Sep 2014 Second Week

भारत - आसियान के मध्य निवेश एवं सेवाओं के आदान-प्रदान हेतु समझौता: एक नए युग की शुरुआत?

भारत ने आसियान के साथ सेवाओं और निवेश के क्षेत्र में मुक्त व्यापार समझौते पर 9 सितंबर 2014 को हस्ताक्षर किए. यह सेवा और निवेश व्यापार समझौता दोनों पक्षों, भारत और आसियान के बीच जनशक्ति और निवेश के नए अवसर पैदा करेगा. 
इस समझौते में पारदर्शिता, घरेलू नियमन, स्वीकृति, बाजार पहुंच, राष्ट्रीय बर्ताव, विकासशील देशों की बढ़ती भागीदारी, सेवाओं पर संयुक्त समिति, समीक्षा, विवाद निपटान तथा लाभ से वंचित करना आदि मुद्दों को शामिल किया गया है. सेवाओं के व्यापार पर करार में आधुनिक व वृहद करार के सभी पहलूओं को भी शामिल किया गया हैं.

आसियान के 10 में से 9 देशों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए. फिलीपींस अपनी घरेलू प्रक्रिया पूरी कर रहा है और उसके  द्वारा भी जल्द ही हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है. 
भारत और आसियान के बीच वस्तुओं के व्यापार से संबंधित करार पर हस्ताक्षर वर्ष 2009 में किए गए थे जो कि वर्ष 2010 से प्रभावी हो गया था. इस व्यापार समझौते के बाद से पिछले चार वर्षों में भारत और आसियान के बीच व्यापार में वृद्धि तो हुई परन्तु इससे भारत को बहुत अधिक लाभ नहीं हुआ था जिसके कारण भारत सेवाओं से सम्बंधित समझौते को लेकर काफी उत्सुक था. समझौते के लिए बातचीत वर्ष 2005 में शुरू हुई थी.
आसियान देशों में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं.भारत इन देशों के साथ वर्ष 2015 तक व्यापार 100 अरब डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है. 
विदित हो कि इस निवेश एवं सेवा व्यापार समझौता पर करार 26 मई 2014 को म्यांमार में आयोजित हुए आसियान इकोनामिक मिनिस्टर्स (एईएम) के दौरान ही होने थे परन्तु भारत सरकार की वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) निर्मला सीतारमन के एईएम में उपस्थित न हो पाने के कारण हस्ताक्षर नही हो सके. समावेशी बैंकिंग के लिए ‘प्रधानमंत्री जन-धन योजना’ के शुभारंभ की जिम्मेदारी होने के कारण निर्मला सीतारमन एईएम में भाग नहीं ले पाई थीं.
भारत का आसियान के साथ ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध है. आर्थिक दृष्टि के मद्देनजर, भारत भी आरसीइपी की वार्ता का हिस्सा है जिसके विषय में वर्तमान में आसियान और उसके छह सहयोगी देशों के बीच चर्चा की जा रही है.
भारत अपने ‘पूर्व की ओर देखो’ नीति के तहत पिछले दो दशकों से ‘आसियान’ पर अपना ध्यान केन्द्रित किये हुए है. वहीं वर्ष 2011 में भारत एवं ‘आसियान’ ने क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी हेतु 80 बिलियन अमेरिकी डालर का व्यापार साझेदारी प्रारंभ की.

भारत ‘आसियान’ को अपने व्यापार प्रसार का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र मानता है. इसके साथ ही साथ आसियान के साथ के द्विपक्षीय संबंध की मजबूती को भारत अपने सामरिक रणनीति के नजरिये से भी काफी महत्व देता है, जिसमें विशेष कर म्यांमार के साथ का बेहतर द्विपक्षीय संबंध भारत को उत्तर पूर्व में उग्रवाद की समस्या से निपटने में काफी मददगार साबित हो सकता है.
भारत के पूर्वोत्तर राज्य ‘आसियान’ के लिए प्रवेश द्वार माने जाते हैं. जिनके माध्यम से भारत पूरे देश का ‘आसियान’ के साथ संपर्क स्थापित करने के पक्ष में है.
आसियान भारत का चौथा सबसे बडा व्यापारिक भागीदार है. दोनों पक्षों के बीच वर्ष 2008 में 47 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था. वर्ष 2015 तक इसे बढ़ाकर 100 अरब डॉलर तथा 2022 तक 200 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है. इस दृष्टि से भी यह समझौता अत्यंत महत्वपूर्ण है.
'इस समझौते से आईटी और आईटीईएस सहित अनेक क्षेत्रों के भारतीय व्यवसायियों को आसियान क्षेत्र के बाजार का पूरा लाभ उठाने में मदद मिलेगी. सेवाओं के क्षेत्र में हुए समझौते से आसियान के साथ व्यापार हानि को घटाने में मदद मिलेगी. भारत के लिए आसियान सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है. इस लिए भी भारत को आसियान के साथ संबंधों को मजबूत रखना होगा.

भारतनेआसियानकेसाथनिवेशएवंसेवाव्यापारसमझौतेपरहस्ताक्षरकिए

भारत ने औपचारिक रूप से 9 सितंबर 2014 को आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) के साथ निवेश एवं सेवा व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह सेवा समझौता दोनों पक्षों के बीच जनशक्ति और निवेश के नए अवसर पैदा करने हेतु की गई. दस में से नौ आसियान देशों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए. फिलीपींस द्वारा भी जल्द ही हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है.

भारत और आसियान के बीच वस्तुओं के व्यापार से संबंधित करार पर वर्ष 2009 में हस्ताक्षर किए गए थे और यह करार 2010 से प्रभावी हो गया था. इस व्यापार समझौते के बाद से पिछले चार वर्षों में भारत और आसियान के बीच व्यापार में वृद्धि हुई. इसी को देखते हुए भारत ने निवेश एवं सेवा व्यापार संबंधी समझौता किया.
आसियानसेसंबंधितमुख्यतथ्य
दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन (एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस- ‘आसियान’) दस दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों (ब्रूनेई,  बर्मा, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर, थाईलैंड एवं वियतनाम) का समूह है, जिसका गठन क्षेत्रीय आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम करने हेतु 8 अगस्त, 1967 को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में हुआ. आसियान का मुख्यालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में स्थित है.
इसके संस्थापक सदस्य थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस और सिंगापुर थे. ब्रूनेई इस संगठन में वर्ष 1984 में शामिल हुआ और वियतनाम वर्ष 1995 में. वर्ष 1997 में लाओस और बर्मा इसके सदस्य बने. वर्ष 1976 में आसियान की पहली बैठक में इसके सदस्यों के बीच बंधुत्व और सहयोग की संधि पर हस्ताक्षर किए गए. वर्ष 1994 में आसियान ने एशियाई क्षेत्रीय फोरम (एशियन रीजनल फोरम- एआरएफ) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य सुरक्षा को बढ़ावा देना था. वर्तमान में अमेरिका, रूस, भारत, चीन, जापान और उत्तरी कोरिया सहित एआरएफ के कुल 23 सदस्य देश हैं.

पर्यावरणवनऔरजलवायुपरिवर्तनमंत्रालयकेअधिनियमोंकीसमीक्षाहेतुउच्चस्तरीयसमितिकागठन

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने अपने मंत्रालय द्वारा लागू अधिनियमों की समीक्षा हेतु 9 सितंबर 2014 को एक उच्चस्तरीय समिति (एचएलसी) का गठन किया. इस समिति की अध्यक्षता टी.एस.आर. सुब्रमनियन को सौंपी गई. मंत्रालय द्वारा नवगठित इस उच्चस्तकरीय समिति का मुख्य उद्देश्य संबंधित अधिनियमों हेतु आवश्यक विशिष्ट संशोधनों की सिफारिश करना है, ताकि इन्हें वर्तमान जरूरतों के अनुसार संशोधित किया जा सके.

समितिकीमुख्यसदस्यसूची:
1. टी.एस.आर. सुब्रमनियन, अध्य्क्ष
2. विश्वनाथ आनंद, सदस्य 
3. न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त्) ए. के. श्रीवास्तव, सदस्य
4. के.एन. भट्ट, सदस्य

समितिद्वारासमीक्षाकियेजानेवालेमुख्यअधिनियमोंकीसूची :

• पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986
• वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980
• वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972
• जल (प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974
• वायु (प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981
समितिकोविचार-विमर्शहेतुसौंपेगएमुख्यविषय:
• उपरोक्त प्रत्येक अधिनियम के कार्यान्वयन की स्थिति के साथ-साथ उसके उद्देश्यों की समीक्षा करना.
• इन अधिनियमों से संबंधित विभिन्न न्यायालय आदेशों और न्यायिक घोषणाओं की जांच करना और उनपर विचार करना.
• इन अधिनियमों में से प्रत्येक के लिए आवश्य‍क विशिष्ट संशोधनों की सिफारिश करना ताकि इन्हें उद्देश्यों की पूर्ति के लिए वर्तमान जरूरतों के अनुसार संशोधित किया जा सके.
• प्रस्तावित सिफारिशों को प्रभावी बनाने के लिए उपरोक्त हर अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों का मसौदा तैयार करना.

गृहमंत्रीनेजम्मूऔरकश्मीरसरकारकोकश्मीरीविस्थापितोंकेलिएभूमिखोजनेकानिर्देशदिया

केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 5 सितंबर 2014 को जम्मू और कश्मीर सरकार को कश्मीरी विस्थापितों (खास तौर पर पंडितों) के पुनर्वास के लिए उपयुक्त भूमि खोजने का निर्देश दिया. राजनाथ सिंह ने जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को पुनर्वास योजना के कार्यान्वयन के संबंध में एक पत्र लिखा.

अपने पत्र में गृह मंत्री ने मुख्यमंत्त्री को सुझाव दिया कि वे विस्थापितों की मूल जगह के आसपास ही उनके पुनर्वास हेतु भूमि खोजने की कोशिश करें. इसके साथ ही उन्होंने ऐसे इलाकों में पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने का भी सुझाव दिया.

कश्मीरी विस्थापित पंडितों के पुनर्वास के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखने और उनसे पूछने का यह कदम केंद्रीय मंत्री के इन विस्थापितों के वापस लौटने और उनके पुनर्वास के प्रति प्रतिबद्धता के रूप में देखा जा रहा है.

एनडीए की सरकार ने वादा किया था कि वे करीब 62000 विस्थापित कश्मीरी पंडित परिवारों को उनकी पूरी गरिमा के साथ घाटी में उनके घरों में वापसी में मदद करेंगें. इस उद्देश्य के लिए वित्त मंत्री ने वर्ष 2014–15 के केंद्रीय बजट में, घाटी में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए 500 करोड़ रुपये आवंटित किए थे.

वर्ष 1990 में उग्रवाद के बाद कश्मीरी पंडित घाटी से पलायन कर गए थे, करीब 62000 पंजीकृत कश्मीरी पंडित परवार जो कि घाटी से पलायन कर गए, भारत के विभिन्न हिस्सों– मुख्य रूप से जम्मू और दिल्ली, में रह रहे हैं.

करीब 60 टनभारीडायनासोरकीविशालप्रजातियांअर्जेंटीनामेंखोजीगईं

शोधकर्ताओं के एक समूह ने 4 सितंबर 2014 को लंबी–गर्दन वाले, लंबी–पूंछ वाले करीब 60 टन वजनी डायनासोर की एक विशाल प्रजाति के जीवाश्म अवशेषों की खोज की घोषणा की. इस खोज को अब तक का सबसे बड़ा स्थलीय जानवर जिसका बॉडी मास सही ढंग से निर्धारित किया जा सकता है, के रूप में देखा जा रहा है.

शोधकर्ताओं की यह खोज अर्जेंटीना के पाटागोनिया की पहाड़ियों में हुई है. कंकाल के अवशेष का पता वर्ष 2005 और वर्ष 2009 के बीच चला था.

इसे फिलाडेल्फिया के ड्रेक्सल यूनिवर्सिटी के जीवाश्व विज्ञानी केनेथ लाकोवारा ने विशालकाय शाकाहारी ड्रेडनॉट्स शरानी करार दिया. ड्रेडनॉट्स शरानी अर्थ एक बख्तबंद युद्धपोत है जिसे किसी का भी डर नहीं होता और यह डायनासोर के कथित निर्भयता के प्रति एक श्रद्धांजलि भी है.

प्रजातियों के जीवाश्म अवशेषों का अध्ययन करने वाली टीम ने बताया कि इनकी मौत 77 मिलियन वर्ष पहले हो चुकी है. उन्होंने यह भी दावा किया कि मौत के समय वे विकास की प्रक्रिया में थे. ये विशालकाय शाकारी ट्रायनासोरस समूह से ताल्लुक रखता है जिनके विशाल शरीर और लंबी गर्दन हुआ करती थी.

पिछले और आगे के पैरों की जीवाश्म हड्डियों को मापने से पता चलता है कि ये जानवर 26 मीटर लंबे और 59.3 टन वजन वाले थे, जो इसे करीब 50 टन वजन वाले कुछ बोइंग 737 जितना भारी बनाता है. शोधकर्ताओं की टीम इस प्रजाति के शरीर के आकार की गणना बहुत अधिक सटीकता से इसलिए कर पाए क्योंकि उन्होंने इसके करीब 70 फीसदी हड्डियों को जमा किया, सिर की हड्डियों को छोड़कर.

अमेरिका के ड्रेक्सल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के साथ उनके समूह ने इसकी घोषणा ब्रिटेन की विज्ञान पत्रिका साइंटिफिक रिपोर्ट्स में की.

नासाकेपूर्वप्रमुखवैज्ञानिकडॉनोएलडब्ल्यूहिनरकानिधनहोगया

नासा के पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक डॉ नोएल डब्ल्यू हिनर का ब्रेन ट्यूमर के कारण 5 सितंबर 2014 को 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया. डॉ नोएल अपोलो कार्यक्रम के चंद्रमा के वैज्ञानिक अन्वेषण में शामिल थे और बाद में वह मंगल ग्रह सर्वेयर कार्यक्रम के निरीक्षक थे.

नोएलहिनरकेबारेमें
हिनर ने वर्ष 1963 में चंद्र अन्वेषण योजना की मदद से अपने अंतरिक्ष कैरियर शुरू किया और अपोलो 11 के चंद्रमा पर उतरने के समय वह सिर्फ 33 वर्ष के थे. उन्होंने वर्ष 1972 तक अपोलो कार्यक्रम पर काम किया. उसके बाद वह चंद्र कार्यक्रमों की अंतरिक्ष एजेंसी के निदेशक बने.

बाद में उन्होंने वाशिंगटन में राष्ट्रीय वायु और अंतरिक्ष संग्रहालय के निदेशक और गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के निदेशक के रूप में कार्य किया. वह तीसरी रैंकिंग कार्यकारी के रूप में नासा से सेवानिवृत्त हुए.

हिनर लॉकहीड मार्टिन में नासा के मार्स सर्वेयर कार्यक्रम और स्टारडस्ट, धूमकेतु की खोज के लिए समर्पित पहले कार्यक्रम उड़ान के उपाध्यक्ष थे. वह एनआरसी अंतरिक्ष अध्ययन बोर्ड (वर्ष1981-1982 और वर्ष 1989-1996) के सदस्य थे और मानव अन्वेषण समिति के अध्यक्ष थे.

मारिनसिलिकनेअमेरिकीओपनकापुरुषएकलखिताबजीता

क्रोएशिया के मारिन सिलिक ने 8 सितंबर 2014 को टेनिस के अमेरिकी ओपन का पुरुष एकल खिताब जीता. अमेरिकी ओपन के पुरुष एकल के फाइनल में 14वीं वरीयता प्राप्त सिलिक ने 10वीं वरीयता प्राप्त जापान के केई निशिकोरी को सीधे सेटों में 6-3, 6-3, 6-3 से हराया. खिताब का फाइनल मैच न्यूयॉर्क में आर्थर ऐश स्टेडियम में खेला गया था.

सिलिक की ग्रैंड स्लैम के फाइनल में यह पहली उपस्थिति थी. वर्ष 2001 के बाद सिलिक प्रमुख खिताब जीतने वाले पहले क्रोएशियाई हैं. वर्ष 2001 में क्रोएशिया के इवानिसेविच ने विंबलडन खिताब जीता था और अब वह सिलिच के कोच हैं. सिलिक का पिछला सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन वर्ष 2010 के ऑस्ट्रेलियाई ओपन के सेमीफाइनल में उपस्थिति थी.

आस्ट्रेलिया ओपन 2005 के फाइनल के बाद किसी भी ग्रैंडस्लैम का यह पहला फाइनल मुकाबला था जिसमें जोकोविच, रोजर फेडरर और राफेल नडाल में से कोई नहीं खेला.


इराक की संसद ने नई सरकार के गठन को मंजूरी दी

इराक की संसद ने 8 अगस्त 2014 को ‘हैदर अबादी’ के नेतृत्व में देश में नई सरकार के गठन को मंजूरी दी. अबादी एक सप्ताह के भीतर प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. वे नूरी अल मलिकी की जगह लेंगे. अबादी पूर्व प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी की ही तरह ‘इस्लामी दावा पार्टी’ के सदस्य हैं.

इराक की संसद ने उपराष्ट्रपति के पदों के लिए मलिकी, पूर्व प्रधानमंत्री इयाद अल्लावी और संसद के पूर्व अध्यक्ष उसामा अल नुजैफी के नामों पर स्वीकृति दी. नई सरकार में इराक के पूर्व विदेश मंत्री रह चुके होशियार जेबारी और सालेह मुतलाक को उप प्रधानमंत्री घोषित किया गया. वहीं संसद ने अदेल अब्देल मेहदी को तेल मंत्री और इब्राहिम जाफरी को विदेश मंत्री के पद हेतु अपनी स्वीकृति दी.

विदित हो कि इराक की नई सरकार के समक्ष इस समय तमाम चुनौतियां हैं, जिसमें खास तौर पर सुन्नी बहुल इलाकों को आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों के कब्जे से मुक्त कराना शामिल है.

नासाकेपूर्वप्रमुखवैज्ञानिकडॉनोएलडब्ल्यूहिनरकानिधनहोगया

10-SEP-2014

नासा के पूर्व प्रमुख वैज्ञानिक डॉ नोएल डब्ल्यू हिनर का ब्रेन ट्यूमर के कारण 5 सितंबर 2014 को 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया. डॉ नोएल अपोलो कार्यक्रम के चंद्रमा के वैज्ञानिक अन्वेषण में शामिल थे और बाद में वह मंगल ग्रह सर्वेयर कार्यक्रम के निरीक्षक थे.

नोएलहिनरकेबारेमें
हिनर ने वर्ष 1963 में चंद्र अन्वेषण योजना की मदद से अपने अंतरिक्ष कैरियर शुरू किया और अपोलो 11 के चंद्रमा पर उतरने के समय वह सिर्फ 33 वर्ष के थे. उन्होंने वर्ष 1972 तक अपोलो कार्यक्रम पर काम किया. उसके बाद वह चंद्र कार्यक्रमों की अंतरिक्ष एजेंसी के निदेशक बने.

बाद में उन्होंने वाशिंगटन में राष्ट्रीय वायु और अंतरिक्ष संग्रहालय के निदेशक और गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के निदेशक के रूप में कार्य किया. वह तीसरी रैंकिंग कार्यकारी के रूप में नासा से सेवानिवृत्त हुए.

हिनर लॉकहीड मार्टिन में नासा के मार्स सर्वेयर कार्यक्रम और स्टारडस्ट, धूमकेतु की खोज के लिए समर्पित पहले कार्यक्रम उड़ान के उपाध्यक्ष थे. वह एनआरसी अंतरिक्ष अध्ययन बोर्ड (वर्ष1981-1982 और वर्ष 1989-1996) के सदस्य थे और मानव अन्वेषण समिति के अध्यक्ष थे.

मारिनसिलिकनेअमेरिकीओपनकापुरुषएकलखिताबजीता

10-SEP-2014

क्रोएशिया के मारिन सिलिक ने 8 सितंबर 2014 को टेनिस के अमेरिकी ओपन का पुरुष एकल खिताब जीता. अमेरिकी ओपन के पुरुष एकल के फाइनल में 14वीं वरीयता प्राप्त सिलिक ने 10वीं वरीयता प्राप्त जापान के केई निशिकोरी को सीधे सेटों में 6-3, 6-3, 6-3 से हराया. खिताब का फाइनल मैच न्यूयॉर्क में आर्थर ऐश स्टेडियम में खेला गया था.

सिलिक की ग्रैंड स्लैम के फाइनल में यह पहली उपस्थिति थी. वर्ष 2001 के बाद सिलिक प्रमुख खिताब जीतने वाले पहले क्रोएशियाई हैं. वर्ष 2001 में क्रोएशिया के इवानिसेविच ने विंबलडन खिताब जीता था और अब वह सिलिच के कोच हैं. सिलिक का पिछला सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन वर्ष 2010 के ऑस्ट्रेलियाई ओपन के सेमीफाइनल में उपस्थिति थी.

आस्ट्रेलिया ओपन 2005 के फाइनल के बाद किसी भी ग्रैंडस्लैम का यह पहला फाइनल मुकाबला था जिसमें जोकोविच, रोजर फेडरर और राफेल नडाल में से कोई नहीं खेला.

इराककीसंसदनेनईसरकारकेगठनकोमंजूरीदी

इराक की संसद ने 8 अगस्त 2014 को ‘हैदर अबादी’ के नेतृत्व में देश में नई सरकार के गठन को मंजूरी दी. अबादी एक सप्ताह के भीतर प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे. वे नूरी अल मलिकी की जगह लेंगे. अबादी पूर्व प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी की ही तरह ‘इस्लामी दावा पार्टी’ के सदस्य हैं.

इराक की संसद ने उपराष्ट्रपति के पदों के लिए मलिकी, पूर्व प्रधानमंत्री इयाद अल्लावी और संसद के पूर्व अध्यक्ष उसामा अल नुजैफी के नामों पर स्वीकृति दी. नई सरकार में इराक के पूर्व विदेश मंत्री रह चुके होशियार जेबारी और सालेह मुतलाक को उप प्रधानमंत्री घोषित किया गया. वहीं संसद ने अदेल अब्देल मेहदी को तेल मंत्री और इब्राहिम जाफरी को विदेश मंत्री के पद हेतु अपनी स्वीकृति दी.

विदित हो कि इराक की नई सरकार के समक्ष इस समय तमाम चुनौतियां हैं, जिसमें खास तौर पर सुन्नी बहुल इलाकों को आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों के कब्जे से मुक्त कराना शामिल है.

सर्वोच्चन्यायालयनेअधिकतमसजाकीआधीसजापूरीकरचुकेविचाराधीनकैदियोंकोरिहाकरनेकाआदेशदिया

09-SEP-2014

 

सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रायल पूरा हुए बिना अपनी अधिकतम सजा की आधी सजा भुगत चुके विचाराधीन कैदियों को रिहा करने का आदेश 5 सितंबर 2014 को जारी किया.

हालांकि, उम्र कैद या मृत्यु दंड की सजा पाए कैदी इस फैसले के दायरे से बाहर हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने इस तरह के मामलों की पड़ताल के लिए दो माह का समय दिया. यह 1 अक्टूबर 2014 से शुरु होगा.

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) आर एम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने आदेश दिया कि कैदियों को कानून का पालन करना चाहिए और स्थानीय जजों एवं मजिस्ट्रेटों को आदेश दिया कि वे इस प्रक्रिया पर नजर रखें.

सेशन जज और सीजेआई के अधीनस्थ न्यायिक अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र के जेलों का दौरा करेंगे और जेल में उचित आदेश पारित कर ऐसे सभी कैदियों को मुक्त करेंगें.
फैसला दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 436ए पर आधारित है जिसमें यह कहा गया है कैदी को अदालत निजी मुचलके के साथ या उसके बिना रिहा कर सकती है अगर वह अपनी सजा के अधिकतम अवधि की आधी सजा काट चुका/चुकी है.

यह प्रावधान, हालांकि, अब तक जागरूकता की कमी की वजह से अप्रभावी बना हुआ था और ट्रायल कोर्ट रिहाई के लिए जमानत बांड के लिए दवाब बनाते थे.

टिप्पणी
यह कदम भारतीय जेलों के बोझ को कम करने के लिए लिया गया. इसकी वजह से भारत भर के जेलों के करीब एक लाख कैदियों को लाभ होगा.

गृह मंत्रालय के मुताबिक, वर्ष 2012 के आखिर तक करीब 2.55 लाख अंडरट्रालयल कैदी थे. इसके लिए, एक लाख से कम कैदियों को रेप और हत्या या आतंकवाद के आरोप के तहत गिरफ्तार किया गया था, इसलिए, वे उम्र कैद या मृत्युदंड का इंतजार कर रहे थे.

अंतरराष्ट्रीयक्रिकेटपरिषद (आईसीसीनेपाकिस्तानकेक्रिकेटखिलाड़ीसईदअजमलकोनिलंबितकिया

09-SEP-2014

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने 9 सितंबर 2014 को पाकिस्तान के ऑफ स्पिनर और वर्तमान में वनडे रैंकिंग में शीर्ष स्थान (गेंदबाज) पर काबिज सईद अजमल को निलंबित कर दिया. अजमल को उनके गेंदबाजी एक्शन गैरकानूनी पाए जाने के बाद निलंबित किया गया.

आईसीसी के अनुसार, ‘36 वर्षीय पाकिस्तानी गेंदबाज सईद अजमल के एक्शन के विश्लेषण से पता चला कि उनकी सभी गेंदें नियमों का उल्लंघन करती हैं. नियमों के अनुसार, कोई गेंदबाज, गेंदबाजी के दौरान 15 डिग्री तक कोहनी मोड़ सकता है, लेकिन अजमल गेंदबाजी करते समय इस सीमा से अधिक कोहनी मोड़ते हैं.’ अजमल के एक्शन की रिपोर्ट अगस्त 2014 में श्रीलंका के खिलाफ गाले में पहले टेस्ट मैच के बाद की गई. मैदानी अंपायरों बेन ओक्सेनफोर्ड और इयान गाउल्ड ने अजमल के एक्शन के बारे में मैच रेफरी एंडी पायक्राफ्ट के पास रिपोर्ट दी थी. इसके बाद अजमल के गेंदबाजी का विश्लेषण ब्रिस्बेन के नेशनल क्रिकेट सेंटर में आईसीसी से मान्यता प्राप्त मानव गति विशेषज्ञों की टीम ने 25 अगस्त 2014 को किया था.

विदित हो कि आईसीसी द्वारा निलंबित सईद अजमल ‘संदिग्ध गेंदबाजी’ से संबंधित गेंदबाजों की समीक्षा के लिए बने आईसीसी के नियम के खंड 2.4 के अनुसार अपने गेंदबाजी एक्शन में सुधार करने के बाद इसके फिर से आकलन के लिए आवेदन कर सकते हैं. जिसमें सफल होने पर उनपर लगा प्रतिबंध समाप्त हो जायेगा.

  • भारत-पाक के अंह की शिकार मानवीय मदद

सितंबर 2014 के प्रथम सप्ताह में जम्मू-कश्मीर में हुई असाधारण वर्षा और उससे आई भयानक बाढ़ में 150 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई और करीब 400 गांव पानी में डूब गए हैं, जिनमें से तो 50 बुरी तरह प्रभावित हैं.

गत 60 वर्षों की इस सबसे जबर्दस्त बाढ़ ने वहां के जनजीवन को तबाह कर दिया. पूरे जम्मू-कश्मीर राज्य की व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो गई है. लाल चौक, सचिवालय और सेना के कई ठिकानों तक बाढ़ का पानी पहुंच चुका है. सेना और आपदा कार्रवाई बल के जवानों ने बाढ़ में फंसे हजारों लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने में जैसी तत्परता दिखाई है वह सराहनीय है. प्रधानमंत्री ने इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया और कहा कि इसे केवल एक राज्य पर आई विपदा के रूप में नहीं  देखा जाना चाहिए. राज्य का हवाई मुआयना करने के बाद उन्होंने एक हजार करोड़ रूपए की मदद की घोषणा की और कहा कि राहत और बचाव के काम में केंद्र हरसंभव सहायता के लिए तैयार है.
जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ समय से हुई असाधारण बारिश से झेलम और चिनाब जैसी नदियों में आई बाढ़ और इस बारिश का प्रकोप पाकिस्तान में भी देखने को मिला. इसने नियंत्रण रेखा के उस पार के कश्मीर और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भी ऐसा ही कहर मचाया है. वहां भी कई इलाके भूस्खलन और जलभराव के शिकार हुए हैं.

लिहाजा, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पत्र लिख कर वहां के बाढ़-पीड़ितों को मदद मुहैया कराने की पेशकश की. पर नवाज शरीफ ने इसे ठुकरा दिया, और इसके विपरीत खुद अपनी तरफ से जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए वैसी ही सहायता का प्रस्ताव रखा.
अक्टूबर 2005 में आए भूकम्प ने भी नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ तबाही मचाई थी. तब भी मानवीय मदद की दोनों तरफ से पेशकश हुई थी, पर वह भी बेनतीजा रही थी  और आज तक दोनों देशों के मध्य राहत और बचाव की कोई साझा योजना नहीं बन पाई. दोनों देशों के रिश्तों में अविश्वास और अहं के भाव ने इस मानवीय मदद की बलि चढ़ा दी. कम से कम इस आपात स्थित में तो दोनों देशों को अपना अहं भूलकर उस निरीह और बेक़सूर जनता की मदद करनी चाहिए जो जीवन और मृत्यु के मध्य फंसे हुए हैं. प्रकृति राष्ट्रों की सीमाएं नहीं जानती, न प्राकृतिक आपदाएं राजनीतिक भूगोल से बंधी होती हैं. पर्यावरणीय संकट के दौर में यह शुभ संकेत नहीं है. 
प्राकृतिक आपदाओं से मुकाबले के लिए भारत और पाकिस्तान ही नहीं, सम्पूर्ण दक्षिण एशिया को साझे प्रयासों के बारे में सोचना चाहिए. विदित हो कि सार्क भी इस मसले पर अब तक निष्क्रिय रहा है.

गॉडपार्टिकल (हिग्सबोसोनपूरेब्रह्मांडकोतबाहकरसकताहैस्टीफनहॉकिंग

09-SEP-2014ब्रिटेन के भौतिकशास्त्री स्टीफन हॉकिंग ने आगाह किया है कि वर्ष 2013 में वैज्ञानिकों ने जिस मायावी कण गॉड पार्टिकल (हिग्स बोसोन) की खोज की थी, उसमें समूचे ब्रह्मांड को बर्बाद करने की क्षमता विद्यमान है.

हॉकिंग ने एक नई किताब ‘स्टारमस’ की भूमिका में लिखा कि अत्यंत उच्च ऊर्जा स्तर पर ‘हिग्स बोसोन’ अस्थिर हो सकता है. इससे प्रलयकारी निर्वात क्षय (catastrophic vacuum decay) की शुरुआत हो सकती है एवं जिससे ब्रह्मांड का विनाश हो सकता हैं.

हॉकिंग के अनुसार, ‘हिग्स बोसोन की क्षमता की यह चिंताजनक विशिष्टता है कि यह 100 अरब गीगा इलेक्ट्रॉन वोल्ट पर अत्यंत स्थिर हो सकती है.’ हॉकिंग के अनुसार, इसका यह अर्थ हो सकता है कि वास्तविक निर्वात (वैक्यूम) का एक बुलबुला प्रकाश की गति से फैलेगा जिससे ब्रह्मांड प्रलयकारी निर्वात क्षय से गुजरेगा. हॉकिंग ने आगाह किया है कि यह कभी भी हो सकता है और हम उसे आते हुए नहीं देखेंगे. उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रलय के निकट भविष्य में होने की उम्मीद नहीं है. लेकिन उच्च ऊर्जा में हिग्स के अस्थिर होने के खतरे इतने ज्यादा हैं कि उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.

हिग्सबोसॉन (Higgs boson) सेसंबंधितमुख्यतथ्य
हिग्स बोसॉन (Higgs boson) ब्रह्मांड का मूल कण है, जिसकी प्रथम परिकल्पना वर्ष 1964 में वैज्ञानिकों द्वारा की गई. इसका प्रायोगिक सत्यापन 14 मार्च 2013 को किया गया. भौतिकी के मानक मॉडल द्वारा इस कण के अस्तित्व का अनुमान लगाया गया. हिग्स बोसॉन को कणों के द्रव्यमान या भार के लिये जिम्मेदार माना जाता है. प्रायः इसे अंतिम मूलभूत कण माना जाता है.

विदित हो कि इस ब्रह्मांड में हर जो चीज अस्तित्व में है ‘हिग्स बोसोन’ उसे रूप और आकार देता है.


केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने बिना दावे वाले पीपीएफ का मूल्यांकन करने के लिए एच आर खान पैनल बनाया

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बिना दावे वाले पीपीएफ और डाक घर बचत के मूल्यांकन के लिए एच आर खान पैनल का गठन 3 सितंबर 2014 को किया. एच आर खान आरबीआई के डिप्टी गवर्नर हैं.

पैनल में डाक विभाग के सचिव, वित्त मंत्रालय के केंद्रीय विधि एवं बजट प्रभाग के संयुक्त सचिव, भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के उप प्रबंध निदेशक और पंजाब नेशनल बैंक के कार्यकारी निदेशक शामिल हैं.

पैनल बिना दावे वाले फंड का वरिष्ठ नागरिकों के लाभ के लिए इस्तेमाल के तरीकों का सुझाव देगा. इसके साथ ही पैनल इन फंडों की रिकवरी के लिए कानूनी फ्रेमवर्क में जरूरी बदलाव और बिना दावे के जमा को सरकार या अलग खाते में रखा जाए, के बारे में भी सुझाव देगा.

पैनल को 31 दिसंबर 2014 तक अपनी रिपोर्ट जमा करने को कहा गया है.

पैनल का गठन पीपीएफ और छोटी बचत योजनाओं के बिना दावे वाली राशि का पता लगाने के लिए किसी प्रकार के आधिकारिक अनुमान न होने के तथ्य के आलोक में गठित किया गया था. हालांकि, माना जा रहा है कि यह राशि हजारों करोड़ रुपयों की हो सकती है.

इसके अलावा, डाक विभाग में अगर किसी डाक घर बचत खाता में पिछले तीन वर्ष से किसी प्रकार का लेन–देन नहीं हुआ हो तो उसे निष्क्रिय घोषित कर दिया जाता है.

पब्लिकप्रॉविडेंटफंड (पीपीएफ)
15 वर्ष की निवेश योजना पीपीएफ कर में छूट प्रदान करती है. पीपीएफ में न्यूनतम वार्षिक निवेश 500 रुपये का है.
केंद्रीय बजट वर्ष 2014–15 में पीपीएफ के अधिकतम वार्षिक निवेश सीमा को पचास हजार रुपये तक बढ़ाने की घोषणा की गई थी. अब अधिकतम वार्षिक निवेश सीमा 1.5 लाख रुपयों की है.

अल कायदा ने कैदत अल जिहाद नाम से एक नया आतंकवादी संगठन बनाया

कैदतअल– जिहादःदक्षिणएशियामेंजिहादकाझंडाबुलंदकरनेकेलिएआतंकवादीसंगठन

अल–कायदा प्रमुख अयमान अल–जवाहिरी ने आतंकवादी संगठन की नई शाखा कैदत अल–जिहाद के बनाए जाने की घोषणा 3 सितंबर 2014 को की. इस शाखा को इस्लामी शासन के प्रसार और दक्षिण एशिया में जिहाद का झंडा बुलंद करने के लिए बनाया गया.

कैदत अल–जिहाद भारत, म्यांमार और बांग्लादेश में जंग लड़ेगा. इसके साथ ही जवाहिरी ने अफगान मूल के तालिबानी नेता मुल्ला उमर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. जवाहिरी ने भारतीय उपमहाद्वीप के लिए अल कायदा के इस नई शाखा के बनाए जाने को बर्मा, बांग्लादेश, असम, गुजरात, अहमदाबाद और कश्मीर के मुसलमानों के लिए अच्छी खबर बताया और कहा कि यह नई शाखा मुसलमानों को अन्याय और उत्पीड़न से बचाएगी.

कैदतअलजिहादकेबनाएजानेकीवजह
कैदत अल–जिहाद नाम के आतंकवादी संगठन को बनाने की वजह पिछले कुछ महीनों में इराक और सीरिया में समस्या पैदा करने वाले आतंकवादी संगठन आईएसआईएस को रोकना है. इसे अल कायदा को विश्व भर में इस्लामिक आतंकवाद के नेतृत्व को चुनौती देते हुए देखा जा रहा है. 
अलकायदाकेबारेमें
अल– कायदा एक वैश्विक आतंकवादी इस्लामी और बहावी संगठन है जिसकी स्थापना ओसामा बिन लादेन, अब्दुल्ला आजम और कई अन्य आतंकवादियों ने अगस्त 1988 और 1989 के आखिर के बीच में की थी. इसकी जड़े अफगानिस्तान में हुए सोवियत युद्ध से जुड़ी है. 
अल–कायदा एक आतंकवादी संगठन है जो अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सक्रिय है. ये दो ऐसे देश हैं जहां उनके जीवित नेताओं के छिपे होने की आशंका है.

आईआईसीटीहैदराबादनेरिचार्जेबलमैग्नीशियमबैटरीविकसितकी

भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) ने एक रिचार्जेबल मैग्नीशियम धातु बैटरी का निर्माण किया. इस खोज की घोषणा 3 सितंबर 2014 को वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), हैदराबाद के अंतर्गत आईआईसीटी द्वारा  की गई.

इस रिचार्जेबल मैग्नीशियम बैटरी का निर्माण वत्सला रानी के नेतृत्व में एक टीम द्वारा किया गया. यह बैटरी लेड एसिड बैटरी का एक विकल्प है इसके कई  फायदे हैं जैसे यह पर्यावरण अनुकूल है और पारंपरिक लेड एसिड बैटरी की तुलना में इसकी लागत कम है.

मैग्नीशियमबैटरीकेबारेमें
•    नई बैटरी पर्यावरण अनुकूल सामग्री का उपयोग करती है जैसे संशोधित प्राकृतिक ग्रेफाइट (कैथोड), मैग्नीशियम (एनोड), और आयनिक तरल इलेक्ट्रोलाइट. ये सुरक्षित है और बहुतायत में उपलब्ध है.
•    यह बैटरी पर्यावरण सजग रिचार्जेबल मैग्नीशियम बैटरी के रूप में जहरीली लेड एसिड बैटरी का विकल्प है.
•    प्राकृतिक ग्रेफाइट कैथोड साथ नई बैटरी सुरक्षित, कम लागत और यूपीएस और इनवर्टर जैसे स्थिर उपयोगों के लिए अच्छी है.
•    डिस्चार्ज के दौरान एनोड के एमजी आयन्स कैथोड के ग्रेफाइट परतों में मिल जाते हैं और चार्जिंग के दौरान वे एनोड पर वापस लौट आते हैं.
•    इलेक्ट्रोलाइट के रूप में इस्तेमाल आयनिक तरल खुद से तैयार किया गया था. इस तरल को स्थिर और सामान्य तापमान पर गैर संक्षारक पाया गया.
•    इलेक्ट्रोड सामग्री पुन: प्रयोगी और बायोडिग्रेडेबल है.
•    बैटरी का जीवन चक्र 800-900 चक्र के लिए स्थापित किया गया है और बैटरी का समय 2-3 वर्ष होने का अनुमान है.
लेडएसिडबैटरीकेबारेमें
लेड यौगिक अत्यंत विषाक्त होते हैं और इन यौगिकों की छोटी मात्रा में लंबी अवधि का अनावरण भी बच्चों में मस्तिष्क और गुर्दे की क्षति, सुनाई देने की समस्या, और समझने की समस्या पैदा कर सकता है. लेड एसिड बैटरी का पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है और लेड उत्सर्जन की रोकथाम की जा सकती है.

अलकायदानेकैदतअलजिहादनामसेएकनयाआतंकवादीसंगठनबनाया

कैदतअल– जिहादःदक्षिणएशियामेंजिहादकाझंडाबुलंदकरनेकेलिएआतंकवादीसंगठन

अल–कायदा प्रमुख अयमान अल–जवाहिरी ने आतंकवादी संगठन की नई शाखा कैदत अल–जिहाद के बनाए जाने की घोषणा 3 सितंबर 2014 को की. इस शाखा को इस्लामी शासन के प्रसार और दक्षिण एशिया में जिहाद का झंडा बुलंद करने के लिए बनाया गया.

कैदत अल–जिहाद भारत, म्यांमार और बांग्लादेश में जंग लड़ेगा. इसके साथ ही जवाहिरी ने अफगान मूल के तालिबानी नेता मुल्ला उमर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. जवाहिरी ने भारतीय उपमहाद्वीप के लिए अल कायदा के इस नई शाखा के बनाए जाने को बर्मा, बांग्लादेश, असम, गुजरात, अहमदाबाद और कश्मीर के मुसलमानों के लिए अच्छी खबर बताया और कहा कि यह नई शाखा मुसलमानों को अन्याय और उत्पीड़न से बचाएगी.

कैदतअलजिहादकेबनाएजानेकीवजह
कैदत अल–जिहाद नाम के आतंकवादी संगठन को बनाने की वजह पिछले कुछ महीनों में इराक और सीरिया में समस्या पैदा करने वाले आतंकवादी संगठन आईएसआईएस को रोकना है. इसे अल कायदा को विश्व भर में इस्लामिक आतंकवाद के नेतृत्व को चुनौती देते हुए देखा जा रहा है. 
अलकायदाकेबारेमें
अल– कायदा एक वैश्विक आतंकवादी इस्लामी और बहावी संगठन है जिसकी स्थापना ओसामा बिन लादेन, अब्दुल्ला आजम और कई अन्य आतंकवादियों ने अगस्त 1988 और 1989 के आखिर के बीच में की थी. इसकी जड़े अफगानिस्तान में हुए सोवियत युद्ध से जुड़ी है. 
अल–कायदा एक आतंकवादी संगठन है जो अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सक्रिय है. ये दो ऐसे देश हैं जहां उनके जीवित नेताओं के छिपे होने की आशंका है.

आईआईसीटीहैदराबादनेरिचार्जेबलमैग्नीशियमबैटरीविकसितकी

भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईसीटी) ने एक रिचार्जेबल मैग्नीशियम धातु बैटरी का निर्माण किया. इस खोज की घोषणा 3 सितंबर 2014 को वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), हैदराबाद के अंतर्गत आईआईसीटी द्वारा  की गई.

इस रिचार्जेबल मैग्नीशियम बैटरी का निर्माण वत्सला रानी के नेतृत्व में एक टीम द्वारा किया गया. यह बैटरी लेड एसिड बैटरी का एक विकल्प है इसके कई  फायदे हैं जैसे यह पर्यावरण अनुकूल है और पारंपरिक लेड एसिड बैटरी की तुलना में इसकी लागत कम है.

मैग्नीशियमबैटरीकेबारेमें
•    नई बैटरी पर्यावरण अनुकूल सामग्री का उपयोग करती है जैसे संशोधित प्राकृतिक ग्रेफाइट (कैथोड), मैग्नीशियम (एनोड), और आयनिक तरल इलेक्ट्रोलाइट. ये सुरक्षित है और बहुतायत में उपलब्ध है.
•    यह बैटरी पर्यावरण सजग रिचार्जेबल मैग्नीशियम बैटरी के रूप में जहरीली लेड एसिड बैटरी का विकल्प है.
•    प्राकृतिक ग्रेफाइट कैथोड साथ नई बैटरी सुरक्षित, कम लागत और यूपीएस और इनवर्टर जैसे स्थिर उपयोगों के लिए अच्छी है.
•    डिस्चार्ज के दौरान एनोड के एमजी आयन्स कैथोड के ग्रेफाइट परतों में मिल जाते हैं और चार्जिंग के दौरान वे एनोड पर वापस लौट आते हैं.
•    इलेक्ट्रोलाइट के रूप में इस्तेमाल आयनिक तरल खुद से तैयार किया गया था. इस तरल को स्थिर और सामान्य तापमान पर गैर संक्षारक पाया गया.
•    इलेक्ट्रोड सामग्री पुन: प्रयोगी और बायोडिग्रेडेबल है.
•    बैटरी का जीवन चक्र 800-900 चक्र के लिए स्थापित किया गया है और बैटरी का समय 2-3 वर्ष होने का अनुमान है.
लेडएसिडबैटरीकेबारेमें
लेड यौगिक अत्यंत विषाक्त होते हैं और इन यौगिकों की छोटी मात्रा में लंबी अवधि का अनावरण भी बच्चों में मस्तिष्क और गुर्दे की क्षति, सुनाई देने की समस्या, और समझने की समस्या पैदा कर सकता है. लेड एसिड बैटरी का पुनर्नवीनीकरण किया जा सकता है और लेड उत्सर्जन की रोकथाम की जा सकती

भारतऔरऑस्ट्रेलियाकेबीचअसैन्यपरमाणुकरारकेअलावादोनोंदेशोंनेऔरभीतीनसमझौतोंपरहस्ताक्षरकिएअन्यतीनसमझौतेहैं

• खेल के क्षेत्र में सहयोग पर सहमति पत्र
• जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग पर सहमति पत्र का नवीकरण
• तकनीकी व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण में सहयोग (टीवीईटी) पर सहमति पत्र
दूसरी ओर भारत और ऑस्ट्रेलिया ने वर्ष 2015 में एक द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास का संचालन करने के लिए सहमति की. यह सहमति इसलिए हुई है क्योंकि दोनों पक्ष आतंकवाद, साइबर खतरों और अन्य सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए अपने सुरक्षा सहयोग को बढ़ाना चाहते हैं. 
अन्यदेशोंकेसाथअसैन्यपरमाणुसमझौते

भारत ने सितंबर 2008 से रिएक्टरों और प्रौद्योगिकी की आपूर्ति के लिए कई देशों के साथ असैन्य परमाणु समझौते किये हैं जब उसे परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह से  बिना शर्त छूट प्राप्त हुई थी. इन देशों में चीन को छोड़कर सभी पी -5 के सदस्य शामिल हैं - अमरीका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन. पी -5 के सदस्यों के अलावा भारत ने अन्य देशों के साथ भी यूरेनियम और रिएक्टर की आपूर्ति, परमाणु प्रौद्योगिकी और कचरा प्रबंधन के लिए समझौते किये हैं जैसे-

• कनाडा
• कजाखस्तान
• अर्जेंटीना
• नामीबिया
• मंगोलिया

केपीएमजी– फिक्कीकेअध्ययनमेंभारतएशियामेंशीर्षतीनचिकित्सापर्यटनस्थलोंमेंशामिल

केपीएमजी– फिक्की ने चिकित्सा पर्यटन स्थल (medical tourism destinations) पर ‘मेडिकल वैल्यू ट्रैवल इन इंडिया’ (Medical Value Travel in India) नामक अध्ययन रिपोर्ट 1 सितंबर 2014 को जारी की. इस अध्ययन में भारत को एशिया के शीर्ष तीन चिकित्सा पर्यटन स्थलों में रखा गया है. एशिया के अन्य दो देश हैं-थाइलैंड और सिंगापुर. रिपोर्ट के मुताबिक, इन तीन देशों ने मिलकर वर्ष 2012 में कुल एशियाई राजस्व में करीब 60 फीसदी का योगदान किया.

रिपोर्ट में चिकित्सा की कम लागत, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल के लिए बुनियादी ढांचा और बेहद कुशल डॉक्टरों की उपलब्धता को शीर्ष तीन में आने की वजह बताया गया है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि एशियाई देशों ने मेडिकल पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कई मार्केटिंग रणनीतियां शुरु की हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों में एशिया मेडिकल वैल्यू ट्रैवल में सबसे पसंदीदा गंतव्य के रूप में आगे निकल गया है.
भारत के संदर्भ में, रिपोर्ट का कहना है कि भारत अपने किफायती चिकित्सा उपचार के साथ  कार्डियोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स, नेफ्रोलॉजी, ऑन्कोलॉजी और न्यूरो सर्जरी के उच्च मानकों की वजह से जाना जाता है. साथ ही यह देश योगा और आयुर्वेद जैसी वैकल्पिक उपचार के भी प्रसिद्ध है.

यह अध्ययन भारत और अन्य एशियाई देशों में किए गए शोध पर आधारित है. अध्ययन में पाया गया है कि यह क्षेत्र भारत के सबसे बड़े क्षेत्रों में से एक है और साल 2012 में इसने अनुमानित 78.6 बिलियन डॉलर की कमाई की. इसे 15 फीसदी के सालाना विकास दर के साथ साल 2017 तक 158.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है.

इराकीसेनानेइराककेअमेरलीशहरकीघेराबंदीतोड़ी

09-SEP-2014

अमेरिकी हवाई हमलों से समर्थित इराक की सेना ने आतंकवादी समूह आईएसआईएस के कब्जे वाली अमेरली शहर की घेराबंदी 31 अगस्त 2014 को तोड़ दी.
अमेरली में घुसने के लिए 30 अगस्त 2014 को इराकी सेना, शिया लड़ाकों और कुर्दिश पेशमर्गा ने मिलकर ऑपरेशन शुरु किया गया था. लड़ाई दो मोर्चों से लड़ी गई. संघर्ष शुरु होने के बाद अमेरली का यह ऑपरेशन संघीय सरकार की पहली प्रमुख जीत थी.

यह शहर जून 2014 से आईएसआईएस समूह की घेराबंदी में था. जेहादियों ने यहां हजारों की संख्या में इराकियों को बंधक बना रखा था.
मानवीय सहायता देने में अमेरिका का साथ यूके, फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया ने दिया. इसके अलावा, अमेरिकी सेना ने 31 अगस्त 2014 को दो और हवाई हमलों की पुष्टि की. एक मोसुल डैम के करीब जिसमें आईएस सेना के एक वाहन को नष्ट कर दिया गया था. दूसरा अमेरली के नजदीक जहां आईएस का एक टैंक  क्षतिग्रस्त हुआ था.
अमेरलीकेबारेमें
अमेरली शहर सलाह अद दीन प्रशासन के टूज जिले का शहर है. यह शहर उत्तरी इराक के दियाला प्रशासन के करीब बसा है, इरान की सीमा से करीब 100 किलोमीटर दूर. यहां की आबादी 26000 है, इसमें ज्यादातर इराक के तुर्कमान जाति के अल्पसंख्यक हैं. यह कृषि क्षेत्र का केंद्र है.

हबीब वली मोहम्मद का 4 सितंबर 2014 को 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया. वह अपने निधन के समय लॉस एंजिल्स में रहते थे. हबीब वली मोहम्मद को उनकी फिल्मी गजल “आज जाने की जिद ना करो” के लिए जाना जाता था.

हबीब वली ने उस्ताद लताफताह हुसैन, उस्ताद फय्याज खान के भतीजे से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा प्राप्त की. इस्माइल यूसुफ कॉलेज के संगीत कार्यों में सक्रिय होने के कारण उनको तानसेन उपनाम दिया गया. उन्होंने मुंबई में स्नातक की डिग्री पूरी की.

वर्ष 1941 में, हबीब वली को गायक मुकेश चंद मुथुर सहित, 1200 प्रतियोगियों के साथ बंबई संगीत प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्होंने अपने विजयी प्रदर्शन में अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर की ग़ज़ल “लगता नहीं है जी मेरा उजड़े दियार में” गाई थी.

वर्ष 1947 में पाकिस्तान की आजादी के बाद, उनका परिवार पाकिस्तान चला गया था

एरॉनफिंचआस्ट्रेलियाकीट्वेंटी-20 क्रिकेटटीमकेकप्ताननियुक्त

क्रिकेट आस्ट्रेलिया (सीए) ने 7 सितंबर 2014 को ‘एरॉन फिंच’ को आस्ट्रेलिया की ट्वेंटी-20 क्रिकेट टीम का कप्तान नियुक्त किया. वह जॉर्ज बेले का स्थान लेंगें, जिन्होंने 7 सितंबर 2014 को स्वेच्छा से आस्ट्रेलिया के ट्वेंटी-20 क्रिकेट टीम के कप्तान का पद त्याग कर दिया.

विश्व के सर्वोच्च वरीयता प्राप्त  टी-20 बल्लेबाज फिंच आस्ट्रेलियाई टी-20 टीम के सातवें कप्तान हैं. वह पहली बार 5 अक्टूबर 2014 को दुबई में पाकिस्तान के खिलाफ अपनी टीम का नेतृत्व करेंगे.

एरॉनफिंचसेसंबंधितमुख्यतथ्य

  • 113 टी-20 मैचों का अनुभव, दो शतकों और 25 अर्धशतकों की मदद से अब तक 3526 रन बना चुके हैं.
  • अब तक कुल 18 अंतरराष्ट्रीय टी-20 मैच खेले हैं. इसमें उन्होंने ने एक शतक और पांच अर्धशतक की मदद से 660 रन बनाए हैं. उनका औसत 41.25 है.
  • 2013 में इंग्लैंड के खिलाफ टी-20 मैच में 156 रनों की पारी खेली थी, जो एक विश्व रिकार्ड है.
  • कप्तान के तौर पर फिंच बिग बैश लीग में दो वर्ष तक मेलबर्न रेनेगेड्स की कमान सम्भाल चुके हैं.
  • आईपीएल की पुणे वॉरियर्स फ्रेंचाइजी टीम के कप्तान रह चुके हैं.
  • आस्ट्रेलियानेतस्करीकरभारतसेबाहरगईदोप्राचीनशिवमूर्तियांभारतसौंपी
    • आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने तस्करी कर भारत से बाहर ले जाई गई दो प्राचीन शिव मूर्तियां (नटराज और अर्धनारीश्वर) 7 सितंबर 2014 को भारत सौंपी. उन्होंने अपने भारत दौरे के दौरान इन मूर्तियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा. 11वीं सदी में निर्मित ये मूर्तियां तमिलनाडु से तस्करी कर ले जाई गई थीं, जिसे ऑस्ट्रेलिया सरकार को बेच दिया गया था.
    • विदित हो कि भारत की शिकायत के बाद ऑस्ट्रेलिया ने केनबरा स्थित नेशनल आर्ट गैलरी और सिडनी की आर्ट गैलरी में रखी नटराज और अर्धनारीश्वर की मूर्तियों को लौटाया. इस मामले को लेकर भारत ने अपने उच्चायोग के जरिये आस्ट्रेलिया से शिकायत की थी.
    • जेएनयूकेप्रोफेसरप्रियदर्शीमुखर्जीकोचीनबुकअवार्डसेसम्मानितकियागया
      • चीन ने 5 सितम्बर 2014 को जेएनयू के प्रोफेसर प्रियदर्शी मुखर्जी को चीन बुक अवार्ड से सम्मानित किया. प्रियदर्शी मुखर्जी को चीनी भाषा के अनुवाद और प्रकाशन के लंबी अवधि के योगदान के लिए सम्मानित किया गया.
      • चीन बुक अवार्ड एक विशेष पुरस्कार है जो विदेशों में चीनी पुस्तकों के प्रसार में योगदान करने वाले लोगो को दिया जाता है. यह पुरस्कार बीजिंग के ग्रेट हॉल ऑफ द पीपुल के समारोह में प्रदान किए गए थे.
      • प्रियदर्शी मुखर्जी को दस अन्य लोगों  के साथ सम्मानित किया गया. इसमें अमेरिका के डेविड आर कनेत्स, इटली के अनुवादक फेडरिको मासिनी, लेखक बर्नार्ड ब्रिजे थे और विभिन्न देशों के  प्रकाशकों को भी शीर्ष विजेताओं के रूप में चयन किया गया था.
      • प्रियदर्शीमुखर्जीकेबारेमें
        प्रो मुखर्जी वर्तमान में जेएनयू की चीनी और सिनोलाजिकल स्टडीज विभाग के तहत काम कर रहे हैं. 
        उन्होंने चीनी भाषा से बांग्ला, हिंदी और अंग्रेजी में साहित्यिक कृतियों का अनुवाद किया और पिछले 25 वर्षों में चीनी संस्कृति और चीनी भाषा पर किताबो को विनिबंध किया.

        चीनबुकअवार्डकेबारेमें
        यह पुरस्कार चीन की पीपुल्स गणराज्य के प्रेस, प्रकाशन, रेडियो, फिल्म, और टेलीविजन के राज्य प्रशासन द्वारा आयोजित किया गया था. यह पुरस्कार चीनी उप प्रधानमंत्री, सुश्री लियू यंडोंग द्वारा प्रदान किया गया.
      • यह पुरस्कार पहली बार राज्य स्तरीय पुरस्कार के रूप में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रचार विभाग द्वारा वर्ष 2005 में शुरू किया गया था.
      • इस पुरस्कार का उद्देश्य विदेशों में चीनी संस्कृति और साहित्य को बढ़ावा देना है. यह पुरस्कार आम तौर पर उन विदेशी सिनोलाजिस्ट, अनुवादकों, लेखकों और प्रकाशकों को दिया जाता है जो पूरी दुनिया में चीन की संस्कृति की प्रगति में उल्लेखनीय योगदान देते हैं.
      • आस्ट्रेलियानेतस्करीकरभारतसेबाहरगईदोप्राचीनशिवमूर्तियांभारतसौंपी
      • 09-SEP-2014
        • आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने तस्करी कर भारत से बाहर ले जाई गई दो प्राचीन शिव मूर्तियां (नटराज और अर्धनारीश्वर) 7 सितंबर 2014 को भारत सौंपी. उन्होंने अपने भारत दौरे के दौरान इन मूर्तियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपा. 11वीं सदी में निर्मित ये मूर्तियां तमिलनाडु से तस्करी कर ले जाई गई थीं, जिसे ऑस्ट्रेलिया सरकार को बेच दिया गया था.
        • विदित हो कि भारत की शिकायत के बाद ऑस्ट्रेलिया ने केनबरा स्थित नेशनल आर्ट गैलरी और सिडनी की आर्ट गैलरी में रखी नटराज और अर्धनारीश्वर की मूर्तियों को लौटाया. इस मामले को लेकर भारत ने अपने उच्चायोग के जरिये आस्ट्रेलिया से शिकायत की थी.
        • सेरेनाविलियम्सलगातारतीसरीबारयूएसओपनजीता
          • विश्व की नंबर एक टेनिस खिलाड़ी सेरेना विलियम्स ने 7 सितंबर 2014 को लगातार तीसरी बार अमेरिकी ओपन ट्राफी जीती. लगातार तीसरी बार खिताब जीतने और अमेरिकी ओपन में छठे अमेरिकी ओपन खिताब सुरक्षित करने के लिए विलियम्स ने डेनमार्क की कैरोलीन वोजनियास्की को सीधे सेटों में 6-3, 6-3 से हराया.
          • सेरेना ने इस जीत के साथ ही सबसे अधिक छह बार अमेरिकी ओपन खिताब जीतने वाली क्रिस एवर्ट और मार्टिना नवरातिलोवा की बराबरी कर ली. सेरेना ने अब तक कुल 18 ग्रैंड स्लैम खिताब जीते हैं. एवर्ट और मार्टिना नवरातिलोवा ने भी 18-18 ग्रैंड स्लैम खिताब जीते हैं. इस जीत से विलियम्स ने यूएस ओपन में एवर्ट के छह चैंपियनशिप के रिकार्ड की बराबरी की.
  • इसके अलावा, 32 वर्षीय सेरेना विलियम्स नवरातिलोवा के बाद दूसरी सबसे उम्रदराज ग्रैंड स्लैम विजेता बन गई. नवरातिलोवा ने वर्ष 1990 में 33 वर्ष की उम्र में विंबलडन जीता था.
    पुरूष युगल खिताब में अमेरिका के ब्रायन बंधुओं ने पांचवीं बार अमेरिकी ओपन खिताब जीता. ब्रायन बंधुओं ने अपना 16वां ग्रैंड स्लैम खिताब जीता. माइक और बॉब ब्रायन ने स्पेन के मार्सेल ग्रानोलर्स और मार्क लोपेज की जो़डी को 6-3, 6-4 से हराया.
  • भारतीयमूलकेगणितज्ञदयारेड्डी ‘इंटरनेशनलकाउंसिलफॉरसाइंस’ (आइसीएसयूकेअध्यक्षचुनेगए
  • भारतीय मूल के दक्षिण अफ्रीकी गणितज्ञ दया रेड्डी ‘इंटरनेशनल काउंसिल फॉर साइंस’ (आइसीएसयू) के अध्यक्ष चुने गए. उन्होंने युआन तसेह ली (चीन) का स्थान लिया. रेड्डी को आइसीएसयू के 120 ‘नेशनल मेंबर्स’ एंड ‘साइंटिफिक यूनियन’ ने 7 सितंबर 2014 को न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में हुई महासभा में अध्यक्ष चुना.
  • इंटरनेशनलकाउंसिलफॉरसाइंस’ (आइसीएसयूसेसंबंधितमुख्यतथ्य
  • ‘आइसीएसयू’ वैज्ञानिक कार्यों हेतु कार्यरत एक वैश्विक गैर सरकारी संगठन हैं. इसकी स्थापना वर्ष 1931 में पेरिस (फ्रांस) में हुई. वर्तमान में ‘आइसीएसयू’ में 121 राष्ट्रीय वैज्ञानिक समूह और 31 अंतराष्ट्रीय वैज्ञानिक समूह शामिल हैं.

जापाननेछहभारतीयअंतरिक्षऔररक्षानिकायोंकोफॉरेनएंडयूजर्सलिस्टसेहटाया

जापान ने छह भारतीय अंतरिक्ष और रक्षा निकायों को फॉरेन एंड यूजर्स लिस्ट से 1 सितंबर 2014 को हटा दिया.

इनसे रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग में मदद मिल सकती थी. यह फैसला भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शींजो अबे के साथ टोकियो में हुई बैठक में किया गया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच दिनों की जापान यात्रा पर थे.

जापान और भारत ने यूएस–2 एम्फीबियन एयरक्राफ्ट खरीदने का समझौता किया. इसमें भारत में इस विमान और उसकी तकनीक का हस्तांतरण भी शामिल है. दोनों ही देश तीसरे देश को निर्यात करने पर भी सहमत हुए हैं. इससे भारत में रक्षा उद्योग की शुरुआत होगी.

दोनों ही देशों ने असैन्य परमाणु सहयोग पर हुई वार्ता में महत्वपूर्ण प्रगति की और अपने वार्ताकारों को रणनीतिक भागीदारी को मजबूत बनाने की दिशा में तेजी से काम करने का निर्देश देने को राजी हुए. जापान ने घोषणा की कि जापान से भेजे जाने वाले सामान और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल सामूहिक विनाश के हथियारों के लिए नहीं किया जाएगा.

दोनों ही देशों ने उन्नत प्रौद्योगिकी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, लोगों के बीच आदान–प्रदान औऱ शैक्षणिक सहयोग का भी फैसला किया.

जम्मूऔरकश्मीरसरकारनेट्रांसजेंडरकेकल्याणकेलिएपैनलबनाया

जम्मू और कश्मीर (जे एंड के) सरकार ने राज्य में ट्रांसजेंडर के कल्याण के लिए पैनल 2 सितंबर 2014 को गठित किया. इस पैनल की अध्यक्षता राज्य के मुख्य सचिव करेंगे और समिति के संयोजक सामाजिक कल्याण विकास के सचिव होंगे.

समिति का गठन ट्रांसजेंडर के कल्याण के लिए नीतियां तैयार करने के लिए किया गया. इसका उद्देश्य ट्रांसजेंडर को सभ्य जीवन जीने और समाज में उन्हें मुख्यधारा में लाना है. 
समितिकेविचारार्थ

  • समिति ट्रांसजेंडर के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का सुझाव देगी.
  • यह ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए उत्पादक और लाभप्रद रोजगार एवं स्व रोजगार के समान अवसर मुहैया कराएगी.
  • यह ट्रांसजेंडर समुदाय के मुद्दे पर संवेदनशील कानून और कानून प्रवर्तन प्रणाली के लिए सुझाव देगी और उन्हे कार्यवाई करने के लिए सशक्त बनाएगी.
  • राज्य में नामित एजेंसियों और जिला प्रशासन के जरिए ट्रांसजेंडर पर सर्वेक्षण का फैसला करेगी.
  • आम शिक्षा प्रणाली में ट्रांसजेंडर को शामिल करने और स्कूलों में बच्चों को जागरुक बनाने के लिए किशोर शिक्षा में उन पर पाठ्य सामग्री शामिल करने के लिए.
  • प्रशिक्षण और लोगों के संवेदीकरण के अलावा अस्पतालों में ट्रांसजेंडर के पंजीकरण और दाखिले के लिए नीतियां बनाना.
  • उनके लिए लिंग संक्रमण के उपयोग में सुधार संबंधित सेवाओं के लिए.
  • यह समुदाय के उत्थान के लिए कल्याणकारी कार्यक्रम की भी शुरुआत करेगा.

स्कूल और कॉलेज स्तर की शिक्षा जिसमें पेशेवर और व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी शामिल है, हासिल कर रहे ट्रांसजेंडर बच्चों के लिए वजीफा और छात्रवृत्ति के लिए नीति बनाना.

इससे पहले, 15 अप्रैल 2014 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक प्रमुख फैसले में ट्रांसजेंडर को तीसरे लिंग के रूप में मान्यता प्रदान की थी. सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर के लिए 26 सिफारिशें दी थी जिसमें ट्रांसजेंडर पर राष्ट्रीय नीति के बनाने और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में ट्रांसजेंडर के खिलाफ होने वाले यौन उत्पीड़न और अपराधों से निपटने के लिए धारा बनाने संबंधी सिफारिश थी.

भारत के अन्य राज्यों ने 28 अगस्त 2014 को ट्रांसजेंडर्स पर नीति बनाई. महाराष्ट्र सरकार ने ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड बनाने का फैसला किया.

कर्नाटक सरकार ने ट्रांसजेंडर के लिए राज्य नीति शीर्षक से 20 जून 2014 को मसौदा जारी किया. यह नीति कल्याण कार्यक्रमों की शुरुआत के लिए समर्पित प्रकोष्ठ, सरकार से फंड हासिल करना, पहचान पत्र जारी करना और ट्रांसजेंडर्स के लिए जागरुकता कार्यक्रम आयोजित करने की बात करती है.

वर्ष 2008 में ट्रांसजेंडर के लिए कल्याण बोर्ड गठित करने वाला पहला राज्य तमिलनाडु बना था. तमिलनाडु ऐसा करने वाला न सिर्फ भारत का पहला राज्य था बल्कि विश्व में ऐसा कदम उठाने वाला पहला राज्य था. ट्रांसजेंडर की शिक्षा में सुधार के लिए तमिलनाडु सरकार ने मई 2008 में सरकारी कॉलेजों में तीसरे लिंग के लिए जगह बनाई थी.

केंद्रीयविधिमंत्रालयकेनिर्देशबनामजन-प्रतिनिधियोंकेखिलाफअपराधिकमामलोंकीसुनवाईमेंतेजी

केंद्रीय विधि मंत्रालय ने सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को वर्तमान सांसदों और विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार और गंभीर अपराधों के मामलों में तेजी से कार्रवाई करने का अनुरोध 7 सितंबर 2014 को किया. भारत सरकार ने यह कदम सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और बहुत कुछ संभव है कि  प्रधानमंत्री की स्वच्छ राजनीति के वायदे के तहत उठाया. 
निश्चित ही भारत सरकार का यह इरादा जितना ही अच्छा है, उसे पूरा करने का मार्ग उतना ही कठिन.

ज्ञातव्य है कि मार्च 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया था कि चुने गए जन-प्रतिनिधियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और गंभीर अपराधों के मामले में सुनवाई एक वर्ष के अंदर पूरी होनी चाहिए. केंद्र सरकार को ऐसे मामलों की त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. 
केंद्रीय गृह और विधि मंत्रियों ने शायद अपने इन नवीनतम पत्रों के माध्यम में मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों को सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों की याद दिलाई है. उनसे यह सुनिश्चित करने का अनुरोध भी किया है कि जिन मुकदमों में न्यायालय में आरोप तय हो चुके हों, उनमें निचली अदालतों का फैसला वर्ष भर के भीतर आ जाए. विशेष तौर पर वैसे आरोपों से संबंधित मामलों में, जो जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(1), 8(2) और 8 (3) के तहत आते हों.
जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(1), 8(2) और 8 (3) के तहत आने वाले मामलों में सजा होने पर सांसद अथवा विधायक की सदस्यता खारिज होने का प्रावधान है.
संगीन अपराधों के आरोपी जनप्रतिनिधि बने रहें, यह किसी भी दशा में उचित नहीं है.
संगीन अपराध के मामलों  में आरोप तय होने के बाद चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग अभी तक पूरी न होने की स्थिति में अब तो यही रास्ता बचा है कि मुकदमों का शीघ्रातिशीघ्र निपटारा किया जाए. लेकिन समस्या यह है कि यह कैसे हो?

अगस्त 2014 में ही सर्वोच्च न्यायालय ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार की वह अर्जी ठुकरा दी, जिसमें सांसदों से जुड़े मुकदमों को निपटाने के लिए अलग से फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का अनुरोध किया गया था. तब सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि किसी खास श्रेणी के अभियुक्तों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का मतलब यह होगा कि आम मुकदमों की सुनवाई में और देरी होगी. सर्वोच्च न्यायालय का  सुझाव था कि सरकार को ऐसे इंतजाम करने चाहिए, जिससे सभी मामलों की तेजी से सुनवाई हो.
अब केंद्र ने राज्य सरकारों से अतिरिक्त अभियोजक नियुक्त करने और सांसद और विधायकों के  मामलों की प्रतिदिन सुनवाई सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया है.
यह पहल बहुत अच्छी है, परन्तु असली जरूरत अधिक बजट और ज्यादा अदालतों की है. पर्याप्त ढांचे के बिना सुनवाई में तेजी लाना संभव नहीं है.
वास्तव में यदि सरकारें सार्वजनिक जीवन की स्वच्छता के प्रति गंभीर हैं, तो उन्हें पहल इन मोर्चों पर भी करनी होगी अन्यथा अच्छे उद्‌देश्य होने के बावजूद भी कोई ठोस प्रगति नहीं हो सकेगी.

आरबीआईनेबैंकोकोऋणप्रक्रियाकेलिएसमय-सीमातयकरनेनिर्देशदिया

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को ऋण प्रक्रिया के लिए समय सीमा तय करने का 1 सितंबर 2014 को निर्देश  दिया. यह निर्देश ऋण निर्णयों में तेजी लाने के मद्देनजर जारी किया गया. हालांकि, आरबीआई ने इसके लिए कोई खास समय सीमा निर्धारित नहीं की थी.

इसके अलावा, आरबीआई ने बैंको को वेबसाइट और नोटिस बोर्डों के जरिए ऋण फैसलों से जुड़ी समय-सीमा के बारे में बताने को कहा. अपनी अधिसूचना में, केंद्रीय बैंक ने कहा है कि बैंकों को ऋण प्रस्तावों के निपटान प्रक्रिया का उचित समय-सीमा के साथ सटीक वर्णन करना चाहिए और  निर्धारित अवधि के बाद भी लंबित पड़े आवेदनों की समीक्षा करने के लिए उपयुक्त निगरानी तंत्र बनाना चाहिए.
आरबीआई ने यह फैसला बैंकों द्वारा ऋण निर्णयों की जानकारी देने में की जा रही अत्यधिक देरी पर गौर करने के बाद किया. इसकी वजह से परियोजना के कार्यान्वयन में देरी होती

विश्व साक्षरता दिवस दुनिया भर में मनाया गया

विश्वसाक्षरतादिवस– 8 सितंबर 2014

दुनिया भर में 8 सितंबर 2014 को विश्व साक्षरता दिवस मनाया गया. इस वर्ष का थीम साक्षरता और सतत विकास (लिटरेसी एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट) था. इसका उद्देश्य व्यक्तिगत, सामुदायिक और सामाजिक साक्षरता के महत्व पर प्रकाश डालना था.

इस दिन, बालिकाओं और महिलाओं की साक्षरता और शिक्षा पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनः सतत विकास के लिए नींव और बांग्लादेश के सहयोग के साथ ढाका में यूनेस्को साक्षरता पुरस्कार दिए गए.

विश्वसाक्षरतादिवसकेबारेमें
पहला विश्व साक्षरता दिवस 8 सितंबर 1966 को मनाया गया था और वर्ष 1965 में यूनेस्को ने इसकी घोषणा की थी.

यूनेस्को ने सभी के लिए शिक्षा की कल्पना के साथ संयुक्त राष्ट्र साक्षरता दशक (2003–2012) मनाया. पूरे दशक के दौरान यूनेस्को ने साक्षरों की संख्या में बढ़ोत्तरी के लिए काम किया. लिटरेसी इनिशिएटिव फॉर इम्पावरमेंट (एलआईएफई) लक्ष्य की प्राप्ति का प्रमुख तंत्र रहा.

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और यूनेस्को की महानिदेशक इरीना बोकोवा ने ढाका में संयुक्त रूप से वर्ष 2014 के यूनेस्को इंटरनेशनल साक्षरता पुरस्कार प्रदान किए. कन्फ्यूशियस और किंग सेजोंग पुरस्कार इन्हें दिए गए–

  • इक्वाडोर की बुनियादी शिक्षा को युवाओं और व्यस्कों की परियोजना के लिए.
  • स्पेन के लाइफलॉन्ग लर्निंग स्कूल को सामुदायिक विकास परियोजना के लिए.
  • बुरकिना फासो से अनौपचारिक शिक्षा को बढ़ावा देने वाले एसोसिएशन को.
  • अल्जीरिया साक्षरता एसोसिएशन और अंतरराष्ट्रीय साक्षरता संस्थान (अमेरिका) को.

बिहार सरकार ने किन्नरों को 'थर्ड जेंडर' का दर्जा दिया

बिहार सरकार ने 9 सितंबर 2014 को किन्नरों (ट्रांसजेंडर) को 'थर्ड जेंडर' (लिंग की तीसरे श्रेणी) का दर्जा दिया. बिहार सरकार के कैबिनेट से इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद इसकी घोषणा की गई. राज्य कैबिनेट ने कुल 45 प्रस्तावों पर चर्चा की, जिनमें से एक प्रस्ताव किन्नरों को लेकर था. कई नागरिक अधिकार संगठन (सिविल राइट्ड ऑर्गेनाइजेशन) और किन्नर लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे.

बिहार सरकार द्वारा किन्नरों को 'थर्ड जेंडर' का दर्जा दिए जाने के फलस्वरूप अब किन्नरों को राज्य की पिछड़ी जाति के सूची-2 में शामिल किया जाएगा और सरकारी नौकरी में उन्हें आरक्षण का लाभ  मिलेगा.

विदित हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने 15 अप्रैल 2014 को अपने ऐतिहासिक फैसले में किन्नरों (ट्रांसजेंडर) को लिंग के तीसरे श्रेणी के रूप में मान्यता प्रदान की. अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने उल्लेख किया कि ट्रांसजेंडर सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं. इस फैसले के साथ ही साथ न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और एके सीकरी की बेंच ने केंद्र और राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे इस समुदाय को मुख्यधारा में लाने के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और रोजगार मुहैया कराने के लिए जरूरी कदम उठाएं.

एशियाई खेलों हेतु 679 सदस्यीय भारतीय दल की घोषणा

केंद्रीय खेल मंत्री सर्बनंदा सोनवाल ने 9 सितंबर 2014 को एशियाई खेलों हेतु 679 सदस्यीय भारतीय दल की घोषणा की. एशियाई खेल इंचिओन (दक्षिण कोरिया) में 19 सितंबर 2014 से 4 अक्टूबर 2014 के बीच होंगे.

भारतीय ओलंपिक संघ ने खेल मंत्रालय को 942 सदस्यीय दल का प्रस्ताव भेजा था. इनमें से 662 एथलीट और 280 अधिकारी थे. इसमें से खेल मंत्रालय द्वारा चुने गए 679 सदस्यों में 516 एथलीट और 163 कोच व सपोर्ट स्टाफ शामिल हैं.

विदित हो कि भारत इंचिओन (दक्षिण कोरिया) में आयोजित एशियाई खेलों के 28 स्पर्धाओं में हिस्सा लेगा.
भारतद्वाराभागलिएजानेवाले 28 स्पर्धाओंकीसूची:
1. तैराकी
2. तीरंदाजी 
3. एथलेटिक्स 
4. बैडमिंटन 
5. बास्केटबॉल 
6. मुक्केबाजी 
7. केनोइंग कयाकिंग
8. साइकलिंग 
9. घु़ड़सवारी
10. फुटबॉल
11. गोल्फ
12. जिम्नास्टिक्स 
13. हैंडबॉल
14. हॉकी
15. जूडो 
16. कबड्डी
17. रोविंग 
18. सेपक तकरा
19. शूटिंग 
20. स्क्वॉश
21. ताइक्वांडो
22. टेबल टेनिस
23. टेनिस 
24. वॉलीबॉल
25. कुश्ती
26. वूशू 
27. भारोत्तोलन
28. पाल नौकायन

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबोट ने भारत का दौरा किया

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबोट ने 4 सितम्बर 2014 से 5 सितम्बर 2014 तक भारत का दौरा किया.

प्रधानमंत्री मोदी और टोनी एबोट ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने भारत दौरे के दौरान चार समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. ये हैं–
•    नाभकीय ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग
•    खेल के क्षेत्र में सहयोग के लिए
•    जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन का नवीकरण.
•    तनकीनी व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (टीवीईटी) में सहयोग.
नाभकीयऊर्जाकेशांतिपूर्णउपयोगमेंसहयोग
नाभकीय ऊर्जा के क्षेत्र में शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग को यह बढ़ावा देगा. यह भारत की प्रतिबद्धता को मान्यता प्रदान करता है और नाभकीय ऊर्जा का इस्तेमाल सतत विकास और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में करेगा. भारत को लंबे– समय तक यूरेनियम की आपूर्ति में आस्ट्रेलिया विश्वसनीय भूमिका निभा सकता है. यह यूरेनियम, रेडियो आइसोटोप के उत्पादन, नाभकीय सुरक्षा और सहयोग के अन्य क्षेत्रों में आपूर्ति करेगा.

खेलकेक्षेत्रमेंसहयोगकेलिएएमओयू
एमओयू खेल के क्षेत्र में प्रोग्राम्स, अनुभवों, कौशलों, तकनीकों और ज्ञान के आदान–प्रदान को प्रोत्साहित करेगा. यह खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों और अधिकारियों के साथ प्रशिक्षण एवं प्रौद्योगिकियों के आदान–प्रदान की भी सुविधा देगा. यह प्रतियोगिता की तैयारी और खेलों में व्यापक सहयोग को विकसित करेगा.

जलसंसाधनप्रबंधनकेक्षेत्रमेंसहयोगवालेएमओयूकानवीकरण
यह जल संसाधन खासकर नदी बेसिन प्रबंधन में नीतियों और तकनीकी विशेषज्ञता को साझा करने के लिए बढ़ावा देगा. यह दोनों ही देशों द्वारा सर्वश्रेष्ठ अभ्यास और प्रौद्योगिकियों के विकास को साझा करने और सूचना एवं प्रशिक्षण के आदान– प्रदान को प्रोत्साहित करेगा. जेडब्ल्यूजी गतिविधियों का समन्वय करेंगे.
तकनीकीव्यावसायिकशिक्षाऔरप्रशिक्षण (टीवीईटीमेंसहयोगपरएमओयू
टीवीईटी प्रणालियों में सूचना औऱ नीतिगत विचारों को साझा करने को प्रोत्साहित करना, सहयोगात्मक परियोजनाओं में संयुक्त कार्यान्वयन और सरकारों, औद्योगिक संगठनों, टीवीईटी निकायों के बीच लिंक स्थापित करने की सुविधा देगा. फोकस अनुभव और नीति को साझा करने पर होगा ताकि कुशल और वैश्विक स्तर पर उत्पादक कार्य बल को तैयार किया जा सके. कौशल इस क्षेत्र के कुशल श्रमिकों तक पहुंच को प्रोत्साहित करेगा.
द्विपक्षीयसहयोग

  • दोनों ही देशों के प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय रणनीतिक भागीदारी को मजबूत बनाने और नए स्तर के आपसी विश्वास की तरफ बढ़ने के प्रति अपनी –अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की.
  • उन्होंने द्विपक्षीय भागीदारी के ठोस प्रतीक के तौर पर द्विपक्षीय नागरिक नाभकीय सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किया.
  • इस समझौते से ऑस्ट्रेलियाई यूरेनियम का भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के लिए बिक्री और इसके लिए प्रशासनिक कार्यवाई जल्द से जल्द पूरी कर लेने के निर्देश दिए गए.

आर्थिकसंबंध

  • दोनों ही देश दीर्घकालिक पारस्परिक लाभ के लिए व्यापार को बढ़ाने और भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के आर्थिक विकास को स्थायी बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
  • ये बुनियादी ढांचा, संसाधनों,कृषि, विनिर्माण, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में दोनों ही तरफ से निवेश और सहयोग को बढ़ाने परे सहमत हुए ताकि क्षमता को बढ़ाया जा सके, नई प्रौद्योगिकियों को शामिल किया जा सके और नवाचार एवं कौशल का विकास हो सके.
  • दोनों ही देश एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए) की उम्मीद करते हैं जो दोनों तरफ से व्यापार और निवेश के विस्तार में सहयोग करे. उन्होंने दोनों देशों की न्यायोचित, संतुलित, व्यापक और उच्च गुणवत्ता वाले समझौते के जल्द से जल्द बनाए जाने के की बात दोहराई.
  • वे आर्थिक संबंधों और व्यापारिक भागिदारियों को सीईओ फोरम के जरिए मजबूत किए जाने, व्यवसाय और व्यापार मिशन के नियमित प्रोत्साहन के आदान– प्रदान और भारत–ऑस्ट्रेलिया व्यापार शिखर सम्मेलन को वर्ष 2015 के शुरुआत में आयोजित करने पर सहमत हुए.

रक्षाऔरसुरक्षासहयोग

  • दोनों ही देश वर्ष 2015 में पहली बार द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास के लिए राजी हुए. रक्षा सहयोग के बढ़ाने जिसमें रक्षा विज्ञान और उद्योग में करीबी संबंध और सहयोग शामिल है, के पहल पर कम जारी है.
  • प्रधानमंत्री मोदी को वर्ष 2015 में होने वाले गल्लाईपोली की 100 वर्षगांठ के स्मृति समारोह में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री की तरफ से हिस्सा लेने का आमंत्रण मिला था.
  • दोनों ही देश रक्षा और सुरक्षा भागीदारी को मजबूत बनाने और रक्षा, आतंकवाद, साइबर नीति, अंतरराष्ट्रीय अपराध, निरस्त्रीकरण और अप्रसार, मानवीय सहायता, आपदा प्रबंधन और शांति के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
  • दोनों ही देशों ने रक्षा और सुरक्षा सहयोग में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत बनाने के लिए रूपरेखा बनाने हेतु मार्गदर्शन की बात कही.

ऊर्जाविज्ञानजलशिक्षाऔरकौशलमेंसहयोग

  • दोनों ही देश ऑस्ट्रेलिया– भारत रणनीतिक अनुसंधान फंड (एआईएसआरएफ) को आगामी चार वर्षों के लिए बढ़ाने पर सहमत हो गए.
  • एआईएसआरएफ ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं को नवीनतम वैज्ञानिक परियोजनाओं और भारतीय वैज्ञानिकों के साथ कार्यशालाओं में हिस्सा लेने में मदद करता है. यह ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय शोधकर्ताओं के रणनीति भागीदारी के विकास को बढ़ावा देता है.
  • ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबोट ने मुंबई विश्वविद्यालय में नए कोलंबो प्लान का भी आरंभ किया.

अपने दौरे के दौरान ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबोट ने भारत को एक उभरता हुआ लोकतांत्रिक महाशक्ति बताया और भारत में व्यापार के लिए प्रचुर मात्रा में मौजूद अवसर की बात कही. उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय में नए कोलंबो प्लान का भी आरंभ किया.

भारत ने आसियान के साथ निवेश एवं सेवा व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए

भारत ने औपचारिक रूप से 9 सितंबर 2014 को आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) के साथ निवेश एवं सेवा व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह सेवा समझौता दोनों पक्षों के बीच जनशक्ति और निवेश के नए अवसर पैदा करने हेतु की गई. दस में से नौ आसियान देशों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए. फिलीपींस द्वारा भी जल्द ही हस्ताक्षर किए जाने की उम्मीद है.

भारत और आसियान के बीच वस्तुओं के व्यापार से संबंधित करार पर वर्ष 2009 में हस्ताक्षर किए गए थे और यह करार 2010 से प्रभावी हो गया था. इस व्यापार समझौते के बाद से पिछले चार वर्षों में भारत और आसियान के बीच व्यापार में वृद्धि हुई. इसी को देखते हुए भारत ने निवेश एवं सेवा व्यापार संबंधी समझौता किया.
आसियानसेसंबंधितमुख्यतथ्य
दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन (एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस- ‘आसियान’) दस दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों (ब्रूनेई,  बर्मा, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, फिलिपींस, सिंगापुर, थाईलैंड एवं वियतनाम) का समूह है, जिसका गठन क्षेत्रीय आर्थिक विकास और समृद्धि को बढ़ावा देने और क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम करने हेतु 8 अगस्त, 1967 को थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में हुआ. आसियान का मुख्यालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में स्थित है.
इसके संस्थापक सदस्य थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलिपींस और सिंगापुर थे. ब्रूनेई इस संगठन में वर्ष 1984 में शामिल हुआ और वियतनाम वर्ष 1995 में. वर्ष 1997 में लाओस और बर्मा इसके सदस्य बने. वर्ष 1976 में आसियान की पहली बैठक में इसके सदस्यों के बीच बंधुत्व और सहयोग की संधि पर हस्ताक्षर किए गए. वर्ष 1994 में आसियान ने एशियाई क्षेत्रीय फोरम (एशियन रीजनल फोरम- एआरएफ) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य सुरक्षा को बढ़ावा देना था. वर्तमान में अमेरिका, रूस, भारत, चीन, जापान और उत्तरी कोरिया सहित एआरएफ के कुल 23 सदस्य देश हैं.

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबोट ने भारत का दौरा किया

एबोट ने 4 सितम्बर 2014 से 5 सितम्बर 2014 तक भारत का दौरा किया.

प्रधानमंत्री मोदी और टोनी एबोट ने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने भारत दौरे के दौरान चार समझौते ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. ये हैं–
•    नाभकीय ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग
•    खेल के क्षेत्र में सहयोग के लिए
•    जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन का नवीकरण.
•    तनकीनी व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (टीवीईटी) में सहयोग.
नाभकीयऊर्जाकेशांतिपूर्णउपयोगमेंसहयोग
नाभकीय ऊर्जा के क्षेत्र में शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग को यह बढ़ावा देगा. यह भारत की प्रतिबद्धता को मान्यता प्रदान करता है और नाभकीय ऊर्जा का इस्तेमाल सतत विकास और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत बनाने के लक्ष्य को हासिल करने में करेगा. भारत को लंबे– समय तक यूरेनियम की आपूर्ति में आस्ट्रेलिया विश्वसनीय भूमिका निभा सकता है. यह यूरेनियम, रेडियो आइसोटोप के उत्पादन, नाभकीय सुरक्षा और सहयोग के अन्य क्षेत्रों में आपूर्ति करेगा.

खेलकेक्षेत्रमेंसहयोगकेलिएएमओयू
एमओयू खेल के क्षेत्र में प्रोग्राम्स, अनुभवों, कौशलों, तकनीकों और ज्ञान के आदान–प्रदान को प्रोत्साहित करेगा. यह खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों और अधिकारियों के साथ प्रशिक्षण एवं प्रौद्योगिकियों के आदान–प्रदान की भी सुविधा देगा. यह प्रतियोगिता की तैयारी और खेलों में व्यापक सहयोग को विकसित करेगा.

जलसंसाधनप्रबंधनकेक्षेत्रमेंसहयोगवालेएमओयूकानवीकरण
यह जल संसाधन खासकर नदी बेसिन प्रबंधन में नीतियों और तकनीकी विशेषज्ञता को साझा करने के लिए बढ़ावा देगा. यह दोनों ही देशों द्वारा सर्वश्रेष्ठ अभ्यास और प्रौद्योगिकियों के विकास को साझा करने और सूचना एवं प्रशिक्षण के आदान– प्रदान को प्रोत्साहित करेगा. जेडब्ल्यूजी गतिविधियों का समन्वय करेंगे.
तकनीकीव्यावसायिकशिक्षाऔरप्रशिक्षण (टीवीईटीमेंसहयोगपरएमओयू
टीवीईटी प्रणालियों में सूचना औऱ नीतिगत विचारों को साझा करने को प्रोत्साहित करना, सहयोगात्मक परियोजनाओं में संयुक्त कार्यान्वयन और सरकारों, औद्योगिक संगठनों, टीवीईटी निकायों के बीच लिंक स्थापित करने की सुविधा देगा. फोकस अनुभव और नीति को साझा करने पर होगा ताकि कुशल और वैश्विक स्तर पर उत्पादक कार्य बल को तैयार किया जा सके. कौशल इस क्षेत्र के कुशल श्रमिकों तक पहुंच को प्रोत्साहित करेगा.
द्विपक्षीयसहयोग

  • दोनों ही देशों के प्रधानमंत्रियों ने द्विपक्षीय रणनीतिक भागीदारी को मजबूत बनाने और नए स्तर के आपसी विश्वास की तरफ बढ़ने के प्रति अपनी –अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की.
  • उन्होंने द्विपक्षीय भागीदारी के ठोस प्रतीक के तौर पर द्विपक्षीय नागरिक नाभकीय सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किया.
  • इस समझौते से ऑस्ट्रेलियाई यूरेनियम का भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के लिए बिक्री और इसके लिए प्रशासनिक कार्यवाई जल्द से जल्द पूरी कर लेने के निर्देश दिए गए.


आर्थिकसंबंध

  • दोनों ही देश दीर्घकालिक पारस्परिक लाभ के लिए व्यापार को बढ़ाने और भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के आर्थिक विकास को स्थायी बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
  • ये बुनियादी ढांचा, संसाधनों,कृषि, विनिर्माण, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में दोनों ही तरफ से निवेश और सहयोग को बढ़ाने परे सहमत हुए ताकि क्षमता को बढ़ाया जा सके, नई प्रौद्योगिकियों को शामिल किया जा सके और नवाचार एवं कौशल का विकास हो सके.
  • दोनों ही देश एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए) की उम्मीद करते हैं जो दोनों तरफ से व्यापार और निवेश के विस्तार में सहयोग करे. उन्होंने दोनों देशों की न्यायोचित, संतुलित, व्यापक और उच्च गुणवत्ता वाले समझौते के जल्द से जल्द बनाए जाने के की बात दोहराई.
  • वे आर्थिक संबंधों और व्यापारिक भागिदारियों को सीईओ फोरम के जरिए मजबूत किए जाने, व्यवसाय और व्यापार मिशन के नियमित प्रोत्साहन के आदान– प्रदान और भारत–ऑस्ट्रेलिया व्यापार शिखर सम्मेलन को वर्ष 2015 के शुरुआत में आयोजित करने पर सहमत हुए.

रक्षाऔरसुरक्षासहयोग

  • दोनों ही देश वर्ष 2015 में पहली बार द्विपक्षीय समुद्री अभ्यास के लिए राजी हुए. रक्षा सहयोग के बढ़ाने जिसमें रक्षा विज्ञान और उद्योग में करीबी संबंध और सहयोग शामिल है, के पहल पर कम जारी है.
  • प्रधानमंत्री मोदी को वर्ष 2015 में होने वाले गल्लाईपोली की 100 वर्षगांठ के स्मृति समारोह में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री की तरफ से हिस्सा लेने का आमंत्रण मिला था.
  • दोनों ही देश रक्षा और सुरक्षा भागीदारी को मजबूत बनाने और रक्षा, आतंकवाद, साइबर नीति, अंतरराष्ट्रीय अपराध, निरस्त्रीकरण और अप्रसार, मानवीय सहायता, आपदा प्रबंधन और शांति के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
  • दोनों ही देशों ने रक्षा और सुरक्षा सहयोग में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत बनाने के लिए रूपरेखा बनाने हेतु मार्गदर्शन की बात कही.

ऊर्जाविज्ञानजलशिक्षाऔरकौशलमेंसहयोग

  • दोनों ही देश ऑस्ट्रेलिया– भारत रणनीतिक अनुसंधान फंड (एआईएसआरएफ) को आगामी चार वर्षों के लिए बढ़ाने पर सहमत हो गए.
  • एआईएसआरएफ ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं को नवीनतम वैज्ञानिक परियोजनाओं और भारतीय वैज्ञानिकों के साथ कार्यशालाओं में हिस्सा लेने में मदद करता है. यह ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय शोधकर्ताओं के रणनीति भागीदारी के विकास को बढ़ावा देता है.
  • ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबोट ने मुंबई विश्वविद्यालय में नए कोलंबो प्लान का भी आरंभ किया.

अपने दौरे के दौरान ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबोट ने भारत को एक उभरता हुआ लोकतांत्रिक महाशक्ति बताया और भारत में व्यापार के लिए प्रचुर मात्रा में मौजूद अवसर की बात कही. उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय में नए कोलंबो प्लान का भी आरंभ किया.

भारतीय मूल के गणितज्ञ दया रेड्डी ‘इंटरनेशनल काउंसिल फॉर साइंस’ (आइसीएसयू) के अध्यक्ष चुने गए

भारतीय मूल के दक्षिण अफ्रीकी गणितज्ञ दया रेड्डी ‘इंटरनेशनल काउंसिल फॉर साइंस’ (आइसीएसयू) के अध्यक्ष चुने गए. उन्होंने युआन तसेह ली (चीन) का स्थान लिया. रेड्डी को आइसीएसयू के 120 ‘नेशनल मेंबर्स’ एंड ‘साइंटिफिक यूनियन’ ने 7 सितंबर 2014 को न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में हुई महासभा में अध्यक्ष चुना.

इंटरनेशनलकाउंसिलफॉरसाइंस’ (आइसीएसयूसेसंबंधितमुख्यतथ्य

‘आइसीएसयू’ वैज्ञानिक कार्यों हेतु कार्यरत एक वैश्विक गैर सरकारी संगठन हैं. इसकी स्थापना वर्ष 1931 में पेरिस (फ्रांस) में हुई. वर्तमान में ‘आइसीएसयू’ में 121 राष्ट्रीय वैज्ञानिक समूह और 31 अंतराष्ट्रीय वैज्ञानिक समूह शामिल हैं.

जापान ने छह भारतीय अंतरिक्ष और रक्षा निकायों को फॉरेन एंड यूजर्स लिस्ट से हटाया

जापान ने छह भारतीय अंतरिक्ष और रक्षा निकायों को फॉरेन एंड यूजर्स लिस्ट से 1 सितंबर 2014 को हटा दिया.

इनसे रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग में मदद मिल सकती थी. यह फैसला भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शींजो अबे के साथ टोकियो में हुई बैठक में किया गया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पांच दिनों की जापान यात्रा पर थे.

जापान और भारत ने यूएस–2 एम्फीबियन एयरक्राफ्ट खरीदने का समझौता किया. इसमें भारत में इस विमान और उसकी तकनीक का हस्तांतरण भी शामिल है. दोनों ही देश तीसरे देश को निर्यात करने पर भी सहमत हुए हैं. इससे भारत में रक्षा उद्योग की शुरुआत होगी.

दोनों ही देशों ने असैन्य परमाणु सहयोग पर हुई वार्ता में महत्वपूर्ण प्रगति की और अपने वार्ताकारों को रणनीतिक भागीदारी को मजबूत बनाने की दिशा में तेजी से काम करने का निर्देश देने को राजी हुए. जापान ने घोषणा की कि जापान से भेजे जाने वाले सामान और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल सामूहिक विनाश के हथियारों के लिए नहीं किया जाएगा.

दोनों ही देशों ने उन्नत प्रौद्योगिकी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, लोगों के बीच आदान–प्रदान औऱ शैक्षणिक सहयोग का भी फैसला किया.


जम्मू और कश्मीर सरकार ने ट्रांसजेंडर के कल्याण के लिए पैनल बनाया

जम्मू और कश्मीर (जे एंड के) सरकार ने राज्य में ट्रांसजेंडर के कल्याण के लिए पैनल 2 सितंबर 2014 को गठित किया. इस पैनल की अध्यक्षता राज्य के मुख्य सचिव करेंगे और समिति के संयोजक सामाजिक कल्याण विकास के सचिव होंगे.

समिति का गठन ट्रांसजेंडर के कल्याण के लिए नीतियां तैयार करने के लिए किया गया. इसका उद्देश्य ट्रांसजेंडर को सभ्य जीवन जीने और समाज में उन्हें मुख्यधारा में लाना है. 
समितिकेविचारार्थ

  • समिति ट्रांसजेंडर के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का सुझाव देगी.
  • यह ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए उत्पादक और लाभप्रद रोजगार एवं स्व रोजगार के समान अवसर मुहैया कराएगी.
  • यह ट्रांसजेंडर समुदाय के मुद्दे पर संवेदनशील कानून और कानून प्रवर्तन प्रणाली के लिए सुझाव देगी और उन्हे कार्यवाई करने के लिए सशक्त बनाएगी.
  • राज्य में नामित एजेंसियों और जिला प्रशासन के जरिए ट्रांसजेंडर पर सर्वेक्षण का फैसला करेगी.
  • आम शिक्षा प्रणाली में ट्रांसजेंडर को शामिल करने और स्कूलों में बच्चों को जागरुक बनाने के लिए किशोर शिक्षा में उन पर पाठ्य सामग्री शामिल करने के लिए.
  • प्रशिक्षण और लोगों के संवेदीकरण के अलावा अस्पतालों में ट्रांसजेंडर के पंजीकरण और दाखिले के लिए नीतियां बनाना.
  • उनके लिए लिंग संक्रमण के उपयोग में सुधार संबंधित सेवाओं के लिए.
  • यह समुदाय के उत्थान के लिए कल्याणकारी कार्यक्रम की भी शुरुआत करेगा.

स्कूल और कॉलेज स्तर की शिक्षा जिसमें पेशेवर और व्यावसायिक पाठ्यक्रम भी शामिल है, हासिल कर रहे ट्रांसजेंडर बच्चों के लिए वजीफा और छात्रवृत्ति के लिए नीति बनाना.

इससे पहले, 15 अप्रैल 2014 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक प्रमुख फैसले में ट्रांसजेंडर को तीसरे लिंग के रूप में मान्यता प्रदान की थी. सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर के लिए 26 सिफारिशें दी थी जिसमें ट्रांसजेंडर पर राष्ट्रीय नीति के बनाने और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में ट्रांसजेंडर के खिलाफ होने वाले यौन उत्पीड़न और अपराधों से निपटने के लिए धारा बनाने संबंधी सिफारिश थी.

भारत के अन्य राज्यों ने 28 अगस्त 2014 को ट्रांसजेंडर्स पर नीति बनाई. महाराष्ट्र सरकार ने ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड बनाने का फैसला किया.

कर्नाटक सरकार ने ट्रांसजेंडर के लिए राज्य नीति शीर्षक से 20 जून 2014 को मसौदा जारी किया. यह नीति कल्याण कार्यक्रमों की शुरुआत के लिए समर्पित प्रकोष्ठ, सरकार से फंड हासिल करना, पहचान पत्र जारी करना और ट्रांसजेंडर्स के लिए जागरुकता कार्यक्रम आयोजित करने की बात करती है.

वर्ष 2008 में ट्रांसजेंडर के लिए कल्याण बोर्ड गठित करने वाला पहला राज्य तमिलनाडु बना था. तमिलनाडु ऐसा करने वाला न सिर्फ भारत का पहला राज्य था बल्कि विश्व में ऐसा कदम उठाने वाला पहला राज्य था. ट्रांसजेंडर की शिक्षा में सुधार के लिए तमिलनाडु सरकार ने मई 2008 में सरकारी कॉलेजों में तीसरे लिंग के लिए जगह बनाई थी.

केंद्रीय विधि मंत्रालय के निर्देश बनाम जन-प्रतिनिधियों के खिलाफ अपराधिक मामलों की सुनवाई में तेजी

केंद्रीय विधि मंत्रालय ने सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को वर्तमान सांसदों और विधायकों के खिलाफ भ्रष्टाचार और गंभीर अपराधों के मामलों में तेजी से कार्रवाई करने का अनुरोध 7 सितंबर 2014 को किया. भारत सरकार ने यह कदम सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और बहुत कुछ संभव

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने माओवादियों का मुकाबला करने हेतु वनों के रास्ते में परिवर्तन को मंजूरी दी

08-SEP-2014

केंद्रीय गृह मंत्रालय (एमएचए) ने माओवादियों का मुकाबला करने के लिए वनों के रास्ते में परिवर्तन को मंजूरी 2 सितंबर 2014 को दी. वन संरक्षण (एफसी) अधिनियम 1980 के तहत वन भूमि में सभी श्रेणियों के सार्वजनिक सड़कों के निर्माण के लिए बांटी जाएगी.

सरकार द्वारा उठाए गए इस कदम का उद्देश्य एलडब्ल्यूई प्रभावित जिलों में सड़क के बुनियादी ढ़ाचे को बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाना है ताकि सुरक्षा बल और अधिक प्रभावशाली तरीके से माओवादियों का सामना कर सकें.

ये सार्वजनिक सड़के देश के सभी 117 वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) प्रभावित जिलों में पड़ने वाली वन भूमि में बनाई जाएंगी. हालांकि, यह अनुमति संरक्षित क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाली सड़कों के लिए नहीं बढ़ाई जाएगी.

इसके अलावा, एफसी कानून के तहत छूट 117 एलडब्ल्यूई जिलों में 15 विशेष श्रेणियों के सार्वजनिक जनोपयोगी परियोजनाओं के निष्पादन के लिए मौजूदा एक हेक्टर वन भूमि में सड़क निर्माण का विस्तार कर पांच हेक्टेयर कर दिया गया.

ये श्रेणियां हैं स्कूल, दवाखाना, अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, बिजली औऱ दूसरसंचार लाइनें, पेयजल, अक्षय ऊर्जा के स्रोत, कौशल विकास, बिजली सब–स्टेशन आदि

सभी श्रेणियों में सार्वजनिक सड़क जिसमें संचार पोस्ट, पुलिस प्रतिष्ठानों जैसे चौकियां, आउटपोस्ट, सीमा आउटपोस्ट, संवेदनशील इलाकों में घंटाघर, जमीन के अंदर ऑप्टिकल फाइबर केबल लागाना, दूरसंचार लाइनें आदि भी शामिल हैं.

एलडब्ल्यूई प्रभावित जिलों के बारे में

117 एलडब्ल्यूई  प्रभावित जिले भारत के कई राज्यों में फैले हैं. ये राज्य हैं छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडीशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश. इनमें छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडीशा, बिहार, सबसे अधिक प्रभावित माने जाते हैं. दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश आंशिक रूप से प्रभावित माने जाते हैं. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश को बहुत कम प्रभावित माना जाता है.

आरबीआई ने बैंको को ऋण प्रक्रिया के लिए समय-सीमा तय करने निर्देश दिया

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को ऋण प्रक्रिया के लिए समय सीमा तय करने का 1 सितंबर 2014 को निर्देश  दिया. यह निर्देश ऋण निर्णयों में तेजी लाने के मद्देनजर जारी किया गया. हालांकि, आरबीआई ने इसके लिए कोई खास समय सीमा निर्धारित नहीं की थी.

इसके अलावा, आरबीआई ने बैंको को वेबसाइट और नोटिस बोर्डों के जरिए ऋण फैसलों से जुड़ी समय-सीमा के बारे में बताने को कहा. अपनी अधिसूचना में, केंद्रीय बैंक ने कहा है कि बैंकों को ऋण प्रस्तावों के निपटान प्रक्रिया का उचित समय-सीमा के साथ सटीक वर्णन करना चाहिए और  निर्धारित अवधि के बाद भी लंबित पड़े आवेदनों की समीक्षा करने के लिए उपयुक्त निगरानी तंत्र बनाना चाहिए.
आरबीआई ने यह फैसला बैंकों द्वारा ऋण निर्णयों की जानकारी देने में की जा रही अत्यधिक देरी पर गौर करने के बाद किया. इसकी वजह से परियोजना के कार्यान्वयन में देरी होती है.

अमेरिका की हास्य अभिनेत्री और टॉक शो होस्ट जोन रिवर्स का निधन

अमेरिका की हास्य अभिनेत्री और टॉक शो होस्ट जोन रिवर्स का हृदयाघात के कारण 4 सितंबर 2014 को 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया. 
जोन रिवर्स अमेरिकी अभिनेत्री, हास्य अभिनेता, लेखक, निर्माता, टीवी होस्ट थी और उन्हें स्टैंड-अप कॉमेडी के लिए जाना जाता था.

जोनरिवर्स
•    जोन रिवर्स का जन्म 8 जून 1933 को अमेरिका के न्यूयार्क में यहूदी आप्रवासियों के परिवार में हुआ था.
•    वर्ष 1965 में उन्हें बड़ा ब्रेक मिला जब वह जॉनी कार्सन अभिनीत 'टुनाइट शो' पर दिखाई दी. 
•    रिवर्स ने वर्ष 1968 में एनबीसी के मार्निंग टॉक शो की मेजबानी की. 
•    वर्ष 1978 में उन्होंने फिल्म रैबिट टेस्ट में निर्देशन और अभिनय किया. 
•    वर्ष 1980 के मध्य में जोन रिवर्स को उस समय संकट का सामना करना पड़ा जब वर्ष 1987 में उनके पति एडगर रोसेनबर्ग ने आत्महत्या कर ली.
•    रिवर्स ने उत्कृष्ट टॉक शो होस्ट के रूप में 'द जोन रिवर्स शो' के लिए एमी पुरस्कार जीता. 
•    वर्ष  2010 में जोन रिवर्स को डाक्यूमैंट्री फिल्म ए पीस ऑफ वर्क में चित्रित किया गया था.

केंद्र सरकार सभी 218 कोल ब्लॉक्स की फिर से नीलामी चाहती है

केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को 1 सितंबर 2014 को सूचित किया कि वह अवैध घोषित सभी 218 कोल ब्लॉक्स की फिर से नीलामी करना चाहती है. लेकिन इसके साथ ही केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को 46 कोल ब्लॉक को अलग करने का अनुरोध किया जिसमें से 40 काम कर रहे हैं और 6 का परिचालन शुरु होने वाला है. इन्हें भी 25 अगस्त 2014 को अवैध घोषित कर दिया गया था.  ये सभी 46 कोल ब्लॉक 218 में शामिल हैं. वे सरकार को हुए नुकसान की भरपाई करने को तैयार हों तो 46 कोल ब्लॉक को रद्द करने से छूट और उनकी फिर से नीलामी को पूछा जाएगा.

इससे पहले भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय के तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने 1993 और 2010 के सभी आवंटनों को अवैध बताया था. सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से पूछा कि क्या सरकार अगर फिर से नीलामी योजना बनाए तो अच्छा नहीं होगा.
सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान, अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायालय को 1 सितंबर 2014 को सूचित किया कि 218 आवंटनों में से, 80 का आवंटन पहले ही रद्द किया जा चुका है. फिलहाल सिर्फ 138 आवंटित ब्लॉक हैं जिसमें से 40 चालू हैं और 6 परिचालन को तैयार हैं.
उन्होंने अदालत को यह भी बताया कि सरकार सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में कोल ब्लॉक के आवंटन को अवैध घोषित करने के परिणामों के अध्ययन करने के लिए समिति गठित करने के सुझाव से सहमत नहीं है.

अटॉर्नी जरनल द्वारा सूचित किए जाने के बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई 9 सितंबर 2014 के लिए स्थगित कर दी और साथ ही सरकार को अपने सुझावों के साथ शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया.

यूएसएफडीए ने भारतीय दवा कंपनी वॉकहार्ट को क्यूआईडीपी दर्जा दिया

अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) ने भारतीय कंपनी वॉकहार्ट की दो दवाओं को योग्य संक्रामक रोग उत्पाद (क्वालिफायड इंफेक्शियस डीजीज प्रोडक्ट, क्यूआईडीपी) का दर्जा 31 अगस्त 2014 को प्रदान किया. क्यूआईडीपी दर्जा हासिल करने वाली दो दवाएं हैं- WCK 771 और WCK 2349. इसके साथ ही वॉकहार्ट पहली भारतीय दवा कंपनी बन गई जिसकी दवाओं को क्यूआईडीपी का दर्जा दिया गया.

WCK 771 नसों में दी जाने वाली (intravenous ) एक दवा है जबकि WCK 2349 एक गोली. ये दोनों दवाएं मेथिसीलिन– रेसिस्टेंट स्टाफाइलोकोकस ऑरियस (एमआरएसए) के खिलाफ काम करती हैं जो कि त्वचा संक्रमण वाले रोगों से लेकर श्वसन संबंधी गंभीर संक्रमण के लिए जिम्मेदार होते हैं. इसके अलावा ये दोनों ही दवाएं हॉस्पिस्टल अक्वायर्ड निमोनिया (एचएपी) के इलाज में बेहद प्रभावी हैं. 
क्यूआईडीपीदर्जेकेबारेमें
क्यूआईडीपी का दर्जा उन दवाओं को दिया जाता है जो रोगजनकों के खिलाफ कार्य करते हैं और जिनमें उनके उपचार की जरूरतों को पूरा करने की जबरदस्त क्षमता होती है. इन दवाओं की पहचान अमेरिकी स्वास्थ्य एवं सुरक्षा निकाय का रोग नियंत्रण केंद्र (सेंटर फॉर डीजिज कंट्रोल) करता है. इस दर्जे के मिलने से दवा के एफडीए द्वारा दवा के उपयोग की तेजी से समीक्षा की अनुमति मिल जाती है जिससे उसे जल्द से जल्द बाजार में मुहैया कराने का रास्ता बनता है.

वॉकहार्टकेबारेमें
• वॉकहार्ट प्रौद्योगिकी उन्मुख वैश्विक दवा एवं जैव प्रौद्योगिकी कंपनी है. 
• विश्व स्तर पर इसके बहु– अनुशासनिक और नवीन अनुसंधान वाले प्रोग्राम्स चलते हैं और यह बौद्धिक संपत्ति बनाने पर ज्यादा जोर दे रहा है. 
• विश्व में इसके तीन अनुसंधान केंद्र- भारत, अमेरिका, यूके में हैं और आयरलैंड में विनिर्माण सुविधाएं हैं.

स्नैपडील ने डेन नेटवर्क्स के साथ संयुक्त उद्यम पर हस्ताक्षर किए

स्नैपडील ने 4 सितंबर 2014 को को डेन नेटवर्क्स के साथ संयुक्त उद्यम पर हस्ताक्षर किए. इसमें दोनों की इक्विटी हिस्सेदारी 50-50 प्रतिशत होगी. यह सौदा टेलीविजन होम शॉपिंग दर्शकों के लिए अपनी पहुंच का विस्तार करने के उद्देश्य से किया गया.

डेन नेटवर्क्स इंडिया की सबसे बड़ी केबल टीवी वितरण कंपनी है. यह कंपनी 200 से अधिक शहरों में 13 लाख घरों में सेवा प्रदान करती है.

इस सौदे से स्नैपडील और डेन नेटवर्क्स दोनों को लाभ होगा. स्नैपडील जहां एक बार में लाखों परिवारों तक सीधा पहुँचेगा वहीं डेन नेटवर्क्स एक बड़े लाभ के साथ राजस्व प्राप्त करेगा.
यह सौदा एक इकाई का निर्माण करता है जो अमेरिका आधारित क्यूवीसी के समान विकसित हो सकता है. क्यूवीसी  8.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वार्षिक बिक्री के साथ दुनिया की सबसे बड़ी होम शॉपिंग कंपनी है.

भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की वनडे सीरीज 3-1 से जीती

भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ 5 मैचों की एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय (ओडीआई) श्रृंखला 3-1 से जीती. श्रृंखला का पहला मैच बिना एक भी गेंद फेंके बारिश के कारण रद्द हो गया. हालांकि, भारत ने श्रृंखला के, दूसरे, तीसरे और चौथे मैच जीते लेकिन पांचवें और अंतिम मैच में इंग्लैंड के हाथों हार का सामना करना पड़ा.

श्रृंखला का आखिरी 5 सितम्बर 2014 को हेडिंग्ले, लीड्स में खेला गया था जिसमें भारत 41 रन से मैच हार गया. फाइनल मैच में जो रूट के शतक ने इंग्लैंड को मैच जितानें में मदद की. जबकि भारतीय टीम जीत के लिए 295 रन का पीछा करते हुए 48.4 ओवर में 253 रन पर ऑल आउट हो गई.
•   पांचवें मैच के मैन ऑफ द मैच - जो रूट 
•   मैन ऑफ सीरीज - सुरेश रैना

सीरीजकीरिपोर्ट
•    भारत बनाम इंग्लैंड, काउंटी ग्राउंड, नेविल रोड - 25 अगस्त 2014, बारिश के कारण धुल गया.
•    भारत बनाम इंग्लैंड, सोफिया गार्डन्स, कार्डिफ - 27 अगस्त 2014, भारत 133 रन से जीता. 
•    भारत बनाम इंग्लैंड, ट्रेंट ब्रिज, नॉटिंघम - 30 अगस्त 2014, भारत 6 विकेट से जीता.
•    भारत बनाम इंग्लैंड, एजबेस्टन, बर्मिंघम - 2 सितम्बर 2014, भारत 9 विकेट से जीता. 
•    भारत बनाम इंग्लैंड, हेडिंग्ले, लीड्स - 5 सितम्बर 2014, इंग्लैंड 41 रन से जीता.

इंग्लैंड दौरे के दौरान भारतीय टीम पहले ही इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए 5 मैचों की पटौदी ट्राफी टेस्ट सीरीज 3-1 से हार गया. इंग्लैंड दौरे के समाप्त होने से पहले भारत बर्मिंघम में 7 सितम्बर 2014 को एक टी-20 मैच भी खेलेगा.

चंद्रकला पड़िया आईआईएएस की पहली महिला अध्यक्ष नियुक्त

वह पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल गोपालकृष्ण गांधी का स्थान ग्रहण करेंगी.

वर्तमान में, वह बीकानेर में महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में काम कर रही हैं. वह आईआईएएस विजिटिंग एसोशिएट थी. वर्ष 2003-04 में वह भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान की राष्ट्रीय फैलो थी.

प्रोफेसर पड़िया के विशेषज्ञता के क्षेत्रों में राजनीतिक सिद्धांत, भारतीय और पश्चिमी राजनीतिक सोच, महिला अध्ययन, गांधी अध्ययन और मानव अधिकार शामिल हैं. वर्ष 2002 में, प्रोफेसर पड़िया  ने आईआईएएस द्वारा प्रकाशित नारीवाद, परंपरा और आधुनिकता का संपादन किया जो नारीवाद के पश्चिमी समझ सवाल खड़ी करती थी.

भारतीयउच्चअध्ययनसंस्थान (आईआईएएसकेबारेमें
भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान (आईआईएएस) शिमला में स्थित एक प्रतिष्ठित अनुसंधान संस्थान है. यह वर्ष 1964 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा स्थापित किया गया था.

वी नागराजन आईजीएल के नए निदेशक नियुक्त

वी नागराजन ने 4 सितंबर 2014 को इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) के निदेशक (वाणिज्यिक) के रूप में पदभार संभाल लिया.

आईजीएल में नई जिम्मेदारी में शामिल होने से पहले, वह बीना में भारत ओमान रिफाइनरीज लिमिटेड में बीना डिस्पैच टर्मिनल के प्रभारी के रूप में वरिष्ठ उपाध्यक्ष सेवारत थे.
वीनागराजनकेबारेमें
•    वह कार्बनिक रसायन विज्ञान में स्नातकोत्तर हैं.
•    वी नागराजन को संचालन, खुदरा, औद्योगिक और वाणिज्यिक बिक्री और कारोबार में 32 से अधिक वर्षों का अनुभव है. उन्होंने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड में अपनी सेवा प्रदान की है.

इंद्रप्रस्थगैसलिमिटेडकेबारेमें (आईजीएल)
इंद्रप्रस्थ गैस लिमिटेड (आईजीएल) दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार के साथ गेल (इंडिया) लिमिटेड और भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) की एक संयुक्त उद्यम कंपनी है. इसे वर्ष 1998 में शामिल किया गया था, आईजीएल ने गेल (इंडिया) लिमिटेड (इंडिया लिमिटेड के पूर्व गैस अथॉरिटी) से वर्ष 1999 में दिल्ली नगर गैस वितरण परियोजना का पदभार संभाल लिया. 
दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद जैसे शहरों में आईजीएल एकमात्र आपूर्तिकर्ता है. 
•    कंप्रेस्ड नेचुरल गैस (सीएनजी) 
•    पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी)

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबोट की दो दिवसीय भारत की राजकीय यात्रा एक ऐतिहासिक कदम!

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबोट की दो दिवसीय भारत की राजकीय यात्रा 4-5 सितंबर 2014 को संपन्न हो गई. इस यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने असैन्‍य परमाणु ऊर्जा समझौता सहित चार समझौते पर नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए. प्रधानमंत्री टोनी एबोट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय, क्ष्‍ोत्रीय और आपसी हितों के मामलों पर चर्चा की. अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री एबोट ने राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी और उपराष्‍ट्रपति हामिद अंसारी से भेंट की. प्रधानमंत्री एबोट ने मुम्‍बई का भी दौरा किया जहां उन्‍होंने भारतीय उद्योगपतियों से मुलाकात की.

दोनों प्रधानमंत्रियों की उपस्थिति में निम्‍नलिखित द्विपक्षीय समझौता ज्ञापनों पर हस्‍ताक्षर किए गए.
• परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग.
• खेलों में सहयोग पर समझौता ज्ञापन.
• जल संसाधन प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग पर समझौत ज्ञापन का नवीकरण.
• तकनीकी व्‍यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (टीवीईटी) में सहयोग पर समझौता ज्ञापन.
भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच असैन्‍य परमाणु ऊर्जा समझौते पर हस्‍ताक्षर होने के साथ ही ऑस्‍ट्रेलिया से यूरेनियम आयात करने का मार्ग प्रशस्‍त हो गया. यह परमाणु समझौता भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों में एक महत्‍वपूर्ण पड़ाव है.
वर्ष 2008 में भारत-अमेरिकी सिविल एटमी करार के बाद ऑस्‍ट्रेलिया ने भारत को यूरेनियम की बिक्री पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा लिया था ताकि भारत की महत्वाकांक्षी परमाणु कार्यक्रम की जरूरत पूरी हो सके. उसके बाद से इस परमाणु समझौते पर वर्ष 2012 से हस्‍ताक्षर करने के प्रयास किये जा रहे थे. ऑस्‍ट्रेलिया द्वारा यह प्रतिबंध भारत द्वारा परमाणु अप्रसार संधि पर हस्‍ताक्षर न किये जाने के कारण लगाए गए थे.
इस करार का उद्देश्य परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना है. इस समझौते में यह स्वीकार किया गया कि भारत सतत विकास और अपनी ऊर्जा सुरक्षा की जरूरत को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा का इस्तेमाल करेगा और इसको लेकर प्रतिबद्ध है. भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए समझौते में कहा गया है, ‘ऑस्ट्रेलिया भारत को यूरेनियम की दीर्घकालीन आपूर्ति की भूमिका निभा सकता है. इसके तहत यूरेनियम की आपूर्ति, रेडियो आइसोटेप्स का उत्पादन, परमाणु सुरक्षा और सहयोग के दूसरे क्षेत्रों में सहयोग करना है.

इस समझौते की विशेष अहमियत है क्योंकि भारत के परमाणु संयंत्र करीब 4680 मेगावट बिजली पैदा करते हैं, जिसमें से 2840 मेगावाट का उत्पादन स्वदेशी यूरेनियम से होता है, जबकि 1840 मेगावाट का आयात किए हुए ईंधन से होता है. 
देश के विकास में बिजली का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान हैं. बिना ऊर्जा के देश के विकास की कल्पना करना व्यर्थ है. इस समझौते से देश में कार्बन की मात्रा कम करने में मदद मिलेगी. क्योंकि भारत में बिजली उत्पादन में ज्यादातर कोयले का इस्तेमाल होता है. 
भारत में यूरेनियम से बिजली का उत्पादन मात्र दो प्रतिशत है. ऐसे में भारत को परमाणु बिजली उत्पादन के लिए यूरेनियम की सख्त जरूरत है. इसके मिलने से भारत के परमाणु बिजलीघर अधिक उत्पादन कर सकेंगें.
यूरेनियम के भंडार के मामले में ऑस्ट्रेलिया दुनिया का तीसरा प्रमुख देश है और वह एकवर्ष में करीब 7,000 टन यूरेनियम का निर्यात करता है.

अधिकतम सजा की आधी अवधि काट चुके विचाराधीन कैदियों को रिहा करने का सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश

सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएम लोढा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने न्यायिक अधिकारियों को उन विचाराधीन कैदियों को रिहा करने के आदेश दिये हैं जिन्‍होंने अपने अपराधों के लिए अधिकतम सजा की आधी अवधि काट ली. खंडपीठ ने यह आदेश कुछ जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान 5 सितंबर 2014 को जारी किया.

खंडपीठ ने देशभर की निचली अदालतों के न्यायाधीशों व मजिस्ट्रेटों को आदेश दिया है कि वे 1 अक्टूबर 2014 से उनके अधिकार क्षेत्र में आने वाली जेलों का दौरा शुरू करें और आधी सजा काट चुके विचाराधीन कैदियों की पहचान कर ,सीआरपीसी की धारा 436ए, के प्रावधानों का पालन करते हुए रिहाई का आदेश जारी करें. खंडपीठ ने निचली अदालतों के न्यायाधीशों से कहा है, कैदियों की रिहाई का आदेश जेल में ही पारित कर दें. न्यायिक अधिकारी दो महीने तक हर सप्ताह जेल का दौरा कर ऐसे कैदियों की पहचान करेंगे और रिहाई का आदेश देंगे ताकि सीआरपीसी की धारा 436ए के प्रावधान ठीक से लागू हों. खंडपीठ स्पष्ट किया कि कैदियों की रिहाई का आदेश देते समय वकीलों की उपस्थिति जरूरी नहीं है. न्यायिक अधिकारी अपना यह काम पूरा करने के दो महीने बाद अपनी रिपोर्ट संबंधित उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को भेजेंगे और वे रिपोर्ट सर्वोच्च न्यायालय को भेजेंगे. 
मामले पर सुनवाई के दौरान पीठ ने धीमी न्याय प्रदान प्रणाली पर भी चिंता जताई. खंडपीठ ने कहा, हमने कई मामलों में श्रेणियां तय कर दी हैं, लेकिन इन श्रेणियों से कुछ नहीं होगा. इसके लिए एक व्यापक योजना बनाने की जरूरत है. अब समस्या का मजबूती से हल ढूंढने का समय आ गया है. जरूरी नहीं कि परिणाम कल ही दिखने लगें पर जल्द ही दिखेंगे.

खंडपीठ ने देशभर की जेलों में बंद कुल कैदियों में 60 प्रतिशत विचाराधीन कैदी होने पर चिंता जताई. आंकड़ों के अनुसार देशभर की जेलों में कुल 3.80 लाख कैदी हैं. इनमें से 2.54 लाख विचाराधीन कैदी हैं.
सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का लाभ उन हजारों गरीब विचाराधीन कैदियों को मिलेगा जो श्योरिटी और जमानत की रकम न होने के कारण जमानत नहीं ले पाते और धीमी न्याय प्रणाली के कारण मुकदमा लंबित रहने तक सजा से ज्यादा जेल काटते हैं.
सीआरपीसीकीधारा 436 
'इस धारा के मुताबिक अगर कोई विचाराधीन कैदी उस पर लगे आरोपों में दी जाने वाली अधिकतम सजा की आधी सजा के बराबर कैद काट चुका होता है तो अदालत ऐसे कैदी को निजी मुचलके और श्योरिटी या बिना श्योरिटी के भी रिहा कर सकती है. बशर्ते उस विचाराधीन कैदी पर मौत की सजा दिए जाने वाले किसी अपराध का आरोप नहीं होना चाहिए.

सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को सरोगेट बच्चों की नागरिकता पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 4 सितंबर 2014 को केंद्र सरकार को भारत में भारतीय सरोगेट मां से जन्मे बच्चों की दोहरी नागरिकता देने के मामले में अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है. इन मामलों में बच्चों की जैविक मां विदेशी नागरिक होती हैं.

जस्टिस राणाजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की बेंच ने इस बात पर प्रकाश डाला की भारतीय संविधान के मुताबिक, सरोगेट मां से भारत में जन्मा बच्चा भारतीय नागरिकता का हकदार होता है लेकिन अगर बच्चे की मां विदेशी नागरिक है तो वह बच्चा उस देश की नागरिकता के लिए आवेदन करता है. पीठ से सरकार को कहा है कि वे इस मुद्दे पर गौर करें क्योंकि इसमें व्यापक कानून की जरूरत है जो सरोगेट बच्चे के सभी मुद्दों को हल कर सके.

पीठ ने सरकार से पूछा कि ऐसी स्थितियों से पैदा हुए सरोगेट बच्चों के लिए दोहरी नागरिकता पर विचार करने का विकल्प क्या खुला रखना चाहिए. दोहरी नागरिकता ऐसे बच्चों को सीमित हक दे सकते हैं.

अतिरिक्त सोलिसिटर जनरल (एएसजी) तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय को अपने जवाब में सूचित किया कि – असिस्टेड रिप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी रेगुलेशन बिल–संसद में वर्ष 2010 में पेश किया गया था. उन्हें बिल के स्थिति के बारे में निर्देश मिलेगा. 
एएसजी की प्रतिक्रिया को सुनने के बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई को 6 सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है, ताकि सरकार की ओर से जवाब दिया जा सके.

पृष्ठभूमि
पहली बार सरोगेट बच्चे से जुड़ी नागरिकता की समस्या तब सामने आई थी जब एक भारतीय सरोगेट मां ने वर्ष 2008 में जर्मन पिता जान ब्लेज के जुड़वा बच्चों को जन्म दिया. इन जुड़वा बच्चों का नाम ब्लाज निकोलस और ब्लाज लीयोनार्ड था.

भारतकेसंविधानकेमुताबिकनागरिकता

भारत के संविधान की नागरिकता भाग– II के अनुच्छेद 5 के तहत संविधान के बनाए जाने के वक्त नागरिकता की परिभाषा में कहा गया था कि, इस संविधान के प्रारंभ पर, भारत के इलाके में अधिवास वाला हर एक व्यक्ति और 
) जिसका जन्म भारत में हुआ है या 
)जिसके माता–पिता में से कोई भी एक भारत में जन्मा है या 
) जो कम–से–कम पिछले पांच वर्षों से भारत में मूल रूप से रह रहा है, भारतीय नागरिक होगा.

भारत का सबसे बड़ा अपतटीय गश्ती पोत आईएनएस सुमित्रा भारतीय नौसेना में शामिल

भारत का सबसे बड़ा नौसेना अपतटीय गश्ती पोत (ऑफशोर पट्रोल वेसल–एनओपीवी) आईएनएस सुमित्रा को 4 सितंबर 2014 को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया. इसे एडमिरल आरके धवन ने चेन्नई पोर्ट ट्रस्ट में शामिल किया. एडमिरल आरके धोवन भारतीय नौसेना प्रमुख हैं.

आईएनएस सुमित्रा पूर्वी नौसेना कमांड बेड़े में समुद्री निगरानी और तटीय सुरक्षा का काम करेगा. इसके अलावा, यह पोत तटीय निगरानी, भारतीय नौसेना के समुद्री– डाकू और समुद्री आतंकवाद ऑपरेशनों में भी शामिल होगा.

यह पोत भारतीय नौसेना के लिए विकसित स्वदेशी एनओपीवी श्रृंखला का चौथा पोत है. इससे पहले, इस श्रृंखला का 105 मीटर क्लास वाले एनओपीवी का पहला, दूसरा और तीसरा पोत–आईएनएस सरयू, आईएनएस सुनयना और आईएनएस सुमेधा को गोवा शिपयार्ड ने भारतीय नौसेना के सुपुर्द किया था.

इस पोत को कमांडर मिलिन्द मोहन मोक्षी कमांड करेंगें. कमांडर मोक्षी एक कम्यूनिकेशन विशेषज्ञ हैं जो 53वें नेवल एकेडमी कोर्स और वेलिंगटन के प्रतिष्ठित 67वें डिफेंस सर्विसेस स्टाफ कोर्स के पूर्व छात्र हैं. इस पोत पर नौ अधिकारियों और 105 नाविक होंगे.


आईएनएससुमित्रा
•    आईएनएस सुमित्रा भारत के पूर्वी समुद्री तट पर गश्त लगाने में प्रमुख भूमिका निभाएगा और यह एनओआईसी (तमिलनाडू और पुड्डुचेरी) एवं पूर्वी नौसेना कमांड का महत्वपूर्ण घटक होगा.
•    आईएनएस सुमित्रा चेन्नई का पहला प्रमुख पोत है जो कि इस इलाके के बढ़ते महत्व और निगरानी की जरूरत को दर्शाता है. 
•    पोत का प्राथमिक काम देश के विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) की निगरानी करना है जिसमें समुद्री डकैती के खिलाफ गश्तियां, बेड़ा समर्थन ऑपरेशंस और समुद्री अपटतीय संपत्तियों की सुरक्षा जैसे काम शामिल हैं. 
•    गोवा शिपयार्ड द्वारा डिजाइन किया गया और बनाया गया आईएनएस सुमित्रा देश के स्वेदशी डिजाइन और पोत निर्माण की अपार क्षमता को दर्शाता है. 
•    यह 105 मीटर लंबा, 13 मीटर चौड़ा और 2200 टन विस्थापन क्षमता वाला है. यह पोत 6000 समुद्री मील की स्थायित्व के साथ 25 समुद्री मील की गति से गश्त लगा सकता है. 
•    पोत के हथियारों और सेंसर हथियारों में 76.2 मिमि बंदूक (सुपर रैपिड गन माउंट), क्लोज इन वेपन सिस्टम्स (सीडब्ल्यूएस), इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट सिस्टम संकेत एमके III और संचार खुफिया प्रणाली ईएलके 7036 शामिल है.
•    इस पोत पर दो सुदृढ़ हवावाली तेज मोटर बोट्स हैं. इसके अलावा, यह पोत एक हेलिकॉप्टर भी ले जाने में सक्षम है. 
•    पोत का पूरा प्रणोदन (प्रपल्शन) और ऊर्जा प्रबंधन एक रिमोट कंट्रोल सिस्टम द्वारा इलेक्ट्रॉनिक रूप से नियंत्रित किया जाता है. 
•    पोत पूर्णतः एकीकृत एलएएन सिस्टम के साथ सीसीटीवी प्रबंधन सिस्टम से लैस है जो मौजूद उपकरणों और मानवशक्ति के इष्टतम उपयोग को सक्षम बनाता है.

भारत और नेपाल का संयुक्त सैन्य अभ्यास सूर्य किरण–VII पिथौरागढ़ में संपन्न

भारत–नेपाल संयुक्त सैन्य अभ्यास सूर्य किरण–VII 31 अगस्त 2014 को पिथौरागढ़ में संपन्न हो गया. यह इस श्रृंखला का सातवां अभ्यास था.

इस अभ्यास में भारतीय सेना के गरुड़ डिवीजन के तत्वाधान में आतंकवाद विरोधी, जंगल युद्ध और आपदा प्रबंधन का अभ्यास किया गया. इस अभ्यास ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाया है.

सूर्य किरण का उद्देश्य भारतीय और नेपाली सेनाओं के बीच समझ विकसित करना और पहाड़ी इलाकों में जंगल युद्ध एवं आतंकवाद विरोधी अभियानों में विशेषता हासिल करना है. 
इस अभ्यास में महामारी/ महामारी नियंत्रण के विशेष गुण के साथ आपदा प्रबंधन की बुनियादी बातों पर भी फोकस किया गया था. हाल ही में हुए इस सैन्य प्रशिक्षण अभ्यास ने दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग के बढ़ने का संकेत दिया है.

पृष्ठभूमि
भारत और नेपाल सेनाओं के बीच पहला सूर्य किरण अभ्यास मिजोरम के विरांगेट में वर्ष 2011 में शुरु हुआ था. इस प्रकार के सैन्य अभ्यास को शुरु करने का फैसला वर्ष 2011 में भारत–नेपाल द्विपक्षीय सलाहकार समूह के दौरान हुए एक समझौते के तहत किया गया था.

देश भर में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया गया

05-SEP-2014

 

सितंबरशिक्षकदिवस
देश भर में 5 सितंबर 2014 को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया गया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के बच्चों को संबोधित किया. भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन का जन्म दिवस 5 सितंबर देश भर में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है.

डॉ. एस राधाकृष्णन महान विद्वान, शिक्षक और दार्शनिक थे. वर्ष 1962 में उनके कुछ प्रशंसक और शिष्यों ने उनका जन्मदिन मनाने की इच्छा जाहिर की तो उन्होंने कहा, 'मेरे लिए इससे बड़े सम्मान की बात और कुछ हो ही नहीं सकती कि मेरा जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए.'और तभी से पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया जाता है.
विदित हो कि विश्व शिक्षक दिवस का आयोजन पांच अक्टूबर को होता है, लेकिन इसके अलावा विभिन्न देशों में अलग-अलग तारीखों पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है. ऑस्ट्रेलिया में यह अक्टूबर के अंतिम शुक्रवार को मनाया जाता है, भूटान में दो मई को तो ब्राजील में 15 अक्टूबर को. कनाडा में पांच अक्टूबर, यूनान में 30 जनवरी, मेक्सिको में 15 मई, पराग्वे में 30 अप्रैल और श्रीलंका में छह अक्टूबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है.

सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में उर्दू को दूसरी सरकारी भाषा बनाने के निर्णय को वैध ठहराया

सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने उर्दू को राज्य में दूसरी सरकारी भाषा का दर्जा देने वाले उत्तर प्रदेश सरकारी भाषा (संशोधन) कानून 1989 को वैध ठहराया. संविधान पीठ ने यह निर्णय 4 सितंबर 2014 को दिया. संविधान पीठ ने कहा कि इस देश के भाषाई कानून कठोर नहीं बल्कि भाषाई पंथनिरपेक्षता का लक्ष्य हासिल करने के लिए उदार हैं.

पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने उप्र हिंदी साहित्य सम्मेलन की अपील पर अपनी व्यवस्था में कहा कि संविधान में ऐसा कुछ नहीं है जो राज्य में हिंदी के अतिरिक्त एक या उससे अधिक भाषाओं के इस्तेमाल की घोषणा से राज्य सरकार को रोकता है. 
संविधान पीठ ने कहा कि किसी राज्य की सरकारी भाषा या भाषाओं से संबंधित अनुच्छेद 345 में ऐसा कुछ नहीं है जो हिंदी के अतिरिक्त राज्य में एक या अधिक भाषाओं को दूसरी भाषा घोषित करने से रोकता है. 
न्यायमूर्ति आरएम लोढ़ा के अलावा संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यामयूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति एसए बोबडे शामिल थे.
संविधान पीठ ने कहा कि बिहार, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली जैसे कई राज्य विधानमंडलों ने हिंदी के अतिरिक्त दूसरी भाषाओं को भी सरकारी कामकाज की भाषा के रूप में मान्यता दी है. यदि संविधान इसकी इजाजत नहीं देता तो ऐसा संभव नहीं हो पाता. दिल्ली में हिंदी के साथ ही पंजाबी और उर्दू को दूसरी सरकारी कामकाज की भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है.
संविधान पीठ ने कहा कि हिंदी को स्पष्ट रूप से या अलग से राज्य में सरकारी भाषा के रूप में अपनाए जाने का उल्लेख होने की वजह से उसे नहीं लगता कि संविधान किसी अन्य भाषा को सरकारी भाषा के रूप में अपनाने के विधानमंडल के विकल्प को बंद करता है.

भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी सदाशिवम का राज्यपाल के पद पर नियुक्त का औचित्य?

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम (पल्लानिस्वामी सदाशिवम) को केरल का राज्यपाल 3 सितंबर 2014 को नियुक्त किया. उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने राजभवन में पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम ने शीला दीक्षित का स्थान लिया.

इस नियुक्ति के साथ ही 65 वर्षीय न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम भारत के ऐसे पहले प्रधान न्यायाधीश हैं जिन्हें किसी राज्य का राज्यपाल नियुक्त किया गया. इसके अलावा, जुलाई 2013 से अप्रैल 2014 तक भारत के 40वें प्रधान न्यायाधीश रहे न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले राजग सरकार द्वारा राज्यपाल पद के लिए नियुक्त होने वाले पहले गैर राजनीतिक व्यक्ति हैं.
भारत सरकार के अधीन पदानुक्रम में भारत का प्रधान न्यायाधीश राज्यपल से ऊपर होता है. राज्यपाल को संबधित राज्य के उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश या कार्यवाहक न्यायाधीश पद की शपथ दिलाता है. ऐसे में जब कोई सेवानिवृत प्रधान न्यायाधीश किसी राज्य का राज्यपाल नियुक्त होता है तो उसे कभी उसका अधीनस्थ रहा न्यायधीश उसे पद और गोपनीयता की शपथ दिलाए, आदि ऐसे अनेक तथ्य क्या  प्रधान न्यायाधीश के पद की गरिमा को ठेस नहीं पहुंचाते?
क्या न्यायधीशों के सेवानिवृत के बाद पद लेने की होड़ से न्यायपालिका की निष्पक्षता प्रभावित नहीं होगी? ऐसे अनेक प्रश्न हैं जो राज्यपालों की नियुक्ति पर अक्सर विवाद पैदा करते हैं. 
परन्तु इसके पहले की सरकारों ने भी ऐसे कदम उठाए हैं.
कांग्रेस ने ही पूर्व प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दिवंगत रंगनाथ मिश्रा को राज्यसभा का सांसद बनाया था. पूर्व प्रधान न्यायाधीश तमाम आयोगों के अध्यक्ष बनते रहे हैं. कानून सुधार पर सरकार की बनाई समितियों के अध्यक्ष बन सकते हैं, तो राज्यपाल क्यों नहीं?
वर्ष 1997 में सर्वोच्च न्यायालय की पहली महिला न्यायाधीश न्यायमूर्ति फातिमा बीबी को भी तमिलनाडु का राज्यपाल बनाया गया था. जब सेना प्रमुख, गृह सचिव, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, राज्यपाल बन सकते हैं तो प्रधान न्यायाधीश क्यों नहीं.
वैसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 157 के अनुसार वह कोई भी नागरिक जो वह 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो, वह राज्य सरकार या केन्द्र सरकार या इन राज्यों के नियंत्रण के अधीन किसी सार्वजनिक उपक्रम में लाभ के पद पर न हो, वह राज्य विधानसभा का सदस्य चुने जाने के योग्य हो और वह भारत का नागरिक हो, राज्यपाल पद पर नियुक्त किये जाने का पात्र होता है.
संविधान के अनुच्छेद 155 के अनुसार- ‘राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से की जाएगी’. किन्तु वास्तव में राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा प्रधानमंत्री की सिफ़ारिश पर की जाती है. राज्यपाल की नियुक्ति के सम्बन्ध में निम्न दो प्रकार की प्रथाएँ बन गयी थीं- 1. किसी व्यक्ति को उस राज्य का राज्यपाल नहीं नियुक्त किया जाएगा, जिसका वह निवासी है. 2. राज्यपाल की नियुक्ति से पहले सम्बन्धित राज्य के मुख्यमंत्री से विचार विमर्श किया जाएगा. यह प्रथा 1950 से 1967 तक अपनायी गयी, लेकिन 1967 के चुनावों में जब कुछ राज्यों में गैर कांग्रेसी सरकारों का गठन हुआ, तब दूसरी प्रथा को समाप्त कर दिया गया और मुख्यमंत्री से विचार विमर्श किए बिना राज्यपाल की नियुक्ति की जाने लगी.
वास्तव में देखा जाए तो संवैधानिक संस्थाओं की मर्यादा के जो मॉडल देखे जा रहें हैं वो अस्थायी मनमाने और सरकार सापेक्षिक होते जा रहें हैं. वे सत्ता पक्ष के लिए कुछ और विपक्ष के लिए कुछ.