्देशक हनु रोज हैं. 
अभिनेता दिलीप कुमार से सम्बंधित मुख्य तथ्य 
• फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार की जीवनी ‘सब्स्टांस एंड शेडो’  है उनके पारिवारिक मित्र ‘उदय तारा नायर’ द्वारा लिखी गई.
• कई फिल्मों में ज्यादा भावुक किरदार निभाने के कारण दिलीप कुमार को ‘ट्रेजडी किंग’ के नाम से भी जाना जाता है. 
• वर्ष 2000 में राज्य सभा के सदस्य रहे. 
• दिलीप कुमार को वर्ष 1991 में ‘पद्म भूषण’ और वर्ष 1994 में ‘दादा साहेब फाल्के’ पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया.
• वर्ष 1980 मे उन्हें सम्मानित करने के लिए मुंबई का शेरिफ घोषित किया गया.
• वर्ष 1998 मे उन्हें पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-इम्तियाज़’ प्रदान किया गया.
फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार
1983 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - शक्ति
1968 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - राम और श्याम
1965 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - लीडर
1961 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - कोहिनूर
1958 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - नया दौर
1957 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - देवदास
1956 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - आज़ाद
1954 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार – दाग

संघीय सरकार ने कोल इंडिया लिमिटेड में अपनी 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची

02-FEB-2015

संघीय सरकार ने 30 जनवरी 2015 को महारत्न के दर्ज़े वाले कोल इंडिया लिमिटेड में अपनी 10 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची.सीआईएल में सरकार की हिस्सेदारी घटकर 79.65 हो गई. 
सरकार ने ऑफर फॉर सेल के द्वारा 358 रूपये प्रति अंश की फ्लोर प्राइस पर सीआईएल में अपनी 10 प्रतिशत हिस्सेदारी यानी 63.16 करोड़ अंश बेच दिये. विनिवेश की इस प्रक्रिया से सरकार को राजस्व के तौर पर 22,557.63 करोड़ रूपए की प्राप्ति हुई. 
बिक्री के लिए ऑफर की गई सीआईएल के कुल अंशों की सब्सक्रिप्शन करीब 5 प्रतिशत अधिक हुई.बिक्री के लिए ऑफर की गई 63.16 करोड़ अंशों के मुकाबले कुल 67.5 करोड़ अंशों के लिए बोली लगाई गई. 
केंद्रीय लोक उद्यमों के बीच यह अब तक की सबसे बड़ी विनिवेश थी और इसमें बेची गई हिस्सेदारी वर्ष 2010 में सीआईएल की इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग से जुटाई गई 15,000 करोड़ रूपये की राशि से कहीं अधिक थी. 

टिप्पणी-
विनिवेश के जरिये मिली इस बड़ी राशि की प्राप्ति से सरकार अपने राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.1 प्रतिशत तक करने के अपने निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति  कर सकती है . इस लक्ष्य का निर्धारण 2014-15 के बजट में किया गया था. 
सरकार ने केंद्रीय बजट 2014-15 में सरकारी स्वामित्व वाली औद्योगिक ईकाईयों के विनिवेश से 43,425 करोड़ रूपये जुटाने का लक्ष्य निर्धारित किया था.
वित्तीय वर्ष 2014-15 के पहले विनिवेश में सरकार नें स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड की स्टॉक बेचकर 1,700 करोड़ रूपये जुटाये. इसके अधिकांश स्टॉक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और भारतीय जीवन बीमा निगम ने खरीद लिया

शहरी सहकारी बैंकों के लिए आरबीआई ने आर गांधी की अध्यक्षता में उच्चाधिकार समिति का गठन किया

02-FEB-2015

30 जनवरी 2015 को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शहरी सहकरी बैंकिंग (यूसीबी) क्षेत्र के लिए व्यापार, आकार, रूपांतरण और लाइसेंस देने की शर्तों की फिर से जांच और उचित सिफारिशों हेतु आर गांधी की अध्यक्षता में उच्चाधिकार समिति का गठन किया. 
आठ सदस्यी इस समिति के अध्यक्ष भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर आर गांधी होंगे. समिति अपनी पहली बैठक की तारीख से तीन महीनों के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी.
उच्चाधिकार समिति के सदस्य होंगे
•आर गांधी
•एम ए नार्मावाला
•एमवी तंकसाले
•डॉ. एमएल अभ्यंकर
•एसके बनर्जी
•डी कृष्णा
•जोसेफ राज
उच्चाधिकार प्राप्त समिति के विचारार्थ 
• शहरी सरकारी बैंकों को शुरु करने के लिए दिए जाने वाले बिजनेस लाइन्स की अनुमति और व्यापार, पूंजी जरूरतों, नियामक व्यवस्था और अन्य बातों में उनके लिए बेंचमार्क की जांच. 
•समिति मौजूदा नियामक रूपरेखा के तहत उन सीमित कानूनी शक्तियों और संकल्पों के विकल्पों की जांच करेगा जो बिना किसी जोखिम के एक यूसीबी किस वास्तविक आकार तक बढ़ने में सक्षम हो सकता है. 
•एक यूसीबी द्वारा स्वैच्छित रूपांतरण की अनुमति देने के लिए मापदंड (कानूनी रूपरेखा) और यूसीबी का ज्वाइंट स्टॉक बैंक में अनिवार्य रूपांतरण के लिए बेंचमार्क क्या हो, पर सुझाव देना. 
•इस बात की जांच कि क्या नए यूसीबी का लाइसेंस देना नए यूसीबी के लाइसेंस देने पर बनी विशेषज्ञ समिति (मालेगम समिति)की सिफारिशों के मुताबिक समय के लिहाज से उपयुक्त है और अगर ऐसा है तो मालेगम समिति की सिफारिशों का पालन करना. 
•निवेशकों के बीच उचित प्रबंधन का विश्वास पैदा हुआ है, को सुनिश्चित करना. 
•मालेगाम समिति के सुझावों को लागू करने के तरीकों का निर्धारण करने के लिए. वैकल्पिक रूप से एक व्यवहार्य संरचना का प्रस्ताव देना जो बहुमत वोटिंग फंड के योगदानकर्ताओं के हाथों में दे दे. 
पृष्ठभूमि
समिति के गठन का फैसला 20 अक्टूबर 2014 को यूसीबी पर बनी स्थायी सलाहकार समिति ( सैक) की सिफारिशों के अनुसार किया गया है. 
सैक एक सलाहकार निकाय है जो समय– समय पर आरबीआई द्वारा संचालित किया जाता है. इसके अध्यक्ष सहकारी बैंक नियमन विभाग (डीसीबीआर) के प्रभारी– महानिदेशक होते हैं और इसमें सहकारी क्षेत्र, चुने गए राज्यों के सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार और आईबीए के प्रतिनिधि इसके सदस्य होते हैं.

इंग्लैंड के गिरिजाघरों द्वारा बच्चे को जन्म देने की माइटोकोंड्रिया डोनेशन तकनीक का विरोध

01-FEB-2015

इंग्लैंड के गिरिजाघरों ने जनवरी 2015 के अंत में  ‘ह्यूमैन फर्टिलाइजेशन एवं एम्ब्रॉयोलॉजी एक्ट 1990’ में प्रस्तावित संशोधन का विरोध करना शुरू कर दिया. इसके तहत आईवीएफ बच्चों का जन्म तीन विभिन्न व्यक्तियों के डीएनए से करा सकने की अनुमति है. इस तकनीक को माइटोकोंड्रियल तकनीक कहते हैं.

दि चर्च ऑफ इंग्लैंड और कैथोलिक चर्च ऑफ इंग्लैंड ने इसका विरोध किया है. इसका कारण यह है कि वो यह सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हैं कि इसके तहत दाता महिला की माइटोकोंड्रिया का दूसरी महिला के अंडों का जोड़  सुरक्षित और नैतिक होगा या नहीं. 
अंतर्राष्ट्रीय साइंटिफिक समुदाय भी इस प्रक्रिया को सुरक्षित और प्रभावी मानने के बारे में एकमत नहीं है और दूसरे देशों में भी इस तकनीक को अनुमति नहीं दी गई है. 
नैतिकता के आधार पर उनका मत है कि इस प्रक्रिया में मानव भ्रूण नष्ट हो जाता है. वैज्ञानिकों का एक समूह यूनाइटेड किंगडम के संसद सदस्यों को इस तकनीक को अनुमति देने के लिए राजी करने की कोशिश में लगे हैं. उनके अनुसार यह तकनीक माइटोकोंड्रिया से होने वाली बीमारियों की रोकथाम में सहायक होगी.

क्या है माइटोकोंड्रिया दान की तकनीक- 
न्यूकैसल विश्वविद्यालय में विकसित की गई माइटकोंड्रिया दान की इस तकनीक में दाता महिला की स्वस्थ माइटोकोंड्रिया को दूसरी महिला से प्राप्त अंडाणुओं के साथ जोड़ा जाता है. इसके बाद इसे पुरूष के शुक्राणुओं के साथ फर्टिलाइज कराया जाता है.  इस प्रक्रिया में माइटकोंड्रिया को माँ से शिशु में भेजा जाता है. 
यह तकनीक वर्ष 2007 से ही अस्तित्व में है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी प्रशंसा हुई है. 

माइटोकोंड्रिया क्या है-
माइटोकोंड्रिया शरीर की कोशिकाओं के भीतर पाई जाती है. यह कोशिकाओं के लिए उर्जावान मोलिक्यूल का सृजन करती है. इसे कोशिकाओं का पॉवरहाउस भी कहा जाता है क्योंकि ये भोजन में बंद उर्जा को उस उर्जा में बदलती है जिसका प्रयोग कोशिकाएँ अपने लिए करती हैं.