14 April Article (UPSC)

विप्रो, डाओ जोन्स विश्व स्थिरता सूचकांक सदस्य के रूप में चयनित

सूचना प्रद्योगिकी क्षेत्र की अग्रणी कम्पनी विप्रो ने 28 सितम्बर 2015 को डाओ जोन्स विश्व स्थिरता सूचकांक(Dow Jones Sustainability Indices)का सदस्य बनने की घोषणा की. विप्रो लगातार छठी बार डाओ जोन्स विश्व स्थिरता सूचकांक का सदस्य बनी है. 
इस सूचकांक में विप्रो को डीजेएसआई वर्ल्ड एण्ड इमर्जिंग मार्केट श्रेणी के अंतर्गत स्थान मिला है.
विश्व की कुल 1845 कम्पनियों में से मात्र 317 कम्पनियों को डीजेएसआई वर्ल्ड सूची में स्थान प्राप्त किया है. विश्व स्तर पर आईटी क्षेत्र की कुल 76 कम्पनियों ने भाग लिया था जिसमे से 8 कम्पनियों को वर्ल्ड सूची में स्थान दिया गया है.

डीजेएसआईकेबारेमें
• डाओ जोन्स स्थिरता विश्व सूचकांक वर्ष 1999 में स्थापित किया गया था. यह एक ऐसा सूचकांक है जो डाओ जोन्स ग्लोबल टोटल मार्केट इंडेक्स में सूचीबद्ध 2500 कंपनियों का उनके प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन करता है.
• अब यह विश्वस्तर पर कम्पनियों की स्थिरता का मानक बन गया है, जिससे यह निवेशकों के लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है.
• यह सूचकांक आर्थिक, पर्यावरण और सामाजिक मानदंडों के आधार पर विश्व की अग्रणी कंपनियों के शेयरों के प्रदर्शन को ट्रैक करता है. 
• यह सूचकांक सूचकांकों रोबेको एसएएम और एसएंडपी डाउ जोंस सूचकांक द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया जाता है.

संविधान के अनुछेद 370 को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय सुनवाई करेगी

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 28 सितंबर 2015 को संविधान के अनुच्छेद 370 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को सुनने के लिए स्वीकृति प्रदान की है. विदित हो संविधान का अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता है.
यह जनहित याचिका 22 वर्षीय महिला कुमारी विजयलक्ष्मी झा द्वारा दायर की गई थी. यह याचिका मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी व न्यायमूर्ति जयंत नाथ की खंडपीठ द्वारा स्वीकृत कर ली गई है. 
इस याचिका की सुनवाई 19 अक्टूबर 2015 को दिल्ली उच्च न्यायालय में की जाएगी .

कुमारी विजयलक्ष्मी झा के वकील का कहना है की जम्मू कश्मीर को अलग राज्य का दर्जा देने के लिए अनुच्छेद 370 का अस्थाई रूप से प्रावधान किया गया था. इसका उद्देश्य जम्मू कश्मीर में विधान सभा के निर्माण तक था. वर्ष 1957 में जम्मू कश्मीर में विधान सभा का निर्माण हो गया और इस तरह से अनुच्छेद 370 के तहत किया गया प्रावधान स्वयं ही खत्म हो जाता है. 
याचिकाकर्ता के अनुसार जम्मू-कश्मीर के संविधान को भारत की संसद या राष्ट्रपति की स्वीकृति या अनुमोदन अब तक प्राप्त नहीं हुआ है. 
वर्ष 2015 के जुलाई माह में संविधान के अनुच्छेद 370 पर जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का यह निर्णय आया था की इसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता. इसके अतिरिक्त वर्ष 2014 के जुलाई माह में सर्वोच्च न्यायालय ने इस अनुच्छेद कोप चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कार दिया था और सम्बंधित याचिका को जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय में लाने का निर्देश दिया था.

मेघालय के राज्यपाल वी शणमुगननाथन को मणिपुर का अतिरिक्त पदभार दिया गया

मेघालय के राज्यपाल वी शणमुगननाथन को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा 28 सितंबर 2015 को मणिपुर के राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया. उन्हें मणिपुर के राज्यपाल डॉ सैयद अहमद खान के आकस्मिक निधन के कारण अतिरिक्त पदभार सौंपा गया.
वे राज्यपाल पद की नियमित व्यवस्था हो जाने तक मणिपुर के राज्यपाल पद पर बने रहेंगे.


64 वर्षीय शणमुगननाथन ने 20 मई 2015 को मेघालय के राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण की थी. वे वर्ष 2003 में भाजपा से जुड़े थे.
महाराष्ट्र के पूर्व कांग्रेस नेता डॉ अहमद ने 16 मई 2015 को मणिपुर के राज्यपाल के रूप में शपथ ग्रहण की थी. यूपीए सरकार के दौर में उनका उत्तर-पूर्वी राज्य झारखण्ड से मणिपुर में तबादला किया गया था, जहां वे अगस्त 2011 से राज्यपाल के रूप में कार्यरत रहे.  
अनुच्छेद 153 के अनुसार, प्रत्येक राज्य के लिए एक राज्यपाल का प्रावधान दिया गया है जबकि सातवें संविधान संशोधन एक्ट-1956 के अनुसार एक राज्यपाल को दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है.

एसके शर्मा भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के अध्यक्ष नियुक्त

एसके शर्मा को भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) का अध्यक्ष 25 सितंबर 2015 को नियुक्त किया गया. शर्मा पांच साल तक अध्यक्ष रहे एबी अग्रवाल का स्थान लेंगे.

पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ से सिविल इंजीनियरिंग में स्नातक, शर्मा उप प्रभागीय अधिकारी के रूप में वर्ष 1980 में हरियाणा सिंचाई और जल संसाधन विभाग में शामिल हुए थे.

हरियाणा सिंचाई और जल संसाधन विभाग में काम करने के दौरान एसके शर्मा ने जलीय संरचनाओं, पंप हाउस, नहर और जल निकासी नेटवर्क, नाबार्ड आदि से संबंधित विभिन्न नहर परियोजनाओं का संचालन किया. वह यमुना नदी पर प्रशिक्षण कार्य भी संभाल चुके है.

ब्यास सतलुज लिंक (बीएसएल) परियोजना के मुख्य अभियंता के रूप में काम के दौरान उन्होंने सफलतापूर्वक संचालित बीएसएल जल कंडक्टर प्रणाली के रखरखाव के अलावा ड्रेजर और अन्य संबद्ध कार्यों के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

अभिनव बिंद्रा ने 8वें एशियन एयरगन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता

भारत के निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने नई दिल्ली में आयोजित 8वें एशियन एयरगन चैंपियनशिप में पुरुषों के 10मी एयर राइफल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीत लिया.

भारत के लिए स्वर्ण ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता बिंद्रा ने 208.3 अंक के साथ स्वर्ण जीता. कजाखस्तान के युरिय युर्कोव (206.6)  ने रजत और दक्षिण कोरिया के जैचुल यु (185.3) ने कांस्य पदक जीता.

इसके अलावा ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता गगन नारंग ने 164.5 अंक और चैन सिंह ने 122.5 अंक हासिल किये. इसके बदौलत भारतीय शूटर्स ने इस प्रतियोगिता में टीम का स्वर्ण पदक हासिल किया. दक्षिण कोरिया ने रजत और सऊदी अरब ने कांस्य पदक जीता.

दूसरी ओर, 15 वर्षीय सत्यजीत खंडोल ने 10मी यूथ प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता. सत्यजीत खंडोल के लिए ये पहला विश्व स्तरीय टूर्नामेंट था.

बिंद्रा, नारंग और सिंह वर्ष 2016 के रिओ ओलंपिक्स के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं. गौरतलब है कि भारत में 2010 राष्ट्रमंडल खेलों के बाद पहली बार निशानेबाजी की कोई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता आयोजित की गई.

भारत ने एशियाई रोइंग चैम्पियनशिप में सात पदक जीते

भारत ने 28 सितम्बर 2015 को चीन के बीजिंग में आयोजित 16वें एशियाई रोइंग चैम्पियनशिप प्रतियोगिता में कुल सात पदक जीते. इन पदकों में पाँच रजत और दो कांस्य पदक शामिल है.
इस प्रतियोगिता में भारत की ओर से पुरुषों की फोर्स टीम में कपिल शर्मा, जसविंदर सिंह, राजेश वर्मा और मोहम्मद अजाद शामिल थे. इस टीम ने छह मिनट 3.25 सेकेंड समय के साथ रजत जीता. इसके अतिरिक्त दत्तू बब्बन भोकानाल ने पुरुषों की स्कल्स स्पर्धा में सात मिनट 18 सेकेंड समय के साथ रजत जीता, पुरुष एट्स टीम में शामिल देवेंद्र सिंह, नवीन कुमार भौरिया, सच्चा सिह तोमर, गुरदिर सिंह, कपिल शर्मा, जसविंदर सिंह, राजेश वर्मा और मोहम्मद आजाद ने भी रजत जीता.

इसके अलावा विक्रम सिंह और शोकेंद्र तोमर (पुरुषों की लाइट वेट डबल्स स्कल्स) तथा रूपेंद्र सिंह और सोनी लक्ष्मी नरेन (पुरुष डबल स्कल्स) ने भी रजत जीता. 
देवेंद्र सिंह और नवीन कुमार ने पुरुषों की पेयर्स स्पर्धा में कांस्य जीता जबकि दुष्यंत ने पुरुषों की लाइटवेट सिंगल स्कल्स में तीसरा स्थान हासिल किया.

असम की कोहोली नदी में 200 लोगों को ले जा रही नाव पलटी

River Koholi: Situated in Kamrup district of Assam
कोहोलीनदी – असम के कामरूप जिले में स्थित
28 सितंबर 2015 को असम के कामरूप जिले में कोहोली नदी में एक यांत्रिक नाव पलट गयी जिसमें लगभग 200 लोग सवार थे. नाव के इंजन ने बीच रास्ते में काम करना बंद कर दिया जिससे यह नदी पर बने पुल के एक खंबे से जा टकराई.

यह नाव चयगांव से चम्पुपारा नौका रेस में भाग लेने जा रही थी. अब तक 30 लोग लापता हैं जबकि किसी के हताहत होने की रिपोर्ट दर्ज नहीं की गयी.
स्थानीय लोगों, एनडीआरएफ तथा एसडीआरएफ के जवानों ने दुर्घटनास्थल पर जाकर बचाव कार्य आरंभ किया

इंडो-ब्रिटिश वैन चालक को सम्मानित करेंगे प्रिंस चार्ल्स

भारतीय-ब्रिटिश वैन ड्राइवर डी पटेल को प्रिंस चा‌र्ल्स 'प्राइड ऑफ ब्रिटेन अवार्ड' से सम्मानित करेंगे. उन्होंने अपनी जान को जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचाई थी. इस घटना से हीरो बने 49 वर्षीय डी पटेल को उत्कृष्ट बहादुरी श्रेणी में यह पुरस्कार ग्रोसवेनर हाउस में आयोजित एक भव्य समारोह में प्रदान किया जाएगा.

यह घटना 18 मई 2015 की है जब पटेल सामान से भरे वैन को रोज की तरह नौकरी पर ले कर जा रहे थे. तभी उन्होंने एम 25 हाईवे पर अनियंत्रित कार को देखा जैसे ही पटेल को यह अहसास हुआ की कर की चालक अचेत अवस्था में पड़ी है तो वह हादसे को टालने के लिए तुरंत बचाव में आ गए और अपनी जान पर खेल कर कार चालक को बचाया इस घटना के दौरान चालक को कोई चोट नहीं आई.
यह पुरस्कार वर्ष 1999 में स्थापित किया गया था. यह पुरस्कार देश के गुमनाम हीरो को दिया जाता है. इस पुरस्कार के विजेता का निर्धारण पैनल के माध्यम से किया जाता है.

रेल मंत्रालय ने भारतीय रेलवे नॉलेज पोर्टल आरंभ किया

भारतीय रेल मंत्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने 28 सितंबर 2015 को भारतीय रेलवे के बारे में विस्तृत जानकारी के प्रसार हेतु भारतीय रेलवे नॉलेज पोर्टल का शुभारम्भ किया.
यह भारतीय रेलवे राष्ट्रीय अकादमी (एनएआईआर) द्वारा आरंभ की गयी पहल है जिसमें वेबसाइटों, दस्तावेजों और अन्य उपलब्ध लिंक्स की सहायता से भारतीय रेल के बारे में एक ही स्थान पर बहुत सी जानकारी प्राप्त की जा सकती है.
पोर्टल वडोदरा में रेल मंत्रालय, रेल भवन और एनएआईआर मुख्यालय के बीच स्थापित वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से शुरू किया गया.


इस पोर्टल के माध्यम से उपयोगकर्ता भारतीय रेलवे, रेलवे अनुसंधान और विकास, रेलवे में आईसीटी का उपयोग, अंतरराष्ट्रीय रेलवे पत्रिकाएं, मौजूदा भारतीय एवं विश्व रेलवे लाइब्रेरी आदि की जानकारी एक ही स्थान पर प्राप्त की जा सकती है.
भारतीय रेलवे नॉलेज पोर्टल रेलवे के विभिन्न पुस्तकालयों के लिए ई-एक्सेस प्रदान करता है. राष्ट्रीय सूचना केंद्र ने सभी पुस्तकालयों को ई-ग्रंथालय के नाम से एक ही स्थान पर ला दिया है. इनके अतिरिक्त, फैन क्लब, रेलवे विरासत एवं विश्व भर में मौजूद संग्रहालयों की जानकारी इस पोर्टल द्वारा प्राप्त की जा सकती है.

नेयवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया

नेयवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएलसी) ने 28 सितंबर 2015 को नेवेली में अपने पहले 10 मेगावाट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना की. यह नेयवेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन की पहली अक्षय ऊर्जा परियोजना है.

54 एकड़ में फैला हुआ यह संयंत्र 74.60 करोड़ रुपये की लागत से भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) द्वारा स्थापित किया गया.

इस संयंत्र में 48000 सोलर फोटो वोल्टिक मॉड्यूल हैं. प्रत्येक मॉड्यूल की 240 मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता है. संपूर्ण बिजली का उपयोग तमिलनाडु उत्पादन और वितरण कंपनी (TANGEDCO) द्वारा किया जाएगा. ट्रायल रन के दौरान यह संयंत्र 8.65 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन करेगा.

चीन की टैक्सी ऐप कंपनी ‘दीदी कुआइदी’ ने ‘ओला’ में निवेश किया

चीन की टैक्सी ऐप कंपनी ‘दीदी कुआइदी’ ने भारत की प्रमुख एप आधारित टैक्सी कंपनी ‘ओला’ में सितंबर 2015 में निवेश किया. कुआइदी ने ओला में कितना निवेश किया है, इसका खुलासा कंपनी की तरफ से नहीं किया गया.

विदित हो कि ओला भारत में अपनी प्रतिद्वंदी कंपनी उबर की ओर से मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करने के लिए विस्तार की संभावना तलाश रही है. ओला 50 करोड़ डॉलर (करीब 3,320 करोड़ रुपए) से अधिक रकम जुटाने के लिए निवेशकों से बातचीत कर रही है. चीन की टैक्सी ऐप कंपनी दीदी कुआइदी द्वारा किया गया निवेश इसी का हिस्सा है. फरवरी 2015 में दीदी दाचे और कुआइदी दाचे ने दुनिया की सबसे बड़ी स्मार्टफोन आधारित ट्रांसपोर्ट सर्विस फर्म दीदी कुआइदी की स्थापना के लिए विलय की घोषणा की थी.

विश्व हृदय दिवस 2015 दुनिया भर में मनाया गया

29 सितंबरविश्वहृदयदिवस

विश्व हृदय दिवस क्रिएटिंग हर्ट-हेल्थी एनवायरमेंट (creating heart-healthy environments.) विषय के साथ दुनिया भर में 29 सितंबर 2015 को मनाया गया.
इस दिवस का उद्देश्य लोगों को हृदय की बीमारीयों और  हृदय रोग (सीवीडी) के खतरों के प्रति सूचित करना है.

भारतमेंविश्वहृदयदिवस
विश्व हृदय दिवस के अवसर पर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और एनजीओ कार्यकर्ताओं ने कार्डियोवैस्क्युलर डिसीज (सीवीडी) के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से देश भर में कई जागरूकता अभियानों का आयोजन किया.

भारत के कार्डियोलोजी सोसायटी (सीएसआई) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2014 में देश में 30 प्रतिशत मौतों के लिए हृदय रोग से संबधित बीमारीयां (सीवीडी) जिम्मेदार थी. इसके अलावा, एक तिहाई से अधिक भारतीय वयस्क उच्च रक्तचाप से ग्रस्त हैं.


विश्वहृदयदिवस

विश्व हृदय दिवस ‘द वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन’ द्वारा वर्ष 2000 में आरंभ किया गया था. विश्व हृदय दिवस की स्थापना दुनिया के लोगों को हृदय की बीमारियों औऱ आघात एवं विश्व में मौत की प्रमुख कारणों के प्रति सूचित करने के लिए की गई. उस समय पूरे विश्व में हृदय रोग से होने वाली मृत्यु की संख्या 17.3 मिलियन प्रतिवर्ष थी. संस्था के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2030 तक यह आकड़ा 23 मिलियन प्रतिवर्ष पहुंच जाएगा, जो कि ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या से भी अधिक है. ‘द वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन’ का मुख्यालय स्वीट्जरलैंड के जेनेवा में स्थित है.

विश्व हृदय दिवस का उद्देश्य जनसाधारण में हृदय से संबंधित होने वाले रोगों, उनके परिणाम व उनके रोकथाम के लिए जागरूक बनाना है. विश्व में हृदय रोग से होने वाली मृत्यु की दर सबसे अधिक है. हृदय़ दिवस उस अंतरराष्ट्रीय अभियान का हिस्सा हो जो हृदय की बीमारी और स्ट्रोक की रोकथाम के बारे में जागरूकता फैलाना का काम करती है

भारत ने एशियन डेवलपमेंट बैंक के साथ 123.51 मिलियन अमेरिकी डॉलर का समझौता किया

भारत ने 28 सितंबर 2015 को एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) के साथ 123.51 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये. इस ऋण समझौते का उद्देश्य पंजाब, उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश में आधारभूत ढांचे का विकास करना है.
इस समझौते पर एडीबी के भारत में कंट्री डायरेक्टर एम टेरेसा खो, तथा वित्त मंत्रालय के आर्थिक विभाग (बहुपक्षीय संस्था) में संयुक्त सचिव राज कुमार ने हस्ताक्षर किये.
यह ऋण इन राज्यों में मौजूद पर्यटक स्थलों के संरक्षण में उपयोग किया जायेगा. इसे हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब की बुनियादी पर्यटन सुविधाओं में सुधार करने के लिए तथा क्षेत्र की एजेंसियों व स्थानीय समुदायों की क्षमता में सुधार करने के लिए उपयोग किया जायेगा.


इसके अतिरिक्त इसका उपयोग सदियों पुराने ढांचों एवं विरासत संरचनाओं के संरक्षण का समर्थन करने में भी उपयोग किया जायेगा तथा तीनों राज्यों में शिल्प एवं कला केन्द्रों का भी विकास किया जायेगा. इको-पार्क और पारिस्थितिकी पर्यटन को भी अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए विकसित किया जाएगा.
इसके अतिरिक्त, स्थानीय समुदायों के आय स्रोत बढ़ाने के लिए 4,000 समुदाय सदस्यों को पर्यटन संबंधित प्रशिक्षण दिया जायेगा. इसमें गाइड, शिल्प कला तथा अन्य मनोरंजन गतिविधियां शामिल होंगी. संरक्षण संबंधित कार्यों में लगभग 30 सामुदायिक सोसाइटी शामिल होंगी.
यह 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर समझौता है जिसे एडीबी द्वारा वर्ष 2010 में ‘पर्यटन हेतु बुनियादी ढांचा विकास निवेश कार्यक्रम’ के नाम से अनुमोदित किया गया था.

एम.आर. पुवम्मा और बबीता कुमारी ने अर्जुन पुरस्कार प्राप्त किया

भारतीय एथलेटिक्स खिलाड़ी एम.आर. पुवम्मा और कुश्ती खिलाड़ी बबीता कुमारी ने 29 सितंबर 2015 को वर्ष 2015 हेतु अर्जुन पुरस्कार प्राप्त किया.

युवा मामले और खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सर्बानंद सोनोवाल ने दोनों को पुरस्कार प्रदान किए. दोनों पुरस्कार विजेताओं को प्रतिमा, प्रमाण पत्र और पांच-पांच लाख रुपये पुरस्कार राशि प्रदान की गई.

अर्जुन पुरस्कार भारत में खिलाड़ियों को दिये जाने वाला एक महत्वपूर्ण पुरस्कार है जो भारत सरकार द्वारा खेल के क्षेत्र मे उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये दिया जाता है. इस पुरस्कार का प्रारम्भ वर्ष 1961 में हुआ था. पुरस्कार स्वरूप पाँच लाख रुपये की राशि, अर्जुन की कांस्य प्रतिमा और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है.

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने हरित राजमार्ग नीति 2015 जारी की

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा शिपिंग मंत्री नीतिन गडकरी ने 29 सितंबर 2015 को नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में हरित राजमार्ग (वृक्षारोपण, पौधारोपण, सौदर्यकरण और प्रबंधन) नीति 2015 जारी की.

राष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर के 1000 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और देश में हरित राजमार्ग के विकास से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार रखे. इस सम्मेलन में हरित पट्टी की डिजाइन, रणनीतिक रूख, राष्ट्रीरय राजमार्ग के दोनों ओर सफल वृक्षारोपण के लिए कदम और पौधारोपण के जरिये वृक्षों को बचाना जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई.

हरित राजमार्ग नीति का उद्देश्य समुदाय, किसानों, निजी क्षेत्र, गैर-सरकारी संगठन और सरकारी संस्थानों की भागीदारी से राजमार्ग गलियारे की हरियाली को बढ़ाना है. 
इस नीति के लागू होने से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और उद्यमिता विकास के रूप में समुदाय को लाभ पहुंचेगा. इससे पर्यावरण को भी फायदा होगा. इसका देश के आर्थिक विकास में भी योगदान होगा.
मुख्यआकर्षण

  • हरित राजमार्ग नीति के अनुसार राजमार्ग परियोजना की कुल लागत का 1 प्रतिशत राजमार्गों के सौदर्यकरण के लिए रखा जाएगा.
  • इन राजमार्गों का विकास समुदाय, किसान, एनजीओ, निजी क्षेत्र, सरकारी एजेंसियों और वन विभाग की भागीदारी से किया जाएगा.
  • हरित राजमार्ग नीति के अनुसार, सरकार की एक वर्ष में एक लाख करोड़ रुपये की सड़क परियोजनाओं पर काम करने की योजना है और इसका 1 प्रतिशत (करीब 1000 करोड़ रुपये) राष्ट्रीय राजमार्गों के साथ-साथ पौधारोपण पर खर्च किए जाने का प्रस्ताव है.
  • इस योजना के कार्यान्वित होने से रोजगार के अवसर और उद्यमिता विकास करने में मदद मिलेगी.
  • इस परियोजना का उद्देश्य वायु प्रदूषण के प्रभाव को कम करना है.


भारतमेंसड़कोंकीस्थिति
भारत में कुल करीब 48.65 लाख किलोमीटर सड़कें हैं, जिनमें से 92851 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग हैं. कुल सड़कों में राजमार्गो की हिस्सेदारी करीब 1.9 प्रतिशत है.

मंगल ग्रह पर पानी के ठोस सबूत मौजूद: नासा

नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) ने मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी की घोषणा की. नासा के मार्स रिकानाससेंस ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट को मंगल ग्रह पर तरल अवस्था में सॉल्ट पेरोक्लोट होने के सबूत मिले हैं. इस शोध की जानकारी नेचर जिओसाइंस पत्रिका में 28 सितंबर 2015 को प्रकाशित हुई.  
सैटेलाइट से मिले आंकड़ों से पता चला कि चोटियों पर दिखने वाली गहरे रंग की लकीरें पानी और नमक के कारण बनी हैं. नासा के अनुसार सॉल्ट पेरोक्लोरेट मंगल पर तरल अवस्था में मौजूद है जिसके कारण मंगल ग्रह की सतह और ढलानों पर लकीरें बनी हुई हैं. सॉल्ट पेरोक्लोरेट नाम का यह नमक -70 डिग्री सेल्सियस तापमान में भी पानी को जमने से बचाता है.


मंगलपरगरनीक्रेटर
मंगल ग्रह पर मौजूद गहरी लकीरें मौजूद हैं जिन्हें रेकरिंग स्लोप लाइंस कहा जाता है. यह सैंकड़ों मीटर लम्बी लकीरें हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह लकीरें तरल पदार्थ के बहने से बनी हैं.
इसका अर्थ है कि इनके बनने में यहां पानी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. स्पेक्ट्रोमीटर के अनुसार हाइड्रेटेड लवण की मौजूदगी के कारण बनी लकीरों को बहुत से आरएसएल स्थानों पर देखा गया है. एमआरओ की हाई रेसोल्यूशन इमेजिंग साइंस एक्सपेरिमेंट के अनुसार मंगल ग्रह पर इस तरह की विभिन्न आरएसएल लोकेशन्स का पता चला है.
पेरोक्लोरेट में मैग्नीशियम परक्लोरेट, मैग्नीशियम एवं सोडियम परक्लोरेट का मिश्रण मौजूद है. परक्लोरेट की पहले भी मंगल पर मौजूदगी दर्ज की जा चुकी है.
निष्कर्ष
मंगल ग्रह पर तरल पानी की मौजूदगी बताती है कि यह ग्रह अभी भी भौगोलिक रूप से सक्रिय है. यह इस धारणा को भी बल प्रदान करती है कि रेकरिंग स्लोप पर लाइनों की मौजूदगी पानी का संकेत हैं.
मंगलग्रह
मंगल ग्रह हमारे सौर मंडल का चौथा ग्रह है अर्थात सूर्य की परिक्रमा चौथे नंबर पर करता है. इसका नाम रोम के युद्ध देवता के नाम पर रखा गया है. मंगल की सतह पर मौजूद पर्वतों में लौह की मात्रा अधिक होने एवं धूल भरे वातावरण के कारण यह लाल दिखाई देता है. मंगल ग्रह पर पृथ्वी की तुलना में एक-तिहाई गुरुत्वा बल है. सितंबर 2014 तक विश्व भर से 40 से अधिक मिशन मंगल ग्रह के लिए शुरू किए गए थे.

मनु अत्री-सुमित की जोड़ी फोर्जा प्राग ओपन बैडमिंटन टूर्नामेंट में उपविजेता रही

भारत के मनु अत्री और बी सुमित रेड्डी की जोड़ी फोर्जा प्राग ओपन बैडमिंटन टूर्नामेंट में उपविजेता रही.

पोलैंड के एडम क्वालिना और पी. वाचा ने शीर्ष वरीयता प्राप्त भारत के मनु अत्री और बी सुमित रेड्डी की जोड़ी को 19-21, 22-20, 21-14 से हराकर फोर्जा प्राग ओपन बैडमिंटन टूर्नामेंट का पुरुष युगल खिताब 28 सितम्बर 2015 को जीता.

भारतीय जोड़ी को पहले दौर में बाय मिला था. दूसरे दौर में उन्होंने स्वीडन के रिचर्ड एडेलस्टेड-एंडी होर्टोनो को हराया. इसके बाद फ्रांस के बेस्टियन केरसौही और गेटन मिठेसर को पराजित करने के बाद उन्होंने सेमीफाइनल में पोलैंड के मिलोज बोचाट और लुकास मोरेन की जोड़ी को हराकर फाइनल में जगह बनाई थी.

मनु और सुमित की जोड़ी यूएस ओपन में भी उपविजेता रही थी. उन्होंने लागोस ओपन खिताब जीतकर दुनिया की टॉप 20 जोड़ियों में जगह बनाई थी. दुनिया की 19वें क्रम की इस जोड़ी ने बेल्जियम इंटरनेशनल खिताब जीता था.

रिलायंस द्वारा रक्षा उपकरणों के विनिर्माण के लिए ईडीआईसी के साथ सामरिक समझौते पर हस्ताक्षर

रिलायंस डिफेंस लिमिटेड (आरडीएल) ने 28 सितंबर 2015 को संयुक्त अरब अमीरात की डिफेंस इंडस्ट्रीज कंपनी (ईडीआईसी) के साथ रखरखाव, मरम्मत और विनिर्माण संबंधी कार्यों के लिए समझौता किया है.
इस समझौते के अनुसार, दोनों कम्पनियां रक्षा वाहनों में विनिर्माण और निर्माण क्षमताओं के लिए संभावनाओं की खोज करेंगी. 
दोनों कंपनियां रक्षा वाहनों, विमानन, रक्षा उपकरण, आयुध निर्माण, रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स, वाणिज्यिक और नौसेनिक जहाजों के विनिर्माण और निर्माण क्षमताओं के लिए संभावनाओं की खोज करेंगी.
इस समझौते का उद्देश्य एक दूसरे की क्षमताओं पहचानकर लागत कम करने तथा लाभ अर्जित करने हेतु तालमेल बनाना है.


आरडीएल
रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (आरआईएल) की एक पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी के रूप में स्थापित किया गया था. आरडीएल के क्षेत्र में 11 सहायक कम्पनियां हैं.
ईडीआईसी
अमीरात डिफेंस इंडस्ट्रीज कंपनी संयुक्त अरब अमीरात की प्रमुख एकीकृत राष्ट्रीय रक्षा सेवा एवं विनिर्माण संबंधी विशालतम कंपनी है. इस कंपनी का उद्देश्य विश्व-स्तरीय सुविधाएं, प्रौद्योगिकी और सेवाएं प्रदान करना है.

गीता की समकालीन प्रासंगिकता पर यूनाइटेड किंगडम में सम्मेलन आयोजित

लन्दन यूनाइटेड किंगडम में गीता की समकालीन प्रासंगिकता पर पहला सम्मेलन 25 सितंबर 2015 को  आयोजित किया गया. सम्मेलन भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) और भारतीय उच्चायोग द्वारा आयोजित किया गया. 
यह ओरिएंटल स्कूल ऑफ़ धर्म अध्ययन विभाग और लंदन विश्वविद्यालय, अफ्रीकन स्टडीज (एसओएएस) के सहयोग से आयोजित किया गया. 
सम्मेलन का उद्देश्य गीता के माध्यम से अनगिनत अनुउत्तरित प्रश्नों का समाधान तलाशना और अद्वितीय सकारात्मक ऊर्जा का प्रयोग कर मानव जीवन शैली को सरल बनाना था.

इस दो दिवसीय सम्मलेन सत्र में भारत और ब्रिटेन के विशेषज्ञ और इतिहासकारों ने भगवद गीता और योग पर चर्चा करते हुए आधुनिक संस्कृत लेखन और आधुनिक परिद्रश्य में भगवत गीता के  अमूल्य  प्रभाव पर प्रकाश डाला.  
इस सम्मेलन में प्रतिनिधि मंडल को एक साथ लाने का नेतृत्व स्पेन में भारत के पूर्व भारतीय राजदूत सूर्यकान्त त्रिपाठी ने किया. 
गीताकेबारेमें
• गीता हिन्दुओं का पवित्र धार्मिक ग्रंथ है. इस ग्रंथ में पांडव राजकुमार अर्जुन और उनके सारथी भगवन श्री कृष्ण के बीच एक संवाद का वर्णन है.
• इस ग्रन्थ में 700 श्लोक हैं. यह धर्म, भक्ति, मोक्ष और राजयोग का एक संश्लेषण प्रस्तुत किया गया है.

बाल विवाह अधिनियम 2006 मुसलमानों पर भी लागू: गुजरात उच्च न्यायालय

गुजरात उच्च न्यायालय ने 25 सितंबर 2015 को स्पष्ट किया कि बाल विवाह अधिनियम (पीसीएमए) 2006 मुस्लिमों पर भी लागू होगा और अधिनियम मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कानूनों पर भी प्रभावी होगा. यह फैसला सत्तारूढ़ न्यायमूर्ति जेबी पर्दीवाला की पीठ ने किया.
बाल विवाह अधिनियम एक विशेष अधिनियम है, जो मुस्लिम पर्सनल लॉ, हिंदू विवाह अधिनियम या किसी भी पर्सनल लॉ के प्रावधान इसके अन्दर समाहित हैं. न्यायमूर्ति जेबी पर्दीवाला ने स्पष्ट किया कि सोलह साल की उम्र किसी भी लड़की की शादी की उम्र नहीं होती.

एक 17 वर्षीय मुस्लिम लड़की के मामले की सुनवाई के दौरान न्यायालय ने यह फैसला दिया, उसकी शादी उसकी उम्र से 12 साल बड़े युनुश शेख के साथ कर दी गयी थी. शेख भाग गया और उसने खुद को कानून से बचाने के लिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दलील दी. 
उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता की इस दलील को खारिज कर दिया और बाल विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामले की जांच के लिए पुलिस को आदेश दिया.

शेख के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण के लिए सजा) (उसकी शादी के लिए मजबूर करने के लिए अपहरण, अपहरण या उत्प्रेरण औरत) की धारा 366 के तहत प्राथमिकी की गयी. दर्ज प्राथमिकी को निष्प्रभावी करने के लिए शेख द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 482 के तहत याचिका दायर की गयी. 
उस (शेख) पर धारा 18 के तहत यौन अपराध व बच्चे की रोकथाम अपराध अधिनियम, 2012 के तहत भी आरोप था.
बालविवाहनिषेधअधिनियम, 2006
बाल विवाह अधिनियम 2006 बाल विवाह निषेध, उससे जुड़े आनुषंगिक मामलों और इस तरह की घटनों को और अधिक प्रभावी बनाता है. यह जम्मू-कश्मीर राज्य को छोड़कर पूरे देश में लागू है.

यह अधिनियम बाल विवाह निरोधक अधिनियम, 1929 को निरस्त करते हुए उसका स्थान लेगा. अधिनियम के अनुसार, लड़कों के लिए शादी की उम्र 21 और लड़कियों के लिए 18 है. इससे कम उम्र में शादी बाल विवाह माना जाएगा, जो एक गैर-कानूनी अपराध है और कानून के तहत दंडनीय है.

30 sept

यूरोपीय शरणार्थी संकट : एक विश्लेषण

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पिछले कुछ महीनों से यूरोप शरणार्थियों के गंभीर संकट से जूझ रहा है. साल 2015 के शुरुआत में करीब 3 लाख लोगों ने शरण के लिए यूरोप के दरवाजे खटखटाए थे. यह संख्या  वर्ष 2014 में मिले 6.25 लाख आवेदनों के अतिरिक्त है. 
संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) कार्यालय के अनुमान के अनुसार चूंकि सीरिया, इराक और अफगानिस्तान अभी भी आतंकवाद, सांप्रदायिक हिंसा और नागरिक असंतोष की जटिल समस्याओं से जूझ रहे हैं, इसलिए शरणार्थियों के आने का सिलसिला जारी रहेगा. 
येशरणार्थीकौनहैं?
हालांकि अफ्रीकी मूल के शरणार्थियों की समस्या यूरोप के लिए पुरानी है लेकिन हाल में आई तेजी के कई स्रोत हैं. 
ज्यादातर शरणार्थी युद्धग्रस्त सीरिया से हैं. साल 2011 में शुरु हुए गृहयुद्ध के बाद से अब तक करीब 20 लाख ( 2 मिलियन ) लोग पलायन कर पड़ोसी देश तुर्की, जॉर्डन और लेबनान में शरण ले चुके हैं. उन्हें संयुक्त राष्ट्र प्रायोजित शिविरों में रहने और बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं. 
हालांकि हाल के दिनों में शरणार्थी शिविरों में बढ़ती आबादी और सीरिया संघर्ष का कोई समाधान नहीं दिखता देख शरणार्थियों ने यूरोप के सुरक्षित स्थानों पर जाना शुरु कर दिया है. 
सीरिया के अलावा इरान, ईराक, तुर्की, लीबिया, अफगानिस्तान, इरिट्रिया, मिस्र, सूडान, इथोपिया और सोमालिया प्रमुख स्रोत देश हैं. 
यूरोपजानाहीक्योंपसंदकररहेहैंलोग?
यूरोप का प्रवासियों की पसंदीदा जगह होने के कई कारण हैं. ये अलग– अलग देशों के लिए अलग हैं और उन्हें दो श्रेणियों – पुश फैक्टर्स औऱ पुल फैक्टर्स के तहत रखा जा सकता है.

पुशफैक्टर्स
सीरिया, इराक और अफगानिस्तान में लगातार चल रही आतंकवादी गतिविधियां. 
सीरिया और इराक में शिया– सुन्नी की सांप्रदायिक हिंसा.
इरीट्रिया में अनिवार्य राष्ट्र सेवा के तौर पर मानवाधिकारों के उल्लंघन ने करीब 5000 लोगों को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया. 
सोमालिया में ठोस राजनीतिक स्थिति के अभाव में कानून की कमी ने नागरिकों को भूमध्य क्षेत्र से पलायन करने पर मजबूर कर दिया है. 
पुलफैक्टर्स 
भौगोलिकनिकटताः शरण चाहने वालों में से अधिकांश लोगों के लिए उनके संकटपूर्ण वर्तमान और इच्छित भविष्य के बीच सिर्फ भूमध्यसागर खड़ा है. इसलिए, यह संकट भूमध्य प्रवासी संकट वाक्यांश का पर्याय बन गया है. 
यूरोपीयप्रशासनमेंविश्वासः शरणार्थियों में यह दृढ़ विश्वास कि यूरोप की नियम–बद्ध और मानवीय सरकारें उन्हें जीवन के वैध बुनियादी अधिकारों से वंचित नहीं करेंगी. यह इस तथ्य से भी स्पष्ट है कि शरणार्थी सउदी अरब, ओमान आदि जैसे उनके सांस्कृतिक समानता वाले देशों में शरण लेने में इच्छुक नहीं है. 
रोजगारकेअवसरः यूरोप का श्रम बाजार अधिक परिपक्व है, शरणार्थी अपने जीवन को फिर से शुरु करने के लिए तत्काल रोजगार अवसरों को यहां देखते हैं. 
शामिलमुद्दे
यूरोप में जारी शरणार्थी संकट के साथ निम्नलिखित मुद्दे भी जुड़े हैं- 
डबलिनप्रक्रियाः डबलिन प्रक्रिया के अनुसार शरणार्थी यूरोपीय संघ के जिस देश में सबसे पहले पहुंचता है, वह देश शरण दावों की प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार होगा. इसने शरणार्थियों के सबसे पहले पहुंचने वाले देशों जैसे  ग्रीस और इटली पर बहुत अधिक दबाव बना दिया है.
चूंकि ज्यादातर शरणार्थी जर्मनी, स्वीडन या फ्रांस जाना चाहते हैं तब सवाल यह उठता है कि एक ऐसे देश में उन्हें पंजीकृत क्यों किया जाए और रहने क्यों दिया जाए, जहां वे रहना ही नहीं चाहते. 
यूरोपीयसंघकेदोषः संकट ने यूरोप के भीतर संरचनात्मक गलतियों को उजागर कर दिया है. हंगरी जैसे कम वित्तीय संसाधनों वाले छोटे देश इस बोझ को उठाने के लिए तैयार नहीं हैं.
इसके अलावा, कुछ देशों ने तो इस बात की वकालत की है कि फ्रांस और जर्मनी जैसे बड़े देशों को इस बोझ को उठाना चाहिए क्योंकि यह समस्या उनके (जर्मनी और फ्रांस) नाटो– नीत युद्ध में भागीदारी की वजह से ही पैदा हुई है.
इसके अलावा, यूरोपीय संघ में शरणार्थियों को स्थांतरित करने के सूत्र पर भी बड़े देशों के बीच असहमति बढ़ रही है. 
यूरोपकीनैतिकदुविधाःकई यूरोपीय अर्थव्यवस्थाएं आज भी 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट से उबर नहीं पाई  हैं, इसलिए मितव्ययिता के उपायों के बिना वे शरणार्थियों के हितों का ख्याल कैसे रख पाएंगी. 
इसके अलावा वैध शरण की इच्छा रखने वालों को अनुमति न देना, यूरोपीय संविधान के अनुच्छेद 18 ( शरण का अधिकार), अनुच्छेद II-78 और अनुच्छेद III-266 का उल्लंघन होगा. यूरोपीय संघ इसी संविधान पर टिका है. 
शेंगेनसमझौताः पिछले एक महीने में शरणार्थी की आवक को नियंत्रित करने के लिए जर्मनी और हंगरी जैसे देशों ने समझौते के कार्यान्वयन को निलंबित कर दिया है. इन देशों का एक मात्र उद्देश्य लोगों को बिना किसी अनिवार्य जांच के अतंरराष्ट्रीय सीमाओं में आवाजाही की सुविधा मुहैया कराना है. 
शरणार्थियोंकीएकताःशरणार्थियों की सबसे मुख्य समस्या है कि यूरोपीय समाज में बढ़ते इस्लाम विरोधी भावना के बीच एकीकरण के प्रयास कितने सफल होंगे. 
अबतकउठाएगएकदम-
23 सितंबर 2015 को शिखर सम्मेलन स्तर की बैठक में यूरोपीय संघ के देश शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए काम कर रही संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों को अतिरिक्त 1.1 बिलियन यूरो देने पर सहमत हुए. 
यूरोपीय संघ ने भूमध्यसागर में नावों के डूबने की घटना से बचने के लिए समुद्र निगरानी हेतु धन उपलब्ध कराने की बात कही है.एक अनुमान के अनुसार सिर्फ साल 2014 में ही नजदीकी यूरोपीय द्वीपों पर जाने के दौरान 3500 लोग मृत पाए गए या समुद्र में लापता हो गए. 
यूरोपीय आयोग ने उद्देश्य और संख्या मानदंड– आबादी का 40 फीसदी, जीडीपी का 40 फीसदी, पिछले शरण आवेदन की औसत संख्या का 10 फीसदी, बेरोजगारी दर का 10 फीसदी, का उपयोग करते हुए अनिवार्य वितरण के आधार पर 120000 शरणार्थियों के आंतरिक स्थांतरण का प्रस्ताव दिया है. 
इसके अलावा यह सूत्र यूरोपीय संघ भर में 75 फीसदी या इससे अधिक के औसत मान्यता दर के साथ आवेदकों की राष्ट्रीयता के लिए लागू होता है. 
यूरोप के अलावा अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने आगामी एक वर्ष में क्रमशः 10000 और 12000 शरणार्थियों को अपने यहां जगह देने की इच्छा जताई है.

भारतकेलिएसबक
भारत के लिए शरणार्थी समस्या नयी नहीं है. भारत ने 1971 में बांग्लादेश से और 1979 में सोवियत संघ के हस्तक्षेप के बाद अफगानिस्तान से आए शरणार्थी और श्रीलंका में सेना और एलटीटीई के बीच चले गृह युद्ध के दौरान देश में आने वाले शरणार्थियों की समस्या का सामना किया है. 
जारी संकट से प्रेरणा लेते हुए भारत को अपने राजनयिक संबंधों को मजबूत करना होगा और शरणार्थियों से सम्बन्धित संकटों पर विशेष सम्मेलन करना होगा. 
भारत के लिए यह इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि बांग्लादेश की आधी आबादी कम ऊंचाई वाले तटीय क्षेत्रों ( एलईसीजेड)– समुद्र तल से 10 मीटर ऊंचाई में रहती है. जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के स्तर में होने वाली बढ़ोतरी में इन इलाकों के डूबने का खतरा है.  
इसके अलावा मालदीव पर भी इसी वजह से विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है. 
निष्कर्ष
जारी संकट इस तथ्य का गंभीर प्रमाण है कि दुनिया के अधिकांश समुदाय अभी भी भूख, गरीबी, आतंकवाद, कु–शासन, सांप्रदायिक हिंसा आदि जैसी पुरानी समस्याओं की वजह से अनिवार्य सुविधाओं से वंचित हैं. 
हालांकि हमनें शांति, सुरक्षा और सामाजिक–आर्थिक विकास की दिशा में लंबा सफर तय कर लिया है लेकिन अभी भी लाखों लोग जीवन की मूलभूत आवश्यकताओँ के लिए संघर्ष कर रहे हैं. 
यह दुनिया के नेताओं को एक साथ आने और पलायन की समस्या का समाधान ढूंढ़ने का समय है ताकि हाल ही में अपनाए गए स्थायी विकास लक्ष्यों को समय से प्राप्त किया जाना सुनिश्चित किया जा सके.

जयंत प्रसाद को रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान का महानिदेशक नियुक्त किया गया

नेपाल में भारत के पूर्व राजदूत जयंत प्रसाद को 29 सितंबर 2015 को नई दिल्ली स्थित रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान (आईडीएसए) के महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया गया. 
आईडीएसए के महानिदेशक का पद अगस्त 2014 से रिक्त था. प्रसाद वर्ष 2015 में आईडीएसए के पचास वर्ष पूरे होने के अवसर पर नियुक्त होंगे.  
उन्होंने दक्षिण एशियाई देशों के विशेषज्ञ के रूप में अपने करियर की शुरूआत की थी. वे वर्ष 2008- 2010 तक अफगानिस्तान में भारत के राजदूत रहे तथा वर्ष 2011-2013 तक नेपाल में भारत के राजदूत रहे.   
इसके अतिरिक्त प्रसाद जिनेवा में निरस्त्रीकरण सम्मेलन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, अल्जीरिया में राजदूत तथा ब्रूसेल्स में यूरोपीय संघ हेतु भारतीय मिशन में व्यापार के उपयोग और विकास के लिए परामर्शदाता भी रह चुके हैं.


रक्षाअध्ययनएवंविश्लेषणसंस्थान (आईडीएसए)
आईडीएसए की स्थापना 11 नवंबर 1965 को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रक्षा और सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर ज्ञान के प्रसार हेतु की गयी. 
आईडीएसए का संचालन एक कार्यकारी परिषद द्वारा किया जाता है जिसमें विभिन्न क्षेत्रों से विशिष्ट हस्तियों के लोग इसके सदस्य हैं. परिषद का नेतृत्व इसके अध्यक्ष द्वारा किया जाता है.
यह संस्थान भारतीय रक्षा मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित है तथा स्वायत्त रूप से कार्य करता है.

विश्व स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस मनाया गया

30 सितम्बर : अंतर्राष्ट्रीयअनुवाददिवस

विश्व स्तर पर 30 सितम्बर 2015 को अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस मनाया गया. वर्ष 2015 के लिए इस दिवस का विषय “चेंजिंगफेसऑफ़ट्रांसलेशनएंडइन्टरप्रेटिंग” निर्धारित किया गया है.

विदित हो विश्व स्तर पर प्रत्येक वर्ष 30 सितम्बर को बाइबल के अनुवादक सेंटजीरोम की पुण्य तिथि के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय अनुवाद दिवस मनाया जाता है. 
इस दिवस का प्रवर्तन द इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ़ ट्रांसलेटर्स(एफआईटी) द्वारा किया जाता है. यह महासंघ 1953 में स्थापित किया गया था. इस दिवस का उद्देश्य दुभाषियों, अनुवादकों और टर्मिनोलोजिस्टों को पहचान प्रदान करना है.

इस अवसर पर प्रत्येक वर्ष इस महासंघ द्वारा दिवस के प्रचार प्रसार के लिए एक पोस्टर जारी किया जाता है.

इस पोस्टर का चयन एक प्रतियोगिता के माध्यम से होता है. वर्ष 2015 के लिए चुने गए पोस्टर की रचयिता लौरालिनस्तेद हैं.

भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस कोच्ची का जलावतरण

भारत के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने 30 सितम्बर 2015 को नौसैनिक डॉकयार्ड में नौसेना के युद्धपोत आईएनएस कोच्चि का जलावतरण किया. आईएनएस कोच्चि कोलकाता श्रेणी (परियोजना 15ए) के गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रोयर्स में दूसरा युद्धपोत है.

इसे नौसेना के आंतरिक संगठन नौसैनिक डिजाइन निदेशालय ने डिजाइन किया है और मुंबई में मझगांव डॉक शिप बिल्डर्स लिमिटेड में इसका निर्माण किया गया है. बंदरगाह शहर कोच्चि के नाम पर इसका नामकरण किया गया है. यह युद्धपोत दिल्ली श्रेणी के जहाजों की तुलना में बेहतर है विदित हो दिल्ली श्रेणी के युद्धपोत एक दशक से अधिक समय पहले नौसेना में शामिल किये गये थे. इसके अतिरिक्त इस युद्धपोत के शस्त्र और सेंसर अधिक आधुनिक हैं और युद्धपोत में रडार की पहुंच में नहीं आने जैसी उन्नत अवधारणाओं को शामिल किया गया है.

विशालकाय जहाज 164 मीटर लंबा और 17 मीटर गहरा है जो चार गैस टर्बाइन से चलता है. इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि 30 नॉट तक की रफ्तार पकड़ सकता है. जहाज पर करीब 40 अधिकारी और चालक दल के 350 सदस्य सवार होंगे। कर्मचारियों की परिस्थिति और रहने की अनुकूल शैली के अनुरूप जहाज में रहने की व्यवस्था की गई है.

जहाज को इस तरह का ढांचा दिया गया है और रडार-पारदर्शी डेक फिटिंग का इस्तेमाल किया गया है कि इसकी रडार की पहुंच से दूरी रहने की विशेषता और उन्नत हुई है. जहाज को नेटवर्क ऑफ नेटवर्क्सप के तौर पर वर्गीकृत किया गया है, जो शिप डाटा नेटवर्क (एसडीएन), कांबट मैनेजमेंट सिस्टम (सीएमएस), ऑटोमैटिक पॉवर मैनेजमेंट सिस्टम (एपीएमएस) और ऑक्सिलरी कंट्रोल सिस्टम (एसीएस) से युक्त है.
इसमें लगा इजराइल निर्मित एमफ-स्टार रडार सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित टारगेट को पकड़ सकता है.

युद्धपोतकीविशेषताएँ

• इस युद्धपोत को 30 नाट रफ्तार चार गैस टरबाइन से मिलेगी. 
• यह युद्धपोत 3300 समुद्री मील क्षेत्र की गश्त करने में सक्षम 
• इसके अतिरिक्त इस युद्धपोत में 40 अधिकारी और 350 नाविक सवार हो सकते हैं.
• ब्रम्होस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, लंबी दूरी वाला समुद्र की सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम, 76 मिमी व 30 मिमी की गन और एंटी सब टारपीडो और राकेट जैसे हथियारों से लैस है.

कोलकाताश्रेणीकायुद्धपोत

आईएनएस कोच्चि कोलकाता श्रेणी का दूसरा युद्धपोत है. इस श्रेणी का पहला पोत आईएनएस कोलकाता वर्ष 2014 के अगस्त माह में नौसेना को मिला था. जबकि तीसरा पोत आईएनएस चेन्नई 2016 के अंत तक सेना में शामिल होगा.

खाद्य सुरक्षा अधिनियम उत्तरप्रदेश में तीन चरणों में लागू होगा

उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में 29 सितम्बर 2015 को आयोजित हुई उच्चस्तरीय बैठक में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को राज्य में लागू करने पर सहमती व्यक्त की गई.
इसके तहत राज्य में तीन चरणों में खाद्य सुरक्षा अधिनिमय लागू किया जाएगा. इसके अंतर्गत प्रथम चरण में राज्य के 24 जनपदों, दूसरे चरण में राज्य के 26 जनपदों और तीसरे चरण में राज्य के 25 जनपदों में इसे लागू किया जाएगा.

खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के प्रावधान के तहत अन्त्योदय और पत्र गृहस्थी परिवार की दो श्रेणियों का निर्माण किया जाएगा. इन्हें प्रत्येक माह सस्ते दर पर खाद्यान उपलब्ध कराया जाएगा. अधिनियम के तहत, अन्त्योदय श्रेणी के परिवार को हर महीने 35 किलो ग्राम खाद्यान तथा पात्र गृहस्थ श्रेणी के प्रत्येक व्यक्ति को 5 किलो ग्राम खाद्यान प्रतिमाह उपलब्ध कराया जाएगा.

योजना के तहत चावल 3 रुपए प्रति किलो, गेहूँ 2 रुपए प्रति किलो पर उपलब्ध कराया जाएगा. इस योजना से प्रदेश के 51 करोड़ 21 लाख लोग लाभान्वित होंगे.

पीयूष गोयल द्वारा ‘स्वच्छ कुकिंग एनर्जी एवं विद्युत् उपलब्धता - राज्य सर्वेक्षण रिपोर्ट’ जारी

कोयला, विद्युत्, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के केंद्रीय राज्य मंत्री पीयूष गोयल (स्वतंत्र प्रभार) ने 29 सितंबर 2015 को ‘स्वच्छ कुकिंग एनर्जी एवं विद्युत् उपलब्धता – राज्य सर्वेक्षण रिपोर्ट’ जारी की.
यह सर्वेक्षण, ऊर्जा, पर्यावरण एवं जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) तथा कोलंबिया यूनिवर्सिटी एवं शक्ति सस्टेनेबल एनर्जी फाउंडेशन के सहयोग द्वारा आयोजित कराया गया था.
रिपोर्ट में पहली बार भारत में ऊर्जा की उपलब्धता पर एक बहु-आयामी मूल्यांकन जारी किया गया है.

रिपोर्टकीविशेषताएं
इसमें बताया गया है कि भारत में 300 मिलियन लोग प्रकाश व्यवस्था के लिए केरोसिन पर निर्भर हैं जबकि 800 मिलियन से अधिक लोग पारंपरिक बायोमास का उपयोग करते हैं.
रिपोर्ट के अनुसार ऊर्जा के आधुनिक रूपों का उपयोग अभी भी हमारे विकास में एक महत्वपूर्ण बाधा है.
इसमें यह सुझाव दिया गया कि विद्युतीकरण एवं एलपीजी कनेक्शन के आंकड़ों से अधिक उससे आगे की प्रक्रिया पर ध्यान दिया जाना चाहिए. साथ ही भारत में सभी के लिए उर्जा की उपलब्धता के प्रति भी संवेदनशील होना चाहिए.
इसअध्ययनमेंशामिलकुछप्रश्न
क्या उर्जा केवल बाइनरी उपयोग है ?
ऊर्जा का उपयोग मापने के लिए सही मेट्रिक्स क्या हैं ?
क्या मौजूदा उर्जा उपलब्धता कार्यक्रम प्रभावी हैं ?
ग्रामीण जनसंख्या द्वारा उर्जा उपलब्धता हेतु किन नीतियों को महत्व दिया जाता है ?
यह रिपोर्ट भारत के सबसे बड़े उर्जा सर्वेक्षण का परिणाम है, इसमें उर्जा की दृष्टि से निम्नतम स्थिति पर मौजूद छह राज्यों के 51 जिलों में 8500 परिवारों को शामिल किया गया. इसमें शामिल राज्य हैं, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल.

पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की 21वीं बैठक आयोजित

पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की 21वीं बैठक 29 सितंबर 2015 को पणजी में आयोजित की गयी. केंद्रीय गृह मंत्री ने इस बैठक की अध्यक्षता की.
बैठक की अध्यक्षता करते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि क्षेत्रीय परिषदों के माध्यम से नियमित तौर पर राज्यों से संवाद स्थापित करने से केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय बनाने में सहायता मिलती है.
मई 2014 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद से क्षेत्रीय परिषद की यह चौथी बैठक है. स्लम बस्तियों की देखरेख, नागरिक एवं सामाजिक सुविधाओं की उपलब्धता एवं सबके लिए आवास संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गयी.
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने क्षेत्रीय परिषदों की पूर्व बैठकों की बातों को रेखांकित किया तथा इस बैठक के फलदायी होने की आशा व्यक्त की. पश्चिम क्षेत्र भारत का आर्थिक केंद्र है, इस क्षेत्र में गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा जैसे कुछ विकसित राज्य आते हैं. बैठक में गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल और गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मीकांत पार्सेकर ने भी भाग लिया.
दमनगंगा एवं कोलक नदियों में बढ़ता प्रदूषण गुजरात सरकार तथा दमन एवं दीव संघ क्षेत्र के बीच गंभीर मुद्दा रहा है, जिस पर इस बैठक में चर्चा की गयी तथा इसका जल्द से जल्द हल तलाशने की इच्छा व्यक्त की गयी.


परिषद में चर्चा के लिए सीआरजेड (कोस्टल रेगुलेशन जोन) की अधिसूचना-2011 के कुछ प्रावधानों में नरमी लाने के लिए भी चर्चा की गयी. इसमें आवास और निर्माण गतिविधियों के लिए पर्यावरण विभाग से मंजूरी लेने के लिए लंबी प्रक्रिया के कारण तटीय क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं में हो रही देरी पर भी चर्चा की गयी. 
पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद की अगली बैठक महाराष्ट्र स्थित मुंबई में आयोजित की जाएगी.

पृष्ठभूमि

क्षेत्रीय परिषद के निर्माण की योजना प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु द्वारा वर्ष 1956 में प्रस्तुत किया गया था.

नेहरु के विचारों पर आधारित, राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के भाग-3 में पांच क्षेत्रीय परिषदों का गठन किया गया. इनमें उत्तर, दक्षिण, पश्चिम, पूर्वी तथा मध्य क्षेत्र की परिषद् बनाई गयीं. इसके अतिरिक्त, उत्तर-पूर्वी राज्य परिषद् का गठन उत्तर-पूर्वी परिषद् एक्ट, 1972 के तहत किया गया.

पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद् में गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र, दमन एवं दीव तथा दादरा एवं नगर हवेली क्षेत्र शामिल हैं.

राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के लिए ऑनलाइन एप्लीकेशन पोर्टल आरंभ

केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने 29 सितंबर 2015 को राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण (एनएमए) के लिए एनओसी ऑनलाइन एप्लीकेशन पोर्टल एंड प्रोसेसिंग सिस्टम (एनओएपीएस) का नई दिल्ली में शुभारम्भ किया. 
राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण की पहल एनओएपीएस द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन देश के विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद विनियमित अथवा प्रतिबंधित संरक्षित स्मारकों में निर्माण संबंधित मंजूरी की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाया जा सकता है.
एनओएपीएस को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र द्वारा तैयार किया गया है. इसे अत्याधुनिक तकनीक की सहायता से चलाया जाता है तथा इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा सहायता प्राप्त है. इसके द्वारा देश में मौजूद 3886 स्मारकों की मैपिंग की जा रही है.


एनओएपीएस देश के नागरिकों को ऑनलाइन एनओसी आवेदन की सुविधा प्रदान करता है. पोर्टल से उपयोगकर्ताओं को एक भिन्न रजिस्ट्रेशन आईडी प्रदान की जाएगी जिससे उपयोगकर्ता अपने आवेदन की ऑनलाइन जांच कर सकते हैं.
साथ ही, इसरो भी संस्कृति मंत्रालय को विभिन्न स्मारकों की जियो-कोओरडीनेट में सहायता करेगा.
एनओसी ऑनलाइन एप्लीकेशन पोर्टल एंड प्रोसेसिंग सिस्टम लोगों को काफी सुविधा प्रदान करेगी, उदाहरणस्वरुप लोगों को स्मारकों के नजदीक अपनी प्रॉपर्टी के लिए एनओसी लेने के हेतु सरकारी ऑफिसों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे.

विश्व शांति स्थापना पर लीडर्स समिट आयोजित

विश्व शांति स्थापना पर 28 सितंबर 2015 को लीडर्स समिट (सम्मेलन) का आयोजन संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित न्यूयॉर्क के संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में किया गया. यह महासभा की वार्षिक उच्च स्तरीय बहस के दौरान आयोजित किया गया.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून के अतिरिक्त इसमें 50 से अधिक देशों के नेताओं ने भाग लिया जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा भी शामिल थे.
इस उच्च स्तरीय सम्मेलन के दौरान वर्तमान में 1,25,000 संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों द्वारा चलाए जा रहे शांति प्रयासों पर चर्चा की गयी तथा इस शांति सेना को और बेहतर बनाने पर भी चर्चा की गयी.
सभी प्रतिभागियों ने इस बात पर सहमति जताई कि कार्यभार के दौरान जो कर्मचारी यौन उत्पीड़न के आरोपी हैं उन्हें कड़ा दंड दिया जाना चाहिए.

संयुक्तराष्ट्रशांतिस्थापना
•    यह संघर्ष से अपदस्थ देशों में स्थायी शांति के लिए सकारात्मक परिस्थितियों के निर्माण में मदद करता है.
•    इसकी स्थापना वर्ष 1948 में की गयी तथा इसका संचालन संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान विभाग के तहत किया जाता है.
•    इसमें 120 देशों के 1,25,000 नागरिक, पुलिस एवं सैन्य कर्मचारी शामिल हैं.
•    इसका अनुमानित वार्षिक बजट 8.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर है.
•    वर्तमान समय में यह चार महाद्वीपों में 12 शांति अभियानों में शामिल है.
•    इसकी सबसे बड़ी टुकड़ी कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में कार्यरत है जिसमें 26211 कर्मचारी शामिल हैं.
•    अगस्त 2015 तक भारत की ओर से 7794 सैन्य एवं पुलिस कर्मचारी इसमें शामिल हुए, जबकि बांग्लादेश के 9432 एवं इथोपिया के 8309 कर्मचारियों ने इस शांति मिशन में भाग लिया.

एनडीटीवी-तबूला के मध्य 100 करोड़ रुपये का समझौता

एनडीटीवी कनवरजेन्स, एनडीटीवी का डिजिटल प्रभाग, ने 30 सितंबर 2015 को अमेरिका आधारित कंटेंट रिकमेंडेशन इंजन तबूला के साथ तीन वर्ष के लिए 100 करोड़ रुपये का समझौता किया. इस समझौते का उद्देश्य एनडीटीवी की डेस्कटॉप एवं मोबाइल वेबसाइट का नेटवर्क बढ़ाना है.
समझौते के अनुसार, तबूला एनडीटीवी के सभी विभागों के लिए एक्सक्लूसिव एवं मल्टी प्लेटफ़ॉर्म कंटेंट की खोज करेगा. इसके अतिरक्त तबूला विज्ञापनदाताओं को प्रीमियम एनडीटीवी दर्शकों को लक्षित करने का विकल्प प्रदान करेगा. दोनों कम्पनियां उपयोगकर्ताओं को बढ़ाने का कार्य भी करेंगी.

एनडीटीवी
न्यू डेल्ही टेलीविज़न लिमिटेड (एनडीटीवी) एक भारतीय वाणिज्यिक प्रसारण टेलीविजन नेटवर्क है जिसकी स्थापना वर्ष 1988 में प्रनॉय रॉय एवं राधिका रॉय ने की थी.
एनडीटीवी के डिजिटल प्रभाग, एनडीटीवी कनवरजेन्स द्वारा इसके पोर्टल एवं अन्य सभी डिजिटल विभागों का संचालन किया जाता है.
तबूला

तबूला वर्ष 2007 में एडम सिंगोल्दा द्वारा स्थापित एक कंटेंट मार्केटिंग प्लेटफ़ॉर्म है. यह विभिन्न वेबसाइटों को एक विजेट तथा कंटेंट मार्केटिंग की सुविधा उपलब्ध कराता है. इसके विजेट में इसकी वेबसाइट से एवं अन्य प्रकाशकों द्वारा लिए गये लिंक्स, लेख, स्लाइड शो तथा विडियो मौजूद होते हैं.

पहला इंडो– अफ्रीका आईसीटी एक्सपो नैरोबी में शुरु

केन्या की आईसीटी अथॉरिटी, भारत के दूरसंचार निर्यात संवर्धन परिषद (टीईपीसी) और राष्ट्रीय सॉफ्वेयर एवं सेवा कंपनी संघ (नैसकॉम) के साथ मिलकर 28 सितंबर 2015 को भारत सरकार ने केआईसीसी, नैरोबी में पहले इंडो– अफ्रीका आईसीटी एक्सपो का शुभारंभ किया.

इंडो– अफ्रीका आईसीटी एक्सपो सह सम्मेलन में 100 से भी अधिक प्रौद्योगिकी कंपनियां अपने नवीनतम उत्पादों और समाधानों को पेश कर रही हैं.

इस समारोह में 2000 से अधिक दर्शकों और 300 से अधिक सम्मेलन प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था. इस एक्सपो को नए एवं विविध उत्पादों एवं सेवाओं को प्रदर्शित करने के लिए भारत और अफ्रीकी देशों के बीच तालमेल बनाने के लिए मंच के तौर पर देखा जा रहा है.

टीईपीसी के बारे में
टीईपीसी को दूरसंचार उपकरण और सेवाओं के निर्यात को प्रोत्साहित और विकसित करने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा स्थापित किया गया.

टीईपीसी,एक परिषद की तरह भारत से टेलीकॉम निर्यात और भारतीय सदस्य कंपनियों की सहायक में उसके संबंधित निर्यात की आसान सुविधा हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

परिषद पूरा टेलीकॉम पारिस्थितिकी तंत्र जिसमे टेलीकॉम हार्डवेयर विनिर्माण, दूरसंचार सेवा के प्रावधान, टेलीकॉम सॉफ्टवेयर, और परामर्श सम्मिलित हैं, की आवश्यकताओं का संचालन करती है.
केन्याकाआईसीटीप्राधिकरण
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) प्राधिकरण सूचना संचार और केन्या की प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक राज्य निगम है.
निगम अगस्त 2013 में केन्या सरकार के आईसीटी कार्यों के सभी प्रबंधन को युक्तिसंगत बनाने और कारगर बनाने के लिए स्थापित किया गया था.

अंकित फाडिया ‘डिजिटल इंडिया’ के ब्रांड एंबेसडर नियुक्त

केंद्र सरकार ने अंकित फाडिया को ‘डिजिटल इंडिया’ का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया. इसकी घोषणा सितंबर 2015 के अंतिम सप्ताह में की गई.

अंकित फाडिया के साथ ही ‘सतवत जगवानी’ और ‘कृति तिवारी’ (दोनों भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान की टॉपर) तथा सैमसंग यूएसए के कंप्यूटर वैज्ञानिक प्रणब मिस्त्री को भी ‘डिजिटल इंडिया’  का ब्रांड एंबेसडर नियुक्त करने की घोषणा की गई.

विदित हो कि अंकित फाडिया ‘नैतिक कम्प्यूटर हैकिंग’ जैसे कारणों से विवादों में रह चुके हैं.

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने हरित राजमार्ग नीति, 2015 जारी की

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग तथा जहाजरानी मंत्री नीतिन गडकरी ने 29 सितंबर 2015 को नई दिल्ली में हरित राजमार्ग (वृक्षारोपण, पौधारोपण, सौदर्यीकरण और प्रबंधन) नीति 2015 जारी की. 
राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे पेड़ों की संख्या को बढ़ाने के लिए बनी यह नीति नई दिल्ली में एक राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान लागू की गई. 
मुख्यआकर्षण
हरित राजमार्ग नीति में सड़क निर्माताओं के लिए कुल परियोजना लागत (टीपीसी) का 1 प्रतिशत धन राजमार्गों के सौंदर्यीकरण और रखरखाव के लिए अनिवार्य रूप से निर्धारित किया गया है. 
नई नीति के अनुसार राजमार्गों का विकास समुदाय, किसान, एनजीओ, निजी क्षेत्र, सरकारी एजेंसियों और वन विभाग की भागीदारी से किया जाएगा.
योजना के तहत वित्त वर्ष 2015– 16 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर वृक्षारोपण के लिए 1000 करोड़ रुपये  खर्च किया जाएगा.  
इस योजना के कार्यान्वित होने से रोजगार के अवसर और उद्यमिता विकास में मदद मिलेगी.
इसके अलावा नीति कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने में मदद करेगी और पर्यावरण को बड़े पैमाने पर लाभ पहुंचाएगी.

हरित राजमार्ग कोष 
यह नई नीति राजमार्ग गलियारों के किनारे हरित पट्टी के विकास के लिए हरित राजमार्ग कोष (जीएचएफ) के निर्माण की मांग करती है. 
यह जीएचएफ डेवलपर्स द्वारा दिए जाने वाले 1 फीसदी कुल परियोजना लागत (टीपीसी) से बनाया जाएगा. 
एनएचएआई लेखा का रख–रखाव और भुगतान जारी करने के लिए सिर्फ कोष प्रबंधक का काम करेगा. 
पृष्ठभूमि
यह नीति 20 मई 1976 के परिपत्र का संशोधित संस्करण है जिसमें मौजूदा सड़कों के किनारे पेड़ों के रखरखाव और नए पेड़ों को लगाने का काम राष्ट्रीय राजमार्ग को आवंटित रखरखाव और मरम्मत कोष से करने की बात कही गई थी. 
परिपत्र 26 नवंबर 1996 को अपडेट किया गया और सार्वजनिक क्षेत्र के निगमों/ प्रतिष्ठित निजी कंपनियों/ स्वयंसेवी संगठनों को वृक्षारोपण करने और उसके रखरखाव की इजाजत दी गई.

लखवाड़ एचईपी पर स्टे की मांग करने वाली याचिका पर एनजीटी ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया

राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 28 सितंबर 2015 को उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूडेवीएनएल) द्वारा बनाए जा रहे 300 मेगावाट लखवाड़ बहुउद्देश्यीय परियोजना के निर्माण को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.

एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, जल संसाधन मंत्रालय और यूजेवीएनएल को नोटिस जारी किया है. यह नोटिस यमुना जीए अभियान के सदस्यों की याचिका पर जारी किया गया.

याचिका के सदस्य भीम सिंह रावत और मनोज कुमार मिश्रा ने अपनी याचिका में उत्तराखंड के देहरादून जिले में लोहारी गांव के नजदीक यमुना नदी पर 40 किलोमीटर के जलाशय के साथ बनाए जा रहे 204 मीटर उंचे उच्च कंक्रीट वाले बांध के निर्माण पर रोक लगाने की मांग की थी.

याचिका के अनुसार, लखवाड़ परियोजना, जो कि लखवाड़ –व्यासी परियोजना का हिस्सा था, को पर्यावरण मूल्यांकन समिति (ईएसी) से पर्यावरण मंजूरी (ईसी) (पर्यावरण क्लीयरेंस) नहीं मिली है.

इसके अलावा उन्होंने तर्क दिया है कि इस परियोजना का ईआईए अधिसूचना के तहत जरूरी पर्यावरण लागतों और उसके प्रभावों का आकलन नहीं किया गया था.

लखवाड़ जल– विद्युत परियोजना (एचईपी) मुद्दा 
लखवाड़ परियोजना पहले समग्र परियोजना जिसे लखवाड़– व्यासी परियोजना नाम दिया गया था, का हिस्सा था. समग्र परियोजना को 1986 में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से प्रशासनिक मंजूरी मिल गई थी.

इसके बाद दोनों परियोजनाएं अलग हो गई और उन्हें अलग– अलग बनाने की मांग की जाने लगी. परिणास्वरूप, व्यासी एचईपी, लखवाड़ एचईपी के डाउनस्ट्रीम 2x60 मेगावाट रन–ऑफ–द– रिवर पनबिजली परियोजना का ईआईए अधिसूचना के तहत आकलन किया गया और 2007 में इसे पर्यावरण क्लीयरेंस (ईसी) दी गई.

हालांकि लखवाड़ परियोजना को ईआईए अधिसूचना का अनुपालन नहीं करने की वजह से ईएसी ने पर्यावरण क्लीयरेंस (ईसी) नहीं दी थी.

लखवाड़परियोजनाकेबारेमें
देहरादून जिले में ऊपरी यमुना नदी बेसिन में स्थित गुरुत्वाकर्षण बांध, 300 मेगावाट की लखवाड़ परियोजना, को 3 फरवरी 2014 को पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से पर्यावरण क्लीयरेंस दिया गया. यह प्रति वर्ष 612.93 मिलियन इकाई बिजली का उत्पादन करेगा और पेयजल, सिंचाई एवं औद्योगिक उपयोग के लिए जल भी मुहैया कराएगा.

उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश इस परियोजना से उत्पादित पेयजल और सिंचाई जल से लाभान्वित होंगे. 
इस परियोजना ने 1986 में उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग से क्लीयरेंस प्राप्त कर लिया था. और 1992 तक इसके निर्माण का काम चला. इसके बाद वित्तीय संकट की वजह से काम रोक दिया गया. बाद में इसे यूजेवीएनएल को हस्तांतरित कर दिया गया.

लखवाड़ परियोजना की लागत करीब 4000 करोड़ रुपयों की है और साल 2019 तक इसके पूरे हो जाने की उम्मीद है.

एनएलसी ने अपना 10 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया

वेली लिग्नाइट कॉरपोरेशन (एनएलसी) ने 28 सितंबर 2015 को 10 मेगावाट  क्षमता वाले अपने पहले सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना की. कॉरपोरेशन का यह पहला अक्षय ऊर्जा परियोजना है.

54 एकड़ में फैले इस संयंत्र को भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) ने 74.60 करोड़ रुपयों की लागत से लगाया है.

संयंत्र में कुल 48000 सौर फोटो वोल्टायिक मॉड्यूल्स हैं. प्रत्येक मॉड्यूल में 240 मेगावाट ऊर्जा पैदा करने की क्षमता है. यह संयंत्र नेवेली स्थिति 33– केवी के बिजली स्टेशन के जरिए ऊर्जा की आपूर्ति करेगा. पूरी बिजली एक मात्र लाभार्थी, तमिलनाडु उत्पादन एवं वितरण कंपनी को दी जाएगी.

ट्रायल रन अवधि के दौरान, संयंत्र ने 8.65 लाख यूनिट बिजली का उत्पादन किया.