29-31 Dec 2014 Hindi

महेंद्रसिंहधोनीनेअंतरराष्ट्रीयटेस्टक्रिकेटसेसंन्यासकीघोषणाकी

30-DEC-2014

महेंद्र सिंह धोनी ने तत्काल प्रभाव से अंतरराष्ट्रीय टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा 30 दिसंबर 2014 को की. धोनी ने क्रिकेट के सभी प्रारूपों में खेलने के दबाव का हवाला देकर टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का फैसला किया. अब वह एकदिवसीय और टी-20 प्रारूप पर ध्यान केंद्रित करना चाहते है.

महेंद्र सिंह धोनी ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास का निर्णय मेलबोर्न क्रिकेट ग्राउंड पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे टेस्ट (एमसीजी) के बाद किया. यह मैच  ड्रा हो गया. इसके साथ ही भारत यह सीरीज भी हार गया. हालांकि, धोनी ने  तीनों प्रारूपों में 134 खिलाड़ियों के स्टंपिंग के कुमार संगकारा के रिकॉर्ड को पीछे कर दिया.

विराट कोहली सिडनी में 6 जनवरी से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शुरू होने वाले चौथे टेस्ट के लिए भारतीय टीम के कप्तान होंगे. भारत पहले ही यह सीरीज हार चुकी है.


महेंद्रसिंहधोनी

  • महेंद्र सिंह धोनी ने दिसंबर, 2005 में चेन्नई में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया.
  • महेंद्र सिंह धोनी के नेतृत्व में भारत टेस्ट रैंकिंग में नंबर एक टीम बनीं.
  • वह वर्ष 2008 में भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के कप्तान बने.
  • महेंद्र सिंह धोनी ने अपने करियर में 90 टेस्ट मैच खेले और 144 पारियों में 38.09 की औसत से 4876 रन बनाए, जिनमें छह शतक और 33 अर्द्धशतक शामिल हैं.
  • महेंद्र सिंह धोनी का टेस्ट क्रिकेट उच्चतम स्कोर 224 रन है.
  • धोनी सर्वाधिक टेस्ट मैचों में भारतीय टीम का नेतृत्व करने वाले कप्तान हैं.
  • उन्होंने कुल 60 मैचों में कप्तानी की, जिनमें से 27 में टीम को विजय हासिल हुई और 18 में हार का सामना करना पड़ा, जबकि 15 मैच ड्रॉ रहे.

नासाअंतरिक्षमलबेकोसाफ़करनेकेलिएगेक्कोग्रिपर्सकोविकसितकररहाहै

30-DEC-2014

पासाडेना, कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्सन प्रयोगशाला (जेपीएल) में शोधकर्ताओं द्वारा अंतरिक्ष मलबे जिसमें कक्षीय मलबे या ख़राब हो चुके उपग्रहों आदि वस्तुयें सम्मिलित हैं को साफ़ करने के लिए गेक्को ग्रिपर्स को विकसित करने हेतु प्रयास किया जा रहा हैं. गेक्को ग्रिपर मूल रूप से एक चिपकने वाला पदार्थ है. इस से संबंधित खबर को 19 दिसम्बर 2014 को जेट प्रोपल्सन प्रयोगशाला की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया था.

इस ग्रिप्पिंग प्रणाली को हारून परनेस जो एक जेपीएल में कार्य करने वाले एक रोबोटिक्स शोधकर्ता और ग्रिपर्स के लिए प्रमुख अन्वेषक है द्वारा विकसित किया गया है. यह प्रणाली गेको से प्रेरित है, जो छिपकलियों के एक गण गेक्कोटा से संबंधित हैं यह उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में सामान्यतया पायी जाती हैं. 
यह प्रणाली कैसे काम करती है 
विकसित किये जा रहे गेक्को ग्रिपर्स पर सिंथेटिक बाल हैं जो गेको छिपकलियों के पैरों पर पाए जाने वाले छोटे बाल की तरह हैं. इन सिंथेटिक बालों को स्ताल्क्स भी कहा जाता हैं. ये पच्चर के आकार के हैं और दूसरी तरफ ये मशरूम के टोपी जैसे है.
ग्रिप्पिंग पैड हल्के से किसी वस्तु के हिस्से को छू लेती है तो बालों का केवल उपरी भाग किसी वस्तु को छू पाता हैं, ग्रिपर्स की चिपचिपाहट को प्रारंभ या बंद किया जा सकता हैं साथ ही इनकी दिशा भी परिवर्तित की जा सकती हैं. 
गेक्को ग्रिपर्स की अस्थायी चिपचिपाहट वान डर वाल्स बल के प्रयोग के माध्यम से हासिल की जाती है. इस बल को नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी योहानेस डिडरिक वान डर वाल्स के नाम पर रखा गया है. जब वान डर वाल्स बल को चिपकने वाला पैड पर लागू किया जाता है, तो सिंथेटिक बाल झुक जाते हैं. 
इस तरह से बाल और सतह के बीच संपर्क का वास्तविक क्षेत्र बढ़ जाता है, जो अधिक से अधिक आसंजन के लिए संगत हैं. जब बल का प्रभाव समाप्त कर दिया जाता हैं तो बाल पुनः सीधे हो जाते हैं तथा इस प्रक्रिया से चिपचिपाहट बंद हो जाती है.
परमाणुओं के नाभिक की परिक्रमा करने वाले इलेक्ट्रॉनों का समान वितरण नहीं होने से हल्का विद्युतीय आवेश उत्पन्न होता हैं जिसके कारण ये अस्थायी चिपकने वाला बल उत्पन्न होता हैं. यह बल अत्यधिक तापमान, दबाव और विकिरण की स्थिति में भी जारी रह सकता हैं. 
सफल प्रयोग 
जेपीएल में 30 से अधिक अंतरिक्ष यान की सतहों का परीक्षण ग्रिपर्स की सटीकता की जाँच करने के लिए किया जा चुका हैं. इससे पहले अगस्त 2014 में, एक परीक्षण उड़ान नासा के अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी मिशन निदेशालय द्वारा गेक्को ग्रिपर परियोजना को जांचने के लिए की गयी थी.
परीक्षण के दौरान नासा के सी – 9 बी की उड़ान के दौरान विमान पर सवार शोधकर्ताओं ने भारहीनता की संक्षिप्त अवधि में ग्रिपर्स का इस्तेमाल किया. परीक्षण के दौरान ग्रिपर्स एक 20 पौंड के घन जो तैर रहा था को पकड़ने में सफल रहा इसके साथ ही ग्रिपर्स अंतरिक्ष यान सामग्री पैनलों से बना एक बनियान पहने एक शोधकर्ता जो 250 पौंड वस्तु के बराबर था को पकड़ने में भी सफल रहा. इन ग्रिपर्स का जेपीएल थर्मल निर्वात चैम्बर में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है, कुल निर्वात की स्थिति और 76 डिग्री फारेनहाइट के नीचे (शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस निचे) के तापमान जो अंतरिक्ष की शर्तों के अनुकरण करने के समान हैं.
इसका 30000 से अधिक चक्र में चालू और बंद करके परिक्षण किया गया, इसके बाद भी इसका चिपकाने का गुण अच्छे से कार्य करता रहा. उसके पश्चात् कई प्रोटोटाइप के डिजाइन तैयार किये जा चुके है.
गेक्को ग्रिपर का उपयोग 
कक्षीय मलबे को साफ़ करने के अलावा, ये ग्रिपर्स अंतरिक्ष यान के निरीक्षण में मदद कर सकता है या छोटे उपग्रहों को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से डॉकिंग में सहायता करते हैं. इस प्रणाली द्वारा  अंतरिक्ष में घूम रही वस्तुओं को आसानी से पकड़ा जा सकता हैं, अन्यथा उनको लक्षित करना कठिन होता हैं.
इस तरह के उपकरण की क्या जरूरत है 
पृथ्वी की कक्षा में 3.9 इंच (10 सेंटीमीटर) से भी बड़े 21000 से अधिक टुकड़े कक्षीय मलबे से तैर रहे हैं. अमेरिकी अंतरिक्ष निगरानी नेटवर्क नियमित तौर पर इन वस्तुओं की निगरानी करता हैं. 2009 में, एक आकस्मिक टक्कर एक कार्यकारी संचार उपग्रह और मलबे के एक बड़े टुकडें के बीच हुई थी जिसमें उपग्रह नष्ट हो गया था.

संयुक्तराष्ट्रसुरक्षापरिषदने 12 महीनोंहेतुसीरियाकेलिएमानवीयसहायताकानवीकरणकिया

30-DEC-2014

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनपीएससी)  ने 17 दिसंबर 2014 को बिना सीरिया सरकार की सहमति के सीरिया के लिए 12 माह हेतु मानवीय सहायता का नवीकरण किया. जुलाई 2014 में पारित प्रस्ताव 2165 के अनुसार, सीरिया के नागरिकों के लिए मानवीय सहायताएं 10 जनवरी 2016 तक के लिए बढ़ा दीं गईं.

प्रस्तावकेमुख्यबिंदु

  • मानवीय सहायता विवादास्पद सीमाओं और सीरिया को छूने वाली तुर्की, इराक और जोर्डन की सीमा के लिए नवीनीकृत की गई.
  • चार देशों की सीमाएं जो सीरिया को छूती हैं, उनके नाम हैं इराक बोर्डर पर यारूबियाह, जोडर्न बोर्डर पर अल-रमथा और तुर्की सीमा पर बाब अल हवा.
  • संयुक्त राष्ट्र के मानवीय सहायता एजेंसियों और उनके सहयोगियों को बुलाकर प्रभावित क्षेत्रों में सबसे जरूरतमंद लोगों तक ; अधिकृत द्ध सीमा पार तक जहां तक संभव हो मदद पहुंचाने के लिए कहा गया.
  • इसमें पहले शुरू किए गए प्रस्ताव 2139 व 2165 के अनुपालन में हुई खामियों पर चिंता व्यक्त की गई और दूरगामी क्षेत्रों तक लोगों के बीच अधिक मदद पहुंचाने की मांग की गई.
  • इसके अंतर्गत नागरिकों से स्कूलों, अस्पतालों व निर्दोष लोगों पर होने वाले हमले के खिलाफ खड़े होने और मुकाबला करने के लिए हथियारों को चलाने के लिए कहा गया.
  • इसमें अपहरण किए गए लोगों की रिहाई के लिए कठोरता से कहा गया और बच्चों व महिलाओं के साथ जारी कुप्रथाओं को रोकने और बुजुर्गो की सहायता करने की अपील की गई.
  • पड़ोसी देशों से सीरिया में मदद के लिए आ रही सामग्री के लगातार आवागमन की निगरानी के लिए भी इसमें कहा गया.
  • इसमें संयुक्त राष्ट्र के मध्यस्थों की सीरिया के स्ताफन दे मिस्तुरा के क्रियाकलापों के संबंध में उससे बात करने और कुछ प्रांतों में सीजफायर की घोषणा करने की भी बात कही गई.
  • संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक सीरिया में वर्तमान में 12.2 मिलियन लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है. सीरिया की करीब आधी आबादी विस्थापित हो चुकी है, 7.6 मिलियन लोगों के आंतरिक विस्थापन के साथ 3 मिलियन से ज्यादा लोग पड़ोसी देशों में शरणार्थी बने हुए हैं.

एसटीएपीतकनीक : एकअद्वितीयपुनःकार्यक्रमितकोशिकीयघटना

30-DEC-2014

उत्तेजना प्रेरित प्लुरीपोटेंसी प्राप्त करने की तकनीक (Stimulus-triggered acquisition of pluripotency, एसटीएपी) एक अद्वितीय पुनः कार्यक्रमित कोशिकीय घटना है. जापान के स्टेम कोशिका वैज्ञानिक हरुको ओबो काटा जो स्टेम सेल कांड के मुख्यकर्ता थे, ने 19 दिसंबर, 2014 पर आरआईकेईएन अनुसंधान संस्थान, जापान से इस्तीफा दे दिया के कारण एसटीएपी तकनीक सुर्ख़ियों में थी.

एसटीएपी तकनीक में न तो नाभिक हस्तांतरण की आवश्यकता है और न ही प्रतिलेखन कारक की. बल्कि इसमें प्रतिबद्ध दैहिक कोशिकाओं द्वारा चयन के बजाय पुनः कार्यक्रमित कोशिकीय क्रियाओं से एसटीएपी कोशिकाओं को जन्म दिया जाता हैं. 
एसटीएपी कोशिकाओं को शुद्ध लिम्फोसाइटों और साथ ही जीन पुनर्व्यवस्था विश्लेषण से उत्पादित किया जा सकता हैं. 
यह प्लुरीपोटेंट स्टेम सेल पैदा करने की एक कथित विधि है जिसमें साधारण कोशिकाओं पर कुछ प्रकार के तनाव जैसे की एक जीवाणु विष के अनुप्रयोग, तनु अम्ल में डूबा कर या शारीरिक दबाव डालकर इनका निर्माण किया जाता हैं. 
इस तकनीक में, मजबूत बाहरी उत्तेजनाओं जैसे की क्षणिक कम पीएच तनाव से पुनः कार्यक्रमित स्तनधारी दैहिक कोशिकाओं का उपयोग प्लुरीपोटेंट स्टेम सेल के निर्माण के लिए किया जाता हैं. 
एसटीएपी कोशिकाओं पर अनुसंधान ने डीएनए मेथिलिकरण में प्लुरीपोटेंसी मार्कर जीन की विनियामक क्षेत्रों में पर्याप्त कमी का पता चला है. ब्लास्टोसिस्ट इंजेक्शन से पता चला कि एसटीएपी कोशिकाओं चिमेरिक भ्रूण को और संतानों के लिए जर्मलाइन संचरण के माध्यम से योगदान देती हैं. 
एसटीएपी कोशिकाओं पर अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि एसटीएपी कोशिकाओं से मजबूती के साथ विस्तार योग्य प्लुरीपोटेंट कोशिका लाइनों भी प्राप्त किया जा सकता है.
इसका अर्थ यह है कि स्तनधारी कोशिकाओं के एपिजेनेटिक भाग्य का निर्धारण मजबूत पर्यावरण संकेतों से एक संदर्भ पर निर्भर से निर्धारित किया जा सकता हैं.

इंडोनेशियामेंबीटलजीनसट्रिगोनोप्टेरसकी 98 नईप्रजातियोंकीखोजकीगई

30-DEC-2014

शोधकर्ताओं ने जावा, बाली और अन्य इंडोनेशियाई द्वीप समूहों में बीटल जीनस ट्रिगोनोप्टेरस की 98 नई प्रजातियों की खोज की. नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम कार्लज़ूए, जूलॉजिकल स्टेट कलेक्शन म्यूनिख और इंडोनेशियाई रिसर्च सेंटर ऑफ़ बायोलॉजी के शोधकर्ताओं ने यह खोज की और दिसंबर 2014 के तीसरे सप्ताह में जर्नल जूकीज में निष्कर्षों को प्रकाशित किया.

इंडोनेशिया में खोजी गयी इन 98 नई बीटल की प्रजातियों में से एक प्रजाति का नाम प्रसिद्ध अंग्रेजी प्रकृतिवादी सर डेविड एटनबरो के नाम पर रखा गया. यह पिछले 50 वर्षों में उनके द्वारा किये गए काम को पहचान प्रदान करने के लिए रखा गया.

बीटल की ट्रिगोनोप्टेरस एटनबरोगी लाल-भूरे रंग की और 2.63 मिली मीटर लम्बाई की हैं. इस प्रजाति को बाली वन क्षेत्रों में पाया गया हैं जिसको नियमित रूप से पैकेज टूर द्वारा दौरा किया जाता हैं.

इन बीटल प्रजातियों में से कई छोटे क्षेत्रों तक ही सीमित हैं और कभी कभी वे एक ही इलाके में ही पाए जाते हैं. ये बीटल पंखहीन हैं और साधारणतया ये लाखों वर्षों तक एक ही जगह पर रहते हैं एवं इनकी गतिशीलता बहुत निम्न होती हैं. इससे पहले एक टिड्डा, एक पेड़, एक प्रकार का झींगा और एक मकड़ी की प्रजाति का नाम एटनबरो के नाम पर रखा जा चुका हैं.

केंद्रसरकारने ‘मदनमोहनमालवीयराष्ट्रीयशिक्षकएवंशिक्षणमिशन’ योजनाकाआरंभकिया

30-DEC-2014

केंद्र सरकार ने 25 दिसंबर 2014 को ‘मदन मोहन मालवीय राष्ट्रीय शिक्षक एवं शिक्षण मिशन’ योजना का आरंभ किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में इस मिशन की शुरुआत की.

यह मिशन बारहवीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत करीब 900 करोड़ रुपये के बजट के अनुमान के साथ शुरू किया गया. यह व्यापक शिक्षा शास्त्र में शिक्षकों, शिक्षण, शिक्षकों की तैयारी, व्यावसायिक विकास, पाठ्यक्रम डिजाइन, डिजाइनिंग और विकसित आंकलन व मूल्यांकन पद्धति व शोध से संबंध रखने वाले सभी मुद्दों को प्रभावी बनाने के उद्देश्य के साथ शुरू किया गया.

एक तरफ यह मिशन वर्तमान व आवश्यक मुद्दों जैसे योग्य शिक्षकों की आपूर्ति, हुनरमंद व्यक्तियों को शिक्षा के व्यवसाय की ओर आकर्षित करने और स्कूलों व कॉलेजों में शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने का प्रयास है. वहीं, दूसरी तरफ यह मिशन शिक्षकों के मजबूत पेशेवर कैडर के निर्माण व उनके दीर्घकालीन उद्देश्यों की ओर देखता है. साथ ही आविष्कार परक या अनोखी शिक्षा के लिए उच्च श्रेणी की शिक्षण सुविधाएं मुहैया कराने और शिक्षकों के पेशेवर विकास की तरफ भी ध्यान केंद्रित करता है.

यह मिशन आवश्यक और दीर्घकालीन उद्देश्यों हेतु शिक्षा क्षेत्र के कार्यक्रमों के स्तर व क्षेत्रों जैसे उच्च, तकनीकी इत्यादि में बांटे बिना इन पर समान रूप से ध्यान देगा. यह मिशन एक छतरी योजना की तरह होगा जो वर्तमान केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय या स्वायत्त संस्थाओं के अधीन संचालित शिक्षण व संस्थाओं और शिक्षकों को उन्नत करने के बीच तालमेल स्थापित करेगा.


मिशन के मुख्य भाग जैसे शिक्षा विद्यालय (केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ), पाठ्यक्रमों और पद्धति के लिए उत्कृष्टता केंद्र शिक्षकों के अंतर विश्वविद्यालयीय केंद्र, शिक्षा के लिए राष्ट्रीय संसाधन केंद्र, अकादमिक नेतृत्व और शिक्षा प्रबंधन केंद्र, नई खोज, पुरस्कार, शिक्षण संसाधन ग्रांट, कार्यशाला व सेमिनार और पाठ्यक्रम नवीनीकरण व सुधार के लिए विषय नेटवर्क होंगे.

इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कैंपस में वाईफाई की सुविधा को शुरू किया. उन्होंने अंतर विश्वविद्यालयीय पट्टिका का अनावरण किया और वाराणसी महोत्सव की भी शुरुआत की.

एयरएशियाकाविमान 162 यात्रियोंसहितगायबहुआ

30-DEC-2014

इंडोनेशिया से सिंगापुर जा रहा,एयर एशिया का एक विमान क्यूजेड 8501 (QZ8501) हवाई यातायात नियंत्रणकर्ताओं से संपर्क टूटने के बाद 28 दिसम्बर 2014 को गायब हो गया. इस विमान में कुल 162 लोग सवार हैं.

जकार्ता हवाई यातायात नियंत्रक से विमान क्यूजेड 8501 का संपर्क स्थानीय समयानुसार सुबह सात बजकर 24 मिनट के ठीक बाद टूट गया था. विमान की जानकारी अभी नहीं मिल सकी है. जिस समय विमान से संपर्क टूटा, उस समय यह इंडोनेशियाई उड़ान सूचना क्षेत्र (एफआईआर) में था और सिंगापुर-जकार्ता की एफआईआर सीमा से 200 एनएम से अधिक दक्षिणपूर्व में था.
विमान के साथ संपर्क इसके उड़ान भरने के 42 मिनट बाद टूट गया था. विमान में कोई भारतीय नागरिक सवार  नहीं था. विमान पर 155 यात्री और चालक दल के सात सदस्य सवार थे. स्थानीय समयानुसार सुबह पांच बज कर बीस मिनट पर विमान ने इंडोनेशिया के सुराबाया से उड़ान भरी और इसे सिंगापुर के चांगी हवाई अड्डे पर सुबह साढ़े आठ बजे उतरना था. यह विमान ए 320-200 एयरबस थी और इसकी पंजीकरण संख्या पीके-एएक्ससी थी. 
विमान को खोजने के लिए अभियान जारी हैं और एयर एशिया बचाव कार्यों में अपना पूरा सहयोग कर रही है. एयर एशिया इस क्षेत्र में एक किफायती विमानसेवा के तौर पर काफी लोकप्रिय है.यह लगभग 100 स्थानों की यात्रा करती है और कई एशियाई देशों में इसकी सहायक कंपनियां हैं.
एयर एशिया के संपर्क टूटने की इस घटना से लगभग 10 माह पहले मलेशियाई एयरलाइन्स का विमान एमएच 370 लापता हो गया था. वह विमान आठ मार्च को दक्षिणपूर्वी एशिया पर रडार के क्षेत्र से बाहर चला गया था. खोजकर्ताओं को अभी  तक एमएच 370 का कोई मलबा नहीं मिला है. अधिकारियों का मानना है कि वह विमान दक्षिणी हिंद महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था. इसके अलावा यूक्रेन विद्रोहियों ने मलेशिया के एक यात्री विमान को अभी हाल ही कुछ महीनों पहले मार गिराया था.
एयर एशिया ने विमान में सवार यात्रियों के परिजनों और मित्रों के लिए आपताकालीन केंद्र शुरू किया. जिसका नंबर +622129850801 है.

बीसीसीआईनेसंदिग्धगेंदबाजीएक्शनकेकारणप्रज्ञानओझापरप्रतिबंधलगाया

30-DEC-2014

बीसीसीआई ने भारतीय टीम से बाहर चल रहे बाएं हाथ के स्पिनर प्रज्ञान ओझा को 27 दिसम्बर 2014 को संदिग्ध गेंदबाजी एक्शन के कारण उनके गेंदबाजी पर प्रतिबंध लगा दिया. प्रतिबंध लगने के बाद वह गेंदबाजी एक्शन में सुधार के लिए चेन्नई जाएंगे.

बीसीसीआई ने ओझा के घरेलू राज्य संघ हैदराबाद को आधिकारिक रूप से सूचित किया है कि उनके गेंदबाजी एक्शन में सुधार की जरूरत है, जिसके बाद इस गेंदबाज को सेना के खिलाफ होने वाले रणजी ट्राफी मैच की टीम से हटा दिया गया.
प्रज्ञान ओझा 
• सबसे तेजी से 100 विकेट चटकाने वाला भारतीय गेंदबाज होने के बावजूद पिछले कुछ समय से ओझा के एक्शन पर संदेह के बादल छाए थे.
• प्रज्ञान भारतीय गेंदबजी में सबसे तेज 100 विकेट लेने वाले एक मात्र खिलाड़ी है. इसके बावजूद भी उनके गेंदबजी एक्शन पर काफी समय से संदेह बना हुआ था. 
• ओझा ने 24 टेस्ट मैंच में 113 विकेट तथा 18 वनडे मैचों में 21 खिलाडियों को आउट किया था.  
• इसके अलावा वह अभी तक 6 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैंच खेले हैं जिसमें उन्होंने अपनी गेंदबाजी के आगे 10 खिलाडियों को मैदान छोड़ने पर मजबूर किया.
• ओझा को मुंबई इंडियंस ने रिलीज कर दिया था,लेकिन हाल में बीसीसीआई ने उन्हें 50 लाख रुपये की राशि का ग्रेड बी रिटेनरशिप अनुबंध दिया था.

मोबाइलपरएसएमएससेमिलेगीचक्रवातकेआनेकीचेतावनी

30-DEC-2014

25 दिसंबर को केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी व भू विज्ञान मंत्रालय द्वारा एसएमएस आधारित चक्रवात चेतावनी सिस्टम शुरू किया गया, जो चक्रवात, सुनामी और मौसम संबंधी अन्य प्राकृतिक आपदाओं की जानकारी उपलब्ध कराएगा.

यह सिस्टम प्रधानमंत्री डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के तहत सुशासन दिवस के मौके पर लॉन्च किया गया.
एसएमएस आधारित चक्रवात चेतावनी तंत्र के मुख्य बिंदु 
इस वेब आधारित संचालन तंत्र के अंतर्गत, भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी)  द्वारा उन लोगों को एसएमएस भेजा जाएगा जो मौसम विभाग की अधिकृत वेबसाइट पर पंजीकृत होंगे.
मौसम विभाग द्वारा एसएमएस आधारित चेतावनी तंत्र के लिए इलेक्टानिक्स और सूचना तकनीक विभाग, डीईआईटी की मोबाइल सेवा का उपयोग करेगा.
चेतावनी के बारे में सूचनाएं जिला प्रशासन, जिलाधिकारी कलेक्टर के अलावा मछुआरों, किसानों और आम आदमी को प्रचारित की जाएंगी.

ब्रिटिशअभिनेताडेविडरयालकानिधन

30-DEC-2014

ब्रिटिश अभिनेता डेविड रयाल का 25 दिसंबर 2014 को निधन हो गया. वह 79 वर्ष के थे. हैरी पॉटर एंड द डेथली हैलोज-पार्ट 1’ में अलफियस डॉज की भूमिका निभाने वाले‘ डेविड रयाल बहुत ही लोकप्रिय अभिनेता थे.

डेविड रयाल से सम्बंधित मुख्य तथ्य 
• डेविड रयाल बेहद प्रतिभाशाली और शानदार अभिनेता थे. 
• वह सिर्फ हैरी पॉटर के लिए नहीं जाने जाते हैं, बल्कि पांच दशक से भी लंबे करियर में उन्होंने कई अन्य फिल्मों और टेलीविजन में खूब वाहवाही बटोरी. 
• डेविड ने ‘सिटी ऑफ एंबर, ‘अराउंड द वर्ल्ड इन 80 डेज’तथा ‘द एलिफेंट मैन’जैसी फिल्मों में भी अभिनय किया.
• ‘हैरी पॉटर एंड द डेथली हैलोज-पार्ट 1’में उन्होंने अभिनेता पीटर कार्टराइट का स्थान लिया था.
• वे टेलीविजन धारावाहिक ‘द विलेज’और ‘द सिंगिंग डिटेक्टिव के लिए जाने जाते हैं.
• उनके परिवार में बेटे संगीतकार जोनाथन रयाल और बेटियां-गायिका इमोजन रयाल तथा अभिनेत्री चार्ली हैं.

भारतनेमॉरीशसकोपहलातटरक्षकयुद्धपोतबाराकुडानिर्यातकिया

30-DEC-2014

भारत ने 20 दिसंबर 2014 को मॉरीशस को अपतटीय गश्ती पोत (ओपीवी) सीजीएस बाराकुडा का निर्यात किया. यह भारत के शिपयार्ड से एक विदेशी देश को निर्यात किया गया पहला युद्धपोत है.

सीजीएस बाराकुडा 58 मिलियन अमरीकी डॉलर (365 करोड़ रुपए) की लागत से निर्मित युद्धपोत है. यह 74.10 मीटर लंबा हैं और 22 समुद्री मील (37 किलोमीटर प्रति घंटा) की अधिकतम गति व 1350 टन के अनुमानित विस्थापन के साथ आगे बढ़ने में सक्षम हैं. 
इसको सामान्य ओपीवी कार्यों जैसे- एंटी पायरेसी, तस्कर विरोधी, अवैध शिकार, खोज और बचाव कार्यों  के लिए तैयार किया गया है. इस ओपीवी की अतिरिक्त क्षमताओं में प्रदूषण के लिए प्रतिक्रिया, बाहरी अग्निशमन, और सैनिकों के समुद्र अभियान आदि सम्मिलित हैं. 
सीजीएस बाराकुडा सरकारी स्वामित्व वाली लघु रत्न कंपनी, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) कोलकाता द्वारा निर्मित एक ओपीवी है. 
इससे पहले, भारत ने छोटे हिंद महासागर के देशों मालदीव, सेशल्स और मॉरीशस को कई युद्धपोत भेंट किये हैं. सुकन्या श्रेणी के ओपीवी जिसको भारत ने इस्तेमाल किया तथा इस पोत को श्रीलंका को बेच दिया. अब यह श्रीलंका की नौसेना के प्रमुख युद्धपोत के रूप में कार्य कर रहा हैं. 
इसके अलावा गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) कोलकाता ने फिलीपींस नौसेना के लिए दो फ्रिगेट जिनमें प्रत्येक की कीमत 1000 करोड़ रुपए होगी के लिए भी बोली लगाईं हैं. यदि जीआरएसई यह बोली जीत जाती हैं जिसके लिए प्रमुख वैश्विक शिपयार्ड जिनमें स्पेन की नवान्टिया, फ्रांस की एसटीएक्स और कोरियाई बड़ी कंपनियां हुंडई और देवू बोली लगा रही हैं तो यह पहली बार होगा की भारत में निर्मित युद्धपोत का अंतरराष्ट्रीय निविदा में चयन किया जायेगा.

जाज़ शहनाई वादक बडी डिफ्रैंको का निधन

30-DEC-2014

प्रसिद्ध अमेरिकी जाज़ शहनाई वादक बडी डिफ्रैंको का 24 दिसंबर 2014 को निधन हो गया. वह 91 वर्ष के थे.

बडी डिफ्रैंको से सम्बंधित मुख्य तथ्य 
• मूलतः वह  बोनिफेस फर्डिनेंड लियोनार्डो डिफ्रैंको के रूप में जाने जाते थे. उनका जन्म कैमडेन, न्यू जर्सी में हुआ था.
• उन्होंने केवल पांच साल की उम्र में सारंगी बजाना सीखा था. और चार साल बाद शहनाई बजाने पर अपनी कला का प्रदर्शन करना शुरू किया.
• बडी डिफ्रैंको ने वर्ष 1966 से 1974 तक ग्लेन मिलर आर्केस्ट्रा का आयोजन किया था.
• उन्हें कैनेडी सेंटर समारोह में कला जैज मास्टर के रूप में नामित किया गया था.
• डिफ्रैंको के अमेरिकी जैज हॉल ऑफ फेम के सदस्य भी थे. उन्होंने 16 बार शीर्ष जाज शहनाई वादक के रूप में  ‘प्लेबॉय ऑल स्टार पुरस्कार’ भी प्राप्त किया था. 
• पूरे 75 वर्षों तक वह अपनी कला का प्रदर्शन करते रहे.  
• आज भी ‘बडी डिफ्रैंको जाज़ महोत्सव’ मोंटाना विश्वविद्यालय में हर साल आयोजित किया जाता है.

रूस, फ्रांस और जर्मनी, यूक्रेन पर शांति वार्ता के लिए सहमत

30-DEC-2014

22 दिसंबर 2014 को रूस, फ्रांस और जर्मनी के नेताओं ने यूक्रेन पर शांति वार्ता का नया दौर प्रारंभ करने के लिए एक समझौते पर सहमती व्यक्त की. यह शांति वार्ता संघर्ष की समाप्ति, जिसने रूस और पश्चिमी देशों के बीच संबंधों को अत्यधिक तनावपूर्ण बना दिया हैं के लिए समझौते पर बातचीत करने हेतु नवीनतम प्रयास हैं. 
इस वार्ता में यूक्रेन, रूस, रूसी समर्थक विद्रोहियों और यूरोप में सुरक्षा और सहयोग के लिए संगठन आदि सम्मिलित होंगे. 
यह वार्ता बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में 24 दिसंबर और 26 दिसंबर 2014 को आयोजित की गयी. 
शांति वार्ता का नया दौर प्रारंभ करने पर सहमती यूक्रेनी राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेंको, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रेंकोइस होल्लान्दे  और जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल के बीच हुई एक कॉन्फ्रेंस कॉल के दौरान हुई. 
सितंबर 2014 को हुई पिछली शांति वार्ता एक कमजोर शांति समझौता के रूप में परिणित हुई.पूर्वी यूक्रेन में लड़ाई जारी रही. दोनों के मध्य जारी इस संघर्ष में कम से कम 1,300 नागरिकों की मृत्यु हो चुकी है.संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी यूक्रेन में सरकारी बलों और समर्थक रूस अलगाववादियों के बीच संघर्ष के फैलने के बाद से 4700 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.

यूक्रेनीसंसदनेनाटोमेंशामिलहोनेकेलिएविधेयकपारितकिया

30-DEC-2014

यूक्रेनी संसद, राडा ने  24 दिसंबर 2014 को भारी समर्थन के बीच उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल होने के लिए विधेयक पारित किया. इस बिल के समर्थन में 303 एवं विरोध में मात्र 8 मत पड़ें. इस के साथ ही यूक्रेन अपने गुटनिरपेक्ष नीति को छोड़ नाटो में शामिल हो गया.यूक्रेन द्वारा 2010 में रूसी दबाव में गुटनिरपेक्ष स्थिति को अपनाया गया था. गुटनिरपेक्षता की स्थिति किसी  भी देश को कोई भी सैन्य गठजोड़ में शामिल होने से रोकती हैं.2014 के प्रारंभ में अपने चुनाव अभियान के दौरान राष्ट्रपति पेट्रो पोरोशेंको ने यूक्रेन को पश्चिमी सैन्य सुरक्षा के अन्तर्गत लाने के लिए संकल्प लिया था. 
टिप्पणी
रूस नाटो के पूर्व की ओर किसी भी विस्तार का दृढ़ता से विरोध करता है. इससे पहले, फरवरी 2008 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था की यदि उसका पड़ोसी देश नाटो में सम्मिलित होता हैं और अमेरिकी प्रक्षेपास्त्र रक्षा कवच की तैनाती स्वीकार करता तो वह यूक्रेन की और अपनी मिसाइलों को लक्षित कर सकता हैं.
रूस लंबे समय से नाटो के पूर्व की और रूस की सीमाओं तक विस्तार के बारे में शिकायत करता रहा है. रूस यूक्रेन द्वारा गठबंधन की सदस्यता को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में देखता हैं.  मास्को ने यूक्रेन की गुटनिरपेक्ष स्थिति को छोड़ने के लिए यूक्रेनी संसद की निंदा करने में कोई देरी नहीं की. यूक्रेन द्वारा नाटो गठबंधन की सदस्यता लेना मास्को और कीव के संबंधों को और ख़राब कर सकता हैं. इस कदम से मौजूदा संकट को हल करने के लिए किये गए प्रयासों के तहत मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है

ताइवाननेअपनेसबसेबड़ेप्रक्षेपास्त्रयुद्धपोततुओचियांगकाजलावतरणकिया

30-DEC-2014

ताइवान ने 23 दिसंबर 2014 को अपने सबसे बड़े प्रक्षेपास्त्र युद्धपोत तुओ चियांग का जलावतरण किया. 500 टन कार्वेट प्रक्षेपास्त्र ताइवान द्वारा बनाया गया अपनी तरह का पहला प्रक्षेपास्त्र युद्धपोत है. 
तुओ चियांग की पहली टीम के कप्तान लेफ्टिनेंट कमांडर वांग ते चिएन  है. यह जहाज  चीन के विरुद्ध (जो ताइवान को अपना क्षेत्र समझता हैं) ताइवान की  रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा देगा. 
तुओ चियांग का प्रक्षेपण अमेरिकी कांग्रेस द्वारा  ताइवान को चार पेरी-श्रेणी के युद्धपोत (जिनको अमेरिकी नौसेना द्वारा प्रयोग नहीं किया गया ) की बिक्री और हस्तांतरण के लिए अधिकृत करने वाले बिल के पारित होने के शीघ्र बाद किया गया. 
युद्धपोत की मुख्य विशेषताएं
•    ताइवान की लुंग तेह शिपबिल्डिंग कंपनी ने नवंबर 2012 में युद्धपोत का निर्माण शुरू और आधिकारिक तौर पर दिसंबर 2014 में ताइवान नौसेना को सौंप दिया. 
•    युद्धपोत के निर्माण पर  66.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत आयी और यह 198 फुट लंबा और 46 फुट चौड़ा हैं. यह 41 लोगों को एक साथ ले जा सकता हैं. 
•    यह युद्धपोत 16 मिसाइलों जिनमें आठ सुपरसोनिक सिउंग-फेंग तृतीय (ब्रेव विंड) एंटी-शिप मिसाइलें हैं से सुसज्जित है.
•    तुओ चियांग प्रक्षेपास्त्र युद्धपोत राडार तरंगों के परावर्तन को कम करने के लिए स्टील्थ तकनीकी का प्रयोग करता हैं, जो विरोधी युद्धपोत को इसका पता लगाने को कठिन बना देता हैं. 
•    इस युद्धपोत की अधिकतम गति 38 समुद्री मील प्रति घंटे और 2000 नॉटिकल मील (3704 किलोमीटर) है.

 

जापानकेप्रधानमंत्रीशिंजोआबेचारवर्षकेकार्यकालकेलिएपुननिर्वाचित

29-DEC-2014

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे चार वर्ष के कार्यकाल के लिए दिसंबर 2014 में पुन: निर्वाचित घोषित किये गए.  जापान के द्विसदनीय विधायिका के निचले सदन के लिए आयोजित स्नैप (SNAP) चुनावों में उन्होंने दो तिहाई बहुमत हासिल की.

स्नैप चुनावों में आक्रामक मौद्रिक सहजता, सार्वजनिक खर्च जैसे आर्थिक सुधारों के बल पर शिंजो आबे ने जीत दर्ज की. उपरोक्त आर्थिक सुधारों को ‘अबेनोमिक्स’ भी कहा जाता है. 
जापान के स्नैप चुनाव 2014 से संबंधित मुख्य विवरण
• स्नैप चुनावों में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद मतदान प्रतिशत अपने न्यूनतम स्तर पर 52.7 प्रतिशत रहा. लगातार गिरता मत-प्रतिशत 2012 में हुए पिछले स्नैप चुनावों में भी  लगभग 60 प्रतिशत रहा था.
• स्नैप चुनावों में शिंजो आबे की पार्टी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) ने 290 सीटों पर जीत हासिल की और उसके साझीदार ‘कोमेटो’ ने सदन की 475 सीटों में से कुल 35 सीटें जीती, दोनों ने कुल मिलाकार 325 सीटें जीती.
• सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी जापान डेमोक्रेटिक पार्टी (डीपीजे) ने कुल 73 सीटें जीती लेकिन जो पिछले स्नैप चुनावों की तुलना में 11 अधिक है. विदित हो कि डीपीजे ने पिछले स्नैप चुनावों में 62 सीटें जीती थीं.
• जापान कम्युनिस्ट पार्टी ने 21 सीटें जीती, जबकि एक अन्य विपक्षी पार्टी इनोवेशन पार्टी ने 41 सीटें जीतीं.
टिप्पणी
जापानी कानून के नियमों के अनुसार, निचले सदन में दो तिहाई बहुमत होने पर ऊपरी सदन द्वारा अस्वीकार कर दिये गए अधिनियमन की पुनः अनुमति दी जा सकती है. इसके अतिरिक्त, निचले सदन में दो-तिहाई बहुमत होने पर सत्तारूढ़ पार्टी के संविधान में संशोधन का प्रस्ताव भी पेश किया जा सकता है.

वैश्विकहथियारव्यापारकानियमनकरनेवालीमहत्वपूर्णसंधि ‘एटीटी’ प्रभावमेंआई

29-DEC-2014

संयुक्त राष्ट्र की वैश्विक हथियार व्यापार का नियमन करने वाली महत्वपूर्ण संधि ‘एटीटी’ (Arms Trade Treaty) 24 दिसंबर 2014 से लागू हो गई. 23 दिसंबर 2014 तक विश्व के 60 देशों ने इस संधि को अंगीकार कर लिया था और 130 देशों ने इस पर हस्ताक्षर कर दिए थे. उनके हस्ताक्षर से ये संकेत मिलते हैं कि वे इसे अपनाने के लिए तैयार हैं. वैश्विक हथियार संधि, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2 अप्रैल 2013 को अंगीकृत किया गया था.


इस संधि की प्रमुख विशेषताओं में निम्नलिखित बिंदु शामिल है
•    संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अप्रैल 2013 में स्वीकार की गई, हथियार व्यापार संधि ऐसा पहला बहुपक्षीय समझौता है, जो किसी देश को उस स्थिति में ऐसे अन्य देशों को पारंपरिक हथियारों का निर्यात करने से कानूनी तौर पर रोकता है, जहां उसे पता हो कि इन हथियारों का इस्तेमाल जनसंहार, मानवता के खिलाफ अपराधों या युद्ध अपराधों में किया जा सकता है.
•    यह संधि वैश्विक हथियार व्यापार के मामले में जिम्मेदारी, जवाबदेही और पारदर्शिता लाने के अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रयासों का एक नया अध्याय शुरू करती है.
•    इस महत्वपूर्ण संधि से जुड़े देशों की कानूनी जिम्मेदारी होगी कि वे हथियारों और युद्धक सामग्री के हस्तांतरण में सर्वोच्च आम मानकों का पालन करें.
•    इस संधि ने पारंपरिक हथियारों के व्यापारों के नियमन के लिए संभावित सर्वोच्च अंतरराष्ट्रीय मानकों की स्थापना की है.
•    वर्ष 1996 में व्यापक परमाणु परिक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (Comprehensive Nuclear Test Ban Treaty )पर हस्ताक्षर किये गए थे. उस संधि के बाद परमाणु हथियारों के प्रसार को नियंत्रित करने वाली यह दूसरी सबसे बढ़ी संधि है. 
•    रूस, चीन, भारत और पाकिस्तान जैसे हथियारों के बड़े निर्माताओं ने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं.
•    जिन शीर्ष हथियार निर्यातकों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं और इसे अंगीकार किया है, उनमें ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी शामिल हैं.
•     विश्व के सबसे बड़े हथियार निर्यातक अमेरिका ने इस संधि पर सितंबर 2013 में हस्ताक्षर किए थे लेकिन सीनेट ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है. 

भारत एवं एटीटी
भारत ने वर्ष 2013 में इस संधि को स्वीकार किए जाने के बाद जिनेवा में आयोजित निशस्त्रीकरण सम्मेलन में कहा था कि, इस तरह की संधि से वास्तविक प्रभाव पारंपरिक हथियारों की अवैध तस्करी और इनके  आतंकियों एवं अन्य अनाधिकृत, राज्येतर ताकतों द्वारा इस्तेमाल पर पड़ना चाहिए.
भारत ने इस बात पर भी लगातार जोर दिया है कि एटीटी को निर्यातक और आयातक दोनों ही देशों के बीच जिम्मेदारी का संतुलन सुनिश्चित करना चाहिए. भारत ने कहा था कि वह इस संधि को स्वीकार नहीं कर सकता जिसे निर्यातक देश खुद पर बिना किसी अंकुश लगाये हुए आयातक देशों के खिलाफ जबरन एकपक्षीय कदम उठाने के लिए अपने हाथ के खिलौने की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं. अंतिम मसौदे के ये प्रावधान भारत की जरूरतों के अनुरूप नहीं हैं. भारत का कहना था कि इस प्रस्ताव के साथ संलग्न संधि मसौदा आतंकवाद और राज्येत्तर ताकतों के मामले में  कमजोर है और इन चिंताओं का कोई जिक्र संधि के विशेष निषेधों में नहीं है.

 

विदित हो कि भारत उन 23 देशों में शामिल था, जिन्होंने वर्ष 2013 में इस संधि प्रस्ताव पर मतदान से खुद को अलग रखा था.
टिप्पणी 
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इस संधि को स्वीकार किए जाने के दो वर्ष से भी कम समय में इसका लागू हो जाना बहुत बड़ी उपलब्धि है, इस संधि को हमारे द्वारा लागू करना आतंकियों और आपराधिक संगठनों को हथियारों के भेजे जाने पर रोक लगाने के हमारे साझा संकल्प की पुष्टि करता है.

भारतनेविश्वयुवाअंडर-16 शतरंजओलंपियाडकाखिताबजीता

29-DEC-2014

भारत ने 22 दिसंबर 2014 को विश्व युवा अंडर-16 शतरंज ओलंपियाड में स्वर्ण पदक जीता. भारत ने हंगरी के ग्यॉर में आयोजित फाइड (फेडरेशन इंटरनेशनेल डेस एशेस) टूर्नामेंट के अंतिम दौर में तुर्की को 3.0-1.0 से हराकर जीत हासिल की.

रूस ने अंतिम दौर में यूक्रेन को 3.5-0.5 से हराकर दूसरे स्थान प्राप्त किया और रजत पदक जीता. ईरान तीसरे स्थान पर रहा जबकि हंगरी ने टूर्नामेंट में चौथा स्थान हासिल किया.

अंतिम दौर में, तीनों भारतीय इंटरनेशनल मास्टर (आईएम) मुरली कार्तिकेयन, आईएम अरविंद चितम्बरम और कुमारन बालाजी ने मैच जीतकर स्वर्ण पदक प्राप्त किया. आईएम दीपतायन घोष तुर्की के वाहप सनल से हार गए.

कार्तिकेयन ने अली मरांडी के खिलाफ, चितम्बरम ने वॉल्कन सेविगी  के खिलाफ और बालाजी ने टूना टूंसर के खिलाफ जीत हासिल की. चितम्बरम ने नौ मैचों में आठ अंक (8 जीतता है, एक नुकसान) प्राप्त किए. वह 10-राउंड टूर्नामेंट में भारतीय इंटरनेशनल मास्टर में सर्वश्रेष्ठ रहे. कार्तिकेयन ने भी दस मैचों में आठ अंक (6 जीत, चार ड्रॉ) हासिल किए.

घोष ने नौ मैचों में 5.5 अंक प्राप्त किए और बालाजी ने नौ मैचों में से 4.5 अंक प्राप्त किए. जी.के. मोनिशआ भारतीय टीम में पांचवें खिलाड़ी थे और उन्होंने तीन मैचों में 0.5 अंक प्राप्त किए.

इसरोकेअध्यक्षकेराधाकृष्णन 'नेचरपत्रिकाकेशीर्ष 10 वैज्ञानिकोंकीसूचीमेंशामिल

29-DEC-2014

विज्ञानं पत्रिका ‘नेचर’ के शीर्ष 10 वैज्ञानिकों की वर्ष 2014 की सूची में इसरो के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन को शामिल किया गया. ‘नेचर’ ने वर्ष 2014 में विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए दिसंबर 2014 में यह सूची जारी की.

नेचर पत्रिका के शीर्ष 10 की सूची में शामिल अन्य वैज्ञानिकों के नाम 
•    एंड्रिया ऑक्सोमाज़्ज़ो (Andrea Accomazzo)
•    सुज़न्ने तोपलिअन (Suzanne Topalian)
•    राधिका नागपाल (Radhika Nagpal)
•    शेक हमर खान (Sheik Humarr Khan)
•    डेविड स्पेर्गेल (David Spergel)
•    मरयम मिरज़ाखानी (Maryam Mirzakhani)
•    पेट फ्रट्स (Pete Frates)
•    मसायो ताकाहाशी (Masayo Takahashi)
•    सजोर्स स्चेरेस (Sjors Scheres)
इसरो के अध्यक्ष के रूप में के. राधाकृष्णन की उपलब्दियाँ
•    जनवरी 2014 में  भारतीय अंतरिक्ष संगठन ने स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ शानदार सफलता हासिल की.
•    भारत, मंगल ग्रह की कक्षा में अपने पहले प्रयास में ‘मंगलयान’ को भेजने वाला पहला एशियाई देश बना.
•    सबसे भारी और सबसे ऊंची जीएसएलवी मार्क III का सफल प्रक्षेपण (लौन्चिंग) हुआ और मानव रहित चालक दल के मॉड्यूल के अंतरिक्ष में सफल प्रवेश एक प्रमुख उपलब्धि रही.

पाकिस्तानमेंबौद्धस्तूपपरिसरमेंखुदाईमेंप्राचीनमूर्तियांऔरकुषाणराजवंशकालीनसिक्केखोजेगए

29-DEC-2014

पुरातत्वविदों ने उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान में दूसरी ईसा पूर्व से पांचवी ईसा पूर्व तक के बौद्ध संप्रदाय से संबंधित मूर्तियां और कुषाण राजवंश कालीन सिक्कों की खोज की. पुरातात्विक महत्व के ये अवशेष एक प्राचीन बौद्ध स्तूप परिसर में जमीन की खुदाई करके खोजे गए हैं. इस खबर की जानकारी दिसंबर 2014 के चौथे सप्ताह में प्रैस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) द्वारा उपलब्ध करायी गई.

खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के भामला बौद्ध परिसर में मूर्तियां और अन्य संरचनाएं खोजी गईं. यह खोजी गईं मूर्तियां और संरचनाएं दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से पांचवी शताब्दी ईसा पूर्व के समय की हैं. इन मूल्यवान वस्तुओं की प्राप्ति हरिपुर में खानपुर डेम उत्खनन के दौरान हुई. यहां कुषाण राजवंश कालीन कीमती सिक्के भी प्राप्त हुए.


पृष्ठभूमि 
यह परिसर हरिपुर में खानपुर डेम के करीब स्थित है. यह खंडित ढांचा चौथी शताब्दी ईसा पूर्व का है. खोजी गई वस्तुएं मुख्य रूप से टेराकोटा संरचनाएं हैं. भामला पुरातात्विक परिसर में प्राचीन बौद्ध स्तूप का खंडित ढांचा मौजूद है. इसे पाकिस्तान की राष्ट्रीय और विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया.

रूसनेअंगारारॉकेटकासफलपरीक्षणकिया

29-DEC-2014

रूस ने 23 दिसम्बर 2014 को अंगारा रॉकेट का सफल परीक्षण किया. इसका परीक्षण भारतीय समयानुसार सुबह 11 बजकर 27 मिनट पर उत्तरी रूस के प्लेसेक में किया गया. इस रॉकेट को मानव युक्त अंतरिक्ष यान के प्रक्षेपण के इरादे से विकसित किया गया. सोवियत संघ के विघटन के बाद प्रोटोन और अन्य सोवियत कालीन प्रक्षेपण यानों की जगह लेने के लिए इसका डिजाइन तैयार किया गया. अंगारा-A5 सोवियत युग के बाद का पहला अंतरिक्ष बूस्टर है. "ब्रीज़-एम" बूस्टर की सहायता से छोड़ा गया "अंगारा" वर्ग का यह भारी रॉकेट दो टन वज़नी मॉडल को पृथ्वी की भू-स्थिर कक्षा में स्थापित करेगा.

नई पीढ़ी के रॉकेट "अंगारा" का निर्माण एक बहुउद्देशीय रॉकेट मॉड्यूल के आधार पर किया गया. यह रॉकेट ऑक्सीजन और किरोसीन, यानी मिट्टी के तेल से चलनेवाले इंजनों से लैस है.

गौरतलब है की हल्की श्रेणी की अंगारा रॉकेट का परीक्षण जून में कारगर नहीं हो पाया था. यह सोवियत संघ के विघटन के बाद रूस द्वारा तैयार किया हुआ प्रक्षेपण यान है. गौरतलब है कि सोवियत संघ का विघटन वर्ष 1991 में हुआ था. साइबेरिया की एक नदी के नाम पर इस रॉकेट का नाम रखा गया. इसको तैयार करने में लगभग 20 वर्ष का समय लगा है एवं 3 अरब अमरीकी डॉलर की लागत आई है. इस प्रक्षेपण की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता इसका पर्यावरण मैत्रीय होना है.

एसभट्टाचार्याकोलइंडियाकेप्रबंधनिदेशकनियुक्त

29-DEC-2014

वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एस भट्टाचार्या को 23 दिसंबर 2014 को कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक (सीएमडी) नियुक्त किया गया.
एस भट्टाचार्या ने कोल इंडिया के अतिरिक्त सचिव एके दुबे का स्थान लिया. दुबे को 26 जून 2014 को कोल इंडिया के प्रबंध निदेशक का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया.

एस नरसिंह राव द्वारा अपने पद से इस्तीफा देने के बाद मई 2014 से सीआईएल बिना पूर्ण कालिक प्रबंध निदेशक के संचालित हो रहा था. लोक उद्यम चयन बोर्ड (पीईएसबी) ने नवंबर 2014 में उनके नाम की सिफारिश की थी. उनकी नियुक्ति की कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने पुष्टि की. एस भट्टाचार्या वर्ष 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं, वर्तमान में वह सिंगारेनी कोलियरीज कंपनी (एससीसीएल) के प्रबंध निदेशक हैं.

केंद्रसरकारने 1984 केसिखविरोधीदंगोंकीएसआईटीकीजांचकेलिएमाथुरसमितिगठितकी

29-DEC-2014

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 23 दिसंबर 2014 को 1984 के सिख दंगों के लिए गठित विशेष जांच टीम (एसआईटी) की जांच व सिख दंगों के मामले की दोबारा जांच हेतु माथुर समिति गठित की. सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति न्यायाधीश जीपी माथुर (सेवानिवृत्त) समिति के प्रमुख होंगे. समिति अपनी जांच रिपोर्ट अप्रैल 2015 तक सौंपेगी.

यह समिति दंगों के दौरान जान गंवाने वाले व्यक्तियों को दिए जाने वाले पांच लाख रुपये के मुआवजे के भुगतान के मामले को भी देखेगी. यह मुआवजा केंद्र सरकार द्वारा 10 दिसंबर 2014 को स्वीकृत किया गया. यह समिति सिख दंगों से जुड़ीं विभिन्न शिकायतों पर भी गौर करेगी.

गृह मंत्रालय ने सिख विरोधी दंगों के मामले में अलग-अलग संगठनों और संस्थाओं द्वारा भारी संख्या में शिकायतें प्राप्त होने के बाद समिति गठित करने का फैसला किया. इससे पहले नानावटी आयोग ने पुलिस द्वारा बंद किए गए 241 मामलों में सिर्फ चार मामलों को ही खोले जाने की सिफारिश की थी, लेकिन भाजपा शेष 237 मामलों की जांच कराना चाहती थी. यह कदम कुल 3325 पीडि़तों में से देश की राजधानी दिल्ली से संबंध रखने वाले 2733 लोगों से जोड़कर भी देखा जाता है.

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को सिख सुरक्षा कर्मी द्वारा हत्या किए जाने के बाद वर्ष 1984 में सिख दंगे हुए थे.

भारतीयमूलकेअमेरिकीफोटोपत्रकारराजनदेवदासकानिधन

29-DEC-2014

भारतीय मूल के अमेरिकी फोटो पत्रकार राजन देवदास का दिल का दौरा पड़ने से 26 दिसंबर 2014 को वाशिंगटन (अमेरिका) में निधन हो गया. वे 93 वर्ष के थे.

भारत- अमेरिकी संबंधों के कई ऐतिहासिक क्षणों को अपने कैमरे में कैद कर चुके देवदास को भारत सरकार ने वर्ष 2002 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया था.

विदित हो कि अपने पांच दशक से अधिक समय के फोटो पत्रकारिता के कॅरियर में देवदास ने जवाहर लाल नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक हर भारतीय प्रधानमंत्री के अमेरिकी दौरे को कवर किया. एक फोटो पत्रकार के तौर पर उन्होंने जॉन एफ कैनेडी से लेकर जॉर्ज बुश तक कई अमेरिकी राष्ट्रपतियों को अपने कैमरे में कैद किया.

राष्ट्रपतिप्रणबमुखर्जीनेबीमाकानून (संशोधनअध्यादेश 2014 परहस्ताक्षरकिया

29-DEC-2014

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने बीमा कानून (संशोधन) अध्यादेश 2014 पर 28 दिसंबर 2014 को हस्ताक्षर किया. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राज्यसभा की प्रवर समिति की रिपोर्ट के आधार पर बीमा कानून (संशोधन) विधेयक 2008 के अनुसार बीमा अधिनियम -1938, सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम-1972 तथा बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम- 1999 में संशोधन और संसद के अगले सत्र (वर्ष 2015) में विचार के लिए प्रस्तुत करने हेतु बीमा कानून (संशोधन) अध्यादेश 2014 को लागू करने की मंजूरी दी थी.

केन्द्रीय मंत्रिमंडल का यह कदम सामान्य रूप से अर्थव्यवस्था में तथा विशेष रूप से बीमा क्षेत्र में सुधार प्रक्रिया को मजबूत बनाने के व्यापक लक्ष्य हेतु उठाया गया. निवेश बढ़ाने, आर्थिक वृद्धि में बढ़ोत्तरी तथा अर्थव्यवस्था में रोजगार सृजन से संबंधित विभिन्न लक्ष्यों को हासिल करने के लिए देश में निवेश के लिए सहज वातावरण बनाना आवश्यक है. 
इस अध्यादेश के लागू होने से प्रस्तावित बीमा कानून के विशेष प्रावधानों के जरिए उपर्युक्त महत्वपूर्ण उद्देश्यों की प्राप्ति हो सकेगी. 
इस अध्यादेश के महत्वपूर्ण पहलू

•   इस अध्यादेश का उद्देश्य बीमा कानून (संशोधन ) विधेयक 2008 के अनुसार बीमा अधिनियम, 1938, सामान्य बीमा व्यवसाय (राष्ट्रीयकरण) अधिनियम, 1972 तथा बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1999 में संशोधन करना है ताकि बीमा कानूनों के पुराने प्रावधानों को समाप्त किया जा सके तथा इसके  कारगर नियमन के लिए आईआरडीए को शक्ति प्रदान की जा सके.
•    भारतीय स्वामित्व और नियंत्रण की सुरक्षा के साथ भारतीय बीमा कंपनी में विदेशी हिस्सेदारी की सीमा 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत की जा सके.
•    इस अध्यादेश का उद्देश्य इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए बीमा कंपनियों को नई और आकर्षक पॉलिशियों के जरिए पूंजी उगाहने की अनुमति देना है. इससे पूंजी वाले बीमा उद्योग को कारोबार में बढ़ोतरी के लिए संसाधन जुटाने में मदद मिलेगी. 
•    इस अध्यादेश से आईआरडीए को ऋण चुकाने की क्षमता, निवेश, खर्च तथा कमीशन जैसे क्षेत्रों में बीमा कंपनियों की काम-काज को नियमन में रखने की शक्ति मिलेगी. नियमन श्रेष्ठ वैश्विक व्यवहारों के अनुरूप होगा. आईआरडीए के पास इस तरह की शक्ति के आभाव में हमारे नियामक ढांचे को लेकर विश्वास की कमी है और इससे बीमा क्षेत्र में निवेश प्रोत्साहित नहीं होता. 
•    इस अध्यादेश में बीमा कंपनियों द्वारा बीमा कानूनों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए दण्ड का भी प्रावधान है. यह उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए आवश्यक है.

विदित हो कि वैश्विक औसत की तुलना में भारत का बीमा बाजार का आकार कम है. इस क्षेत्र को बढ़ाने तथा विशेष कर ग्रामीण क्षेत्रों औऱ आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की बीमा सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए पूंजी की आवश्यकता है. भारतीय स्वामित्व और नियंत्रण की सुरक्षा व्यवस्था के साथ बीमा क्षेत्र में विदेशी हिस्सेदारी 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करना अध्यादेश का महत्वपूर्ण पहलू है. इससे पूंजी की उपलब्धता बढ़ेगी.

मलयालमफिल्मोंकेअभिनेतानारायणनलक्ष्मीबालकृष्णनकानिधन

29-DEC-2014

मलयालम फिल्मों के अभिनेता नारायणन लक्ष्मी (एनएल) बालकृष्णन का 25 दिसंबर 2014 को 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया.

नारायणनलक्ष्मीबालकृष्णनसेसंबंधितमुख्यतथ्य

  • बालकृष्णन ने फोटोग्राफर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की और बाद में अभिनेता बन गए.
  • बालकृष्णन ने फोटोग्राफर के रूप में 180 से अधिक फिल्मों में काम किया और करीब 100 फिल्मों में बड़ी और छोटी भूमिकाओं में दिखाई दिए.
  • उन्होंने वर्ष 1986 में अभिनय की शुरुआत की और उनकी आखिरी रिलीज फिल्म ममूटी अभिनीत 'ढेवठिनते स्वन्थेम क्लीट्स' थी.
  • बालकृष्णन ने वर्ष 1968 से वर्ष 1979 के बीच ग्यारह वर्ष तक केरल कौमुदी में एक फोटो पत्रकार के रूप में काम किया.
  • बालाकृष्णन ने वर्ष 2011 में ब्लैक एंड व्हाइट नामक पुस्तक भी प्रकाशित की.