=> हाइपेरियन स्पेक्ट्रोमीटर का प्रयोग कर नासा ने अंतरिक्ष से एकल मिथेन रिसाव का पता लगाया
नासा के परिक्रमा करने वाले अर्थ ऑब्जर्विंग–1 (ईओ–1) में लगे नासा के हाइपेरियन स्पेक्ट्रोमीटर ने पृथ्वी की सतह पर एकल, विशेष रिसाव सुविधा से मीथेन के उत्सर्जन को मापा है.
कैलिफोर्निया के पोर्टर रैंच के पास अलिसो कैनयॉन के उपर पाया गया यह रिसाव एक महत्वपूर्ण सफलता है. यह इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अंतरिक्ष से इस शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस को मापने और
उसके उत्सर्जन की निगरानी करने की क्षमता प्रदान करता है.
अंतरिक्ष से किया गया यह अवलोकन जीयोफिजिकल रिसर्च लेटर्स नाम की पत्रिका में प्रकाशित होने के लिए स्वीकार किए गए पेपर के बाद खबरों में आया था.
हाइपेरियन स्पेक्ट्रोमीटर के माध्यम से निरीक्षण के बारे में
• वर्ष 2015-16 की सर्दियों के दौरान तीन अलग-अलग पुलों पर इस हाइपेरियन उपकरण ने मीथेन रिसाव का सफलतापूर्वक पता लगाया.
• यह अनुसंधान पिछले पतझड़ और सर्दियों में दुर्घटनावश एलिसो कैनयॉन मीथेन के बड़े पैमाने पर जारी होने की जांच का हिस्सा था.
• हाइपेरियन से कक्षीय अवलोकन नासा द्वारा एयरबोर्न/ इन्फ्रारेड इमेजिंग स्पेक्ट्रोमीटर (एवीआईआरआईएस) इमेजर जो नासा ईआर–2 विमान द्वारा उड़ान पर है, द्वारा मापे गए एयरबोर्न मापों से मेल खा रहे थे.
यह क्यों महत्वपूर्ण है?
यह पहली बार है जब अंतरिक्ष से किसी एकल सुविधा से मीथेन के उत्सर्जन का पता लगा है.इससे ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन के पीछे काम कर रहे अज्ञात कारकों को समझने और उसका समाधान करने में मदद मिलेगी.
अब तक मानव गतिविधियों के माध्यम से पैदा होने वाले वायुमंडलीय मीथेन के प्रतिशत के बारे में बहुत कम समझ रही है. लेकिन यह खोज दुनिया भर में सबसे बड़े स्रोतों के सर्वेक्षण के बाद इस प्रश्न को हल करने में मदद मिलेगी. ऐसा परिक्रमा कर रहे उपग्रहों पर अधिक विशाल संवेदनशील उपकरण लगा कर किया जाएगा.
नासा का अर्थ ऑब्जर्विंग– 1
• नासा का नया सहस्राब्दी कार्यक्रम, ईओ–1 एक उन्नत भू–इमेजिंग मिशन है जिसे नए उपकरणों और अंतरिक्षयान प्रणालियों को प्रदर्शित करने के लिए डिजाइन किया गया है.
• वर्ष 2000 में शुरु किए गए, ईओ–1 लैंडसैट–8 उपग्रह मिशन पर इस्तेमाल किए गए संचालन भूमि इमेजर के लिए तकनीक को सत्यापित करता है और आपदा–प्रतिक्रिया एप्लीकेशन का समर्थन करता है.
• इस मिशन का प्रबंधन नासा गोडार्ड द्वारा किया जाता है.
• नासा और अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के संयुक्त पहल के तहत, लैंडसैट दुनिया का सबसे लंबे समय तक अंतरिक्ष आधारित मध्यम–संकल्प भूमि रिमोट सेंसिंग डाटा हासिल कर संग्रह करने का प्रतिनिधित्व करता है.
=> प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्व ज्ञान संगम में कर प्रशासकों के लिए पंच–सूत्री चार्टर–RAPID का सिद्धांत दिया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 16 जून 2016 को प्रत्यक्ष कर के शुद्ध आधार में सुधार और विस्तार के लिए कर प्रशासकों के लिए पंच–सूत्री चार्टर-RAPID का सिद्धांत दिया. उन्होंने इसकी घोषणा नई दिल्ली में राजस्व ज्ञान संगम के उद्घाटन पर की.
प्रधानमंत्री ने RAPID की व्याख्या इस प्रकार की–
आर ( R) – राजस्व (Revenue )
ए (A)– जवाबदेही (Accountability)
पी (P)– सत्यनिष्ठा (Probity)
आई ( I)– सूचना (Information)
डी (D)– डिजिटलीकरण (Digitization)
RAPID की मुख्य विशेषताएं
• यह डिजिटलीकरण, स्वैच्छिक कर अनुपालन, करदाताओं के लिए सुविधा, कर आधार को बढ़ाना, कर प्रशासकों के लिए डिजिटल और भौतिक संरचना का उन्नयन आदि से सम्बंधित है.
• यह भारत के पुराने और निरर्थक राजस्व प्रशासन में सुधार लाना चाहता है.
• यह कर दाताओँ के लिए कर प्रणाली को सुलभ और आसान बनाता है. इसके अलावा यह बकाएदारों की मुश्किलें बढ़ा देता है.
• नागरिकों के बीच भूमि कानून के लिए सम्मान बढ़ाने हेतु राजस्व क्षेत्र में आर्थिक सुधार की आवश्यकता पर भी गौर किया गया है.
राजस्व ज्ञान संगम
• यह पहली बार है जब दो राजस्व बोर्ड-केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) मिलकर सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं.
• यह एक राष्ट्रीय सम्मेलन है जो पिछले वर्ष के प्रदर्शन का मूल्यांकन करने में मदद करेगा और इसमें बिना किसी पदानुक्रम बाधाओं के उभरते हुए मुद्दे पर विचार–विमर्श किया जाएगा.
• सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी ने कर प्रशासकों की प्रणाली में विश्वास पैदा करने की जरुरत और कर प्रणाली में बदलाव लाने के लिए नेतृत्व क्षमता के प्रदर्शन पर जोर दिया.
• उन्होंने अधिकारियों से ज्ञान संगम को कर्म संगम में बदलने का भी अनुरोध किया ताकि इस सम्मेलन में सामने आने वाले विचारों पर ठोस कार्रवाई की जा सके.
=> भारत के पहले महिला फाइटर बैच में 3 पायलट शामिल
भारतीय वायु सेना (आईएएफ) द्वारा 18 जून 2016 को पहली बार तीन महिला पायलटों को शामिल किया गया. इन पायलटों को हैदराबाद के पास डुंडीगल में वायु सेना अकादमी के में संयुक्त स्नातक परेड में शामिल किया गया.
इसके साथ ही, भारत भी उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया जिनकी वायु सेना में महिला पायलट शामिल हैं. यह तीन महिला पायलट हैं –
• फ्लाइंग ऑफिसर अवनी चतुर्वेदी
• फ्लाइंग ऑफिसर भावना कांत
• फ्लाइंग ऑफिसर मोहना सिंह
वे कर्नाटक स्थित बीदर में तीसरे चरण की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद 2017 से सुखोई जैसे लड़ाकू विमान उड़ाएंगी.
पृष्ठभूमि
• अक्टूबर 2015 में रक्षा मंत्रालय ने प्रायोगिक आधार पर पांच वर्ष के लिए भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के लड़ाकू धारा में महिलाओं को शामिल किये जाने को मंजूरी दी.
• वर्तमान में लगभग 1500 महिलाएं भारतीय वायु सेना में शामिल हैं, जिनमें 90 पायलट एवं 15 नेविगेटर हैं.
• भारतीय वायुसेना में महिलाएं यांत्रिकी, विद्युत्, एकाउंट्स, भारतीय वायुसेना प्रशासन, रसद, मौसम विज्ञान, नेविगेशन, शिक्षा, एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग क्षेत्रों में शामिल हैं.
• इससे पहले वायु सेना ने लड़ाकू क्षेत्रों में महिलाओं की सुरक्षा के मद्देनजर उन्हें शामिल नहीं किया था.
=> प्रख्यात शिक्षाविद् जेपियार का निधन
राजनीतिज्ञ से शिक्षाविद् बने एवं जेपियार एजुकेशनल ट्रस्ट के संस्थापक जेपियार का 18 जून 2016 को चेन्नई में निधन हो गया. वे 85 वर्ष के थे.
उनका नाम जेसादीमई पंगिराज था. उन्हें तमिलनाडु में प्राइवेट इंजीनियरिंग संस्थान की स्थापना करने का श्रेय जाता है. वे सत्याबामा यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति थे.
जेपियार
• उन्होंने पुलिस अधिकारी के रूप में अपना करियर आरंभ किया.
• वे 1972 से 1987 तक एआईएडीएमके पार्टी के लिए चेन्नई के सचिव रहे. वे तत्कालीन मुख्यमंत्री एम जी रामचंद्रन के विशेष दूत भी रहे.
• इसके अतिरिक्त उन्होंने सफलतापूर्वक सात तमिल फिल्मों का निर्माण किया तथा एक तमिल फिल्म का निर्देशन किया तथा एक तमिल फिल्म में हीरो भी बने.
• वे मद्रास जल आपूर्ति एवं सीवरेज बोर्ड के एकमात्र गैर-सरकारी सदस्य रहे. इसके उपरांत वे तमिलनाडु मत्स्य विकास निगम के निदेशक के रूप में कार्यरत रहे.
• इसके बाद उन्हें चेन्नई में 80 के दशक में इंजीनियरिंग संस्थान स्थापित करने के लिए जाना गया.
• वे तमिलनाडु के पेशेवर कला और विज्ञान कॉलेजों के संघ के अध्यक्ष भी रहे.
• उन्होंने 1987 में सत्यबामा इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की जो आगे चलकर सत्यबामा यूनिवर्सिटी बनी.
=> प्रख्यात शिक्षाविद् जेपियार का निधन
राजनीतिज्ञ से शिक्षाविद् बने एवं जेपियार एजुकेशनल ट्रस्ट के संस्थापक जेपियार का 18 जून 2016 को चेन्नई में निधन हो गया. वे 85 वर्ष के थे.
उनका नाम जेसादीमई पंगिराज था. उन्हें तमिलनाडु में प्राइवेट इंजीनियरिंग संस्थान की स्थापना करने का श्रेय जाता है. वे सत्याबामा यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति थे.
जेपियार
• उन्होंने पुलिस अधिकारी के रूप में अपना करियर आरंभ किया.
• वे 1972 से 1987 तक एआईएडीएमके पार्टी के लिए चेन्नई के सचिव रहे. वे तत्कालीन मुख्यमंत्री एम जी रामचंद्रन के विशेष दूत भी रहे.
• इसके अतिरिक्त उन्होंने सफलतापूर्वक सात तमिल फिल्मों का निर्माण किया तथा एक तमिल फिल्म का निर्देशन किया तथा एक तमिल फिल्म में हीरो भी बने.
• वे मद्रास जल आपूर्ति एवं सीवरेज बोर्ड के एकमात्र गैर-सरकारी सदस्य रहे. इसके उपरांत वे तमिलनाडु मत्स्य विकास निगम के निदेशक के रूप में कार्यरत रहे.
• इसके बाद उन्हें चेन्नई में 80 के दशक में इंजीनियरिंग संस्थान स्थापित करने के लिए जाना गया.
• वे तमिलनाडु के पेशेवर कला और विज्ञान कॉलेजों के संघ के अध्यक्ष भी रहे.
• उन्होंने 1987 में सत्यबामा इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना की जो आगे चलकर सत्यबामा यूनिवर्सिटी बनी.
=> विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस-2016 मनाया गया
21 जून: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
विश्व भर में 21 जून 2016 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया. इस वर्ष का विषय था - युवाओं को जोड़ें.
इस दिवस पर वर्ष 2015 में 193 संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों द्वारा अपनाये गये सतत विकास लक्ष्यों के लिए स्वास्थ्य संबंधी जागरुकता पर प्रकाश डाला गया.
भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में चंडीगढ़ स्थित कैपिटल कॉम्प्लेक्स में हज़ारों लोगों के साथ योग करके यह दिवस मनाया गया.
पृष्ठभूमि
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाये जाने की सिफारिश की गयी थी.
• इसके उपरांत 11 दिसम्बर 2014 संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इस प्रस्ताव को पारित करके प्रत्येक वर्ष इस दिन यह दिवस मनाये जाने की घोषणा की गयी.
• यह प्रस्ताव महासभा द्वारा विश्व स्वास्थ्य और विदेश नीति के तहत पारित किया गया ताकि विश्व भर में लोगों को बेहतर स्वास्थ्य वातावरण प्राप्त हो सके.
• अमेरिका, कनाडा, चीन एवं मिस्र सहित 177 देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया.
योग
• योग एक आध्यात्मिक प्रकिया है जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने (योग) का कार्य होता है.
• ‘योग’ शब्द का अर्थ है - समाधि अर्थात् चित्त वृत्तियों का निरोध.
• इसके बारे में पतंजलि के योग सूत्र में जानकारी मिलती है.
=> वर्जीनिया राजी रोम की पहली महिला मेयर बनीं
रोम में हुए स्थानीय चुनावों में 19 जून 2016 को वर्जीनिया राजी पहली महिला मेयर चुनी गयीं. रोम के पिछले 3000 वर्षों के इतिहास में वे पहली महिला मेयर हैं.
सरकार विरोधी आंदोलन 'फाइव स्टार मूवमेंट' की उम्मीदवार को रेंजी के सेंट्रल-लेफ्ट डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडी) के उम्मीदवार रॉबटरे गियाचेती के साथ कड़े मुकाबले में 60 प्रतिशत से अधिक वोट मिले.
पेशे से वकील 37 वर्षीय राजी वर्ष 2018 में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों के लिए कदम बढ़ा सकती हैं.
फाइव स्टार मूवमेंट (एफएसएम)
• इस मूवमेंट की स्थापना कॉमेडियन बेप्पे ग्रिलो ने वर्ष 2009 में की थी.
• मूवमेंट ने इटली की राजनीति में स्वयं एक बड़े विपक्षी बल की भूमिका के रूप में स्थामपित किया.
• रोम के लोग सार्वजनिक परिवहन एवं अन्य सरकारी सेवाओं के कारण असंतुष्ट हैं जिसका लाभ राजी को मिला.
=> केंद्र सरकार ने खाद्य पदार्थों में पोटेशियम ब्रोमेट के उपयोग पर रोक लगायी
केंद्र सरकार ने 20 जून 2016 को पोटेशियम ब्रोमेट को खाद्य पदार्थों में एडिटिव के तौर पर इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर
साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने एक स्टडी में ब्रेड में पोटेशियम ब्रोमेट और पोटेशियम आयोडेट पाये जाने की बात उठाई थी.
इन तत्वों से कैंसर होने का अंदेशा बढ़ जाता है. फूड सेफ्टी स्टेंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआइ) ने पोटेशियम आयोडेट का हवाला देते हुए कहा कि इसका
मामला एक वैज्ञानिक पैनल को भेजा गया है. एफएसएसएआइ ने पोटेशियम ब्रोमेट को प्रतिबंधित कर दिया है.
सीएसई की एक स्टडी में इससे कैंसर होने की आशंका होने की बात सामने आई थी. सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरोनमेंट (सीएसई) के एक अध्ययन में पाया गया है कि पैक किए हुए ब्रेड के आसानी से उपलब्ध 38 ब्रांडों के करीब 84 प्रतिशत में पोटेशियम ब्रोमेट और पोटेशियम आयोडेट के तत्व पाये गए थे, जो कई देशों में प्रतिबंधित हैं
क्योंकि वे जन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक रसायन के रूप में सूचीबद्ध हैं.
=> मंगल ग्रह के गड्ढे का नाम नेपाल के भूकंप प्रभावित गांव लांगटांग के नाम पर रखा गया
लांगटांग: यह नेपाल में पर्वतारोहण का प्रसिद्ध स्थान है जो भूकंप के कारण काफी प्रभावित हुआ
अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने जून 2016 में मंगल ग्रह पर मौजूद 9.8 किलोमीटर चौड़े एक गड्ढे का नाम नेपाल के भूकंप प्रभावित स्थान लांगटांग के नाम पर रखा.
लांगटांग नेपाल का एक गांव है जो 25 अप्रैल 2015 को आये भीषण भूकंप के कारण तबाह हो गया था. रिपोर्ट के अनुसार, इस गांव में भूकंप एवं उसके बाद आये भूस्खलन से 215 लोग मारे गये.
शोधकर्ता डॉ जालिंग डी हास के अनुसार उन्होंने यह नाम इसलिए चुना क्योंकि उनके साथी ने वहां रहकर हिमालय के ग्लेशियरों का अध्ययन किया था. वहां उनका बेस कैंप था और हमें लगता है कि यह हमारी ओर से इस स्थान के लिए यह गहरी श्रद्धाजलि है.
हास मंगल ग्रह के शारीरिक भूगोल पर उतरेच यूनिवर्सिटी में अध्ययन कर रहे हैं. उन्होंने एक दुसरे गड्ढे का नाम अपने निवास स्थान उतरेच में मौजूद बुन्निक के नाम पर रखा.
दोनों नामों को अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ कार्य समूह द्वारा अनुमोदित किया गया.
=> कन्नड़ फिल्म 'तिथि' ने 19वें शंघाई अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार जीता
कन्नड़ फिल्म 'तिथि' ने जून 2016 को 19वें शंघाई अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के एशिया न्यू टैलेंट अवॉर्ड्स में सर्वश्रेष्ठ फिल्म और सर्वश्रेष्ठ पटकथा लेखक का पुरस्कार अपने नाम किया है.
'तिथि' इस महोत्सव के लिए चुनी गई एकमात्र भारतीय फिल्म थी, जिसका प्रदर्शन महोत्सव के दौरान किया गया.
भारत से बाहर पहली बार शंघाई में फिल्म का प्रदर्शन किया गया और मैं चीन एवं एशिया के विभिन्न हिस्सों के लोगों की प्रतिक्रिया जानने को लेकर उत्सुक था. निर्णायक मंडल के सदस्य चीन, जापान और कोरिया के थे और सबने फिल्म को पसंद किया.
सर्वश्रेष्ठ फिल्म की श्रेणी में:
वन नाइट ओनली (चीन)
हनाज मिसो सूप (जापान)
लैंड ऑफ द लिटिल पीपुल (इस्रायल)
डिटेक्टिव चाइनाटाउन (चीन) को भी नामांकन मिला था.
तिथि के बारे में:
कर्नाटक के एक छोटे से गांव पर आधारित यह फिल्म है.
इसकी पटकथा रेड्डी के साथ इरे गौड़ा ने लिखी थी.
=> पंजाब सरकार ने मुख्यमंत्री हेपेटाइटिस-सी राहत कोष आरंभ किया
पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल द्वारा 18 जून 2016 को मुख्यमंत्री हेपेटाइटिस-सी राहत कोष आरंभ किया गया. इसका उद्देश्य हेपेटाइटिस-सी से पीड़ित लोगों को निःशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है.
इस पहल से पंजाब हेपेटाइटिस-सी के मरीजों को निःशुल्क उपचार उपलब्ध कराने वाला पहला राज्य बना.
मुख्यमंत्री हेपेटाइटिस-सी राहत कोष
• इस कोष की कुल राशि 20 करोड़ रुपये होगी.
• इसके द्वारा हेपेटाइटिस-सी से पीड़ित पंजाब के नागरिकों का निःशुल्क इलाज किया जायेगा.
• इस सुविधा हेतु 22 जिला अस्पतालों इलाज सुविधा के साथ-साथ राज्य सरकार के मेडिकल कॉलेज पटियाला, अमृतसर एव फरीदकोट में भी सुविधा उपलब्ध कराई गयी है.
• इस योजना के तहत हेपेटाइटिस-सी से पीड़ित लोगों का इन 25 अस्पतालों में पंजीकरण कराया जायेगा.
• स्वास्थ्य विशेषज्ञ द्वारा जांच के पश्चात् ही रोगियों को दवाएं दी जायेंगी.
• मरीज को केवल वायरल लोड एवं हेपेटाइटिस-सी के जीनोटाइप के लिए भुगतान करना होगा. यह राशि बेहद सामान्य होगी क्योंकि पंजाब सरकार ने लाल पैथ लैब के साथ इस संबंध में एक समझौता किया है.
• दवाएं निःशुल्क दी जायेंगी.
टिप्पणी
पंजाब में हेपेटाइटिस-सी के 10 लाख से भी अधिक मामले हैं जिनमे से 6 लाख को तुरंत इलाज की आवश्यकता है.
अब तक हेपेटाइटिस-सी के इंजेक्शन को काफी महंगा माना जाता है जिसका व्यय सभी वहन नहीं कर सकते. मुख्यमंत्री पंजाब हेपेटाइटिस-सी राहत कोष के तहत हेपेटाइटिस-सी का निःशुल्क इलाज किया जायेगा.
=> हिंदुस्तान ऐरोनौटिक्स लिमिटेड द्वारा निर्मित भारत के स्वदेशी प्रशिक्षण विमान एचटीटी-40
भारत के स्वदेशी बुनियादी प्रशिक्षण विमान हिंदुस्तान टबरे ट्रेनर-40 (एचटीटी-40) ने 17 जून 2016 को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की उपस्थिति में प्रारंभिक उद्घाटन उड़ान भरी.
दो सीटों वाले इस विमान का डिजाइन और विकास हिंदुस्ता्न एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने किया है. इस विमान को ग्रुप कैप्टन सी सुब्रमण्यम और ग्रुप कैप्टन वेणुगोपाल ने एचएएल हवाई अड्डे से करीब 10 से 15 मिनट उड़ाया.
एचटीटी-40 से संबंधित मुख्य तथ्य:
- एचटीटी-40 हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) एक बेसिक ट्रेनर वायुयान है.
- इस विमान के निर्माण में प्रयोग हुए 80% पुर्जे भारतीय कंपनियों में बनाए गए हैं.
- इस विमान का वजन लगभग 2800 किलो है.
- एचटीटी-40 ऑल-मेटल, टैंडेम सीट एयरक्राफ्ट होगा जिसको 1,100 अश्वशक्ति (820 किलोवॉट) टर्बोप्रॉप इंजन से शक्ति मिलेगी.
=> केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र में सौ प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दी
केंद्र सरकार ने रक्षा क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को 20 जून 2016 को मंजूरी दे दी. इसके अलावा सिविल एविऐशन में भी सरकार ने 100 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी दी. ब्रॉडकास्टिंग क्षेत्र में भी नियमों में संशोधन करते हुए निवर्तमान एफडीआई को 49 से बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया गया.
एफ.डी.आई. में हुए बदलाव से संबंधित मुख्य तथ्य:
• ब्राउनफील्ड एयरपोर्ट्स (पहले से बने हुए एयरपोर्ट) में ऑटोमैटिक रूट से 100 फीसदी एफ.डी.आई. को अनुमति.
• सिंगल ब्रांड रिटेल एफ.डी.आई. के लिए लोकल सोर्सिंग के नॉर्म्सट में ढील दी गई.
• ऑटोमैटिक रूट से ब्राउनफील्डर फार्मा में 74 फीसदी तक एफ.डी.आई. को मंजूरी.
• एयरलाइंस में सरकारी मंजूरी के जरिए 49 फीसदी से अधिक हो सकेगा विदेशी निवेश.
• सरकारी मंजूरी से डिफेंस सैक्ट र में 100 फीसदी एफ.डी.आई. को अनुमति.
• शेड्यूल्डज एयरलाइंस में 100 फीसदी एफ.डी.आई. को मिली मंजूरी.
• फूड प्रोडक्ट ई-कॉमर्स में 100 फीसदी एफ.डी.आई. को मिली मंजूरी.
• सिंगल ब्रांड रिटेल में लोकल सोर्सिंग के लिए 3 साल तक की छूट दी.
• ऑटोमैटिक रूट से डी.टी.एच. सर्विसेस में 100 फीसदी एफ.डी.आई. को मंजूरी.
• प्राइवेट सिक्यु रिटी एजेंसीज में सरकारी मंजूरी के तहत 74 फीसदी तक एफ.डी.आई. को मंजूरी मिल गई है। इस सैक्टरर में 49 फीसदी एफ.डी.आई. ऑटोमेटिक रूट से हो सकेगा.
• एनिमल हसबेंड्री (पशुपालन) में ऑटोमैटिक रूट से सशर्त 100 फीसदी तक एफ.डी.आई. को मिली मंजूरी.
=> लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेव ऑब्जर्वेट्री टीम ने दूसरे गुरुत्वाकर्षण तरंगों के पता लगाने की घोषणा की
15 जून 2016 को लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेव ऑब्जर्वेट्री (एलआईजीओ–LIGO) ने ब्लैक होल की टक्कर की वजह से स्थान और समय के झुकाव से पैदा होने वाले दूसरे गुरुत्वाकर्षण तरंगों के पता लगने की घोषणा की.
यह खोज LIGO के लुइसियाना और वाशिंगटन में लगे ट्विन डिटेक्टरों द्वारा 26 दिसंबर 2016 को तब किया गया जब इन तरंगों ने वेधशाला को करीब एक पूरे सेकेंड तक टक्कर मारी और यह पहले वाले की तुलना में पांच गुना अधिक समय तक के लिए था.
पहले गुरुत्वाकर्षणीय तरंग के पता लगने की घोषणा फरवरी 2016 को LIGOद्वारा की गई थी और यह खोज फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित हुई थी. तरंग ने सबसे पहले लिविंग्स्टन, लुइसियाना की वेधशाला को टक्कर मारी और फिर 1.1 मिलिसेकेंड के बाद यह वाशिंग्टन के हैनफोर्ड वाली वेधशाला से गुजरा. यह घटना 14 सितंबर 2015 को घटी थी.
टिप्पणी
• दो ब्लैक होल्स गहरे अंतरिक्ष में अपनी जबरदस्त mass warping space time और फैल रहे गुरुत्वाकर्षण तरंगों के साथ प्रकाश की गति से एक दूसरे की ओर घुमवदार तरीके से बढ़ते हैं.
• दो ब्लैक होल्स एक दूसरे से टकराते हैं और एक बड़ा ब्लैक होल बनाते हैं जिसका द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से 62 गुना अधिक होता है, असंख्य तरंगों को उत्सर्जित करता है.
• LIGO के दो डिटेक्टरों ने गुरुत्वाकर्षण लहरों को अलग-अलग रूप में मापा है क्योंकि दो निकायों की कक्षाएं खराब हो रही थीं और दो ब्लैक होल का विलय हो रहा था. एक सूर्य के द्रव्यमान का आठ गुना जबकि दूसरा 14 गुना था, दोनों ने मिलकर सूर्य के द्रव्यमान के 21 गुना अधिक वाले ब्लैक होल का निर्माण किया.
• पहली टक्कर से जो संकेत LIGO ने पता लगाया, उदाहरण के लिए वह सिर्फ 0.2 सेकेंड में समाप्त हो गया.
• छोटे ब्लैकहोल टक्कर से पहले बहुत निकट आ सकते हैं और इसलिए वे अधिक लंबे समय तक कक्षा में परिक्रमा कर सकते हैं जो LIGO के न्यूनतम सीमा से अधिक है.
LIGO डिटेक्टरों के बारे में
• इन डिटेक्टरों का आकार विशालकाय L(अंग्रेजी वर्णमाला का अक्षर) जैसा है, जो दो 2.5 मील लंबी वैक्युम से बना है.
• प्रकाश प्रत्येक नली में से पुली की एक प्रणाली द्वारा 88 पाउंड दर्पण दोलन पर उछलने से पहले उस उपकरण से जोड़ा जाता है जो पृथ्वी के भूकंपीय गति को सक्रिय रूप से मापता और उसकी गणना करता है.
• प्रत्येक पुली उससे हो कर गुजरने वाले किसी भी गति को बिखेर देता है और प्रणाली उस प्रभाव को चार गुना बड़ा बना देती है.
• Lके क्रक्स पर डिटेक्टर प्रकाश को फिर से एकत्र कर देता है.
• अगर दर्पण ठीक वहीं हैं जहां उन्हें होना चाहिए, तो प्रकाश की एक किरण दूसरे के साथ लाइन होती है और कोई भी प्रकाश डिटेक्टर से नहीं टकराता है.
• अगर दर्पण अपने स्थान से हिलता है, किरणों का लाइनअप बिगड़ता है और कुछ प्रकाश नली से होकर गुजरता है और त्रुटि के स्रोत की जांच के लिए प्रणाली को चेतावनी देता है.
• सेंसर्स में लगे चुंबक से लेकर ट्रकों के गुजरने से वैक्युम नली के आस–पास होने वाले ध्वनिक शोर तक हर चीज, माप में शोर की वजह बन सकता है.
=> मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्वयं मंच हेतु एप्प बनाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट और एआईसीटीई में समझौता
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्वयं (SWAYAM–Study Webs of Active-Learning for Young Aspiring Minds) प्लेटफॉर्म के लिए मोबाइल एप्प बनाने हेतु 17 जून 2016 को माइक्रोसॉफ्ट को तकनीकी भागीदार चुना गया. यह प्लेटफॉर्म 2016 में तीन करोड़ से भी अधिक छात्रों के लिए व्यापक 2000 ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम (एमओओसी) की शुरुआत करेगा.
माइक्रोसॉफ्ट ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के साथ 38 करोड़ रुपयों का समझौता किया है. समझौते के तहत वह एप्प बनाएगा और तीन वर्षों तक उसको चलाएगा. इसके बाद एआईसीटीई इसका कामकाज संभाल लेगी. माइक्रोसॉफ्ट अत्याधुनिक एप्लीकेशन बनाने के लिए समर्पित कर्मियों की टीम तैनात करेगा.
स्वयं (SWAYAM) प्लेटफॉर्म के बारे में
• स्वयं (SWAYAM) के माध्यम से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) नियमन, 2016 को ऑनलाइन पाठ्यक्रम के लिए क्रेडिट फ्रेमवर्क में अंतिम रूप दिया गया.
• नियमन के अनुसार भागीदार संस्थान जिसे राष्ट्रीय एमओओसी समन्वयक द्वारा पहचाना गया था, वह स्वयं (SWAYAM) प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम को उपलब्ध कराएगा.
• एक वर्ष में दो बार, सभी संस्थानों के रजिस्ट्रारों को प्रत्येक सेमेस्टर में कराए जाने वाले ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की सूची दी जाएगी.
मूल संस्थान द्वारा भौतिक सुविधाएं जैसे प्रयोगशालाएं, कंप्यूटर सुविधाएं, पुस्तकालय आदि मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएंगी.
• मूल संस्थान द्वारा एमओओसी के सफलतापूर्वक पूरा होने पर एक प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा औऱ इसे मेजबान संस्थान के माध्यम से जारी किया जाएगा.
• स्वयं (SWAYAM) प्लेटफॉर्म के माध्यम से कार्यक्रम के क्रेडिट योजना में से अर्जित क्रेडिट को मूल संस्थान द्वारा बराबर महत्व दिया जाएगा.
=> भारत ने सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता केंद्र के क्षमता निर्माण हेतु नामीबिया के साथ दो समझौते किए
16 जून 2016 को भारत और नामीबिया ने नामीबिया के लोक प्रशासकों के क्षमता निर्माण और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) में उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना के लिए दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए.
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और उनके नामीबियाई समकक्ष हेग गिनगोब के बीच हुई वार्ता के बाद समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए.
समझौते की अन्य विशेषताएं–
• वर्ष 2009 में नागरिक उपयोग के लिए यूरेनियम की आपूर्ति भारत को करने के लिए किए गए समझौते को पूरा करने के लिए नामीबिया प्रतिबद्ध है.
• नामीबिया यूरेनियम का चौथा सबसे बड़ा उत्पादक देश है और उसने भारत को आश्वसन दिया है कि यूके, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, फ्रांस और दक्षिण कोरिया समेत अन्य 12 देशों के साथ किए गए नई दिल्ली फ्रेमवर्क को उसने अच्छी तरह से पढ़ा है.
• इसके अलावा दोनों देशों ने खनन और जिंक एवं संगमरमर समेत अन्य खनिजों की खोज के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर भी चर्चा की.
=> चीन 2020 तक एक्जास्केल सुपरकंप्यूटर तियान हे -3 को प्रारंभ करेगा
वर्ष 2020 तक चीन एक्जास्केल सुपरकंप्यूटर शुरु करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.यह सुपरकंप्यूटर प्रति सेकंड अरबों अरब गणनाएं कर सकने में सक्षम होगा.
इस सुपरकंप्यूटर को Tianhe-3 नाम दिया गया है और इसे अमेरिका द्वारा ऐसे ही कंप्यूटर को लगाने की योजना से तीन वर्ष पूर्व शुरु किया जाएगा.
एक्जास्केल सुपरकंप्यूटर का विकास चीन के उच्च प्रदर्शन कंप्यूटरों की अगली पीढ़ी के लिए राष्ट्रीय योजना का हिस्सा है. इसे 13वीं पंचवर्षीय योजना (2016-2020) के दौरान विकसित किया जाएगा.
तियानजिन बिनहाई न्यू एरिया, एनयूडीटी की सरकार और तियानजिन में राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग केंद्र इस परियोजना पर काम कर रहें है.
वर्ष 2010 में चीन ने पहला पेचाफ्लॉप सुपरकंप्यूटर Tianhe-1 पेश किया था.यह सुपरकंप्यूटर प्रति सेकेंड अरब करोड़ गणनाएं करने में सक्षम है
सुपरकंप्यूटर्स के बारे में
• सामन्य उद्देश्य वाले कंप्यूटर की तुलना में सुपरकंप्यूटर उच्च–स्तर वाले संगणनन क्षमता वाला कंप्यूटर होता है.
• सुपरकंप्यूटर का प्रदर्शन मिलियन इंस्ट्रक्शंस प्रति सेकेंड (एमआईपीएस) की बजाय फ्लोटिंग प्वाइंट ऑपरेशंस प्रति सेकेंड (एफएलओपीएस) में मापा जाता है.
• जून 2013 में शुरुआत के बाद से चीन का Tianhe-2 सुपरकंप्यूटर 33.86 पेटाएफएलओपीएस (PFLOPS) या 33.86 क्वाड्रिलियन FLOPS वाला दुनिया का सबसे तेज सुपरकंप्यूटर है.
=> चीन का सनवे तायहुलाइट विश्व का सबसे तेज़ सुपर कंप्यूटर घोषित
चीन का सुपर कंप्यूटर सनवे तायहुलाइट 20 जून 2016 को 93 पेटाफ्लॉप/सेकंड की स्पीड के चलते विश्व का सबसे तेज़ सुपरकंप्यूटर घोषित किया गया. जर्मनी स्थित फ्रेंकफर्ट में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सुपरकंप्यूटर सम्मेलन के दौरान टॉप-500 सुपर कंप्यूटरों की सूची जारी की गयी.
इस सूची में बताया गया कि अमेरिका में सबसे अधिक सिस्टम नहीं हैं. औद्योगिक एवं शोधकार्यो में कार्यरत कंप्यूटरों के कारण पिछले कुछ वर्षों में चीन में इनकी संख्या में तेज़ी से वृद्धि हुई है. चीन में 167 सुपरकंप्यूटर हैं जबकि अमेरिका में 165 सुपरकंप्यूटर ही कार्यरत हैं.
पूरे एशिया में 218 सुपरकंप्यूटर मौजूद हैं जिसमे से 8 भारतीय संगठनों के पास मौजूद हैं.
सनवे तायहुलाइट
• यह सुपरकंप्यूटर 93 पेटाफ्लॉप/सेकंड की रफ़्तार से कार्य कर सकता है.
• इसका निर्माण चीन के समानांतर कंप्यूटर इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के राष्ट्रीय अनुसंधान केंद्र (एनआरसीपीसी) द्वारा किया गया. यह नेशनल सुपरकंप्यूटिंग सेंटर वूशी में कार्यरत है.
• इससे पहले तिआन्हे-2 मौजूद था जो पिछली छह बार जारी की गयी टॉप 500 सूची में प्रथम स्थान पर बना रहा.
• इसमें मौजूद 10649600 कंप्यूटिंग कोड्स एवं 40960 नोड्स के कारण यह तियानहे-2 से तीन गुना अधिक तेज़ है.
• इस सुपरकंप्यूटर ने यह साबित कर दिया कि चीन इस क्षेत्र में कड़ी टक्कर डे सकता है तथा बड़े स्तर पर यह सुविधा उपलब्ध करा सकता है.
टॉप-5 सुपरकंप्यूटर
श्रेणी |
सिस्टम |
देश |
गति (पीएफएलओपी/एस) |
1 |
सनवे तायहुलाइट |
चीन |
93 |
2 |
तियान्हे-2 |
चीन |
34 |
3 |
टाइटन |
अमेरिका |
17 |
4 |
सेक़ुओइ |
अमेरिका |
17 |
5 |
के |
जापान |
10 |
भारत में सुपरकंप्यूटर
श्रेणी |
सिस्टम |
संगठन |
गति (पीएफएलओपी/एस) |
109 |
एसईआरसी |
आईआईएससी, बैंगलोर |
0.90 |
185 |
टीईएफआर-क्रे एक्ससी- 30 |
आईएलजीटीआई-टीआईएफआर |
0.55 |
217 |
एचपी अपोलो 6000 |
आईआईटी-दिल्ली |
0.52 |
337 |
परम युवा-द्वितीय |
सी-डैक |
0.38 |
396 |
क्लस्टर प्लेटफार्म |
आईआईटी कानपुर |
0.34 |
413 |
क्लस्टर प्लेटफार्म |
सीएसआईआर-4पीआई |
0.33 |
434 |
क्लस्टर प्लेटफार्म |
एनसीएमआरडब्ल्यूएफ, नोएडा |
0.31 |
438 |
क्लस्टर प्लेटफार्म |
आईटी सेवा प्रदाता |
0.31 |
=> सॉफ्टबैंक के अध्यक्ष निकेश अरोड़ा ने इस्तीफ़ा दिया
सॉफ्टबैंक के अध्यक्ष एवं मुख्य परिचालन अधिकारी निकेश अरोड़ा ने 21 जून 2016 को अपने पद से इस्तीफ़ा दिया. आलोक सामा कंपनी के सीएफओ बने रहेंगे.
निकेश कम्पनी में अगले एक वर्ष तक परामर्शदाता की भूमिका निभाते रहेंगे. 48 वर्षीय अरोड़ा भारतीय उद्योगपति हैं.
वे सॉफ्टबैंक ग्रुप के प्रतिनिध निदेशक, अध्यक्ष एवं मुख्य परिचालन अधिकारी का पद संभाल रहे थे.
कंपनी की 36वीं वार्षिक आम सभा में उनका इस्तीफा स्वीकार किया गया. अरोड़ा द्वारा कंपनी में सलाहकार की भूमिका 1 जुलाई से प्रभावी होगी.
अपने पिछले दो वर्ष के कार्यकाल के दौरान निकेश द्वारा विभिन्न स्टार्टअप्स में लगभग चार बिलियन डॉलर का निवेश किया गया.
सॉफ्टबैंक ने स्नैपडील में 62.7 करोड़ डॉलर का निवेश किया जबकि ओला कैब्स में 21 करोड़ डॉलर का निवेश किया गया. इसके अतिरिक्त इनमोबी में 20 करोड़ डॉलर का निवेश किया गया.
सॉफ्टबैंक ने हाउसिंग डॉट कॉम, ओयो रूम्स और ग्रोफर्स में भी निवेश किया. सॉफ्टबैंक के साथ भारती एयरटेल का संयुक्त उपक्रम भी स्थापित है.
=> इसरो ने श्रीहरिकोटा से 20 सेटेलाईट प्रक्षेपित करने का रिकॉर्ड बनाया
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा 22 जून 2016 को 17 विदेशी सेटेलाइटों सहित कुल 20 सेटेलाइट सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से एक साथ प्रक्षेपित किये गये.
इससे पहले इसरो ने वर्ष 2008 में एक साथ 10 सेटेलाईट प्रक्षेपित किये थे.
इनमें भारत के कारटोसैट—2 और भारतीय विश्वविद्यालयों के 2 सैटेलाइटों का प्रक्षेपण हुआ. साथ में 17 छोटे विदेशी सैटेलाइट भी भेजे गए. इन 20 सैटेलाइटों का कुल वजन 1,228 किलोग्राम है.
इन्हें पीएसएलवी सी-34 से छोड़ा गया. दूसरे देशों में अमेरिका, जर्मनी, कनाडा एवं इंडोनेशिया के सेटेलाईट शामिल हैं. जबकि दो सेटेलाईट सत्याबामा यूनिवर्सिटी एवं कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, पुणे के लिए प्रक्षेपित किये गये.
कारटोसैट—2 सेटेलाईट
कारटोसैट—2 प्राइमरी श्रेणी का सेटेलाईट है जिसे पीएसएलवी-सी34 द्वारा छोड़ा गया. यह इससे पहले प्रक्षेपित किये गये कारटोसैट—2ए, एवं 2बी के ही समान है. कोर्टोसेट-2 उपग्रह और 19 अन्य उपग्रहों को 505 किलोमीटर की ऊंचाई पर सन सिनक्रोनस ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा.
इन सेटेलाईटटों की सहायता से शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भेजी जाने वाली तस्वीरों से विभिन्न आयामों जैसे रोड नेटवर्क मॉनिटरिंग, जल वितरण, मानचित्र निर्माण एवं उपयोग, दिशा निर्देश एवं भूमि सूचना तंत्र में प्रभावशाली सहायता मिलेगी.
यह भी पढ़ें: इसरो द्वारा 2015-16 में प्रक्षेपित किये गये सेटेलाईट एवं मिशन
अन्य प्रमुख सेटेलाईट
• लापान ए3 (इंडोनेशिया): यह छोटा उपग्रह पृथ्वी निगरानी और चुंबकीय क्षेत्र की निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जाएगा.
• बीरोस (जर्मनी): इसका उपयोग उच्च तापमान की घटनाओं में रिमोट सेंसिंग के लिए किया जायेगा.
• स्काईसैट जेन2-1 (अमेरिका): इसका उपयोग पृथ्वी की तस्वीरों हेतु किया जायेगा.
• समुद्री निगरानी और मैसेजिंग माइक्रोसेटेलाइट (कनाडा): इस सेटेलाईट का उपयोग पृथ्वी की निचली कक्षा से स्वचालित पहचान प्रणाली के लिए किया जायेगा.
=> दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने बेहद पतले और लचीले सौर सेल बनाने में सफलता हासिल की
दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने बेहद पतले और लचीले सौर सेल बनाने में सफलता हासिल की. इसकी घोषणा जून 2016 में की गई. ये सेल इतने लचीले हैं कि इन्हें आराम से किसी पेंसिल पर लपेटा जा सकता है. इसके साथ ही इसे फिटनेस ट्रैकर और स्मार्ट ग्लास जैसे पहने जा सकने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में इनका उपयोग किया जा सकता है.
दक्षिण कोरिया के ग्वांगझू इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी अनुसार, इस सौर सेल की मोटाई करीब एक माइक्रोमीटर है, जो कि मनुष्य के बालों से भी पतला है. आम तौर पर सौर सेल इससे हजारों गुना मोटे होते हैं. अब से पहले बनाए गए सबसे पतले सौर सेल भी इसकी तुलना में दो से चार गुना तक ज्यादा मोटे हैं.
विदित हो कि इस सौर सेल को सेमीकंडक्टर गैलियम आर्सेनाइड से बनाया गया है. वैज्ञानिकों ने सूर्य के प्रकाश से विद्युत बनाने की इन सेलों की क्षमता का भी आकलन किया. इन्हें अन्य पारंपरिक सौर सेलों जैसा ही कारगर पाया गया. ली ने बताया कि पतले सेल मोड़ने में यादा आसान होते हैं और इनकी क्षमता भी अन्य मोटे सेलों के बराबर या उनसे कुछ ज्यदा ही होती है.
=> ग्रैंडमास्टर हरिका द्रोणवली ने ब्लिट्ज शतरंज टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ महिला खिलाड़ी का पुरस्कार जीता
ग्रैंडमास्टर हरिका द्रोणवली ने 21 जून 2016 को कजाकिस्तान में यूरासियन ब्लिट्ज शतरंज टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ महिला खिलाड़ी का पुरस्कार हासिल किया है. भारत की नंबर दो खिलाड़ी को 2500 डॉलर और 60 ईएलओ अंक मिले और इससे वह फिर से शीर्ष दस में शामिल हो गई हैं.
हरिका ने जून 2016 हंगरी में जलाकारोस अंतरराष्ट्रीय शतरंज महोत्सव में भी सर्वश्रेष्ठ महिला खिलाड़ी का पुरस्कार हासिल किया था.
वे क्लासिकल रैंकिंग सूची में नौवें स्थान पर पहुंच गई हैं.
ब्लिट्ज टूर्नामेंट में विश्व की नंबर एक खिलाड़ी चीन की होउ यिफान सहित चोटी की खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था. हरिका और यिफान ने टूर्नामेंट के आखिर में समान 12.5 अंक बनाए थे और उन्होंने टाईब्रेकर में जीत दर्ज की थी.
हरिका द्रोणवली के बारे में:
• हरिका द्रोणवली का जन्म 12 जनवरी 1991 को आंध्रप्रदेश में हुआ.
• उन्हें 2007 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
• उन्होंने 2006, 2007 और 2010 में कॉमनवेल्थ वीमेन चैम्पियनशिप में तीन बार जीत हासिल की.
• हरिका ने अप्रैल 2015 में विश्व महिला शतरंज चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीती.
=> जाति और निवास प्रमाण पत्र के साथ आधार कार्ड जुड़ेगा
केन्द्र सरकार ने जून 2016 में सभी राज्य सरकारों से कहा है कि वे विद्यार्थियों को जारी होने वाले जाति और मूल निवास प्रमाण पत्रों को आधार से जोड़े. कक्षा 5 और 8 के विद्यार्थियों को इस प्रकार के प्रमाण पत्र 60 दिन की मियाद के भीतर जारी कर दिए जायें.
निर्देश क्यों दिया गया था?
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को स्कॉीलरशिप में देरी की शिकायतों के मद्देनजर यह निर्देश जारी किये हैं.
जाति और निवास प्रमाणपत्रों को आधार से जोडऩे का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति/जनजाति के योग्य उम्मीदवारों को सरकारी सुविधाएं मुहैया कराना है.
नौकरियों, शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में होने वाले घालमेल को भी इससे रोका जा सकेगा.
दिशा-निर्देशों के तहत राज्य सरकारें जाति और निवास प्रमाणपत्र जारी करने के लिए पांचवीं या आठवीं में से किसी एक कक्षा का चयन कर सकती हैं. इसके बाद पूरी प्रक्रिया को अधिकतम दो महीनों में पूरा करना होगा. छात्रों से जरूरी दस्तावेज जमा कराने की जिम्मेदारी हेडमास्टर या प्रिंसिपल की होगी.
आधार कार्ड:
• आधार कार्ड भारत सरकार द्वारा भारत के नागरिकों को जारी किया जाने वाला पहचान पत्र है.
• इसमें 12 अंकों की एक विशिष्ट संख्या छपी होती है जिसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण जारी करता है.
• यह संख्या, भारत में कहीं भी, व्यक्ति की पहचान और पते का प्रमाण होता है.
• डेमोग्राफिक और बायोमेट्रिक के आधार पर प्रत्येक व्यक्ति की विशिष्ट पहचान सिद्ध करता है.
=> इसरो द्वारा 2015-16 में प्रक्षेपित किये गये सेटेलाईट एवं मिशन
वर्ष 2015-16 भारतीय अन्तरिक्ष संगठन (इसरो) के लिए बेहद व्यस्त वर्ष रहा. इस वर्ष में इसरो द्वारा बहुत सी उपलब्धियां भी हासिल की गयीं. इसरो के वैज्ञानिकों की अथक मेहनत के कारण यह वर्ष एक सफल वर्ष रहा.
इसरो ने 22 जून 2016 को एक साथ 20 सेटेलाईट प्रक्षेपित करने का रिकॉर्ड बनाया. इस प्रक्षेपण से इसरो ने 2008 में एक साथ 10 सेटेलाईट प्रक्षेपित किये जाने का अपना रिकॉर्ड तोड़ा.
इसरो द्वारा पिछले एक वर्ष में घरेलू एवं विदेशी सेटेलाईट छोड़े जाने में काफी प्रगति देखी गयी है.
इसरो द्वारा प्रक्षेपित किये गये सेटेलाईट/मिशन
प्रक्षेपित किये गये सेटेलाईट/मिशन |
Key Features |
भारत का पहला पुनः प्रयोग किया जाने वाला स्पेस शटलआरएलवी-टीडी (प्रक्षेपण तिथि 23 मई 2016)
|
• इसे हाइपरसोनिक फ्लाइट एक्सपेरिमेंट के नाम से भी जाना जाता है. |
स्वदेशी नेविगेशन आईआरएनएसएस-1जी सेटेलाइट सिस्टम(आईआरएनएसएस) |
• सातवें भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली को सब जियोसेंक्रोनौस ट्रान्सफर ऑर्बिट में प्रक्षेपित किया गया. |
गिरी राडार प्रणाली (21 मार्च 2016 को स्थापित) |
• गिरी का अर्थ है गान्दकी आयनमंडलीय राडार इंटरफेरोमीटर |
क्रायोजेनिक इंजन सीई-20 (19 फरवरी 2016 को सफल परीक्षण) |
• महेंद्र गिरी, तमिलनाडु में सफल परिक्षण |
सिंगापुर के छः उपग्रहों का प्रक्षेपण (16 दिसम्बर 2016) |
• इसमें पीएसएलवी-सी 29 का प्रयोग किया गया |
जीसैट-15 संचार उपग्रह (11 नवंबर 2015 को प्रक्षेपित) |
• इसे यूरोपीय एरियन 5 VA-227 प्रक्षेपण यान द्वारा सफल परीक्षण किया गया. |
जीसैट-6 संचार उपग्रह (27 अगस्त 2015 को प्रक्षेपित) |
• इसे जीएसएलवी-डी 6 यान से प्रक्षेपित किया गया |
स्वदेश निर्मित क्रायोजेनिक इंजन का परीक्षण (16 जुलाई 2016 को सफल परीक्षण) |
• इंजन की सहनशक्ति का 800 सेकेंड (13.33 मिनट) तक परीक्षण किया गया. |
=> विश्व बैंक ने इंडिया डेवलपमेंट अपडेट 2016 जारी किया
विश्व बैंक के भारत में निदेशक ओनो रुहल ने 20 जून 2016 को "इंडिया डेवलपमेंट अपडेट" जारी किया. शहरी क्षेत्रों में सेवाओं की डिलीवरी बेहतर बनाने पर जोर देना चाहिए. ग्रामीण उपभोग बढ़ने और निर्यात में गिरावट थमने से भी विकास दर को बल मिलेगा.
इससे संबंधित मुख्य तथ्य:
• भारत की विकास दर साल 2016-17 में 7.6 फीसदी रहेगी, जबकि 2017-18 में यह 7.7 फीसदी और 2018-19 में 7.8 फीसदी हो सकती है.
• भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर का दो अंकों में पहुंचाना कई कारकों पर निर्भर करेगा, जिसमें कृषि नीति, सार्वजनिक निवेश, सेवा क्षेत्र, उत्पादन क्षेत्र और मॉनसून की मिली जुली भूमिका होगी.
• भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रमुख चुनौती रुके पड़े क्षेत्रों को आगे बढ़ाना, जैसे कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था, व्यापार और निजी निवेश.
• आर्थिक विकास को जारी रखने के लिए निवेश की रफ्तार बढ़ानी होगी.
• भारत ने वित्त वर्ष 2015-16 में तेज विकास दर हासिल की है और मैन्यूफैक्चरिंग व सेवा क्षेत्रों की उच्च वृद्धि रहने से नौकरियां सृजित हुई हैं.
• वित्त वर्ष 2015-16 में मैन्यूफैक्चरिंग की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत तथा सेवा क्षेत्र की 8.9 प्रतिशत रही जिससे शहरों में नौकरियां सृजित हुईं.
• मुद्रास्फीति काबू में रही जिससे लोगों की वास्तविक आय में वृद्धि हुई.
• महंगाई निचले स्तर पर रहने से रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती की जिससे वित्तीय तंत्र से जुड़े शहरी परिवारों को फायदा हुआ.
• ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर संपर्क सुविधा देने के साथ-साथ उवर्रक सब्सिडी को तर्कसंगत और शहरी क्षेत्रों में सेवाओं की डिलीवरी बेहतर बनाने पर जोर देना.
• मानसून सामान्य रहने पर कृषि क्षेत्र की विकास दर अगर 3.5 प्रतिशत रहती है तो जीडीपी में अतिरिक्त 0.35 प्रतिशत वृद्धि हो सकती है.
• ग्रामीण उपभोग बढ़ने और निर्यात में गिरावट थमने से भी विकास दर को बल मिलेगा.
• उर्वरक सब्सिडी को तर्कसंगत बनाया जायेगा.
• जीएसटी व अन्य सुधारों से कारोबारी माहौल बेतहर बनाया जायेगा.
• निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने के उपाय किये जायेगे.
• कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाई जाएगी.
=> केंद्रीय कैबिनेट ने नई टेक्सटाइल पॉलिसी को मंजूरी दी
केंद्रीय कैबिनेट ने 22 जून 2016 को नई टेक्सटाइल पॉलिसी को मंजूरी दे दी है.
केंद्र सरकार का लक्ष्य टेक्सटाइल सेक्टर में अगले 3 साल में करीब 1 करोड़ रोजगार को बढ़ाना है. केंद्र सरकार ने स्टार्टअप्स के लिए 10000 करोड़ रुपये के फंड्स ऑफ फंड को भी मंजूरी दी है.
नई टेक्सटाइल पॉलिसी में एक्सपोर्ट को बढ़ावा और नई फैक्ट्री खोलने पर कई तरह की रियायतें दी गई हैं. इसके आलावा सरकार ने पावर सेक्टर में भी बड़ा रिफॉर्म किया है. कैबिनेट ने बिजली बोर्डों को राहत देते हुए उदय स्कीम में ढ़ील को मंजूरी दी है.
उदय स्कीम के साथ अब और राज्यों को भी जोड़ा जाएगा. सरकार ने वित्त वर्ष 2017 में बिजली वितरण कंपनियों के 75 फीसदी कर्ज को सरकारी बॉन्ड में बदलने को मंजूरी दी है. पहले ये सीमा 50 फीसदी थी.
कैबिनेट ने देश में सबसे बड़े स्पेक्ट्रम नीलामी के प्रस्ताव को मंजूरी भी दी है. साथ ही यूसेज चार्ज तय करने के लिए प्रस्ताव दोबारा ट्राई को भेजा जाने का फैसला भी किया गया है.
वित्त वर्ष 2015-16 में कपड़ा निर्यात 40 अरब डालर रहा था, जो 47.5 अरब डालर के लक्ष्य से काफी कम है. कृषि के बाद कपड़ा क्षेत्र सबसे बड़ा नियोक्ता है. इस क्षेत्र का औद्योगिक उत्पादन में 14 प्रतिशत तथा सकल घरेलू उत्पाद में 4 प्रतिशत का योगदान है.
=> केंद्रीय कैबिनेट ने मेगा स्पैक्ट्रम की नीलामी को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 22 जून 2016 को बड़े पैमाने पर स्पेक्ट्रम नीलामी योजना को मंजूरी दे दी. इससे सरकारी खजाने में 5.66 लाख करोड़ रुपये आने की उम्मीद है.
सरकार को 2300 मेगाहटर्ज स्पेक्ट्रम नीलामी से कम से कम 64,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा दूरसंचार क्षेत्र में विभिन्न शुल्को तथा सेवाओं से 98,995 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे.
अंतर मंत्रालय समिति द्वारा मंजूर नियमों के तहत नीलामी में 700 मेगाहटर्ज का प्रीमियम बैंड भी शामिल रहेगा. इस बैंड के लिए आरक्षित मूल्य 11,485 करोड़ रुपये प्रति मेगाहटर्ज रखा गया है. इस बैंड में सेवा प्रदान करने की लागत अनुमानत: 2100 मेगाहटर्ज बैंड की तुलना में 70 प्रतिशत कम है, जिसका इस्तेमाल 3जी सेवाएं प्रदान करने के लिए किया जाता है.
इस स्पेक्ट्रम बिक्री से 5.66 लाख करोड़ रुपये का संभावित राजस्व हासिल होने की उम्मीद है, जो दूरसंचार उद्योग के 2014-15 के 2.54 लाख करोड़ रुपये के सकल राजस्व के दोगुना से भी अधिक होगा.
उंचे फ्रीक्वेंसी बैंड एक जीएचजेड से अधिक मसलन 1800 मेगाहटर्ज, 2100 मेगाहटर्ज तथा 2300 मेगाहटर्ज में स्पेक्ट्रम हासिल करने वाली कंपनियां 50 प्रतिशत का अग्रिम भुगतान करें और दो साल के स्थगन के बाद शेष राशि की अदायगी 10 साल में करें. पूर्व की नीलामियों में कंपनियों को 33 प्रतिशत अग्रिम भुगतान का विकल्प दिया गया था.
इसी तरह एक जीएचजेड से कम स्पेक्ट्रम मसलन 700 मेगाहटर्ज, 800 मेगाहटर्ज तथा 900 मेगाहटर्ज में कंपनियां 25 प्रतिशत राशि का अग्रिम भुगतान करें. उसके बाद दो साल की रोक के बाद शेष राशि का भुगतान 10 साल में करें. यह पूर्व की नीलामियों की तर्ज पर ही है, लेकिन ट्राई के सुझावों से भिन्न है.