5th Feb to 6th Feb 2015 Hindi

60वें ब्रिटानिया फिल्मफेयर पुरस्कारों की घोषणा

06-FEB-2015

60वें ब्रिटानिया फिल्मफेयर पुरस्कारों की घोषणा मुंबई के यशराज स्टूडियो में 31 जनवरी 2015 को की गई. शाहिद कपूर को फिल्म 'हैदर' के लिए जबकि कंगना राणावत को फिल्म 'क्वीन' के लिए क्रमश: सर्वश्रेष्ठ अभिनेता व सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार दिया गया.

शाहिद कपूर ने फिल्म हैदर में हैदर मीर की भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का और कंगना राणावत ने फिल्म 'क्वीन' में रानी मेहरा की भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता.

फिल्म 'क्वीन' को सर्वश्रेष्ठ फिल्म के पुरस्कार से सम्मानित किया गया जबकि इसके निर्देशक विकास बहल ने सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीता.
पुरस्कार इस प्रकार हैः
•    सर्वश्रेष्ठ अभिनेता- शाहिद कपूर (हैदर)
•    सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री- कंगना राणावत (क्वीन)
•    सर्वश्रेष्ठ फिल्म- क्वीन
•    सर्वश्रेष्ठ निर्देशक- विकास बहल (क्वीन)
•    फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड: कामिनी कौशल
•    सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (क्रिटिक्स)- संजय मिश्रा (आंखों देखी)
•    सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (क्रिटिक्स)- आलिया भट्ट (हाईवे)
•    सर्वश्रेष्ठ फिल्म (क्रिटिक्स)- आंखों देखी
•    सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता- के के मेनन (हैदर)
•    सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री- तब्बू (हैदर)
•    सर्वश्रेष्ठ अभिनेता डेब्यू- फवाद खान (खूबसूरत)
•    सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री डेब्यू- कृति शैनॉन (हीरोपंती)
•    सर्वश्रेष्ठ निर्देशक डेब्यू- अभिषेक वर्मन (2 स्टेट्स)
•    सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक (पुरुष)- अंकित तिवारी (गलिया, एक विलेन)
•    सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक (महिला)- कनिका कपूर (बेबी डॉल, रागिनी एमएमएस2)
•    सर्वश्रेष्ठ गीत- रश्मि सिंह (मुस्कुराने की वजह, सिटीलाइट्स)
•    सर्वश्रेष्ठ कोरियोग्राफर- अहमद खान (जुम्मे की रात, किक)
•    बेस्ट स्टोरी- रजत कपूर की फिल्म आंखों देखी के लिए
•    सर्वश्रेष्ठ संवाद- अभिजात जोशी और राजकुमार हिरानी (पीके) 
•    सर्वश्रेष्ठ पटकथा- राजकुमार हिरानी और अभिजात जोशी (पीके)

60वां फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह हिन्दी भाषा की फिल्म उद्योग की वर्ष 2014 के सर्वश्रेष्ठ फिल्मों को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया गया. पुरस्कार समारोह को फिल्म निर्माता करण जौहर, अभिनेत्री आलिया भट्ट, और हास्य अभिनेता कपिल शर्मा द्वारा आयोजित किया गया.

वर्ष 2014 के 59वें फिल्मफेयर पुरस्कारों में फरहान अख्तर ने भाग मिल्खा भाग फिल्म में अपनी भूमिका के लिए और दीपिका पादुकोण ने रामलीला फिल्म में अपने प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता था.

भाग मिल्खा भाग फिल्म को सर्वश्रेष्ठ फिल्म के पुरस्कार से सम्मानित किया गया जबकि इसके निर्देशक ओमप्रकाश मेहरा ने सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार जीता था.

भारत का पहला बाड युक्त हाथी अभयारण्य बेंगलुरू में बनाने की घोषणा

06-FEB-2015

पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) ने कर्नाटक के बेंगलुरू में बन्नेरघट्टा जैविक उद्यान के भीतर भारत का पहला बाड युक्त हाथी अभयारण्य बनाने की घोषणा 29 जनवरी 2015 को की.

अभयारण्य का मॉडल पेटा सलाहकार और हाथी विशेषज्ञ कैरल बकले द्वारा डिजाइन किया गया है और यह बन्नेरघट्टा राष्ट्रीय उद्यान का ही एक विस्तार होगा जो जैविक उद्यान के भीतर 49.5 हेक्टेयर का क्षेत्र घेरेगा.
अभयारण्य हाथियों के झुंड को आज़ादी से और बिना मानवीय हस्तक्षेप के घूमने और तालाबों में स्नान करने के लिए अनुमति प्रदान करेगा, साथ ही हाथी जंजीरों के बंधन से मुक्त होकर एक दूसरे से मेलजोल रख सकेंगे.
पेटा संरक्षित संपर्क के सिद्धांत पर देखभाल करने वाले स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित करेगा. संरक्षित संपर्क हाथियों पर शारीरिक दंड की सदियों पुरानी दिनचर्या के बदले हाथियों के प्रबंधन की सकारात्मक सुदृढीकरण तकनीक प्रदान करता है.
इसके अलावा हाथियों और महावतों को सुरक्षा उपायों के लिए प्रशिक्षण सुविधा का भी प्रावधान किया गया है.

जापान ने सूचनाओं को एकत्रित करने के उद्देश्य से जासूसी उपग्रह का प्रक्षेपण किया

06-FEB-2015

जापान ने कागोशिमा प्रान्त के तानेगाशिमा अंतरिक्ष केंद्र से 1 फ़रवरी 2015 को एक जासूसी उपग्रह का शुभारंभ किया.

जापान के इस उपग्रह को एच-2ए (एच-आईआईए) रॉकेट द्वारा कक्षा में भेजा गया. इस उपग्रह में पेलोड के रूप में एक आधुनिक राडार लगाया गया है जो 300 मील की दूरी पर स्थित कक्षा से सभी मौसम में रात-दिन दुनिया का सर्वेक्षण करता रहेगा.
प्रारंभ में उपग्रह प्रक्षेपण की तिथि 29 जनवरी 2015 तय की गई थी परन्तु जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएएक्सए) और मित्सुबिशी हेवी इंडस्ट्रीज ने बिजली गिरने की संभावना के कारण 29 जनवरी 2015 को प्रक्षेपण स्थगित करने का निर्णय लिया.
पृष्ठभूमि
जापान ने वर्ष 2000  के प्रारंभ में जासूसी उपग्रहों को प्रक्षेपित करना तब प्रारंभ किया जब इसके पड़ोसी देश उत्तर कोरिया ने वर्ष 1998 में पश्चिमी प्रशांत के पास जापानी मुख्य भूमि पर एक मध्य दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल दागी.
इसके बाद ही जापान ने जानकारी जुटाने वाले उपग्रहों (आईजीएस) पर कार्यक्रम शुरू करने का फैसला लिया. कार्यक्रम का उद्देश्य शुरू में उत्तर कोरिया पर निगरानी रखना था लेकिन उपग्रह पृथ्वी के अन्य भागों की भी तस्वीरें लेने में सक्षम होगा.
जापान ने पहले भी कई जासूसी उपग्रह प्रक्षेपित किये हैं. यह अब भी पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं.  यह उपग्रह (1 फ़रवरी 2015  को प्रक्षेपित) जापान का पाँचवा जासूसी उपग्रह है. अन्य चार जापानी उपग्रहों मंस दो ऑप्टिकल इमेजिंग और दो रडार उपग्रह शामिल हैं.

आंध्र प्रदेश सरकार ने सौर और पवन ऊर्जा नीति में सुधार को मंजूरी दी

06-FEB-2015

आंध्र प्रदेश सरकार ने सौर और पवन ऊर्जा नीतियों में सुधार को मंजूरी प्रदान की. यह मंजूरी राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में 2 फ़रवरी 2015 को दी गई. 
नई नीति के अनुसार एकल खिड़की प्रणाली प्रस्तावित की गयी है जो पवन ऊर्जा और ऊर्जा पार्क की सुविधाओं के लिए अनुमोदन प्रदान करेंगी, एकल खिड़की प्रणाली के साथ आसान अनुमति और स्वीकृति इस नीति की मुख्य विशेषता हैं.

नीतियों का मुख्य आकर्षण
• वर्ष 2020 तक आंध्र प्रदेश को सौर ऊर्जा उत्पादक राज्यों की श्रेणी में अग्रणी स्थान पर पहुँचाना.
• वर्ष 2020 तक 5000 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पन्न करना, इस समय आंध्र प्रदेश सरकार 127 मेगावाट सौर उर्जा उत्पादित कर रही है.
• आंध्र प्रदेश सरकार वर्तमान में 897 मेगावाट पवन उर्जा का उत्पादन कर रही है. इस उत्पादन क्षमता को वर्ष 2020 तक 40,000 मेगावाट तक पहुँचाना.
• नीतियों के क्रियान्वयन के लिए आंध्र प्रदेश गैर-पारंपरिक ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (एनईडीसीएपी) नोडल एजेंसी होगी.
• एकल खिड़की प्रणाली पवन ऊर्जा और ऊर्जा पार्क की सुविधाओं के लिए अनुमोदन प्रदान करेंगी.
• भूमि संबंधी अनुमतियों को उपक्रम स्थापित करने के लिए आसानी से अनुमोदन प्रदान किया जाएगा. नव स्थापित सौर एवं पवन ऊर्जा उपक्रम द्वारा राज्य के भीतर बिजली बेचने पर कोई अधिभार नहीं लगाया जायेगा.
• जिला कलेक्टर को पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए भूमि आवंटित करने का अधिकार प्रदान किया गया है.
• कडप्पा, कुरनूल और अनंतपुर जिलों में 2500 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए पहले से ही कदम उठाए जा चुके हैं.

किंग फैजल अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार 2015 हेतु डॉ. जाकिर नाइक का चयन

06-FEB-2015

किंग फैजल अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार (केएफआइपी, The King Faisal International Prize for 2015) 2015 के लिए गैर अरबी भारतीय इस्लामिक स्कॉलर डॉ. जाकिर नाइक सहित पांच लोगों का विभिन्न श्रेणियों के लिए चयन किया गया. वर्ष 2015 के विजेताओं के नामों की घोषणा मक्का के गवर्नर प्रिंस खालिद अल-फैजल और केएफआइपी के महासचिव अब्दुल्ला अल-ओतैमीन ने रियाद में 5 फरवरी 2015 को की.

डॉ. जाकिर नाइक 
डॉ. जाकिर नाइक का चयन इस्लाम की सेवा के लिए किया गया. 49 वर्षीय डॉ. जाकिर इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन ऑफ इंडिया के संस्थापक हैं. डॉ. नाइक तुलनात्मक धर्म के प्राधिकारी एवं इस्लाम के अंतरराष्ट्रीय उपदेशक हैं. 
किंग फैजल अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार (केएफआइपी) की श्रेणियां एवं उनके विजेता 
इस्लाम की सेवा के क्षेत्र में 
इस्लाम की सेवा के लिए डॉ. जाकिर नाइक का चयन किया गया.
इस्लामिक अध्ययन के क्षेत्र में 
इस्लामिक अध्ययन हेतु डॉ. अब्दुल अजीज बिन अब्दुल रहमान काकी का चयन किया गया.
अरबिक भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में 
अरबिक भाषा एवं साहित्य के क्षेत्र में किसी का चयन नहीं किया गया.
चिकित्सा के क्षेत्र में 
इस क्षेत्र हेतु इंटेसटाइनल मैक्रोफ्लोरा एवं ह्यूमन हेल्थ (Intestinal Microflora and Human Health) के प्रोफेसर जेफ़री इवान गार्डन (Professor Jeffrey Ivan Gordon) को चुना गया.
विज्ञान के क्षेत्र में 
विज्ञान के क्षेत्र में प्रोफेसर ओमर म्वानेस याघी (Professor Omar Mwannes Yaghi) एवं स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर माइकल ग्रेटजेल (Professor Michael Grätzel) को चुना गया. माइकल ग्रेटजेल को सौर ऊर्जा के लिए फोटो इलेक्ट्रोकेमिकल सिस्टम विकसित करने के लिए जाना जाता है.
किंग फैजल अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार (केएफआइपी) 
इस पुरस्कार के तहत विजेता को हस्तलिखित अरबी प्रमाणपत्र, दो सौ ग्राम का स्वर्ण पदक, नकद 7.5 लाख सऊदी रियाल (करीब 1.23 करोड़ रुपए) प्रदान किया जाता है. 
इसकी शुरुआत वर्ष 1979 में की गई थी. प्रारम्भ में किंग फैजल अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार केवल तीन श्रेणियों- इस्लाम की सेवा, इस्लामिक अध्ययन, अरबिक भाषा एवं साहित्य में दिया जाता था. परन्तु इस पुरस्कार के तहत वर्ष 1981 में चिकित्सा को और वर्ष 1984 में विज्ञान के क्षेत्र को शामिल कर लिया गया. 
यह पुरस्कार प्रतिवर्ष दिया जाता है.

राष्ट्रपति ने ‘सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय’, ‘नवाचार’ और ‘अनुसंधान’ के लिए विजिटर पुरस्कार प्रदान किए

06-FEB-2015

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 4 फरवरी 2015 को वर्ष 2015 के लिए केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के ‘सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय’, ‘नवाचार’ और ‘अनुसंधान’ की श्रेणी में विजिटर पुरस्कार प्रदान किए. ये पुरस्कार राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में प्रदान किए गए.


विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कार के विजेता
•    सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय: हैदराबाद विश्वविद्यालय को अकादमिक उत्कृष्टता और समग्र उत्कृष्ट कार्य के लिए ‘सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय’ का पुरस्कार दिया गया.
•   नवाचार पुरस्कार: दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विजय के. चौधरी और डॉ. अमिता गुप्ता को तपेदिक की तेजी से पहचान परीक्षण - ‘टी.बी. कन्फर्म’ की उनकी खोज के लिए नवाचार पुरस्कार प्रदान किया गया.

•   अनुसंधान पुरस्कार: अनुसंधान पुरस्कार जामिया मिलिया इस्लामिया के सेन्टर फॉर थियोरिटिकल फिज़िक्स के ब्रह्माण्ड विज्ञान (कॉस्मोलॉजी) और खगोल भौतिकी (एस्ट्रोफिज़िक्स) अनुसंधान दल को एस्ट्रोफिज़िक्स और कॉस्मोलॉजी के क्षेत्र में उल्लेखनीय अनुसंधान के लिए प्रदान किया गया. इस दल में जामिया मिलिया इस्लामिया के प्रोफेसर एम. सामी, प्रोफेसर सुशान्त जी. घोष, प्रोफेसर संजय झिंगन और प्रोफेसर अंजन आनन्द सेन हैं.

सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय को प्रशस्ति पत्र और ट्राफी प्रदान की गई जबकि जबकि ‘नवाचार’ और ‘अनुसंधान’ पुरस्कार के विजेताओं को प्रशस्ति पत्र और एक लाख रुपए का नकद पुरस्कार प्रदान किया गया.

राष्ट्रपति ने वर्ष 2014 में कुलपतियों के सम्मेलन में इन पुरस्कारों को शुरू करने की घोषणा की थी. इसका उद्देश्य केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और विश्व में उपलब्ध‍ अध्ययन के बेहतर तरीकों को अपनाने के लिए बढ़ावा देना है.

एचएएल का भारतीय वायु सेना को 14 डोर्नियर-228 विमानों की आपूर्ति हेतु 1090 करोड़ रुपए का अनुबंध

06-FEB-2015

भारतीय वायुसेना ने 5 फरवरी 2015 को हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से 14 डोर्नियर-228 विमानों के साथ छह रिजर्व इंजन, एक फ्लाइट सिमुलेटर और इससे संबंधित उपकरण खरीदने का फैसला किया. यह अनुबंध 1090 करोड़ रुपये का है.

एचएएल डोर्नियर-228 विमानों का निर्माण कानपुर के परिवहन विमान प्रभाग (टीएडी) द्वारा किया जाएगा. इससे पहले प्रभाग ने 125 डोर्नियर विमानों का निर्माण विभिन्न रक्षा और अन्य ग्राहकों के लिए किया जा चुका है. एचएएल के कानपुर कारखाने को परिवहन विमान बनाने में महारत हासिल है. इन विमानों को सेशेल्स और मॉरीशस भी निर्यात किया गया.

एचएएल डोर्नियर-228 विमानों के बारे में

  • एचएएल डोर्नियर-228 एक बहुद्देशीय, कम ईंधन खपत वाला, मजबूत, हल्का विमान है.
  • इस विमान में 19 व्यक्ति बैठ सकते हैं.
  • इस हल्के वजन के विमान में चालक दल के दो सदस्य बैठ सकते हैं.
  • इस विमान के ईंधन टैंक की क्षमता 2850 लीटर है.

लखनऊ में विधायी निकायों के पीठासीन अधिकारियों का 77 वां वार्षिक सम्मेलन आयोजित

06-FEB-2015

विधान सभाओं और विधान परिषदों के अधिकारियों, वक्ताओं और सचिवों का 77वां वार्षिक सम्मेलन उत्तर प्रदेश राज्य की राजधानी लखनऊ में आयोजित किया गया.इस चार दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन 31 जनवरी 2015 को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा किया गया.

उत्तर प्रदेश द्वारा 30 साल बाद इस वार्षिक सम्मेलन की मेजबानी की गई इस सम्मलेन का स्वागत भाषण उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा के अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय द्वारा दिया गया.
3 फरवरी 2015 को समाप्त इस सम्मेलन में 30 राज्यों की विधानसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष और छह विधान परिषदों के सभापति और उप-सभापति ने भाग लिया.
सम्मेलन में भाग लेने वाले अन्य प्रतिभागी लोकसभा के उपाध्यक्ष, राज्यसभा के उप-सभापति और लोक सभा और राज्यसभा के सचिव थे.

दुनिया भर में मनाया गया विश्व कैंसर दिवस

06-FEB-2015

दुनिया भर में 4 फरवरी 2015 को विश्व कैंसर दिवस (डब्ल्यूसीडी) 2015 मनाया गया. 
डब्ल्यूसीडी 2015 का टैगलाइन था,नॉट बियॉन्ड अस. टैगलाइन कहता है कि कैंसर का समाधान उसके अविच्छिन्नक (कन्टिन्युअम) में मौजूद है और ये हमारी पहुंच के भीतर है. 
डब्ल्यूसीडी 2015 इस बात का पता लगाता है कि रोकथाम, जल्द पता लगाने, उपचार और देखभाल के क्षेत्र में जो हम पहले से ही जानते हैं उसे हम कैसे लागू कर सकते हैं ताकि हम वैश्विक कैंसर के बोझ को ठीक कर सकें. 
डब्ल्यूसीडी 2015 चार प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है. इनमें शामिल है
•स्वस्थ जीवन का चयन 
•जल्दी पता लगाना
•सभी के लिए उपचार मुहैया कराना
•जीवन की गुणवत्ता बढ़ाना 
विश्व में कैंसर का प्रकोप बहुत बड़ा है और यह लगातार बढ़ रहा है. फिलहाल, 8.2 मिलियन लोग हर साल दुनिया भर में कैंसर की वजह से मर रहे हैं. इनमें से 4 मिलियन लोगों की मौत समय से पहले (30 से 69 वर्ष) हो जाती है. 
सिर्फ 2016 में ही करीब 9 मिलियन लोगों के कैंसर से मरने की संभावना है और साल 2030 तक मौत का यह आंकड़ा 13 मिलियन सालाना का हो जाएगा. 
विश्व कैंसर दिवस के बारे में
विश्व कैंसर दिवस यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल ( UICC)की एक पहल है जिसका उद्देश्य विश्व की आबादी को कैंसर के खिलाफ जंग में एकजुट करना और इस बीमारी के बारे में जागरूकता और शिक्षा बढ़ाकर रोकी जा सकने वाली लाखों मौतों को रोकाना और दुनिया की सरकारों एवं लोगों को इसके लिए कारगर कदम उठाने के लिए मजबूर करना. 
यूनियन फॉर इंटरनेशनल कैंसर कंट्रोल (UICC)एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन है जो कैंसर समुदाय को वैश्विक कैंसर के बोझ को कम करने के लिए एकजुट करता है, अधिक इक्विटी को बढ़ावा देता है और विश्व स्वास्थ्य एवं विकास के एजेंडे में कैंसर पर नियंत्रण को एकीकृत करता है. 
UICC की स्थापना 1933 में जेनेवा में हुई थी. 155 देशों के 800 से अधिक संगठन इसके सदस्य हैं. इसके अलावा यह वैश्विक नागरिक समाज नेटवर्क एनसीडी अलायंस जो अब 170 देशों के करीब 2000 संगठनों का प्रतिनिधित्व करता है, का संस्थापक सदस्य है. 
विश्व कैंसर घोषणा
विश्व कैंसर घोषणा में 2025 तक हासिल करने के लिए 9 लक्ष्यों को निर्धारित किया गया है. इसमें 2025 तक कैंसर से होने वाली मौत में 25 फीसदी तक कमी करने का व्यापक लक्ष्य भी शामिल है. 9 लक्ष्य हैं
•प्रभावी कैंसर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत बनाना. 
•सभी देशों में कैंसर और कैंसर योजनाओं के प्रभाव को मापना .
•कैंसर के जोखिम वाले कारकों को कम करना
•HPVऔरHBVटीका को सभी तक पहुंचाना
•कैंसर के बारे में कलंक और मिथकों को दूर करना. 
•कैंसर के लिए स्क्रीनिंग और जल्द पता लगाने के लिए सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना. 
•कैंसर केयर कन्टिन्युअम ( अविच्छिन्नक) सेवा में सुधार 
•दर्द नियंत्रण एवं अवसाद प्रबंधन की सार्वभौमिक उपलब्धता 
•स्वास्थ्यसेवा पेशेवरों की शिक्षा एवं प्रशिक्षण में सुधार

केंद्र सरकार ने सीएसआर गतिविधियों की रूपरेखा सुझाने के लिए अनिल बैजल पैनल बनाया

06-FEB-2015

3 फरवरी 2015 को केंद्र सरकार ने कंपनियों द्वारा किए गए कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (निगमित सामाजिक दायित्व, सीएसआर) गतिविधियों के आकलन हेतु एक रूपरेखा का सुझाव देने के लिए कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत एक उच्चस्तरीय पैनल का गठन किया. 
इस पैनल के अध्यक्ष भूतपूर्व केंद्रीय गृह सचिव अनिल बैजल होंगे. इसमें सार्वजनिक उद्यम विभाग और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के सदस्य होंगे जिनमें शामिल हैं–
•दीपक नैय्यर, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर
•ओंकार एस कंवर, अपोलो टायर्स के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
•किरण कार्निक, नैसकॉम की भूतपूर्व अध्यक्ष  
कॉरपोरेट मामलों के केंद्रीय मंत्रालय और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (आईआईसीए) पैनल को संयुक्त रूप से सचिवालयी एवं तकनीकी सहायता प्रदान करेगें. 
अनिल बैजल पैनल के संदर्भ की शर्तें
•कंपनियों द्वारा सीएसआर गतिविधियों पर खर्च की गई धनराशि का मूल्यांकन.
•सीएसआर प्रावधानों के अनुपालन की निगरानी के लिए उपयुक्त तरीके की सिफारिश करना.
•कंपनियों द्वारा उनके खुद के सीएसआर पहलों की व्यवस्थित निगरानी और मूल्यांकन के लिए उपाय सुझाना. 
•विशेषज्ञ एजेंसियों के जरिए सीएसआर पहलों की निगरानी एवं मूल्यांकन के लिए रणनीतियों की पहचान और सीएसआर खर्च की प्रभावकारिता के संबंध में सरकार को पर्याप्त फीडबैक देना. 
•इस बात पर गौर करना कि क्या सीएसआर कार्यों के लिए सरकारी कंपनियों के लिए अलग निगरानी तंत्र की जरूरत है. अगर ऐसा जरूरी पाया जाता है तो आवश्यक सुझाव दिया जाएगा. 
भारत में निगमित सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के बारे में
निगमित सामाजिक दायित्व (सीएसआर) नियम कंपनी अधिनियम, 2013 के सातवीं अनुसूची के खंड 135 के तहत परिभाषित हैं जो कि 1 अप्रैल 2014 से प्रभाव में आया. 
सीएसआर मानदंड उन कंपनियों पर लागू है जिनका सालाना टर्नओवर 1000 करोड़ रुपये या इससे अधिक का है या जिसका निवल मूल्य 500 करोड़ रुपयों या उससे अधिक का है या शुद्ध लाभ पांच करोड़ रुपये या उससे अधिक है. 
सीएसआर मानदंड़ों के अनुसार कंपनियों को एक सीएसआर समिति स्थापित करनी होगी जिसमें उनके बोर्ड के सदस्य होंगे और कम से कम एक स्वतंत्र निदेशक होगा. 
यह कंपनियों को बीते तीन वर्षों में हुए उनके औसत शुद्ध लाभ का कम से कम 2 फीसदी सीएसआर गतिविधियों में खर्च करने को भी प्रोत्साहित करता है. 
साल 2015,16 में सीएसआर गतिविधियों पर कंपनियों द्वारा करीब 14000 करोड़ रुपये खर्च किए जाने की उम्मीद की जा रही है.

अजमेर और बेलगाम में बनेंगे नो फ्रिल हवाईअड्डे

06-FEB-2015

संरचनात्मक विकास पर बनी विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति ने 31 जनवरी 2015 को राजस्थान के अजमेर के किशनगढ़ और कर्नाटक के बेलगाम में नो फ्रिल हवाईअड्डा बनाए जाने को मंजूरी दे दी. इस समिति का गठन केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने किया था.
समिति ने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) के अरुणाचल प्रदेश में हूलोंगी नदी के तराई में ग्रीनफिल्ड हवाईअड्डे के प्रस्ताव को मंजूरी नहीं दी. समिति ने कहा प्रस्तावित परियोजना का पूरा अप्रोच क्षेत्र हूलोंगी नदी के तराई में है और बाढ़ के तराई में किसी भी प्रकार के निर्माण की अनुमति नहीं है. 
यह भी कहा गया कि अगर इस क्षेत्रों में बाढ़ आती है तो हवाईपट्टी परिचालन के लिए फिट नहीं बचेगी. 
बेलगाम, कर्नाटक में हवाईअड्डा
•फिलहाल बेलगाम हवाईअड्डा ATR-72 विमान का ही परिचालन करती है. मौजूदा हवाईअड्डे का क्षेत्र 360.34 एकड़ है और राज्य सरकार ने विस्तार चरण के लिए 370 एकड़ क्षेत्र प्रदान किया है. 
•परियोजना की अनुमानित लागत 293.35 करोड़ रुपये है. फिलहाल हवाईअड्डा सालाना 13778 यात्रियों को संभाल रहा है और 2022– 23 तक इसके 92590 यात्रियों को संभालने की संभावना है. 
•हवाईअड्डे में एक नया रनवे और टर्मिनल भवन बनाया जाएगा ताकि सबसे व्यस्त घंटों के दौरान 200 यात्रियों, एप्रोन, हवाई यातायात नियंत्रक, रनवे सुरक्षा, अग्निशमन उपकरण, वर्षाजल संचन और सीवेज उपचार संयंत्र लगाया जाए. 
•इससे पहले एएआई ने पर्यावरण मंत्रालय को मौजूदा बेलगाम हवाईअड्डे का रोजाना चार A–321 विमानों के परिचालन हेतु आधुनिकीकरण के लिए कहा था. बेलगाम हवाईअड्डे के आधुनिकीकरण के लिए कर्नाटक सरकार और एएआई के बीच एक समझौता भी हुआ है. 
किशनगढ़राजस्थान में हवाईअड्डा
राजस्थान के किशनगढ़ में 2152 मीटर लंबा रनवे वाला हवाईअड्डा 441.7 एकड़ में बनाया जाएगा. इसे बनाने का उद्देश्य पुष्कर मेले और सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के लिए प्रसिद्ध अजमेर को वायु सेवा से जोड़ना है. 
यह हवाईअड्डा DASH-8Q 400 टाइप के विमानों के परिचालन के लिए विकसित किया जाएगा. रोजाना करीब पांच विमान के संचालित किए जाने की संभावना है.

तंजावुर में मिली गौतम बुद्ध की 10वीं सदी की मूर्ति

06-FEB-2015

जनवरी 2015 में तंजावुर जिले के मानालुर गांव में गौतम बुद्ध की 10वीं सदी की मूर्ति मिली है. इस मूर्ति का सर नहीं है. खुदाई कर बाहर निकालने के बाद से ही बुद्ध की ग्रेनाइट की मूर्ति का सिर औऱ दाहिना हाथ नहीं था. इस इलाके में और इसके आस–पास बुद्ध की मूर्ति का पाया जाना इस बात का संकेत है कि तंजावुर में बौद्ध मंदिर था.
तीन फुट लंबी बुद्ध की इस मूर्ति को बौद्ध विद्वान बी जाम्बूलिंगम और विरासत समर्थक मणि मारन ने इस इलाके की खोज के दौरान खोजा. 
जाम्बूलिंगम की बुद्ध प्रतिमा की खोज 1980 के दशक में तंजावुर के सूदूर गांव में एक आम यात्रा के साथ शुरु हुई थी. अपने क्षेत्र अध्ययन के दौरान अभी तक उन्होंने तंजावुर, त्रिची और पुडुकोट्टाई जिलो में बुद्ध की 67 प्रतिमाएं खोजी हैं. 
पृष्ठभूमि
तमिलनाडु में बौद्ध धर्म ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में आया था औऱ 16वीं शताब्दी ईस्वी के चोल साम्राज्य तक इसके होने का प्रमाण मिलता है. 
तंजावुर में कई स्थानों पर बुद्ध की प्रतिमाएं मिली हैं और उनमें से कुछ प्रमुख स्थान हैं,वैय्याचेरी, चोलानमालिगाई, कुंभकोण्म, मदागरम, मांगनाल्लुर, पट्टीस्वरम, पेरान्डाकोट्टई और विक्रमाम. 
इनमें से सिर्फ वैय्याचेरी और पेरान्डकोट्टाई से मिली मूर्तियों में ही बुद्ध का सिर भी है.

 

 

न्यायमूर्ति एमएम दास चिट फंड घोटाले की जांच कर रही जांच आयोग के अध्यक्ष नियुक्त

05-FEB-2015

ओडिशा सरकार ने न्यायमूर्ति एमएम दास को राज्य में चिट फंड घोटाले की जांच कर रही एक सदस्यीय जांच आयोग का अध्यक्ष 4 फरवरी 2015 को नियुक्त किया. इन्होंने न्यायमूर्ति राधाकृष्ण पात्र का स्थान लिया. न्यायमूर्ति राधाकृष्ण पात्र का 28 जनवरी 2015 को निधन होने के कारण यह स्थान रिक्त था.  
न्यायमूर्ति एमएम दास उड़ीसा उच्च न्यायलय के सेवानिवृत न्यायाधीश हैं. उनका जन्म 5 फरवरी 1952 को हुआ था. उन्होंने रवेंशा कालेज से विज्ञान में स्नातक और उत्कल विश्वविद्यालय से लोक प्रशासन में परास्नातक किया.  
ओडिशा सरकार ने चिटफंड घोटाले की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग का गठन वर्ष 2013 में किया था. विभिन्न चिटफंड कंपनियां प्रदेश में उन लाखों लोगों को ठग कर रातोरात गायब हो गई जिन्होंने उन कंपनियों में अपनी पूंजी लगा रखी थी. 
पहले चरण में 5.5 लोगों ने शिकायत की थी. इस बीच राज्य सरकार ने ठगे निवेशकों के लिए पैसे की वापसी में तेजी लाने के लिए जांच पैनल द्वारा प्राप्त चिट फंड दावा दस्तावेजों के डिजिटलीकरण शुरू किया.

ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स में तीन लोगों के डीएनए से बच्चे के जन्म देने के प्रस्ताव को मंजूरी

05-FEB-2015

ब्रिटेन के हाउस ऑफ कॉमन्स में 3 फ़रवरी 2015 को तीन लोगों के डीएनए से बच्चों के जन्म की अनुमति के हेतु ह्यूमन फर्टीलाइजेशन और भ्रूणविज्ञान अधिनियम (एचइफए), 1990 विधेयक के पक्ष में मतदान किया गया.

विवादास्पद माइटोकॉन्ड्रिया दान प्रक्रिया प्रस्ताव के पक्ष में 382 सांसदों ने वोट डाला जबकि 128 ने इसका विरोध किया.

इस प्रकिया में माता पिता से सामान्य डीएनए लेने की स्थिति में एक अन्य महिला डोनर के स्वस्थ एम (माइटोकॉन्ड्रियाल) डीएनए की थोडी मात्रा भी शामिल की जाएगी.
अब इस बिल को सिर्फ संसद के ऊपरी सदन लॉर्ड्स द्वारा पारित किया जाना है.
यदि यह बिल पारित हुआ तो ब्रिटेन दुनिया का ऐसा पहला देश होगा जहां माता, पिता और एक अन्य महिला डोनर के डीएनए से आइवीएफ बच्चे को जन्म देने की अनुमति होगी.


विधेयक का महत्व
इस तकनीक का उद्देश्य घातक आनुवांशिक रोगों को मां से बच्चे तक जाने से रोकना है. यह प्रक्रिया वंशानुगत समस्याओं में स्थायी परिवर्तन में मदद करेगी.
आईवीएफ कानून में परिवर्तन से दूसरी महिला के एम डीएनए के उपयोग से नुकसानदेह एमडीएनए अगली पीढ़ी में जाने के खतरे से ब्रिटेन की 2500 महिलाओं का बचाव किया जा सकता है.

अंतरराष्ट्रीय न्यायल का फैसला–बाल्कन युद्ध के दौरान क्रोएशिया और सर्बिया ने नहीं किया था नरसंहार

05-FEB-2015

अंतरराष्ट्रीय न्यायलय (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस – आईसीजे) ने 3 फरवरी 2015 को अपने एक फैसले में कहा कि भूतपूर्व युगोस्लाविया के विघटन की वजह से हुए 1990 के दशक के बाल्कन युद्ध में क्रोएशिया और सर्बिया ने एक दूसरे की आबादी पर नरसंहार नहीं किया.
जज पीटर टोमका की अध्यक्षता में 17 जजों के पैनल ने यह फैसला सुनाया कि विद्रोही सर्बों ने अपने क्षेत्र को वापस हासिल करने के लिए वर्ष 1995 में हुए क्रोएशिया आक्रमण में बहुत गंभीर अपराधों को अंजाम दिया गया लेकिन वह नरसंहार की स्तर तक नहीं पहुंचा था.
इसके अलावा अदालत ने कहा कि सर्ब सेना ने क्रोएशिया में बड़े पैमाने पर अपराधों को अंजाम दिया लेकिन उन्होंने भी नरसंहार नहीं किया. क्रोएशिया और सर्बिया के अपराधों को अदालत ने इसलिए नरसंहार नहीं कहा क्योंकि विनाश का इरादा जातीय सफाई में मौजूद नहीं था जिसे नरसंहार योजना का तत्व माना जाता है.
जजों के पैनल ने क्रोएशिया के दावे को दो के मुकाबले पंद्रह वोटों से खारिज कर दिया. क्रोएशिया ने जातीय सफाई के लिए विद्रोही सर्ब अल्पसंख्यकों का समर्थन खासतौर पर पूर्वी शहर वैंकूवर में, करने के लिए सर्बिया के खिलाफ क्षतिपूर्ति का दावा किया था.


सर्बिया के दावे को भी सर्वसम्मति से खारिज कर दिया गया. सर्बिया ने दावा किया था कि कर्जीना के ऑपरेशन स्ट्रोम के तहत वर्ष 1995 में क्रोएशिया से 200000 से अधिक जातीय सर्बों को निष्कासित किया गया था.
अदालत ने अपना यह फैसला भूतपूर्व युगोस्लाविया के लिए अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण पर आधारित मामलों के आधार पर सुनाया है जिसमें यह साबित किया गया था कि ऑपरेशन के तहत लोगों के पलायन का पता तो चलता है लेकिन वर्ष 1948 के नरसंहार समझौते के मुताबिक नरसंहार का आशय स्थापित नहीं होता.
युगोस्लाविया का विघटन 
मामले बाल्कन युद्ध जो कि 1990 के दशक के अधिकांश समय जारी था,  में युगोस्लाविया के सात देशों में टूटने की वजह से चली लंबी कानूनी लड़ाई का हिस्सा थे और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप के सबसे बुरी लड़ाई में 130000 से अधिक लोगों की मौत हो गई.
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद युगोस्लाविया समाजवादी देश बन गया था. इसमें छह गणराज्य– बोस्निया– हर्जेगोविना, क्रोएशिया, मैसिडोनिया, मोंटेनेग्रो, सर्बिया औऱ स्लोवानिया थे. 1990 के दशक के शुरुआत में महासंघ टूटना शुरु हो गया था.
स्लोवानिया, क्रोएशिया, बोस्निया और मैसिडोनिया ने खुद को स्वतंत्र घोषित कर दिया जिसकी वजह से सर्ब–बहुल यूगोस्लाव सेना के साथ संघर्ष बढ़ गया. वर्ष 2006, मोंटेनेग्रो भी भूतपूर्व सर्बिया और मोंटेनेग्रो संघ से अपने रिश्ते खत्म कर संप्रभु देश के रूप में उभरा.

वर्ष 1948 का नरसंहार समझौता
यह समझौता वर्ष 1951 में लागू किया गया और उसमें निम्नलिखित में से किसी भी कृत्य जिसे राष्ट्रीय, जातीय या धार्मिक समूह को पूरी तरह या उसके कुछ हिस्सों को नष्ट करने के उद्देश्य से किया गया हो, नरसंहार कहलाएगा. 
•    समूह के सदस्यों की हत्या
•    समूह के सदस्यों को शारीरिक या मानसिर रूप से गंभीर क्षति पहुंचाना
•    जानबूझ कर समूह की स्थितियों का प्रयोग उसके पूर्ण या आंशिक भौतिक विनाश करने पर. 
•    समूह में जन्म रोकने के लिए किए गए इरादतन उपाय
•    समूह के बच्चों को जबरदस्ती दूसरे समूह में भेजना.

नासा ने ‘स्वायल मॉइस्चर एक्टिव पैसिव’ नामक पृथ्वी का पहला उपग्रह लांच किया

05-FEB-2015

नासा ने ‘स्वायल मॉइस्चर एक्टिव पैसिव’ नामक पृथ्वी का पहला उपग्रह 31 जनवरी 2015 को लांच किया. 
यह उपग्रह ऐसी वैश्विक आर्द्र मिट्टी को एकत्र करने के लिए बनाया गया है जिसमें जीवन से सम्बंधित तत्व विद्यमान हों.

यह उपग्रह कैलिफोर्निया के वेडनवर्ग एयर फोर्स बेस से एलायंस डेल्टा II रॉकेट द्वारा छोड़ा गया. 
यह उपग्रह अपने 426 मील वाले कक्षा की एक परिक्रमा 98.5 मिनट में पूरा करता है तथा यह अपनी सतह से 2 इंच ऊपर की नमी को मापने के लिए बनाया गया है. 
यह अपनी तरह का सबसे बड़ा उपग्रह है, जो नासा द्वारा अंतरिक्ष में भेजा गया. ‘स्वायल मॉइस्चर एक्टिव पैसिव’ (SMAP) 20 फीट (छह मीटर) की जाली एंटीना से सुसज्जित है. SMAP के एंटीना प्रति मिनट के बारे में 14.6 क्रांतियों में स्पिन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
कैलिफोर्निया के पासाडेना में स्थित नासा की जेट प्रोपल्सन प्रयोगशाला वाशिंगटन में स्थित नासा के साइंस मिशन निदेशालय के लिए SMAP का प्रबंधन करेगा. इसमें ग्रीनबेल्ट, मेरीलैंड में नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के यंत्र, हार्डवेयर और विज्ञान के योगदान को  शामिल किया जाएगा.

भारतीय रिजर्व बैंक ने वैधानिक तरलता अनुपात में 0.50 प्रतिशत की कमी की

05-FEB-2015

भारतीय रिजर्व बैंक ने 3 फ़रवरी 2015 को अपने छठे द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) में 0.50 प्रतिशत के कटौती की घोषणा की. जिसके बाद यह 22 प्रतिशत से घट कर 21.5 प्रतिशत हो गई.

यह निर्णय 7 फ़रवरी 2015 से प्रभाव में आ जाएगा. एसएलआर में इस कमी से बैंकिंग प्रणाली में 45000 करोड़ रुपये की बढ़ोत्तरी होने की संभावना है.

इसके अलावा भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 7.75  प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है. आरबीआई ने 15 जनवरी 2015 को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी, जिसके बाद रेपो दर 8 प्रतिशत से घट कर 7.75 प्रतिशत हो गई.

वर्तमान नीतिगत दरें
• रेपो दर - 7.75 प्रतिशत (अपरिवर्तित)
रिवर्स रेपो दर - 6.75 प्रतिशत (अपरिवर्तित)
• नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) – 4 प्रतिशत
• वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) - 21.5 प्रतिशत (परिवर्तित)
बैंक दर - 8.75 प्रतिशत (अपरिवर्तित)
• एमएसएफ दर - 8.75 प्रतिशत (अपरिवर्तित)

वैधानिक तरलता अनुपात (एसएलआर) के बारे में

एसएलआर वह राशि है जिसके तहत वाणिज्यिक बैंक को अपने ग्राहकों हेतु ऋण उपलब्ध कराने से पहले सरकारी प्रतिभूतियों, स्वर्ण या नकदी आदि अपने पास रखना अनिवार्य होता है. एसएलआर को बैंक ऋण के विस्तार के नियंत्रित करने हेतु भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किया जाता है.

एसएलआर की अधिकतम और न्यूनतम सीमा 40 प्रतिशत और 25 प्रतिशत हैं. जनवरी 2007 में बैंकिंग नियमन अधिनियम (1949) में संशोधन के बाद एसएलआर की न्यूनतम दर 25 प्रतिशत को हटा दिया गया था.

टिप्पणी

भारतीय रिजर्व बैंक सीआरआर को कम सकता था लेकिन उसने एसएलआर को कम करने को प्राथमिकता प्रदान की. यह कदम वाणिज्यिक बैंकों को अतिरिक्त तरलता नि: शुल्क प्राप्त करने के लिए सक्षम होगा. एसएलआर में कटौती से बैंकों के पास लिक्विडिटी बढ़ेगी और बाजार में नकदी बढ़ेगी.

एसएलआर की इस कमी से भारतीय रिजर्व बैंक सरकारी प्रतिभूतियों के बाजार और निजी क्षेत्र की ऋण उपलब्धता के विस्तार में कमी कर रहा है. इसके साथ सरकार के फंड की लागत में वृद्धि होगी और बैंकों द्वारा निजी क्षेत्र पर आरोपित दर में कमी आएगी.

जेके समूह के अध्यक्ष गौर हरि सिंघानिया का निधन

05-FEB-2015

जेके समूह के अध्यक्ष गौर हरि सिंघानिया का 4 फरवरी 2015 को 80 वर्ष की आयु में कानपुर में निधन हो गया. वे जेके समूह के अध्यक्ष थे और वर्ष 1994 से जेके सीमेंट लिमिटेड के प्रमोटर निदेशक रहे.

वे उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (यूपीसीए) के मुख्य संरक्षक रहे. उन्होंने खेल को बढ़ावा देने के लिए सर पदमपत सिंघानिया ब्रिज अकादमी खोली थी. शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने विभिन्न विश्वविद्यालयों के लिए योगदान दिया. उन्होंने राजस्थान के उदयपुर में एक विश्वविद्यालय खोला.

उन्होंने इम्प्लॉयर्स एसोसिएशन ऑफ नार्दन इंडिया, उत्तर प्रदेश के व्यापारियों के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया. इसके अलावा वे उत्तर प्रदेश स्टॉक एक्सचेंज के संस्थापक अध्यक्ष और एसोसिएटेड चैंबर ऑफ कामर्स के संस्थापक संरक्षक भी रहे.

गौर हरि सिंघानिया ने उत्तर प्रदेश के प्रादेशीय औद्योगिक निवेश निगम, उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम और उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम जैसे विभिन्न निगमों में निदेशक के रूप में कार्य किया.

एलसी गोयल केंद्रीय गृह सचिव नियुक्त

05-FEB-2015

केंद्र सरकार ने 4 फ़रवरी 2015 को केंद्रीय गृह सचिव के रूप में एलसी गोयल को नियुक्त किया. अपनी नियुक्ति के समय वे केंद्रीय ग्रामीण विकास सचिव के रूप में सेवारत थे. गोयल का कार्यकाल कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से दो वर्ष की अवधि के लिए होगा.

गोयल अनिल गोस्वामी का स्थान लेंगे जिन्होंने 4 फरवरी  2015 को इस्तीफा दिया था. इससे पहले गोयल ने संयुक्त सचिव के रूप में गृह मंत्रालय (आंतरिक सुरक्षा) में सेवा की. वे केरल कैडर के वर्ष 1979 बैच के आईएएस अधिकारी है.

माइक्रोमैक्स भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी स्मार्टफोन विक्रेता

05-FEB-2015

देशीय हैंडसेट निर्माता कम्पनी माइक्रोमैक्स ने कोरियाई इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी सैमसंग को पीछे छोड़कर भारत की सबसे बड़ी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी स्मार्टफोन विक्रेता कम्पनी बन गई है. इसकी पुष्टि 4 फ़रवरी 2015 को अनुसंधान फर्म कैंलासिस  द्वारा जारी एक रिपोर्ट से हुई.

रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर-दिसंबर की  तिमाही में  माइक्रोमैक्स ने भारत में सैमसंग की 20 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी की तुलना में 22 प्रतिशत हिस्सेदारी प्राप्त की.
भारत में अबतक शीर्ष चार कम्पनियां माइक्रोमैक्स, सैमसंग, कार्बन और लावा थी.
माइक्रोमैक्स ने मुख्यता 9000 से 12000 रुपय के हैंडसेट जैसे कैनवास नाईटरो और कैनवास ह्यू जैसे उत्पादों पार विशेष ध्यान केन्द्रित किया,जिससे कम्पनी को शीर्ष स्थान पाने में मदद मिली.
पिछली कुछ तिमाहियों के दौरान  सैमसंग की बाजार हिस्सेदारी माइक्रोमैक्स, लावा, कार्बन जैसी घरेलू कम्पनियों के साथ ही वैश्विक प्रतिद्वंद्वियों मोटोरोला और ज़ियोमी से कम हुई है.
वैश्विक स्तर पर भी सैमसंग एप्पल और चीनी तकनीक प्रमुख ज़ियोमी  से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रही थी.इस तरह से स्मार्टफोन बाजार में सैमसंग की हिस्सेदारी कुछ वर्षों में कम हुई है.
2014 में सैमसंग की वैश्विक स्मार्टफोन बाजार में 24.5 प्रतिशत हिस्सेदारी थी.2013 में 31.3 प्रतिशत और 2012 में 30.3 प्रतिशत हिस्सेदारी थी.
एप्पल आईफोन लगभग तीन साल के बाद प्रतिद्वंदी सैमसंग के साथ अपने अंतर को कम करने में कामयाब रहा.एप्पल आईफोन  की बिक्री 2014 में ब्रिक्स देश ब्राजील, रूस, भारत और चीन के साथ अमेरिका में भी बढ़ी है.

माइक्रोसॉफ्ट ने iOS,एंड्रॉयड उपयोगकर्ताओं के लिए आउटलुक एप्प लॉन्च किया

05-FEB-2015

3 फरवरी 2015 को माइक्रोसॉफ्ट ने iOS,एंड्रॉयड उपयोगकर्ताओं के लिए आउटलुक एप्प लॉन्च किया. यह नया एप्प  ईमेल स्टार्टअप एकॉम्पली (Acompli) की जगह लाया गया है. इस एप्प को आईफोन और आईपैड्स पर मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकता है. 
आउटलुक एप्प ऑफिस 365, एक्सचेंज (Exchange),आउटलुक.कॉम, याहू मेल, जीमेल, आईक्लाउड और अन्य प्रमुख मेल सेवाओं को सपोर्ट करेगा. यह एप्प  उपयोगकर्ताओं को कैलेंडर को मैनेज करने और उसी एप्प से संलग्नकों (अटैचमेंट्स) को निकालने में भी मदद करेगा. 
उपयोगकर्ता ड्रॉपबॉक्स, गुगल ड्राइव, माइक्रोसॉफ्ट वनड्राइव से या सीधे उपयोगकर्ता के मेलबॉक्स से फाइल अटैच कर सकते हैं. नए एप्प  में माइक्रोसॉफ्ट ने अपने एंड्रॉयड एप्स के लिए बने ऑफिस में से प्रीव्यू (Preview) टैग को हटाने की घोषणा की है. 
यह एप्प  उपयोगकर्ताओं को आउटलुक कार्यों को अनुकूल बनाने में सक्षम बनाएगा. 
एकॉम्पली (Acompli) का अधिग्रहण माइक्रोसॉफ्ट ने दिसंबर 2014 में 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर में किया था. यह सैन फ्रैंसिस्को की ईमेल स्टार्टअप है.

भारत के पश्चिमी तट पर दो नई शैवाल प्रजातियों की खोज

05-FEB-2015

भारत के पश्चिमी तट पर दो नए शैवाल प्रजातियों की खोज की गई है.इन शैवालों का नाम उल्वा पश्चिमा बास्त और क्लादोफोरा गोअनोसिस बास्त है.
इन प्रजातियों की सबसे बड़ी खासियत इन शैवालों की वातावरण से कार्बन डाइ ऑक्साइड को अवशोषित करने की क्षमता है जिससे स्वाभिक रूप से ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में मदद मिलेगी.
इन प्रजातियों की खोज डॉ फेलिक्स बास्ट और पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय,भटिंडा के दो शोध छात्रों सतेज  भूषण और एजाज अहमद जॉन ने की. खोज की पुष्टि पीएलओएस वन पत्रिका और भारतीय समुद्री भारतीय विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित लेख में की गई.
खोज का महत्व
• इन शैवालों की वृधि दर भी तेज है और इन शैवालों की कार्बन को सोखने की क्षमता भी अच्छी है.
• शैवाल की इन दो प्रजातियों को जैव ईंधन के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
• इसकी बढ़त या खेती से क्षेत्र की स्थानीय वनस्पतियों पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा और ना ही ये उस क्षेत्र के जैविक वातावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेंगे.शैवाल की यह प्रजातियाँ भारत के पश्चिमी तट की स्थानिक प्रजातियाँ हैं.
• इन प्रजातियों की खेती के लिए किसी तरह के उर्वरक या कीटनाशक या किसी भी महंगी खेती प्रणाली जैसे फोटो बायो रिएक्टर के उपयोग की आवश्यकता नहीं होगी.ये शैवाल तटरेखा के साथ सहज विकास करने में सक्षम हैं और कार्बन डाई ऑक्साइड को पृथक भी कर सकते हैं.
• ये प्रजातियाँ औषधि निर्माण में भी सहायक होंगी.इससे पूर्व भी कई शैवालों का प्रयोग चिकित्सा क्षेत्र में हुआ है, जैसे खालालिदे एफ, जिसका प्रयोग स्तन कैंसर और पौरुष ग्रंथि सबंधी बीमारियों में किया जाता है.