खगोलविदों ने ट्रेपिस्ट दूरबीन के माध्यम से पृथ्वी जैसे 3 ग्रहों की
खोज की
05-MAY-2016
ईएसओ ला सिला वेधशाला में ट्रेपिस्ट दूरबीन का उपयोग करके खगोलविदों ने शुक्र और पृथ्वी के आकार और तापमान के जैसे तीन ग्रहों की खोज की है. ये गृह पृथ्वी से सिर्फ 40 प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक अल्ट्रा कूल ड्वार्फ तारा की तरह परिक्रमा करते देखा गया है.
इस खोज को 2 मई 2016 के जर्नल नेचर में प्रकाशित किया गया.
बेल्जियम में लीज विश्वविद्यालय के खगोलविदों के माइकल जिल्लों ने टीम के नेतृत्व में टीम ने ट्रेपिस्ट दूरबीन का इस्तेमाल करके अल्ट्रा कूल ड्वार्फ तारा 2MASS J23062928-0502285,की खोज की. दूरबीन को ट्रेपिस्ट-1 के रूप में भी जाना जाता है.
खोज में खगोलविदों ने पाया कि कम चमकने वाला और शांत तारा नियमित अंतराल पर आंशिक रूप से चमक रहा है. साथ ही तारे और पृथ्वी के बीच से गुजर रही अनेकों वस्तुओं को प्रतिबिंबित कर रहा है.
इसके विस्तृत विश्लेषण करने पर पता चला कि तीनों ग्रह उस तारे के चारों ओर मौजूद हैं.
एक अल्ट्रा कूल ड्वार्फ तारा-ट्रेपिस्ट -1
• यह अधिक ठंडा और सूर्य से लाल और बृहस्पति गृह से थोडा बड़ा है.
• बड़ी दूरबीन के साथ शौकिया या नग्न आंखों से देखने पर यह तारा पृथ्वी के अत्यंत करीब होने के बावजूद मंद प्रकाश वाला और अधिक लाल दिखाई देता है.
• यह कुंभ (जल कैरियर) के नक्षत्र में निहित है.
• चिली में अपेक्षाकृत बड़े दूरबीन हॉक-I, के यन्त्र ईएसओ के 8 मीटर के साथ क्रासिंग जाँच में तीनों ग्रह पृथ्वी के समान आकार के दिखाई देते हैं.
• इनमे से दो ग्रहों की क्रमश: 1.5 और 2.4 दिन की कक्षीय अवधि है, और तीसरे ग्रह की 4.5 से 73 दिनों की कक्षीय अवधि है.
हालांकि तीन ग्रह अपनी कक्षाओं में एक दूसरे के सन्निकट पाए गए, भीतरी दो ग्रहों ने पृथ्वी द्वारा ग्रहण विकिरण की मात्रा क्रमशः चार बार और दो बार ग्रहण की.
तीसरे बाहरी ग्रह की कक्षा में अभी तक अच्छी तरह से ज्ञात नहीं है. संभवतया यह पृथ्वी की तुलना में कम विकिरण प्राप्त करता है. यह भी हो सकता है
कि यह अभी भी पर्याप्त आवासीय क्षेत्र के भीतर हो.
भारतीय रिजर्व बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ यूनाइटेड अरब अमीरात के
बीच मुद्रा विनिमय सहयोग समझौता पत्र पर हस्ताक्षर
05-MAY-2016
भारतीय रिजर्व बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ युनाइटेड अरब अमीरात के बीच मुद्रा विनिमय समझौते के बारे में सहयोग से संबंधित सहमति पत्र पर 04 मई 2016 को हस्ताक्षर किए गए.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में फरवरी, 2016 में सहमति पत्र पर किए गए हस्ताक्षर को पूर्वव्यापी स्वीकृति प्रदान की गई.
- इस सहमति पत्र में प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है कि भारतीय रिजर्व बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ युनाइटेड अरब अमीरात तकनीकी विचार विमर्श के बाद, संबंधित सरकारों की सहमति से परस्पर सहमत नियम और शर्तों के आधार पर द्विपक्षीय मुद्रा विनिमय समझौते पर हस्ताक्षर करने के बारे में विचार करेंगे.
- सहमति पत्र भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच निकट आर्थिक संबंधों एवं सहयोग को और भी मजबूती प्रदान करेगा.
- इस विनिमय समझौते से आपसी व्यापार का स्थानीय मुद्राओं में इनवॉइस बनाने में सहायता मिलने की भी संभावना है.
उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्ग-56 लखनऊ-सुलतानपुर खंड को चार
लेन का बनाने की मंजूरी
05-MAY-2016
बुनियादी ढांचे पर मंत्रिमंडल की समिति ने राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के चौथे चरण के अंतर्गत 04 मई 2016 को उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग-56 लखनऊ-सुल्तानपुर खंड को चार लेन का बनाने की परियोजना को मंजूरी दी. समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की.
- इस खंड की कुल लंबाई 128 किलोमीटर है.
- इस परियोजना पर 2844.72 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. जिसमें भूमि अधिग्रहण, राहत और पुनर्वास तथा निर्माण से पहले की गतिविधियों की 49.09 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत शामिल है.
- सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार यह कार्य एनएचडीपी चार के तहत किया जाना है.
- परियोजना का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश में बुनियादे ढांचे के सुधार में तेजी लाना और लखनऊ और सुल्तानपुर के बीच चलने वाले वाहनों विशेषकर भारी वाहनों के यात्रा समय और लागत को कम करना है.
- इस सड़क के एक किलोमीटर के निर्माण पर 4076 मानव दिवस की आवश्यकता होगी
- एनएच-56 लखनऊ, सुल्तानपुर और उत्तर प्रदेश के पूर्वी भागों के अन्य कस्बों को जोडने वाला महत्पूर्ण संपर्क मार्ग है.
- इससे स्थानीय श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेगे.
- इस परियोजना में लखनऊ, बाराबंकी, रायबरेली और सुल्तानपुर जि़ले शामिल हैं.
सीएआईपीईईएक्स, बादलों में वर्षा के गठन एवं बादलों के प्रजनन हेतु
प्रक्रिया
05-MAY-2016
सीएआईपीईईएक्स: क्लाउड एयरोसोल इंटरेक्शन एवं वर्षा संवर्धन प्रयोग
सीएआईपीईईएक्स एक तकनीक एवं प्रक्रिया है जिससे बादलों के गठन की प्रक्रिया एवं उन्हें बनाया जाना शामिल है. कृत्रिम बारिश का यह तरीका उस समय मई 2016 में चर्चा में रहा जब विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री वाई एस चौधरी द्वारा सीएआईपीईईएक्स शब्द संसद में प्रयोग किया गया.
लोक सभा में 4 मई 2016 को मंत्री ने कहा कि भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) बादलों में वर्षा की प्रक्रिया एवं गठन को समझने के लिए इस कार्यक्रम द्वारा अनुसंधान कर रहा है.
सीएआईपीईईएक्स
• इस अनुसंधान के तहत वायु के अवलोकन से बादलों के गठन एवं उसके प्रभाव को बताया गया.
• इस कार्यक्रम में राडार, भूमि पर मौजूद अन्य उपकरण एवं वायु आधारित प्लेटफार्म उपयोग किये गये हैं. साथ ही इसमें उच्च संकल्प संख्यात्मक मॉडलिंग का भी उपयोग किया जायेगा.
• बादलों के प्रजनन के लिए क्षेत्र को संवहनी क्षमता के आधार पर चुना गया.
• बादलों को उपजाने से पहले अथवा उनके प्रजनन से पहले विमान द्वारा अवलोकन करना होगा एवं बाद में पर्यावरण की स्थिति एवं बीजारोपण की सामग्री का भी निरीक्षण करना होगा.
• इन प्रक्रियाओं एवं अनुसंधान में एयरोसोल, क्लाउड ड्रॉपलेट्स, बारिश की बूंदे एवं बर्फ के नमूने आदि शामिल हैं.
• अनुसंधान डाटा के अनुसार इस शोध से मौसम की भविष्यवाणी करने में भी सहायता मिलेगी.
उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कृत्रिम बारिश का उपयोग सूखा प्रभावित क्षेत्रों में बारिश कराने के लिए नहीं किया जा सकता. इसका उपयोग बादलों का घनत्व बढ़ाकर अथवा पहले से मौजूद बादलों में बारिश की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है.
सीएआईपीईईएक्स, बादलों में वर्षा के गठन एवं बादलों के प्रजनन हेतु
प्रक्रिया
05-MAY-2016
सीएआईपीईईएक्स: क्लाउड एयरोसोल इंटरेक्शन एवं वर्षा संवर्धन प्रयोग
सीएआईपीईईएक्स एक तकनीक एवं प्रक्रिया है जिससे बादलों के गठन की प्रक्रिया एवं उन्हें बनाया जाना शामिल है. कृत्रिम बारिश का यह तरीका उस समय मई 2016 में चर्चा में रहा जब विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री वाई एस चौधरी द्वारा सीएआईपीईईएक्स शब्द संसद में प्रयोग किया गया.
लोक सभा में 4 मई 2016 को मंत्री ने कहा कि भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) बादलों में वर्षा की प्रक्रिया एवं गठन को समझने के लिए इस कार्यक्रम द्वारा अनुसंधान कर रहा है.
सीएआईपीईईएक्स
• इस अनुसंधान के तहत वायु के अवलोकन से बादलों के गठन एवं उसके प्रभाव को बताया गया.
• इस कार्यक्रम में राडार, भूमि पर मौजूद अन्य उपकरण एवं वायु आधारित प्लेटफार्म उपयोग किये गये हैं. साथ ही इसमें उच्च संकल्प संख्यात्मक मॉडलिंग का भी उपयोग किया जायेगा.
• बादलों के प्रजनन के लिए क्षेत्र को संवहनी क्षमता के आधार पर चुना गया.
• बादलों को उपजाने से पहले अथवा उनके प्रजनन से पहले विमान द्वारा अवलोकन करना होगा एवं बाद में पर्यावरण की स्थिति एवं बीजारोपण की सामग्री का भी निरीक्षण करना होगा.
• इन प्रक्रियाओं एवं अनुसंधान में एयरोसोल, क्लाउड ड्रॉपलेट्स, बारिश की बूंदे एवं बर्फ के नमूने आदि शामिल हैं.
• अनुसंधान डाटा के अनुसार इस शोध से मौसम की भविष्यवाणी करने में भी सहायता मिलेगी.
उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कृत्रिम बारिश का उपयोग सूखा प्रभावित क्षेत्रों में बारिश कराने के लिए नहीं किया जा सकता. इसका उपयोग बादलों का घनत्व बढ़ाकर अथवा पहले से मौजूद बादलों में बारिश की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है.
रेल मंत्रालय ने विज्ञापन से राजस्व बढाने हेतु नया निदेशालय स्थापित
किया
05-MAY-2016
रेल मंत्रालय ने 4 मई 2016 को रेलगाड़ी के डिब्बों, पटरियों के इर्दगिर्द और स्टेशनों के पास बड़े पैमाने पर विज्ञापनों को लगाने के लिए एक नए निदेशालय की स्थापना की.
इस निदेशालय का नाम ‘नॉन फेयर रेवेन्यू डायरेक्टरेट’ है और इसका उद्देश्य गैर-रेल भाड़ा स्रोतों से बड़े पैमाने पर राजस्व बढ़ाना है.
इससे सम्बंधित मुख्या तथ्य:
• यह नयी इकाई कोचों, वैगनों, इंजनों के साथ ही स्टेशनों पर विज्ञापन हासिल करने की संभावनाओं का पता लगाएगी और रेलवे की खाली पड़ी जमीन के व्यवसायिक दोहन का भी पता लगाएगी.
• रेलवे का एक वरिष्ठ अधिकारी इस निदेशालय का प्रमुख होगा.
• नया विंग रेल भाड़े के इतर स्रोतों से होने वाले मौजूदा 5 प्रतिशत राजस्व को बढ़ाकर 10 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक करने का प्रयास करेगा.
• यह निदेशालय गैर टैरिफ राजस्व को बढ़ाने के लिए रेलवे पटरियों के इर्द-गिर्द व्यावसायिक खेती, रेलवे कर्मियों के लिए वर्दी का प्रायोजन और गतिविधियों एवं घटनाओं के प्रायोजन जैसे नए क्षेत्रों में प्रवेश करेगा.
रेलभाड़े से इतर राजस्व बढ़ाने की कार्य योजना रेल बजट 2016-17 का हिस्सा थी और जल्द ही कम से कम 20 स्टेशनों पर विज्ञापन राजस्व में बढ़ोतरी के उपाय करेगा.
हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग-22 पर (कैथलीघाट से शिमला
खंड के लिए) शिमला बाईपास को चार लेन के साथ दो लेन के निर्माण
का फैसला
05-MAY-2016
p>आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने 04 मई 2016 को हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग-22 शिमला बाईपास (कैथलीघाट से शिमला खंड के लिए) पर चार लेन के साथ दो लेन के निर्माण को भी मंजूरी दे दी. समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की.
इस परियोजना को राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी) चरण-3 के तहत पूरा किया जाएगा.
• यह अनुमोदन हाइब्रिड एनुइटीर मोड में है.
• भूमि अधिग्रहण, स्थानांतरण एवं पुनर्वास और निर्माण से पहले की गतिविधियों की लागत सहित इसकी कुल लागत 1583.18 करोड़ रुपए होने का अनुमान है.
• सड़क की कुल लंबाई लगभग 28 किलोमीटर होगी.
• राजमार्ग के एक किलोमीटर के निर्माण के लिए 4076 मानव दिवस की जरूरत होगी.
• इस खंड के निर्माण हेतु स्थाननीय स्त र पर लगभग 1,11,914 दिनों तक का रोजगार पैदा होगा.
• इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य हिमाचल प्रदेश में बुनियादी ढांचे में तेजी से सुधार लाना है.
• इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग-22 पर कैथलीघाट से शिमला खंड पर चलने वाले यातायात खासकर भारी यातायात के लिए समय और यात्रा की लागत को भी कम करना है.
इस खंड के विकास से राज्य के संबंधित क्षेत्रों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी और इस परियोजना से स्थानीय मजदूरों को रोजगार मिलेगा.
केंद्र सरकार ने इन्फोसिस के आईटीईएस एसईजेड स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी
05-MAY-2016
केंद्र सरकार ने 5 मई 2016 को आईटी कंपनी इन्फोसिस द्वारा बेंगलुरू में आईटीईएस विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. प्रस्तावित सेज चार हेक्टेयर से भी अधिक क्षेत्र में होगा.
वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया की अध्यक्षता वाले मंजूरी बोर्ड ने 28 अप्रैल 2016 की बैठक में इस आशय का फैसला किया.
इसी तरह बोर्ड ने मायर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को हरियाणा में जैव प्रौद्योगिकी सेज, विप्रो को कर्नाटक में आईटी सेज तथा वेदांता को ओड़िशा में सेज के लिए अतिरिक्त समय दिया है.
इसके अलावा बोर्ड ने यूनिटेक रीयल्टी प्रोजेक्ट को अपना नाम बदलकर केनडोर गुड़गांव वन डेवलपर्स करने की अनुमति दे दी है.
विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone, SEZ)
• विशेष आर्थिक क्षेत्र किसी भौगोलिक क्षेत्र में स्थापित वह क्षेत्र है जिसका उद्देश्य निर्यात एवं रोजगार को बढ़ावा देना है.
• अप्रैल 2000 में सर्वप्रथम घोषित विशेष आर्थिक क्षेत्र नीति के तहत आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने तथा रोजगार सृजन हेतु विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 को 23 जून 2005 को राष्ट्रपति से अनुमोदन के पश्चात लागू हुआ.
• देश के कुल निर्यात को एसईजेड तथा डोमेस्टिक टैरिफ एरिया के अंतर्गत दो भागों में बाटा जाता है.\
उत्तराखंड उच्च-न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ का हैदराबाद उच्च-न्यायालय में स्थानांतरण
05-MAY-2016
उत्तराखंड उच्च-न्यायालय के निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ का 4 मई 2016 को हैदराबाद उच्च-न्यायालय में स्थानांतरण हो गया. उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को पलटने के मामले में वे अप्रैल 2016 में चर्चा में रहे. जोसेफ ने जुलाई 2014 में उत्तराखंड में बतौर मुख्य न्यायधीश पद संभाला था.
न्यायमूर्ति केएम जोसेफ हैदराबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बी भोसले का स्थान लेंगे, जिन्हें मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर नियुक्ति किया गया है.
विदित हो कि जस्टिस जोसेफ ने अप्रैल 2016 में उत्तराखंड में केंद्र के राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को खारिज कर हरीश रावत को फिर से मुख्यमंत्री बनने का रास्ता सुनिश्चित कर दिया था. जस्टिस जोसेफ और जस्टितस वीके बिष्ट की बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि, 'केंद्र की ओर से राज्य में धारा 356 का इस्तेमाल सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित नियम के खिलाफ है.'
उपरोक्त फैसले में जस्टिकस जोसेफ ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी एवं साथ ही कहा था कि, “राष्ट्रपति कोई राजा नहीं है. राष्ट्रपति ही नहीं जज भी गलती कर सकते हैं और इनके फैसलों को अदालत में चुनौती दी जा सकती है.”
रिलायंस पॉवर को बांग्लादेश में एलएनजी आधारित संयंत्र के लिए सैद्धांतिक मंजूरी
05-MAY-2016
रिलायंस पॉवर को बांग्लादेश सरकार से 4 मई 2016 को 3000 मेगावॉट क्षमता के तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) आधारित बिजली संयंत्र के प्रथम चरण के लिए सैद्धांतिक मंजूरी मिल गयी.
इस मंजूरी के तहत पहले चरण में 750 मेगावॉट का संयंत्र नारायणगंज जिले में मेघनाघाट पर स्थापित किया जाएगा. यह ढाका से दक्षिण पूर्व में 40 किलोमीटर दूर है.
इसी के साथ एक एफएसआरयू टर्मिनल कॉक्स बाजार जिले में महेशखली द्वीप पर स्थापित किया जाएगा.
रिलायंस पावर 20 लाख टन प्रतिवर्ष की क्षमता का एक तैरता हुआ एलएनजी आयात टर्मिनल स्थापित करेगी.
इसके साथ ही एक तैरता हुए भंडारण एवं फिर से गैसीकरण करने वाली इकाई (एफएसआरयू) का भी निर्माण किया जाएगा ताकि ईंधन को जहाजों में लाया जा सके और इस ईंधन से बिजली संयंत्र को चलाया जा सके.
अनुबंधित श्रमिक भुगतान प्रबंधन प्रणाली के लिए पोर्टल का शुभारंभ
05-MAY-2016
केंद्रीय विद्युत, कोयला और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री पीयूष गोयल ने 4 मई 2016 को कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के पोर्टल- ‘अनुबंधित श्रमिक भुगतान प्रबंधन प्रणाली’ (कांट्रैक्ट लेबर पेमेंट मैनेजमेंट सिस्टम) का शुभारंभ किया.
यह पोर्टल भ्रष्टाचार और ठेकेदारों द्वारा अनुबंधित कामगारों के शोषण पर रोक लगाएगा और अनुबंधित कामगारों को उचित एवं समय पर वेतन उपलब्ध कराने में सहायता करेगा.
वेब पोर्टल की मुख्य विशेषताएं:
• इस पोर्टल के माध्यम से वेतन की गणना की जाएगी और यह वेतन सभी अनुबंधित श्रमिकों के बैंक खाते में सीधे जमा करा दिया जाएगा.
• यह कोल इंडिया की सभी सहायक कंपनियों के लिए एक एकीकृत प्रणाली होगी.
• घर में विकसित आवेदन सभी अनुबंध सीआईएल में अलग अलग ठेकेदारों द्वारा लगे श्रमिकों और उसके सभी सहायक कंपनियों के लिए एक व्यापक डेटाबेस बनायेगा.
• पोर्टल, सभी अनुबंधित श्रमिको को एक श्रमिक पहचान संख्या देगा जिसके माध्यम से वह अपने व्यक्तिगत विवरण और भुगतान की स्थिति को देखने मे मदद मिलेगा.
• सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य सभी उपक्रमों और निजी क्षेत्र के संगठनों को इस पोर्टल की प्रतिकृति बनाया जायेगा और इसके लिए नि:शुल्क तकनीकी सहायता प्रदान किया जायेगा.
• यह पोर्टल 45 से 60 दिन के भीतर चालू हो जाएगा.
अमेरिकी न्यायलय ने जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी पर 5.5 करोड़
डॉलर का जुर्माना लगाया
05-MAY-2016
सेंट लुइस, अमेरिका की अदालत ने 03 मई 2016 को मशहूर मल्टीनेशनल कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन पर 5.5 करोड़ डॉलर, यानि 365 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया. मामला कंपनी के टैल्कम पाउडर से जुड़ा है.
अमेरिका के दक्षिणी डकोटा की 62 साल की महिला ग्लोरिया ने पिटीशन में कहा कि वह 40 साल से हाइजीन के तौर पर अपने प्राइवेट पार्ट्स पर जॉनसन के दो टैल्कम पाउडर- 'बेबी पाउडर' और 'शॉवर टू शॉवर' का इस्तेमाल करती आ रही हैं.
2011 में डॉक्टरों ने उन्हें ओवेरियन कैंसर की बीमारी से ग्रसित होने के बारे में बताया और सर्जरी की सलाह दी. ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों को ओवरी में टैल्कम पाउडर के अंश मिले. जबकि कंपनी इन दोनों पाउडर की मार्केटिंग 'हाइजीन प्रोडक्ट' के तौर पर करती है.
कोर्ट ने महिला के दावे को सही माना और जानसन एंड जॉनसन पर 365 करोड़ रु. का जुर्माना लगाया.
फरवरी में भी लगा था 475 करोड़ का जुर्माना-
अमेरिकी कोर्ट ने जॉनसन एंड जॉनसन पर 72 मिलियन डॉलर का हर्जाना लगाया
• इससे पहले अमेरिका की एक अन्य कोर्ट ने फरवरी में भी कंपनी पर 475 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था. यह मामला भी ओवेरियन कैंसर का था. इसमें जैकलीन फॉक्स नाम की महिला की मौत हो गई थी.
• जैकलीन 35 साल से टेल्कम पाउडर का इस्तेमाल कर रही थीं. इसके बाद भारत में भी कंपनी के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई.
वैज्ञानिकों की राय-
• वैज्ञानिकों के बीच इस बात को लेकर विवाद है कि कैंसर और टैल्क के बीच कोई सीधा संबंध है.
• शोध के बाद इसमें इथाइल ऑक्सााइड होने की आशंका व्यक्त की गयी.
• ऐसे तत्वक टेलकम पॉवडर को इथाइल ऑक्सासइड से स्टशरलाइज किये जाने पर पैदा हुए और ये तत्वी त्व्चा के लिये हानिकारक होते हैं.
पहले भी कंपनी रही है विवादों में-
• 1982 में अमेरिका में जॉनसन एंड जॉनसन के टायलीनॉल दवा से 7 लोगों की मौत हो गई थी और कंपनी ने 3.1 करोड़ बोतलों को तुरंत वापस लिया था.
• 2008 में कई लोगों ने कंपनी के उत्पादों पर बदबू और मिलावट का आरोप लगाया था. 2 साल बाद कंपनी ने करीब तीन करोड़ यूनिट प्रोडक्स वापस लिए.
• 2010 में कंपनी के वाशिंगटन प्लांट को बंद करना पड़ा.
• 2011 में मिर्गी की दवा टोपामैक्स की 57000 बोतलें वापस ली क्योंकि दवा में बदबू थी.
• 2011 में ही 5 लॉट इंसुलिन पंप के कार्टिजेज मिलावट की आशंका के कारण वापस हुए.
• 2012 में बेबी लोशन की 2000 ट्यूब ज्यादा बैक्टरिया के कारण वापस हुए.
• 2013 सायकोटिक दवा की गलत प्रचार में 220 करोड़ डॉलर का जुमार्ना लगा और इसके लिए डॉक्टरों ने रिश्वत भी ली थी.
• जॉनसन एंड जॉनसन के उत्पा दों में कार्सिनोजेनिक तत्वल पाये जाने के कारण 2007 में महाराष्ट्रा फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रे शन (एफडीए) ने मुंबई में मुलुंड स्थित कंपनी के प्लां ट का लाइसेंस निलंबित कर दिया
ईसीबी ने 500 यूरो के नोटों के उत्पादन को समाप्त करने का निर्णय
लिया
05-MAY-2016
यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ईसीबी) ने 4 मई 2016 को यह घोषणा की कि वह वर्ष 2018 के अंत तक 500 यूरो के बैंक नोटों का उत्पादन बंद कर देगा. ईसीबी ने इसे युरोपा श्रृंखला से बाहर रखने का भी निर्णय लिया है ताकि इसका दुरूपयोग न हो सके.
वर्ष 2018 में 100 यूरो एवं 200 यूरो के बैंक नोटों का उत्पादन आरंभ किया जायेगा उस समय 500 यूरो के इस नोट को बंद कर दिया जायेगा.
हालांकि 500 यूरो के बैंक नोट दूसरे नोटों की भांति अपना मूल्य नहीं खोएंगे एवं उन्हें राष्ट्रीय सेंट्रल बैंक में विनिमय किया जा सकता है.
अपराध और 500 यूरो के नोट
• इसे बिन लादेन नोट के नाम से भी जाना जाता है. इसका मूल्य अमेरिका के 100 डॉलर बिल से अधिक है इसलिए बड़े लेन-देन में कम नोटों के साथ इसका उपयोग किया जाता रहा है. इससे काले धन को वैध करने, ड्रग्स और कर चोरी जैसे अपराधों को बल मिला.
• 20 अप्रैल 2010 को इंग्लैंड के मनी एक्सचेंज ऑफिसों द्वारा 500 यूरो के नोटों का प्रयोग बंद कर दिया गया.
• इंग्लैंड की संगठित अपराध शाखा ने यह माना है कि 500 यूरो के 90 प्रतिशत नोटों का उपयोग पूर्व-नियोजित अपराधों में किया गया.
500 यूरो बैंक नोट
• 500 यूरो का नोट सबसे अधिक मूल्य का नोट है जिसे 2002 से यूरो के आरंभ होने से उपयोग किया जा रहा है.
• यह विश्व के सबसे अधिक मूल्य वाले नोटों में से एक है जिसमें 558 अमेरिकी डॉलर, 3634 चीनी युआन, 62700 जापानी येन, 544 स्विस फ्रैंक अथवा 395 पौंड स्टर्लिंग शामिल हैं.
• इस नोट को 23 देशों में जारी किया गया जहां यूरो का प्रयोग होता है.
• इसका आकार 160x82 एमएम है जिसपर बैंगनी रंग का उपयोग किया गया है.
• पाँच सौ यूरो के नोट पर आधुनिक वास्तुकला में पुलों और मेहराब/दरवाजों को दर्शाया गया है.
• इसमें विभिन्न सुरक्षा उपाय किये गये हैं जैसे – वॉटरमार्क, इनविजिबल इंक, होलोग्राम एवं माइक्रोप्रिंटिंग आदि.
ईसीबी ने 500 यूरो के नोटों के उत्पादन को समाप्त करने का निर्णय
लिया
05-MAY-2016
यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ईसीबी) ने 4 मई 2016 को यह घोषणा की कि वह वर्ष 2018 के अंत तक 500 यूरो के बैंक नोटों का उत्पादन बंद कर देगा. ईसीबी ने इसे युरोपा श्रृंखला से बाहर रखने का भी निर्णय लिया है ताकि इसका दुरूपयोग न हो सके.
वर्ष 2018 में 100 यूरो एवं 200 यूरो के बैंक नोटों का उत्पादन आरंभ किया जायेगा उस समय 500 यूरो के इस नोट को बंद कर दिया जायेगा.
हालांकि 500 यूरो के बैंक नोट दूसरे नोटों की भांति अपना मूल्य नहीं खोएंगे एवं उन्हें राष्ट्रीय सेंट्रल बैंक में विनिमय किया जा सकता है.
अपराध और 500 यूरो के नोट
• इसे बिन लादेन नोट के नाम से भी जाना जाता है. इसका मूल्य अमेरिका के 100 डॉलर बिल से अधिक है इसलिए बड़े लेन-देन में कम नोटों के साथ इसका उपयोग किया जाता रहा है. इससे काले धन को वैध करने, ड्रग्स और कर चोरी जैसे अपराधों को बल मिला.
• 20 अप्रैल 2010 को इंग्लैंड के मनी एक्सचेंज ऑफिसों द्वारा 500 यूरो के नोटों का प्रयोग बंद कर दिया गया.
• इंग्लैंड की संगठित अपराध शाखा ने यह माना है कि 500 यूरो के 90 प्रतिशत नोटों का उपयोग पूर्व-नियोजित अपराधों में किया गया.
500 यूरो बैंक नोट
• 500 यूरो का नोट सबसे अधिक मूल्य का नोट है जिसे 2002 से यूरो के आरंभ होने से उपयोग किया जा रहा है.
• यह विश्व के सबसे अधिक मूल्य वाले नोटों में से एक है जिसमें 558 अमेरिकी डॉलर, 3634 चीनी युआन, 62700 जापानी येन, 544 स्विस फ्रैंक अथवा 395 पौंड स्टर्लिंग शामिल हैं.
• इस नोट को 23 देशों में जारी किया गया जहां यूरो का प्रयोग होता है.
• इसका आकार 160x82 एमएम है जिसपर बैंगनी रंग का उपयोग किया गया है.
• पाँच सौ यूरो के नोट पर आधुनिक वास्तुकला में पुलों और मेहराब/दरवाजों को दर्शाया गया है.
• इसमें विभिन्न सुरक्षा उपाय किये गये हैं जैसे – वॉटरमार्क, इनविजिबल इंक, होलोग्राम एवं माइक्रोप्रिंटिंग आदि.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय एवं बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन
के मध्य सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर
05-MAY-2016
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 4 मई 2016 को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमडब्ल्यूसीडी) एवं बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के मध्य सहयोग ज्ञापन (एमओसी) पर हस्ताक्षर को मंजूरी प्रदान की.
इस एमओसी पर सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग के लिए हस्ताक्षर किए जाएंगे ताकि वास्तविक बदलावों एवं विकास कार्यों की निगरानी की जा सके. इस एमओसी द्वारा रियल टाइम मॉनिटरिंग (आईसीटी-आरटीएम) के लिए सीएएस एवं अन्य तकनीकी मुद्दों पर सुविधाएं विकसित की जायेंगी.
एमओसी के तहत आठ राज्यों के 162 उच्च कुपोषण शिकार जिलों को कवर किया जाएगा. यह राज्य हैं – आंध्र प्रदेश, बिहार, छतीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश.
एमओसी के मुख्य बिंदु
• उचित सेवा वितरण सुनिश्चित करने के लिए एवं समय पर हस्तक्षेप हेतु अधिकारियों को सक्षम करने के लिए आईसीटी-आरटीएम को लागू किया जाएगा.
• साझा राष्ट्रीय संचार अभियान, संचार रणनीति और दिशा-निर्देशों द्वारा स्थानीय सन्दर्भों के लिए संचार, उत्पादों और सामग्री को अनुकूलित करना.
• उच्च गुणवत्ता वाली तकनीकी टीमों के माध्यम से पोषण विशेषज्ञों का तकनीकी समर्थन प्राप्त करना.
• पहले चरण में 162 अत्यधिक प्रभावित जिलों में एक लाख आंगनबाड़ी केन्द्रों को कवर किया जायेगा. बच्चे जिनकी आयु 0-6 वर्ष है, गर्भवती महिलाएं एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं की इस योजना का लाभ प्रदान किया जायेगा.
सुविधाएंएवं लाभ
• राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर गर्भावस्था, गर्भधारण एवं पहले दो वर्षों में बेहतर रूप से पोषण दिए जाने के लिए तकनीकी समर्थन.
• पारस्परिक रूप से फाउंडेशन एवं एमडब्ल्यूसीडी द्वारा समर्थन देने पर योग्य संगठन को फंडिंग उपलब्ध कराना.
• लक्षित आबादी के बीच मातृ एवं शिशु पोषण के लिए साझा राष्ट्रीय संचार अभियान विकसित करने हेतु एमडब्ल्यूसीडी का समर्थन करना.
• बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा एक साझा सॉफ्टवेयर बनाया जायेगा जिससे मंत्रालय को बिना किसी राशि के उपयोग किया जा सकेगा.
सांख्यिकीविद् डॉ. राधा बिनोद बर्मन राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के
अध्यक्ष के रूप में मनोनीत
05-MAY-2016
प्रख्यात सांख्यिकीविद् डॉ. राधा बिनोद बर्मन ने 4 मई 2016 को राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अंशकालिक अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया.
प्रो.एस.महेन्द्र देव, प्रो.राहुल मुखर्जी, डॉ. राजीव मेहता और डॉ. मनोज पांडा इस आयोग के अन्य अंशकालिक सदस्य हैं. नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इस आयोग के पदेन सदस्य हैं.
यह आयोग सांख्यिकी से जुड़े समस्त मुद्दों पर एक सलाहकार निकाय है जिसका गठन सरकारी आंकड़ों में जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए किया गया है.
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग
• सी रंगराजन आयोग की सिफारिश पर 1 जून 2005 को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की स्थापना का आदेश दिया गया.
• यह एक स्वायत्त संस्था है जिसका निर्माण 2006 में किया गया.
• इसका उद्देश्य देश की सांख्यिकीय एजेंसियों द्वारा डेटा संग्रह के संबंध में आने वाली समस्याओं को कम करना है.
• सांख्यिकी एजेंसियां जैसे केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) एवं राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) राज्य एवं केंद्र सरकारों से डेटा एकत्रित करते समय विभिन्न समस्याओं का सामना करते हैं. ऐसी स्थिति में एनएससी जैसी स्वायत्त संस्था बेहतर तालमेल कर सकती है.
• इसके द्वारा संग्रह किये डेटा की निष्पक्षता पर विशेष बल दिया गया है ताकि सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में जनता का विश्वास बहाल किया जा सके.
पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले में आज़ादी के बाद पहली बार
मतदान
05-MAY-2016
पश्चिम बंगाल का कूचबिहार जिला पहली बार मई 2016 में चर्चा में आया. पूर्वी हिमालय के निचले क्षेत्र में स्थित यह जिला उस समय चर्चा में रहा जब इस क्षेत्र के 51 एन्क्लेव को वर्ष 1947 में आज़ादी के बाद पहली बार मतदान करने का अधिकार दिया गया.
इन एन्क्लेवों में रहने वाले 9000 लोग 5 मई 2016 को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.
कूचबिहार के 51 जिलों को 31 जुलाई 2015 तक नो मैन्स लैंड के रूप में जाना जाता था. इससे पहले इस क्षेत्र पर न तो भारत और न ही बांग्लादेश का अधिकार था. परिणामस्वरूप इस क्षेत्र के नागरिकों को किसी एक देश के पूर्ण अधिकार प्राप्त नहीं थे.
यह परिक्षेत्र 31 जुलाई 2015 को दोनों देशों के बीच औपचारिक रूप से भूमि सीमा समझौता-1974 लागू होने पर देश का भाग बन गये. इस दिन भारत एवं बांग्लादेश के 162 एन्क्लेव हस्तांतरित किये गये.
इस समझौते के अनुसार, 51 बांग्लादेशी एन्क्लेव (7110 एकड़) भारत के कूचबिहार (बांग्लादेश) क्षेत्र में स्थित हैं जबकि भारत के 111 एन्क्लेव (17160 एकड़) बांग्लादेश की सीमा में हस्तांतरित किए गये.
यह 51 एन्क्लेव दिनहाता, मेक्लिगंज, सिताई, सीतालकुची एवं तूफ़ानगंज विधानसभा क्षेत्रों में मौजूद हैं.
खगोलविदों ने ट्रेपिस्ट दूरबीन के माध्यम से पृथ्वी जैसे 3 ग्रहों की
खोज की
05-MAY-2016
ईएसओ ला सिला वेधशाला में ट्रेपिस्ट दूरबीन का उपयोग करके खगोलविदों ने शुक्र और पृथ्वी के आकार और तापमान के जैसे तीन ग्रहों की खोज की है. ये गृह पृथ्वी से सिर्फ 40 प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक अल्ट्रा कूल ड्वार्फ तारा की तरह परिक्रमा करते देखा गया है.
इस खोज को 2 मई 2016 के जर्नल नेचर में प्रकाशित किया गया.
बेल्जियम में लीज विश्वविद्यालय के खगोलविदों के माइकल जिल्लों ने टीम के नेतृत्व में टीम ने ट्रेपिस्ट दूरबीन का इस्तेमाल करके अल्ट्रा कूल ड्वार्फ तारा 2MASS J23062928-0502285,की खोज की. दूरबीन को ट्रेपिस्ट-1 के रूप में भी जाना जाता है.
खोज में खगोलविदों ने पाया कि कम चमकने वाला और शांत तारा नियमित अंतराल पर आंशिक रूप से चमक रहा है. साथ ही तारे और पृथ्वी के बीच से गुजर रही अनेकों वस्तुओं को प्रतिबिंबित कर रहा है.
इसके विस्तृत विश्लेषण करने पर पता चला कि तीनों ग्रह उस तारे के चारों ओर मौजूद हैं.
एक अल्ट्रा कूल ड्वार्फ तारा-ट्रेपिस्ट -1
• यह अधिक ठंडा और सूर्य से लाल और बृहस्पति गृह से थोडा बड़ा है.
• बड़ी दूरबीन के साथ शौकिया या नग्न आंखों से देखने पर यह तारा पृथ्वी के अत्यंत करीब होने के बावजूद मंद प्रकाश वाला और अधिक लाल दिखाई देता है.
• यह कुंभ (जल कैरियर) के नक्षत्र में निहित है.
• चिली में अपेक्षाकृत बड़े दूरबीन हॉक-I, के यन्त्र ईएसओ के 8 मीटर के साथ क्रासिंग जाँच में तीनों ग्रह पृथ्वी के समान आकार के दिखाई देते हैं.
• इनमे से दो ग्रहों की क्रमश: 1.5 और 2.4 दिन की कक्षीय अवधि है, और तीसरे ग्रह की 4.5 से 73 दिनों की कक्षीय अवधि है.
हालांकि तीन ग्रह अपनी कक्षाओं में एक दूसरे के सन्निकट पाए गए, भीतरी दो ग्रहों ने पृथ्वी द्वारा ग्रहण विकिरण की मात्रा क्रमशः चार बार और दो बार ग्रहण की.
तीसरे बाहरी ग्रह की कक्षा में अभी तक अच्छी तरह से ज्ञात नहीं है. संभवतया यह पृथ्वी की तुलना में कम विकिरण प्राप्त करता है. यह भी हो सकता है
कि यह अभी भी पर्याप्त आवासीय क्षेत्र के भीतर हो.
भारतीय रिजर्व बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ यूनाइटेड अरब अमीरात के
बीच मुद्रा विनिमय सहयोग समझौता पत्र पर हस्ताक्षर
05-MAY-2016
भारतीय रिजर्व बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ युनाइटेड अरब अमीरात के बीच मुद्रा विनिमय समझौते के बारे में सहयोग से संबंधित सहमति पत्र पर 04 मई 2016 को हस्ताक्षर किए गए.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में फरवरी, 2016 में सहमति पत्र पर किए गए हस्ताक्षर को पूर्वव्यापी स्वीकृति प्रदान की गई.
- इस सहमति पत्र में प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है कि भारतीय रिजर्व बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ युनाइटेड अरब अमीरात तकनीकी विचार विमर्श के बाद, संबंधित सरकारों की सहमति से परस्पर सहमत नियम और शर्तों के आधार पर द्विपक्षीय मुद्रा विनिमय समझौते पर हस्ताक्षर करने के बारे में विचार करेंगे.
- सहमति पत्र भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच निकट आर्थिक संबंधों एवं सहयोग को और भी मजबूती प्रदान करेगा.
- इस विनिमय समझौते से आपसी व्यापार का स्थानीय मुद्राओं में इनवॉइस बनाने में सहायता मिलने की भी संभावना है.
उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्ग-56 लखनऊ-सुलतानपुर खंड को चार
लेन का बनाने की मंजूरी
05-MAY-2016
बुनियादी ढांचे पर मंत्रिमंडल की समिति ने राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के चौथे चरण के अंतर्गत 04 मई 2016 को उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग-56 लखनऊ-सुल्तानपुर खंड को चार लेन का बनाने की परियोजना को मंजूरी दी. समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की.
- इस खंड की कुल लंबाई 128 किलोमीटर है.
- इस परियोजना पर 2844.72 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. जिसमें भूमि अधिग्रहण, राहत और पुनर्वास तथा निर्माण से पहले की गतिविधियों की 49.09 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत शामिल है.
- सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार यह कार्य एनएचडीपी चार के तहत किया जाना है.
- परियोजना का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश में बुनियादे ढांचे के सुधार में तेजी लाना और लखनऊ और सुल्तानपुर के बीच चलने वाले वाहनों विशेषकर भारी वाहनों के यात्रा समय और लागत को कम करना है.
- इस सड़क के एक किलोमीटर के निर्माण पर 4076 मानव दिवस की आवश्यकता होगी
- एनएच-56 लखनऊ, सुल्तानपुर और उत्तर प्रदेश के पूर्वी भागों के अन्य कस्बों को जोडने वाला महत्पूर्ण संपर्क मार्ग है.
- इससे स्थानीय श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ेगे.
- इस परियोजना में लखनऊ, बाराबंकी, रायबरेली और सुल्तानपुर जि़ले शामिल हैं.
सीएआईपीईईएक्स, बादलों में वर्षा के गठन एवं बादलों के प्रजनन हेतु
प्रक्रिया
05-MAY-2016
सीएआईपीईईएक्स: क्लाउड एयरोसोल इंटरेक्शन एवं वर्षा संवर्धन प्रयोग
सीएआईपीईईएक्स एक तकनीक एवं प्रक्रिया है जिससे बादलों के गठन की प्रक्रिया एवं उन्हें बनाया जाना शामिल है. कृत्रिम बारिश का यह तरीका उस समय मई 2016 में चर्चा में रहा जब विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री वाई एस चौधरी द्वारा सीएआईपीईईएक्स शब्द संसद में प्रयोग किया गया.
लोक सभा में 4 मई 2016 को मंत्री ने कहा कि भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) बादलों में वर्षा की प्रक्रिया एवं गठन को समझने के लिए इस कार्यक्रम द्वारा अनुसंधान कर रहा है.
सीएआईपीईईएक्स
• इस अनुसंधान के तहत वायु के अवलोकन से बादलों के गठन एवं उसके प्रभाव को बताया गया.
• इस कार्यक्रम में राडार, भूमि पर मौजूद अन्य उपकरण एवं वायु आधारित प्लेटफार्म उपयोग किये गये हैं. साथ ही इसमें उच्च संकल्प संख्यात्मक मॉडलिंग का भी उपयोग किया जायेगा.
• बादलों के प्रजनन के लिए क्षेत्र को संवहनी क्षमता के आधार पर चुना गया.
• बादलों को उपजाने से पहले अथवा उनके प्रजनन से पहले विमान द्वारा अवलोकन करना होगा एवं बाद में पर्यावरण की स्थिति एवं बीजारोपण की सामग्री का भी निरीक्षण करना होगा.
• इन प्रक्रियाओं एवं अनुसंधान में एयरोसोल, क्लाउड ड्रॉपलेट्स, बारिश की बूंदे एवं बर्फ के नमूने आदि शामिल हैं.
• अनुसंधान डाटा के अनुसार इस शोध से मौसम की भविष्यवाणी करने में भी सहायता मिलेगी.
उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कृत्रिम बारिश का उपयोग सूखा प्रभावित क्षेत्रों में बारिश कराने के लिए नहीं किया जा सकता. इसका उपयोग बादलों का घनत्व बढ़ाकर अथवा पहले से मौजूद बादलों में बारिश की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है.
सीएआईपीईईएक्स, बादलों में वर्षा के गठन एवं बादलों के प्रजनन हेतु
प्रक्रिया
05-MAY-2016
सीएआईपीईईएक्स: क्लाउड एयरोसोल इंटरेक्शन एवं वर्षा संवर्धन प्रयोग
सीएआईपीईईएक्स एक तकनीक एवं प्रक्रिया है जिससे बादलों के गठन की प्रक्रिया एवं उन्हें बनाया जाना शामिल है. कृत्रिम बारिश का यह तरीका उस समय मई 2016 में चर्चा में रहा जब विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी एवं पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री वाई एस चौधरी द्वारा सीएआईपीईईएक्स शब्द संसद में प्रयोग किया गया.
लोक सभा में 4 मई 2016 को मंत्री ने कहा कि भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) बादलों में वर्षा की प्रक्रिया एवं गठन को समझने के लिए इस कार्यक्रम द्वारा अनुसंधान कर रहा है.
सीएआईपीईईएक्स
• इस अनुसंधान के तहत वायु के अवलोकन से बादलों के गठन एवं उसके प्रभाव को बताया गया.
• इस कार्यक्रम में राडार, भूमि पर मौजूद अन्य उपकरण एवं वायु आधारित प्लेटफार्म उपयोग किये गये हैं. साथ ही इसमें उच्च संकल्प संख्यात्मक मॉडलिंग का भी उपयोग किया जायेगा.
• बादलों के प्रजनन के लिए क्षेत्र को संवहनी क्षमता के आधार पर चुना गया.
• बादलों को उपजाने से पहले अथवा उनके प्रजनन से पहले विमान द्वारा अवलोकन करना होगा एवं बाद में पर्यावरण की स्थिति एवं बीजारोपण की सामग्री का भी निरीक्षण करना होगा.
• इन प्रक्रियाओं एवं अनुसंधान में एयरोसोल, क्लाउड ड्रॉपलेट्स, बारिश की बूंदे एवं बर्फ के नमूने आदि शामिल हैं.
• अनुसंधान डाटा के अनुसार इस शोध से मौसम की भविष्यवाणी करने में भी सहायता मिलेगी.
उन्होंने कहा कि इस प्रकार की कृत्रिम बारिश का उपयोग सूखा प्रभावित क्षेत्रों में बारिश कराने के लिए नहीं किया जा सकता. इसका उपयोग बादलों का घनत्व बढ़ाकर अथवा पहले से मौजूद बादलों में बारिश की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है.
रेल मंत्रालय ने विज्ञापन से राजस्व बढाने हेतु नया निदेशालय स्थापित
किया
05-MAY-2016
रेल मंत्रालय ने 4 मई 2016 को रेलगाड़ी के डिब्बों, पटरियों के इर्दगिर्द और स्टेशनों के पास बड़े पैमाने पर विज्ञापनों को लगाने के लिए एक नए निदेशालय की स्थापना की.
इस निदेशालय का नाम ‘नॉन फेयर रेवेन्यू डायरेक्टरेट’ है और इसका उद्देश्य गैर-रेल भाड़ा स्रोतों से बड़े पैमाने पर राजस्व बढ़ाना है.
इससे सम्बंधित मुख्या तथ्य:
• यह नयी इकाई कोचों, वैगनों, इंजनों के साथ ही स्टेशनों पर विज्ञापन हासिल करने की संभावनाओं का पता लगाएगी और रेलवे की खाली पड़ी जमीन के व्यवसायिक दोहन का भी पता लगाएगी.
• रेलवे का एक वरिष्ठ अधिकारी इस निदेशालय का प्रमुख होगा.
• नया विंग रेल भाड़े के इतर स्रोतों से होने वाले मौजूदा 5 प्रतिशत राजस्व को बढ़ाकर 10 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक करने का प्रयास करेगा.
• यह निदेशालय गैर टैरिफ राजस्व को बढ़ाने के लिए रेलवे पटरियों के इर्द-गिर्द व्यावसायिक खेती, रेलवे कर्मियों के लिए वर्दी का प्रायोजन और गतिविधियों एवं घटनाओं के प्रायोजन जैसे नए क्षेत्रों में प्रवेश करेगा.
रेलभाड़े से इतर राजस्व बढ़ाने की कार्य योजना रेल बजट 2016-17 का हिस्सा थी और जल्द ही कम से कम 20 स्टेशनों पर विज्ञापन राजस्व में बढ़ोतरी के उपाय करेगा.
हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग-22 पर (कैथलीघाट से शिमला
खंड के लिए) शिमला बाईपास को चार लेन के साथ दो लेन के निर्माण
का फैसला
05-MAY-2016
आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने 04 मई 2016 को हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्ग-22 शिमला बाईपास (कैथलीघाट से शिमला खंड के लिए) पर चार लेन के साथ दो लेन के निर्माण को भी मंजूरी दे दी. समिति की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की.
इस परियोजना को राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी) चरण-3 के तहत पूरा किया जाएगा.
• यह अनुमोदन हाइब्रिड एनुइटीर मोड में है.
• भूमि अधिग्रहण, स्थानांतरण एवं पुनर्वास और निर्माण से पहले की गतिविधियों की लागत सहित इसकी कुल लागत 1583.18 करोड़ रुपए होने का अनुमान है.
• सड़क की कुल लंबाई लगभग 28 किलोमीटर होगी.
• राजमार्ग के एक किलोमीटर के निर्माण के लिए 4076 मानव दिवस की जरूरत होगी.
• इस खंड के निर्माण हेतु स्थाननीय स्त र पर लगभग 1,11,914 दिनों तक का रोजगार पैदा होगा.
• इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य हिमाचल प्रदेश में बुनियादी ढांचे में तेजी से सुधार लाना है.
• इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग-22 पर कैथलीघाट से शिमला खंड पर चलने वाले यातायात खासकर भारी यातायात के लिए समय और यात्रा की लागत को भी कम करना है.
इस खंड के विकास से राज्य के संबंधित क्षेत्रों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी और इस परियोजना से स्थानीय मजदूरों को रोजगार मिलेगा.
केंद्र सरकार ने इन्फोसिस के आईटीईएस एसईजेड स्थापित करने के
प्रस्ताव को मंजूरी दी
05-MAY-2016
केंद्र सरकार ने 5 मई 2016 को आईटी कंपनी इन्फोसिस द्वारा बेंगलुरू में आईटीईएस विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. प्रस्तावित सेज चार हेक्टेयर से भी अधिक क्षेत्र में होगा.
वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया की अध्यक्षता वाले मंजूरी बोर्ड ने 28 अप्रैल 2016 की बैठक में इस आशय का फैसला किया.
इसी तरह बोर्ड ने मायर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को हरियाणा में जैव प्रौद्योगिकी सेज, विप्रो को कर्नाटक में आईटी सेज तथा वेदांता को ओड़िशा में सेज के लिए अतिरिक्त समय दिया है.
इसके अलावा बोर्ड ने यूनिटेक रीयल्टी प्रोजेक्ट को अपना नाम बदलकर केनडोर गुड़गांव वन डेवलपर्स करने की अनुमति दे दी है.
विशेष आर्थिक क्षेत्र (Special Economic Zone, SEZ)
• विशेष आर्थिक क्षेत्र किसी भौगोलिक क्षेत्र में स्थापित वह क्षेत्र है जिसका उद्देश्य निर्यात एवं रोजगार को बढ़ावा देना है.
• अप्रैल 2000 में सर्वप्रथम घोषित विशेष आर्थिक क्षेत्र नीति के तहत आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने तथा रोजगार सृजन हेतु विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम, 2005 को 23 जून 2005 को राष्ट्रपति से अनुमोदन के पश्चात लागू हुआ.
• देश के कुल निर्यात को एसईजेड तथा डोमेस्टिक टैरिफ एरिया के अंतर्गत दो भागों में बाटा जाता है.
उत्तराखंड उच्च-न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ का
हैदराबाद उच्च-न्यायालय में स्थानांतरण
05-MAY-2016
उत्तराखंड उच्च-न्यायालय के निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ का 4 मई 2016 को हैदराबाद उच्च-न्यायालय में स्थानांतरण हो गया. उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को पलटने के मामले में वे अप्रैल 2016 में चर्चा में रहे. जोसेफ ने जुलाई 2014 में उत्तराखंड में बतौर मुख्य न्यायधीश पद संभाला था.
न्यायमूर्ति केएम जोसेफ हैदराबाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बी भोसले का स्थान लेंगे, जिन्हें मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के पद पर नियुक्ति किया गया है.
विदित हो कि जस्टिस जोसेफ ने अप्रैल 2016 में उत्तराखंड में केंद्र के राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को खारिज कर हरीश रावत को फिर से मुख्यमंत्री बनने का रास्ता सुनिश्चित कर दिया था. जस्टिस जोसेफ और जस्टितस वीके बिष्ट की बेंच ने अपने फैसले में कहा था कि, 'केंद्र की ओर से राज्य में धारा 356 का इस्तेमाल सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्धारित नियम के खिलाफ है.'
उपरोक्त फैसले में जस्टिकस जोसेफ ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी एवं साथ ही कहा था कि, “राष्ट्रपति कोई राजा नहीं है. राष्ट्रपति ही नहीं जज भी गलती कर सकते हैं और इनके फैसलों को अदालत में चुनौती दी जा सकती है.”
रिलायंस पॉवर को बांग्लादेश में एलएनजी आधारित संयंत्र के लिए
सैद्धांतिक मंजूरी
05-MAY-2016
रिलायंस पॉवर को बांग्लादेश सरकार से 4 मई 2016 को 3000 मेगावॉट क्षमता के तरल प्राकृतिक गैस (एलएनजी) आधारित बिजली संयंत्र के प्रथम चरण के लिए सैद्धांतिक मंजूरी मिल गयी.
इस मंजूरी के तहत पहले चरण में 750 मेगावॉट का संयंत्र नारायणगंज जिले में मेघनाघाट पर स्थापित किया जाएगा. यह ढाका से दक्षिण पूर्व में 40 किलोमीटर दूर है.
इसी के साथ एक एफएसआरयू टर्मिनल कॉक्स बाजार जिले में महेशखली द्वीप पर स्थापित किया जाएगा.
रिलायंस पावर 20 लाख टन प्रतिवर्ष की क्षमता का एक तैरता हुआ एलएनजी आयात टर्मिनल स्थापित करेगी.
इसके साथ ही एक तैरता हुए भंडारण एवं फिर से गैसीकरण करने वाली इकाई (एफएसआरयू) का भी निर्माण किया जाएगा ताकि ईंधन को जहाजों में लाया जा सके और इस ईंधन से बिजली संयंत्र को चलाया जा सके.
अनुबंधित श्रमिक भुगतान प्रबंधन प्रणाली के लिए पोर्टल का शुभारंभ
05-MAY-2016
केंद्रीय विद्युत, कोयला और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री पीयूष गोयल ने 4 मई 2016 को कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के पोर्टल- ‘अनुबंधित श्रमिक भुगतान प्रबंधन प्रणाली’ (कांट्रैक्ट लेबर पेमेंट मैनेजमेंट सिस्टम) का शुभारंभ किया.
यह पोर्टल भ्रष्टाचार और ठेकेदारों द्वारा अनुबंधित कामगारों के शोषण पर रोक लगाएगा और अनुबंधित कामगारों को उचित एवं समय पर वेतन उपलब्ध कराने में सहायता करेगा.
वेब पोर्टल की मुख्य विशेषताएं:
• इस पोर्टल के माध्यम से वेतन की गणना की जाएगी और यह वेतन सभी अनुबंधित श्रमिकों के बैंक खाते में सीधे जमा करा दिया जाएगा.
• यह कोल इंडिया की सभी सहायक कंपनियों के लिए एक एकीकृत प्रणाली होगी.
• घर में विकसित आवेदन सभी अनुबंध सीआईएल में अलग अलग ठेकेदारों द्वारा लगे श्रमिकों और उसके सभी सहायक कंपनियों के लिए एक व्यापक डेटाबेस बनायेगा.
• पोर्टल, सभी अनुबंधित श्रमिको को एक श्रमिक पहचान संख्या देगा जिसके माध्यम से वह अपने व्यक्तिगत विवरण और भुगतान की स्थिति को देखने मे मदद मिलेगा.
• सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य सभी उपक्रमों और निजी क्षेत्र के संगठनों को इस पोर्टल की प्रतिकृति बनाया जायेगा और इसके लिए नि:शुल्क तकनीकी सहायता प्रदान किया जायेगा.
• यह पोर्टल 45 से 60 दिन के भीतर चालू हो जाएगा.
अमेरिकी न्यायलय ने जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी पर 5.5 करोड़
डॉलर का जुर्माना लगाया
05-MAY-2016
सेंट लुइस, अमेरिका की अदालत ने 03 मई 2016 को मशहूर मल्टीनेशनल कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन पर 5.5 करोड़ डॉलर, यानि 365 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया. मामला कंपनी के टैल्कम पाउडर से जुड़ा है.
अमेरिका के दक्षिणी डकोटा की 62 साल की महिला ग्लोरिया ने पिटीशन में कहा कि वह 40 साल से हाइजीन के तौर पर अपने प्राइवेट पार्ट्स पर जॉनसन के दो टैल्कम पाउडर- 'बेबी पाउडर' और 'शॉवर टू शॉवर' का इस्तेमाल करती आ रही हैं.
2011 में डॉक्टरों ने उन्हें ओवेरियन कैंसर की बीमारी से ग्रसित होने के बारे में बताया और सर्जरी की सलाह दी. ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों को ओवरी में टैल्कम पाउडर के अंश मिले. जबकि कंपनी इन दोनों पाउडर की मार्केटिंग 'हाइजीन प्रोडक्ट' के तौर पर करती है.
कोर्ट ने महिला के दावे को सही माना और जानसन एंड जॉनसन पर 365 करोड़ रु. का जुर्माना लगाया.
फरवरी में भी लगा था 475 करोड़ का जुर्माना-
अमेरिकी कोर्ट ने जॉनसन एंड जॉनसन पर 72 मिलियन डॉलर का हर्जाना लगाया
• इससे पहले अमेरिका की एक अन्य कोर्ट ने फरवरी में भी कंपनी पर 475 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया था. यह मामला भी ओवेरियन कैंसर का था. इसमें जैकलीन फॉक्स नाम की महिला की मौत हो गई थी.
• जैकलीन 35 साल से टेल्कम पाउडर का इस्तेमाल कर रही थीं. इसके बाद भारत में भी कंपनी के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई.
वैज्ञानिकों की राय-
• वैज्ञानिकों के बीच इस बात को लेकर विवाद है कि कैंसर और टैल्क के बीच कोई सीधा संबंध है.
• शोध के बाद इसमें इथाइल ऑक्सााइड होने की आशंका व्यक्त की गयी.
• ऐसे तत्वक टेलकम पॉवडर को इथाइल ऑक्सासइड से स्टशरलाइज किये जाने पर पैदा हुए और ये तत्वी त्व्चा के लिये हानिकारक होते हैं.
पहले भी कंपनी रही है विवादों में-
• 1982 में अमेरिका में जॉनसन एंड जॉनसन के टायलीनॉल दवा से 7 लोगों की मौत हो गई थी और कंपनी ने 3.1 करोड़ बोतलों को तुरंत वापस लिया था.
• 2008 में कई लोगों ने कंपनी के उत्पादों पर बदबू और मिलावट का आरोप लगाया था. 2 साल बाद कंपनी ने करीब तीन करोड़ यूनिट प्रोडक्स वापस लिए.
• 2010 में कंपनी के वाशिंगटन प्लांट को बंद करना पड़ा
• 2011 में मिर्गी की दवा टोपामैक्स की 57000 बोतलें वापस ली क्योंकि दवा में बदबू थी.
• 2011 में ही 5 लॉट इंसुलिन पंप के कार्टिजेज मिलावट की आशंका के कारण वापस हुए.
• 2012 में बेबी लोशन की 2000 ट्यूब ज्यादा बैक्टरिया के कारण वापस हुए.
• 2013 सायकोटिक दवा की गलत प्रचार में 220 करोड़ डॉलर का जुमार्ना लगा और इसके लिए डॉक्टरों ने रिश्वत भी ली थी.
• जॉनसन एंड जॉनसन के उत्पा दों में कार्सिनोजेनिक तत्वल पाये जाने के कारण 2007 में महाराष्ट्रा फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रे शन (एफडीए) ने मुंबई में मुलुंड स्थित कंपनी के प्लां ट का लाइसेंस निलंबित कर दिया
ईसीबी ने 500 यूरो के नोटों के उत्पादन को समाप्त करने का निर्णय
लिया
05-MAY-2016
यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ईसीबी) ने 4 मई 2016 को यह घोषणा की कि वह वर्ष 2018 के अंत तक 500 यूरो के बैंक नोटों का उत्पादन बंद कर देगा. ईसीबी ने इसे युरोपा श्रृंखला से बाहर रखने का भी निर्णय लिया है ताकि इसका दुरूपयोग न हो सके.
वर्ष 2018 में 100 यूरो एवं 200 यूरो के बैंक नोटों का उत्पादन आरंभ किया जायेगा उस समय 500 यूरो के इस नोट को बंद कर दिया जायेगा.
हालांकि 500 यूरो के बैंक नोट दूसरे नोटों की भांति अपना मूल्य नहीं खोएंगे एवं उन्हें राष्ट्रीय सेंट्रल बैंक में विनिमय किया जा सकता है.
अपराध और 500 यूरो के नोट
• इसे बिन लादेन नोट के नाम से भी जाना जाता है. इसका मूल्य अमेरिका के 100 डॉलर बिल से अधिक है इसलिए बड़े लेन-देन में कम नोटों के साथ इसका उपयोग किया जाता रहा है. इससे काले धन को वैध करने, ड्रग्स और कर चोरी जैसे अपराधों को बल मिला.
• 20 अप्रैल 2010 को इंग्लैंड के मनी एक्सचेंज ऑफिसों द्वारा 500 यूरो के नोटों का प्रयोग बंद कर दिया गया.
• इंग्लैंड की संगठित अपराध शाखा ने यह माना है कि 500 यूरो के 90 प्रतिशत नोटों का उपयोग पूर्व-नियोजित अपराधों में किया गया.
500 यूरो बैंक नोट
• 500 यूरो का नोट सबसे अधिक मूल्य का नोट है जिसे 2002 से यूरो के आरंभ होने से उपयोग किया जा रहा है.
• यह विश्व के सबसे अधिक मूल्य वाले नोटों में से एक है जिसमें 558 अमेरिकी डॉलर, 3634 चीनी युआन, 62700 जापानी येन, 544 स्विस फ्रैंक अथवा 395 पौंड स्टर्लिंग शामिल हैं.
• इस नोट को 23 देशों में जारी किया गया जहां यूरो का प्रयोग होता है.
• इसका आकार 160x82 एमएम है जिसपर बैंगनी रंग का उपयोग किया गया है.
• पाँच सौ यूरो के नोट पर आधुनिक वास्तुकला में पुलों और मेहराब/दरवाजों को दर्शाया गया है.
• इसमें विभिन्न सुरक्षा उपाय किये गये हैं जैसे – वॉटरमार्क, इनविजिबल इंक, होलोग्राम एवं माइक्रोप्रिंटिंग आदि.
ईसीबी ने 500 यूरो के नोटों के उत्पादन को समाप्त करने का निर्णय
लिया
05-MAY-2016
यूरोपियन सेंट्रल बैंक (ईसीबी) ने 4 मई 2016 को यह घोषणा की कि वह वर्ष 2018 के अंत तक 500 यूरो के बैंक नोटों का उत्पादन बंद कर देगा. ईसीबी ने इसे युरोपा श्रृंखला से बाहर रखने का भी निर्णय लिया है ताकि इसका दुरूपयोग न हो सके.
वर्ष 2018 में 100 यूरो एवं 200 यूरो के बैंक नोटों का उत्पादन आरंभ किया जायेगा उस समय 500 यूरो के इस नोट को बंद कर दिया जायेगा.
हालांकि 500 यूरो के बैंक नोट दूसरे नोटों की भांति अपना मूल्य नहीं खोएंगे एवं उन्हें राष्ट्रीय सेंट्रल बैंक में विनिमय किया जा सकता है.
अपराध और 500 यूरो के नोट
• इसे बिन लादेन नोट के नाम से भी जाना जाता है. इसका मूल्य अमेरिका के 100 डॉलर बिल से अधिक है इसलिए बड़े लेन-देन में कम नोटों के साथ इसका उपयोग किया जाता रहा है. इससे काले धन को वैध करने, ड्रग्स और कर चोरी जैसे अपराधों को बल मिला.
• 20 अप्रैल 2010 को इंग्लैंड के मनी एक्सचेंज ऑफिसों द्वारा 500 यूरो के नोटों का प्रयोग बंद कर दिया गया.
• इंग्लैंड की संगठित अपराध शाखा ने यह माना है कि 500 यूरो के 90 प्रतिशत नोटों का उपयोग पूर्व-नियोजित अपराधों में किया गया.
500 यूरो बैंक नोट
• 500 यूरो का नोट सबसे अधिक मूल्य का नोट है जिसे 2002 से यूरो के आरंभ होने से उपयोग किया जा रहा है.
• यह विश्व के सबसे अधिक मूल्य वाले नोटों में से एक है जिसमें 558 अमेरिकी डॉलर, 3634 चीनी युआन, 62700 जापानी येन, 544 स्विस फ्रैंक अथवा 395 पौंड स्टर्लिंग शामिल हैं.
• इस नोट को 23 देशों में जारी किया गया जहां यूरो का प्रयोग होता है.
• इसका आकार 160x82 एमएम है जिसपर बैंगनी रंग का उपयोग किया गया है.
• पाँच सौ यूरो के नोट पर आधुनिक वास्तुकला में पुलों और मेहराब/दरवाजों को दर्शाया गया है.
• इसमें विभिन्न सुरक्षा उपाय किये गये हैं जैसे – वॉटरमार्क, इनविजिबल इंक, होलोग्राम एवं माइक्रोप्रिंटिंग आदि.
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय एवं बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन
के मध्य सहयोग ज्ञापन पर हस्ताक्षर
05-MAY-2016
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 4 मई 2016 को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमडब्ल्यूसीडी) एवं बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के मध्य सहयोग ज्ञापन (एमओसी) पर हस्ताक्षर को मंजूरी प्रदान की.
इस एमओसी पर सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग के लिए हस्ताक्षर किए जाएंगे ताकि वास्तविक बदलावों एवं विकास कार्यों की निगरानी की जा सके. इस एमओसी द्वारा रियल टाइम मॉनिटरिंग (आईसीटी-आरटीएम) के लिए सीएएस एवं अन्य तकनीकी मुद्दों पर सुविधाएं विकसित की जायेंगी.
एमओसी के तहत आठ राज्यों के 162 उच्च कुपोषण शिकार जिलों को कवर किया जाएगा. यह राज्य हैं – आंध्र प्रदेश, बिहार, छतीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश.
एमओसी के मुख्य बिंदु
• उचित सेवा वितरण सुनिश्चित करने के लिए एवं समय पर हस्तक्षेप हेतु अधिकारियों को सक्षम करने के लिए आईसीटी-आरटीएम को लागू किया जाएगा.
• साझा राष्ट्रीय संचार अभियान, संचार रणनीति और दिशा-निर्देशों द्वारा स्थानीय सन्दर्भों के लिए संचार, उत्पादों और सामग्री को अनुकूलित करना.
• उच्च गुणवत्ता वाली तकनीकी टीमों के माध्यम से पोषण विशेषज्ञों का तकनीकी समर्थन प्राप्त करना.
• पहले चरण में 162 अत्यधिक प्रभावित जिलों में एक लाख आंगनबाड़ी केन्द्रों को कवर किया जायेगा. बच्चे जिनकी आयु 0-6 वर्ष है, गर्भवती महिलाएं एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं की इस योजना का लाभ प्रदान किया जायेगा.
सुविधाएं एवं लाभ
• राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर गर्भावस्था, गर्भधारण एवं पहले दो वर्षों में बेहतर रूप से पोषण दिए जाने के लिए तकनीकी समर्थन.
• पारस्परिक रूप से फाउंडेशन एवं एमडब्ल्यूसीडी द्वारा समर्थन देने पर योग्य संगठन को फंडिंग उपलब्ध कराना.
• लक्षित आबादी के बीच मातृ एवं शिशु पोषण के लिए साझा राष्ट्रीय संचार अभियान विकसित करने हेतु एमडब्ल्यूसीडी का समर्थन करना.
• बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा एक साझा सॉफ्टवेयर बनाया जायेगा जिससे मंत्रालय को बिना किसी राशि के उपयोग किया जा सकेगा.
सांख्यिकीविद् डॉ. राधा बिनोद बर्मन राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के
अध्यक्ष के रूप में मनोनीत
05-MAY-2016
प्रख्यात सांख्यिकीविद् डॉ. राधा बिनोद बर्मन ने 4 मई 2016 को राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अंशकालिक अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया.
प्रो.एस.महेन्द्र देव, प्रो.राहुल मुखर्जी, डॉ. राजीव मेहता और डॉ. मनोज पांडा इस आयोग के अन्य अंशकालिक सदस्य हैं. नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इस आयोग के पदेन सदस्य हैं.
यह आयोग सांख्यिकी से जुड़े समस्त मुद्दों पर एक सलाहकार निकाय है जिसका गठन सरकारी आंकड़ों में जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए किया गया है.
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग
• सी रंगराजन आयोग की सिफारिश पर 1 जून 2005 को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की स्थापना का आदेश दिया गया.
• यह एक स्वायत्त संस्था है जिसका निर्माण 2006 में किया गया.
• इसका उद्देश्य देश की सांख्यिकीय एजेंसियों द्वारा डेटा संग्रह के संबंध में आने वाली समस्याओं को कम करना है.
• सांख्यिकी एजेंसियां जैसे केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) एवं राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) राज्य एवं केंद्र सरकारों से डेटा एकत्रित करते समय विभिन्न समस्याओं का सामना करते हैं. ऐसी स्थिति में एनएससी जैसी स्वायत्त संस्था बेहतर तालमेल कर सकती है.
• इसके द्वारा संग्रह किये डेटा की निष्पक्षता पर विशेष बल दिया गया है ताकि सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में जनता का विश्वास बहाल किया जा सके.
पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले में आज़ादी के बाद पहली बार मतदान
05-MAY-2016
पश्चिम बंगाल का कूचबिहार जिला पहली बार मई 2016 में चर्चा में आया. पूर्वी हिमालय के निचले क्षेत्र में स्थित यह जिला उस समय चर्चा में रहा जब इस क्षेत्र के 51 एन्क्लेव को वर्ष 1947 में आज़ादी के बाद पहली बार मतदान करने का अधिकार दिया गया.
इन एन्क्लेवों में रहने वाले 9000 लोग 5 मई 2016 को अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे.
कूचबिहार के 51 जिलों को 31 जुलाई 2015 तक नो मैन्स लैंड के रूप में जाना जाता था. इससे पहले इस क्षेत्र पर न तो भारत और न ही बांग्लादेश का अधिकार था. परिणामस्वरूप इस क्षेत्र के नागरिकों को किसी एक देश के पूर्ण अधिकार प्राप्त नहीं थे.
यह परिक्षेत्र 31 जुलाई 2015 को दोनों देशों के बीच औपचारिक रूप से भूमि सीमा समझौता-1974 लागू होने पर देश का भाग बन गये. इस दिन भारत एवं बांग्लादेश के 162 एन्क्लेव हस्तांतरित किये गये.
इस समझौते के अनुसार, 51 बांग्लादेशी एन्क्लेव (7110 एकड़) भारत के कूचबिहार (बांग्लादेश) क्षेत्र में स्थित हैं जबकि भारत के 111 एन्क्लेव (17160 एकड़) बांग्लादेश की सीमा में हस्तांतरित किए गये.
यह 51 एन्क्लेव दिनहाता, मेक्लिगंज, सिताई, सीतालकुची एवं तूफ़ानगंज विधानसभा क्षेत्रों में मौजूद हैं.
बेंगलुरू में इन्फोसिस के विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) को केंद्र सरकार ने
मंजूरी प्रदान की
06-MAY-2016
सरकार ने आईटी कंपनी इन्फोसिस द्वारा बेंगलुरु में आईटी-आईटीईएस विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) स्थापित करने के प्रस्ताव को सशर्त मंजूरी प्रदान की. सम्बंधित कंपनी को आवश्यक रूप से शर्तों को पूरा करना होगा.
- 28 अप्रैल 2016 को वाणिज्य सचिव रीता तेवतिया की अध्यक्षता में यह निर्णय किया गया.
- बोर्ड की बैठक के अनुसार, बोर्ड ने पाया कि विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) विकसित करने वाली संस्था के आधिपत्य में जमीन है. इसी आधार पर प्रस्ताव को औपचारिक मंजूरी देने का फैसला किया.
- प्रस्तावित सेज चार हेक्टेयर से भी अधिक क्षेत्र में होगा.
- बोर्ड ने मायर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को हरियाणा में जैव प्रौद्योगिकी सेज, विप्रो को कर्नाटक में आईटी सेज तथा वेदांता को ओडि़शा में सेज के लिए अतिरिक्त समय दिया है.
- बोर्ड ने यूनिटेक रीयल्टी प्रोजेक्ट को अपना नाम बदलकर केनडोर गुडग़ांव वन डेवलपर्स करने की अनुमति दे दी.
सेज के बारे में-
विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) ऐसे निर्यात केंद्र हैं, जिनका देश के कुल निर्यात में 23 प्रतिशत का योगदान है. वित्तीय वर्ष 2015-2016 में सेज के माध्यम से 463,770 करोड़ रूपए का निर्यात किया गया. वित्तीय वर्ष 2013-2014 में यह 494,077 करोड़ रूपए था.
भारतीय प्रोफेसर पराशर कुलकर्णी नें एशिया क्षेत्र का 2016
राष्ट्रमंडल लघु कथा पुरस्कार जीता
06-MAY-2016
भारतीय प्रोफेसर पराशर कुलकर्णी ने 5 मई 2016 को एशिया क्षेत्र का 2016 राष्ट्रमंडल लघु कथा पुरस्कार जीता.
सामाजिक विज्ञान के प्रोफेसर कुलकर्णी को उनकी "काउ एंड कंपनी" नामक लघु कथा के लिए यह सम्मान दिया जाएगा.
एक गाय को ढूंढ़ने में जुटे चार लोगों वाली कुलकर्णी की "काउ एंड कंपनी" को एशिया से "अंग्रेजी में अप्रकाशित सर्वश्रेष्ठ लघु कथा" चुना गया है.
पुरस्कार स्वरूप उन्हें 2500 पौंड (करीब ढाई लाख रुपये) की राशि प्रदान की जाएगी.
अन्य क्षेत्रीय पुरस्कार विजेता
कुलकर्णी 2016 राष्ट्रमंडल लघु कहानी पुरस्कार के पांच विजेताओं में से एक है। अन्य चार क्षेत्रों से विजेताओं के नाम निम्न है:
• फ़राज़ मुहम्मद: द पीजन के लिए
• स्टेफ़नी सेड्डन – मछली के लिए
• लांस डोरिच - एथ्लेबेर्ट और फ्री चीज़ के लिए
• टीना मकेरिती: ब्लैक मिल्क के लिए
पांच हजार पौंड के ग्रैंड प्राइज के लिए पराशर का मुकाबला अब चार क्षेत्रों अफ्रीका, कनाडा और यूरोप, कैरेबियन और प्रशांत के विजेताओं से होना है.
इसकी घोषणा जमैका में पांच जून को होने वाले कैलबैश इंटरनेशनल लिटरेरी फेस्टिवल में की जाएगी.
राष्ट्रमंडल लघु कथा पुरस्कार से संबंधित मुख्य तथ्य:
• विश्व भर के साहित्यकारों और कहानीकारों को प्रेरित करने और जोड़ने के लिए राष्ट्रमंडल लघु कथा पुरस्कार की शुरुआत की गयी.
• वर्ष 2012 में इस पुरस्कार की शुरुआत हुई थी.
• इसमें दो से पांच हजार शब्दों की अंग्रेजी भाषा की कहानियों को शामिल किया जाता है.
लोकसभा ने दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता 2016 को पारित किया
06-MAY-2016
लोक सभा ने 5 मई 2016 को दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता विधेयक 2016 पारित कर दिया. इसका उद्देश्य देश में कारोबार के माहौल को अच्छा बनाना और निवेश को प्रोत्साहित करना है ताकि उच्च आर्थिक वृद्धि दर हासिल की जा सके.
पारित किये गए विधेयक में भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में बनी संयुक्त संसदीय समिति की शिफरिशो को शामिल किया गया है. समिति ने 28 अप्रैल 2016 को केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौपी थी.
विधेयक के मुख्य प्रवधान:
• इसमें दिवाला संबंधी मामलों का समयबद्ध तरीके से समाधान निकालने का प्रावधान किया गया है.
• प्रस्तावित विधेयक के मुताबिक कारपोरेट क्षेत्र और व्यक्तियों से सम्बंधित दिवाला मामलों का समाधान 180 दिनों में होगा.
• इस संहिता का उद्देश्य कारपोरेट व्यक्तियों और फर्मों तथा व्यक्तियों के दिवाला समाधान, परिसमापण और शोधन क्षमता के लिए न्यायनिर्णय प्राधिकरणों के रूप में करने के लिए है.
• विधेयक में भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड स्थापित करने का प्रावधान किया गया है ताकि पेशेवरों, एजंसियों और सूचना सेवाओं के क्षेत्र में कंपनियों, गठजोड़ फर्म और व्यक्तियों के दिवालिया होने के विषयों का नियमन किया जा सके.
• राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) कंपनियों के लिए दिवाला संकल्प पर निर्णय करेगा.
• ऋण वसूली न्यायाधिकरण (डीआरटी) व्यक्तियों के लिए दिवाला संकल्प पर निर्णय करेगा.
• नये विधान से आदतन चूककर्ताओं के विदेशों में स्थित सम्पत्ति को जब्त किया जा सकेगा. इसके लिए वें सीमापार संधि (क्रास बोर्डर ट्रिटी) करेगे.
• इसके माध्यम से कामगारों के अधिकारों की सुरक्षा करने के साथ दिवाला समाधान से संबंधित विधियों का समयबद्ध रीति से ऐसे व्यक्तियों की आस्तियों के अधिकतम मूल्य के लिए समेकन और संशोधन करने का प्रावधान है.
• रूग्ण उद्योगों के कर्मचारियों के हितों को सुरक्षित करने के लिए इसमें विशेष पहल की गई है.
पृष्ठभूमि
अभी दिवाला और शोधन अक्षमता मामलों के निपटारे के लिए कोई एक कानून नहीं है। इस विषय पर विभिन्न मामलों के निपटारे के लिए कई कानून हैं जिनमें रूग्ण औद्योगिक कंपनी विशेष उपबंध अधिनियम 1993, वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन व प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम 2002, बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को शोध्य रिण वसूली अधिनियम 1993, कंपनी अधिनियम 2013 आदि शामिल हैं.
दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता 2016, संयुक्त समिति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘रिफार्म इंडिया और ट्रांसफार्म इंडिया’ की सोच के तहत यह विधायी पहल सुधार एवं परिवर्तन की निर्माण इकाइयों का हिस्सा है.
भारत में ब्रिक्स बैंक का पहला साझेदार आईसीआईसीआई बैंक बना
06-MAY-2016
ब्रिक्स देशो की के.वी. कॉमत की अध्यक्षता वाले न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) ने 5 मई 2016 को आईसीआईसीआई बैंक के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये.
इसके साथ ही आईसीआईसीआई बैंक भारत में एनडीबी का पहला साझेदार बैंक बन गया.
इससे सम्बंधित मुख्या तथ्य:
• इस समझौता का उद्देश्य भारतीय बाजार में बॉन्ड, सह-वित्तपोषण, ट्रेजरी प्रबंधन और मानव संसाधन जैसे क्षेत्रों में संभावनाओं को खंगालना है.
• इस एमओयू के जरिये एनडीबी को भारतीय और अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में बॉन्ड जारी करने की संभावनाओं की तलाश में मदद मिलेगी.
• इसके अलावा, दोनों बैंक देश में विकास परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए कार्य करेगी.
• मजबूत ग्राहक आधार और बाजार विकास से भारत में वित्तीय साझेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी.
• इसके अलावा ट्रेजरी जोखिम प्रबंधन, जोखिम प्रबंधन, एकाउंट और कैश मैनेंजमेंट को लेकर भी दोनों बैंक साथ में काम करेंगे.
वर्ष 2014 में ब्रिक्स देशों ने इन्फ्रास्टक्चर परियोजनाओं को फंड करने के लिए एनडीबी को स्थापित करने का निर्णय लिया था.
रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा तीन रेलवे स्टेशनों पर वाई-फाई सुविधा
आरंभ की गयी
06-MAY-2016
प्रधानमंत्री द्वारा आरंभ की गयी डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को लागू करने की दिशा में 5 मई 2016 को रेल मंत्री सुरेश प्रभु द्वारा तीन स्टेशनों पर निःशुल्क वाई-फाई आरंभ किया गया.
सुरेश प्रभु द्वारा तीव्र गति वाले वाई-फाई हॉटस्पॉट विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश), कचीगुडा (तेलंगाना) एवं रायपुर (छत्तीसगढ़) में आरंभ किए गए.
वाई-फाई की यह सुविधा रेलवे मंत्रालय द्वारा पीएसयू रेलटेल एवं गूगल के सहयोग से यात्रियों को विश्व स्तरीय सुविधा उपलब्ध कराने के लिए की गयी. इस अवसर पर रेल मंत्री ने कहा की रेलवे मंत्रालय जल्द ही 14 अन्य स्टेशनों पर वाई-फाई सेवा उपलब्ध कराएगा एवं इस वर्ष के अंत तक 100 स्टेशनों पर निःशुल्क वाई-फाई सुविधा दी जाएगी.
सुविधा की विशेषताएं
• यह रेलवे मंत्रालय के अधीन एक मिनी रत्ना सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम है. इसके द्वारा ए1, ए एवं बी श्रेणी के रेलवे स्टेशनों पर वाई-फाई लगाये जा रहे हैं.
• रेलटेल ने गूगल के साथ मिलकर ए1 एवं ए श्रेणी के स्टेशनों पर यह सुविधा उपलब्ध कराई.
• रेलटेल पावर एवं फाइबर नेटवर्क उपलब्ध करा रहा है जबकि गूगल रेडियो नेटवर्क सुविधा देगा.
• यात्रियों को ‘रेलवायर’ के तहत वाई-फाई सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, रेलवायर रेलटेल की ब्रॉडबैंड वितरण इकाई है.
राष्ट्रपति ने ‘निर्यात श्री’ और ‘निर्यात बंधु’ पुरस्कार प्रदान किए
06-MAY-2016
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 4 मई 2016 को नई दिल्ली में भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के स्वर्ण जयंती समारोह में निर्यात के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत कंपनियों के साथ-साथ सेवा प्रदाताओं, बैंकों एवं निर्यात बढ़ाने में सहायक विभिन्न एजेंसियों को फियो ‘निर्यात श्री’ और ‘निर्यात बंधु’ पुरस्कार प्रदान किए. पुरस्कारों का यह 15वां सेट था.
• समारोह में फियो से सम्बंधित नये उन लोगो का जो विकास, जीवंतता, नवाचार और उद्यमिता का प्रतिनिधित्व करते हैं, का अनावरण भी किया गया.
• रिलायंस इंडस्ट्रीज को पिछले 50 वर्षों की प्रमुख निर्यातक और शीर्ष विदेशी मुद्रा अर्जक कम्पनी चुने जाने के कारण यह पुरस्कार प्रदान किया गया.
• आईटी सेवाओं के क्षेत्र में टीसीएस को गोल्ड अवार्ड दिया गया.
• इंजीनियरिंग, रसायन, कपड़ा, कृषि एवं प्रसंस्कृात क्षेत्र इत्या्दि के निर्यातकों को भी विभिन्न स्वर्ण/रजत/कांस्य पुरस्कार प्रदान किए गए.
स्टे्ट बैंक ऑफ इंडिया को गोल्ड् अवार्ड दिया गया. चयन समिति ने इस बैंक को आवश्यक समर्थन प्रदान करने वाली संस्था हेतु यह पुरस्कार प्रदान किया.
वर्ष 2015-16 में आयात -निर्यात की स्थिति-
भारत से वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात वर्ष 2015-16 में 261 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ, जो 15 फीसदी से भी ज्यादा की गिरावट को दर्शाता है.
आयात बिल में कमी के परिणामस्वरूप वर्ष 2015-16 की प्रथम तीन तिमाहियों में चालू खाता घाटा कम होकर जीडीपी (सकल घरेलू उत्पा्द) के 1.4 फीसदी के स्तर पर आ गया.
कुमार राजेश चंद्रा नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो के प्रमुख नियुक्त
06-MAY-2016
वरिष्ठ आईपीएस ऑफिसर कुमार राजेश चंद्रा 5 मई 2016 को नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) के प्रमुख नियुक्त किये गये.
कैबिनेट नियुक्ति समिति ने चंद्रा के नाम को मंजूरी प्रदान की. वे आईपीएस जी एस मलही का स्थान लेंगे. मलही नवम्बर 2012 को ही अपना कार्यकाल पूरा कर चुके थे, यह पद तभी से रिक्त था.
नियुक्ति में देरी क्यों?
• इस पद पर भारतीय प्रशासनिक सेवा एवं भारतीय पुलिस सेवा द्वारा अपने-अपने अधिकारी नियुक्त किये जाने का दावा किया गया था.
राजेश चंद्रा
• वे 1985 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं.
• वर्तमान में वे बिहार पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक (आधुनिकीकरण) पद पर नियुक्त हैं.
नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो
• यह नागरिक उड्डयन सुरक्षा के लिए नियामक संस्था है.
• सितम्बर 1976 में इंडियन एयरलाइन्स का विमान अपहरण होने के बाद पांडे समिति द्वारा इस ब्यूरो के गठन की सिफारिश की गयी.
• जनवरी 1978 में नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो की स्थापना की गयी. वर्ष 1985 में एयर इंडिया के विमान हादसे के पश्चात् इसे एक स्वतंत्र एजेंसी बना दिया गया.
वाइस एडमिरल सुनील लाम्बा नौसेना अध्यक्ष नियुक्त
06-MAY-2016
वर्तमान फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (एफओसी-इन-सी) वाईस एडमिरल सुनील लाम्बा को 5 मई 2016 को भारतीय नौसेना के अगले अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया. वे 31 मई 2016 को 23वें नौसेना प्रमुख के रूप में पदभार ग्रहण करेंगे.
भारतीय नौसेना के पहले दो प्रमुख ब्रिटिश नागरिक थे. उनके नाम हैं – एडमिरल सर चार्ल्स थॉमस मार्क पिजी एवं वाईस एडमिरल सर स्टीफन होप कार्लिल.
सुनील लाम्बा वर्तमान नौसेना प्रमुख एडमिरल रोबिन के. धोवान का स्थान लेंगे, वे 31 मई 2016 को सेवानिवृत हो रहे हैं.
58 वर्षीय लाम्बा अगले तीन वर्ष तक 31 मई 2019 तक इस पद पर रहेंगे.
सुनील लाम्बा
• वे भारतीय नौसेना की कार्यकारी शाखा में 1 जनवरी 1978 को भर्ती हुए.
• उन्होंने अपने 38 वर्षों के कार्यकाल में विभिन्न पदों पर काम किया.
• वे आईएनएस काकीनाडा, आईएनएस हिमगिरी एवं आईएनएस विराट की कमान संभाल चुके हैं.
• पश्चिमी नौसेना की एफओसी-इन-सी कमान से पूर्व वे दक्षिणी एफओसी-इन-सी की कमान संभाल रहे थे.
• उन्होंने नेविगेशन एवं डायरेकशन में पेशेवर कोर्स किया है.
• उन्होंने इंग्लैंड में रॉयल कॉलेज ऑफ़ डिफेंस स्टडीज में अध्ययन किया.
• 17 जुलाई 1957 को जन्मे लांबा को परम विशिष्ट सवाल मेडल एवं अति विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया जा चुका है.
अमेरिकी नौसेना ने दुनिया की सबसे बड़ी मानवरहित सतह पोत, सी हंटर का परीक्षण किया
06-MAY-2016
2 मई 2016 को संयुक्त राज्य अमेरिका की नौ सेना ने सैन डियागो में दुनिया की सबसे बड़ी मानवरहित सतह पोत, सी हंटर का परीक्षण किया.
यह स्व–चालित 132 फुट लंबा जहाज छुपे हुए पनडुब्बियों और पानी के भीतर बने खदानों की खोज के लिए 10000 नॉटिकल मील की दूरी तय कर सकता है.
इसे इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि जहाज पर बिना किसी एक भी चालक दल के यह पोत समुद्र में हजारों मील की यात्रा कर सकता है.
पेंटागन की अनुसंधान शाखा, डिफेंस एडवान्स्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (डीएआरपीए) ने इस जहाज को वर्जिनिया के लीयोडोस (Leidos) के साथ मिल कर बनाया है और यह अमेरिकी नौ सेना के साथ मिलकर परीक्षण करेगा.
समुद्री यातायात में टकराव से खुद के बूते बचने पर यह पोत किस प्रकार प्रतिक्रिया करता है, इस क्षमता की जांच के लिए इसका परीक्षण कैलिफोर्निया के तट पर अगामी दो वर्षों तक किया जाएगा.
सी हंटर वारशिप
• जहाज में डीजल के दो इंजन लगे हैं और यह अपनी गति 27 नॉट्स प्रति घंटे तक बढ़ा सकता है.
• यह 132 फीट–लंबा (40 मीटर) बिना शस्त्र वाला प्रोटोटाइप जहाज है जिसे बिना चालक दल के समुद्र के सतह पर क्रूज करने के लिए बनाया गया है.
• जहाज का दो वर्षों तक परीक्षण किया जाएगा. इसमें समुद्र में संचालन के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को यह जहाज सुरक्षित तरीके से पूरा कर पाता है या नहीं इसका भी सत्यापन किया जाएगा.
• अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि दूसरे पोतों से बचने के लिए यह रडार और कैमरों का प्रयोग कर सकता है.
• यह गूगल के स्व–चालित कार के समकक्ष नौसैनिक है.
लोकसभा ने प्रतिपूरक वनीकरण निधि विधेयक 2015 पारित किया
06-MAY-2016
3 मई 2016 को लोकसभा ने प्रतिपूरक वनीकरण निधि विधेयक, 2015 पारित कर दिया. यह विधेयक राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनीकरण कोष विधेयक के साथ–साथ राज्य प्रतिपूरक वनीकरण कोष की स्थापना करना चाहता है.
यह विधियेक वन भूमि के लिए निर्धारित करीब 41000 करोड़ रुपयों के उपयोग का रास्ता खोलेगा. यह धनराशि अभी तक अनुपयुक्त है.
इस विधेयक को संसद (लोकसभा) में पहली बार 8 मई 2015 को प्रस्तुत किया गया था.
विधेयक की मुख्य विशेषताएं
• इस विधेयक के द्वारा भारत के लोक लेखा (Public Account of India) के तहत राष्ट्रीय प्रतिपूरक वनीकरण कोष और प्रत्येक राज्य के लोक लेखा के तहत राज्य प्रतिपूरक वनीकरण कोष की स्थापना की जाएगी.
• इन कोषों में निम्नलिखित के लिए भुगतान मिलेंगें– क) प्रतिपूरक वनीकरण, ख) वन का शुद्ध वर्तमान मूल्य (एनपीवी) और ग) अन्य परियोजना विशेष भुगतान. राष्ट्रीय कोष को इन कोषों का 10 फीसदी मिलेगा और राज्य कोषों में बाकी के 90 फीसदी डाले जाएंगे.
• इन कोषों को मुख्य रूप से वन कवर के नुकसान की प्रतिपूर्ति के लिए वनीकरण करने, वन पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से बनाने, वन्यजीव संरक्षण और संरचनात्मक विकास पर खर्च किया जाएगा.
• विधेयक के जरिये राष्ट्रीय और राज्य प्रतिपूरक वनीकरण कोष प्रबंधन और योजना प्राधिकरण भी बनाएगा.
पृष्ठभूमि
पर्यावरण के कानून पर बनी एक उच्च स्तरीय समिति ने पाया कि 1951 से 2014 के बीच वन कवर की गुणवत्ता कम हुई है और इसकी वजहों में से एक है प्रतिपूरक वनीकरण वृक्षारोपण की खराब गुणवत्ता.
वर्ष 2013 में कैग की रिपोर्ट में कहा गया था कि राज्य के वन विभागों में प्रतिपूरक वनीकरण और वन संरक्षण के लिए नियोजन और कार्यान्वयन की क्षमता का अभाव है. राज्यों को दिए जाने वाले कोष को 10 फीसदी से बढ़ाकर 90 फीसदी करने के साथ इन कोषों का कुशल प्रयोग राज्य वन विभागों की क्षमता पर निर्भर करेगा.
वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड ने प्रोटेक्टिंग पिपुल थ्रू नेचर शीर्षक से रिपोर्ट जारी की
06-MAY-2016
वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF) ने अप्रैल 2016 में 'नेचुरल वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स एज ड्राइवर्स ऑफ सस्टेनेबल डेवलपमेंट' उपशीर्षक के साथ 'प्रोटेक्टिंग पिपुल थ्रू नेचर' शीर्षक से रिपोर्ट जारी की.
रिपोर्ट के अनुसार पश्चिमी घाटों समेत दुनिया के 96 देशों में 229 प्राकृतिक और मिश्रित विश्व धरोहर स्थल में से आधे धरोहर स्थल गंभीर खतरों का सामना कर रहे हैं.
इसके अलावा संरक्षण के प्रतिष्ठित प्रतीक के अनूठे मूल्यों पर खतरा मंडरा रहा है जिससे उन पर आश्रित लोगों और उनके कल्याण पर जोखिम पैदा हो गया है.
रिपोर्ट में वर्णित मुख्य तथ्य
विश्व के सभी प्राकृतिक धरोहर स्थलों में से लगभग आधे तथा उनके अद्वितीय सार्वभौमिक मूल्य, हानिकारक औद्योगिक गतिविधियों से खतरे में हैं.
• ग्यारह मिलियन (110 लाख या 1 करोड़ 10 लाख) लोग, पुर्तगाल की आबादी के बराबर, इन स्थलों पर निर्भर हैं और हानिकारक औद्योगिक गतिविधियों की वजह से नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकते हैं.
• इन हानिकारक औद्योगिक गतिविधियों से बच कर और स्थायी, ध्यानपूर्वक प्रबंधित विकल्पों पर फोकस कर विश्व धरोहर स्थलों की स्थिति और उनके द्वारा दिए जाने वाले लाभों में सुधार लाया जा सकता है.
• जैसा कि स्थायी विकास में समर्थन देने के लिए विश्व धरोहर स्थलों की क्षमता को विश्व धरोहर समिति ने स्वीकार किया है, आगे बढ़ने के लिए इसे स्थलों के प्रबंधन में लागू किया जाना चाहिए.
• अच्छी तरह से प्रबंधित विश्व धरोहर स्थलों के उदाहरणों में पांच मुख्य सिद्धांत रहे हैं और ये निर्णय करने वालों को उचित एवं संरक्षण, स्थायित्व एवं विकास के बीच न्यायसंगत संतुलन प्राप्त करने में मदद कर सकते हैं. उन पांच मुख्य सिद्धांतों में शामिल है–
1. मूल्यांकन, क्योंकि यह सामाजिक रूप से जागरुक है.
2. दीर्घ–कालिक मूल्य पर फोकस करने वाला निवेश संबंधी फैसला
3. सभी लाभार्थियों की प्रतिनिधि, सरकार.
4. नीतिनिर्माण जो कि साक्ष्य आधारित और पारदर्शी हो.
5. नियामक जो बाध्यकारी और अनुपालन कराने में सक्षम हो.
भारत के संबंध में रिपोर्ट
• भारत के संदर्भ में रिपोर्ट ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क कंजर्वेशन एरिया, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, मानस वन्यजीव अभयारण्य, नंदा देवी और फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान औऱ पश्चिमी घाटों के बारे में बात की गई है.
• रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे सात भारतीय स्थलों में से तीन– मानस वन्यजीव अभयारण्य, सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान और पश्चिमी घाटों की श्रेणी स्थल को खनन जैसे हानिकारक औद्योगिक गतिविधियों से खतरा है.
• पश्चिमी घाट में विलुप्त्प्राय एशियाई हाथियों का सबसे अधिक आबादी है. यहां भारतीय भैंसा भी पाया जाता है. ये जानवर इलाके में तेल/ गैस की खदानों और खानों/ खनन गतिविधियों की वजह से खतरे में हैं.
• दूसरी तरफ, सुंदरबन राष्ट्रीय उद्यान और मानस वन्यजीव अभयारण्य गैर– खनन खतरों से जूझ रहे हैं.
• गैर– खनन खतरों में बांध/ जल प्रबंधन/ जल प्रयोग ( अस्थिर पानी का प्रयोग), लकड़ी/ पेड़ों का काटना, समुद्री/ ताजा पानी की मछलियों को पकड़ना (सीमा से अधिक मछली मारना), सड़कें/ रेलवे, समुद्री मार्ग और सुविधा/ सेवा मार्ग शामिल हैं.
विश्व से काम करने की अपील
गैलापागोस द्वीपसमूहों, माउंट किलिमंजारो और ग्रैंड कैनन जैसी प्राकृतिक विश्व धरोहर स्थलों के प्रबंध के लिए WWF ने राष्ट्रीय सरकारों, विश्व धरोहर समिति, कॉरपोरेट और वित्तीय निकायों एवं नागरिक समाज समूहों एवं गैर– सरकारी संगठनों से काम करने की अपील की है.
राष्ट्रीय सरकार द्वारा किए जाने वाले काम में शामिल हैं–
• सार्वभौमिक महत्व एवं अन्य प्राकृतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक महत्व वाले स्थलों पर गंभीर प्रभाव डालने वाले हानिकारक औद्योगिक गतिविधियों को विश्व धरोहर स्थलों या ऐसे क्षेत्रों में जहां ये नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, न चलाया जाना सुनिश्चित करें.
• स्थायी विकास लक्ष्यों के नतीजों को प्राप्त करने के लिए विश्व धरोहर स्थलों की क्षमता को मान्यता प्रदान करने के प्रथम कदम के तौर पर विश्व धरोहर स्थल सम्मेलन की प्रक्रियाओं में स्थायी विकास दृष्टिकोण, जैसा कि सम्मेलन के सदस्य देशों द्वारा हाल ही में अपनाई गई नीति में दिया गया है, को शामिल करें.
• स्थायी विकास के लिए 2030 एजेंडा, खासकर लक्ष्य संख्या 14 और 15, को आगे बढ़ाने के क्रम में विश्व धरोहर स्थलों की पारिस्थितिकी तंत्र और जैवविविधता मूल्य को राष्ट्रीय एवं स्थानीय नियोजन एवं विकास रणनीतियों में शामिल करें.
• मुफ्त, पूर्व और सूचित सहमति के सिद्धांत को लागू करते हुए इस बात की गारंटी दें कि विश्व धरोहर स्थलों पर प्रस्तावित परियोजनाओँ के बारे में इन स्थलों पर अपनी आजीविका के लिए निर्भर करने वालों को सूचित किया जाएगा और उनसे पर्याप्त परामर्श किया जाएगा. साथ ही समुदाय परामर्श एवं संलग्नता के लिए लागू अंतरराष्ट्रीय मानकों को भी अपनाया जाएगा. क्लियर बफर जोन को परिभाषित करें जो विश्व धरोहर स्थलों को एक अतिरिक्त सुरक्षा परत प्रदान कर वहां के मूल्यों को बनाए रखने में मदद करेगा.
• अपनी सीमा में या सीमा से संचालन करने वाली जवाबदेह बहुराष्ट्रीय उद्यमों का कॉरपोरेट जवाबदेही एवं प्रबंधन के उच्च मानकों का पालन करें.
गुरुत्वाकर्षण की तरंग का पता लगाने वाले वैज्ञानिकों के लिए
फंडामेंटल फिजिक्स में स्पेशल ब्रेकथ्रू पुरस्कार
06-MAY-2016
एडवर्ड रिटन की अध्यक्षता में फंडामेंटल फिजिक्स में ब्रेकथ्रू पुरस्कार की चयन समिति ने 3 मई 2016 को फंडामेंटल फिजिक्स में स्पेशल ब्रेकथ्रू पुरस्कार की घोषणा की.
यह पुरस्कार गुरुत्वाकर्षण की तरंगों का पता लगाने में योगदान देने वाले वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को दिया जाएगा. तरंगों के पता चलने की घोषणा 11 फरवरी 2016 को की गई थी.
3 मिलियन डॉलर का यह पुरस्कार विजेताओं के दो समूहों– लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल– वेव ऑब्जरवेट्री (LIGO) के तीन संस्थापकों के बीच बांटा जाएगा. तीनों को 1 मिलियन डॉलर में समान हिस्सा दिया जाएगा और प्रयोग में समान रूप से योगदान करने वाले 1012 लोगों को बाकी के बचे 2 मिलियन डॉलरों में समान हिस्सा दिया जाएगा.
LIGO के तीन संस्थापक हैं– रोनाल्ड डब्ल्यूपी ड्रेवर, कैलटेक, भौतिकी के प्रोफेसर, सेवानिवृत्त किप एस थ्रोन, कैलटेक, सैद्धांतिक भौतिकी का फिनमैन प्रोफेसर, सेवानिवृत्त; और रेनर वेइस, एमआईटी, भौतिकी के प्रोफेसर, सेवानिवृत्त.
पुरस्कार को साझा करने वाले योगदानकर्ताओं में पेपर लिखने वाले LIGO में शामिल कई संस्थानों और उसके सहयोगी प्रयोग द वर्गो कोलैबोरेशन के 1005 लेखक हैं जिसमें गुरुत्वाकर्षण के तरंगों की खोज के बारे में बताया गया है.
LIGO की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान करने वाले सात वैज्ञानिकों को भी पुरस्कार की धनराशि में हिस्सा दिया जाएगा.
विजेताओं को 2016 में होने वाले 2017 ब्रेकथ्रू पुरस्कार समारोह में सम्मानित किया जाएगा. इस समारोह में लाइफ साइंसेस और गणित में ब्रेक थ्रू पुरस्कारों के साथ– साथ फंडामेंटल फिजिक्स ( विशेष पुरस्कार से अलग) में सालाना ब्रेकथ्रू पुरस्कार भी दिया जाएगा.
इससे पहले 2013 में स्टिफन हॉकिंग ने स्पेशल ब्रेकथ्रू पुरस्कार जीता था.
6-MAY-2016
लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल– वेब ऑब्जर्वेट्री (LIGO)
• LIGO का गुरुत्वीय तरंग की खोज की कल्पना एवं अनुसंधान और विकास की शुरुआत 1960 के दशक में हुई थी.
• संयुक्त राज्य अमेरिका के नेशनल साइंस फाउंडेशन के साथ भागीदारी में कैलटेक और एमआईटी ने 1994 और 2002 के बीच LIGO को बनाया था.
• इसका उद्देश्य गुरुत्वाकर्षण के तरंगों का पता लगाना था जिसकी भविष्यवाणी आइंस्टीन के सापेक्षता के सामान्य सिद्धांत में की गई थी.
• वर्ष 2010– 2015 के बीच प्रमुख उन्नयन के बाद, इसने लगभग तुरंत गुरुत्वाकर्षण के तरंग को देखा जो पृथ्वी से होकर गुजरते समय अंतरिक्षसमय की संरचना को खराब कर रहा था.
• LIGO के हैनफोर्ड, वाशिंगटन और लिविंगस्टन, लूसियाना स्थित दो 4KM वेधशाला में पता लगाई गई विकृति एक मीटर के billionth of a billionth हिस्से से भी छोटा था.
• दो ब्लैक होल्स से निकलने वाली तरंग जिनका द्व्यमान सूर्य के द्रव्यमान से करीब 30 गुना था, 1.3 अरब प्रकाश वर्ष दूर एक दूसरे से लिपट रहे थे.
• इस खोज ने गुरुत्वाकर्षणीय तरंग खगोल विज्ञान में एक नए युग की शुरुआत की है जो प्रकृति के कुछ सबसे नाटकीय और हिंसक घटनाओं के साथ– साथ ब्रह्मांड के रहस्यों के बारे में भी बताएगा.
फंडामेंटल फिजिक्स में ब्रेकथ्रू प्राइज
फंडामेंटल फिजिक्स में ब्रेकथ्रू प्राइज उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने मनुष्यों की जानकारी में महत्वपूर्ण योगदान किया हो.
ब्रह्मांड के गहरे रहस्यों पर काम करने वाले सैद्धांतिक, गणितीय और प्रायोगिक, सभी प्रकार के भौतिकशास्त्रविद् के लिए यह खुला है. पुरस्कार कई वैज्ञानिकों को एक साथ भी दिया जा सकता है.
फंडामेंटल फिजिक्स में ब्रेकथ्रू प्राइज और फंडामेंटल फिजिक्स में स्पेशल ब्रेकथ्रू प्राइज मिलनर ग्लोबल फाउंडेशन के अनुदान द्वारा वित्त पोषित होता है.