290-31 JULY 2016
भारत और अमेरिका ने हिन्द महासागर में प्राकृतिक गैस रिजर्व की खोज की
19 जुलाई 2016 को अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय राष्ट्रीय गैस हाइड्रेट कार्यक्रम अभियान 02 शीर्षक से भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा संयुक्त रूप से हिन्द महासागर के बंगाल की खाड़ी में अत्यधिक मात्रा में प्राकृतिक गैस हाइड्रेट (ईंधन के बर्फीले रूप में) की खोज की गयी.
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, जापानी ड्रिलिंग कंपनी और जापान एजेंसी समुद्री पृथ्वी विज्ञान और प्रौद्योगिकी के सहयोग और भारत की तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड के सौजन्य से अंतरराष्ट्रीय टीम के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में यह खोज की गयी.
हिंद महासागर में किये जाने वाले शोधों में यह अपनी तरह की पहली खोज है.
इस अभियान के निष्कर्ष
भारतीय राष्ट्रीय गैस हाइड्रेट कार्यक्रम अभियान 02 हिंद महासागर में गैस हाइड्रेट क्षमता के लिए की जा रही दूसरी संयुक्त खोज है.
इसके तहत रेत जलाशयों में गैस हाइड्रेट घटनाओं की खोज पर विशेष रूप से अन्वेषण किया गया.
खोज किया गया हाइड्रेट मुख्यतः कृष्णा-गोदावरी बेसिन के रेत युक्त प्रणाली में स्थित है.
ये हाइड्रेट्स संभवतः प्रचुर मात्रा में रेत और चैनल-सेतु गैस हाइड्रेट से बने हुए हैं.
प्राकृतिक गैस का उत्पादन व्यावहारिक और आर्थिक है या नहीं इसका निर्धारण करने के लिए जलाशयों में रेत उत्पादन के परीक्षण को शामिल करना अगला कदम होगा.
पहले अभियान में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के वैज्ञानिकों के बीच एक साझेदारी के प्रयास से गैस हाइड्रेट के प्रचुर राशि की खोज की गयी. लेकिन वर्तमान में इन संरचनाओं की प्रतिलिपि प्रस्तुत किये जाने की उम्मीद नहीं की जा सकती है.
प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स क्या हैं?
प्राकृतिक गैस हाइड्रेट्स दुनिया के महासागरों और ध्रुवीय क्षेत्रों में स्वाभाविक रूप से बर्फ की तरह पाये जाने वाले प्राकृतिक गैस और पानी का संयोजन है.
कई अध्ययनों से पता चला है कि महासागरों और ध्रुवीय क्षेत्रों में गैस हाइड्रेट्स को प्राकृतिक गैस के महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में प्रयुक्त किये जाने की अपार सम्भावना है.
गैस हाइड्रेट्स की प्रकृति और विशेषताओं के विषय में पूरी तरह जानकारी प्राप्त करना वैज्ञानिकों के समक्ष महत्वपूर्ण तकनिकी चुनौती बनी हुई है.
दुनिया भर में पारंपरिक प्राकृतिक गैस राशि का अनुमानित भंडार लगभग 440 खरब घन मीटर है.
अभियान के तहत किये गए मुख्य कार्य -
यह खोज दुनिया में सबसे व्यापक गैस हाइड्रेट क्षेत्र के विषय में भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका के वैज्ञानिकों द्वारा आजतक किये गए प्रयसों का परिणाम है.
147 दिनों में सब सी फ्लोर की समुद्री तल से 239 मीटर से 567 मीटर की गहराई तक तथा जल के भीतर 1519 से 2815 मीटर तक 42 होल्स को पूरा किया गया.
वैज्ञानिकों द्वारा सागर ड्रिलिंग का आयोजन क्षेत्रीय संदर्भ में पारंपरिक तलछट कोरिंग,प्रेशर कोरिंग, डाउनहोल जमाव तथा भूगर्भिक घटनाओं की विशेषताओं का आकलन करने हेतु किया गया था.
मशहूर तबला वादक पंडित लच्छू महाराज का निधन
मशहूर तबला वादक पंडित लच्छू महाराज का 28 जुलाई 2016 को वाराणसी में निधन हो गया. वे 72 साल के थे. लच्छू महाराज ने बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल में अंतिम सांस ली. वे काफी दिनों से बीमार चल रहे थे.
पंडित लच्छू महाराज के बारे में:
• पंडित लच्छू महाराज का जन्म 16 अक्टूबर 1944 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था.
• लच्छू महाराज के बचपन का नाम लक्ष्मीनारायण सिंह था.
• उन्होंने फ्रांसीसी महिला टीना से शादी की थी.
• उन्होंने कई बॉलीवुड फिल्मों के लिए भी तबला बजाया था.
• लच्छू महाराज ने बनारस घराने की तबला बजाने की परंपरा को आगे बढ़ाया था.
• लच्छू महाराज बॉलीवुड के मशहूर एक्टर गोविंदा के मामा थे.
• वे “खांटी बनारसी" के नाम से भी मशहूर थे.
• उन्होंने अपने पिता वासुदेव नारायण सिंह से तबला की शिक्षा ली थी.
• तबला वादन में उनके अमूल्य योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने साल 1972 में उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा था लेकिन उन्होंने पद्मश्री लेने से इनकार कर दिया था.
मिशेल बारनियर को यूरोपियन यूनियन आयोग द्वारा प्रमुख ब्रेक्सिट वार्ताकार नियुक्त किया गया
यूरोपियन यूनियन द्वारा 26 जुलाई 2016 को मिशेल बारनियर को प्रमुख ब्रेक्सिट वार्ताकार नियुक्त किया गया.
मिशेल बारनियर पूर्व फ्रेंच वित्तीय सेवा आयुक्त हैं. उनकी नियुक्ति यूरोपियन यूनियन संधि के अनुच्छेद 50 के आधार पर की गयी.
मिशेल बारनियर
• मिशेल फ्रेंच राजनितिज्ञ हैं तथा उनका संबंध यूनियन फॉर पोपुलर मूवमेंट (यूएमपी) से रहा है.
• वे यूरोपियन यूनियन पीपल्स पार्टी (ईपीपी) के उपाध्यक्ष भी रहे हैं.
• वे जून 2007 से जून 2009 तक फ्रेंच सरकार में कृषि और मत्स्य पालन मंत्री पद पर रहे.
• उन्होंने यूरोपियन पार्लियामेंट का सदस्य चुने जाने के उपरांत इस पद से इस्तीफा दे दिया था.
• उन्होंने फरवरी 2010 से नवंबर 2014 तक आंतरिक बाजार और सेवाओं के यूरोपियन कमिश्नर की भूमिका भी निभाई.
• इस पद पर रहते हुए उन्होंने बैंकिंग यूनियन, वित्तीय क्षेत्र एवं यूरोपियन यूनियन की एकल डिजिटल मार्किट में सुधार किये.
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया गया
29 जुलाई: अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस
विश्व भर में 29 जुलाई 2016 को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया गया. यह दिवस प्रत्येक वर्ष बाघों को संरक्षण देने के उद्देश्य से 29 जुलाई को मनाया जाता है.
इस दिवस का उद्देश्य विश्वभर में बाघों के प्राकृतिक निवास को बचाना है ताकि उनका संरक्षण हो सके. साथ ही यह इस विषय पर सार्वजनिक जागरुकता का समर्थन जुटाने के लिए भी आवश्यक है.
इसकी स्थापना वर्ष 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग अंतरराष्ट्रीय बाघ सम्मेलन में की गयी जिसमें वर्ष 2022 तक बाघों की जनसँख्या को दोगुना करने की प्रतिबद्धता जाहिर की गयी.
आंकड़े
• बाघ विशेषज्ञों के आंकड़ों के अनुसार पिछले 100 वर्षों में विश्वभर में 97 प्रतिशत जंगली बाघ अपना अस्तित्व खो चुके हैं.
• वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड एवं ग्लोबल टाइगर फोरम के अनुसार वर्ष 2010 में बाघों की संख्या 3200 थी जबकि अब यह 3890 है.
• वर्ष 1915 में बाघों की संख्या एक लाख थी.
• बाघों की कुछ प्रजातियां पहले ही विलुप्त हो चुकी हैं.
• भारत उन देशों में शामिल है जिसमे बाघों की जनसख्या सबसे अधिक है, भारत में मौजूदा समय में इनकी संख्या 2226 है.
• भारत, नेपाल, रूस एवं भूटान में पिछले कुछ समय से बाघों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है.
बाघों का शिकार
• भारत में बाघों का शिकार उनके विलुप्त होने की सबसे बड़ी समस्या है. वर्ष 2014 में 81, 2015 में 25 एवं अप्रैल 2016 तक 28 बाघों का शिकार किया गया.
• संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम एवं इंटरपोल के अनुसार, पर्यावरणीय अपराध क्षेत्र का वार्षिक मूल्यांकन 258 अमेरिकन बिलियन से अधिक है.
• बढ़ते शहरीकरण एवं कृषि आधारित भूमि के घटने से बाघों के प्राकृतिक निवास में 93 प्रतिशत की कमी देखी गयी है.
• बहुत कम बाघ हैं जो छोटे, बिखरे द्वीपों पर रह सकते हों, इससे इनके शिकार a खतरा और अधिक बढ़ जाता है.
• भारत एवं बांग्लादेश की सीमा पर स्थित सुंदरवन में विश्व के सबसे अधिक बाघ पाए जाते हैं.
• यह बंगाल टाइगर का निवास स्थल माना जाता है. इस क्षेत्र में रहने से बाघ बाहरी खतरों से भी बच जाता है.
सुंदरवन में खतरा
• जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते समुद्री स्तर से बाघों के निवास स्थान एवं उनके जीवन को खतरा बढ़ा है.
• डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के अध्ययन के अनुसार 2070 तक समुद्र का स्तर लगभग एक फुट बढ़ जायेगा जिससे समूचा सुंदरवन समाप्त हो सकता है.
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने जीएसटी विधेयक में संशोंधनों को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वस्तु और सेवा कर संबंधी संविधान संशोधन विधेयक में संशोधनों को मंजूरी दे दी है. मंत्रिमंडल ने अंतरराज्य बिक्री पर एक प्रतिशत का अतिरिक्त कर हटा दिया.
साथ ही प्रस्तावित अप्रत्यक्ष कर प्रणाली शुरू होने के पहले पांच वर्षों तक राज्यों को होने वाले घाटे की भरपाई की व्यवस्था भी की जाएगी.
संशोधित जीएसटी विधेयक के बारे में -
- इस सम्बन्ध में 26 जुलाई 2016 को मंत्रिमंडल की आयोजित बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की.
- केन्द्र और राज्यों के बीच किसी भी विवाद का निपटारा वस्तु और सेवाकर परिषद में ही किया जायेगा.
- जिसमें केन्द्र और राज्य दोनों का ही प्रतिनिधित्व होगा.
- अब सरकार को उम्मीद है कि संसद के मौजूदा सत्र में ही बहुप्रतीक्षित वस्तु और सेवाकर विधेयक पारित हो जाएगा.
- मंत्रिमंडल ने रक्षा से जुड़े सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों द्वारा संयुक्त
- उद्यम कंपनियों की स्थापना के लिए मौजूदा दिशा-निर्देशों को खत्म करने का भी फैसला किया है.
- एक और फैसले में शेयर बाजार में विदेशी हिस्सेदारी की सीमा पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत तक करने.
- जीएसटी के अस्तित्व में आने से करों के जाल से मुक्ति मिलेगी. उसकी जगह एकीकृत बाजार का रास्ता साफ होगा.
पृष्ठभूमि-
- जीएसटी विधेयक में दी गई मौजूदा व्यवस्था में राज्यों को पहले तीन साल तक 100 प्रतिशत, चौथे साल 75 प्रतिशत और पांचवें साल 50 प्रतिशत राजस्व नुकसान की भरपाई का प्रावधान किया गया था.
- राज्यसभा की प्रवर समिति ने हालांकि पूरे पांच साल तक 100 प्रतिशत राजस्व नुकसान की भरपाई की सिफारिश की थी.
- विधेयक को लोकसभा पिछले साल मई में मंजूरी दे चुकी है.
- राज्यसभा में संशोधन के साथ विधेयक के पारित होने के बाद संशोधित विधेयक को फिर से लोकसभा में पारित कराने के लिये भेजा जाएगा.
पुलित्ज़र पुरस्कार जीतने वाले पहले अश्वेत लेखक जेम्स एलन मैकफ़रसन का निधन
अमेरिकी लेखक जेम्स एलन मैकफ़रसन का 27 जुलाई 2016 को अमेरिका की इओवा सिटी में निधन हो गया. वे 72 वर्ष के थे.
वे पुलित्ज़र पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले अश्वेत लेखक थे. उन्हें उनके लेखन के लिए 1978 में पुलित्ज़र पुरस्कार मिला था.
जेम्स एलन मैकफ़रसन
• 16 सितंबर 1943 को जन्मे जेम्स एलन अमेरिकी लघु कथा लेखक थे.
• वर्ष 1978 में उन्हें उनके लघु कथा संग्रह एल्बो रूम के लिए पुलित्ज़र पुरस्कार दिया गया. वे यह पुरस्कार ग्रहण करने वाले अफ्रीकन-अमेरिकन व्यक्ति थे.
• उन्हें 1981 में मैकआर्थर फेलोशिप भी दी गयी.
• वर्ष 1995 में उन्हें अमेरिकन एकैडमी ऑफ़ आर्ट्स एंड साइंसेज में शामिल किया गया.
• वर्ष 2000 में जॉन अपडायिक ने उनकी लघु कथा ‘गोल्ड कोस्ट’ को सदी की सर्वश्रेष्ठ अमेरिकन लघु कथाओं के संग्रह में शामिल किया.
• उन्हें गुग्नेइनिम फैलोशिप भी प्रदान की गयी.
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने ग्रामीण विकास मंत्रालय में संयुक्त मूल्यांकन कार्यालय की स्थापना हेतु सरकार के निर्णय को रद्द करने की मंजूरी दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 27 जुलाई 2016 को ग्रामीण विकास मंत्रालय को संयुक्त मूल्यांकन नेटवर्क (सीईएनईटी) के प्रबंधन के लिए संयुक्त मूल्यांकन कार्यालय (सीईओ) की स्थापना के सरकार के पूर्ववर्ती निर्णय को रद्द करने का फैसला लिया है.
सीईओ की परिकल्पना पूर्व योजना आयोग के स्वतंत्र मूल्यांकन कार्यालय (आईईओ) के साथ ग्रामीण विकास कार्यक्रमों का संयुक्त मूल्यांकन करने के लिए की गई थी.
यह निर्णय ग्रामीण विकास कार्यक्रमों के मूल्यांकन अध्ययनों के प्रबंधन और संचालन के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय की आर्थिक और मॉनीटरींग विंग को जरूरत के आधार पर सुदृढ़ करने का मार्ग प्रशस्त करेगा.
राज्य सभा ने प्रतिपूरक वनीकरण कोष विधेयक-2016 पारित किया
राज्यसभा ने 28 जुलाई 2016 को प्रतिपूरक वनीकरण कोष विधेयक (कैम्पा) 2016 पारित कर दिया. यह विधेयक राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनीकरण कोष विधेयक के साथ–साथ राज्य प्रतिपूरक वनीकरण कोष की स्थापना करना चाहता है.
इसे लोकसभा ने 3 मई 2016 को पास कर दिया था.
प्रतिपूरक वनीकरण कोष विधेयक का उद्देश्य उद्योग और कारखानों के लिये काटे गये जंगलों के बदले नये पेड़ लगाने और कमजोर जंगलों को घना और स्वस्थ बनाना है.
कंपनियां वन भूमि के इस्तेमाल के बदले मुआवजे के तौर पर कंपनेसेटरी अफॉरेस्टेशन फंड में पैसा जमा करती हैं.
विधेयक की मुख्य विशेषताएं:
• इस विधेयक के द्वारा भारत के लोक लेखा (Public Account of India) के तहत राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनीकरण कोष और प्रत्येक राज्य के लोक लेखा के तहत राज्य प्रतिपूरक वनीकरण कोष की स्थापना की जाएगी.
• इन कोषों में निम्नलिखित के लिए भुगतान मिलेंगें– क) प्रतिपूरक वनीकरण, ख) वन का शुद्ध वर्तमान मूल्य (एनपीवी) और ग) अन्य परियोजना विशेष भुगतान. राष्ट्रीय कोष को इन कोषों का 10 फीसदी मिलेगा और राज्य कोषों में बाकी के 90 फीसदी डाले जाएंगे.
• इन कोषों को मुख्य रूप से वन कवर के नुकसान की प्रतिपूर्ति के लिए वनीकरण करने, वन पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से बनाने, वन्यजीव संरक्षण और संरचनात्मक विकास पर खर्च किया जाएगा.
• विधेयक के जरिये राष्ट्रीय और राज्य प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण भी बनाएगा.
पृष्ठभूमि:
पर्यावरण के कानून पर बनी एक उच्च स्तरीय समिति ने पाया कि 1951 से 2014 के बीच वन कवर की गुणवत्ता कम हुई है और इसकी वजहों में से एक है प्रतिपूरक वनीकरण वृक्षारोपण की खराब गुणवत्ता.
वर्ष 2013 में कैग की रिपोर्ट में कहा गया था कि राज्य के वन विभागों में प्रतिपूरक वनीकरण और वन संरक्षण के लिए नियोजन और कार्यान्वयन की क्षमता का अभाव है. राज्यों को दिए जाने वाले कोष को 10 फीसदी से बढ़ाकर 90 फीसदी करने के साथ इन कोषों का कुशल प्रयोग राज्य वन विभागों की क्षमता पर निर्भर करेगा.
बिहार उच्च न्यायालय ने छेदी पासवान की लोकसभा सदस्यता समाप्त की
बिहार हाईकोर्ट ने 28 जुलाई 2016 को याचिका पर सुनवाई करते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद छेदी पासवान की लोकसभा सदस्यता समाप्त की.
छेदी पासवान बिहार के सासाराम संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं. पासवान पर शपथपत्र में जानकारी छिपाने का आरोप है.
उन्होंने लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार को हराकर इस सीट पर जीत दर्ज की थी. पटना उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के के मंडल की एकल पीठ ने सासाराम निवासी गंगा मिश्रा की याचिका पर सुनवाई करते हुए सांसद छेदी पासवान की लोकसभा सदस्यता खत्म करने का आदेश दिया.
अदालत में कहा गया कि उम्मीदवार की आपराधिक पृष्ठभूमि से सम्बंधित जानकारी के खुलासे के लिए जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 2002 में 33ए का प्रावधान है. इसके तहत उम्मीदवारों को अपने ऊपर दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी देना अनिवार्य है. पासवान ने वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान नामांकन पत्र भरते समय दिए गये हलफनामे में
अपने ऊपर लगे आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं दी.
छेदी पासवान
• पासवान वर्ष 1985 में पहली बार चेनारी से लोकदल की टिकट पर विधायक चुने गये.
• इसके बाद वर्ष 1989 और 1991 में जनता दल के टिकट पर दो बार जीत कर संसद पहुंचे.
• वर्ष 1996 में वे भाजपा के मुन्नीलाल से चुनाव हार गये.
• छेदी पासवान वर्ष 2000 से 2004 के मध्य राबड़ी देवी सरकार एवं वर्ष 2008 से 2010 तक नितीश सरकार में मंत्री पद पर रहे.
टीएटीआर की बाघिन और उसके बच्चे की तस्वीर वाला स्टांप टिकिट जारी किया
अंतर्राष्ट्रीय टाइगर दिवस 29 जुलाई 2016 को ताडोबा अंधेरी बाघ अभयारण्य (टीएटीआर) में उतारी गई बाघिन और उसके बच्चे की मनोहारी तस्वीर वाला डाक टिकट जारी किया गया.
महाराष्ट्र में चन्द्रपुर जिला सूचना कार्यालय के अनुसार यह दुर्लभ तस्वीर एक स्थानीय वन्यजीव प्रेमी और शौकिया फोटोग्राफर अमोल बैस ने टीएटीआर भ्रमण के दौरान ली.
बाघिन और उसके बच्चे के बीच एक दूसरे से लगाव जताते हुए इस चित्र को बैस ने फेसबुक पर डाला.
फेसबुक वाल पर इसे बहुत ‘‘पंसद’’ और ‘‘शेयर’’ किया गया.
महाराष्ट्र के वन मंत्री सुधीर मुंगंतिवार इस चित्र से काफी प्रभावित हुए. उन्होंने इस प्रस्ताव के सम्बन्ध में सूचना प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद से अनुमोदन लिया.
इसके बाद विश्व बाघ दिवस के अवसर पर इस चित्र वाला डाक टिकट जारी किया गया.
डाक विभाग ने भी डाक टिकट जारी करने की औपचारिकताएं पूरी कर दी.
भारतीय मूल की श्रुति पालानीअप्पन डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन की सबसे युवा डेलीगेट बनी
भारतीय मूल की 18 वर्षीय श्रुति पालानीअप्पन ने 29 जुलाई 2016 को डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन की सबसे युवा डेलीगेट बनी गयी है. इस कन्वेंशन में हिलेरी क्लिंटन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद का पहली महिला उम्मीदवार चुनी गईं.
सीडर रेपिड्स की रहने वाली और हॉवर्ड विश्वविद्यालय की छात्रा श्रुति पालानीअप्पन हिलेरी की बहुत बड़ी समर्थक हैं.
श्रुति के पिता पालानीअप्पन अंदीअप्पन ने भी कड्रेंनशल्ज़ समिति के सदस्य के तौर पर कन्वेंशन में शिरकत की. अरिजोना की 102 वर्ष की जैरी एम्मेट जो कन्वेंशन में सबसे बुजुर्ग डेलीगेट हैं.
सबसे युवा डेलीगेट होने के अलावा, श्रुति ने 26 जुलाई 2016 को तब इतिहास बनाया जब उन्हें रोल कॉल वोट के दौरान आयोवा का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला.
30July
टी नंद कुमार ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के निदेशक पद से इस्तीफ़ा दिया
टी नंद कुमार ने 29 जून 2016 को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के निदेशक पद से इस्तीफ़ा दिया.
कुमार का इस्तीफ़ा 27 जुलाई 2016 को नियुक्ति समिति द्वारा स्वीकार कर लिया गया.
कुमार का पांच वर्ष का कार्यकाल 2019 में समाप्त हो रहा है, वे 1 अगस्त 2016 को पदमुक्त होंगे.
टी नंद कुमार
• कुमार 1972 बैच के बिहार कैडर के आईएएस अधिकारी हैं.
• उन्होंने वर्ष 2010 में आईएएस सेवा से सेवानिवृति ली.
• वे मार्च 2014 एनडीडीबी के निदेशक पद पर नियुक्त किये गये थे.
राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड
• राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की स्थापना वर्ष 1965 में की गयी थी.
• इसका मुख्यालय गुजरात स्थित आनंद में है.
• इसके अन्य विभाग हैं – आनंद, मदर डेयरी, डेल्ही, एनडीडीबी डेयरी सर्विसेज, डेल्ही एंड इंडियन इम्म्युनोलॉजिकल्स लिमिटेड.
• इसकी स्थापना वर्गीज़ कुरियन द्वारा की गयी.
• एनडीडीबी का मुख्य उद्देश्य गुणवत्ता आश्वासन, उत्पादकता बढ़ाना, संस्था निर्माण और राष्ट्रीय सूचना नेटवर्क का विस्तार करना है.
अमलेंदु तिवारी, बलराम कावंत, ओम नागर और तसनीम खान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित
अमलेंदु तिवारी,बलराम कावंत, ओम नागर और तसनीम खान को वर्ष 2015 के लिए भारतीय ज्ञानपीठ का 11वां नवलेखन पुरस्कार 28 जुलाई 2016 को एक समारोह में प्रदान किया गया. अमलेंदु तिवारी और बलराम कावंत उनके उपन्यास ‘परित्यक्त’ और ‘सारा मोरिला’ के लिए सम्मानित किए गए. जबकि ओम नागर और तसनीम खान को क्रमश: ‘नीब के चिरे से’ और ‘ये मेरे रहनुमा’ के लिए सम्मानित किया गया.
पुरस्कार पाने वालों का चयन वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार मधुसूदन आनंद के नेतृत्व वाली समिति ने किया. इस समिति में जानेमाने साहित्यिक हस्तियां जैसे विष्णु नागर, गोविंद प्रसाद और ओम निश्चल शामिल थे. समारोह में ज्ञानपीठ निदेशक लीलाधर मांडलोई मौजूद थे.
अमलेंदु तिवारी और ओम नागर को 50-50 हजार रुपए, एक प्रमाणपत्र और वाग्देवी की प्रतिमा दी जाएगी. भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले चारों लेखकों की कृतियों का प्रकाशन भी करेगा.
ज्ञानपीठ पुरस्कार के बारे में:
• ज्ञानपीठ पुरस्कार भारत का सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान है.
• ज्ञानपीठ पुरस्कार ‘भारतीय ज्ञानपीठ न्यास’ द्वारा प्रतिवर्ष दिया जाता है.
• यह पुरस्कार भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में उल्लिखित 22 भाषाओं में से किसी भाषा के लेखक को प्रदान किया जाता है.
• प्रथम ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरुप को प्रदान किया गया था.
• वर्ष 1982 तक यह पुरस्कार लेखक की एकल कृति के लिए दिया जाता था. लेकिन इसके बाद से यह लेखक के भारतीय साहित्य में संपूर्ण योगदान के लिए दिया जाने लगा.
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय की परिसम्पत्तियों को केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के अधीन लाने हेतु असैट्स कमेटी का गठन
केंद्र सरकार ने 29 जुलाई 2016 को डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के गठन की प्रणाली के अन्तर्गत पूर्व राजेन्द्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय की परिसम्पत्तियो को भी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के अन्तर्गत लाने का निर्णय लिया है.
- जिसके लिए एक असैट्स टेकिंग ओवर कमेटी गठित की गयी.
- केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह के प्रयासों से डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा का गठन हुआ.
- जिसके तहत सम्पूर्ण भारत एवं बिहार राज्य का युवा वर्ग कृषि विज्ञान में शिक्षा ग्रहण कर रहा है.
- इससे बिहार में कृषि उत्पादन को विशेष लाभ मिलेगा.
कमेटी के बारे में -
- 28 जुलाई 2016 को बिहार सरकार द्वारा दो प्रतिनिधियों के नाम भेजे.
- उसके बाद असैट्स टेकिंग ओवर कमेटी का गठन कर दिया गया.
- 30 जुलाई 2016 को इस कमेटी के साथ भारत सरकार के दो प्रतिनिधि पटना, बिहार जाकर हालत का जायजा लेंगे और असैट्स के समायोजन के बारे में रिपोर्ट देंगे.
डॉ. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय के बारे में-
- संसद ने 18 मई 2016 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय विधेयक – 2015 को अपनी मंजूरी दी.
- समस्तीपुर में स्थित डॉ. राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मई 2016 में दिया गया.
- इस विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा दिलवाने हेतु पिछले सात वर्ष से प्रयास किए जारी थे.
- पहले यह विधेयक राज्य सभा ने और फिर लोक सभा ने पास किया.
- यह राज्य का पहला और देश का दूसरा केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय है.
मानसून की भविष्यवाणी हेतु आईएमडी डायनामिकल मॉडल के आधार पर सुपर कंप्यूटर का उपयोग करेगा
मौसम संबंधी भविष्यवाणियों और मॉनसून के पूर्वानुमान को और अधिक सटीक बनाने हेतु केंद्र सरकार ने जुलाई 2016 के अंतिम सप्ताह में ने हाइ-टेक तकनीक अपनाने की तैयारी की है. इसके तहत भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) डायनामिकल मॉडल के आधार पर सुपर कंप्यूटर का उपयोग करेगा.
अमेरिका में यह तकनीक पहले से इस्तेमाल की जा रही है.
• भारत के भू-विज्ञान सचिव के अनुसार देश में डायनामिकल मॉडल के आधारित सुपर कंप्यूटर वर्ष 2017 से सेवाएँ देना आरम्भ कर देगा.
• इसके लिए सरकार ने 6 करोड़ डॉलर यानि करीब 400 करोड़ के निवेश से एक सुपर कंप्यूटर खरीदे हैं.
• भारत में करीब 12 करोड़ लोगों मॉनसून की बारिश पर निर्भर है, इनकी खेती बारिश के पानी पर ही निर्भर करती है.
• अब तक देश में सांख्यिकी मॉडल का उपयोग किया जा रहा है.
डायनामिकल मॉडल के बारे में-
• डायनामिकल मॉडल को युग्मित (कपल्ड) पूर्वानुमान प्रणाली के रूप में जाना जाता है.
• यह मौसम विशिष्ट अवधि के लिए स्थानीय स्तर के साथ साथ वैश्विक पर के मिजाज के डेटा पूर्वानुमान करता है.
• उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान के भारतीय संस्थान (आईआईटीएम), पुणे, वार्षिक मानसून के पूर्वानुमान के लिए आईएमडी की सहयता हेतु लगभग 10 वर्षों से प्रायोगिक आधार पर इस मॉडल का उपयोग कर रहा है.
• वैकल्पिक मॉडल को लागू करने के लिए, आईएमडी सुपर कंप्यूटर हेतु निवेश कर रही है. यह प्रणाली 10 पेट फ्लॉप्स प्रति सेकंड की गति से कार्य कर सकती है.
• वर्तमान में डायनामिकल मॉडल 60% सटीक परिणाम डे रहा है. आईएमडी का प्रयास इसे 77% तक करने का है.
• डायनामिकल मॉडल विशिष्ट क्षेत्रों के लिए बदलते मौसम के मिजाज और एक प्रगति मानसून के बदलाव के साथ उन्नत पूर्वानुमान हेतु अधिक सटीकता प्रदान करता है.
• डायनामिकल मॉडल और तीव्र कंप्यूटिंग से आईएमडी पूर्वानुमान में सुधार के रूप में सटीक परिणाम देने के सक्षम हो जाएगा.
संसद ने अनिवार्य वनीकरण कोष विधेयक 2016 पारित किया
संसद ने अनिवार्य वनीकरण कोष विधेयक-2016 पारित कर दिया है. इसे 29 जुलाई 2016 को राज्यसभा ने पास कर दिया.
लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है.
- इस विधेयक में अनिवार्य वनीकरण के लिए केन्द्र और राज्य स्तर पर कोष बनाने का प्रावधान है.
- नया कानून बनने से राज्यों को वनीकरण और सम्बन्धित गतिविधियों के लिए 42 हजार करोड़ रुपये दिए जायेंगे
- पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे के अनुसार ओडि़शा को इस कोष से सबसे अधिक राशि दी जाएगी.
- जो लगभग छह हजार करोड़ रुपये होगी.
देश में केंद्रीय योजनाओं की निगरानी हेतु सरकार ने 'दिशा' का गठन किया
केन्द्र सरकार ने 29 जुलाई 2016 को ग्रामीण क्षेत्रों में विकास योजनाओं में तेजी लाने हेतु पहले से गठित जिला निगरानी समिति के स्थान पर जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) का गठन किया है.
दिशा के बारे में -
- दिशा का गठन प्रभावी विकास समन्वय के लिए किया गया है.
- जिला स्तर पर क्षेत्र के सांसद की अध्यक्षता में गठित ‘दिशा’ की सदस्यता जिला निगरानी समिति की तरह ही रहेगी.
- जिला निगरानी समिति को महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना, दीनदयाल अंत्योदय आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्किल इंडिया, स्वच्छ भारत मिशन, डिजिटल इंडिया सहित कुल 28 योजनाओं का विकास समन्वय एवं निगरानी का दायित्व दिशा को सौंपा गया है.
- केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के अनुसार इस समिति के पास समन्वय एवं निगरानी शक्तियां होंगी.
दिशा की कार्य विधि-
- इसमें सभी स्तर के जन-प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित करने और देश की महत्वाकांक्षी योजनाओं को सफल बनाने का प्रयास किया जाएगा.
- समिति के पास केन्द्र सरकार के लगभग सभी विकास कार्यक्रमों के सदुपयोग हेतु क्रियान्वयन व मार्गदर्शन का अधिकार होगा.
- समिति की बैठक फरवरी, अप्रैल, जुलाई तथा अक्टूबर माह के तीसरे शनिवार को पूर्व से निर्धारित है
- ‘दिशा’ की पहली बैठक 13 अगस्त 2016 को आयोजित करने का निर्देश दिया गया है.
- समिति की बैठक को हर तिमाही में एक बार करना अनिवार्य है.
समिति के उत्तरदायित्व-
- इस समिति का कार्य अनुमोदित परियोजनाओं को समय से पूरा करने के लिए इसमें आने वाली बाधाओं को दूर करना है.
- इस समिति के पास विचार-विमर्श के दौरान उठाए गए मुद्दों पर प्रभावी अनुवर्ती कार्रवाई करने की शक्तियां होंगी
- जिला कलेक्टर सदस्य सचिव होंगे, जिसका दायित्व सिफारिशों पर कार्रवाई करने का होगा.
पृष्ठभूमि-
जिला निगरानी समिति का कार्य क्षेत्र ग्रामीण विकास कार्यों तक सीमित था एवं इसकी प्रभावी निगरानी एवं समयबद्ध बैठकों के आयोजन में समय-समय पर शिकायतें भी प्राप्त होती रहती थी
देश में केंद्रीय योजनाओं की निगरानी हेतु सरकार ने 'दिशा' का गठन किया
केन्द्र सरकार ने 29 जुलाई 2016 को ग्रामीण क्षेत्रों में विकास योजनाओं में तेजी लाने हेतु पहले से गठित जिला निगरानी समिति के स्थान पर जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति (दिशा) का गठन किया है.
दिशा के बारे में -
- दिशा का गठन प्रभावी विकास समन्वय के लिए किया गया है.
- जिला स्तर पर क्षेत्र के सांसद की अध्यक्षता में गठित ‘दिशा’ की सदस्यता जिला निगरानी समिति की तरह ही रहेगी.
- जिला निगरानी समिति को महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना, दीनदयाल अंत्योदय आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, स्किल इंडिया, स्वच्छ भारत मिशन, डिजिटल इंडिया सहित कुल 28 योजनाओं का विकास समन्वय एवं निगरानी का दायित्व दिशा को सौंपा गया है.
- केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के अनुसार इस समिति के पास समन्वय एवं निगरानी शक्तियां होंगी.
दिशा की कार्य विधि-
- इसमें सभी स्तर के जन-प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित करने और देश की महत्वाकांक्षी योजनाओं को सफल बनाने का प्रयास किया जाएगा.
- समिति के पास केन्द्र सरकार के लगभग सभी विकास कार्यक्रमों के सदुपयोग हेतु क्रियान्वयन व मार्गदर्शन का अधिकार होगा.
- समिति की बैठक फरवरी, अप्रैल, जुलाई तथा अक्टूबर माह के तीसरे शनिवार को पूर्व से निर्धारित है
- ‘दिशा’ की पहली बैठक 13 अगस्त 2016 को आयोजित करने का निर्देश दिया गया है.
- समिति की बैठक को हर तिमाही में एक बार करना अनिवार्य है.
समिति के उत्तरदायित्व-
- इस समिति का कार्य अनुमोदित परियोजनाओं को समय से पूरा करने के लिए इसमें आने वाली बाधाओं को दूर करना है.
- इस समिति के पास विचार-विमर्श के दौरान उठाए गए मुद्दों पर प्रभावी अनुवर्ती कार्रवाई करने की शक्तियां होंगी
- जिला कलेक्टर सदस्य सचिव होंगे, जिसका दायित्व सिफारिशों पर कार्रवाई करने का होगा.
पृष्ठभूमि-
जिला निगरानी समिति का कार्य क्षेत्र ग्रामीण विकास कार्यों तक सीमित था एवं इसकी प्रभावी निगरानी एवं समयबद्ध बैठकों के आयोजन में समय-समय पर शिकायतें भी प्राप्त होती रहती थीं
31 July
मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू द्वारा आन्ध्र प्रदेश में ‘मिशन हरित आंध्र प्रदेश’ की शुरुआत
मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने 29 जुलाई 2016 को आंध्र प्रदेश स्थित कृष्णा जिले के नुजिवीडू मंडल के अंतर्गत सुनकोल्लु गांव में पौधे लगाकर ‘मिशन हरित आंध्र प्रदेश’ की शुरुआत की.
हरित आंध्र प्रदेश, स्वर्गीय मुख्यमंत्री वाई एस राजशेखर रेड्डी की एक मुख्य परियोजना थी लेकिन चंद्रबाबू नायडू ने एक नये नारे “वनम-मनम” अर्थात वन और हम के साथ इसे मिशन के रूप में आरंभ किया.
इस मिशन का उद्देश्य राज्य में 2029 तक वन क्षेत्र को 50 प्रतिशत तक बढ़ाना है. वर्तमान में आंध्र प्रदेश में 23 प्रतिशत वन क्षेत्र मौजूद है. मुख्यमंत्री ने एक करोड़ पौधे लगाने का आह्वान किया.
पौधे लगाने के कार्य में महिला स्वयं-सहायता समूहों की सहायता ली जाएगी एवं इसके लिए उन्हें मनरेगा के अंतर्गत प्रत्येक वर्ष 100 दिनों का रोज़गार भी दिया जाएगा.
रेलवे ने ट्रेनों को टकराने से रोकने वाली प्रणाली विकसित की
रेलवे ने ट्रेनों को टकराने से रोकने की प्रणाली (टीसीएएस) विकसित की है. 28 जुलाई 2016 को सिकंदराबाद मंडल के 250 किलोमीटर लंबे लिंगमपल्ली-बिडार खंड रेल मार्ग पर इस प्रणाली का परीक्षण किया गया.
- प्रणाली के माध्यम से ट्रेन के इंजन के भीतर चालक को चेतावनी मिल जाएगी.
- रेल मंत्रालय के अनुसार रिसर्च डिजाइंस एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ने भारतीय विक्रेताओं के सहयोग से इसे देश में ही विकसित किया है.
- इसका उद्देश्य सिग्नल को नजरअंदाज करने वाले चालक की गलती के कारण या अत्यधिक रफ्तार के कारण होने वाले ट्रेन हादसों को रोकना है.
- इसके अलावा यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम टेक्नोलॉजी पर आधारित ट्रेन प्रोटेक्शन एंड वार्निंग सिस्टम (टीपीएसडब्ल्यू) का भी कुछ खंडों पर परीक्षण किया गया.
टीपीडब्ल्यूएस का प्रयोग-
- 50 किलोमीटर लंबे चेन्नई-गुम्मीदिपुंडी उपनगरीय खंड और 200 किलोमीटर लंबे निजामुद्दीन-आगरा खंड पर टीपीडब्ल्यूएस का परीक्षण किया जा रहा है.
- दिल्ली-आगरा खंड पर 160 किलोमीटर की अधिकतम रफ्तार से चलने वाली गतिमान एक्सप्रेस में टीपीडब्ल्यूएस लगाया गया है.
- कोलकाता मेट्रो का 25 किलोमीटर लंबा दम दम-कावी सुभाष खंड भी टीपीडब्ल्यूएस से लैस है.
- सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु लोको पायलट को सतर्क करने के लिए सभी इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस (वीसीडी) से लैस हैं.
महिलाओं हेतु केंद्र सरकार का देशभर में 660 वन स्टाप सेंटर खोलने का लक्ष्य
हिंसा से पीड़ित महिलाओं को चिकित्सा, कानूनी और मानसिक सहायता मुहैया कराने हेतु केंद्र सरकार ने देशभर में 660 ‘वन स्टाप सेंटर’ खोलने का लक्ष्य रखा है.
महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने 29 जुलाई 2016 को यह घोषणा की.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अनुसार यह योजना सबसे पहली बार एक अप्रैल 2015 को लागू की गयी.
वन स्टाप सेंटर के बारे में -
- उस समय देश के विभिन्न भागों में 17 ओएससी स्थापित किए गए
- पहले चरण के सफलतापूर्वक क्रियान्वित होने के बाद अप्रैल 2017 तक देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसे और 150 ओएससी स्थापित करने का लक्ष्य है.
- सरकार का मकसद आवश्यकता के अनुरूप 660 वन स्टाप सेंटर खोलने का है. इस योजना के लिए धन निर्भया कोष से उपयोग किया गया है.
- देश भरमे जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में प्रबंधन समिति इन केंद्रों के प्रशासन के लिए जिम्मेदार हैं.
- साथ ही महिलाओं से संबंधित मुद्दों को सुलझाने हेतु देश में फास्ट ट्रैक महिला अदालतें गठित की जाएंगी.