श्री गडकरी ने सड़क सुरक्षा दौड़ को झंडी दिखाई और जनता को सड़क सुरक्षा के मुद्दों के बारे में शिक्षित करने के लिए युवाओं का आह्वान किया 


सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं शिपिंग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने आज प्रातः नई दिल्ली में इंडिया गेट से सड़क सुरक्षा दौड़ को झंड़ी दिखाई। केंद्रीय नागर विमानन मंत्री श्री अशोक गजपति राजू और गृह राज्य मंत्री श्री हंसराज गंगाराम अहीर भी इस अवसर पर उपस्थित थे। इस दौड़ का आयोजन सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने सड़क सुरक्षा के बारे में आम जनता में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरुकता पैदा करने तथा सड़क सुरक्षा आंदोलन में उनकी सक्रिय भागीदारी का अनुरोध करने के लिए किया है। यह दौड़ सड़क सुरक्षा सप्ताह की शुरूआत है जो 9 से 15 जनवरी, 2017 तक आयोजित किया जा रहा है। अनेक एनजीओ और युवा संगठनों ने भी इस दौड़ में भाग लिया।

 

इस अवसर पर श्री गडकरी ने अगले कुछ वर्षों में सड़क दुर्घटनाओं और उससे जुड़ी मृत्यु की संख्या को 50 प्रतिशत तक घटाने के बारे में अपने मंत्रालय की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने बताया कि उनका मंत्रालय इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए सड़क सुरक्षा हेतु - इंजीनियरिंग, प्रवर्तन, शिक्षा और आपातकालीन देखभाल जैसे मुद्दों पर कार्य कर रहा था। उन्होंने कहा कि पहचाने गए सर्वाधिक दुर्घटना वाले स्थलों को सुधारने का कार्य पूरे जोरों पर है। इस उद्देश्य के लिए 11,000 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। उन्होंने लोगों से कहा कि वे ऐसे स्थलों की रिपोर्ट मंत्रालय से करें जहां बहुत अधिक दुर्घटनाएं होती रहती हैं ताकि सड़कों के इंजीनियरिंग दोषों को दूर करने के लिए कदम उठाए जा सकें। श्री गडकरी ने बताया कि फ्लाईओवर, अंडरपास, क्रैश बैरियर, रंबल स्ट्रिप्स, यातायात चिन्हों को उचित तरीके से लगाया गया था ताकि आदि दुर्घटनाओं में कमी लाई जा सके।

 

श्री गडकरी ने उम्मीद जाहिर की कि मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक, जांच के लिए परिवहन, पर्यटन और संस्कृति विभाग से संबंधित संसदीय स्थायी समिति के पास है। इसे संसद के अगले सत्र में पारित कर दिया जाएगा। यह विधेयक कड़े दंड, इलेक्ट्रॉनिक प्रवर्तन की अनुमति देने,  फिटनेस प्रमाण पत्र और लाइसेंसिंग व्यवस्था में सुधार लाने और अच्छी तथा मान्य आईटी सक्षम प्रवर्तन प्रणालियां उपलब्ध कराकर सड़क सुरक्षा के मुद्दों का निपटान करेगा। यह विधेयक सार्वजनिक परिवहन में सुधार लाने का मार्ग भी प्रशस्त करेगा जिससे सड़क सुरक्षा सुधारने में मदद मिलेगी। इस विधेयक में दुर्घटना के शिकार लोगों का जीवन बचाने के लिए महत्वपूर्ण समय के दौरान इलाज का प्रावधान है जिससे मूल्यवान जीवन बचाने में मदद मिलेगी।

 

मंत्रालय द्वारा जारी किए गए अच्छे और बेहतर दिशा-निर्देशों का उल्लेख करते हुए श्री गडकरी ने जनता से दुर्घटना के शिकार लोगों की मदद के लिए आगे आने का आह्वान किया ताकि उनके तुरंत प्रयास और आपातकालीन देखभाल से अनमोल जीवन बचाए जा सकें। उन्होंने लोगों से यातायात नियमों का पालन करने और सड़कों पर अपनी जिम्मेदारी दिखाने का भी आह्वान किया। इस संबंध में उन्होंने  देश के युवाओं से जनता के पास जाने और उन्हें सड़क सुरक्षा के मुद्दों के बारे में शिक्षित करने के लिए कहा।

 

इस अवसर पर बोलते हुए श्री ए. गजपति राजू ने कहा कि जनता के आगे आए बगैर भारतीय सड़कों को सुरक्षित बनाना संभव नहीं है इसलिए जनता को इस बारे में आगे आना चाहिए। श्री हंसराज गंगाराम अहीर ने भी लोगों से सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने और दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों की संख्या घटाने के लिए अपनी भागीदारी करने का आह्वान किया।

 

सचिव सड़क परिवहन और राजमार्ग श्री संजय मित्रा, दिल्ली पुलिस आयुक्त श्री आलोक कुमार वर्मा और दिल्ली की संयुक्त पुलिस आयुक्त ट्रैफिक सुश्री गरिमा भटनागर ने भी उपस्थित जनों को संबोधित किया। इस अवसर पर एक युवा समूह ने यातायात के नियमों और सुरक्षा के मुद्दों पर एक नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत किया।

***

प्रवासी भारतीयो का भारत विकास प्रतिष्ठान 

प्रवासी भारतीयों के भारत विकास प्रतिष्ठान(आईडीएफ-ओआई) की स्थापना केंद्र सरकार द्वारा प्रवासी भारतीयोद्वारा भारत के सामाजिक और विकास परियोजनाओ में जनउपयोगी सहयोग को सुगम बनाने हेतु गैर लाभकारीन्यास के रूप में की गई है। आईडीएफ-ओआई की अध्यक्षता कल केंद्रीय विदेश मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज नेकी।

वर्तमान में आईडीएफ-ओआई केंद्र सरकार की प्रमुख योजनाओं स्वच्छ भारत अभियान और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगाअभियान और राज्य सरकार द्वारा प्रवासी भारतीयो के लिए वित्तीय सहायता हेतु चिन्हित किए किएपरियोजनाओ में सहयोग प्रदान कर रहा है।

 आईडीएफ-ओआई राज्य सरकारो के साथ स्वच्छता, शिक्षा, पेयजल, महिला सशक्तिकरण आदि क्षेत्रों में कार्यकर रहा है। प्रवासी भारतीय व्यक्तिगत रूप से,व्यक्तिगतों के समूह या संबधित भारतीय संस्थाओ द्वारा भीसहयोग कर सकते हैं।

प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन 2017 के पूर्ण सत्र में भारतीय प्रवासी-भारत की विकास गाथा के उत्प्रेरक” कीअध्यक्षता केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री श्री एम जे अकबर ने की। सत्र में आईडीएफ-ओआई द्वारा प्रवासी भारतीयो केसामाजिक और विकास प्रयासो में प्रभावी रूप से सहयोग करने और जुडने पर विचार विमर्श किया गया। उन्होंनेआईडीएफ-ओआई के साथ कार्य करने में रूचि व्यक्त की और परियोजना क्रियान्यवन और बजट उपयोग मेंविश्वसनीयता की आवश्यकता जैसे उत्तरदायित्व, कार्यक्षमता और पारदर्शिता की आवश्यकता पर बल दिया।

सत्र की समाप्ति पर आईडीएफ-ओआई को प्रवासी भारतीयो से सहयोग भी प्राप्त हुआ

आनलाइन सहयोग के लिए https://idfoi.nic.in/contribute.aspx लिंक देखे।

आईडीएफ-ओआई को ट्विटर पर फॉलो करें-  @ GivingtoIndia

आईडीएफ-ओआई का फेसबुक लिंक- fb.com/idfoi     

***

प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार-2017 

14वें प्रवासी भारतीय दिवस समारोह का आयोजन 07-09 जनवरी2017 में बैंगलोर में किया जा रहा है। वर्ष 2003 से प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन प्रति वर्ष आयोजित किया जा रहा है और हम पहले संस्करण से ही अपने प्रवासियों को सम्मानित कर रहे हैं।

पिछले वर्ष के अंत में यह निर्णय किया गया था कि प्रवासी भारतीय दिवस सम्‍मेलनों का आयोजन हर दो वर्ष के अंतराल में किया जाएगा। इसलिएप्रवासी भारतीय दिवस 2017 में प्रदान किये जाने वाले पुरस्कारों की संख्या दोगुना होकर 30 हो गई है। इसके अलावा  निर्णायक-सह-पुरस्कार समिति दिये जाने वाले क्षेत्रों में व्यक्तियों के लिए अपने विवेकानुसार छह और  नामांकन कर सकती हैं। इस वर्ष निर्णायक समिति ने भारत के विकास की दिशा में योगदान, भारत में धर्मार्थ कार्य और जनहितैषी निवेश पर उपलब्धियों के लिए प्रवासी के योगदान पर भी विचार किया है।

सभी पात्र श्रेणियों के प्रवासी भारतीयों/संगठनों से निर्धारित प्रारूप में नामांकन आमंत्रित किये गये थे। मंत्रालय में नामांकन प्राप्त करने की अंतिम तिथि 29 अगस्त, 2016 थी।

माननीय उप राष्ट्रपति की अध्यक्षता में निर्णायक-सह-पुरस्कार समिति ने पीबीएसए के लिए सभी नामांकनों पर विचार किया। दिशा-निर्देशों के अनुरूप पात्र पाए गए नामांकनों की सूची 123 और अन्‍य नामांकनों की सूची 55 थी, जिन्‍हें समिति के समक्ष विलंब से भेजा गया था। नामांकनों की प्राथमिक स्‍तर पर विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की एक जांच समिति द्वारा जांच की गई।

प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार के लिए निर्णायक-सह-पुरस्कार समिति (पीबीएसएमें निम्नलिखित सदस्य शामिल हैं :-

 

  1. उपराष्‍ट्रपति- अध्यक्ष
  2. माननीय विदेश मंत्रीउपाध्यक्ष
  3. श्री स्वप्न दासगुप्तासंसद सदस्यराज्यसभा
  4. प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव
  5. डॉ एस.जयशंकरविदेश सचिव
  6. श्री राजीव महर्षिगृह सचिव
  7. श्री सतीश चंद्रासंयुक्त राज्य अमरीका में भारत के पूर्व राजदूत
  8. सुश्री इंद्र नूई, मुख्‍य कार्यकारी अधिकारीपेप्सिको
  9. श्री यूसुफ अली एम.ए. प्रबंध निदेशकलुलु ग्रुप ऑफ इं‍डस्‍ट्रीजसंयुक्त अरब अमीरात
  10. श्री श्याम परांदेसचिवअंतर राष्ट्रीय सहयोग परिषद
  11. श्री डी. एम मुलेसचिव (ओआईए और सीपीवी) और सदस्य सचिव

 

निर्णायक समिति के सदस्यों ने सभी पात्र नामांकनों पर विचार किया और प्रासंगिक जानकारी को समिति के समक्ष रखा। विस्तृत विचार विमर्श के बाद20 दिसम्बर 2016 को समिति के द्वारा प्रवासी भारतीय सम्‍मान पुरस्‍कार, 2017 के लिए निर्णायक-सह-पुरस्कार समिति ने 30 प्रत्याशियों की सर्वसम्मति से पुरस्‍कार के लिए सिफारिश की।

 

प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार-2017 के पुरस्‍कार प्राप्‍तकर्ताओं की सूची हेतू यहां क्लिक करें :

***

 

तमिलनाडु उदय योजना में शामिल होने वाला 21वां राज्य 

राज्य को उदय योजना से लगभग 11 हजार करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ होगा 


केंद्रीय ऊर्जा, कोयला, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा तथा खान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने आज नई दिल्ली में उज्ज्वल डिस्कॉम आश्वासन योजना (उदय) के अंतर्गत बिजली वितरण कंपनी के संचालन और वित्तीय कायाकल्प के लिए  तमिलनाडु सरकार और उसकी बिजली वितरण कंपनी टैनजेडको के साथ सहमति ज्ञापन हस्ताक्षर समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर तमिलनाडु के विद्युत, मद्य निषेध और आबकारी मंत्री श्री पी. थंगमणि भी उपस्थित थे।

 

उदय योजना में शामिल होने से तमिलनाडु को ब्याज लागत में बचत करके, एटी तथा सी और ट्रांसमिशन क्षति में कमी करके, ऊर्जा सक्षमता में सक्रिय होकर और कोयला सुधारों के माध्यम से लगभग 11000 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ होगा। राज्य ने इस अवसर पर सभी के लिए सातों दिन 24 घंटे बिजली देने के दस्तावेज पर भी हस्ताक्षर किया। तमिलनाडु के उदय योजना में शामिल होने के साथ उदय योजना के अतंर्गत देश की बिजली वितरण कंपनियों का 92 प्रतिशत ऋण कवर कर लिया गया है।

 

उदय योजना के अंतर्गत सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर करके राज्य सरकार टैनजेडको के 30,420 करोड़ रुपये ऋण का 75 प्रतिशत हिस्सा ले लिया है। इस योजना में शेष ऋण के पुनः मूल्य निर्धारण या स्टेट गारंटीड डिस्कॉम बांड औसत वर्तमान ब्याज दर से 3-4 प्रतिशत कम कूपन दरों पर जारी करने पर तमिलनाडु उधारी में कमी तथा शेष उधारी कर ब्याज दर में कमी से 950 करोड़ रूपये की बचत करेगा।

 

उदय भारत सरकार ने 20 नवम्बर, 2015 को उदय योजना लांच की। इसका उद्देश्य ऋण बोझ से दबी वितरण कंपनियों में वित्तीय स्थायित्व लाना है। तमिलनाडु के इस योजना में शामिल होने के साथ 21 राज्य उदय योजना में शामिल हो गए हैं।

 

इस अवसर पर विद्युत मंत्रालय के सचिव श्री पी. के. पुजारी, तमिलनाडु सरकार के अपर मुख्य सचिव (ऊर्जा) श्री राजीव रंजन , ग्रामीण विद्युतिकरण निगम के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. पी. वी. रमेश, टैनजेडको के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ. एम. साई कुमार तथा विद्युत मंत्रालय और तमिलनाडु सरकार के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।  

वीएल/एजी/सीएस- 78

अप्रैल-दिसंबर, 2016 में टैक्स वसूली सकारात्मक, प्रत्यक्ष करों में 12.01 प्रतिशत और अप्रत्यक्ष करों में 25 प्रतिशत की वृद्धि 


कर वसूली में सकारात्मकता से संबंधित ब्यौरे इस प्रकार हैं –

प्रत्यक्ष कर

दिसंबर, 2016 तक प्रत्यक्ष कर संग्रह के आंकड़े दिखाते हैं कि कुल 5.53 लाख करोड़ रूपये की शुद्ध वसूली हुई। यहपिछले वर्ष की इसी अवधि की शुद्ध वसूली से 12.01 प्रतिशत अधिक है। यह संग्रह वित्त वर्ष 2016-17 के लिएप्रत्यक्ष करों के कुल बजट अनुमानों का 65.3 प्रतिशत है।

 

सकल राजस्व के संदर्भ में कारपोरेट इंकमटैक्स (सीआईटी) तथा व्यैक्तिक इंकमटैक्स (पीआईटी) के संबंध मेंसीआईटी में 10.7 प्रतिशत की वृद्धि दर रही जबकि पीआईटी में (एसटीटी सहित) 21.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई।रिफंड समायोजन के बाद सीआईटी वसूली में 4.4 प्रतिशत की सकल वृद्धि रही और पीआईटी संग्रह में 24.6 कीवृद्धि रही। अप्रैल-दिसंबर, 2016 में 1,26,371 करोड़ रूपये के रिफंड जारी किए गए जो कि पिछले वर्ष की इसीअवधि में जारी रिफंड से 30.5 प्रतिशत अधिक हैं।

 

दिसंबर, 2016 में एडवांस टैक्स की तीसरी किस्त के लेखा के बाद 2.82 लाख करोड़ रुपये का एडवांस टैक्स वसूलागया। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि से 14.4 प्रतिशत अधिक है। सीआईटी एडवांस टैक्स में 10.6 प्रतिशत कीवृद्धि हुई जबकि पीआईटी एडवांस टैक्स में 38.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

 

अप्रत्यक्ष कर

दिसंबर, 2016 तक अप्रत्यक्ष कर संग्रह के आंकड़े दिखाते हैं कि कुल 6.30 लाख करोड़ रूपये की शुद्ध राजस्ववसूली हुई। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि की शुद्ध वसूली से 25 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2016-17 के लिएदिसंबर, 2016 तक अप्रत्यक्ष कर के बजट अनुमानों का 81 प्रतिशत है।

 

अप्रैल-दिसंबर, 2016 में केंद्रीय उत्पाद शुल्क में 2.79 लाख करोड़ रुपये की वसूली हुई। पिछले वर्ष में इसी अवधिमें 1.95 लाख करोड़ रुपये की वसूली हुई थी। इस तरह इसमें 43 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सेवा कर में शुद्ध कर वसूलीअप्रैल-दिसंबर, 2016 में 1.83 लाख करोड़ रुपये रही। पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि के दौरान 1.48 लाख करोड़रुपये की वसूली हुई थी। इस तरह इसमें 23.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

 

अप्रैल-दिसंबर, 2016 में सीमा शुल्क में 1.67 लाख करोड़ रुपये की वसूली हुई। पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि केदौरान 1.60 लाख करोड़ रुपये की वसूली हुई थी। इस प्रकार वसूली में 4.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

 

दिसंबर, 2016 के दौरान शुद्ध अप्रत्यक्ष कर (एआरएम के साथ) में पिछले वर्ष के दिसंबर महीने की तुलना में 14.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। दिसंबर, 2016 में पिछले वर्ष दिसंबर की तुलना में सीमा शुल्क, केंद्रीय उत्पाद शुल्क औरसेवा कर में क्रमशः 6.3 प्रतिशत, 31.6 प्रतिशत तथा 12.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। दिसंबर, 2016 में सीमा शुल्कवसूली में कमी दिसंबर, 2015 की तुलना में सोना आयात में 46 प्रतिशत (मात्रा में) कमी आने के कारण हुई।

***

सरकारी स्टॉक की बिक्री (पुनर्निर्गम) के लिए नीलामी 


 

 भारत सरकार ने (i) मूल्‍य आधारित नीलामी के जरिये 2,000 करोड़ रुपये (सांकेतिककी अधिसूचित राशि के 6.84 प्रतिशत सरकारी स्टॉक 2022’ के लिए (ii) मूल्‍य आधारित नीलामी के जरिये 5,000करोड़ रुपये (सांकेतिककी अधिसूचित राशि के लिए '6.97 फीसदी ब्‍याज वाले सरकारी स्‍टॉक 2026' (iii) मूल्‍य आधारित नीलामी के जरिये 2,000 करोड़ रुपये (सांकेतिककी अधिसूचित राशि के लिए 7.73 प्रतिशत सरकारी स्टॉक 2034’ (iv) मूल्‍य आधारित नीलामी के जरिये 2,000 करोड़ रुपये (सांकेतिककी अधिसूचित राशि के लिए '7.06 फीसदी ब्‍याज वाले सरकारी स्‍टॉक 2046' की बिक्री (पुनर्निर्गमकरने की घोषणा की है। एकाधिक मूल्य पद्धति का उपयोग करते हुए नीलामियों का संचालन किया जाएगा। भारतीय रिजर्व बैंक का मुम्‍बई कार्यालय 13 जनवरी,2017 (शुक्रवारको यह नीलामियां करेगा।

स्‍टॉक बिक्री की कुल अधिसूचित राशि के पांच फीसदी तक का आवंटन सरकारी प्रतिभूतियों की नीलामी से जुड़ी गैर-प्रतिस्‍पर्धी बोली सुविधा योजना के मुताबिक योग्‍य व्‍यक्तियों एवं संस्‍थानों को किया जायेगा।

नीलामी के लिए प्रतिस्‍पर्धी एवं गैर-प्रतिस्‍पर्धी दोनों ही बोलियां 13 जनवरी,2017 को भारतीय रिजर्व बैंक के कोर बैंकिंग सोल्‍यूशन (-कुबेरसिस्‍टम पर इलेक्‍ट्रॉनिक प्रारूप (फॉर्मेटमें पेश की जानी चाहिए। गैर-प्रतिस्‍पर्धी बोलियां प्रात10.30 बजे से लेकर प्रात11.30 बजे तक और प्रतिस्‍पर्धी बोलियां प्रात10.30 बजे से लेकर दोपहर 12.00 बजे तक पेश की जानी चाहिए।

इन नीलामियों के नतीजों की घोषणा 13 जनवरी,2017 को ही कर दी जायेगी और सफल बोली लगाने वालों द्वारा भुगतान 16 जनवरी,2017 (सोमवारको किया जायेगा।

ये स्‍टॉक 16 नवंबर 2006 को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी तथा समय-समय पर यथासंशोधित परिपत्र सं.आरबीआई/2006-07/178 के अनुसार केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों में "जब जारी लेनदेनविषयक मार्गदर्शी सिद्धांतों के अनुसार "जब जारीट्रेडिंग के लिए पात्र होंगे।

वीएल/एजी- 77

 

वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और जापान के आर्थिक, व्‍यापार एवं उद्योग मंत्री के बीच द्विपक्षीय बैठक 


वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने जापान के आर्थिकव्‍यापार एवं उद्योग मंत्रीमाननीय हीरोशिगे सीको की अगुवाई में आये जापानी प्रतिनिधिमंडल का स्‍वागत किया और इस बात को स्‍मरणकिया कि नवम्‍बर, 2016 में भारत के माननीय प्रधानमंत्री की जापान यात्रा दोनों देशों के आपसी भागीदारी कोऔर मजबूत करने के लि‍हाज से अत्‍यंत सफल रही थी। उन्‍होंने वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्‍मेलन के दौरानजापानी प्रतिनिधिमंडल के साथ सार्थक चर्चाएं होने की उम्‍मीद जताई। उन्‍होंने कहा कि भारत-जापान व्‍यापकआर्थिक भागीदारी समझौते (सीईपीए) के क्रियान्‍वयन की गति कमोबेश स्थिर रही है और इसकी गति तेज करनेकी जरूरत हैताकि भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय व्‍यापार की व्‍यापक संभावनाओं का दोहन किया जासके।

जापान के आर्थिकव्‍यापार एवं उद्योग मंत्री श्री हीरोशिगे सीको ने मेक इन इंडिया’ के लिए भारतसरकार द्वारा उठाये गये विभिन्‍न कदमों और भारत के विकास के लिए की गई अन्‍य पहलों का स्‍वागत करतेहुए कहा कि भारत-जापान सहयोग बढ़ाने की काफी गुंजाइश। उन्‍होंने इस बात का उल्‍लेख किया कि 25 जापानीकंपनियां बड़े ही उत्‍साह के साथ वाइब्रेंट गुजरात शिखर सम्‍मेलन में शिरकत कर रही हैं। जापानी प्रतिनिधिमंडलने यह आग्रह किया कि भारत में जापान के वाणिज्‍य एवं उद्योग मंडलों (जेसीसीआईआई) द्वारा समय-समयपर उठाये जाने वाले ट्रांसफर प्राइसिंग आकलन के मुद्दे के साथ-साथ अन्‍य मसलों को भी सुलझाये जाने कीजरूरत हैताकि भारत में और ज्‍यादा जापानी निवेश आकर्षित किया जा सके। जापान के व्‍यावसायिकप्रतिनिधियों ने भारत में अपने कारोबार के बारे में जानकारी दी और इसके साथ ही यह भी बताया कि वे भारत मेंविभिन्‍न क्षेत्रों में अपने व्‍यवसाय का विविधीकरण करना चाहते हैं। इनमें कृषिवि‍द्युतरेलवे व लॉजिस्टिक क्षेत्रऔर एटीएम का निर्माण इत्‍यादि शामिल हैं। उन्‍होंने कहा कि वे भारत के विकास में अपनी ओर से योगदानकरना चाहते हैं।

श्रीमती सीतारमण ने भारत से जापान को होने वाले विभिन्‍न उत्‍पादों के नि‍र्यात में वृद्धि के लिए जापानीप्रतिनिधिमंडल से आवश्‍यक कदम उठाने का अनुरोध किया। इनमें तिल के बीजसुरिमी फिश और भारतीयजेनेरिक दवाएं शामिल हैं।

दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को बधाई दी और यह उम्‍मीद जताई कि वचनबद्धता के निरंतर जारी रहने सेदोनों देशों के बीच साझेदारी और ज्‍यादा बढ़कर नये स्‍तर पर पहुंच जायेगी।

भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत 06.01.2017 को 55.06 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल रही 


पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अधीनस् पेट्रोलियम नियोजन एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसीद्वारा आज संगणित/प्रकाशित सूचना के अनुसार भारतीय बास्केट के कच्चे तेल कीअंतर्राष्ट्रीय कीमत 06 जनवरी2017 को 55.06 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल दर्ज की गई। यह 5 जनवरी2017 को दर्ज कीमत 54.57 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से अधिक है।

रुपये के संदर्भ में भारतीय बास्केट के कच्चे तेल की कीमत 6 जनवरी2017 को बढ़कर 3741.64 रुपये प्रति बैरल हो गई,  जबकि 5 जनवरी2017 को यह 3699.32 रुपये प्रति बैरल थी। रूपया 6 जनवरी2017 को कमजोर होकर 67.95 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर के स्तर पर बंद हुआजबकि 5 जनवरी2017 को यह 67.79 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर था। इस संबंध में विस्तृत ब्यौरा नीचेतालिका में दिया गया है:-

विवरण

इकाई

06 जनवरी 2017 को मूल्य (पिछलाकारोबारी दिवसअर्थात 05.01.2017)

01-01-20167 के लिए मूल्यनिर्धारण पखवाड़ा

(14 दिसंबर2016 से लेकर

 28 दिसंबर2016 तक)

 

कच्चा तेल(भारतीयबास्केट)

(डॉलर प्रतिबैरल)

55.06              (54.57)        

53.05

(रुपये प्रतिबैरल)

3741.64       (3699.32)       

3599.97

विनिमयदर

(रुपये प्रतिडॉलर)

 67.95              (67.79)

   67.86

 

कच्चे तेल की दैनिक कीमत  

***

पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि पेट्रोल पंपो पर कार्ड के उपयोग पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगेगा 


पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभारश्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि  तो ग्राहकों को और  हीपेट्रोल पंप डीलरों को पेट्रोल स्टेशनों पर डिजिटल लेनदेन पर कोई अतिरिक्त शुल्क वहन करना पड़ेगा। उन्होंनेकहा कि सरकार ने फरवरी, 2016 में दिशा-निर्देश जारी किए थे कि मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआरप्रभारउपभोक्ताओं पर नहीं लागू किए जायेंगे और हितधारक एमडीआर को वहन करने के लिए उचित कदम उठायेंगे।

सरकार ने पेट्रोल पंप डीलरों की एसोसिएशन द्वारा पेट्रोल स्टेशनों पर डिजिटल लेनदेन पर शुल्क बढ़ाने के बादयह कदम उठाया है। श्री प्रधान ने कहा कि पेट्रोल स्टेशनों पर 13 जनवरी2017 के बाद भी डिजिटल लेन-देन परकोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा है कि पेट्रोल पंप लेनदेन शुल्क बैंकों और तेलविपणन कंपनियों के बीच एक बिजनेस मॉडल है जिसका समाधान निकाल लिया जाएगा।

 ***

तृतीय जल मंथन का आयोजन आगामी 13 जनवरी को 


 जल प्रबंधन क्षेत्र के विभिन्‍न मुद्दों के समाधान के उद्देश्‍य से विभिन्‍न हितधारकों के बीच व्‍यापक विचार-विमर्श के लिए केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने नई दिल्‍ली में आगामी 13 जनवरी को ‘’जल मंथन-3’’ नाम से एक राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन का आयोजन किया है। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती इस सम्‍मेलन का उद्घाटन करेगी।

 

 इस एक दिवसीय सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, नदी घाटी प्रबंधन, नदी संरक्षण और  पारिस्थितिकी, बाढ़ प्रबंधन जल प्रयोग कुशलता और सहभागिता सिंचाई प्रबंधन जैसे विषयों पर व्‍यापक विचार-विमर्श होगा। सम्‍मेलन में मंत्रालय की नीतियों को लोगों के प्रति ज्‍यादा मित्रवत बनाने और राज्‍यों की आवश्‍यकताओं के प्रति ज्‍यादा उत्तरदायी बनाने पर ध्‍यान दिया जाएगा। 

 

इस सम्‍मेलन में केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों के मंत्री, कुछ राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों के मुख्‍यमंत्री, राज्यों एवं संघ शासित प्रदेशों के सिंचाई/जल संसाधन मंत्री, जल प्रबंधन क्षेत्र के प्रख्यात विशेषज्ञ, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि और केंद्र एवं राज्य सरकारों के सभी संबंधित विभागों के वरिष्‍ठ अधिकारी भाग लेंगे। सम्‍मेलन में लगभग 700 लोगों के भाग लेने की उम्‍मीद है।

 

उल्‍लेखनीय है कि जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने जल संसाधन विकास और प्रबंधन में जुड़े विभिन्‍न पक्षों के बीच व्‍यापक विचार विमर्श की आवश्‍यकता पर बल दिया है ताकि जल संसाधन विकास को पर्यावरण, वन्‍य जीवों और विभिन्‍न सामाजिक एवं सास्‍कृतिक पद्धतियों के साथ बेहतर ढ़ग से जोड़ा जा सके। जल मंथन कार्यक्रमों का आयोजन इसी उद्देश्‍य से किया जाता है।  नवंबर 2014 और फरवरी 2016 में 

देश के 91 प्रमुख जलाशयों के जलस्तर में दो प्रतिशत की कमी आई 


05 जनवरी, 2017 को समाप्त सप्ताह के दौरान देश के 91 प्रमुख जलाशयों में 89.384 बीसीएम (अरब घन मीटर) जल का संग्रहण आंका गया। यह इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 57 प्रतिशत है। यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के कुल संग्रहण का 126 प्रतिशत तथा पिछले दस वर्षों के औसत जल संग्रहण का 98 प्रतिशत है।

 इन 91 जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता 157.799 बीसीएम है, जो समग्र रूप से देश की अनुमानित कुल जल संग्रहण क्षमता 253.388 बीसीएम का लगभग 62 प्रतिशत है। इन 91 जलाशयों में से 37 जलाशय ऐसे हैं जो 60 मेगावाट से अधिक की स्थापित क्षमता के साथ पनबिजली संबंधी लाभ देते हैं।

 क्षेत्रवार संग्रहण स्थिति

 उत्तरी क्षेत्र

उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब तथा राजस्थान आते हैं। इस क्षेत्र में 18.01 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले छह जलाशय हैं, जो केन्द्रीय जल आयोग (सीडब्यूसी) की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 8.1 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 45 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 53 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 54 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण कमतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी कमतर है। 

 

पूर्वी क्षेत्र

पूर्वी क्षेत्र में झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं त्रिपुरा आते हैं। इस क्षेत्र में 18.83 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 15 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्धक संग्रहण 14.75 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 78 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 58 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 69 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी बेहतर है।

 पश्चिमी क्षेत्र

पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात तथा महाराष्ट्र आते हैं। इस क्षेत्र में 27.07 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 27 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्ध संग्रहण 18.35 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 68 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थियति 40 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 64 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी बेहतर है।

 

मध्य क्षेत्र

मध्य क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ आते हैं। इस क्षेत्र में 42.30 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 12 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्धक संग्रहण 30.70 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 73 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 55 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 53 प्रतिशत था। इस तरह पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में चालू वर्ष में संग्रहण बेहतर है और यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से भी बेहतर है।

 

दक्षिणी क्षेत्र

दक्षिणी क्षेत्र में आंध्र प्रदेश (एपी), तेलंगाना (टीजी), एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडु आते हैं। इस क्षेत्र में 51.59 बीसीएम की कुल संग्रहण क्षमता वाले 31 जलाशय हैं, जो सीडब्ल्यूसी की निगरानी में हैं। इन जलाशयों में कुल उपलब्धण संग्रहण 17.45 बीसीएम है, जो इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 34 प्रतिशत है। पिछले वर्ष की इसी अवधि में इन जलाशयों की संग्रहण स्थिति 31 प्रतिशत थी। पिछले दस वर्षों का औसत संग्रहण इसी अवधि में इन जलाशयों की कुल संग्रहण क्षमता का 56 प्रतिशत था। इस तरह चालू वर्ष में संग्रहण पिछले वर्ष की इसी अवधि में हुए संग्रहण से बेहतर है, लेकिन यह पिछले दस वर्षों की इसी अवधि के दौरान रहे औसत संग्रहण से कमतर है।

 पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में जिन राज्यों में जल संग्रहण बेहतर है उनमें पंजाब, राजस्थान, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश,  मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, एपी एवं टीजी (दोनों राज्यों में दो संयुक्त परियोजनाएं), तेलंगाना एवं कर्नाटक शामिल हैं। इसी अवधि के लिए पिछले साल की तुलना में कम भंडारण होने वाले राज्य हैं - हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु।

 ***

गुजरात, गांधीनगर रेलवे स्टेशन परिसर के पुनर्विकास के लिए 09 जनवरी, 2017 को "भूमि पूजन" के दौरान प्रधानमंत्री के भाषण का मूल पाठ 


प्यारे भाईयों और बहनों,

हमारे देश में रेलवे, देश के सामान्‍य जन से जुड़ी हुई व्‍यवस्‍था है। गरीब से गरीब परिवार को भी रेलवे एक सहारा रही है। लेकिन दुर्भाग्‍य से रेलवे को उसके नसीब पर छोड़ दिया गया है। और गत 30 वर्ष में खास करके जबकि दिल्‍ली में मिली-जुली सरकारें रहती थीं और उसमें एक प्रकार से जो साथी दल रहते थे, वे तब मंत्रिपरिषद में जुड़ते थे या सरकार को समर्थन देते थे अगर उनको रेल मंत्रालय मिले तो। यानी एक प्रकार से रेल मंत्रालय सरकारें बनाने के लिए रेवड़ी बांटने के लिए काम आता था। ये कड़वा सत्‍य है और उसका परिणाम ये आया कि जिस भी राजनीतिक दल के व्‍यक्ति के पास रेलवे गई उसे रेलवे की चिंता कम रही; बाकी क्‍या रहा होगा मुझे कहने की जरूरत नहीं है।

इस सरकार ने रेलवे को प्राथमिकता दी है, रेलवे का विस्‍तार हो; रेलवे का विकास हो; रेलवे आधुनिक बने और रेलवे जन-सामान्‍य की जिंदगी में एक qualitative change के साथ मददगार कैसे बने? और आपने पिछले ढाई साल में रेलवे के कार्यकलाप को देखा होगा तो आपको ये ध्‍यान में आता होगा पहले की तुलना में बजट double कर दिया गया ये छोटी बात नहीं है। और रेलवे का उपयोग गरीब से गरीब को भी होता है इसलिए इतना बड़ा बजट रेलवे के लिए खर्च करने का तय किया। पहले अगर दिन में doubling का काम सालभर कुछ किलोमीटर होता था तो आज doubling का काम पहले से दो गुना, तीन गुना हो रहा है।

पहले रेलवे में gaze conversion का काम Meter Gaze  से Broad Gaze  बनाना, Narrow Gaze से  Broad Gaze बनाना; ये काम आखिरी तबके में रहता था, उसको priority दी गई। पहले की तुलना में उसको अनेक गुना अधिक सफलता पाई। रेलवे डीजल इंजन से चले, कोयले से चले, environment के प्रश्‍न, डीजल से चले तो दुनिया भर से विदेश से डीजल import करना पड़े। Environment की भी रक्षा हो; विदेशी मुद्रा भी न जाए; डीजल से रेलवे को जल्‍दी से जल्‍दी Electrification की तरफ कैसे ले जाया जाए; बहुत बड़ी मात्रा में, तेज गति से आज रेल लाइनों का Electrification हो रहा है, रेल इंजन Electric इंजन बनाने का काम हो रहा है। आजाद हिन्‍दुस्‍तान में सबसे बड़ा Foreign Direct Investment रेलवे के क्षेत्र में आया है और दो बड़े Loco Engineering Manufacture के काम के लिए वो काम आने वाला है। भविष्‍य में वो पूरे रेलवे की गति बदलने वाले इंजन बनाने का काम होने वाला है।

इन सारी बातों के साथ-साथ सफाई से ले करके रेलवे में सुविधा उसको बल दिया गया, Bio-Toilet; वरना हम जानते हैं कि स्‍टेशन पर रेल की पटरियां गंदगी से भरी रहती हैं। बहुत तेजी से उस पर काम, बल दिया, बहुत बड़ा खर्चा है। लेकिन ये तत्‍काल न दिखे लेकिन लम्‍बे अर्से तक बड़ा लाभ करने वाला है।

स्‍वास्‍थ्‍य की दृष्टि से एक परिवर्तन का प्रयास, उस दिशा में बड़ा बल दिया है। रेल की गति कैसे बढ़े? वरना पहले से चल रहा है चलती थी, चलती थी; बैठे हैं उतर जा सकते हैं फिर दौड़ करके चढ़ जा सकते हैं; ये सब बदला जा सकता है। Special Mission Mode में काम चल रहा है कि Exiting जो व्‍यवस्‍थाएं हैं उसमें क्‍या सुधार करें ताकि रेल की गति बढ़ाई जाए। Technology में परिवर्तन ला रहे हैं, विश्‍व भर से Technology की दृष्टि से लोगों को जोड़ रहे हैं कि safety एक बहुत बड़ी चिन्‍ता का विषय है और चुनौती भी है।

विश्‍व में Technological परिवर्तन इतना हुआ है कि रेलवे को सुरक्षित बनाया जा सकता है। बहुत बड़ी मात्रा में बजट खर्च करके compartment हो तो उसको भी किस प्रकार से सुरक्षा दी जाए उसके लिए चिन्‍ता और व्‍यवस्‍थाएं आगे बढ़ रही हैं। Freight Corridor, रेल दुनिया में 70 प्रतिशत cargo, माल-सामान रेल से जाता है, 30 प्रतिशत रोड से जाता है। हमीं एक ऐसे देश हैं कि जहां 15-20% रेल से जाता है, 70-80% रोड से जाता है। और जब रोड से Cargo जाता है तो बहुत महंगा हो जाता है। अगर कोई सोचे कि गुजरात में पैदा होने वाला नमक जम्‍मू-कश्‍मीर तक जाएं और By Road जाएं तो वो इतना महंगा हो जाएगा कोई खरीद नहीं सकता। और इसलिए रेल के माध्‍यम से जितना ज्‍यादा Cargo Transport होगा, गरीब से गरीब व्‍यक्ति को सस्‍ता मिलेगा। और इसलिए Cargo को बढ़ाने की दिशा में काम चल रहा है।

मैंने रेलवे के लोगों को काम दिया था आते ही, मैंने कहा नमक जो रेलवे का Container होता है उसकी अपना weight 16 टन होता है और फिर उसमें मुश्किल से दो टन, तीन टन नमक आता है, मैंने कहा 16 टन का Container 6 टन का हो जाता है क्‍या? अगर वो 6 टन का हो जाए तो 12 टन नमक जाएगा और नमक जाएगा तो नमक जहां पहुंचेगा वहां मुफ्त में मिलना शुरू हो जाएगा और नमक पैदा करने वालों का नमक भी बहुत जल्‍दी पहुंच पाएगा। रेलवे ने design तैयार की है, नमक ले जाने के लिए कैसे Container हों ताकि weight कम हो। यानी एक-एक चीज को बारीकी से बदलाव करने की दिशा में रेलवे कार्यरत है।

और मुझे विश्‍वास है कि बहुत तेज गति से रेल बदल जाएगी। सामान्‍य मानवी को सुविधा तो बढ़ेगी, दूर-सुदूर इलाकों में रेलवे पहुंचेगी, भारत के बंदरों (बंदरगाहों) के साथ रेल जुड़ेगी, भारत की खदानों के साथ रेल जुड़ेगी, भारत के उपभोक्‍ता के साथ रेल जुड़ेगी लेकिन साथ-साथ आर्थिक दृष्टि से भी। रेलवे स्‍टेशन जो भी हैं, Heart of the City में हैं। वो जमीन इतनी valuable है लेकिन आसमान खाली पड़ा है। तो बड़ी समझदारी का विषय है कि भले ही नीचे रेल जाए अरे ऊपर एक दस मंजिला, 25 मंजिला चीजें बना दो, वहां पर Mall हो, Theater हो, Hotel हो, बाजार हो, रेल के ऊपर चलता रहेगा; नीचे रेल चलती जाएगी। जगह का double उपयोग होगा, रेल को Income बढ़ेगी, Investment करने वाले Investment करने आएंगे। गुजरात में हम लोगों ने सफल प्रयोग किया, Bus station का Public private partnership Model के आधार पर development किया। आज गरीब से गरीब बस अड्डे पर जाता है, उसको वही सुविधा मिलती है जो अमीर लोग Airport पर जाते हैं, वो गुजरात ने करके दिखाया है।

आने वाले दिनों में हिन्‍दुस्‍तान में हजारों रेलवे स्‍टेशन हैं, जिसका इस प्रकार का Development हो सकता है। आप सबको याद होगा जिस दिन ये महात्‍मा मन्दिर का शिलान्‍यास किया था, Golden Jubilee Year था गुजरात का, 2010 में; और पहली मई के दिन इसी जगह पर बोलते हुए मैंने कहा था कि महात्‍मा मन्दिर आज जो नींव डाली गई है और मैं साफ देख रहा हूं एक दिन ऐसा आएगा जब इसी महात्‍मा मन्दिर में विश्‍व के दिग्‍गज लोग बैठ करके विश्‍व शांति की चर्चा करते होंगे।

महात्‍मा गांधी के नाम से जुड़ा हुआ महात्‍मा मंदिर, लेकिन उस महात्‍मा मंदिर को तो हमने बना दिया इतना तेजी से बना दिया, अब उन व्‍यवस्‍थाओं की जरूरत है कि इस प्रकार के दुनिया के दिग्‍गज आ करके ठहरें, ये रेलवे स्‍टेशन पर जो होटल बन रहा है इसमें आने वाले लोग स्‍वाभाविक रूप से महात्‍मा मंदिर के Convention Centre का उपयोग करेंगे; रुकेंगे यहां meeting करेंगे वहां और Helipad Ground पर प्रदर्शनी होगी। यानी एक प्रकार से पूरा Corridor, रेलवे हो, महात्‍मा मंदिर हो, Helipad का इलाका हो, ये पूरा का पूरा एक पूरे हिन्‍दुस्‍तान की business activity का एक magnetic centre की संभावना मैं देख रहा हूं। और इसलिए रेलवे स्‍टेशन पर बन रहा Infrastructure रेलवे तो जा ही रही थी, जमीन पड़ी थी लेकिन उसका इसके साथ जोड़ करके उपयोग करना और जिसके कारण महात्‍मा मंदिर पर 365 दिन में 300 दिन तक busy रहे, ऐसी उसके साथ सीधी-सीधी संभावना बनी है। विश्‍व स्‍तर के कोई कार्यक्रम बनने हैं उसके लिए भी संभावना इसके साथ पैदा हो रही है और रेलवे के विकास का भी ये आधार बनती है।

ये हिन्‍दुस्‍तान का पहला प्रकल्‍प आज गांधीनगर शुरू हो रहा है। आने वाले दिनों में हिन्‍दुस्‍तान के और स्‍थान पर भी आगे बढ़ेगा। हमारे सुरेश प्रभु जी ने रेलवे स्‍टेशनों पर Wi-Fi की सुविधा दी है। Digital India का जो सपना है उसका पूरा करने की दिशा में काम हो रहा है। कुछ लोगों को ये हिन्‍दुस्‍तान के गरीब लोग हैं उनको क्‍या समझ और आपको हैरानी होगी भारत की रेलवे में 60-70 प्रतिशत लोग Online Ticket Purchase करते हैं, Sixty-Seventy Percent हुआ? Online Ticket Purchase करते हैं, ये हिन्‍दुस्‍तान की ताकत है।

सामान्‍य मानवी जो रेल जाता है वो भी आज Online Railway की Ticket booking करा रहा है और ले रहा है। Wi-Fi के कारण अनुभव है कि आज हिन्‍दुस्तान में और विश्‍व के सब लोगों का analyze है, Google के लोग आए तो वो चर्चा कर रहे थे, भारत के रेलवे स्‍टेशन पर Wi-Fi की जो capacity है वो शायद दुनिया में सबसे ज्‍यादा है, स्‍टेशन के इलाके में। और उसका परिणाम ये हुआ है कि बहुत सारे Students जो Online पढ़ाई करना पसंद करते हैं, चीजें download कर-करके education के लिए उपयोग करते हैं, वो कोशिश करते हैं कि रेलवे स्‍टेशन पर पहुंचा जाए और अपने Computer, Laptop पर बैठ करके वो मुफ्त का काम हो जाता है और उसको दुनिया की जो चीज चाहिए, उपलब्‍ध हो जाती है। यानी एक व्‍यवस्‍था कैसे बदलाव ला सकती है इसका उदाहरण ढाई साल के अंदर हिन्‍दुस्‍तान की रेलवे ने करके दिखाया है।

उसी के तहत आज गुजरात में पूरे देश के लिए उपयोगी ऐसा एक प्रकल्‍प का प्रारम्‍भ हो रहा है जो आने वाले दिनों में हिन्‍दुस्‍तान के और शहरों में भी होगा और रेलवे को नई ऊंचाइयों पर ले जाना, रेलवे को सामान्‍य मानवी की सुविधा का एक माध्‍यम बनाना और रेलवे है जो देश को गति भी देती है, रेलवे है जो देश को प्र‍गति भी देती है। मुझे मैं गुजरात के लोगों को, गांधीनगर के लोगों को और आज Vibrant Summit की पूर्व संध्‍या पर ये नजराना देते हुए बहुत गर्व और संतोष का भाव अनुभव करता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

 

*****

राष्‍ट्रपति ने प्रवासी भारतीयों से कहा कि वे हमेशा भारतीय विकास गाथा के अग्रणी दूत रहेंगे 


राष्‍ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज (9 जनवरी, 2017) बंगलूरू में 14वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्‍मेलन में विदाईभाषण दिया और प्रवासी भारतीय सम्‍मान पुरस्‍कार प्रदान किए।

             इस अवसर पर राष्‍ट्रपति ने आशा व्‍यक्‍त की कि विश्‍वभर में फैले प्रवासी भारतीय हमेशा भारत कीविकास गाथा के अग्रणी दूत रहेंगे। उन्‍होंने कहा कि इन बेहतरीन पश्चिमी प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी केसाथ ही इन लोगों की सभ्‍यता की जड़ें भारत के शाश्‍वत और अनंत लोकाचार से जुड़ी हुई हैइसलिए वे दो गुनाधन्‍य है। उनके द्वारा पश्चिमी और पूर्वी सभ्‍यता के साथ तालमेल से उन्‍हें असाधाराण स्‍थान और अवसरउपलब्‍ध होते हैं। इसमें उनकी मातृभूमि और उनके द्वारा अपनाये गए देशों का साझा ज्ञान महत्‍वपूर्ण है। वेअपने मेजबान देशों में भारत की छवि प्रदर्शित करने के साथ ही उनके द्वारा अपनाई गई भूमि की सांस्‍कृतिकविरासत भी भारत लाते है। ‘’वसुधैव कुटुम्‍बकम’’ के बारे में हमारे विश्‍वास का इससे बढि़या उदाहरण नहीं होसकता है।

             राष्‍ट्रपति ने कहा कि जैसा कि हम राष्‍ट्रों के समुदाय में अपना योग्‍य स्‍थान प्राप्‍त करने के लिएलगातार प्रयास कर रहे हैवैसे ही हमें उत्‍कृष्‍टता और कुशाग्रता के दायरे में हमारी प्राचीन मजबूती को बरकराररखने पर ध्‍यान केंद्रित करना चाहिए। रोजगार की तलाश में अस्‍थायी रूप से विदेश जाने वाले प्रवासियों काकौशल बढ़ाने की आवश्‍यकता पर ध्‍यान दिया जाना चाहिए। भारत सरकार के कौशल कार्यक्रमों के जरिए प्रवासीकामगारों में कौशल की कमी को दूर करने से उनके लिए रोजगार के अवसर बढ़ने के साथ ही उनकी आय भीबढ़ेगी।

             राष्‍ट्रपति ने अप्रवासी भारतीयों (एनआरआई) के साथ भारतीय महिलाओं और लड़कियों के विवाह परभी चिंता व्‍यक्‍त की। उन्‍होंने कहा कि यहां तक कि सरकार और उसकी एजेंसियां इस समस्‍या से निपट रही है।लेकिन इस विशेष वर्ग की समस्‍याओं का सबसे प्रभावी निराकरण स्‍थानीय सामुदायिक संगठन कर सकते है।उन्‍होंने विदेशों के भारतीय सामुदायिक संगठनों से आग्रह किया कि वे इसके लिए  सरकार के प्रयासों में अपनासहयोग देते रहें।

             इस अवसर पर राष्‍ट्रपति ने विदेश नीति पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के चयनित भाषणों के संकलनका भी अनावरण किया।   

 ***