केंद्र सरकार ने दुपहिया वाहनों को सीएनजी से चलाने के लिए भारत का पहला पायलट प्रोग्राम लॉन्चकिया

23 जून 2016 को केंद्र सरकार ने नई दिल्ली में संपीड़ित प्राकृतिक गैस (Compressed Natural Gas (CNG))से दुपहिया वाहनों के चलाए जाने के देश के पहले पायलट कार्यक्रम का शुभारंभ किया.

अपनी तरह के पहले कार्यक्रम का शुभारंभ पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री, धर्मेंद्र प्रधान और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने किया.

कार्यक्रम की विशेषताएं

• कार्यक्रम का कार्यान्वयन इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) और गेल (इंडिया) लिमिटेड द्वारा किया जाएगा.

• कार्यक्रम को हवा बदलो आंदोलन के तहत कार्यान्वित किया जाएगा. इसे गेल का समर्थन प्राप्त होगा. यह आंदोलन हवा प्रदूषण का मुकाबला करने के लिए जनता की पहल है.

• कार्यक्रम में पुनःसंयोजित 50 सीएनजी दुपहिया वाहन शामिल हैं.

• स्कूटरों में सीएनजी किट को पुनःसंयोजित किया जा रहा है. इन्हें इटुक मैन्युफैक्चरिंग इंडिया प्रा.लिमि. द्वारा बनाया गया है.

• सीएजी किट के प्रकार पर ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई) के साथ साथ दिल्ली परिवहन विभाग से मंजूरी ली गई है.

• किट में मौजूद सभी प्रकार के घटकों, पुर्जों, संयोजनों के प्रकार पर अनुमोदन पेट्रोलियम एवं विस्फोट सुरक्षा संगठन (पीईएसओ), इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी (आईसीएटी) और ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिआ (एआरएआई) से प्राप्त किया गया है.

• दुपहिया वाहनों के लिए बनाए गए सीएनजी किट में 4.8 लीटर पानी की क्षमता वाले दो सीएनजी सिलेंडर हैं, इनमें से प्रत्येक सिलिंडर में 1 किलोग्राम सीएनजी तक भरा जा सकता है.

• एक बार भरे जाने के बाद सीएजी किट वाले ये दुपहिया वाहन 120 किलोमीटर तक चल सकते हैं.

• सीएनजी लगे ये दुपहिया वाहन  75% कम हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन करते हैं जबकि इनसे होने वाला CO उत्सर्जन पेट्रोल से चलाए जाने वाले स्कूटरों के मुकाबले 20% कम है.

 

भारत–अमेरिका रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग : एक संक्षिप्त विश्लेषण

भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों में रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग महत्वपूर्ण घटक है. दो-दशकों से भी अधिक समय से खास तौर पर 2005 में जब से भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों के लिए नई रूपरेखा लागू हुई है, दोनों ही देशों ने व्यापक-रेंज वाली सामरिक भागीदारी का निर्माण किया है.

2005 की रूपरेखा के साथ 2015 की नवीकृत रूपरेखा ने रक्षा व्यापार, संयुक्त अभ्यासों, कर्मचारियों के आदान-प्रदान, समुद्र सुरक्षा एवं काउंटर-पायरेसी में गठबंधन एवं सहयोग एवं तीन सेवाओं में से प्रत्येक के बीच आदान-प्रदान कर संबंधों को गहरा बनाने की कोशिश की है.

व्यवसाय को बढ़ाने की इच्छा जनवरी 2015 में बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान एशिया-प्रशांत एवं हिन्द महासागर क्षेत्र के लिए संयुक्त रणनीतिक विजन में अच्छी तरह से दिखाई देता है. 
यह विजन एनडीए सरकार की एक्ट ईस्ट पॉलिसी को बताता है और इसी क्रम में ओबामा प्रशासन के एशिया सिद्धांत को उजागर करता है.

'एक्ट ईस्ट पॉलिसी', जिसे अगस्त 2014 में सबके सामने रखा गया था, नरसिम्हा राव सरकार की 'पूर्व की ओर देखो नीति' पर बना है और इसमें जीवंत एशिया यानि भारत और आसियान देशों के दो विकास ध्रुवों के बीच विकास की कल्पना की गयी है.

पीवोट टू एशिया पॉलिसी के तहत, अमेरिकी शासनकाल द्वारा अगले दशक में किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक होगा एशिया-प्रशांत क्षेत्र में कूटनीतिक, आर्थिक, रणनीतिक और अन्य क्षेत्रों में पर्याप्त निवेश को बढ़ावा देना. 

अमेरिका को भारत की जरूरत क्यों है? 

• एशिया का उद्भव : 21वीं शताब्दी एशिया की सदी है. विशेषज्ञों के अनुसार इस सदी में होने वाली समृद्धि अधिकांशतः एशिया-प्रशांत क्षेत्र से आएगी. इसलिए दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक शक्ति का इस इलाके में नए गठबंधन बनाना तर्कसंगत है. एशिया के भीतर, चीन के अलावा, भारत ही सिर्फ प्रमुख देश है जिसेक साथ अमेरिका के सैन्य संबंध बहुत बेहतर नहीं हैं बावजूद इसके कि अमेरिका दुनिया में दूसरा प्रमुख व्यापार भागीदार है. द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्त होने के बाद से अमेरिका इलाके के प्रमुख देशों-जापान, दक्षिण कोरिया, वियतनाम, इंडोनेशिया आदि को अपने मित्र देश के दायरे में ला सकता है. इसलिए भारत के साथ भागीदारी करना अमेरिका के लिए एकमात्र विकल्प रह जाता है. 

• चीन की चुनौतीः वर्तमान वैश्विक गतिशीलता को ध्यान में रखते हुए चीन ही एक मात्र ऐसा देश है जो आने वाले समय में अमेरिका के वर्चस्व को चुनौती दे सकता है. चीन के तथाकथित 'शांतिपूर्ण विकास' रणनीति का मुकाबला करने के लिए, भारत अमेरिका के लिए सबसे अच्छा सहयोगी हो सकता है क्योंकि यह 3500 किमी लंबी भू-सीमा साझा करता है. 

• भारत का आकर्षक हथियार बाजार : फरवरी 2016 में जारी SIPRI की रिपोर्ट के अनुसार 2011 और 2015 के बीच पांच वर्षों की अवधि में भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश  रहा है. यह प्रवृत्ति दुनिया के सबसे बड़े हथियार निर्यातक के लिए मौजूदा बाजारों (जैसे यूरोप) और प्रतिस्पर्धा (चीन से) में पूर्णता आने के संदर्भ में बड़ा अवसर प्रदान करता है.

• भूरणनीतिक गतिशीलता : भारत के साथ सैन्य संबंध अमेरिका के लिए प्रमुख आवश्यकता है क्योंकि अफगानिस्तान-पाकिस्तान, इराक, ईरान आदि समेत इलाके में इसके सुरक्षा हित हैं. अप्रैल 2016 में हुए रसद आदान–प्रदान ज्ञापन समझौता (Logistics Exchange Memorandum of Agreement (LEMOA)) के लिए सैद्धांतिक मंजूरी के विकेंद्रत करने और रसद के समर्थन, आपूर्ति और सेवा के प्रावधानों पर अमेरिकी सेना पर दबाव डालने की उम्मीद है.

• औपनिवेशिक काल से ही दक्षिण एशिया वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य के केंद्र में रहा है. यह इलाका खासकर भारत, अपने रणनीतिक स्थिति-हिन्द महासागर, मध्य एशिया क्षेत्र से कनेक्टिविटी आदि की वजह से विश्व के प्रमुख सैन्य शक्ति के लिए सैन्य दृष्टि से काफी महत्व रखता है.

• भारत का ट्रैक रिकॉर्ड : इलाके में बेहतर रक्षा सहयोगी बनने के लिए भारत अधिक योग्य है क्योंकि यहां सैन्य-नागरिक संबंध सौहार्दपूर्ण है और लोकतंत्र क्रियाशील है. इस दृष्टि से जून 2016 में अमेरिका ने भारत को प्रमुख रक्षा भागीदार के तौर पर मान्यता प्रदान की, इससे भारत को अमेरिका से अधिक उन्नत और संवेदनशील तकनीक खरीदने की अनुमति होगी.

• आतंकवाद : आज के समय में आतंकवाद निराकार, सीमा से परे और राज्यविहीन है. यह किसी भी स्रोत से और किसी भी रूप में पैदा हो सकता है.इसलिए यह भागीदारी पायरेसी, अवैध प्रवास, साइबर खतरों, रसायन, परमाणु और जैविक हथियारों से पैदा होने वाले खतरों से निपटने के लिए अनिवार्य है.

• गहरे समुद्रों में श्रेष्ठता बनाए रखना : आखिर में अपने बेहतरीन नौसेना शक्ति के कारण अमेरिका उभरा और अभी तक विश्व का प्रमुख सैन्य शक्ति बना हुआ है. इसलिए गहरे समुद्र में अपना वर्चस्व बनाए रखने की अमेरिका की इच्छा के कारन हिन्द महासागर में अपनी मौजूदगी का अहसास कराने वाले भारत के साथ गठबंधन करना मजबूरी है.

• इसके लिए हाल के द्विपक्षीय संबंधों के मूल में अमेरिका को समग्रता के साथ समुद्री सुरक्षा को रखना होगा. मई 2016 में हुए आरंभिक समुद्री सुरक्षा वार्ता और मालाबार अभ्यास 2016, (दक्षिण चीन सागर के पास) में जापान को शामिल किया जाने से इसका महत्व सिद्ध होता है. 

सहयोग से भारत को कैसे फायदा होगा?

• परमाणु खतरे को रोकना : भारत परमाणु हथियारों से लैस दो देशों-चीन और पाकिस्तान के बीच आता है. इसलिए प्रमुख रक्षा बल के तौर पर देखे और माने जाने के क्रम में भारत द्वारा अत्याधुनिक परमाणु तकनीक को बनाए रखना अनिवार्य है.ऐसा करने के लिए परमाणु सामग्रियों और संवेदनशील तकनीकों तक पहुंच, निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं जैसे परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी), मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रिजाइम (एमटीसीआर), वासेनार अरेंजमेंट और ऑस्ट्रेलियाई समूह की सदस्यता कुंजी है.इस तक पहुंच और सदस्यता के लिए अमेरिकी नेतृत्व ने कई वर्षों बाद भारत को समर्थन देने की खुले तौर पर घोषणा की है. इसमें जून 2016 में मोदी के वाइट हाइस दौरे के दौरान जारी किया गया वह संयुक्त कथन भी है जिसमें कहा गया था कि भारत-अमेरिका 21वीं सदी में मजबूत वैश्विक भागीदार होंगे.

• सेना का आधुनिकीकरण : रक्षा मंत्रालय ने 15 वर्ष की अवधि वाले दीर्घकालिक एकीकृत दृष्टिकोण योजना (एलटीआईपीपी) की घोषणा 2013 में की थी. एलटीआईपीपी का फोकस 2027 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत के साथ भारतीय सैन्य बल का आधुनिकीकरण था.


इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अमेरिका बड़ी भूमिका निभा सकता है क्योंकि यहां बोइंग, लॉकहीड मार्टिन, बीएई सिस्टम्स आदि जैसी विश्व की प्रमुख रक्षा एवं एयरोस्पेस कंपनियां हैं और यह उम्मीद अनुचित नहीं है क्योंकि 2012 में स्थापना के बाद से ही अमेरिका-भारत रक्षा तकनीक एवं व्यापार पहल (डीटीटीआई) ने परिवर्तनकारी भूमिका निभाई है और रक्षा क्षेत्र में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, रक्षा खरीद प्रक्रिया 2016 समेत हालिया नीतिगत उपायों की श्रृंखला ने स्वदेशी उत्पादन की सुविधा दी है.

 चीन का मुकाबला : चीन का ‘String of Pearls’ का सिद्धांत भारत के क्षेत्रीय शक्ति बनने की महत्वाकांक्षा के लिए प्रमुख चुनौती है. इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए अमेरिका जैसी बड़ी शक्ति का साथ होना भारत के लिए हितकर होगा.

• पाकिस्तान का विरोध : पाकिस्तान शीत युद्ध के समय से ही अमेरिका का सहयोगी रहा है. सुरक्षा की दृष्टि से पाकिस्तान बार-बार भारत के लिए खतरा साबित हुआ है क्योंकि यह सीमा पार आतंकवाद का स्रोत रहा है.इसलिए पाकिस्तान पर सैन्य नियंत्रण बनाए रखने के लिए भारत का अमेरिका के साथ होना सबसे अच्छा रहेगा. यह कारगिल युद्ध के दौरान साबित भी हो चुका है.1999 में हुए इस युद्ध के दौरान क्लिंटन प्रशासन ने पाकिस्तान पर सेना वापस बुलाने के लिए सफल दबाव बनाया और फलस्वरूप दो पड़ोसियों के बीच प्रमुख युद्ध समाप्त हुआ. 

निष्कर्ष 

प्रशिक्षित मानव संसाधनों, तकनीक, अनुसंधान, विकास एवं उत्पादन के लिहाज से निस्संदेह, अमेरिका विश्व का प्रमुख सैन्य शक्ति है. इसलिए भारत के लिए अमेरिका और उसके जैसे भागीदारों (जैसे इस्राइल, जर्मनी आदि) की क्षमताओं का लाभ उठाने के लिए इन देशों के साथ गठबंधन को मजबूत बनाना जरूरी है.

हालांकि गठबंधन बिना किसी बाधा, असफलता और नुकासन के नहीं होता. सिनेट का नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट 2017, जिसमें नाटो सहयोगियों के साथ ' वैश्विक रणनीतिक एवं रक्षा भागीदार दर्जा' का प्रस्ताव दिया गया था, में संशोधन से इंकार करने के बाद भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर कैपिटल हिल में आम सहमती न होने के संकेत मिले हैं.

इसी तरह कई अवसरों पर विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि चीन के प्रिज्म के माध्यम से अमेरिका के साथ संबंधों को देखने की भारत का जुनून उसकी संप्रभुता पर संकट पैदा कर सकता है और राष्ट्र के दीर्घकालिक रणनीतिक हितों के लिए हानिकारक हो सकता है.

फिर भी ये छोटी-मोटी असफलताएं एवं निराधार आशंका भारत और अमेरिका के संबंधों में खटास नहीं ला सकती. इसमें कोई संदेह नहीं है कि, 'एनएएम न्यूट्रल मोड' से' एलाइनमेंट विद द डी–फेक्टो सुपर पावर' में विदेश नीति का बदलना खुद में इस बाद का संकेत है कि भारत खुद को वैश्विक राजनीतिक गतिशीलता के साथ बदलने का प्रयास कर रहा है.

19वीं सदी के ब्रिटेन के भूतपूर्व प्रधानमंत्री हेनरी जॉन टेम्ल ने सही कहा था–वैश्विक राजनीति में कोई स्थायी मित्र या शत्रु नहीं होता बल्कि सिर्फ स्थायी हित होते हैं.

कुल मिलाकर अगर भारत प्रमुख शक्तियों की लीग में शामिल होना चाहता है तो वर्तमान परिस्थितियों में भारत को अमेरिका के साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाना होगा.

 

यूरोपियन यूनियन द्वारा प्रवासी संकट से निपटने हेतु नया सीमा समझौता

यूरोपियन यूनियन ने 22 जून 2016 को प्रवासियों के संकट से निपटने हेतु बॉर्डर एंड कोस्टगार्ड फ़ोर्स तैयार करने का निर्णय लिया.

प्रवासी संकट से निपटने के लिए ईयू की यह फ़ोर्स ग्रीस एवं इटली में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले प्रवासियों पर नज़र रखेगी.

28 ईयू देशों द्वारा अपनाये गये इस निर्णय को यूरोपियन कमीशन द्वारा जारी किया गया था. कमीशन ग्रीष्म ऋतु से पहले यह फ़ोर्स तैयार करना चाहता था.

यूरोपियन संसद इस संबंध में जून 2016 के चौथे सप्ताह में वोटिंग कर सकती है. इस फ़ोर्स के निर्माण से वॉरसॉ स्थित फ्रंटेक्स बॉर्डर एजेंसी का विस्तार होगा.

पृष्ठभूमि

दिसम्बर 2015 में ईयू नेताओं ने 30 जून 2016 तक नई फ़ोर्स गठित करने के लिए सीमा निर्धारित की थी.

शेंगेन के तहत विभिन्न देशों ने अपने बॉर्डर को पुनः निर्धारित किया ताकि अवैध प्रवास को रोका जा सके. वर्ष 2015 के आरंभ से अब तक 10 लाख से भी अधिक प्रवासी इन देशों में प्रवेश कर चुके हैं.

इस नए समझौते के तहत सदस्य देश अपने देशों की सीमाओं की पहले की भांति ही निगरानी करेंगे लेकिन आपातकालीन स्थिति में 1500 बॉर्डर सुरक्षाकर्मियों की सहायता ली जा सकती है.

 

दार्जिलिंग जूलॉजिकल पार्क को लन्दन के दुदले जूलॉजिकल गार्डन से मिलेगा हिम तेंदुआ

दार्जिलिंग में पद्मजा नायडू हिमालयन जूलॉजिकल पार्क को जल्द ही लंदन के डुडले जूलॉजिकल गार्डन से एक हिम तेंदुआ प्राप्त होगा. हिम तेंदुआ का नाम मकालू रखा गया है और यह 24 जून 2016 की सुबह फ्लाइट से कोलकाता हवाई अड्डे पर उतारा गया है.
हिम तेंदुआ के बारे में:
•    हिम तेंदुआ एक विडाल प्रजाति है जो मध्य एशिया में रहती है.
•    ये बिल्ली-परिवार की एकमात्र प्रजाति है.
•    हिम तेन्दुए लगभग 1.4 मीटर लम्बे होते हैं और इनकी पूँछ 90-100 सेमी तक होती है.

•    ये लगभग 15 मीटर की ऊँचाई तक उछल सकते हैं.
पद्मजा नायडू हिमालयन प्राणी उद्यान के बारे में:
•    पद्मजा नायडू हिमालयन प्राणी उद्यान पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग शहर में 67.56 एकड़ में अवस्थित है.
•    यह प्राणी उद्यान 7000 फीट की औसत ऊंचाई से भारत में सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित है.
•    प्राणी उद्यान को 1958 में स्थापित किया गया था.

 

अंतरराष्ट्रीय नाविक दिवस 25 जून को विश्व भर में मनाया गया

25 जूनः अंतरराष्ट्रीय नाविक दिवस

विश्व भर में 25 जून 2016 को अंतरराष्ट्रीय नाविक दिवस मनाया गया. वर्ष 2016 का विषय: एट सी फॉर ऑल (At Sea For All).

यह इसके वैश्विक अभियान का चौथा संस्करण थाः नाविक का दिन. नाविक के दिन का पहला संस्करण आईएमओ ने वर्ष 2011 में मनाया था.

25 जून को अंतरराष्ट्रीय नाविक दिवस मनाने का फैसला अंतरराष्ट्रीय समुद्री संगठन (आईएमओ) ने वर्ष 2010 में लिया था. नाविक दिवस को संयुक्त राष्ट्र ने पालन सूची (ऑब्जर्वेंस लिस्ट) में भी शामिल कर लिया गया है.

इस फैसले के मोटो से यह पता चलता है कि हमारे दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाले लगभग सभी चीजें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समुद्री परिवहन द्वारा प्रभावित हैं.

आईएमओ के अनुमान के मुताबिक दुनिया के माल–व्यापार का लगभग 90 फीसदी जहाजों द्वारा ही ले जाया जाता है.

नाविक न सिर्फ जहाजों के संचालन के लिए बल्कि मालवाहक जहाज के सुरक्षित और सुचारू वितरण के लिए भी जिम्मेदार होते हैं.

 

केंद्र सरकार ने जिला स्तर पर सलाहकार एवं निगरानी समितियों के गठन को मंजूरी दी

22 जून 2016 को केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने जनता केंद्रित नियोजन एवं नई शहरी विकास योजनाओँ के कार्यान्वयन को बढ़ावा देने के लिए  जिला स्तर पर सलाहकार एवं निगरानी समितियों के गठन को मंजूरी दे दी.

इन समितियों में देश के निर्वाचित प्रतिनिधि होंगे, इसलिए सांसदों (एमपी) और विधान सभा के सदस्यों (विधायकों) की उपस्थिति शहरी विकास योजनाओं के कार्यान्वयन को सही दिशा देंगे. अपनी तरह की पहली, ये समितियां शहरी विकास, सस्ते आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों का पर्यवेक्षण, समीक्षा और निगरानी करेंगी. 

कार्यक्रम जिनकी निगरानी की जाएगी 

• स्वच्छ भारत मिशन 
• अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (अमरुत) 
• विरासत शहर विकास एवं संवर्धन योदना (हृदय) 
• प्रधानमंत्री आवास योजना–सब के लिए घर (शहर) और 
• दीनदयाल अंत्योदय योजना–राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन 

समितियों के विचारार्थ 

• नागरिकों की कुशल भागीदारी को बढ़ावा देना.


• जलापूर्ति जैसे सेवा स्तर के संकेतकों में सुधार की समीक्षा. 
• ई– गवर्नेंस पर फोकस के साथ सुधारों के कार्यान्वयन और निर्माण परमिट को मंजूर कराने में आसानी की प्रगति की समीक्षा.
• कार्यान्वयन में आ रही बाधाओँ पर राज्य एवं केंद्र सरकारों को परामर्श देना. 
• कार्यान्वयन के मध्य में सुधार सुझाव प्रदान करना. 
• विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय की सुविधा. 

अध्यक्ष और समिति के सदस्य 

केंद्र/ केंद्र शासित प्रदेश द्वारा संसद के वरिष्ठतम सदस्य को समति का अध्यक्ष नियुक्त किया जाएगा और दो और सांसद-लोकसभा और राज्य सभा से एक–एक, सह-अध्यक्ष होंगे। समिति के सदस्य होंगे– 

• शहरी स्थानीय निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले संबंधित जिलों के सभी विधायक और मेयर. 
• शहरी स्थानीय निकायों के अध्यक्ष. 
• जिला में शहरी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी. 
• लोक स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के वरिष्ठतम प्रतिनिधि. 
• जल बोर्ड और सीवरेज बोर्ड जैसे निकायों के वरिष्ठतम अधिकारी. 
• महानगरों के जिलाअधिकारी या नगरनिगम आयुक्त सदस्य सचिव होंगे.

 

26 June

भारतीय क्विज मास्टर नील ओ ब्रायन का निधन

लोकप्रिय क्विज मास्टर व भारत में एंग्लो इंडियन समुदाय के आइकन रहे नील ओ ब्रायन का 24 जून 2016 को कोलकाता में निधन हो गया. वे 82 साल के थे. वे लंबे समय से उम्र जनित बीमारियों से जूझ रहे थे.

नील  ब्रायन के बारे में:

•    नील भारत में एंग्लो इंडियन समुदाय के सबसे प्रतिष्ठित सदस्यों व अग्रणी नेताओं में से एक थे.

•    पूर्व लोकसभा सदस्य नील एक जाने-माने शिक्षाविद् के तौर पर पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए तीन बार एंग्लो इंडियन विधायक रूप में मनोनीत किए गए.

•    वे काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआइएससीई) के अध्यक्ष के साथ प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, भारत के प्रबंध निदेशक भी रह चुके थे.

 

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस (International Olympic Day) 23 जून को विश्वभर में मनाया गया

23 जूनअंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस (International Olympic Day)

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस (International Olympic Day) विश्वभर में 23 जून 2013 को मनाया गया. पिछले दो दशकों में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस ने विश्व के प्रत्येक कोने में ओलंपिक आदर्शों का प्रसार करने में मदद की है.

2016 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेल का आयोजन ब्राज़ील के रियो डि जेनेरो शहर में 5 अगस्त से 21 अगस्त 2016 तक होना है.

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस से संबंधित मुख्य तथ्य:

• इस दिन सैकड़ों जवान और बूढ़े दौड़, प्रदर्शनियों, संगीत और शैक्षिक सेमिनार के रूप में खेल गतिविधियों में भाग लेते हैं.

• 23 जून 1894 में पेरिस में आयोजित आधुनिक ओलंपिक खेलों की शुरूआत के उपलक्ष्य में यह दिन मनाया जाता है.

• इस दिवस की शुरूआत वर्ष 1948 में अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा की गई, जब स्विट्ज़रलैंड के नगर सेंट-मोरित्ज़ में आयोजित अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के 42वें सत्र में यह निर्णय लिया गया था कि भविष्य में प्रत्येक वर्ष इस संगठन के गठन की तिथि पर (23 जून) अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस मनाया जाएगा.