विश्व की पहली ड्राईवर रहित टैक्सी सेवा सिंगापुर में आरंभ

विश्व की पहली ड्राइवर रहित टैक्सी सेवा सिंगापुर में 25 अगस्त 2016 से आरंभ की गयी. इसे नुटोनॉमी नामक कम्पनी द्वारा आरंभ किया गया. 

इस परियोजना के तहत 6 स्वचालित कारों को बतौर पायलट-प्रोजेक्ट आरंभ किया गया है. इनमे मित्सुबिशी ई-एमआईईवीएस तथा रेनो ज़ोस जैसी गाड़ियां शामिल हैं. यह टैक्सियां पहले से चयनित किए गए पिक-अप एवं ड्रॉपिंग लोकेशन में 2.5-वर्ग मील के क्षेत्र में ही सुविधा देंगी.


इस व्हीकल स्टार्टअप कंपनी ने टेक्सी सर्विस कम्पनियों उबर और ओला को पछाड़ते हुए ये सर्विस शुरू की. यह कारें जीपीएस टेक्नॉलोजी की सहायता से काम करती हैं. नुटोनॉमी ने दावा किया कि वह वर्ष 2018 तक अपनी पूरी टैक्सी सर्विस को ड्राइवर रहित कर देगी.

 

केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने सरोगेसी विधेयक 2016 को स्‍वीकृति दी

केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने 24 अगस्त 2016 को सरोगेसी के नए विधेयक 2016 के मसौदे को मंजूरी दे दी. विधेयक के मसौदे का उद्देश्‍य सरोगेट माताओं के अधिकारों की रक्षा करना है. इससे देश में सरोगेसी के इस्‍तेमाल की व्‍यवस्‍था का नियमन भी किया जा सकेगा. इससे सेरोगेट मदर के अधिकार सुनिश्चित होंगे.

सरोगेसी पर नियंत्रण हेतु कानूनी व्‍यवस्‍था के अभाव में ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों सहित विभिन्‍न क्षेत्रों में सरोगेसी के जरिये गर्भाधान के मामले सामने आये.

  • जिस कारण असामाजिक तत्‍वों द्वारा महिलाओं का शोषण किया जाना संभव था.
  • महिलाओं के शोषण को रोकने, खासतौर पर ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में रोक लगाने हेतु सरकार ने देश में विदेशियों द्वारा सरोगेसी का फायदा उठाने पर पाबंदी लगाई है और एक व्‍यापक कानून का मसौदा तैयार किया है.
  • इस प्रकिया को कानूनी दायरे में लाने और कमर्शियल सेरोगेसी पर रोक लगाना है.
  • सरकार इस बिल के जरिए देश में सरोगेसी को रेग्यूलेट करने हेतु एक नया कानूनी ढांचा तैयार करना चाहती है.
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के बाद इस विधेयक को संसद में लाया जाएगा.

सरोगेसी विधेयक के मुख्य तथ्य-

  • इस विधेयक के बाद अब विदेशियों को किराए की कोख नहीं मिल सकेगी.
  • विधेयक के अनुसार अब भारतीय महिलाओं को ही परोपकार के तौर पर सरोगेसी का अधिकार होगा.
  • ड्राफ्ट विधेयक में एक बोर्ड के गठन का प्रस्ताव है जो क्लीनिक को नियंत्रित और जांच करेगी.
  • भारतीय नागरिकों को सिर्फ उन्हीं मामलों में सरोगेसी को मंजूरी दी जाएगी जिसमें इनफर्टिलिटी को साबित किया जाएगा.
  • यह अधिकार एनआरआई और ओसीआई होल्डर के पास नहीं होगा.
  • लॉ कमीशन के मुताबिक सरोगेसी को लेकर विदेशी दंपत्तियों के लिए भारत एक पसंदीदा देश बन चुका है.
  • नेशनल सरोगेसी बोर्ड, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश स्तर तक स्टेट सरोगेसी बोर्ड का गठन किया जाएगा.
  • बिल कमर्शियल सरोगेसी पर रोक लगाने और निःसंतान दंपती को नीति परक सरोगेसी की इजाजत देने के लिए लाया गया है.
  • सिंगल पैरंट्स, होमोसेक्सुअल कपल, लिव-इन में रहने वालों को सरोगेसी की इजाजत नहीं दी जाएगी.
  • सरोगेसी के लिए दंपति को कम से कम दो साल शादीशुदा होना जरूरी है

क्या है सरोगेसी-

  • सरोगेसी एक महिला और एक दंपति के बीच का एक एग्रीमेंट है.
  • जो अपना खुद का बच्चा चाहता है.
  • सामान्य शब्दों में सरोगेसी का मतलब है कि बच्चे के जन्म तक एक महिला की ‘किराए की कोख’.
  • आमतौर पर सरोगेसी की मदद तब ली जाती है जब किसी दंपति को बच्चे को जन्‍म देने में कठिनाई आ रही हो.
  • बार-बार गर्भपत हो रहा हो या फिर बार-बार आईवीएफ तकनीक फेल हो रही है.
  • महिला किसी और दंपति के बच्चे को अपनी कोख से जन्‍म देने को तैयार हो जाती है उसे ‘सरोगेट मदर’ कहा जाता है.

कहां मिलती है सरोगेट मदर-

  • सरोगेसी कुछ विशेष एजेंसी द्वारा उपलब्ध करवाई जाती है.
  • इन एजेंजिस को आर्ट क्लीनिक कहा जाता है.
  • जो कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की गाइडलाइंस फॉलो करती है.
  • सरोगेसी का एक एग्रीमेंट बनवाया जाता है.
  • जिसे दो अजनबियों से हस्ताक्षर करवाएं जाते हैं जो कभी नहीं मिले.
  • सरोगेट परिवार का सदस्य या दोस्त भी हो सकता है.
  • सरोगेसी के लिए भारत क्यों है पॉपुलरभारत में किराए की कोख लेने का खर्चा यानी सरोगेसी का खर्चा अन्य देशों से कई गुना कम है.
  • साथ ही भारत में ऐसी बहुत सी महिलाएं उपलब्ध हैं. जो सरोगेट मदर बनने को आसानी से तैयार हो जाती हैं.
  • गर्भवती होने से लेकर डिलीवरी तक महिलाओं की अच्छी तरह से देखभाल तो होती ही है साथ ही उन्हें अच्छी खासी रकम भी दी जाती है.

वस्तु स्थिति-

स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग को भेजे गए दो स्वतंत्र अध्ययनों के मुताबिक हर साल भारत में 2000 विदेशी बच्चों का जन्म होता है. जिनकी सेरोगेट मां भारतीय होती हैं. देश भर में करीब 3,000 क्लीनिक विदेशी सेरोगेसी सेवा मुहैया करा रहे हैं.

 

केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने पॉक्सो ई-बॉक्सकी शुरुआत की

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका संजय गांधी ने 26 अगस्त 2016 को नई दिल्ली में बच्चों को यौन अपराधों से सुरक्षा के लिए पॉक्सो ई-बॉक्स की शुरूआत की.

पॉक्सो ई-बॉक्स एक ऐसा मंच है जहां यौन शोषण से पीड़ित कोई भी बच्चा अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करा सकता है. यह पहल, बाल अधिकारों के संरक्षण की राष्ट्रीय संस्था द्वारा बाल यौन शोषण की सीधे ऑनलाइन शिकायत के लिए की गई है.

महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री कृष्णा राज और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर मौजूद थे.

संबंधित मुख्य तथ्य:

•    पॉक्सो ई-बॉक्स प्रणाली से संबंधित अपराधों की शिकायत आसानी से की जा सकेगी और इस पर तुरंत कार्रवाई करना सुनिश्चित किया जा सकेगा.

•    पॉक्सो ई-बॉक्स को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से जोड़ा गया है और इसकी वेबसाइट पर यह विकल्प उपलब्ध होगा.

•    राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की वेबसाइट http://ncpcr.gov.in/ के लिए राष्ट्रीय आयोग के मुख पृष्ठ में शामिल किया है.

•    पीडि़त या व्यस्क कोई भी वेबसाइट पर जाकर बच्चे के यौन उत्पीडऩ संबंधी शिकायत दर्ज करा सकता है.

 

28 August

भारतीय रिजर्व बैंक ने ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्वंय सहायता समूहों को सात प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण देने की घोषणा की

भारतीय रिजर्व बैंक ने 25 अगस्त 2016 को ग्रामीण क्षेत्रों में महिला स्वंय सहायता समूहों को सात प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण देने की घोषणा की.

स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को 2016-17 के लिए संशोधित दिशानिर्देशों के आधार पर सात प्रतिशत सालाना की ब्याज दर पर ऋण देने का निर्देश दिया गया है.

रिजर्व बैंक ने एक अधिसूचना में कहा है कि सभी महिला स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) दीनदयाल अंत्योदय योजना-250 जिलों में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्रति वर्ष 7% पर तीन लाख रुपये तक ऋण के लिए पात्र होंगे.

अधिसूचना के अनुसार जिन स्वयं सहायता समूहों को उनके मौजूदा बकाया ऋणों पर स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना के तहत पूंजी सब्सिडी मिल रही है, वे इस योजना के लाभ प्राप्त करने के हकदार नहीं होंगे.

 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले तीन ओलिंपिक के लिए टास्क फोर्स के गठन की घोषणा की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 अगस्त 2016 को अगले तीन ओलि‍म्पिक खेलों की कार्य योजना तैयार करने के लिए एक टास्क फोर्स के गठन की घोषणा की. टास्क फोर्स 2020, 2024 और 2028 में होने वाले ओलि‍म्पिक खेलों में भारतीय खिलाडि़यों की प्रभावशाली भागीदारी के लिए एक समेकित कार्य योजना तैयार करेगा.

टास्क फोर्स में सांसदों के साथ बाहरी विशेषज्ञ भी शामिल होंगे, जो खेल सुविधाओं, प्रशिक्षण, चयन प्रक्रिया और अन्य संबंधित मुद्दों पर सम्पूर्ण रणनीति तैयार करेंगे.

ओलंपिक 2020 का आयोजन टोक्यो में किया जाएगा. टास्क फोर्स खेल सुविधा, ट्रेनिंग, चयन प्रक्रिया और अन्य संबंधित मामलों में समूची रणनीति तैयार करेगा. टास्क फोर्स में उन लोगों को शामिल किया जाएगा जो घरेलू विशेषज्ञ होंगे और बाहरी लोगों को भी शामिल किया जाएगा. प्रधानमंत्री ने कहा कि कार्यबल का गठन अगले कुछ दिनों में किया जाएगा.

टास्क फोर्स में देसी और विदेशी विशेषज्ञ शामिल होंगे जो खेल सुविधाओं, प्रशिक्षण, चयन प्रक्रिया और इससे जुड़े अन्य मुद्दों पर रणनीति तैयार करेंगे.

हाल में संपन्न रियो ओलंपिक में भारत ने लगभग 118 खिलाड़ियों का दल भेजा था, लेकिन भारत के हिस्से सिर्फ दो पदक आए. महिला पहलवान साक्षी मलिक ने कांस्य जबकि बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ने रजत पदक जीता.